साउथ कोरिया में 2 लाख मासूमों को अनाथ बताकर विदेशों में “बांट” दिया गए, एडॉप्शन का ये शर्मनाक घालमेल

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साउथ कोरिया में अजीबोगरीब घोटाला सामने आया है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे की अपने ही बच्चों को गलत तरीके से पूरी दुनिया में बांट दिया गया। यहां करीब 2 लाख मासूम बच्चों को अनाथ बताकर, उनकी पहचान छिपाकर विदेशियों को गोद दिया गया। साउथ कोरिया की सरकारी एजेंसियों पर भी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे हैं। वहां की सरकार ने मामले की जांच के लिए एक आयोग भी बनाया है जिसका नाम ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन रखा गया है। जो उन कई सौ बच्चों के रिकॉर्ड खंगाल रही है, जिन्हें धोखे से विदेशियों को गोद दिया गया था।

ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन ने जब खंगालना शुरू क‍िया तो जो बातें सामने आईं, वो हैरान कर देने वाली हैं। पता चला क‍ि देश की एजेंसियों ने बच्चों को गोद लेने के लिए विदेश भेजने में जबरदस्‍त जल्‍दबाजी दिखाई। इसमें उनकी हेल्‍थ और मानवाध‍िकार का भी ख्‍याल नहीं रखा गया। कई बच्‍चों के बर्थ रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई, बच्चों को अनाथ बताया जबकि उनके माता-पिता पहले से ही थे। ज‍िन्‍हें बच्‍चे सौंपे गए, उनके बारे में भी पूरी जांच नहीं की गई। बच्चों को जबरन गोद देने के लिए मजबूर किया गया।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गोद दिए गए बच्चे

जांच में सामने आया कि गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल एजेंसियों और अधिकारियों ने कई मामलों में बच्चों को अनाथ के रूप में दर्ज किया गया, जबकि उनके माता-पिता जीवित थे। वे नहीं चाहते थे क‍ि उनका बच्‍चा देश छोड़कर जाए, इसके बावजूद उनसे लेकर लालच देकर बच्‍चों को छीन ल‍िया गया। कई पेरेंट्स को ये तक बता द‍िया गया क‍ि उनका बच्‍चा मर गया है। जबक‍ि वह बच्‍चा जिंदा था। कुछ को ये कहा गया क‍ि बच्‍चे को बेहतर देखभाल के ल‍िए भेजा जा रहा है। लेकिन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बच्चों को विदेशी परिवारों को सौंप दिया गया। इस प्रक्रिया में बच्चों की पहचान, जन्म तिथि और पारिवारिक इतिहास को बदल दिया गया, जिससे उनकी मूल जड़ों का पता लगाना असंभव हो गया।

बच्चों को विदेश भेजने में मानवाधिकारों का उल्लंघन

कमीशन ने दो साल और सात महीने की जांच की। इसके बाद एक ऐतिहासिक घोषणा में उसने कहा कि साउथ कोरिया के बच्चों के अंतरराष्ट्रीय गोद लेने में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। ट्रुथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमीशन ने एक बयान में कहा, यह पाया गया है कि सरकार ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया। जिसके परिणामस्वरूप बहुत सारे बच्चों को विदेश भेजने की प्रक्रिया के दौरान संविधान और अंतरराष्ट्रीय समझौतों द्वारा संरक्षित गोद लेने वालों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।

कैसे शुरू हुआ था गोद लेने का रिवाज

दक्षिण कोरिया ने 1950 और 1960 के दशक में कोरियाई युद्ध के बाद विदेशी गोद लेने को बढ़ावा देना शुरू किया था। उस समय देश आर्थिक रूप से कमजोर था और सामाजिक कल्याण प्रणाली सीमित थी। इस दौरान हजारों बच्चों को विदेशों, खासकर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में गोद लेने के लिए भेजा गया।

साल 1954 में अमेरिका के ओरेगन इलाके से बर्था और हैरी हॉल्ट नाम का दंपत्ति कोरियन युद्ध में अनाथ हुए बच्चों पर एक प्रेजेंटेशन देखने के लिए गए थे। प्रेजेंटेशन में बच्चों को देखकर बर्था का दिल भर आया। द न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उसने एक जगह लिखा था कि उन छोटे बच्चों के गोल उदास चेहरे देखकर लग रहा था मानो वो अपनी देखभाल के लिए किसी को खोज रहे हों। उस समय अमेरिका में विदेश से दो से अधिक बच्चों को गोद लेने पर रोक थी, लेकिन 1955 में ओरेगन के दो सीनेटरों ने कोरियाई युद्ध में अनाथ हुए बच्चों के लिए एक विधेयक पेश किया, ताकि होल्ट और उसकी पत्नी कोरिया के अनाथ हुए बच्चों को गोद ले सकें।

कांग्रेस से बिल पास होने के बाद होल्ट ने कोरिया से चार लड़के और चार लड़कियों को गोद लिया। जब यह खबर अगले दिन अखबारों में छपी तो होल्ट को कई सारे खत मिले। इनमें कई सारे दंपत्तियों ने इच्छा जाहिर की थी कि वो भी कोरियन युद्ध में अनाथ हुए बच्चों को गोद लेना चाहते हैं।

एक साल में होल्ट दंपत्ति ने एक एडॉप्शन कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद साउथ कोरिया में भी होल्ट एजेंसी बनाई गई। धीरे-धीरे इस एजेंसी से न सिर्फ अमेरिका बल्कि कई यूरोपीय देश के लोगों ने भी बच्चे गोद लिए। यह एजेंसी आज के समय में भी विदेश की सबसे बड़ी बच्चे गोद दिलाने वाली एजेंसियों में से एक है।

महाशिवरात्रि पर साउथ एशियन विवि की मेस में परोसा नॉनवेज, जमकर हुआ बवाल

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दिल्ली की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) में छात्रों के दो गुटों के बीच जमकर बवाल हुआ है। ये विवाद हुआ महाशिवरात्रि के मौके पर यूनिवर्सिटी की मेस में नॉन वेज खाना परोसने को लेकर। यूनिवर्सिटी के मेस में नॉनवेज परोसने को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के बीच हाथापाई हो गई। मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। दोनों छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।

