महाराष्ट्र के सियासी संकट का नहीं निकला कोई हल, बड़ी बेंच को भेजा जाएगा मामला, संविधान पीठ का अहम फैसला

#maharashtra_political_crisis_supreme_court_verdict 

महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ किसी नतीजें पर नहीं पहुंच पाई है। गुरुवार को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाते हुए संविधान पीठ ने सुनवाई के लिए इसे बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी। बता दें कि 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़ों की ओर की याचिकाएं दायर की गई थीं। इसी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ा। उन्होंने कहा कि 2016 का नबाम रेबिया मामला, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो इसमें एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता है। इसे बड़ी बेंच का पास भेजा जाना चाहिए। स्पीकर के खिलाफ अगर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, तो क्या वह विधायकों की अयोग्यता की अर्जी का निपटारा कर सकते हैं? अब इस मुद्दे की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ करेगी।

मामले पर संविधान पीठ की तीखी टिप्पणी

संविधान पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए तीखी टिप्पणी भी की है।कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को दो गुट बनने की जानकारी थी। भरत गोगावले को चीफ व्हिप बनाने का स्पीकर का फैसला गलत था। स्पीकर को जांच करके फैसला लेना चाहिए था। स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने सही व्हिप को जानने की कोशिश नहीं की।कोर्ट ने कहा कि आंतरिक मतभेदों का हल फ्लोर टेस्ट से संभव नहीं है। फ्लोर टेस्ट कराने से पहले गर्वनर को सलाह लेनी चाहिए थी। 

राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी। फ्लोर टेस्ट को किसी राजनीतिक दल के अंदरूनी विवाद या मतभेद को हल करने के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंत: पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है। सरकार द्वारा भरोसा किए गए संकल्प ने संकेत नहीं दिया कि विधायक समर्थन वापस लेना चाहते थे। अगर यह मान भी लिया जाए कि विधायक सरकार से बाहर होना चाहते थे, तो उन्होंने केवल एक गुट का गठन किया।

राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट बुलाना भारत के संविधान के अनुसार नहीं था

राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट बुलाना भारत के संविधान के अनुसार नहीं था।

केजरीवाल की बड़ी जीतःदिल्ली सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

#supreme_court_verdict_today_who_control_service_in_national_capital

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया है। एनसीटी दिल्ली के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सेवाओं पर दिल्ली सरकार को विधायी शक्ति दी गई है।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति का फैसला है। 

एलजी को सरकार की बात माननी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एग्जीक्यूटिव मामले का अधिकार एलजी का है। लोकतंत्र में असली फैसला चुनी हुई सरकार को ही करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र का कानून नहीं है तो दिल्ली सरकार कानून बना सकती है। चुनी हुई सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है। एलजी को सरकार की बात माननी चाहिए। एलजी को चुनी हुई सरकार की मदद से फैसला करना चाहिए।

चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

फैसला पढ़ने से पहले सीजेआई ने कहा कि ये बहुमत का फैसला है। सीजेआई ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना आवश्यक हैष इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। सीजेआई ने कहा कि चुनी हुई सरकार को प्रशासन चलाने की शक्तियां मिलनी चाहिए अगर ऐसा नहीं होता तो यह संघीय ढांचे के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। अधिकारी जो अपनी ड्यूटी के लिए तैनात हैं उन्हें मंत्रियों की बात सुननी चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो यह सिस्टम में बहुत बड़ी खोट है। चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए। 

दिल्ली सरकार ने कोर्ट से अपनी शक्ति की सीमा तय करने की मांग की थी

बता दें कि आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार केंद्र के एनसीटी कानून में संशोधन के बाद एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। दिल्ली सरकार ने कोर्ट से केंद्र के साथ अपनी शक्ति की सीमा तय करने की मांग की थी। जनवरी महीने में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कांग्रेस नेता को राहुल गांधी को थमाया नोटिस, बिना परमिशन डीयू दौरे को बताया गैर जिम्मेदाराना व्यवहार

