कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाएं तेज, सिद्धारमैया के साथ मतभेद को लेकर सामने आया डीके शिवकुमार का बयान

डेस्क: कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस ने रण जीत लिया है और जल्द ही ये बात भी साफ हो जाएगी कि कर्नाटक में कांग्रेस आलाकमान किसे सीएम बनाएगा। सीएम पद की रेस में दो नेताओं का नाम सामने आया है, जिसमें पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार हैं। ऐसी खबरें सामने आ रही थीं कि सीएम पद के लिए चर्चाएं तेज होने की वजह से दोनों नेताओं के बीच मतभेद हो गया है लेकिन डीके शिवकुमार ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ी है और साफ कहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है।

डीके शिवकुमार ने क्या कहा?

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि सिद्धारमैया के साथ मेरे मतभेद हैं लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। मैंने कई बार पार्टी के लिए कुर्बानी दी है और सिद्धारमैया के साथ खड़ा हुआ हूं। मैंने सिद्धारमैया को सहयोग दिया है।'

कर्नाटक में सीएम पद को लेकर हलचल तेज 

सूत्रों का कहना है कि सीएम पद की रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार का नाम है। सिद्धारमैया से कांग्रेस के कई विधायक मिले हैं और सिद्धारमैया बेंगलुरु में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने पहुंचे हैं। खरगे आज शाम को दिल्ली पहुंचेंगे। आज शाम 5.30 बजे ही कांग्रेस के विधायक दल की बैठक भी है। 

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों के समर्थकों ने उनके पोस्टर लगाए हैं, जिसमें उन्हें सीएम पद के लिए प्रमुख चेहरा बताया जा रहा है। देखना ये होगा कि कांग्रेस आलाकमान क्या फैसला करता है।

सिद्धारमैया या शिवकुमार! कर्नाटक CM पर फैसला कांग्रेस के लिए चुनौती, किसके दावे में कितना दम, पढ़िए, पूरी खबर


कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद मंथन का दौर शुरू हो गया है। निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी कहा है कि हमसे कहां चूक हुई, इस पर मंथन करेंगे। बीजेपी की हार, कांग्रेस की जीत के कारण और सियासी निहितार्थ भी तलाशे जाने लगे हैं लेकिन इन सबके बीच कर्नाटक के मतदाताओं ने किसी भी राजनीतिक पार्टी को सत्ता में रिपीट नहीं करने का करीब चार दशक पुराना ट्रेंड बरकरार रखा है।

चुनाव नतीजें देखें तो चुनाव प्रचार के दौरान जो मुद्दे उठाए गए और सर्वे में जो बताया गया, उसकी तस्वीर भी झलकती है। कांग्रेस की ये जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया और सामाजिक सौहार्द के साथ ही प्रो-पुअर एजेंडे का इंद्रधनुषी जाल बुना। बीजेपी के लिए कर्नाटक की हार विंध्य के दक्षिण में पार्टी की सत्ता समाप्त होने का प्रतीक मानी जा रही है। जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) को भी सीटों के साथ ही वोट शेयर का भी नुकसान उठाना पड़ा है। कर्नाटक के कई इलाकों में, कई सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला।

कांग्रेस के सामने स्पष्ट जनादेश के बाद अब मुख्यमंत्री पद के लिए विधायक दल का नेता चुनने की चुनौती है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के नेताओं की एकजुटता नजर आई लेकिन अब जबकि पार्टी को चुनाव में जीत मिल चुकी है, कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री चुनना बड़ी चुनौती है। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया, दोनों ही मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार हैं और दोनों ही समय-समय पर मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षा जाहिर भी कर चुके हैं। दोनों नेताओं ने पहले ये भी स्वीकार किया है कि अगर वे एक साथ काम नहीं करते हैं तो पार्टी के सत्ता में आने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी।

डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया, दोनों ही नेता सामाजिक समीकरण साधने में कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण रहे। सिद्धारमैया लंबे समय से AHINDA आंदोलन की आवाज रहे हैं जो गैर-प्रमुख पिछड़ी जातियों, दलित, आदिवासी और मुसलमानों का गठबंधन था। वहीं, डीके शिवकुमार प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय के मजबूत नेताओं में गिने जाते हैं। कांग्रेस को कर्नाटक में जीत के लिए जिस तरह के सामाजिक समीकरणों की जरूरत थी, उसके लिहाज से दोनों ही नेता महत्वपूर्ण थे।