एसएफआई का कहना है कि एबीवीपी के सदस्यों ने महाशिवरात्रि पर मांसाहार न परोसने की उनकी मांग नहीं मानी। इसके बाद एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी के मेस में छात्रों पर हमला किया। एसएफआई का आरोप है कि एबीवीपी के लोगों ने मांसाहार परोसे जाने पर छात्र-छात्राओं और भोजनालय कर्मियों के साथ मारपीट की। एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन से हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, एबीवीपी ने घटना पर कहा, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में छात्रों ने उपवास रखा। अपनी धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए इन छात्रों ने मेस प्रशासन से पहले ही अनुरोध किया था कि इस खास दिन पर उनके लिए सात्विक भोजन की व्यवस्था की जाए। मेस प्रभारी से इस मामले पर चर्चा करने के बाद करीब 110 छात्रों ने उपवास के भोजन की मांग की। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय ने दो मेस हॉल में से एक में सात्विक भोजन की व्यवस्था की, ताकि छात्र अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोजन कर सकें। वामपंथी गुंडों ने जानबूझकर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया। जब मेस में सात्विक भोजन परोसा जा रहा था, तो एसएफआई से जुड़े लोगों ने जबरन नॉनवेज भोजन परोसने का प्रयास किया।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कहा कि विश्वविद्यालय में स्थिति शांतिपूर्ण है और उसे कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। इसमें यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय द्वारा आंतरिक जांच की जा रही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक साउथ एशियन यूनिवर्सिटी से दोपहर करीब 3.45 बजे मैदानगढ़ी पुलिस स्टेशन में झगड़े की पीसीआर कॉल मिली। जब हम मौके पर पहुंचे तो मेस में दो गुटों के बीच झगड़ा हो रहा था।

भाषा विवाद के बाद स्टालिन परिसीमन को लेकर परेशान, लोकसभा में सीटें घटने के दावे पर अमित शाह का जवाब
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस दावे को खारिज कर दिया कि अगर जनसंख्या जनगणना के आधार पर परिसीमन किया गया तो राज्य में आठ लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी।केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कोयंबतूर समेत तीन जिलों में भाजपा कार्यालयों का उद्घाटन करते हुए यह भरोसा दिया। बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदी विरोध के साथ-साथ परिसीमन में सीटें कम होने की आशंका को बड़ा मुद्दा बनाने का संकेत दिया है। इसके लिए डीएमके ने पांच मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र की ओर से तमिलनाडु के साथ किसी भी तरह के अन्याय से इनकार किया और इस प्रकार के आरोपों को ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया। इसके साथ ही शाह ने मुख्यमंत्री स्टालिन पर परिसीमन को लेकर गलत सूचना अभियान फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि जब परिसीमन यथानुपात आधार पर किया जाएगा तो तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य में संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं होगी।

शाह ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार द्वारा बुलाई गई 5 मार्च की सर्वदलीय बैठक के बारे में कहा कि वे परिसीमन पर एक बैठक करने जा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम दक्षिण के साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि परिसीमन के बाद कोई भी दक्षिणी राज्य एक सीट भी नहीं गंवाएगा। बीजेपी ने स्टालिन के इस कदम को नकली डर बताया है।

स्टालिन ने आशंका जताई थी कि यह परिसीमन दक्षिणी राज्यों के हित में नहीं होगा, जिन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, परिसीमन के बाद तमिलनाडु की लोकसभा सीटें 39 से घटकर 31 हो सकती हैं। स्टालिन ने परिसीमन को दक्षिणी राज्यों के सिर पर लटकती तलवार बताया है और अन्य दक्षिणी राज्यों से भी केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ विरोध करने की अपील की है। एमके स्टालिन ने कहा है कि तमिलनाडु की सीटों की संख्या कम करना तमिलनाडु के अधिकारों के हनन के समान है और यह न केवल राज्य बल्कि पूरे दक्षिण भारत को प्रभावित करता है। उन्होंने दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों को इस कदम का विरोध करने के लिए पत्र भी लिखा है। दक्षिण के बीआरएस और कांग्रेस ने भी इस कदम का विरोध किया है।

लोकसभा में फिलहाल 543 सीटें हैं। माना जा रहा है कि यदि सीटों का परिसीमन हुआ तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और राजस्थान में लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ जाएगी। वहीं दक्षिण भारत के कुछ राज्य केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक को कुछ सीटें गंवानी पड़ सकती है। जनसंख्या के अनुपात में सीटें बंटी तो केरल में लोकसभा सीटें 20 से घटकर 19 हो जाएगी। यूपी में 14 सीटों का इजाफा हो सकता है। बिहार और एमपी में भी सीटें बढ़ेंगी। कुल कितनी सीटें बढ़ेंगी या घटेंगी यह परिसीमन के बाद ही तय होगा। वहीं सवालों के बीच सरकार की ओर से कहा गया है कि सीटें कम नहीं होंगी
बीजेपी को अगले महीने मिलेगा नया “मुखिया”, रेस में दक्षिण के ये 3 दिग्गज

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भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने वाला है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल के कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। अगले महीने बीजेपी की कमान नए हाथों में जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि होली के बाद बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाने की पूरी संभावना है। हरियाणा, महाराष्ट्र और फिर दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है। इसको लेकर कई नामों की चर्चा हो रही है। इस दौड़ में दक्षिण भारत के नेताओं के नाम भी की चर्चा है। आश्चर्यजनक तौर पर दक्षिण भारत से बीजेपी के नए राष्ट्रीय के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इसको लेकर तीन नेताओं के नामों की चर्चा हो रही है।

बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ में दक्षिण से जिन 3 नामों की प्रमुखता से चर्चा चल रही है, कोयला एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्‌डी, लोकसभा सदस्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी का नाम लिया जा रहा है। इनमें रेड्‌डी और बंडी संजय कुमार दोनों तेलंगाना से आते हैं जबकि जोशी कर्नाटक से ताल्लकु रखते हैं।

जी किशन रेड्डी

वर्तमान में केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी, तेलंगाना के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। वह पहले तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष भी रह चुके हैं और संगठन के कामकाज में उनकी सक्रियता रही है। रेड्डी का ओबीसी समुदाय से आना और संगठन पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। तेलंगाना में हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिसमें रेड्डी की रणनीतिक भूमिका रही। वह 2019 से लगातार केंद्र में मंत्री हैं। रेड्डी पीएम मोदी के पुराने विश्वस्त हैं। मोदी 1994 में अमरीका गए थे तो रेड्डी भी साथ थे।

बंडी संजय कुमार

बंडी संजय कुमार इस समय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। तेलंगाना की करीमनगर सीट से 2019 से लगातार सांसद हैं, हालांकि वह बीच में विधायकी का चुनाव हार गए थे। वह केंद्रीय मंत्री के साथ राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। बंडी तेलंगाना अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने बतौर प्रदेश अध्यक्ष कई आक्रामक आंदोलन किए। जिससे बीजेपी को तेलंगाना में नई पहचान मिली। उनका जमीनी संगठन कौशल और कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता उन्हें इस रेस में आगे रखती है। बंडी एबीवीपी के जरिये राजनीति में आए हैं। तमिलनाडु में भी पकड़ रखते हैं। हिंदुत्व और ओबीसी दोनों समीकरण साधते हैं।