#delhi_university_send_notice_to_rahul_gandhi

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पीजी मेन्स हॉस्टल के अध्यक्ष (प्रोवोस्ट) ने पिछले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस बीते दिनों उनके डीयू हॉस्टल दौरे से संबंधित है।नोटिस में राहुल गांधी का हॉस्टल परिसर में प्रवेश करना तय नियमों का उल्लंघन बताया गया है। दो पन्नों के के नोटिस में राहुल गांधी के दौरे को गैर जिम्मेदाराना व्यवहार बताया गया है। बता दें कि राहुल ने 5 मई को डीयू के पुरुष हॉस्टल में बिना परमिशन के दौरा किया था और यहां छात्रों के साथ लंच किया था। हॉस्टल प्रशासन का कहना है कि इस तरह के अनधिकृत दौरे के कारण छात्रों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हॉस्टल के अध्यक्ष केपी सिंह द्वारा राहुल गांधी को दो पेज का नोटिस भेजा गया है। इस नोटिस में हॉस्टल प्रशासन का कहना है कि अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के यह दौरा किया गया। प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस में नोटिस में कहा गया है कि राष्ट्रीय पार्टी के जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त नेता का ऐसा आचरण मर्यादा से परे है। प्रशासन का कहना है कि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राहुल गांधी को समय रहते अपने इस दौरे से पहले विश्वविद्यालय या फिर हाउसफुल प्रशासन को सूचित करना चाहिए था।

प्रोवोस्ट ने आगे कहा कि तीन गाड़ियों के साथ राहुल गांधी का कैंपस में "अप्रत्याशित प्रवेश" छात्रावास के निर्धारित नियमों का उल्लंघन है। नोटिस में हॉस्टल की सूचना और नियमों की पुस्तिका के नियम 15.13 का हवाला दिया गया है। इसके मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एजुकेशनल और काउंसलिंग गतिविधियों के अलावा छात्रावास परिसर में किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता है।

बता दें कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में आम लोगों से मुलाकात करने के लिए बीते दिनों चार स्थानों पर जा चुके हैं। राहुल गांधी नई दिल्ली स्थित टिक्की चाट की एक दुकान पर गए थे। इसके बाद वह जामा मस्जिद इलाके में गए, जहां उन्होंने एक पुराने प्रसिद्ध रेस्टोरेंट में खाना खाया और इस दौरान लोगों से मुलाकात की। लोगों से मुलाकात के सिलसिले को जारी रखते हुए राहुल गांधी बीते दिनों दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके भी गए, जहां उन्होंने सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहे कई छात्रों से मुलाकात की थी। इसी क्रम में राहुल गांधी ने बीते शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित पीजी मेंस हॉस्टल का भी दौरा किया। उन्होंने यहां कई छात्रों के साथ बातचीत की थी। इसके बाद राहुल गांधी ने छात्रों के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के हॉस्टल में लंच भी किया था। राहुल गांधी ने यहां छात्रों से रोजगार और बेरोजगारी के मुद्दों पर चर्चा की थी। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में मुद्दों पर भी बात की थी।

चक्रवात मोचा का खतरा बरकरार, बंगाल की खाड़ी में तेज हुआ तूफान, तटीय इलाकों में हाई अलर्ट

#cyclone_mocha

अंडमान सागर से सटे दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना एक कम दबाव का क्षेत्र चक्रवाती तूफान के रूप में विकसित हो चुका है। चक्रवाती तूफान 'मोचा' को लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएम़डी) की चेतावनी के बाद भारतीय तटरक्षक की कई यूनिट्स को हाई अलर्ट पर रखा गया है। आईएमडी ने बुधवार को भविष्यवाणी की थी कि दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी पर दबाव उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ गया है और इसके उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है और उसी क्षेत्र में एक चक्रवाती तूफान में धीरे-धीरे तेज हो सकता है।

दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में स्थित गहन अवदाब पिछले 06 घंटों के दौरान 8 किमी प्रति घंटे की गति के साथ उत्तर उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ा और एक चक्रवाती तूफान मोचा में तीव्र हो गया है।यह 11 मई को भारतीय समय अनुसार 5.30 बजे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में लगभग 11.2 °N अक्षांश और 88.1°E देशांतर के पास केंद्रित था, जो की पोर्ट ब्लेयर से लगभग 510 किमी पश्चिम दक्षिण-पश्चिम, कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) से 1210 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और सितवे (म्यांमार) से 1120 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थित है।

