दिल्ली में अफसरों पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले से गदगद आम आदमी पार्टी (आप) ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को बताया देश का हीरो

अफसरों पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले से आम आदमी पार्टी (आप) गदगद है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर उनके मंत्रियों और पार्टी नेताओं ने इस फैसले को अपनी जीत बताया है। 'आप' ने कोर्ट के फैसले को मोदी सरकार के लिए तमाचा करार देते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जमकर तारीफ की। आप के प्रवक्ता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सीजेआई को सबसे बड़ा नायक बताते हुए कहा कि आने वाले समय में जजों की भूमिका पर भी फिल्में बनेंगी।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मोदी सरकार को तमाचा है, उनको दिल्ली की जनता का हक चोरी करने के लिए सजा मिली है। उन्होंने सीजेआई चंद्रचूड़ को देश का नायक बताते हुए कहा, 'हम जब छोटे थे तो फिल्मों में देखते थे कि अमिताभ बच्चन पुलिस इंस्पेक्टर बनते थे तो हम छोटे बच्चे भी सोचते थे कि बड़े होकर पुलिस इंस्पेक्टर बनेंगे। किसी फिल्म में दूसरे अभिनेता डॉक्टर थे तो लगता था कि डॉक्टर बनना है। एक फिल्म में अभिनेता वकील बने तो बच्चों को लगा कि काम तो वकील का होना चाहिए। इससे देश को बदला जा सकता है।'

केजरीवाल के मंत्री ने कहा, 'आज मुझे लगता है कि देश का एक एक बच्चा जो ज्यूडिश्यरी और हालातों की समझ रखता है वह कहेगा कि देश में कोई हीरो है तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ साहब हैं, कहेंगे कि अब तो जज बनना है। वह दिन दूर नहीं जब फिल्मों में जज की भूमिका में नायक नजर आएंगे। आज देश को एक बहुत बड़े नायक के रूप में चंद्रचूड़ जी मिले हैं। मैं दिल्ली की जनता की ओर से उनका बहुत बहुत धन्यवाद करूंगा। बेंच के अंदर जो 5 न्यायाधीश थे उनसभी का धन्यवाद करेंगे। दिल्ली की जनता आज सुप्रीम कोर्ट के आगे नतमस्तक है।'

दिल्ली सरकार के मंत्री भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा, '2014 से चल रही दिल्ली के लोगों की लड़ाई में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जीत गए। जब-जब देश पर विपत्ति आएगी, संविधान को ताक पर रखा जाएगा, तब-तब एक संस्था है जो व्यवस्था स्थापित करेगा, देश को बचाएगा-उच्चतम न्यायालय। ये फैसला याद रखा जाएगा।' दिल्ली की एक अन्य मंत्री आतिशी ने कहा, 'अगर निर्वाचित सरकार की शक्तियां छीन ली जाए तो जनता के वोट का कोई मतलब नहीं रह जाता है। आज सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को करारा तमाचा मारा है। अगर मोदी सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की शक्तियां छीनेगी तो SC संविधान बचाने के लिए खड़ी है। आज SC ने लोकतंत्र-संविधान को बचाया है।'

इमरान खान को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा, गिरफ्तारी को बताया था अवैध

#Imrankhanrelease 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है। इससे पहले चीफ जस्टिस ने आदेश दिया कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। 

सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त लहजे में कहा है कि अदालत के परिसर से इमरान की गिरफ्तारी डिस्ग्रेसफुल- यानी अपमानजनक है। चीफ जस्टिस की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने इमरान खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (नैब) से कहा- इमरान को फौरन रिहा करें। कोर्ट के आदेश के बाद इमरान खान को रिहा कर दिया है।

इमरान खान का गंभीर आरोप

इमरान खान ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कहा कि मेरे साथ बुरा बर्ताव किया गया है।। मुझे डंडे मारे गए हैं। मुझे लाठियों से पीटा गया। मुझे हाईकोर्ट से अगवा कर लिया गया।

नैब को लगाई फटकार

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सेना को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही कोर्ट ने इमरान की गिरफ्तारी को अवैध ठहराया है। कोर्ट ने एनएबी की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में जो कुछ भी हुआ, वह न्यायपालिका की छवि पर हमला था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या इस तरह से किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है? चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान ने कहा कि नैब ने कानून तोड़ा और कोर्ट का अपमान किया है। नैब ने जो किया अब उसे कोर्ट देखेगी। वहीं, नैब की ओर से दलील दी गई कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है।

सुप्रीम कोर्ट फैसले के कुछ ही घंटे बाद एक्शन में आई दिल्ली सरकार, आशीष मोरे को सेवा सचिव पद से हटाया

