गिरिडीह:खेतिहर किसानों द्वारा किया गया पारंपरिक भक्ता पर्व का आयोजन
गिरिडीह:जिले में डुमरी के जामतारा शिव मन्दिर के प्रांगण में वैशाख पूर्णिमा पर भक्ता पर्व सह भक्ता मेला प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पारंपरिक तरीके से मनाया गया।पर्व को लेकर मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया था।
पूर्णिमा के दिन पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करने के पश्चात भक्तगण बीती रात्रि अपने पुराने हलों के लकड़ियों को जला कर उससे बने अंगारों पर नंगे पैर चले।साथ ही लगभग 25 फुट ऊंचे खूटे के शिखर पर भक्त सिर्फ पतले लकड़ी के रोले से अपने को एक धोती से बांधकर बिना किसी सहारे के परिधि में घूमते हुए नीचे मौजूद श्रद्धालुओं पर आशीर्वाद स्वरूप फूल बरसाते रहे।
रात भर चले इस अनुष्ठान के दौरान आसपास क्षेत्रों के सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित हुए।इस दौरान शिव मंदिर में पूजा आराधना में लीन रहने वाले भक्त सिर्फ फलों का सेवन कर कोई एक पखवाड़े तो कोई एक सप्ताह या कोई तीन दिनों तक मंदिर में ही सांसारिक भौतिक सुविधाओं को त्याग कर आदिदेव महादेव की भक्ति में लीन रहते हुए पूजा अर्चना की।
बिशुवा परब के नाम से प्रचलित इस मेले की शुरूआत होने के बारे में बताया जाता है कि जब से यह शिव मंदिर बना है, तब से इस भक्ता मेला का आयोजन होता रहा है।बुजुर्गों की माने तो यह शिव मंदिर इस जामतारा पंचायत की सबसे प्राचीन मंदिर है।
कहा जाता है कि दशकों पूर्व जामतारा बस्ती में एक स्थानीय किसान हल चला रहा था। इसी क्रम में उस किसान को खेत में एक शिवलिंग दिखा।उक्त किसान द्वारा शिवलिंग को निकालने का काफी प्रयास किया गया।परंतु किसान जितने बार शिवलिंग निकालने का प्रयास करता,शिवलिंग उतना ही जमीन के अन्दर धंसता चला जाता।ग्रामीणों को इस बात की जानकारी होने पर इसे शिव की कृपा मानकर उक्त स्थान पर एक मड़य बनाकर पूजा अर्चना की जाने लगी।जिसे बाद में स्थानीय ग्रामीणों ने सभी
से उनके सामर्थ्य के अनुसार आर्थिक सहयोग लेकर एक आकर्षक शिव मंदिर बना दिया।
तब से ही प्रत्येक वर्ष बैशाख पूर्णिमा के अवसर पर भक्ता मेला का आयोजन किया जाता रहा है।इस दौरान पूरे माह ग्राम में मांस, मदिरा, प्याज तथा लहसुन का सेवन प्रतिबंधित रहता है।वहीं इस दौरान गांव में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य सम्पन्न नहीं किये जाते हैं।
भक्ता पर्व के पूजन विधान में पुजारी देवानंद पांडेय,प्रकाशचन्द मेहता,सतीश कुमार,विजय मेहता,भुनेश्वर महतो,रामचंद्र मिस्त्री,रीतलाल मिस्त्री,अशोक महतो,हुकुमचंद महतो,महेंद्र प्रसाद महतो,बोधी महतो,
शंकर महतो,भोला महतो,महेंद्र महतो,दुर्गा महतो,पुरन
महतो आदि की सराहनीय भूमिका रही।
May 06 2023, 16:53