इसके उत्तर-उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने और आज, 11 मई की मध्यरात्रि के आसपास धीरे-धीरे तीव्र होकर एक प्रचंड चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होने की बहुत संभावना है। इसके बाद, इसके धीरे-धीरे मुड़ने और 12 मई की सुबह से उत्तर-उत्तर पूर्व की ओर बढ़ते हुए मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर 12 मई की शाम के आसपास एक अत्यंत प्रचंड चक्रवाती तूफान में तीव्र होने की सम्भावना है।यह 13 मई की शाम के आसपास अपनी चरम तीव्रता पर पहुंच जाएगा

इसके बाद 14 मई की सुबह से इसके थोड़ा कमज़ोर होने की सम्भावना है और 14 मई, 2023 की पूर्वाह्न के आसपास कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) और क्यौकप्यू (म्यांमार) के बीच दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश और उत्तरी म्यांमार के तटों को 120-130 किमी प्रति घंटे की अधिकतम निरंतर पवन गति एवं 145 किमी प्रति घंटे की पवन गति के झोकों के साथ पार करने की संभावना है।

*इमरान की गिरफ्तारी पर समर्थकों का उत्पात जारी, गृहयुद्ध के मुहाने पर पाक, सेना ने कहा-पीटीआई के कुछ नापाक नेताओं का हाथ*

#imrankhanarrested3rddayofptisupportersprotest

पिछले तीन दिन से पाकिस्तान जल रहा है। हालात गृहयुद्ध के जैसे हो गए हैं।पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद समर्थकों का उबाल कम नहीं हो रहा है।पाकिस्तान की सड़कों पर इमरान खान के समर्थक तोड़फोड़ कर रहे हैं।विरोध कर रही भीड़ ने घरों, कार्यालयों और वाहनों पर पथराव किया, बैनर और टायर जलाए और सड़कों को जाम कर दिया।

पीएम शहबाज ने दी कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी

इमरान खान के बेलगाम समर्थकों ने पीएम शहबाज शरीफ के घर पर भी हमला किया है।शहबाज शरीफ का कहना है कि इमरान के समर्थक जो कुछ कर रहे हैं वो एक्ट ऑफ टेररिज्म है यानी आतंकी काम है। इसके जरिए वो नफरत बढ़ाने का काम कर रहे हैं।शरीफ ने देश में चल रही अशांति के लिए भी खान की निंदा की और प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान खान द्वारा किए गए कथित भ्रष्ट आचरण के मुद्दे को उठाया।प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान आगजनी और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

सेना ने कहा- पीटीआई के कुछ नापाक नेताओं की प्लानिंग

वहीं, एक स्थानीय मीडिया की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान सेना की मीडिया विंग, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने नौ मई को हुई हिंसक घटनाओं को देश के इतिहास का एक "काला अध्याय" करार दिया है।आईएसपीआर ने कहा कि विरोध-प्रदर्शनों ने विशेष रूप से सेना की संपत्ति और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया।आईएसपीआर ने प्रदर्शनकारियों की आलोचना की और उनके कार्यों को अपने सीमित और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए देश की भावनाओं में फेरबदल करने का प्रयास करार दिया।आईएसपीआर ने बयान में कहा कि रणनीति के अनुसार सेना की प्रतिक्रिया को नापाक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने की स्थिति बनाई गई थी, जिसे सेना की सतर्क प्रतिक्रिया से विफल कर दिया गया।बयान में आगे कहा गया, 'हम अच्छी तरह जानते हैं कि इसके पीछे पीटीआई के कुछ नापाक नेताओं के आदेश, निर्देश और पूरी प्लानिंग थी। 

पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी गिरफ्तार

इस बीच खबर आ रही है कि पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी को सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव की धारा 3 के तहत गिरफ्तार किया गया है। कुरैशी को इस्लामाबाद में गिलगित बाल्टिस्तान हाउस से हिरासत में लिया गया।पीटीआई का दावा है कि सीनियर नेता शाह महमूद कुरैशी को इस्लामाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इमरान खान, शाह महमूद कुरैशी, मुराद सईद, अली अमीन गंदापुर समेत अन्य नेताओं पर लाहौर पुलिस ने 7 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से 4 एंटी-टेररिज्म एक्ट से जुड़े हैं।

अचानक गुम हो गया दवा कारोबारी का पूरा परिवार, निजी कार से आगरा से पत्नी, बेटा-बेटी, बहू और एक साल के नाती के साथ गए थे नैनीताल घूमने