सीएम के लिए सर्वे में सिद्धारमैया पहली पसंद

अब, जब कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का जनादेश मिल गया है। सवाल ये उठ रहे हैं कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? अधिकतर सर्वे में सीएम पद के लिए सिद्धारमैया को पहली पसंद बताया गया। सिद्धारमैया के मुकाबले डीके शिवकुमार की सीएम पद के लिए लोकप्रियता सर्वे रिपोर्ट्स में कम नजर आई। सर्वे में अधिकतर लोगों ने पांच साल सीएम रहे सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद बताया था. जेडीएस सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम भी रहे। बतौर वित्त मंत्री सबसे अधिक बजट पेश करने का रिकॉर्ड भी सिद्धारमैया के ही नाम है।

सिद्धारमैया की गहरी राजनीतिक समझ, प्रशासनिक क्षमता का लाभ कांग्रेस को चुनाव अभियान के दौरान मिला भी। सिद्धारमैया साल 2013 में जब मुख्यमंत्री बने, कांग्रेस के अधिकतर विधायकों के साथ ही उनको पार्टी हाईकमान का भी पूरा समर्थन था। सिद्धारमैया की मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते भी मजबूती मिल रही है तो वहीं इसका नुकसान भी है। नुकसान ये कि उनके मुख्यमंत्री रहते पार्टी को मिली हार की वजह से दावेदारी कमजोर भी हो रही है।

संकट में भी कांग्रेस के साथ रहे शिवकुमार

डीके शिवकुमार की गिनती कांग्रेस के वफादार नेताओं में होती है। शिवकुमार तब भी कांग्रेस के साथ खड़े रहे जब पार्टी संकट में थी। शिवकुमार की छवि क्राइसिस मैनेजर की है। संगठन के मामलों में दक्ष शिवकुमार 1999 से 2004 के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के करीबियों में थे और प्रशासन में अहम भूमिका निभाई। साल 2018 में चुनाव के बाद जेडीएस के साथ गठबंधन में भी शिवकुमार की अहम भूमिका थी। शिवकुमार ने बतौर प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस को कर्नाटक में मजबूती से खड़ा किया।

डीके शिवकुमार ने कांग्रेस के लिए फंड जुटाने में भी मोर्चे पर रहकर काम किया। मुख्यमंत्री पद के लिए शिवकुमार की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद शिवकुमार भी ये मानकर चल रहे हैं कि उनके लिए सबसे अच्छा मौका है। डीके शिवकुमार 60 साल से अधिक उम्र के हो चुके हैं और उनका मानना है कि अगर इस बार उनकी बस छूट गई तो फिर दूसरा मौका शायद न मिले. हालांकि, उनके खिलाफ चल रही कुछ मामलों की जांच मुख्यमंत्री बनने की राह में रोड़े अटका सकती है।

कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा फैसला

कर्नाटक में नई सरकार का नेतृत्व सिद्धारमैया करेंगे या डीके शिवकुमार, इसे लेकर फैसले तक पहुंचना कांग्रेस पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। कर्नाटक सरकार के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस कैसे किसी नतीजे पर पहुंचती है, ये देखने वाली बात होगी। चर्चा ये भी है कि सिद्धारमैया को सरकार की कमान सौंपकर डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। ढाई-ढाई साल के कार्यकाल के फॉर्मूले की भी चर्चा है लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि इसे लेकर सिद्धारमैया शायद ही मानें।

कर्नाटक के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस प्रवीण सूद को भारत सरकार ने बनाया सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) का डायरेक्टर, तीन के भेजे गए थे नाम

कर्नाटक के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) प्रवीण सूद को भारत सरकार ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) का डायरेक्टर नियुक्त किया है। बता दें कि प्रवीण सूद 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। प्रवीण सूद का नाम सीबीआई डायरेक्टर की रेस में पहले से ही सबसे आगे चल रहा था।

शनिवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवीई चंद्रचूड़ और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सीबीआई निदेशक पद के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का चयन किया गया था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया था, समिति ने बैठक की और कैबिनेट की नियुक्ति समिति को तीन नाम भेज दिए, जिनमें से एक के नाम पर मुहर लगेगी।

सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान कर्नाटक, दिल्ली और अन्य राज्यों के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों पर चर्चा की गई थी। सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल का दो साल का निर्धारित कार्यकाल 25 मई को समाप्त हो रहा है।

26 मई को खत्म हो रहा है जायसवाल का कार्यकाल

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी जायसवाल ने 26 मई, 2021 को सीबीआई की बागडोर संभाली थी। इस महीने उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। बता दें कि सीबीआई निदेशक का चयन एक समिति करती है, जिसमें प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं। नियुक्ति दो साल के निश्चित कार्यकाल के लिए की जाती है, जबकि कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है।

डायरेक्टर को हटाने अपनाई जाती है यह प्रक्रिया

साल 1997 से पहले सीबीआई डायरेक्टर को सरकार अपनी मर्जी से कभी भी हटा सकती थी। लेकिन साल 1997 में विनीत नारायण मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकाल कम से कम दो साल का कर दिया। ताकि डायरेक्टर मुक्त होकर अपना काम कर सके। बता दें, सीबीआई के डायरेक्टर को हटाने के लिए पूरे मामले की जानकारी सेलेक्शन पैनल को भेजनी होती है। वहीं डायरेक्टर के तबादले से की प्रक्रिया में सेलेक्शन कमेटी सीवीसी, होम सेक्रेटरी और सेक्रेटरी (कार्मिक) का होना भी जरूरी है।

*देश में कोरोना के मामलों में गिरावट, एक दिन में आए 1272 नए मामले*

डेस्क: देश में बीते दिनों कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे थे। इस कारण राज्य व केंद्र सरकार हरकत में आ गई थी। लेकिन बीते कुछ दिनों से कोरोना मरीजों के मामले में गिरावट दर्ज की जा रही है। बीते एक दिन में कोरोना के 1272 नए मामलों की पुष्टि की गई है। जबकि बीते दिनों एक दिन में 12 हजार से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने लगे थे जिसने लोगों में डर बिठा दिया था।

कोरोना के मामलों में आई गिरावट

नए मामलों की पुष्टि के साथ ही भारत में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 15,515 पहुंच चुकी है। वहीं कोरोना से ठीक होने वालों का दर 98.78 फीसदी है। बता दें कि राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत अबतक कुल 220.66 करोड़ कोरोना वैक्सीन की खुराक लोगों को दी जा चुकी है। जिसमें 95.21 करोड़ दूसरी खुराक, 22.87 करोड़ एहतियाति खुराक के लिए दी गई है। बीते 24 घंटे में एक तरफ जहां 1272 लोग कोरोना का शिकार हुए हैं वहीं इसी दौरान 2,252 लोगों को इलाज कर ठीक भी किया जा चुका है।

इतने लोगों की हुई टेस्टिंग

बता दें कि कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या बढ़कर 4,44,33,389 तक पहुंच गई। देश में कोरोना के मामलों की दैनिक सकारात्मकता दर 1.02 फीसदी है। वहीं कोरोना का साप्ताहिक सकारात्मक दर 1.20 फीसदी है। अबतक कोरोना के कुल 92.86 करोड़ सैंपलों की टेस्टिंग की जा चुकी है। वहीं पिछले 24 घंटे में 1,24,628 लोगों की कोरोना टेस्टिंग की गई है।

कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री को लेकर मंथन शुरू, कांग्रेस के इन नेताओं को बनाया गया पर्यवेक्षक

डेस्क: कर्नाटक में नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसको लेकर कांग्रेस आलाकमान एक्टिव हो चुका है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सुशील कुमार शिंदे, दीपक बाबरिया और भंवर जीतेंद्र सिंह को कर्नाटक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया गया है। इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने फोन पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की थी। खबर ये भी आई है कि सिद्धारमैया ने खरगे के घर जाकर उनसे मुलाकात भी की और इस मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे दिल्ली रवाना हो गए। बता दें कि आज शाम बेंगलुरू में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी। 

कर्नाटक में कांग्रेस ने बनाए 3 पर्यवेक्षक 

कर्नाटक में कांग्रेस आलाकमान की ओर से तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि सुशील शिंदे, दीपक बावरिया और भंवर जितेंद्र सिंह को पर्यवेक्षक बनाया गया है। बताया जा रहा है कि ये तीनों पर्यवेक्षक विधायक दल की मीटिंग में मौजूद रहेंगे। इस अहम मीटिंग के बाद पार्टी हाईकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

