कलयुगी बेटे की काली करतूत, जन्म देने वाली मां को दी धमकी

कानपुर। बिठूर एस.ओ. ने कमिश्नर की बात एवं लिखित आदेश को किया अनसुना एवं बुजुर्ग से कहा जाओ किसी भी अधिकारी से कहला लो।

शकुन्तला यादव (उम्र 73 वर्ष) पत्नी स्व.चन्द्रभाल यादव, निवासी-ग्राम हिंदूपुर मैनावती रोड, थाना बिठूर जिला कानपुर नगर, अपने नाती आकाश के साथ रहती हैं जिसके माता-पिता नहीं है खत्म हो चुके हैं। बचपन से प्रार्थिनी ने ही पाला हैं। 

अब नाती भरण पोषण करता है।प्रार्थिनी के पुत्र धर्मेंद्र सिंह उर्फ राजोल यादव एवं पुत्रवधू संध्या यादव जोकि आज से 17 साल पहले 6 बीघा जमीन एवं सामने घर की जमीन बेचकर शहर रहने चले गए एवं मां को अकेला छोड़ गए। कभी बीमारी में भी मदद नहीं की। कोई मतलब नहीं रखा। फिर प्रार्थिनी ने भी संबंध विच्छेद कर लिए। नानी-नाती दोनों अकेले रहते थे, नाती ने लोन करवा कर नानी के लिए घर बनवा दिया जो कि बरसात में हर जगह से चूता था। 

 नया घर बनते ही पुत्र धर्मेंद्र उर्फ रजोल एवं पुत्रवधू संध्या की नियत खराब हो गई एवं उसको भी बेचना चाहते हैं कई बार लोगों से बेचने के लिए बोल चुके। मेरे घर पर बाहर होने के कारण 5 मार्च 2023 को अचानक घर पर आकर ताला तोड़ दिया एवं जबरदस्ती नए घर में घुस गए एवं शामको प्रार्थिनी के वापस घर आने पर डराया धमकाया एवं काफी चीज हड़प ली एवं धमकी दी कि अगर आवाज उठाई तो तुम्हारे नाती को फर्जी केस में फंसा कर जेल भिजवा देंगे। प्रार्थिनी शकुन्तला यादव ने थाना बिठूर में एप्लीकेशन दी एवं 112 नंबर डायल किया जिसमें से पुलिस आई एवं दोनों पक्षों को थाने ले गई जहां पर धर्मेंद्र सिंह ने लिखित में दिया कि घर खाली कर देंगे ।

 लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी घर खाली नहीं किया एवं घर बेचने का प्रयास कर रहे हैं। एवं प्रार्थिनी तथा उनके नाती आकाश की जान को खतरा है। यह सब कुछ बेच कर जा चुके हैं इनका कुछ नहीं बचा है एवं नशेबाज भी हैं। बिठूर पुलिस की लापरवाही की वजह से वो घर खाली नहीं कर रहे।

*दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की एनएसएस इकाई ने दिया सामाजिक न्याय व लैंगिक समानता का संदेश*


कानपुर। दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में 26 मार्च, 2023 को कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में एनएसएस के सात दिवसीय विशेष शिविर के चतुर्थ दिवस का शुभारंभ प्रथम सत्र में प्रातः कालीन प्रार्थना, एनएसएस सॉन्ग, योगा, प्राणायाम के साथ हुआ।

द्वितीय सत्र में आज के मुख्य विषय सामाजिक न्याय व लैंगिक समानता के अंतर्गत महाविद्यालय से अधिग्रहित मलिन बस्ती अस्पताल घाट तक पोस्टर प्रदर्शन व रैली का आयोजन किया गया।