#kejriwal_govt_removed_ashish_more_from_the_post_of_service_secretary 

ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद ही दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एक्शन मोड़ में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने सेवा सचिव बदलने का आदेश जारी किया है। सर्विसेज सचिव पद पर नियुक्त आशीष मोरे को हटा दिया गया है। दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा सचिव बदलने के आदेश जारी कर दिए हैं।

बता दें कि आज ही केंद्र बनाम दिल्ली सरकार के मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि एक निर्वाचित सरकार को प्रशासन पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह व्यवस्था दी कि जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी की बाकी प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का ही नियंत्रण है। उपराज्यपाल इन तीन मुद्दों को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। 

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दिल्ली में आने वाले दिनों में बड़े प्रशासनिक फेरबदल की बात कही।केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। साथ ही केजरीवाल ने कहा कि आने वाले दिनों में दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इमरान की गिरफ्तारी को अवैध ठहराया, नैब को जमकर लगाई फटकार, पूछा- कानून हाथ में लेने की क्‍या जरूरत

#pakistanafterimrankhanarrest 

इस्लामाबाद हाईकोर्ट से इमरान खान की गिरफ्तारी पर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब)को जमकर फटकारा। इसके साथ ही कोर्ट ने इमरान की गिरफ्तारी को अवैध ठहराया है। कोर्ट ने एनएबी की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में जो कुछ भी हुआ, वह न्यायपालिका की छवि पर हमला था। सुप्रीम कोर्ट न इससे पहले पीटीआई के चेयरमैन को एक घंटे के अंदर हाजिर करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट इमरान की रिहाई पर आज ही कोई बड़ा फैसला दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने नैब से पूछा, कानून हाथ में लेने की क्‍या जरूरत

पाकिस्‍तान सुप्रीम कोर्ट में तीन सदस्‍यों की बेंच पीटीआई चेयरमैन की गिरफ्तारी पर सुनवाई कर रही है। चीफ जस्‍टिस उमर अता बंदियाल के अलावा चीफ जस्टिस अली मजहर और जस्टिस अतहर मिनाल्‍लाह अल कादिर ट्रस्‍ट में हुई इमरान की गिरफ्तारी पर सुनवाई कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इमरान की गिरफ्तारी वैध है या अवैध। जस्टिस मिनाल्‍लाह ने नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्‍यूरो (नैब) को फटकार लगाई है। नैब से सवाल किया गया है कि आखिर उसे कानून को हाथ में लेने की क्‍या जरूरत थी।

नैब ने कानून तोड़ा और कोर्ट का अपमान किया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस्लामाबाद में आपकी अर्जी पर सुनवाई होनी थी। क्या इस तरह से किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है? चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान ने कहा कि नैब ने कानून तोड़ा और कोर्ट का अपमान किया है। नैब ने जो किया अब उसे कोर्ट देखेगी। वहीं, नैब की ओर से दलील दी गई कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है।

ऐसा होता रहा तो, लोगों का कोर्ट से भरोसा उठ जाएगा

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट शहबाज शरीफ सरकार पर भी सख्त दिखी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल को बुलाया। पाक चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कोर्ट का सम्मान वापस दिलाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे ही गिरफ्तारी होती रही तो लोगों का कोर्ट से भरोसा उठ जाएगा। कोर्ट में सबकी रक्ष जरूरी है।

पैसों के अभाव में मां का इलाज नहीं होता देख अपनी किडनी बेचने अस्पताल पहुंचा बच्चा, देखकर डॉक्टर भी रो पड़े, इलाज कर ठीक कर देने का दिया भरोसा

 पूरी दुनिया अपनी मां के लिए लीग तरह तरह से प्यार जताते हैं।  मदर्स डे के दिन तो सभी लोग अपने अपने तरीके से मां के प्रति ढेर सारा प्यार जाहिर करते हैं। इधर, बिहार के एक बच्चे की विगत 4 दिनों पहले ऐसी मार्मिक व्यथा सामने अाई है कि आप भी रो पड़ेंगे। एक बच्चा अपनी मां के इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा पाया तो अस्पताल-अस्पताल घूमकर अपनी किडनी बेचने के लिए ग्राहक ढूंढने लगा।

