अगले कुछ दिन पहाड़ों में खराब रहेगा मौसम, केदारनाथ के पंजीकरण पर 24 मई तक लगी रोक


 मौसम विभाग ने उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अगले कुछ मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान जताया है। वहीं, केदारनाथ में भी यात्रा शुरू होने से अब तक बर्फबारी जारी है। जिसके चलते केदारनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण पर 15 मई तक लगी रोक को 24 मई तक बढ़ा दिया गया है।

जानकारी के अनुसार, 24 तक नए पंजीकरण पर रोक रहेगी लेकिन जो यात्री पहले पंजीकरण कर चुके हैं वे यात्रा कर सकेंगे। बता दें कि 25 अप्रैल से अभी तक धाम में कुल 2,89149 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।

कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन के सवाल में उलझी कांग्रेस के सामने एक और चुनौती, वक्फ बोर्ड के प्रमुख ने मुस्लिम नेता को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग

कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन के सवाल में उलझी नजर आ रही कांग्रेस के सामने एक और चुनौती नजर आ रही है। अब वक्फ बोर्ड के प्रमुख ने मुस्लिम नेता को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग रख दी है। उन्होंने 5 बड़े मंत्रालय भी मुसलमानों को देने की मांग की है। कहा कि मुसलमानों ने समुदाय के तौर पर कांग्रेस को काफी कुछ दिया और अब लौटाने का समय है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 9 मुस्लिम विधायक चुनकर आए हैं।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शफी सादी ने कहा, 'हमने चुनाव से पहले ही कहा था कि उपमुख्यमंत्री मुस्लिम होना चाहिए और हमें 30 सीटें मिलनी चाहिए...। हमें 15 मिली और 9 मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं। करीब 72 क्षेत्रों में कांग्रेस ने मुसलमानों की वजह से ही जीती। एक समुदाय के तौर पर हमने कांग्रेस को काफी कुछ दिया है। अब समय आ गया है कि हमें भी बदले में कुछ मिले।'

 कहा, 'हम मुस्लिम डिप्टी सीएम चाहते हैं और गृह, राजस्व और शिक्षा जैसे अच्छे मंत्रालयों में 5 मंत्री चाहते हैं। इसके जरिए हमारा शुक्रिया अदा करना कांग्रेस की जिम्मेदारी है। हमारी सभी मांगें पूरी हों, यह सुनिश्चित करने के लिए हमने सुन्नी उलेमा बोर्ड ऑफिस में आपातकालीन बैठक की है।'

सादी ने मुस्लिम नेता को डिप्टी सीएम बनाना कांग्रेस की 'जिम्मेदारी' बताया है। उन्होंने कहा, 'यह होना ही चाहिए। चुनाव से पहले ही हमारी यह मांग थी। इसे पूरा करना ही चाहिए। हम केवल यह कह रहे हैं कि डिप्टी सीएम मुस्लिम होना चाहिए। ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ और राज्य के 90 लाख लोग मुसलमान हैं। अनुसूचित जाति के अलावा हम सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हैं। हम 30 सीटें चाहते थे, लेकिन नहीं मिली। लेकिन कम से कम हम यह चाहते हैं कि जैसे एसएम कृष्ण के समय की तरह 5 मुस्लिम मंत्री हों और अब एक डिप्टी सीएम हो।'

खड़गे चुनेंगे मुख्यमंत्री

कांग्रेस विधायकों ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को विधायक दल का नेता चुनने के लिए अधिकृत कर दिया। कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की रविवार शाम यहां एक निजी होटल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष को विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार दिया गया, जो कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बनेगा। सीएलपी की बैठक में कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल और तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने भी हिस्सा लिया।

किसे मिलेगी कर्नाटक की कमान! सिद्धारमैया का बड़ा दावा, कहा-'मेरे पक्ष में हैं अधिकतर विधायक'

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कर्नाटक की जनता अपना फैसला दे चुकी है, मगर कांग्रेस राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं कर पा रही है। कर्नाटक का किला फतह कर चुकी कांग्रेस किसे राज्य की कमान सौंपेगी ये तय नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कांग्रेस में दो धड़े नजर आने लगे हैं। बात दिल्ली तक पहुंच चुकी है और गेंद मल्लिकार्जुन खड़गे के पाले में आ चुकी है। लिहाजा मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर अब दिल्ली से ही लगनी है।इस बीच कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने बड़ा दावा किया है। सिद्धारमैया ने कहा है कि अधिकतर विधायकों की राय मेरे पक्ष में है।

सिद्धारमैया का बयान मुश्किलें बढ़ाने वाला!