प्रह्लाद जोशी

तीसरे बड़े दावेदार प्रह्लाद जोशी हैं जो इस समय केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री हैं। कर्नाटक से आने वाले जोशी ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और पार्टी में सीनियर नेता माने जाते हैं। वह बीजेपी के ऐसे चेहरे हैं, जो सरकार, संगठन और संसदीय मामले, तीनों के माहिर माने जाते हैं। कर्नाटक में बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बाद अब पार्टी राज्य में दोबारा वापसी की रणनीति बना रही है। जोशी का अनुभव और सरकार के साथ उनकी अच्छी तालमेल उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।

पहले भी दक्षिण से बने हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष

बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दक्षिण बारत के नेताओँ के नाम सामने आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि बीजेपी पहली बार पार्टी की कमान के लिए दक्षिण का रूख कर रही है। पहले भी दक्षिण भारत से बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। अभी तक की लिस्ट को देखें तो बीजेपी ने कुल 11 राष्ट्रीय अध्यक्षों में तीन दक्षिण भारत से आने नेताओं को इस कुर्सी पर बैठाया है। इनमें जे कृष्णमूर्ति, बंगारू लक्ष्मण और वेंकैया नायडू का नाम शामिल है।

क्यों दक्षिण से अध्यक्ष की चर्चा?

बता दें कि बीजेपी ने उत्तर और पश्चिम भारत में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है लेकिन दक्षिण भारत अभी भी एक चुनौती बना हुआ है। कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में पार्टी को और विस्तार की जरूरत है। दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी का वोट शेयर अब भी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों से पीछे है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व किसी दक्षिण भारतीय नेता को कमान सौंपकर इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहता है। बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2026 में तमिलनाडु और केरल में चुनाव है। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में भविष्य में संभावित विस्तार को ध्यान में रखकर फैसला ले सकती है। इसमें तमिलनाडु राज्य पर बीजेपी विशेष फोकस कर सकती है। ऐसे में दक्षिण के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद मिल सकता है।

भारत-इंडोनेशिया ने दक्षिण चीन सागर में की आचार संहिता की वकालत, चीन के खिलाफ चली बड़ी चाल

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दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है। चीन के तटरक्षक बल और समुद्री मिलिशिया को दक्षिण चीन सागर में पहले से कहीं ज़्यादा संख्या में, लंबे समय तक और ज़्यादा आक्रामकता के साथ तैनात किया गया। चीन के तटरक्षक बल अन्य देशों को मजबूर करने और डराने के लिए आक्रामकता और बल का प्रयोग करते रहे हैं। इस बीच भारत और इंडोनेशिया ने दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप एक 'पूर्ण और प्रभावी' आचार संहिता की वकालत की है।

भारत दौरे पर आए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यापक बातचीत में दक्षिण चीन सागर में हालात पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। बैठक में दोनों पक्षों ने 'भारत के सूचना संलयन केन्द्र-हिंद महासागर क्षेत्र' (आईएफसी-आईओआर) में इंडोनेशिया से एक संपर्क अधिकारी तैनात करने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और सुबियांतो ने सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए भारत-इंडोनेशिया आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया और बिना किसी 'दोहरे मापदंड' के इस खतरे से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयास करने का आह्वान किया।

रविवार को जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया। बयान के अनुसार प्रधानमंत्री और सुबियांतो ने भारत-इंडोनेशिया आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी चर्चा की तथा द्विपक्षीय लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग के वास्ते पिछले वर्ष दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के शीघ्र क्रियान्वयन के महत्व पर बल दिया।

मोदी और सुबियांतो का मानना है कि द्विपक्षीय लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग से व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा तथा दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच वित्तीय एकीकरण गहरा होगा। संयुक्त बयान में समुद्री क्षेत्र की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा गया कि दोनों नेताओं ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता, नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता को बनाए रखने और बढ़ावा देने के महत्व की पुष्टि की।उन्होंने निर्बाध वैध समुद्री वाणिज्य और 1982 के यूएनसीएलओएस (समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया।

आसियान देश भी दक्षिण चीन सागर पर एक बाध्यकारी आचार संहिता पर जोर दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण चीन द्वारा इस क्षेत्र पर अपने व्यापक दावों को स्थापित करने के लगातार प्रयास हैं। बीजिंग सीओसी का कड़ा विरोध कर रहा है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है।2016 में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने अपने फैसले में दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर बीजिंग के दावे को खारिज कर दिया था। हालांकि, चीन ने इस फैसले को खारिज कर दिया था। भारत इस क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था की वकालत करता रहा है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेषकर यूएनसीएलओएस का पालन करना भी शामिल है।

*First-ever CAB U-16 Girl's School tournament gets underway*

Sports

Khabar kolkata sports Desk: CAB President Snehasish Ganguly and India legend Jhulan Goswami wished all the players good luck as the first ever CAB Under-16 Girl’s School Cricket Tournament featuring eight schools got underway at the Rajasthan Ground on Tuesday.

"It is indeed a moment of great joy that women's cricket in Bengal is scaling higher. From junior to senior level, each and every team has impressed this season. The U-16 Girl's School Cricket Tournament for the first time will boost women's cricket. I wish all the players the best for the tournament. Jhulan is here to inspire all the girls. She is a legend, and all the youngsters look up to her as inspiration," Mr Ganguly said during the inauguration ceremony.

Jhulan said, "I am happy to be here for the tournament. Just like Bengal Women’s cricket is showing huge improvement, this U-16 Girl's School tournament will also help create talent for the future. I wish all the players the best. This season, every Bengal Women’s team has performed well, and now the hope rests on our Under-19 and Under-23 team who have made the knockouts."

Also present for the ocassion were CAB Joint Secretary Debabrata Das; CAB Treasurer Prabir Chakrabarty; Tour, Fixture and Technical Committee Chairman Sanjay Das, Observers Committee Chairman Srimanta Kumar Mallick along with former and senior Women's cricketers.

The opening day will be a double-header clash with South Point High School taking on The Heritage School at the Rajasthan Ground, while Purwanchal Vidyamandir will face Rabindra Path Bhavan Academy at AIS Alampur Ground.

The One-Day League-cum-knockout tournament, featuring eight teams, has been divided into two groups. After the league stage, the top two teams from each group will progress into the semifinals with its winners facing each other in the summit clash.

