पहले ताड़ी बेचने में था पुलिस से डर, अब उसी ताड़ी के नीरा से मिठाई बना महिलाएं कर रही 15 से 30 हजार रुपए की कमाई
बेगूसराय : कल तक जिन महिलाओं की घूंघट ही पहचान हुआ करती थी, आज उन महिलाओं की पहचान एक कुशल व्यवसायी के रूप में हो रही है। परंपरागत व्यवसाय को छोड़ महिलाएं जीविका की मदद से उत्पादक समूह बनाकर 15000 से लेकर 30000 तक की मासिक कमाई कर रही हैं, जिससे समाज में उनकी प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ है। वहीं आर्थिक रूप से भी सबल हुईं है। ऐसा ही एक उदाहरण पेश कर रही हैं सदर प्रखंड के रजौड़ा, चिलमिल एवं सूजा गांव की जीविका से जुड़ी महिलाएं।
जीविका की मदद से गठित उत्पादक समूह में 37 महिलाएं जुड़ी हुईं हैं। पहले उनके परिजन ताड़ी बेचने का कार्य किया करते थे। जैसे ही बिहार सरकार ने ताड़ी को प्रतिबंधित कर दिया, इनके परिजनों के सामने रोजी-रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई, जिसके बाद इन महिलाओं ने जीविका की मदद से पहले तो ताड़ी से नीरा बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया फिर उसके बाद नीरा से बने चाकलेट, पेड़ा और लड्डू आदि उत्पादों को बेच कर आमदनी कर रही है।
पुलिस की छापेमारी का अब डर हुआ दूर
अमृत उत्पाद समूह से जुड़ी निशा कुमारी ने बताती हैं कि शुरुआती दौर में जीविका से रोजगार प्रारंभ करने के लिए 2 लाख रुपए का वित्तीय सहायता भी प्रदान किया गया। जिसके बाद धीरे-धीरे व्यवसाय बढ़ता गया और इनकी आमदनी अब कम से कम 500 रुपए प्रतिदिन से लेकर 1000 तक की हो गई है।
उन्होंने बताया कि सिर्फ आर्थिक स्थिति ही अच्छी नहीं हुई है, बल्कि रोज-रोज पुलिस द्वारा छापेमारी का जो डर सताता था। वह भी दूर हो गया। इतना ही नहीं पहले समाज में हमें काफी हीन दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बड़े-बड़े अधिकारी भी उन्हें सम्मानित कर रहे हैं, जिसका असर उनके बाल-बच्चों पर अच्छा पर रहा है।
पलायन की समस्या से मिल गया है छुटकारा
जीविका से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि नीरा से पेड़ा, लड्डू, चाकलेट, शक्कर सहित अन्य तरह की मिठाई बनाने लगी हैं। जिसे आसपास के बाजार में बेच कर आर्थिक उपार्जन हो रहा हैं। एक तरफ जहां सदर प्रखंड कार्यालय के समक्ष स्थायी दुकान लगा रखी है। वहीं रजौड़ा, चिलमिल, पावर हाउस चौक, ट्रैफिक चौक, हड़ताली चौक पर अस्थायी काउंटर भी समय-समय पर लगाती है।
इस संबंध में अमृत उत्पादक समूह से जुड़ी रजौड़ा की निशा कुमारी, पूजा कुमारी, कंचन देवी, राधा देवी सहित अन्य महिलाओं से बात करने पर पता लगा की अपने कार्य से काफी खुश हैं। कंचन बताती है कि उनके पति, भाई एवं अन्य परिजनों के सामने रोजी-रोजगार के लिए पलायन की समस्या भी नहीं रही। बेगूसराय आगमन के दौरान उनके कार्यों की सराहना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं बिहार दिवस पर प्रधान सचिव द्वारा भी किया गया है।
सदर प्रखंड परियोजना पदाधिकारी अनुराधा ने बताया कि सदर प्रखंड में अलग-अलग उत्पादक समूह बनाया गया है। जिसमें एक तरह के काम करने वाली महिलाओं को एकत्रित कर एक समूह का निर्माण किया गया है और उन्हें प्रारंभिक रूप से व्यवसाय शुरू करने को लेकर उन्हें वित्तीय सहायता की गई है। जिसके उपरांत धीरे-धीरे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा रही हैं और उनकी आमदनी भी बेहतर हो रही है। इसका असर सिर्फ उनके परिवार पर ही नहीं पड़ रहा है। बल्कि अगल-बगल के परिवार भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं और उन्हें भी रोजगार का अवसर मिल रहा है।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Apr 05 2023, 09:39