बिहार के गया का तब बच्चा दीपांशु मदर्स डे के बारे में नहीं जनता लेकिन उसका दिल बस मां के लिए ही धड़क रहा है। तमाम कोशिशों के बाद भी जब वह अपनी मां के इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा पाया तो वह अपनी किडनी बेचने रांची के रिम्स हॉस्पिटल में पहुंच गया। यहां उसकी मुलाकात एक डॉक्टर से हुई। वहां जिसने भी यह बात सुनी उसकी ही आंखों में आसूं अा गए। रांची के रिम्स में डॉक्टर ने बच्चे की मां को ठीक कर देने का भरोसा दिलाकर उन्हें रांची लाने को कहा।

बता दे रिम्स के न्यूरो सर्जरी के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर विकास और उनके सहयोगियों ने दीपांशु को मां का रिम्स में इलाज कराने और इसका सारा खर्च उठाने का आश्वासन दिया। दीपांशु ने बताया कि मां का पैर टूट गया है और उसके पास इलाज कराने के पैसे नहीं हैं। दिपांशु पर अपने घर की जिम्मेदारी है। उसकी एक बहन भी है। दीपांशु किसी होटल में काम करके अपने परिवार का खर्च चलाता है।

इधर, रिम्स के डॉ विकास ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग करते हुए लिखा महोदय, यह बच्चा गया का है, आपसे अनुरोध है कि इसकी सत्यता की जांच कर कृपया मदद की कृपा करें। बिहार के गया का रहने वाला नाबालिग बच्चा किडनी बेचना चाहता था। बिहार से रोजगार की तलाश में रांची आया। अब यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद डॉक्टर विकास कुमार ने कहा कि लड़के की मदद के लिए अधिकारियों से बात करेंगे, ताकि उसकी मां का इलाज हो सके।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ने मांगा इस्तीफा तो भड़के शिंदे और फडणवीस, कहा- नैतिकता पर बोलने का अधिकार उन्हें नहीं

#devendra_fadnavis_said_we_are_satisfied_with_the_verdict 

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शिवसेना की बगावत मामले में फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे की सरकार को फिर से बहाल करने से इनकार दिया।सुप्रीम कोर्ट की ओर से महाराष्ट्र सरकार पर दिए गए फैसले के बाद राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रेसवार्ता में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महा विकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महाविकास अघाड़ी को बड़ा झटका लगा है।अब उद्धव ठाकरे किसी हाल में सीएम नहीं बन पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले से लोकशाही और लोकतंत्र का पूरा विजय हुआ है। वहीं एमवीए के मंसूबों पर पानी फिर गया है। महा विकास अघाड़ी की साजिश नाकाम हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है। उन्होंने कहा कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अटकलें लगाते हुए कहते थे कि हमारी सरकार जाएगी, आज उन्हें जवाब मिल गया है।

उद्धव को नैतिकता पर बोलने का अधिकार नहीं- फडणवीस

नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग पर फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे को नैतिकता पर बोलने का अधिकार नहीं है। उद्धव ठाकरे को पता चल गया था कि लोग उनका साथ छोड़कर चले गए हैं। वो जानते थे कि हार निश्चित है, इसलिए इस्तीफा दिया और अब उसे नैतिकता का चोला पहना रहे हैं। फडणवीस ने कहा कि उद्धव नैतिकता की बात न करें। वे चुनाव बीजेपी के साथ लड़कर आए थे और सरकार कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर बना ली।

पूरी तरह संवैधानिक है महाराष्ट्र की सरकार- फडणवीस

प्रेसवार्ता के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सर्वोच्च ने महाराष्ट्र सरकार मामले में फैसला दिया है। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हैं। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र की सरकार पूरी तरह से संवैधावनिक है। अपनी पूरी ताकत के साथ हमारी सरकार संवैधानिक तरीके से राज्य के विकास के लिए काम करती रहेगी।

उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी-शिंदे

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि क्या उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट या निर्वाचन आयोग से ऊपर हैं कि वह हमें अपना कोई अन्य पदाधिकारी नियुक्त नहीं करने देंगे और हमें शिवसेना नाम का उपयोग नहीं करने देंगे। उन्होंने आगे कहा कि नैतिकता की बात अब करने से अच्छा तब करनी चाहिए थी जब चुनाव हुआ था। तब अगर लोगों का निर्णय देखते हुए नैतिकता की बात करते तो भाजपा-शिवसेना की सरकार बन जाती लेकिन इन्होंने कुर्सी पाने के लिए फैसला लिया। शिंदे ने आगे कहा कि इस्तीफा आपने (उद्धव ठाकरे) दिया था। आपके पास अल्पमत था, कितने लोग बचे थे? उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी और तब राज्यपाल ने निर्णय लिया जो सही था। उन्होंने कहा कि हमने शिवसेना और बालासाहेब की विचारधारा को बचाने का काम किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट से पहले उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर उठाए सवाल, पूर्व सीएम ने कहा-बोले- ‘गद्दारों के साथ सरकार कैसे चलाता’