Pic Courtesy by: CAB

*Rohan , Sk Rehan, Ramij star in Inter District U-18 two-day meet*

Sports 

 Khabar kolkata sports Desk: In the Inter District Under-18 two-day league-cum-knockout tournament on Saturday, the bowlers dominated the batters. 

In the first match, Rohan Saha (6-41) and Deb Sur (3-34) helped North 24-PGS DSA beat Uttar Dinajpur DSA by 143 runs. Archish Biswas (55), Akshit Pandey (53) helped North 24-PGS DSA post 272. In reply, Uttar Dinajpur DSA scored 130. 

In other matches, Sk Rehan Ali (5-47) and Ramij Raja (4-73) helped South 24-PGS beat Murshidabad DSA by 32 runs. South 24-PGS scored 192. In reply, Murshidabad DSA scored 160.

Ankush Ghatak (3-30), Biru Hela (3-35), Rithik Patra (116) and Aditya Sarkar (111, 1-22) helped Chandernagore SA beat Bankura DSA by 244 runs. Chandernagore SA posted 376/9. In reply, Bankura DSA scored 132.

दक्षिण कोरिया विमान दुर्घटना: जेजू एयर विमान दुर्घटना के कारणों विश्लेषण

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दक्षिण कोरिया का एक यात्री विमान के देश के मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 181 यात्रियों में से 179 की मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब बैंकॉक से उड़ान भरने वाले 175 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर जेजू एयर की उड़ान 7C2216 सुबह 9 बजे (स्थानीय समयानुसार) उतर रही थी।

स्थानीय मीडिया द्वारा साझा किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि दो इंजन वाला विमान बिना किसी लैंडिंग गियर के रनवे से फिसलकर दीवार से टकरा गया और आग का गोला बन गया। दुर्घटनास्थल से प्राप्त दृश्यों में विमान के कुछ हिस्सों में धुआँ और आग दिखाई दे रही थी। दो लोग - एक पुरुष और एक महिला - जीवित पाए गए और उनका इलाज चल रहा है।

दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय अग्निशमन एजेंसी ने कहा कि उसने आग पर काबू पाने के लिए 32 दमकल गाड़ियों और कई हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। घटना के बाद मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी उड़ान संचालन निलंबित कर दिए गए हैं। परिवहन मंत्रालय के अनुसार, यात्रियों में दो थाई नागरिक शामिल थे और बाकी दक्षिण कोरियाई नागरिक माने जा रहे हैं।

विमान दुर्घटना का कारण क्या था?

दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहाप ने अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि दुर्घटना के पीछे लैंडिंग गियर की खराबी होने की संभावना है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि विमान लैंडिंग गियर में खराबी के कारण क्रैश लैंडिंग का प्रयास कर रहा था, तभी दुर्घटना हुई। इसका पहला लैंडिंग प्रयास पहले विफल हो गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, विमान रनवे के अंत तक पहुंचने तक अपनी गति कम करने में विफल रहा और हवाई अड्डे के बाहरी किनारे पर दीवार से टकरा गया, जिससे आग का गोला बन गया।

हालांकि, स्थानीय अग्निशमन प्रमुख ने कहा कि पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम घातक दुर्घटना का कारण हो सकता है। रॉयटर्स के अनुसार, मुआन फायर स्टेशन के प्रमुख ली जियोंग-ह्यून ने एक ब्रीफिंग के दौरान कहा, "दुर्घटना का कारण पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम की स्थिति माना जाता है। हालांकि, संयुक्त जांच के बाद सटीक कारण की घोषणा की जाएगी।" हालांकि, विमान दुर्घटना के कारणों पर आधिकारिक बयान का इंतजार है। यह घटना पिछले सप्ताह कजाकिस्तान के अक्तौ के पास अजरबैजान एयरलाइन के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ दिनों बाद हुई है, जिसमें विमान में सवार 67 लोगों में से 38 की मौत हो गई थी और अन्य सभी घायल हो गए थे।

पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला, खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके में 16 सैनिकों की मौत

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पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। खैबर पख्तूनख्वा में हुए इस हमले में 16 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 8 घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन के लिटा सर इलाके में पाकिस्तान की सुरक्षा चौकी पर हुआ है। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

किसी भी संगठन ने फिलहाल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से लगती सीमा पर लगातार आतंकी हमले देखे जा रहे हैं। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के आतंकी आए दिन हमला करते रहते हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर को कई आतंकी हमलों में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। खुर्रम जिले में हमले में सात सैनिक मारे गए थे, वहीं दो लोग घायल हुए थे। विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कथित तौर पर हिंसा की जिम्मेदारी ली थी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के नेतृत्व वाले तीव्र हमलों और बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी जातीय बलूच विद्रोहियों के परिणामस्वरूण अकेले इसी साल सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई।

पाकिस्तान इन हमलों के लिए तहरीक ए तालिबान को ठहराता रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाता है कि अफगान तालिबान सरकार अफगानिस्तान में टीटीपी के लड़ाकों को पनाह दे रहे हैं। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के साथ बातचीत ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के देश छोड़ने पर प्रतिबंध, जानें किसने लगाया बैन*
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दक्षिण कोरियाई के राष्ट्रपति यून सुक योल पर अपने ही देश में बैन लगा दिया है। राष्ट्रपति यून सुक योल के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। देश के न्याय मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति यून को मार्शल लॉ घोषित करने के लिए उनके खिलाफ शुरू की गई जांच के कारण किसी भी विदेश यात्रा या देश छोड़ने की अमुमति नहीं दी जाएगी। दरअसल सप्ताह भर पहले उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था, इसे लेकर उनपर अराजकता के आरोप लग रहे हैं। पिछले हफ्ते ही यून सुक योल ने साउथ कोरिया में देश में इमर्जेंसी में मार्शल लॉ की घोषणा कर दी थी। यून ने 3 दिसंबर की रात को अचानक मार्शल लॉ घोषित कर दिया था और संसद में विशेष बल और हेलीकॉप्टर भेज दिए थे। विपक्ष के साथ उनकी पार्टी के सांसदों ने उनके आदेश को अस्वीकार करके उन्हें अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर किया। जिसके बाद इस फैसले को पलट दिया गया। वहीं, यून ने शनिवार को मार्शल लॉ लगाने पर जनता से माफी भी मांगी थी। राष्ट्रपति यून सुक-योल शनिवार को संसद में महाभियोग प्रस्ताव से बाल-बाल बच गए, जबकि संसद के बाहर जुटी भारी भीड़ ने उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मार्शल लॉ अब कभी भी देश में नहीं लगाया जाएगा, मेरे भविष्य का फैसला मेरी पार्टी करने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि, पद पर बने रहने के बावजूद, यून और उनके करीबी सहयोगियों पर कई जांच चल रही हैं, जिसमें कथित विद्रोह की जांच भी शामिल है। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय पुलिस साउथ कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून और दूसरे टॉप अधिकारियों पर कथित देशद्रोह के मामले की जांच कर रही है। बीते रविवार को पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून को भी हिरासत में ले लिया गया।
साउथ कोरिया में 2 लाख मासूमों को अनाथ बताकर विदेशों में “बांट” दिया गए, एडॉप्शन का ये शर्मनाक घालमेल