सीएम के चेहरे को लेकर जारी रार के बीच इसे सुलझाने के लिए पार्टी ने तीन सदस्यीय पर्यवेक्षकों की टीम बनाई है। ये टीम विधायकों से राय-विचार करके अपनी फिडबैक पार्टी के हाईकमान को सौंपेगी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वे सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात करके मुख्यमंत्री के चेहरे पर अंतिम निर्णय लेंगे। पर्यवेक्षक आज अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपने वाले हैं। आज सिद्धारमैया और कई बड़े नेता खरगे से मिलने दिल्ली पहुंचने वाले हैं। इस बीच दिल्ली रवाना होने से पहले सिद्धारमैया ने बड़ा बयान दिया, जिसने पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि विधायकों ने पर्यवेक्षकों के सामने मेरा ही नाम लिया है और अधिकतर मेरे ही पक्ष में हैं। सिद्धारमैया ने इसी के साथ कहा कि मेरे रिश्ते डीके शिवकुमार के साथ हमेशा अच्छे रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे।उन्होंने कहा कि हम पहले भी मिलकर चले हैं, अब भी चलेंगे।

खड़गे लेंगे अंतिम फैसला

खड़गे ही अगले मुख्यमंत्री के नाम का चुनाव करेंगे। हालांकि उनके लिए इतना भी आसान नहीं होने वाला है। खड़गे की चूक कर्नाटक में कांग्रेस का पूरा खेल तक बिगाड़ सकती है। ऐसा इसलिए कि मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के समर्थक खुलकर सामने आ चुके हैं और अपने अपने नेताओं के लिए कुर्सी मांग रहे हैं। यही नहीं, सीएम की कुर्सी के लिए कांग्रेस में पोस्टर वार तक छिड़ चुका है। रविवार को दोनों के समर्थकों ने अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए पोस्टर जारी कर दिए। बताते चलें कि कर्नाटक में कांग्रेस ने बिना चेहरे की चुनाव लड़ा। अब जीत के बाद डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों कुर्सी की दौड़ में आगे खड़े हुए हैं। दोनों की कर्नाटक के दिग्गज नेता हैं और उनका अपना अपना मजबूत वोटबैंक है। यहां तक कि दोनों के अपने अपने समर्थक विधायक भी हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सिद्धारमैया और शिवकुमार सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे हैं।।

*आर्यन ड्रग्स केस में समीर वानखेड़े के खिलाफ सीबीआई का बड़ा खुलासा, 25 करोड़ वसूलने की थी साजिश, 18 करोड़ में हुई डील*

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आर्यन खान ड्रग्स केस एक बार फिर सुर्खियों में है।सीबीआई ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ कथित तौर पर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स-ऑन-क्रूज मामले में फंसाने के लिए 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। अब इस मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है।सीबीआई की तरफ से कहा गया है कि आर्यन खान के परिवार से 25 करोड़ रुपये वसूलने की साजिश की गई थी।

25 करोड़ रुपए वसूलने की रची गई साजिश

आर्यन खान केस मामले में एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं।एनसीबी के मुंबई जोन के पूर्व डायरेक्टर के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें समीर वानखेड़े के खिलाफ अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को नहीं फंसाने के बदले में 25 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। आरोप ये है कि जांच के दौरान समीर वानखेड़े ने केपी गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्रवाई में गवाह बनने के लिए कहा था। सीबीआई की तरफ से एफआईआर में साफ कहा गया है कि आर्यन खान के परिवार से 25 करोड़ रुपए वसूलने का प्लान किया जा रहा था। 

