पंचायत सदस्यों ने खोली पंचायती राज के सिस्टम की पोल, कहा-23 प्रतिशत कमीशन लेते हैं अधिकारी
औरंगाबाद : जिले के कुटुम्बा प्रखंड में पंचायत प्रतिनिधियों ने ही सिस्टम की पोल खोली है। कुटुम्बा पंचायत समिति सदस्यों ने प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी(बीपीआरओ) पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। इसे लेकर सदस्यों ने प्रखंड कार्यालय में जमकर बवाल भी काटा है।
पंचायत समिति सदस्यों का आरोप है कि कुटुम्बा के प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार चंद्रबंशी एवं बीपीआरओ हरेंद्र कुमार चौधरी की मिलीभगत से सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी हो रही है। राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए योजनाओं की बंदरबांट की जा रही है।
अम्बा पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अतुल पांडेय ने दावें के साथ कहा कि बीपीआरओ प्रमुख के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं। वे पैसे लेकर और सर्टिफिकेट जमा कर पंचायत समिति की योजनाओं का रेकर्ड खोल रहे हैं।
कहा कि ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारियों के कारण ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकासोन्मुखी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही है।
आरोप लगाया कि पदाधिकारी छिटपुट काम दिखाकर योजना की राशि का बंदरबांट कर लेते हैं। इस तरह से वें जनता की नजर में भी सरकार को बदनाम कर रहे है।
वही वर्मा पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अजय कुमार मेहता ने कहा कि हमलोगो को जनता ने भरोसे के साथ विकास करने के लिए चुनाव जीता कर भेजा है, लेकिन अधिकारियों द्वारा हमें अनदेखा किया जा रहा है। अधिकारी हमारी बात नहीं सुनते हैं। इसके लिए बीपीआरओ एवं प्रमुख पूरी तरह दोषी हैं।
अधिकारी हमें काम न दें बल्कि वे खुद काम कर हमारे क्षेत्र का विकास करें ताकि हम जनता के वोट का कर्ज उतार सके।
बीपीआरओ के हस्ताक्षर के बगैर खुल रही योजनाएं-
इन आरोपों को खारिज करते हुए बीपीआरओ हरेंद्र चौधरी ने कहा कि पंचायत समिति सदस्यों ने हमे सर्टिफिकेट नहीं दिया है। योजनाओं के आवंटन को लेकर उन्होने शुरू से ही लचीला रुख अपना है। खुली हुई योजनाओं पर मैंने हस्ताक्षर भी नहीं किया है। योजना खोले जाने की बात पर उन्होंने क्लर्क को फटकार भी लगाई।
कहा कि पंचायत समिति सदस्य बैठक कर योजनाओं के बंटवारा का निर्णय ले ले। जब तक पंचायत समिति सदस्यों की बैठक नहीं हो जाती तब तक योजनाएं नहीं खुलेंगी।
वही पंचायत समिति सदस्यों का आराेप है कि प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के हस्ताक्षर के बगैर ही योजनाएं खुल जा रही है।
इस बारे में पंसस अतुल पांडेय ने कहा कि बीपीआरओ द्वारा बार-बार आश्वासन देने के बावजूद चोरी-छिपे रेकड़ खोल दिया जाता है।
बीपीआरओ ने कमीशनखोरी के चक्कर में किसी की 50 लाख तो किसी की 70 लाख की योजना खोल दी है। जबकि हर क्षेत्र में योजनाओं का बंटवारा बराबर होना चाहिए।
इसी तरह विगत दो वर्षों में बीपीआरओ और प्रमुख की मिलीभगत से एक-दो पंचायत में करोड़ों की योजना खोलकर प्रखंड क्षेत्र के अन्य पंचायतों के विकास को अनदेखा किया जा रहा है।
23 प्रतिशत कमीशन लेते हैं पदाधिकारी
पंचायत समिति सदस्यों ने प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी पर 23 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि यहां कमीशन के बगैर कोई काम नहीं होता है। हर टेबल पर कमीशन बंधा हुआ है। कमीशनखोरी के खेल में प्रखंड प्रमुख को पांच प्रतिशत, उप प्रमुख को दो प्रतिशत, बीपीआरओ को पांच प्रतिशत, जेई को पांच प्रतिशत और अन्य ऑफिस खर्च लेकर कुल 23 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है।
सवाल यह है कि इतना कमीशन देने के बाद पंचायत प्रतिनिधि प्रतिनिधि विकास का काम कैसे करेंगे। सही काम नही होने पर जनता हमें भला बुरा कहती है। अधिकारियों की कमीशनखोरी से हम लोग त्रस्त हैं। भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी का आलम यह है कि प्रखंड क्षेत्र के विकास का ब्यौरा जानने के लिए 19 पंचायत समिति सदस्यों ने हस्ताक्षर कर बीपीआरओ को आवेदन सौंपा था। 5 माह गुजर जाने के बावजूद बीपीआरओ ने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। वें धौंस जमाते हुए कहते हैं कि जवाब नहीं देंगे। इन मामलों को लेकर हमलोग जिलाधिकारी से भी मुलाकात करेंगे।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Apr 25 2023, 16:09