 जिसमें "नो जस्टिस नो पीस, एक भारत श्रेष्ठ भारत, वसुधैव कुटुंबकम, सामाजिक न्याय महज नारा नहीं एक धारा है" जैसे नारों के द्वारा जन जागरूकता फैलाई गई। एनएसएस वॉलिंटियर्स ने मलिन बस्ती अस्पताल घाट में जाकर बस्ती वासियों, युवाओं, महिलाओं व बच्चो को लिंगभेद, अस्पृश्यता, जातिगत भेदभाव, आदि को छोड़कर एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने का संदेश दिया तथा पोस्टर, वाक्य, गीत, कविता, आपसी वार्तालाप आदि के द्वारा समझाया। संबंधित क्षेत्र के चौकी इंचार्ज इंस्पेक्टर पांडे तथा उनके साथियों ने महाविद्यालय एनएसएस इकाई के द्वारा बस्ती में किए जा रहे सामुदायिक सेवा व सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए ईश्वर से समस्त स्वयंसेवी छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना की।

तत्पश्चात स्वल्पाहार के बाद तृतीय सत्र में छात्राओं के द्वारा 15 से 29 आयु वर्ग के बेरोजगार एवम् औपचारिक शिक्षा नहीं ग्रहण कर रहे लोगों का डोर टू डोर सर्वे किया गया। चतुर्थ सत्र में छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम किए। गीतांजलि, खुशी, नंदिनी, अंजली समेत सभी एनएसएस वॉलिंटियर्स ने कैंप में रुचि व उत्साह के साथ प्रतिभाग किया।

*बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इण्टर कॉलेज में वार्षिक परीक्षा परिणाम एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन*

कानपुर- नगर, बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इण्टर कॉलेज बेनाझाबर में वार्षिक परीक्षा परिणाम एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि सहायक अधिशासी अभियन्ता वाराणसी मण्डल रेलवे कृष्ण मोहन चौहान ने मेधावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।

अपने सम्बोधन में कृष्ण कुमार चौहान ने कहा कि हमारे जीवन की नींव इस स्कूल में ही बनी है।, सफलता के लिए निरन्तरता बहुत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। अपने अन्दर हीन भावना कभी न आने दे, लक्ष्य के लिए निष्ठा से लगे रहे और अपनी गलतियों से सीखें, उनकी पुनरावृत्ति न होने दे। कहा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योजना बनाकर अध्ययन करना चाहिये। विशिष्ठ अतिथि विधालय के सह प्रबन्धक श्याम अरोडा ने कहा कि आज बडे गर्व की अनुभूति हो रही है, जब विधालय के ही पूर्व छा विशिष्ट पद पर पहुंच कर विधालय के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारकर छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे है। वहीं विशिष्ट अतिथि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डा0 प्रिय रंजन जो विधालय के पूर्व छात्र है उन्होने कहा विधालय में ग्रहण किये गये संस्कारों का जीवन भर प्रभाव रहता है, इस विधालय की अपनी एक प्रतिष्ठा है। विधालय का नाम आते ही सर्वत्र महत्व मिलता है। उन्होने सफल विधार्थियों को बधाई दी एवं और अच्छी सफलता के लिए निरनतर लगे रहने का आवाहन किया। कार्यक्रम में उप प्रधानाचार्य अनिल कुमार यादव, श्याम नारायण द्विवेदी, प्रधानाचार्य बृजमोहन कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।वार्षिक परीक्षा परिणाम एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन।

कानपुर नगर, बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इण्टर कॉलेज बेनाझाबर में वार्षिक परीक्षा परिणाम एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमे मुख्य अतिथि सहायक अधिशासी अभियन्ता वाराणसी मण्डल रेलवे कृष्ण मोहन चौहान ने मेधावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।

