भारी भीड़ और भीषण गर्मी के कारण बाबा बागेश्वर की हनुमत कथा में मची अफरातफरी, कई लोगों की तबियत बिगड़ने से पहुंचाना पड़ा अस्पताल
डेस्क : भारी विरोधाभास के बाद बिहार में बाबा बागेश्वर धीरेन्द्र शास्त्री का पिछले तीन दिनों से राम कथा जारी है। आलम यह है कि कथा सुनने के लिए भारी भीड़ जुट रही है। बीते रविवार को अत्यधिक भीड़ और गर्मी के कारण तरेत में चल रहे बाबा बागेश्वर की हनुमत कथा में अफरातफरी मच गई। पंडाल में क्षमता से ज्यादा लोगों के भर जाने के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। दर्जनों लोग बेहोश हो गए। लोगों को एंबुलेंस से इलाज के लिए भेजा जाने लगा। शाम 6.40 बजे लोगों की हालत खराब होते देख बाबा ने कथा विराम की घोषणा कर दी। अब आज सोमवार को दिव्य दरबार में सामूहिक अर्जी लगेगी। आयोजन समिति से जुड़े पूर्व पुलिस पदाधिकारी अरविन्द ठाकुर ने रविवार देर रात कही।
सांस लेने के लिए कथा स्थल पर बैठे कई लोग एक-दूसरे को ठेलते हुए गेट से बाहर निकलने की जद्दोजहद करते दिखे। बेहोश होने वालों में ज्यादातर महिलाएं व छोटे बच्चे रहे। कथा पंडाल पर व्यवस्था में लगे तरेत के युवक रामकुमार ने बताया कि कथा समाप्ति की घोषणा होते ही लोगों के भीड़ बाहर निकलने की होड़ करने लगी। मौजूद लोग तत्काल बाहर निकल जाना चाहते थे। इसमें वहां भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
अफरा-तफरी के इस माहौल में कई जगहों पर मौजूद बैरिकेडिंग व अन्य चीजों से टकराकर कई लोगों के हाथ टूट गए और कई लोगों को पैर व शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आयी हैं। आयोजन समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी को गंभीर चोट नहीं लगी है। भीड़ के कारण हल्की-फुल्की चोटे हैं।
घंटों जाम से जूझते रहे लोग
तरेत पाली मठ में रविवार को बड़ी संख्या में लोग अपने वाहनों के साथ पहुंचे थे। इसके कारण मठ तक पहुंचने वाले सभी रास्तों पर लंबी जाम लग गई। लोगों की मानें तो दस हजार से ज्यादा गाड़ियों रविवार को आयोजन स्थल पर पहुंची। कथा विराम के बाद घर लौटने के लिए लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ा। तरेत से पटना के बीच 25 किलोमीटर तीन-साढ़े तीन घंटे में तय हुई। जिन्हें सवारी नहीं मिली वे अपने परिवार के साथ पैदल ही सड़क पर चलते दिखे।
बाबा ने बिहार की तारीफ की
कथा में बिहार की तारीफ करते हुए बाबा बागेश्वर ने कहा कि बिहार के लोग अपनी भाषा, संस्कृति और तुलसी का पौधा नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि परमात्मा चित्र में नही बसते बल्कि चरित्र में बसते है। हमारा चित्र चाहे जैसा आए लेकिन चरित्र अच्छा होना चाहिए। भगवान के दर पर चित्र नही चरित्र देखा जाता है।
May 15 2023, 11:52