18 करोड़ में डील पक्की हुई

2 अक्टूबर 2021 को कोर्डेलिया क्रूज में रेड हुई थी। विजिलेंस की जांच में पाया गया कि संदिग्धों की लिस्ट में शुरुआत में नोट में 27 नाम थे लेकिन टीम ने उन्हें घटाकर 10 कर दिया। जिसमें से कई को बिना कागजी करवाई के जाने दिया। अरबाज नाम के शख्स के जूतों और जिप से नशीला पदार्थ मिला, लेकिन उसे लेकर दस्तावेज नहीं बनाए गए। चरस सप्लाई करने वाले सिद्धार्थ शाह को भी जाने दिया गया।जांच में ये भी पता चला की संदिग्धों को स्वतंत्र गवाह के वी गोसावी के वाहन में लाया गया। के वी गोसावी को एनसीबी अधिकारी की तरह दिखाया गया। के वी गोसावी और उसकी सहयोगी ने संविले डिसूजा ने आर्यन खान के परिवार से 25 करोड़ रुपए वसूलने की साजिश रची। उसे मामले में फंसाने की धमकी दी और आखिरकार 18 करोड़ में डील हो गई। के वी गोसावी ने टोकन मनी के तौर पर 50 लाख रुपया लिया। इस केस के दौरान एक शख्स की आर्यन खान के साथ सेल्फी भी वायरल हुई थी, ये और कोई नहीं केपी गोसावी ही है।

आय से अधिक संपत्ति की भी बात प्राथमिकी में

एफआई के अनुसार, जांच में समीर वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्रा के बारे में भी सही जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने अपनी महंगी घड़ी, कपड़ों के बारे में भी सही नहीं बताया था। समीर वानखेड़े के पास आय से अधिक संपत्ति की भी बात प्राथमिकी में कही गई है।

बता दें कि 12 मई को सीबीआई ने समीर वानखेड़े के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके परिसरों पर छापेमारी की थी। सीबीआई की टीम ने वानखेड़े के मुंबई स्थित घर पर 13 घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी। सीबीआई अधिकारी वानखड़े के पिता, सास-ससुर और बहन के घर भी पहुंचे थे।

कर्नाटक विधानसभा में हिंदुत्व से नहीं बन सकी बात, डिटेल में पढ़िए, इस चुनाव में दिग्गज राजनीतिक विश्लषकों को और क्या क्या दिए संदेश


कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 135 सीटों पर जीत हासिल की। आंकड़ों के मुताबिक, चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 43 फीसदी रहा, जो 1989 के विधानसभा चुनावों के बाद से राज्य में सबसे अधिक है। 2018 के चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर वाली भाजपा इस बार कांग्रेस से 69 सीटों से पिछड़ गई। वहीं जनता दल (सेक्युलर) ने 1999 में चुनावी राजनीति में उतरने के बाद से वोट शेयर के मामले में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया। इन आंकड़ों के अलावा कर्नाटक चुनाव के तीन बड़े संदेश हैं।

‘अहिंदा’ की वापसी

कांग्रेस के जोरदार प्रदर्शन को ‘अहिंदा’ से जोड़कर देखा जा रहा है। अहिंदा एक कन्नड़ शब्द है। इसमें अल्पसंख्यक को अल्पसंख्यतारू, पिछड़ों के लिए हिंदुलीदावारू जबकि दलितों के लिए दलितारू शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इन तीनों के मिलने से अहिंदा शब्द बनता है। इस नीति का इस्तेमाल दिग्गज कांग्रेस नेता देवराज उर्स ने 1970 के दशक में किया।

उन्होंने इस तरीके का इस्तेमाल, राज्य के दो प्रमुख समुदायों लिंगायत और वोक्कालिगा के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए किया। क्या इस नीति का कोई सांख्यिकीय आधार है कि कांग्रेस की वर्तमान जीत अहिंदा की वापसी की पुष्टि करती है? इसका जवाब एक्सिस एग्जिट पोल के सामाजिक-समूहवार समर्थन के आंकड़ों से मिलता है। इसमें कांग्रेस के समग्र वोट शेयर की सटीक भविष्यवाणी की गई थी। अहिंदा समुदायों के बीच कांग्रेस ने भारी वोट शेयर हासिल किया।

वोट शेयर का क्षेत्रवार विश्लेषण स्पष्ट करता है कि मध्य और दक्षिणी कर्नाटक को लिंगायतों और वोक्कालिगाओं का बड़ा गढ़ माना जाता है। इन दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस ने बढ़त हासिल की और लिंगायत या वोक्कालिगा समुदाय ने भाजपा या जद (एस) का समर्थन नहीं किया। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि गैर-लिंगायत और गैर-वोक्कालिगा मतदाता भी इन दोनों दलों से कांग्रेस में स्थानांतरित हो गया।