अपने सम्बोधन में कृष्ण कुमार चौहान ने कहा कि हमारे जीवन की नींव इस स्कूल में ही बनी है। सफलता के लिए निरन्तरता बहुत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। अपने अन्दर हीन भावना कभी न आने दे, लक्ष्य के लिए निष्ठा से लगे रहे और अपनी गलतियों से सीखें, उनकी पुनरावृत्ति न होने दे। कहा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योजना बनाकर अध्ययन करना चाहिये। विशिष्ठ अतिथि विधालय के सह प्रबन्धक श्याम अरोडा ने कहा कि आज बडे गर्व की अनुभूति हो रही है, जब विधालय के ही पूर्व छा विशिष्ट पद पर पहुंच कर विधालय के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारकर छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे है। वहीं विशिष्ट अतिथि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डा प्रिय रंजन जो विधालय के पूर्व छात्र है उन्होने कहा विधालय में ग्रहण किये गये संस्कारों का जीवन भर प्रभाव रहता है, इस विधालय की अपनी एक प्रतिष्ठा है। विधालय का नाम आते ही सर्वत्र महत्व मिलता है। उन्होने सफल विधार्थियों को बधाई दी एवं और अच्छी सफलता के लिए निरनतर लगे रहने का आवाहन किया। कार्यक्रम में उप प्रधानाचार्य अनिल कुमार यादव, श्याम नारायण द्विवेदी, प्रधानाचार्य बृजमोहन कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।

चलो बराह देवी धाम, जहां बनते, बिगडे काम*

कानपुर- उस परम शक्ति की अनुभूति का वर्णन हो सकता है ? परन्तु वाणी मौन होकर भी अंतःकरण को आनन्द प्रदान करती है। परमारध्या भगवती के नाम अनेक है, नाम अनेक है ओर अनंत शक्तियां है। चराचर जगत के कण कण में व्याप्त उनके समस्त स्वरूप कल्याणकारी है। जिन्हें अनुभूतित करते हुये भक्त निहाल होते रहते है। कानपुर नगर के दक्षिण का गौरव कहा जाने वाला जूही स्थित मां बराह देवी का मंदिर सम्पूर्ण नगर के लिये परम श्रृद्धास्पध स्थान है। कानपुर स्टेशन से लगभग आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में बसा जूही स्थान मे आज से लगभग 400 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी। 

इस मंदिर के बारे में किदवंती है कि मंदिर स्थल से कुछ दूर अर्रा गांव में लठुवा बाबा, की बारा कन्याऐं थी, उनमें से जो सबसे बडी बहन थी उसका विवाह अर्रा गांव में तय कर दिया गया। बडे ही धूम-धाम के साथ उसकी बारात दरवाजे आई और रात्रि में जब भांवरे पड रही थी उसकी समय उसके पिता द्वारा अनुचित व्यवहार से कुपित होकर छठवीं भांवर के समय पूरी बरात समेत अपने तप के प्रभाव से पाषाण कर दिया और स्वयं भी पत्थर में परिवर्तित हो गयी। उक्त स्थान पर एक नीम का पेड हुआ करता था जहां कालांतर में सात प्रकार की मूर्तिया प्राप्त हुई है। उस काल के दौरान में यह सात बहने कही जाती थी। जिससे यह प्रमाणित होता है कि ये उन्ही सात बहनों के प्रतीक चिन्ह है। यह बात पुरातत्व विभाग ने भी प्रमाणित मानी है। जिसमें पांच बहने बर्रा गांव में अभी भी स्थापित है। आगे चलकर उन देवियों में एक तेली को स्वपन देकर अपनी उपस्थिति का आभास कराया और उक्त मंदिर के चार बडे (चारो दिशाओं में) गेट बने हुये है एवं गगनचुंबी गुंबज चौराहे से दिखाई देते है। उक्त मंदिर का कई बार जीणोद्धार हो चुका है।

सात पीढियों से मंदिर की सेवा में रत कल्लू माली का परिवार है। उनके बेटे बहू और नाती अब मंदिर की सेवा में हिस्सा लेते है। मंदिर में दोनेां नावरात्रों में भव्य मेले का आयेाजन हुआ करता है। जो कि नगर के बडे मेलो में प्रचलित है। यहां की क्षेत्र रक्षक देवी के रूप में मानने वाले कुछ संप्रदाय यहां मुण्डन संस्कार, विवाह संस्कार व अन्य संस्कारों को कराते है। मंदिर में अपनी सात बहनों के साथ बिराजी वराहदेवी भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करती है और यहां आने वाला हर भक्त यह कहता है- भक्तों पर करती हो कृपा हर पल, भक्त वत्सला कहलाती हो। होय विमल ह्रदय शीतल जिनका, बल, बुद्धी, ज्ञान बढाती हो।।

