*ज्ञानार्जन के लिए प्रश्न करना अत्यंत महत्वपूर्ण : डॉ. प्रदीप राव*
गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम गोरखपुर के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव ने कहा कि जीवन में कुछ ज्ञान अजिर्त करना है तो प्रश्न करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शिक्षा का और जीवन जीने का मूल आधार है। प्रश्नों के आधार पर अपने विवेक को तर्कसंगत बनाया जा सकता है।
डॉ. राव महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तहत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों के 15 दिवसीय दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) के तृतीय दिन (शुक्रवार) के प्रथम सत्र को संबोधित कर रहे थे। '
हम, हमारा जीवन और जीवन उद्धेश्य' विषय पर विद्यार्थियों के साथ संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि मन में जिज्ञासा या प्रश्न अवश्य होना चाहिए। मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, क्यों आया हूं, कहां जाना है और जाने का मार्ग क्या है। इन पांच प्रश्नों का उत्तर ही हमारा जीवन है और यही प्रश्न हमारा जीवन उद्धेश्य निधार्रित करते हैं। इसलिए इन पांचों प्रश्नों के उत्तर ढूढने चाहिए।
ऋषि-मुनियों से प्राप्त प्राचीन ज्ञान है आयुर्वेद : डॉ. जोशी
द्वितीय सत्र में डाॅ. वीएन जोशी, विभागाध्यक्ष द्रव्यगुण विभाग ने 'आयुर्वेद की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति' विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि आयुर्वेद प्राचीन ऋषियों-मुनियों द्वारा प्रदत्त ज्ञान है। यह विशुद्ध भारतीय ज्ञान परम्परा का हिस्सा है। आज विश्व के 195 देशोें में से आधे से ज्यादा देशों में आयुर्वेद की पहुंच हो चुकी है। डब्लूएचओ ने भी आयुर्वेद की महत्ता को स्वीकार किया है।
नित्य बढ़ रहे आयुर्वेद के क्षेत्र में अवसर : डॉ. वाजपेयी
तीसरे सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डाॅ. अतुल कुमार वाजपेयी ने विद्यार्थियों के साथ पारास्परिक विचार-विमर्श किया।
कुलपति ने कहा कि बीएएमएस पाठ्यक्रम के लिए भगवान ने आपको चुना है। अतः पूरे उत्साह से इस आयुर्वेद पाठ्यक्रम को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। समर्पित भाव से प्रयास आपको सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि आज के समय में आयुर्वेद में नित्य नये अवसर बढ रहे हैं। आयुर्वेद बाजार 2020 में 18 बिलियन डाॅलर से बढ़कर आज के दौर में 23 बिलियन डाॅलर का लक्ष्य छू रहा है।
अनुसंधान व साक्ष्य आधारित अभ्यास से केंद्रित करें ज्ञान : डॉ. राजकिशोर
कायर्क्रम के चौथे सत्र में अतिथि वक्ता डाॅ. राजकिशोर सिंह, बीआरडी, मेडिकल कालेज गोरखपुर ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति एवं समकालीन चिकित्सा पद्धति पर अपनी बात रखी। उन्होंने कोरोनाकाल के समय का अपना अनुभव साझा किया।
उन्होंने कहा कि सत्य, आत्मविश्वास एवं अपने कतर्व्यों का पालन, यह तीन मूलमंत्र सफल चिकित्सक एवं शोधार्थी के लिए आवश्यक हैं। उन्होने बताया कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में साक्ष्य आधारित सिद्धान्तों का प्रयोग होता है। जिसमें अनेक शोधों के उपरान्त उपचार का प्रोटोकाल स्थापित होता है। उन्होने विद्यार्थियों को शोध के विशिष्ट सिद्धान्तों पर अपना ज्ञान केंद्रित करने को कहा।
साथ ही कहा कि विद्यार्थी आयुर्वेद संहिता में बताये गये चिकित्सा सूत्रों पर अनुसंधान और साक्ष्य आधारित अभ्यास से ज्ञान को एकीकृत करें। पांचवें सत्र में आचार्य साध्वी नंदन पांडेय ने वदतु संस्कृतम् एवं धनवंतरि वंदना का अध्ययन कराया। व्याख्यान सत्रों में आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डाॅ. मन्जूनाथ एनएस, डाॅ. मिनी, डाॅ. पियूष, डाॅ. प्रज्ञा, डाॅ. सर्वभौम आदि उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन डाॅ. विनम्र शर्मा ने किया।

Feb 17 2023, 18:57