हिंदुत्व से नहीं बनी बात

स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने से लेकर चुनाव अभियान में बजरंग बली का आह्वान करने तक, भाजपा ने इन चुनाव में बड़े पैमाने पर हिंदुत्व की पैरवी की। नतीजे बताते हैं कि यह रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। इस तर्क के समर्थन में तीन कारकों को देखा जा सकता है। पहला कारक यह है कि कांग्रेस को राज्य के हर उपक्षेत्र में वोट शेयर के मामले में फायदा हुआ।

दूसरा, भाजपा ने तटीय कर्नाटक में भी वोट शेयर खो दिया, जहां हमेशा बड़े स्तर पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण होता रहा है। तीसरा, भाजपा का मानना रहा कि आक्रामक हिंदुत्व के सहारे वह उन क्षेत्रों में भी कुछ आधार हासिल कर सकती है, जहां वह ऐतिहासिक रूप से कमजोर रही है।

सत्ता विरोधी लहर के बीच चुनावी गारंटी

इन चुनाव में कांग्रेस ने गरीबों को राहत देने के उद्देश्य से कई आर्थिक वादे किए। पार्टी की पांच गारंटी में महिलाओं और बेरोजगारों के लिए नकद हस्तांतरण, मुफ्त खाद्यान्न और सब्सिडी वाली बिजली और एलपीजी सिलेंडर शामिल हैं। ये आर्थिक वादे कारगर रहे और गरीबों की बहुलता वाले क्षेत्रों में कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ।

काम की खबर, दो महीने के अंदर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर यात्रियों के लिए बहाल होगी बड़ी सुविधा


आप दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सफर कर रहे हैं तो पेट्रोल की समस्या खड़ी हो सकती है। इसका कारण यह है कि एक्सप्रेसवे के लंबे हिस्से में कहीं कोई पेट्रोलपंप नहीं है। इससे कई बार उन लोगों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है, जो गाड़ी में कम ईंधन के साथ चलते हैं। अब इस समस्या का शीघ्र समाधान होने वाला है।

उधर, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर भी छह में से तीन ही पेट्रोल पंप चल रहे हैं, जिससे नोएडा से सोनीपत की तरफ जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने सभी संबंधित एजेंसियों को दो महीने का लक्ष्य दिया है, जिसमें उन्हें निर्माण से लेकर सभी एनओसी प्राप्त कर पेट्रोल पंप चलाने होंगे।

135 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को पांच वर्ष पहले यातायात के लिए खोला गया था। उस वक्त लक्ष्य रखा गया था कि एक वर्ष के अंदर एक्सप्रेसवे किनारे छह स्थानों पर पेट्रोल पंप, ढाबे, रेस्टोरेंट और वाहनों की मरम्मत के लिए वर्कशॉप खुल जाएगी, लेकिन समय गुजरता चला गया है और एजेंसियों ने आगे कोई काम नहीं किया।

तमाम जद्दोजहद के बाद नोएडा की सीमा में दो और गाजियाबाद की सीमा में मुरादनगर के पास एक पेट्रोल पंप ही खुल सका, लेकिन अब सड़क किनारे जनसुविधा को लेकर एनएचएआई सख्त है। उसने उन तमाम एजेंसियों को अंतिम नोटिस दे दिया है, जिन्हें पेट्रोल पंप, होटल व अन्य जनसुविधा विकसित करने का काम मिला था। एजेंसियों से कहा गया है कि अगर दो महीने के अंदर जनसुविधा विकसित करके लोगों को सुविधा नहीं दी गई तो प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।

241 किलोमीटर लंबे हिस्से में अभी सुविधाओं की कमी

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को इस वर्ष की शुरुआत में गुरुग्राम के सोहना से राजस्थान के दौसा तक यातायात के लिए खोला गया था। कुल 241 किलोमीटर लंबे हिस्से में वाहन दौड़ रहे हैं, जिसके बदले उनसे टोल वसूली भी की जा रही है।

हालांकि पेट्रोल पंप खोलने का काम चल रहा है, लेकिन अब एनएचएआई ने कहा है कि इसे तेजी से पूरा किया जाए, जिससे यात्रियों को मिलने वाले जनसुविधा का विस्तार हो। एनएचएआई के एक अधिकारी कहते हैं कि अब एक्सप्रेसवे पर तेजी से जनसुविधा कैसे विकसित की जाएं, इसी पर काम हो रहा है। इसलिए लगातार कंपनियों के साथ समीक्षा की जा रही है कि वो पेट्रोल पंप समेत अन्य जनसुविधा कितनी जल्दी विकसित कर रही हैं। शौचालय, पेयजल और रेस्टोरेंट कुछ जगहों पर चालू हो गए हैं, लेकिन पेट्रोल पंप कुछ ही जगहों पर अभी चले हैं।