*युवा सिख मोर्चा ने कहा- "नहीं चाहिए खालिस्तान सब से प्यारा हिंदुस्तान"*

कानपुर- हमारे गुरु साहिबानो ने देश व धर्म के खातिर अपना बलिदान दिया। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने देश की रक्षा के लिए अपने पिता व चार साहिबजादों की कुर्बानी दिलवाई और खुद भी देश और धर्म के खातिर कुर्बान हो गए। इस देश की मिट्टी में हमारे कई तीर्थ स्थल है जो एकता व अखंडता का नारा देते हैं बिना भेदभाव के सभी भारतीयों के लिए लंगर का आयोजन करते हैं। यदि देश में कोई आपदा आती है तो सिख समाज सबसे आगे बढ़कर लोगों की मदद करता है। देश की आजादी मे सर्वाधिक कुर्बानियां सिखों ने ही दी है। 

कार्यक्रम आयोजक युवा सिख मोर्चा के गुमटी नंबर 5 गुरुद्वारे के गेट पर सिख समाज के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया । कार्यक्रम आयोजक युवा सिख मोर्चा के कंवलजीत सिंह मानू ने बताया कि भारत के सिख होली, दिवाली, ईद, गुरु पर्व सब मिलकर बनाते हैं मुट्ठी भर लोग दुश्मन देश की शह पर देश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं भारत का सिख उनके मंसूबों पर पानी फेर देगा मुख्य रूप से कवलजीत सिंह मानू, हनी भाटीया,जसपाल सिंह, हरविंदर सिंह,मिनाक्षी गुप्ता ममता छाबरा, उपस्थित रहे।

*भदोही में दिखा चांद का अद्भुत नजारा, चंद्रमा के नीचे चमकता दिखा तारा, लोगों ने कैमरे में किया कैद*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। भदोही वासी शुक्रवार शाम को जब रमजान की शाम का चांद निहारने आसमान को ताकने लगे तो यह अद्भुत नजारा दिखा। चांद के ठीक नीचे चमकता तारा देखा गया है। चांद के बिल्कुल करीब तारे जैसी जो रौशनी है वो दरअसल वीनस (शुक्र ग्रह) है। यह खूबसूरत तस्वीर चर्चा विषय बनी हुई है।

परिक्रमा करता हुआ पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा शुक्रवार शाम पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह शुक्र के साथ जोड़ी बनाते दिखा। हसियाकार मुस्कुराता चंद्रमा के ठीक नीचे सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र ने सभी लोगों का ध्यान खींचा।इस दौरान लोगों ने फौरन इसके फोटो और वीडियो बना लिए। चांद के साथ तारे के ऐसे निराले अंदाज को काफी पसंद किया जा रहा है।

नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारु ने बताया कि इनमें से वीनस अठ्ठारह करोड़ बावन लाख किलो मीटर दूर था। यह माइनस 3.98 मैग्निट्यूड से चमक रहा था। वहीं, चंद्रमा 3 लाख 79 हजार किलोमीटर दूर था। दूर रहते हुए दस प्रतिशत चमक के साथ था। सारिका घारु ने बताया कि दूरी में इतना बड़ा अंतर होते हुए भी इनका कोंण पृथ्वी से देखने पर इस प्रकार था कि वे जोड़ी बनाते नजर आ रहे थे l