आगरा के ट्रांस यमुना स्थित श्रीनगर कॉलोनी निवासी दवा कारोबारी राजेश शर्मा (50) पत्नी, बेटे, बहू, बेटी और नाती सहित 15 अप्रैल से लापता हैं। परिजन अनहोनी की आशंका से चिंतित हैं। पुलिस का कहना है कि परिवार नैनीताल गया था। 23 अप्रैल को लौटकर आया। फिर निजी गाड़ी से जयपुर चला गया। होटल में रुका। इसके बाद लापता हो गए। पुलिस टीम जयपुर में गई है। तलाश की जा रही है।

मामले में राजेश शर्मा के फिरोजाबाद में रहने वाले भाई रमाकांत शर्मा ने गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि भाई राजेश, पत्नी सीमा शर्मा (45), बेटे अभिषेक (25), पुत्र वधू ऊषा, बेटी काव्या (22) और एक साल के नाती विनायक के साथ नैनीताल गए थे। 23 अप्रैल को बात हुई। उन्होंने बताया कि वह बरेली पहुंच गए हैं, जल्दी घर आ जाएंगे। मगर, सुबह तक नहीं आए। मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गए। इस पर पुलिस आयुक्त से शिकायत की। मामले में पुलिस ने जांच की। सोशल मीडिया एकाउंट खंगाले। मगर, भाई और परिवार का पता नहीं चला है। पुलिस आयुक्त डाॅ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि व्यापारी की तलाश की जा रही है। इसके लिए पुलिस की विशेष टीम को लगाया गया है।

टैक्सी से पहुंचे जयपुर बस स्टैंड

थाना ट्रांस यमुना के प्रभारी निरीक्षक आनंद प्रकाश ने बताया कि दवा व्यापारी पहले निजी गाड़ी से नैनीताल गए थे। 23 अप्रैल को लौटकर आए। आवास पर अपनी गाड़ी खड़ी की। रात में ही टैक्सी करके जयपुर चले गए। रात तकरीबन 3 बजे बस स्टैंड पर टैक्सी उतर गए। व्यापारी ने एक होटल में दो कमरे लिए। सुबह 11:30 बजे होटल छोड़ दिया। तब से मोबाइल बंद हैं।

नहीं हुआ अपहरण

पुलिस ने व्यापारी के अपहरण से इन्कार किया है। जांच में पता चला है कि वह अपनी मर्जी से गए हैं। मोबाइल स्विच आफ क्यों हैं? यह नहीं पता चला। होटल से निकलने के बाद कहां गए? इसका पता किया जा रहा है। जयपुर पुलिस की भी मदद ली जा रही है। एक टीम जयपुर गई है। परिवार के लापता होने पर कुछ लोग थाने पहुंचे। उन्होंने व्यापारी को अपना माल दिया था। उन्हें रकम लेनी थी। व्यापारी के लापता होने के पीछे क्या वजह है? यह पता किया जा रहा है।

*अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास पांच दिन में तीसरा धमाका, पुलिस ने कहा माहौल खराब करेन की साजिश, पांच लोग गिरफ्तार*

#amritsarblastcasesolvedfivepersonarrested

अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास पांच दिन में तीसरी बार बुधवार देर रात ब्लास्ट की घटना सामने आई। ये धमाका बुधवार और गुरूवार की मध्यरात्रि करीब 12.40 बजे हुआ।पुलिस कमिश्नर नौनिहाल सिंह ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि हम जांच कर रहे हैं। वहीं हरकत में आई पंजाब पुलिस ने मामले को सुलझा लेने का दावा किया है। फिलहाल इस मामले में 5 साज़िशकर्ताओं को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

5 दिन में ब्लॉस्ट की तीसरी घटना

अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास 5 दिन में बम ब्लास्ट की ये तीसरी घटना है। सबसे पहले 6 मई को स्वर्ण मंदिर की तरफ जाने वाली हैरिटेज स्ट्रीट पर धमाका किया गया। फिर 8 मई को भी उसी जगह एक और ब्लास्ट हुआ जिसमें एक शख्स को मामूली चोटे आईं, अब बीती रात हुए धमाके के बाद से उसकी चिंता बढ़ गई है।बुधवार की मध्यरात्रि को एक बार फिर जोरदार धमाका हो गया।यये ब्लास्ट सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के पास हुआ। इसकी आवाज तीन सौ मीटर दूरी तक सुनाई दी। यह धमाका पहले दो धमाकों वाली बिल्कुल विपरीत दिशा में है, जो पहले हेरिटेज स्ट्रीट में हुए धमाकों से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है।इसकी आवाज तीन सौ मीटर दूरी तक सुनाई दी। 