शाम को विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव होगा पास

बता दें कि आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस सिलसिले में सोनिया गांधी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंच रहे हैं। सूत्रों की मानें तो खरगे सोनिया गांधी को विधायकों की राय बताएंगे। कांग्रेस में सीएम पद के लिए सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। आज शाम 6 बजे बेंगलुरू के संगरीला होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होनी है। इस बैठक में सभी विधायक एक लाइन का प्रस्ताव पारित करेंगे कि कांग्रेस आलाकमान तय करे सीएम कौन होगा। ये तीनों पर्यवेक्षक इसी बैठक में मौजूद रहेंगे और पार्टी हाईकमान को रिपोर्ट देंगे। इसके बाद आलाकमान सीएम पद पर फैसला करेगा।

*पटना में बोले बागेश्वर बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री- "भारत हिंदू राष्ट्र बन चुका, सिर्फ घोषणा बाकी"*

डेस्क: बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र वाला दांव चला है। पटना में दरबार लगाते ही धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र बन चुका है उसकी सिर्फ घोषणा बाकी है। आरजेडी ने धीरेंद्र शास्त्री के बयान को गैर संवैधानिक करार दिया और कहा कि धार्मिक लोगों को अपने मंच से सियासी बातें नहीं करनी चाहिए। बता दें कि पटना में धीरेंद्र शास्त्री के हनुमत कथा का आज दूसरा दिन है। पहले दिन उनकी कथा सुनने के लिए बिहार बीजेपी के कई बड़े नेता भी पहुंचे। साथ ही बागेश्वर सरकार के कार्यक्रम के दौरान आतंकी हमले के अलर्ट को देखते हुए पटना पुलिस ने वहां कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं।

कथा का विरोध करने वालों के लगवाए जयकारे

बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री जब बिहार की राजधानी पटना पहुंचे तो उनके अनुयायियों में उनकी एक झलक पाने की होड़ मच गई। एयरपोर्ट से लेकर उनके कथा स्थल पहुंचने तक लोगों की भीड़ उमड़ी रही। इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कथा शुरू करने के पहले लोगों से जो जयकारे करवाए, उनमें कथा का विरोध करने वालों की भी जयकार करवाया। इतना ही नहीं धीरेंद्र शास्त्री ने भोजपुरी में तंज भी कसा। बागेश्वर बाबा ने जयकारे लगवाए, "बिहार के पागलों की जय हो... कथा में आने वालों की जय हो... कथा का सहयोग करने वालों की जय हो... कथा का विरोध करने वालों की भी जय हो...।" 

"हिंदू राष्ट्र तो बना बनाया है घोषणा बाकी है"

इसके बाद कथा वाचन के दौरान ही एक प्रसंग आया तो उसमें धीरेंद्र शास्त्री ने फिर हिंदू राष्ट्र का मुद्दा उठाया। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "हम एक बार एक महात्मा जी को मिले, वो बोले महाराज जी आप हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं। क्या हिंदू राष्ट्र बन पाएगा? हमने मुस्कुरा कर कहा हिंदू राष्ट्र तो बना बनाया है घोषणा बाकी है। भारत में जल्दी हिंदू राष्ट्र की घोषणा भी हो जाएगी। 

उन्होंने कहा कि ये कैसे संभव हैं, हमने कहा बागेश्वर बाबा के यहां सब की अर्जी लगती है। उनकी मर्जी होती है हमारी भी अर्जी है, राम जी की मर्जी होगी काम सफल हो जाएगा। हमें उन परमात्मा का ध्यान करते हुए उनपर अटूट भरोसा रखना पड़ेगा और जब हम अटूट भरोसा उनपर रखेंगे तो रामजी ऐसे संयोग जोड़ देंगे जैसे लंका जाने के लिए पुल के लिए पत्थर जोड़ देते हैं, वैसे हमें भरोसा है कि हिंदू राष्ट्र के लिए हनुमान जी अपनी सेना को जोड़ देंगे और काम सफल हो जाएगा।" 

 