हालाँकि, पृथ्वी और शुक्र ग्रह मीलों दूर हैं, लेकिन जैसा कि वे एक सममित रेखा में एक साथ संरेखित करते हैं। यह सैकड़ों हजारों जिज्ञासु स्काईवॉचर्स के लिए एक पहेली बना देता है। जैसे-जैसे खगोलीय पिंड एक-दूसरे के करीब चले गए, यह संयोजन एक दुर्लभ दृश्य में दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई दे रहा था।

शुक्र सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रहों में से एक है, क्योंकि अगर यह 70% सूर्य के प्रकाश को वापस परावर्तित कर देता है और यह पृथ्वी ग्रह के सबसे निकट भी है।

*थाना भदोही पुलिस टीम को मिली कामयाबी*

नितेश श्रीवास्तव 

भदोही। बृहस्पतिवार को आवेदक दुर्गा शंकर यादव पुत्र कमला शंकर यादव निवासी डुडवा कुकरौठी द्वारा थाना भदोही पर सूचना दिया गया कि नन्दलाल यादव को कपड़ा प्रेस कराने हेतु जाते देख विपक्षीगण द्वारा दूसरे गाँव का लड़का समझकर ललकारते हुए बैट से सिर पर मारकर बेहोश कर दिया गया, जिसका ईलाज जीवनदीप अस्पताल में चल रहा है।

उक्त सूचना के आधार पर आरोपीगण के विरुद्ध मु0अ0स0 61/23 धारा 308/352 भा0द0वि0 का आभियोग पंजीकृत करते हुए विवेचनात्मक कार्यवाही प्रचलित की गई।

डॉ0 अनिल कुमार, पुलिस अधीक्षक द्वारा जानलेवा हमले में शामिल अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु निर्देश के क्रम में स्थानीय पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए उक्त अभियोग से सम्बंधित नामजद वांछित अभियुक्तों 1.बसंत लाल उर्फ बसकाला सरोज पुत्र स्व0 शिखारी राम सरोज 2.लोलारख सरोज पुत्र शेषमणि सरोज निवासीगण अहमदपुर फुलवरिया थाना व जनपद भदोही को एमबीएस हॉस्पिटल के पास से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई है।

गिरफ्तारशुदा अभियुक्तगण का विधिक कार्यवाही के उपरांत चालान न्यायालय किया गया।

इबादत के महीना शुरू, पहले रोजे के दिन घरों में अल्लाह की बारगाह में हाथ उठाकर दुआएं मांगी

 

कानपुर। माहे रमजान की मुबारक महीना शुरू होते ही घरों में इबादत नमाज की पाबंदी के साथ-साथ बड़े बुजुर्गों बच्चों ने रोजा रखकर अल्लाह की बारगाह में दुआ की ए अल्लाह माहे रमजान मुबारक महीने के सदके में हमारे गुनाहों को माफ फरमा दे हमारे देश में चैनो अमन की मिसाल कायम करें जो लोग गरीबों के ऊपर अत्याचार करें अल्लाह उसका खात्मा करें।

रमजान मुबारक महीने में घरों के अंदर हम सही अवतारी के लिए लोग इंतजाम करने में जुड़ जाते हैं फिर दस्तरखान लगाया जाता है अल्लाह की बारगाह में दोनों हाथ उठाकर दुआएं मांगी जाती हैं एक नेकी करने का 70 गुना सवाब हासिल होता है मुस्लिम समाज में रमजान मुबारक महीना बड़ेही के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रीय लोक दल महानगर अध्यक्ष मोहम्मद उस्मान अपने परिवार के साथ रोजा इफ्तार करते हुए! करते हुए ।

विकलांग एसोसिएशन 8 अप्रैल को आयोजित करेगी विकलांग व्यक्तियों का सामूहिक विवाह


कानपुर। विकलांग एसोसिएशन विकलांग व्यक्तियों का सामूहिक विवाह 08 अप्रैल को शास्त्री नगर सेन्ट्रल पार्क में आयोजित करेगी।एसोसिएशन ने ‘‘घर बसाओ - पुण्य कमाओ कन्यादान योजना’’ में शामिल होने के लिये लोगों से अपील किया।सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले व्यक्तियों को सरकार की विवाह प्रोत्साहन योजना का लाभ विकलांग एसोसिएशन दिलायेगी।