#uddhav_thackeray_on_maharashtra_political_crisis_supreme_court_verdict 

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शिवसेना की बगावत मामले में फैसला देते हुए कहा कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार की बहाली का आदेश नहीं दे सकती क्योंकि उन्होंने बिना फ्लोर टेस्ट का सामना किए ही इस्तीफा दे दिया था।शीर्ष अदालत ने आगे कहा, चूंकि ठाकरे ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था, ऐसे में राज्यपाल ने शिंदे को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण दिया। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही उद्धव के इस्तीफा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर उद्धव ने कहा कि गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता। ऐसे में नैतिकता के आधार पर मैंने इस्तीफा दे दिया। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए ही बिहार से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव यहां आए हैं और हम सब एक साथ हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें हर किसी के राजनीति पर सवाल उठाया गया है। इसमें राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों के राज्यपालों की भूमिका पर संदेह जताया गया है।

उद्धव ने कहा कि इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता। उद्धव ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा। उन्होंने कहा कि जिन्हें पार्टी ने सबकुछ दिया उन्होंने ही गद्दारी की। गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता। ऐसे में नैतिकता के आधार पर मैंने इस्तीफा दे दिया। मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है। राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है।

उद्धव ठाकरे गुरुवार को नीतीश कुमार और तेजस्वी के साथ मीडिया को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि पूरे देश में अधिक से अधिका पार्टियां एकजुट हों, मिलकर हम सब लड़ेंगे। आज जो केंद्र में है वे देश के लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं इसलिए देश के हित में हम सब मिलकर लड़ेंगे। अब यह तय होगा कि कब सबकी मीटिंग होगी।

अमृतसर ब्लास्ट के आरोपियों की तस्वीरें आई सामने, डीजीपी बोले- धमाकों के पीछे थी बड़ी साजिश, जानें इसके पीछे किसका हाथ

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पिछले पांच दिनों में अमृतसर धमाकों से तीन बार दहल चुका है। ये धमाके स्वर्ण मंदिर के आसपास हुए हैं। पहला धमका शनिवार की रात को, दूसरा धमाका सोमवार और तीसरा कल यानी बुधवार की रात को हुआ है।इन घटनाओं के बाद अब पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थीं।राज्य के डीजीपी ने प्रेसवार्ता में आरोपियों की पहचान बताई। साथ ही बताया कि एक महिला भी इन धमाकों में संदिग्ध रूप से शामिल है। उससे पूछताछ की जा रही है।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान आजाद वीर सिंह पुत्र जसवीर सिंह निवासी गांव वडाला कला बाबा बकाला, अमरीक सिंह पुत्र लखबीर सिंह निवासी गुरदासपुर, साहब सिंह निवासी गेट हकीमा अनगढ़, धर्मेंद्र और हरजीत निवासी 88 फुट रोड के रूप में हुई। पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि अमरीक सिंह की पत्नी से भी पूछताछ की जा रही है. आजादवीर के पास से 1.1 किलो विस्फोटक बरामद हुआ है।

पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि आजादवीर सिंह और अमरीक सिंह ने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर क्लोराइड एवं ब्रोमाइट्स के बीच सल्फर मिलाकर आईईडी तैयार की थी। आजादवीर सिंह ने यह विस्फोटक आरोपी धर्मेंद्र के जरिए अन्नगढ़ के साहिब सिंह उर्फ साबा से मंगवाया था। साहिब सिंह के पास पटाखे बनाने का लाइसेंस है। साबा ने विस्फोटक आरोपी हरजीत सिंह को दिया, जिसे आगे आजादवीर सिंह तक पहुंचाया। 

डीजीपी ने कहा कि बम धमाकों के मामले में अमरीक सिंह और आजादवीर सिंह मुख्य आरोपी हैं। वहीं अमरीक सिंह की पत्नी को भी हिरासत में लेकर उसकी भूमिका की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि आजादवीर सिंह से एक किलो 100 ग्राम एक्सप्लोसिव बरामद किया गया है। पूछताछ में सामने आया है कि धमाकों के पीछे आरोपियों का मकसद शांति व्यवस्था को भंग करना था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि विस्फोट में पटाखों के बारूद का इस्तेमाल किया गया था। एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि छापेमारी में कई बम बरामद हुए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूरे अमृतसर को दहलाने की साजिश थी। साथ ही पुलिस को कुछ संदिग्ध सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं।