कथा के दौरान मौजूद रहे बीजेपी के दिग्गज नेता

धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान पर आरजेडी ने एतराज जताया और इसे गैर संवैधानिक करार दिया। आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि धार्मिक कार्यक्रम में शास्त्री जी को राजनीतिक बातें नहीं करनी चाहिए।

 धीरेंद्र शास्त्री की कथा वाचन के दौरान बिहार बीजेपी के सभी दिग्गज पंडाल में मौजूद रहे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे से लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा और बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी धीरेंद्र शास्त्री की कथा सुनने वालों में शामिल रहे। गिरिराज सिंह ने तो मंच पर आकर आरती में भी हिस्सा लिया। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी एक भजन सुनाने के बाद अपना मशहूर गाना जिया हो बिहार के लाला गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कर्नाटक में कांग्रेस के लिए रामबाण साबित हुई भारत जोड़ो यात्रा

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पिछले कुछ सालों में कांग्रेस दम तोड़दी पार्टी बन कर रह गई थी। लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस सिमटती जा रही थी। लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली जीत हांफते-कांपते कांग्रेस के लिए रामबाण साबित हुई है। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की इस सफलता को भारत जोड़ो यात्रा के सकारात्मक परिणाम के रूप में देखा जा रहा है।दरअसल, कर्नाटक चुनाव में भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के लिए सकारात्मक परिणाम लाएगी इस बात के कयास पहले से लगाए जा रहे थे। अब यात्रा से जुड़ा वीडियो खुद शेयर कर पार्टी ने इस बात की तस्दीक की है। पार्टी के कई बड़े नेताओं का भी ये मानना है कि इस यात्रा ने कर्नाटक में कांग्रेस के लिए “संजीवनी” साबित हुई है। 

राहुल गांधी ने कर्नाटक में 21 दिन की थी यात्रा

बता दें कि राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी और 3 महीने में करीब 4000 किलोमीटर की यात्रा कर कश्मीर तक पहुंचे थे। इसमें से 21 दिन राहुल गांधी ने कांग्रेस में गुजारे थे और 30 अप्रैल से 19 अक्टूबर तक यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने रोजाना करीब 25 किलोमीटर की यात्रा की थी और कुल 511 किलोमीटर कवर किया था। इस दौरान कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता ने राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में गए, गांवों का दौरा किया और लोगों से मिले। 

यात्रा के दौरान की कुछ बातें जो लोगों को छू गई

कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस की तत्कालीन अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हुई थीं। सोनिया गांधी कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा में छह अक्तूबर को शामिल हुई। वहीं प्रियंका गांधी यात्रा में सात अक्तूबर को शामिल हुईं। इस दौरान कुछ भावुक क्षण भी देखने को मिले थे। यात्रा के दौरान राहुल गांधी अपनी मां के जूते के फीते बांधते दिखाई दिए थे। सोशल मीडिया पर मां-बेटे की ये तस्वीर खूब वायरल हुई थी। कर्नाटक के मैसूर में राहुल गांधी मूसलधार बारिश के बीच लोगों को संबोधित करते दिखे थे। कर्नाटक की सड़कों पर राहुल गांधी ने अपनी छोटी बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के साथ खूब मेहनत की थी और जमकर पसीना बहाया था। यात्रा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया राहुल गांधी का हाथ पकड़कर दौड़ लगाते दिखे थे।

91 विधानसभाओं से 75 सीटों पर कांग्रेस जीती-प्रियंका

कर्नाटक में जीत के बाद प्रियंका गांधी ने कहा, 'कर्नाटक ने साबित कर दिया है कि ध्यान भटकाने वाली राजनीति अब नहीं चलेगी। राहुल गांधी के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा गया। उन्हीं की अगुआई थी। भारत जोड़ो यात्रा जिन 91 विधानसभाओं से यह यात्रा होकर गुजरी उनमें से 75 सीटों पर कांग्रेस जीती है। सिद्धारमैया जी और डीके शिवकुमार को बहुत-बहुत बधाई। यह जनता के मुद्दों की जीत है।

कर्नाटक में जीत के बाद राहुल गांधी का बड़ा बयान, कहा-कांग्रेस ने जो वादे किए पहली कैबिनेट में होंगे पूरे