जिसके तहत शारीरिक रूप से स्वस्थ लड़के विकलांग लड़की से विवाह करेंगें तो उन्हें पुरस्कार के रूप में 20 हजार, शारीरिक रूप से स्वस्थ लड़की विकलांग लड़के से विवाह करेंगी तो उन्हें 15 हजार व दोनों के विकलांग होने पर 35 हजार मिलेगा। 

विकलांग एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने बताया की गरीब व अनाथ विकलांग लड़कियों के विवाह के लिये एसोसिएशन ने घर बसाओ - पुण्य कमाओ कन्यादान योजना शुरू की है। जिसके तहत विवाह का सारा खर्च विकलांग एसोसिएशन वहन करेगी। ऐसे व्यक्तियों को कन्यादान योजना में शामिल किया जायेगा जिनके पुत्री नहीं है और वो कन्यादान करने के इच्छुक हों। इसके लिए उन्हें लिखित सहमति देनी होगी।

वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के विवाह में बहुत समस्या आ रही हैं। विकलांग लड़कियों के विवाह के लिये आवेदन नाम मात्र ही आते हैं। जबकी विकलांग लडकों के आवेदन अधिक आते हैं।वीरेन्द्र कुमार ने बताया की शास्त्री नगर सेन्ट्रल पार्क बगिया में सामूहिक विवाह के लिये आवेदन प्राप्त किये जा सकते हैं। जो व्यक्ति कन्यादान योजना में शामिल होना चाहते हैं वो भी सम्पर्क कर सकते हैं।

पांच सदी पुराने मंदिर में विराजती है मां काली

कानपुर नगर। इतिहास से जुडी अनेकों अध्यात्मिक कथाओं को संजोये कानपुर नगर के मध्य स्थित बहुचर्चित स्थान प्रयाग नारायण शिवाला लगभग कानपुर सेन्ट्रल से दो कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। यह बाजार देव पूजन, सामग्री, श्रृंगार वस्त्र और विशेषकर पुष्प बिक्री के लिये नगर ही नही अपितु सम्पूर्ण प्रदेश में अपनी विशिष्ठ पहचान रखता है।

यही नही यहां कई ऐतिहासिक मंदिर है और यहीं की कुंज बाडी, के बंगाली मोहाल में स्थित है मां दक्षिणेश्वर काली जी की विशाल प्रतिमा वाला लगभग पांच सदियों पुराना यह मंदिर। कानपुर नगर की प्राचीन कला से ही ऐतिहासिक स्थली रहा यह स्थान कालांतर में कान्हापुर के नाम से जाना जाता था। अग्रेजी शासनकाल में यह नाम बदलकर कानपुर हो गया। मंदिर के बारे में कोई भी प्रमाणित इतिहास के दस्तावेज न होते हुये भी यह मंदिर की शिल्पकला यह बताती है कि यह मंदिर पांच सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है।

इस मंदिर के वर्तमान संरक्षक एवं पुजारी पं0 रविनाथ बनर्जी बतातें है कि कालांतर में जब यहां पाचं सौ वर्ष पूर्व जब यहां धना जंगल हुआ करता था तो उस समय गंगा जी की धारा मंदिर तक पहुंचती थी। उसी तट पर साधू अपना आश्रम बनाकर तप किया करते थे। उसी काल में मां काली के एक भक्त को मां ने स्वपन में अपनी उपस्थिति का ज्ञान कराया दूसरे ही दिन उस कुटुम्ब में यह चर्चा का विषय रहा। उक्त जगह की खुदाई कराई गयी तो यहां मां की एक विशाल प्रतिमा प्रकट हुई। बाद में उस ब्राम्हण ने यहां एक मंदिर बनवा दिया। 

        