लोकल टेरर नेटवर्क से जुड़े पांच लोग गिरफ्तार

वहीं, अमृतसर में 5 दिनों में हुए तीन लो-इंटेंसिटी धमाकों के मामले को पंजाब पुलिस ने सुलझा लिया है। उन्होंने नये लोकल टेरर नेटवर्क से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि बम बनाने वाले नौसिखिए थे और स्वर्ण मंदिर के आस-पास धमाके करके उनका मकसद पंजाब में अशांति का माहौल पैदा करने का था। इस मामले में जल्द ही पंजाब पुलिस के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के मामले का खुलासा किया जाएगा।

महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का क्या होगा? 16 विधायकों के निलंबन पर कल सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

#supremecourtdeliverjudgmentonmaharashtrapoliticalcrisistomorrow

महाराष्ट्र की सियासत के लिलए गुरूवार का दिन काफी अहम होने वाला है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों की पात्रता और अपात्रता पर फैसला सुनाया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई यानी गुरुवार को महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर अपना फैसला सुनाने का दिन मुकर्रर किया है।

इस मामले की सुनवाई पांच जजों की खंडपीठ में पूरी हो चुकी है। मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया था। याचिका उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। उन्होंने बगावत करने वाले 16 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की थी।बागी विधायकों के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने विधानसभा उपाध्यक्ष के पास से विधायक को अयोग्य करार देने की याचिका दायर की थी।

क्या है मामला

पिछले साल जून के महीने में एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के साथ बगावत की थी। उस समय उनके साथ पार्टी के अन्य 15 विधायक भी पार्टी छोड़ कर एकनाथ शिंदे के साथ हो लिए थे। एकनाथ शिंदे बगावत के बाद पहले सूरत फिर गुवाहाटी में समर्थक विधायकों के साथ रुके हुए थे। उस समय उद्धव ठाकरे के एकनाथ को वापस आने के लिए और बैठकर बातचीत के लिए भी प्रस्ताव दिया था। हालांकि, इस प्रस्ताव को शिंदे ने उचित प्रतिसाद नहीं मिला था। बाद में तत्कालीन विधानसभा के स्पीकर (डिप्टी स्पीकर) ने एकनाथ शिंदे समेत उनके समर्थक विधायकों को विधानसभा में आने के लिए कहा था। हालांकि, एकनाथ शिंदे ने पार्टी व्हिप का पालन नहीं किया। यह आरोप उनपर लगाया गया। बाद में उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया। जिसके बाद 30 जून में राज्य में शिंदे- फडणवीस सरकार की स्थापना हुई। इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए याचिका दायर की थी। कल इसी पर फैसला आना है।

इन 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग

याचिका में एकनाश शिंदे, भरतशेट गोगावले, संदिपानराव भुमरे, अब्दुल सत्तार, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिल बाबर, बालाजी किणीकर, तानाजी सावंत, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमूलकर और बालाजी कल्याणकर, को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है

कर्नाटक में विधानसभा के लिए वोटिंग खत्म, शाम पांच बजे तक 65.69 फीसदी मतदान, रामनगरम जिले में सबसे अधिक वोटिंग

#karnatakaelection2023votingpercentage

कर्नाटक में सभी 224 विधानसभा सीटों के लिए हो रहा मतदान खत्म हो गया है। शाम पांच बजे तके 65.69 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला है। अंतिम आंकड़ा आना बाकी है। इसके साथ ही राज्य में उतरे 2,615 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। अब 13 मई को पता चलेगा कि जनता ने किसे चुना। 

तीन जिले जहां हुआ सबसे ज्यादा मतदान

शाम पांच बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग रामनगरम जिले में हुई। जिले में इस बार 78.22 फीसदी वोटिंग हुई। इसके बाद चिक्कबल्लपुर में 76.64% और बंगलुरु ग्रामीण में 76.10% मतदान हुआ। 