#southkoreainternationaladoptionfraud

साउथ कोरिया में अजीबोगरीब घोटाला सामने आया है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे की अपने ही बच्चों को गलत तरीके से पूरी दुनिया में बांट दिया गया। यहां करीब 2 लाख मासूम बच्चों को अनाथ बताकर, उनकी पहचान छिपाकर विदेशियों को गोद दिया गया। साउथ कोरिया की सरकारी एजेंसियों पर भी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे हैं। वहां की सरकार ने मामले की जांच के लिए एक आयोग भी बनाया है जिसका नाम ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन रखा गया है। जो उन कई सौ बच्चों के रिकॉर्ड खंगाल रही है, जिन्हें धोखे से विदेशियों को गोद दिया गया था।

ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन ने जब खंगालना शुरू क‍िया तो जो बातें सामने आईं, वो हैरान कर देने वाली हैं। पता चला क‍ि देश की एजेंसियों ने बच्चों को गोद लेने के लिए विदेश भेजने में जबरदस्‍त जल्‍दबाजी दिखाई। इसमें उनकी हेल्‍थ और मानवाध‍िकार का भी ख्‍याल नहीं रखा गया। कई बच्‍चों के बर्थ रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई, बच्चों को अनाथ बताया जबकि उनके माता-पिता पहले से ही थे। ज‍िन्‍हें बच्‍चे सौंपे गए, उनके बारे में भी पूरी जांच नहीं की गई। बच्चों को जबरन गोद देने के लिए मजबूर किया गया।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गोद दिए गए बच्चे

जांच में सामने आया कि गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल एजेंसियों और अधिकारियों ने कई मामलों में बच्चों को अनाथ के रूप में दर्ज किया गया, जबकि उनके माता-पिता जीवित थे। वे नहीं चाहते थे क‍ि उनका बच्‍चा देश छोड़कर जाए, इसके बावजूद उनसे लेकर लालच देकर बच्‍चों को छीन ल‍िया गया। कई पेरेंट्स को ये तक बता द‍िया गया क‍ि उनका बच्‍चा मर गया है। जबक‍ि वह बच्‍चा जिंदा था। कुछ को ये कहा गया क‍ि बच्‍चे को बेहतर देखभाल के ल‍िए भेजा जा रहा है। लेकिन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बच्चों को विदेशी परिवारों को सौंप दिया गया। इस प्रक्रिया में बच्चों की पहचान, जन्म तिथि और पारिवारिक इतिहास को बदल दिया गया, जिससे उनकी मूल जड़ों का पता लगाना असंभव हो गया।

बच्चों को विदेश भेजने में मानवाधिकारों का उल्लंघन

कमीशन ने दो साल और सात महीने की जांच की। इसके बाद एक ऐतिहासिक घोषणा में उसने कहा कि साउथ कोरिया के बच्चों के अंतरराष्ट्रीय गोद लेने में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। ट्रुथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमीशन ने एक बयान में कहा, यह पाया गया है कि सरकार ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया। जिसके परिणामस्वरूप बहुत सारे बच्चों को विदेश भेजने की प्रक्रिया के दौरान संविधान और अंतरराष्ट्रीय समझौतों द्वारा संरक्षित गोद लेने वालों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।

कैसे शुरू हुआ था गोद लेने का रिवाज

दक्षिण कोरिया ने 1950 और 1960 के दशक में कोरियाई युद्ध के बाद विदेशी गोद लेने को बढ़ावा देना शुरू किया था। उस समय देश आर्थिक रूप से कमजोर था और सामाजिक कल्याण प्रणाली सीमित थी। इस दौरान हजारों बच्चों को विदेशों, खासकर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में गोद लेने के लिए भेजा गया।

साल 1954 में अमेरिका के ओरेगन इलाके से बर्था और हैरी हॉल्ट नाम का दंपत्ति कोरियन युद्ध में अनाथ हुए बच्चों पर एक प्रेजेंटेशन देखने के लिए गए थे। प्रेजेंटेशन में बच्चों को देखकर बर्था का दिल भर आया। द न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उसने एक जगह लिखा था कि उन छोटे बच्चों के गोल उदास चेहरे देखकर लग रहा था मानो वो अपनी देखभाल के लिए किसी को खोज रहे हों। उस समय अमेरिका में विदेश से दो से अधिक बच्चों को गोद लेने पर रोक थी, लेकिन 1955 में ओरेगन के दो सीनेटरों ने कोरियाई युद्ध में अनाथ हुए बच्चों के लिए एक विधेयक पेश किया, ताकि होल्ट और उसकी पत्नी कोरिया के अनाथ हुए बच्चों को गोद ले सकें।

कांग्रेस से बिल पास होने के बाद होल्ट ने कोरिया से चार लड़के और चार लड़कियों को गोद लिया। जब यह खबर अगले दिन अखबारों में छपी तो होल्ट को कई सारे खत मिले। इनमें कई सारे दंपत्तियों ने इच्छा जाहिर की थी कि वो भी कोरियन युद्ध में अनाथ हुए बच्चों को गोद लेना चाहते हैं।

एक साल में होल्ट दंपत्ति ने एक एडॉप्शन कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद साउथ कोरिया में भी होल्ट एजेंसी बनाई गई। धीरे-धीरे इस एजेंसी से न सिर्फ अमेरिका बल्कि कई यूरोपीय देश के लोगों ने भी बच्चे गोद लिए। यह एजेंसी आज के समय में भी विदेश की सबसे बड़ी बच्चे गोद दिलाने वाली एजेंसियों में से एक है।

महाशिवरात्रि पर साउथ एशियन विवि की मेस में परोसा नॉनवेज, जमकर हुआ बवाल

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दिल्ली की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) में छात्रों के दो गुटों के बीच जमकर बवाल हुआ है। ये विवाद हुआ महाशिवरात्रि के मौके पर यूनिवर्सिटी की मेस में नॉन वेज खाना परोसने को लेकर। यूनिवर्सिटी के मेस में नॉनवेज परोसने को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के बीच हाथापाई हो गई। मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। दोनों छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।