 धीरे-धीरे इस स्थान की महिमा बढी और सदी के अंतराल के बाद अपनी ही ईष्ट देवी के रूप में मानने वाले 23 परगना और 24 परगना के बंगाली समुदाय के लोग आकर बस गये और मां की सेवा करने लगे।

सन् 1826 ई0 में इसी समुदाय के एक सदस्य पं0 उमेश चन्द मुखर्जी ने इस मंदिर का जीणोद्वार कराया और यहां मां की पिण्डी के साथ नौ फिट की मां दक्षिणेश्वर काली की स्थापना करायी और वह पिण्डी उसकी जगह नीचे स्थापित की। कोलकाता के काली घाट, आसाम के तारापीठ और उसके अलावा कानपुर के बंगाली मोहाल कालीबाडी में सिर्फ मां का पंचमुडी आसन है और इसके अलावा सम्पूर्ण भारत में और कोई विग्रह नही है। 

बहु प्रसिद्धि इस मंदिर की कई है अनूठी परम्पराऐ- जिसमें मन्नत का ताला बांधने की प्रथा बडी अनूठी है। कहते है कि माता से अपनी मनौती मनवाने के लिये भक्त मां के दरबार की ध्वजा में ताला बांधते है इसका मतलब होता है कि मां को वचनबद्ध कर देना। भक्त मन्नत पूरी होने पर पूजन और मां का श्रंगार,अनुष्ठान करवाता है। तथा ताला लगाने की प्रथा के बारे में पुजारी जी ने बताया कि यह प्रथा लगभग 50 वर्ष पूर्व विस्तार हुआ तब से यह परम्परा अनवरत चल रही है।

ताला लगाने के बाद एक चाभी मां को अर्पित की जाती है और एक चाभी भक्त अपने पास रखता है जबतक उसकी मनोकामना पूर्ण नही हो जाती। मंदिर में लगे लाखों ताले भक्तों की अटूट श्रृद्धा की प्रवाह को दर्शाते है। प्रतिदिन सैकडों ताले रोज खोले और बांधे जाते है। मंदिर के पुजारी रविन्द्र नाथ बनर्जी बताते है कि यहां मां की विशेष रूप से पूजा प्रत्येक माह की अमावस्या और विशेष पूजा दिवाली की मध्य रात्रि में की जाती है। इस रात्रि में मां को पांच जीवों की बलि दी जाती है जिसमें प्रथम जीव प्रतीक रूप में गन्ना, कुम्हणा, काले रंग का बकरा, चौथा भैंसा, पंचम नारियल की बलि होती है।

साथ ही मां को 56 प्रकार के भोग लगाये जाते है जिसमें मां का प्रिय भोग खिचडी और मेवे की खीर है। देश विदेश से लगभग सभी स्थानों सेे लाखों की संख्या में नवरात्र में यहां भक्त दर्शन को आते है। तांत्रिकों का मानना है कि जप, तप व तंत्र सिद्धि के लिये यह एक दिव्य व जाग्रत स्थान है। 

   

  पं0 रविन्द्रनाथ बनर्जी- अपने परिवार को मंदिर की संरक्षणता में दसवी पीढी मानते है। उन्होने बताया कि उनके दादा और परदादा ने उनसे पहले मां की सेवा की व अब यह मौका उन्हे तथा उनकी आनेवाली पीढियों को मिल रहा है। उनके दो बेटे आलोक व आकाश बनर्जी भी मां की सेवा में रत रहते है।

पेशे से इंजीनियर रहे बनर्जी मां की सेवा में अपने आप को धन्य मानते है और कहते है कि जो व्यक्ति इस दरबार में सच्चे भाव से आया वह कभी खाली नही लौटा। मां के दरबार में एक तत्थपूर्ण रहस्य और भी है कि किसी भी असाध्य रोग वाला व्यक्ति यदि मां के खड्ग का जल प्राप्त करता है व सप्तमी, अष्टमी, नौमी को मां के दर्शन करता है तो उसे रोग मुक्ति मिलती है।