सबसे कम मतदान

शाम पांच बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, सबसे कम मतदान बीबीएमपी साउथ में जिले में हुआ। यहां 48.63 फीसदी वोटिंग ही हुई। इसके बाद बीबीएमपी साउथ में 50.02% और बीबीएमपी सेंट्रल में 50.10% मतदान दर्ज किया गया। 

कर्नाटक चुनाव के बड़े चेहरे

कर्नाटक चुनाव में कई बड़े चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बड़े उम्मीदवारों में सबसे पहला नाम राज्य के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बसवराज बोम्मई का है जो शिगगांव विधानसभा सीट से मैदान में हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया वरुणा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जनता दल (सेक्युलर) के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी रामनगर जिले के चनापटना निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। कनकपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार मैदान में हैं। पूर्व बीजेपी नेता और चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का हाथ थामने वाले पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार हुबली धारवाड़ (सेंट्रल) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र शिकारपुरा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। चित्तपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे मैदान में हैं।

*पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान तोशखाना केस में दोषी करार, अल कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट स्कैम केस में गिरफ्तारी के बाद एक और बड़ा झटका*

#imrankhanindictedinthetoshakhanacase

अल कादिर ट्रस्ट यूनिवर्सिटी घोटाले में गिरफ्तार पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। इस्लामाबाद हाई कोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी को ‘वैध’ करार देने के कुछ घंटे बाद एक अतिरिक्त सत्र अदालत ने तोशखाना मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ अध्यक्ष के खिलाफ आरोप तय किए हैं। जल्द सजा का भी ऐलान हो सकता है।कई महीने से तोशाखाना केस के कारण चर्चा में थे। वो इस केस में बतौर आरोपी कई बार सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश हुए। उनके खिलाफ गिरफ्तारी की नौबत भी आ गई थी, लेकिन समर्थकों के भारी विरोध के कारण तब पाकिस्तानी पुलिस इमरान को अरेस्ट नहीं कर पाई थी।

बुशरा बीवी भी हैं आरोपी

पाकिस्तान के चुनाव आयोग के फैसले के बाद इमरान खान के खिलाफ तोशखाना मामला दायर किया गया था। उन पर आरोप लगाया गया कि सरकारी खजाने से महंगे गिफ्ट को सस्ते दामों पर बेच दिया था। ये गिफ्ट विदेशों से मिले थे। इस मामले में इमरान की तीसरी पत्नी बुशरा बीवी भी आरोपी हैं।

क्या है मामला?

तोशखाना मामला अगस्त 2022 में इमरान खान के खिलाफ दायर किया गया था। इमरान पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ECP) को जमा की गई वार्षिक संपत्ति में तोशखान उपहारों का विवरण साझा नहीं करने का आरोप लगाया गया था। फिर, चुनाव आयोग ने इमरान को एक छोटी अवधि के लिए सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, इमरान पर बेईमानी, मनगढ़ंत जानकारी और गलत घोषणा करने का आरोप भी है। बाद में इमरान ने चुनाव आयोग को बताया कि उन्होंने सभी गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा था। बेचने पर उन्हें 5.8 करोड़ रुपए मिले थे। लेकिन खुलासा हुआ कि यह रकम 20 करोड़ से ज्यादा थी।

क्या है तोशाखाना?

बता दें कि पाकिस्तान में तोशाखाना एक ऐसी जगह होती है जहां पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्री, सरकारी अधिकारियो को अपनी विदेश यात्राओं के दौरान तोहफ़े में मिलने वाली चीजों (उपहारों) को रखा जाता है। पाकिस्तान में तोशाखाना की स्थापना 1974 के साल में की गई थी। ये कैबिनेट डिविजन के नियंत्रण में रहा। पाकिस्तान में तोशाखाना से जुड़ा एक कानून है, जो वहां के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेनेट के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन, नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, संसद के सदस्य, सरकारी अधिकारी और स्वायत्त और अर्ध-स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारी इन सभी पर लागू होता है। भले ही ये लोग छुट्टी पर हों या ड्यूटी पर, इन्हें तोशाखाना कानून को मानने के लिए बाध्य हैं। नियम के अनुसार, विदेशी दौरों पर मिलने वाला गिफ़्ट (उपहार) अगर एक तय कीमत से अधिक का हो तो उसे तोशाखाना में जमा कराना होता है।