एसएफआई का कहना है कि एबीवीपी के सदस्यों ने महाशिवरात्रि पर मांसाहार न परोसने की उनकी मांग नहीं मानी। इसके बाद एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी के मेस में छात्रों पर हमला किया। एसएफआई का आरोप है कि एबीवीपी के लोगों ने मांसाहार परोसे जाने पर छात्र-छात्राओं और भोजनालय कर्मियों के साथ मारपीट की। एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन से हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, एबीवीपी ने घटना पर कहा, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में छात्रों ने उपवास रखा। अपनी धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए इन छात्रों ने मेस प्रशासन से पहले ही अनुरोध किया था कि इस खास दिन पर उनके लिए सात्विक भोजन की व्यवस्था की जाए। मेस प्रभारी से इस मामले पर चर्चा करने के बाद करीब 110 छात्रों ने उपवास के भोजन की मांग की। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय ने दो मेस हॉल में से एक में सात्विक भोजन की व्यवस्था की, ताकि छात्र अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोजन कर सकें। वामपंथी गुंडों ने जानबूझकर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया। जब मेस में सात्विक भोजन परोसा जा रहा था, तो एसएफआई से जुड़े लोगों ने जबरन नॉनवेज भोजन परोसने का प्रयास किया।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कहा कि विश्वविद्यालय में स्थिति शांतिपूर्ण है और उसे कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। इसमें यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय द्वारा आंतरिक जांच की जा रही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक साउथ एशियन यूनिवर्सिटी से दोपहर करीब 3.45 बजे मैदानगढ़ी पुलिस स्टेशन में झगड़े की पीसीआर कॉल मिली। जब हम मौके पर पहुंचे तो मेस में दो गुटों के बीच झगड़ा हो रहा था।

भाषा विवाद के बाद स्टालिन परिसीमन को लेकर परेशान, लोकसभा में सीटें घटने के दावे पर अमित शाह का जवाब
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस दावे को खारिज कर दिया कि अगर जनसंख्या जनगणना के आधार पर परिसीमन किया गया तो राज्य में आठ लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी।केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कोयंबतूर समेत तीन जिलों में भाजपा कार्यालयों का उद्घाटन करते हुए यह भरोसा दिया। बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदी विरोध के साथ-साथ परिसीमन में सीटें कम होने की आशंका को बड़ा मुद्दा बनाने का संकेत दिया है। इसके लिए डीएमके ने पांच मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र की ओर से तमिलनाडु के साथ किसी भी तरह के अन्याय से इनकार किया और इस प्रकार के आरोपों को ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया। इसके साथ ही शाह ने मुख्यमंत्री स्टालिन पर परिसीमन को लेकर गलत सूचना अभियान फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि जब परिसीमन यथानुपात आधार पर किया जाएगा तो तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य में संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं होगी।

शाह ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार द्वारा बुलाई गई 5 मार्च की सर्वदलीय बैठक के बारे में कहा कि वे परिसीमन पर एक बैठक करने जा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम दक्षिण के साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि परिसीमन के बाद कोई भी दक्षिणी राज्य एक सीट भी नहीं गंवाएगा। बीजेपी ने स्टालिन के इस कदम को नकली डर बताया है।

स्टालिन ने आशंका जताई थी कि यह परिसीमन दक्षिणी राज्यों के हित में नहीं होगा, जिन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, परिसीमन के बाद तमिलनाडु की लोकसभा सीटें 39 से घटकर 31 हो सकती हैं। स्टालिन ने परिसीमन को दक्षिणी राज्यों के सिर पर लटकती तलवार बताया है और अन्य दक्षिणी राज्यों से भी केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ विरोध करने की अपील की है। एमके स्टालिन ने कहा है कि तमिलनाडु की सीटों की संख्या कम करना तमिलनाडु के अधिकारों के हनन के समान है और यह न केवल राज्य बल्कि पूरे दक्षिण भारत को प्रभावित करता है। उन्होंने दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों को इस कदम का विरोध करने के लिए पत्र भी लिखा है। दक्षिण के बीआरएस और कांग्रेस ने भी इस कदम का विरोध किया है।

लोकसभा में फिलहाल 543 सीटें हैं। माना जा रहा है कि यदि सीटों का परिसीमन हुआ तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और राजस्थान में लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ जाएगी। वहीं दक्षिण भारत के कुछ राज्य केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक को कुछ सीटें गंवानी पड़ सकती है। जनसंख्या के अनुपात में सीटें बंटी तो केरल में लोकसभा सीटें 20 से घटकर 19 हो जाएगी। यूपी में 14 सीटों का इजाफा हो सकता है। बिहार और एमपी में भी सीटें बढ़ेंगी। कुल कितनी सीटें बढ़ेंगी या घटेंगी यह परिसीमन के बाद ही तय होगा। वहीं सवालों के बीच सरकार की ओर से कहा गया है कि सीटें कम नहीं होंगी
बीजेपी को अगले महीने मिलेगा नया “मुखिया”, रेस में दक्षिण के ये 3 दिग्गज

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भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने वाला है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल के कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। अगले महीने बीजेपी की कमान नए हाथों में जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि होली के बाद बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाने की पूरी संभावना है। हरियाणा, महाराष्ट्र और फिर दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है। इसको लेकर कई नामों की चर्चा हो रही है। इस दौड़ में दक्षिण भारत के नेताओं के नाम भी की चर्चा है। आश्चर्यजनक तौर पर दक्षिण भारत से बीजेपी के नए राष्ट्रीय के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इसको लेकर तीन नेताओं के नामों की चर्चा हो रही है।

बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ में दक्षिण से जिन 3 नामों की प्रमुखता से चर्चा चल रही है, कोयला एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्‌डी, लोकसभा सदस्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी का नाम लिया जा रहा है। इनमें रेड्‌डी और बंडी संजय कुमार दोनों तेलंगाना से आते हैं जबकि जोशी कर्नाटक से ताल्लकु रखते हैं।

जी किशन रेड्डी

वर्तमान में केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी, तेलंगाना के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। वह पहले तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष भी रह चुके हैं और संगठन के कामकाज में उनकी सक्रियता रही है। रेड्डी का ओबीसी समुदाय से आना और संगठन पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। तेलंगाना में हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिसमें रेड्डी की रणनीतिक भूमिका रही। वह 2019 से लगातार केंद्र में मंत्री हैं। रेड्डी पीएम मोदी के पुराने विश्वस्त हैं। मोदी 1994 में अमरीका गए थे तो रेड्डी भी साथ थे।