बंगाल में एंबुलेंस का किराया नहीं होने के कारण अपने बच्चे का शव बैग में डालकर बस से 200 किलोमीटर का सफर करता रहा पिता, राज्य में गरमाई सियासत

पश्चिम बंगाल में एक पिता को एंबुलेंस का किराया नहीं होने के कारण अपने बच्चे का शव बैग में डालकर बस से 200 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। सिलीगुड़ी से कालियागंज में उसके घर तक शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 8000 रुपये मांगे थे। इस मामले को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता (भाजपा) सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस सरकार की 'स्वास्थ्य साथी' बीमा योजना पर सवाल उठाया। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर एक बच्चे की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर राजनीति करने का आरोप लगाया।

बच्चे के पिता आशीम देबशर्मा ने कहा, '6 दिनों तक सिलीगुड़ी नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में इलाज के बाद मेरे 5 महीने के बेटे की पिछली रात मौत हो गई। मैंने अपने बेटे को बचाने की पूरी कोशिश की। बच्चे के इलाज पर मैंने 16000 रुपये खर्च किए।' देबशर्मा ने कहा कि मेरे बच्चे को कालियागंज तक ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 8000 रुपये मांगे, जो मेरे पास नहीं थे। ऐसी स्थिति में मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या किया जाए।

200 किमी तक शव के साथ बस में किया सफर

देबशर्मा ने दावा किया कि एम्बुलेंस नहीं मिलने पर उन्होंने शव को एक बैग में डाल लिया और दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी से करीब 200 किलोमीटर तक उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज तक बस से सफर किया। उसने इस बात की किसी यात्री को भनक नहीं लगने दी क्योंकि उसे डर था कि अगर सहयात्रियों को पता चल गया तो उसे बस से उतार दिया जाएगा। उसने कहा कि 102 योजना के तहत एक एंबुलेंस चालक ने उससे कहा कि यह सुविधा मरीजों के लिए है न कि शव को ले जाने के लिए।

मामले को लेकर राज्य में राजनीति गरमाई

मीडिया से बातचीत के इस व्यक्ति के वीडियो को ट्विटर पर डालते हुए अधिकारी ने लिखा, 'हम तकनीकी बातों में न जाएं लेकिन क्या स्वास्थ्य साथी यही हासिल करने के लिए है? यह दुर्भाग्य से ही सही, लेकिन 'इगिये बांग्ला' (उन्नत बंगाल) मॉडल की सच्ची तस्वीर है।' तृणमूल के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने भाजपा पर एक बच्चे की मौत पर 'राजनीति करने का' आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसी की मौत पर इस तरह की बातें कहना ठीक नहीं है।

पटना में बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार शुरू, लोगों की पर्ची निकालकर समस्याओं का समाधान कर रहे सरकार, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़


बिहार की राजधानी पटना के नौबतपुर स्थित तरेत में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार शुरू हो गया है। बाबा बागेश्वर लगातार श्रद्धालुओं की पर्चियां निकाल कर उनकी समस्या का समाधान कर रहे हैं। वहीं बाबा के दिव्य दरबार में उपस्थित भारी संख्या में लोग अपनी अपनी पर्ची खुलने का इंतजार कर रहे हैं। दिव्य दरबार के बाद बाबा बागेश्वर हनुमंत पाठ का शुभारंभ करेंगे।

सुबह तक रही असमंजस की स्थिति

बता दें कि सोमवार की सुबह तक बाबा के दिव्य दरबार को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन बाबा बागेश्वर तय समय पर तरेत पहुंचे और दिव्य दरबार लगाया। दिव्य दरबार में वे बारी बारी से भीड़ में मौजूद लोगों के नाम लेकर बुला रहे हैं और उनकी परेशानी सुनने के बाद लोगों की समस्या दूर करने के उपाय बता रहे हैं। वहीं मिल रही जानकारी के अनुसार राज्य के अन्य बड़े नेताओं का भी बाबा के प्रति रुख नरम होने की बात सामने आ रही है।