बता दें कि अमृतसर में एक हफ्ते में लगातार 3 बम धमाके हुए थे। पहला धमाका 6 मई को स्वर्ण मंदिर के पास हैरिटेज स्ट्रीट में हुआ था। इसमें करीब पांच लोगों के घायल होने की सूचना थी। इसके बाद 8 मई को इसी जगह पर फिर से धमाका हुआ। इस धमाके में एक शख्स के पैर में चोट आई थी। मौके पर मौजूद एक सफाईकर्मी ने बताया था कि धमाके के बाद चारों ओर धुआं-धुआं हो गया था। इसके बाद बुधवार-गुरुवार रात करीब 12.30 बजे तीसरी बार स्वर्ण मंदिर से कुछ दूर श्री गुरु राम दास निवास के पास धमाका हुआ।

महाराष्ट्र के सियासी संकट का नहीं निकला कोई हल, बड़ी बेंच को भेजा जाएगा मामला, संविधान पीठ का अहम फैसला

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महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ किसी नतीजें पर नहीं पहुंच पाई है। गुरुवार को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाते हुए संविधान पीठ ने सुनवाई के लिए इसे बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी। बता दें कि 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़ों की ओर की याचिकाएं दायर की गई थीं। इसी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ा। उन्होंने कहा कि 2016 का नबाम रेबिया मामला, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो इसमें एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता है। इसे बड़ी बेंच का पास भेजा जाना चाहिए। स्पीकर के खिलाफ अगर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, तो क्या वह विधायकों की अयोग्यता की अर्जी का निपटारा कर सकते हैं? अब इस मुद्दे की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ करेगी।

मामले पर संविधान पीठ की तीखी टिप्पणी

संविधान पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए तीखी टिप्पणी भी की है।कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को दो गुट बनने की जानकारी थी। भरत गोगावले को चीफ व्हिप बनाने का स्पीकर का फैसला गलत था। स्पीकर को जांच करके फैसला लेना चाहिए था। स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने सही व्हिप को जानने की कोशिश नहीं की।कोर्ट ने कहा कि आंतरिक मतभेदों का हल फ्लोर टेस्ट से संभव नहीं है। फ्लोर टेस्ट कराने से पहले गर्वनर को सलाह लेनी चाहिए थी। 

राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी। फ्लोर टेस्ट को किसी राजनीतिक दल के अंदरूनी विवाद या मतभेद को हल करने के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंत: पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है। सरकार द्वारा भरोसा किए गए संकल्प ने संकेत नहीं दिया कि विधायक समर्थन वापस लेना चाहते थे। अगर यह मान भी लिया जाए कि विधायक सरकार से बाहर होना चाहते थे, तो उन्होंने केवल एक गुट का गठन किया।

राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट बुलाना भारत के संविधान के अनुसार नहीं था

राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट बुलाना भारत के संविधान के अनुसार नहीं था।

केजरीवाल की बड़ी जीतःदिल्ली सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

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केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया है। एनसीटी दिल्ली के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सेवाओं पर दिल्ली सरकार को विधायी शक्ति दी गई है।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति का फैसला है। 

एलजी को सरकार की बात माननी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एग्जीक्यूटिव मामले का अधिकार एलजी का है। लोकतंत्र में असली फैसला चुनी हुई सरकार को ही करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र का कानून नहीं है तो दिल्ली सरकार कानून बना सकती है। चुनी हुई सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है। एलजी को सरकार की बात माननी चाहिए। एलजी को चुनी हुई सरकार की मदद से फैसला करना चाहिए।

चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

फैसला पढ़ने से पहले सीजेआई ने कहा कि ये बहुमत का फैसला है। सीजेआई ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना आवश्यक हैष इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। सीजेआई ने कहा कि चुनी हुई सरकार को प्रशासन चलाने की शक्तियां मिलनी चाहिए अगर ऐसा नहीं होता तो यह संघीय ढांचे के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। अधिकारी जो अपनी ड्यूटी के लिए तैनात हैं उन्हें मंत्रियों की बात सुननी चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो यह सिस्टम में बहुत बड़ी खोट है। चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए। 

दिल्ली सरकार ने कोर्ट से अपनी शक्ति की सीमा तय करने की मांग की थी

बता दें कि आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार केंद्र के एनसीटी कानून में संशोधन के बाद एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। दिल्ली सरकार ने कोर्ट से केंद्र के साथ अपनी शक्ति की सीमा तय करने की मांग की थी। जनवरी महीने में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।