बंडी संजय कुमार

बंडी संजय कुमार इस समय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। तेलंगाना की करीमनगर सीट से 2019 से लगातार सांसद हैं, हालांकि वह बीच में विधायकी का चुनाव हार गए थे। वह केंद्रीय मंत्री के साथ राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। बंडी तेलंगाना अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने बतौर प्रदेश अध्यक्ष कई आक्रामक आंदोलन किए। जिससे बीजेपी को तेलंगाना में नई पहचान मिली। उनका जमीनी संगठन कौशल और कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता उन्हें इस रेस में आगे रखती है। बंडी एबीवीपी के जरिये राजनीति में आए हैं। तमिलनाडु में भी पकड़ रखते हैं। हिंदुत्व और ओबीसी दोनों समीकरण साधते हैं।

प्रह्लाद जोशी

तीसरे बड़े दावेदार प्रह्लाद जोशी हैं जो इस समय केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री हैं। कर्नाटक से आने वाले जोशी ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और पार्टी में सीनियर नेता माने जाते हैं। वह बीजेपी के ऐसे चेहरे हैं, जो सरकार, संगठन और संसदीय मामले, तीनों के माहिर माने जाते हैं। कर्नाटक में बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बाद अब पार्टी राज्य में दोबारा वापसी की रणनीति बना रही है। जोशी का अनुभव और सरकार के साथ उनकी अच्छी तालमेल उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।

पहले भी दक्षिण से बने हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष

बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दक्षिण बारत के नेताओँ के नाम सामने आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि बीजेपी पहली बार पार्टी की कमान के लिए दक्षिण का रूख कर रही है। पहले भी दक्षिण भारत से बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। अभी तक की लिस्ट को देखें तो बीजेपी ने कुल 11 राष्ट्रीय अध्यक्षों में तीन दक्षिण भारत से आने नेताओं को इस कुर्सी पर बैठाया है। इनमें जे कृष्णमूर्ति, बंगारू लक्ष्मण और वेंकैया नायडू का नाम शामिल है।

क्यों दक्षिण से अध्यक्ष की चर्चा?

बता दें कि बीजेपी ने उत्तर और पश्चिम भारत में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है लेकिन दक्षिण भारत अभी भी एक चुनौती बना हुआ है। कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में पार्टी को और विस्तार की जरूरत है। दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी का वोट शेयर अब भी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों से पीछे है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व किसी दक्षिण भारतीय नेता को कमान सौंपकर इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहता है। बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2026 में तमिलनाडु और केरल में चुनाव है। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में भविष्य में संभावित विस्तार को ध्यान में रखकर फैसला ले सकती है। इसमें तमिलनाडु राज्य पर बीजेपी विशेष फोकस कर सकती है। ऐसे में दक्षिण के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद मिल सकता है।

भारत-इंडोनेशिया ने दक्षिण चीन सागर में की आचार संहिता की वकालत, चीन के खिलाफ चली बड़ी चाल

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दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है। चीन के तटरक्षक बल और समुद्री मिलिशिया को दक्षिण चीन सागर में पहले से कहीं ज़्यादा संख्या में, लंबे समय तक और ज़्यादा आक्रामकता के साथ तैनात किया गया। चीन के तटरक्षक बल अन्य देशों को मजबूर करने और डराने के लिए आक्रामकता और बल का प्रयोग करते रहे हैं। इस बीच भारत और इंडोनेशिया ने दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप एक 'पूर्ण और प्रभावी' आचार संहिता की वकालत की है।

भारत दौरे पर आए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यापक बातचीत में दक्षिण चीन सागर में हालात पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। बैठक में दोनों पक्षों ने 'भारत के सूचना संलयन केन्द्र-हिंद महासागर क्षेत्र' (आईएफसी-आईओआर) में इंडोनेशिया से एक संपर्क अधिकारी तैनात करने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और सुबियांतो ने सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए भारत-इंडोनेशिया आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया और बिना किसी 'दोहरे मापदंड' के इस खतरे से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयास करने का आह्वान किया।

रविवार को जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया। बयान के अनुसार प्रधानमंत्री और सुबियांतो ने भारत-इंडोनेशिया आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी चर्चा की तथा द्विपक्षीय लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग के वास्ते पिछले वर्ष दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के शीघ्र क्रियान्वयन के महत्व पर बल दिया।

मोदी और सुबियांतो का मानना है कि द्विपक्षीय लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग से व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा तथा दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच वित्तीय एकीकरण गहरा होगा। संयुक्त बयान में समुद्री क्षेत्र की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा गया कि दोनों नेताओं ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता, नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता को बनाए रखने और बढ़ावा देने के महत्व की पुष्टि की।उन्होंने निर्बाध वैध समुद्री वाणिज्य और 1982 के यूएनसीएलओएस (समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया।

आसियान देश भी दक्षिण चीन सागर पर एक बाध्यकारी आचार संहिता पर जोर दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण चीन द्वारा इस क्षेत्र पर अपने व्यापक दावों को स्थापित करने के लगातार प्रयास हैं। बीजिंग सीओसी का कड़ा विरोध कर रहा है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है।2016 में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने अपने फैसले में दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर बीजिंग के दावे को खारिज कर दिया था। हालांकि, चीन ने इस फैसले को खारिज कर दिया था। भारत इस क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था की वकालत करता रहा है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेषकर यूएनसीएलओएस का पालन करना भी शामिल है।

*First-ever CAB U-16 Girl's School tournament gets underway*

Sports

Khabar kolkata sports Desk: CAB President Snehasish Ganguly and India legend Jhulan Goswami wished all the players good luck as the first ever CAB Under-16 Girl’s School Cricket Tournament featuring eight schools got underway at the Rajasthan Ground on Tuesday.

"It is indeed a moment of great joy that women's cricket in Bengal is scaling higher. From junior to senior level, each and every team has impressed this season. The U-16 Girl's School Cricket Tournament for the first time will boost women's cricket. I wish all the players the best for the tournament. Jhulan is here to inspire all the girls. She is a legend, and all the youngsters look up to her as inspiration," Mr Ganguly said during the inauguration ceremony.

Jhulan said, "I am happy to be here for the tournament. Just like Bengal Women’s cricket is showing huge improvement, this U-16 Girl's School tournament will also help create talent for the future. I wish all the players the best. This season, every Bengal Women’s team has performed well, and now the hope rests on our Under-19 and Under-23 team who have made the knockouts."