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कर्नाटक में बीजेपी की “कमर” टूट गई। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल कर बीजेपी को जोरदार पटखनी दी है। राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की एकतरफा जीत देखकर अपने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बधाई दी है। राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव में आम जनता की शक्ति ने पूंजीपतियों की ताकत को हरा दिया है। यही नहीं, राहुल ने दूसरे राज्यों के चुनाव पर कहा कि जो कर्नाटक में हुआ है वह अन्य राज्यों में भी होगा

देश को मोहब्बत अच्छी लगती है-राहुल

कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन चुनावों में हमें जीत दिलाने के लिए कर्नाटक की जनता को शुक्रिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ है। और अब मोहब्बत की दुकान खुल गई है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में गरीबों के साथ खड़ी हुई है। हमने प्यार से ये लड़ाई लड़ी है। कर्नाटक ने दिखाया कि इस देश को मोहब्बत अच्छी लगती है।

पहली कैबिनेट में वादे पूरे करेंगे-राहुल

राहुल गांधी ने आगे कहा कि कर्नाटक की जनता से हमने पांच वादे किए थे, हम इन वादों को पहले दिन पहली कैबिनेट में पूरा करेंगे। राहुल गांधी पत्रकारों से बात करते हुए बार-बार एक ही बात पर जोर दे रहे थे कि वह अपने पांच वायदों को सबसे पहले पूरे करेंगे। 

अब ध्यान भटकाने वाली राजनीति नहीं चलेगी-प्रियंका

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत का जश्न हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तक मनाया जा रहा है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी शिमला में हैं। यहां उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा कि कर्नाटक की जनता ने यह साबित कर दिया है कि अब देश में समस्या के समाधान की राजनीति चलेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जनता के मुद्दों पर लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। प्रियंका गांधी ने कहा कि जनता के मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार है। जनता ने यह साबित कर दिया कि अब ध्यान भटकाने वाली राजनीति नहीं चलेगी। प्रियंका गांधी ने कहा कि कर्नाटक ने भ्रष्ट सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका है।

कर्नाटक में नहीं चला मोदी का मैजिक, क्या हैं बीजेपी की हार के कारण ?

#reasonswhybjpfailedtowinelection 

कर्नाटक की जनता ने अपना “किंग” चुन लिया है। राज्य में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।मतदाताओं ने अपने 38 सालों के रिवाज को बरकरार रखते हुए बीजेपी को बड़ा झटका दिया है।कर्नाटक में साल 1985 के बाद से लगातार पांच साल से ज्यादा कोई भी पार्टी सरकार में नहीं रही है।मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि इसपर मंथन किया जाएगा।पार्टी हार के कारणों पर मंथन करती रहेगी, उससे पहले हम जानते हैं बीजेपी के हाथ से कर्नाटक के जाने का कारण।

बजरंग बली वाला मुद्दा नहीं आया काम

राज्य में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रचार अभियान की अगुवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। उन्होंने प्रचार के दौरान भगवान बजरंग बली का अपमान को प्रमुख मुद्दा बनाया। प्रधानमंत्री मोदी की औसतन हर दिन तीन से चार चुनावी सभाएं होती थीं और इस दौरान पार्टी का मुख्य मुद्दा बजरंग बली के इर्द-गिर्द बना रहा। हालांकि परिणाम के रुझान को देखते हुए ये साफ लग रहा है कि बीजेपी का बजरंग बली वाला मुद्दा कर्नाटक की जनता पर कुछ खास असर नहीं कर पाया है। वहीं,कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल कर अपनी मंशा साफ कर दी

भ्रष्टाचार ने तोड़ा भरोसा

बीजेपी पर 40 फीसदी कमीशन की सरकार का आरोप चस्पा होते दिखा है। बीजेपी एक तरफ इश्वरप्पा की पीठ थपथपाते दिखी, वहीं येदियुरप्पा को स्टार कैंपेनर बना पार्टी की रणनीति को लेकर कन्फ्यूज नजर आई। दरअसल कांट्रेक्टर एसोसिएशन, स्कूल एसोसिएशन और लिंगायत मठ द्वारा सरकार पर गंभीर कमीशन खोरी का आरोप पार्टी के लिए हानिकारक साबित हुआ है। इसलिए बीजेपी राज्य में अपने कैंपेन को मजबूत आधार देकर भी जीत में तब्दील करने में नाकामयाब रही है। वासवराज बोम्मई पर ‘पेसीएम’ का आरोप चस्पा हो चुका था। लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेताओं द्वारा उन्हें सीएम के उम्मीदवार के रूप में इंडोर्स करना भी बीजेपी के खिलाफ गया है। कांग्रेस की ओर से ‘पेसीएम’ कैंपेन चलाए जाने के बाद बीजेपी एमएलए के पास से आठ करोड़ बरामद होना बीजेपी के खिलाफ जोरदार माहौल बनाने में कामयाब साबित हुआ है।

येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी को नजरअंदाज करना पड़ा भारी

कर्नाटक में बीजेपी को खड़ा करने में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने जो भूमिका निभाई, वो किसी से छिपी नहीं है। लेकिन इस बार येदियुरप्‍पा को कर्नाटक चुनाव में लगभग साइड लाइन कर दिया गया। वहीं, जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का बीजेपी ने टिकट काटा, तो दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए। येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी तीनों ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं, जिन्हें नजर अंदाज करना बीजेपी को महंगा पड़ गया।

हिजाब का मुद्दा नहीं आया काम

कर्नाटक में चुनाव से एक साल पहले ही बीजेपी सरकार ने शैक्षणिक परिसरों में हिजाब पहनकर आने पर बैन लगा दिया था। सरकार के इस कदम पर राज्य में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए गए। वहीं जब चुनाव नजदीक आए तो बीजेपी ने हिजाब और हलाल के मुद्दे से पूरी तरह किनारा कर दिया। प्रचार के दौरान पार्टी ने कहीं भी हिजाब या हलाल का जिक्र नहीं किया, क्योंकि बीजेपी पहले ही मान चुकी थी हिजाब जैसे मुद्दों से पार्टी को नुकसान ही होगा।

जगदीश शेट्टार को बीजेपी से बगावत पड़ी भारी! चेले महेश तेंगिनाकाई ने दी मात

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य में अपने दम पर सरकार बनाती हुई दिख रही है। बीजेपी को जनता ने सिरे से नकार दिया है। इसी बीच बीजेपी से बगावत करने वाले पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार हुबली धारवाड़ सीट से चुनाव हार गए हैं। शेट्टार जो कभी बीजेपी के सबसे खास थे। बीजेपी ने उनको कर्नाटक का सीएम भी बनाया था। लेकिन उनको इस बार टिकट नहीं दिया गया। वो नाराज होकर कांग्रेसी खेमे में चले गए। कांग्रेस ने उन्हें हुबली धारवाड़ सीट से अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन उन्हें बीजेपी प्रत्याशी के हाथों हार मिली। 

शेट्टार कर्नाटक के सीएम भी रहे और छह बार से विधायक थे। उनके लिए ये किला अजेय रहा है। मगर इस बार उन्हीं के चेले ने चुनाव हरा दिया। शेट्टार को हराने वाले बीजेपी के महेश टेंगीकनई चुनाव प्रचार के दौरान खुद को उनका चेला बताते रहें। शेट्टार जब सीएम बने तो महेश बीजेपी के कार्यकर्ता बस थे। उन्हीं को देखकर राजनीति सीखी। लेकिन आज वो उनपर हावी हो गए। सबसे पहले तो उन्होंने अपनी ताकत का एहसास बीजेपी का टिकट हासिल कर दिखाई। इसके बाद अब वो अपने गुरी को ही हरा कर विधायक बन गए।

बता दें कि महेश तेंगिनाकाई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। उनकी छवि एक समर्पित और जुझारू नेता की थी। तेंगिनाकाई करीब दो दशकों से बीजेपी के साथ जुड़े हैं। वो इस वक्त बीजेपी के प्रदेश महासचिव भी हैं। महेश तेंगिनाकाई की जनता की नब्ज पर पकड़। वो एक कारोबारी तो हैं ही साथ ही सामाजिक कार्यों में भी आगे रहते हैं। पार्टी का विश्वास उनके साथ था इसी कारण उनको टिकट दिया गया। पार्टी ने नए चेहरे पर दांव खेला था। उनका ये दांव सफल हुआ। पार्टी कर्नाटक में हार गई मगर ये प्रयोग सफल दिखा।