उल्लेखनीय है कि रविवार को कार्यक्रम में लोगों की भारी भीड़ और गर्मी के कारण दर्जनों लोगों की तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद हनुमंत कथा को समाप्त करते हुए बाबा बागेश्वर ने दिव्य दरबार को स्थगित करने की बात कही थी। लोगों से अपील किया था कि वे उनके कार्यक्रम में न आएं। वे नहीं चाहते थे कि वहां कोई अनहोनी हो जाए। हनुमंत कथा को बंद करने के बाद होटल पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिव्य दरबार नहीं लगाने की बात कही हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनका मन नहीं मान रहा है। उन्होंने देर रात होटल में ही दिव्य दरबार लगा दिया और लोगों की अर्जी स्वीकार की।

केदारनाथ यात्रा : महाराष्ट्र के यात्री से हेलीकॉप्टर टिकट के नाम पर एक लाख की ठगी, आरोपी गिरफ्तार


केदारनाथ यात्रा में यात्रियों को हेलीकॉप्टर टिकट उपलब्ध कराने के नाम पर उनसे एक लाख की ठगी करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है।

बीते 10 मई को महाराष्ट्र से बाबा केदार के दर्शन को आए रामभाऊ चोगले पुत्र रामभाऊ काया चोगलेे, निवासी 301, सरस्वती अपार्टमेंट, केंटमनीवली गांव, कल्याण ईस्ट, ठागे ने फाटा पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज की थी। बताया कि उन्हें फाटा में आशीष चौधरी नाम का व्यक्ति मिला था जिसने उन्हें हेलीकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचाने व दर्शन कराने का आश्वासन दिया।

गुप्तकाशी व फाटा पुलिस ने की कार्रवाई

व्यक्ति ने उनसे आठ टिकट के लिए एक लाख की मांग की। उन्होंने 75000 नकद और 25000 रुपये ऑनलाइन आशीष चौधरी द्वारा दिए बैंक खाते में जमा कराए लेकिन काफी इंतजार के बाद भी उन्हें हेलिकॉप्टर की टिकट नहीं मिली। फोन भी नहीं उठा रहा है। ऐसे में उन्होंने पुलिस में शिकायत की। इस पर पुलिस ने आशीष चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

पुलिस अधीक्षक डाॅ. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि विवेचना के दौरान गुप्तकाशी व फाटा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी आशीष चौधरी, निवासी दत्तवाड़ी, महासोवा चौका, सिहंगढ़ रोड, थाना पुणे को फाटा-शेरसी से गिरफ्तार किया। आरोपी को जेल भेज दिया है।

*न्यायपालिका पर टिप्पणी मामले में कानून मंत्री और उपराष्ट्रपति को राहत, सुप्रीम कोर्ट का पद से हटाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार*

#supremecourtdismissespetitionagainstvicepresidentandkiren_rijiju

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यायपालिका और कॉलेजियम प्रणाली पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें वकीलों के एक संगठन ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर कार्रवाई की मांग की थी। बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए) ने न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में रिजिजू और धनखड़ के खिलाफ याचिका डाली थी। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी यह याचिका खारिज की थी।

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए)की तरफ से उसके अध्यक्ष अहमद आब्दी की याचिका में उपराष्ट्रपति धनखड़ और रिजिजू के कुछ बयानों का हवाला दिया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि रिजिजू ने जजों की नियुक्ति करने की कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ लगातार बयान दिए हैं। कॉलेजियम के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज होते हैं। उन पर अविश्वास जता कर कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान लोगों की नजर में गिराने की कोशिश की है।

बीएलए ने दावा किया था कि रिजिजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में विश्वास की कमी दिखाई है। बीएलए ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति के रूप में और रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया था।बीएलए ने कुछ कार्यक्रमों में उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री के दिए गए बयानों का हवाला दिया।

याचिका में यह भी कहा गया था कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया। संसद से पारित कानून को रद्द करने को संसद की स्वायत्तता का हनन बताया। उन्होंने 1973 के ऐतिहासिक 'केशवानंद भारती' फैसले के जरिए स्थापित 'बेसिक स्ट्रक्चर डॉक्ट्रिन' यानी 'मूल ढांचा सिद्धांत' को भी गलत कहा। इस तरह का बयान देकर उन्होंने संविधान का पालन करने की शपथ के विरुद्ध काम किया।

क्या बोले थे रिजिजू और धनखड़?

केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली ‘‘अस्पष्ट और अपारदर्शी’’ है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती केस के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था। धनखड़ ने कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की है और अगर कोई प्राधिकार संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि ‘हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं'।