Also present for the ocassion were CAB Joint Secretary Debabrata Das; CAB Treasurer Prabir Chakrabarty; Tour, Fixture and Technical Committee Chairman Sanjay Das, Observers Committee Chairman Srimanta Kumar Mallick along with former and senior Women's cricketers.

The opening day will be a double-header clash with South Point High School taking on The Heritage School at the Rajasthan Ground, while Purwanchal Vidyamandir will face Rabindra Path Bhavan Academy at AIS Alampur Ground.

The One-Day League-cum-knockout tournament, featuring eight teams, has been divided into two groups. After the league stage, the top two teams from each group will progress into the semifinals with its winners facing each other in the summit clash.

Pic Courtesy by: CAB

*Rohan , Sk Rehan, Ramij star in Inter District U-18 two-day meet*

Sports 

 Khabar kolkata sports Desk: In the Inter District Under-18 two-day league-cum-knockout tournament on Saturday, the bowlers dominated the batters. 

In the first match, Rohan Saha (6-41) and Deb Sur (3-34) helped North 24-PGS DSA beat Uttar Dinajpur DSA by 143 runs. Archish Biswas (55), Akshit Pandey (53) helped North 24-PGS DSA post 272. In reply, Uttar Dinajpur DSA scored 130. 

In other matches, Sk Rehan Ali (5-47) and Ramij Raja (4-73) helped South 24-PGS beat Murshidabad DSA by 32 runs. South 24-PGS scored 192. In reply, Murshidabad DSA scored 160.

Ankush Ghatak (3-30), Biru Hela (3-35), Rithik Patra (116) and Aditya Sarkar (111, 1-22) helped Chandernagore SA beat Bankura DSA by 244 runs. Chandernagore SA posted 376/9. In reply, Bankura DSA scored 132.

दक्षिण कोरिया विमान दुर्घटना: जेजू एयर विमान दुर्घटना के कारणों विश्लेषण

#reasonforsouthkoreanplane_crash

दक्षिण कोरिया का एक यात्री विमान के देश के मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 181 यात्रियों में से 179 की मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब बैंकॉक से उड़ान भरने वाले 175 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर जेजू एयर की उड़ान 7C2216 सुबह 9 बजे (स्थानीय समयानुसार) उतर रही थी।

स्थानीय मीडिया द्वारा साझा किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि दो इंजन वाला विमान बिना किसी लैंडिंग गियर के रनवे से फिसलकर दीवार से टकरा गया और आग का गोला बन गया। दुर्घटनास्थल से प्राप्त दृश्यों में विमान के कुछ हिस्सों में धुआँ और आग दिखाई दे रही थी। दो लोग - एक पुरुष और एक महिला - जीवित पाए गए और उनका इलाज चल रहा है।

दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय अग्निशमन एजेंसी ने कहा कि उसने आग पर काबू पाने के लिए 32 दमकल गाड़ियों और कई हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। घटना के बाद मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी उड़ान संचालन निलंबित कर दिए गए हैं। परिवहन मंत्रालय के अनुसार, यात्रियों में दो थाई नागरिक शामिल थे और बाकी दक्षिण कोरियाई नागरिक माने जा रहे हैं।

विमान दुर्घटना का कारण क्या था?

दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहाप ने अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि दुर्घटना के पीछे लैंडिंग गियर की खराबी होने की संभावना है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि विमान लैंडिंग गियर में खराबी के कारण क्रैश लैंडिंग का प्रयास कर रहा था, तभी दुर्घटना हुई। इसका पहला लैंडिंग प्रयास पहले विफल हो गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, विमान रनवे के अंत तक पहुंचने तक अपनी गति कम करने में विफल रहा और हवाई अड्डे के बाहरी किनारे पर दीवार से टकरा गया, जिससे आग का गोला बन गया।

हालांकि, स्थानीय अग्निशमन प्रमुख ने कहा कि पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम घातक दुर्घटना का कारण हो सकता है। रॉयटर्स के अनुसार, मुआन फायर स्टेशन के प्रमुख ली जियोंग-ह्यून ने एक ब्रीफिंग के दौरान कहा, "दुर्घटना का कारण पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम की स्थिति माना जाता है। हालांकि, संयुक्त जांच के बाद सटीक कारण की घोषणा की जाएगी।" हालांकि, विमान दुर्घटना के कारणों पर आधिकारिक बयान का इंतजार है। यह घटना पिछले सप्ताह कजाकिस्तान के अक्तौ के पास अजरबैजान एयरलाइन के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ दिनों बाद हुई है, जिसमें विमान में सवार 67 लोगों में से 38 की मौत हो गई थी और अन्य सभी घायल हो गए थे।

पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला, खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके में 16 सैनिकों की मौत

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पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। खैबर पख्तूनख्वा में हुए इस हमले में 16 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 8 घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन के लिटा सर इलाके में पाकिस्तान की सुरक्षा चौकी पर हुआ है। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

किसी भी संगठन ने फिलहाल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से लगती सीमा पर लगातार आतंकी हमले देखे जा रहे हैं। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के आतंकी आए दिन हमला करते रहते हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर को कई आतंकी हमलों में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। खुर्रम जिले में हमले में सात सैनिक मारे गए थे, वहीं दो लोग घायल हुए थे। विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कथित तौर पर हिंसा की जिम्मेदारी ली थी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के नेतृत्व वाले तीव्र हमलों और बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी जातीय बलूच विद्रोहियों के परिणामस्वरूण अकेले इसी साल सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई।

पाकिस्तान इन हमलों के लिए तहरीक ए तालिबान को ठहराता रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाता है कि अफगान तालिबान सरकार अफगानिस्तान में टीटीपी के लड़ाकों को पनाह दे रहे हैं। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के साथ बातचीत ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के देश छोड़ने पर प्रतिबंध, जानें किसने लगाया बैन*
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दक्षिण कोरियाई के राष्ट्रपति यून सुक योल पर अपने ही देश में बैन लगा दिया है। राष्ट्रपति यून सुक योल के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। देश के न्याय मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति यून को मार्शल लॉ घोषित करने के लिए उनके खिलाफ शुरू की गई जांच के कारण किसी भी विदेश यात्रा या देश छोड़ने की अमुमति नहीं दी जाएगी। दरअसल सप्ताह भर पहले उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था, इसे लेकर उनपर अराजकता के आरोप लग रहे हैं। पिछले हफ्ते ही यून सुक योल ने साउथ कोरिया में देश में इमर्जेंसी में मार्शल लॉ की घोषणा कर दी थी। यून ने 3 दिसंबर की रात को अचानक मार्शल लॉ घोषित कर दिया था और संसद में विशेष बल और हेलीकॉप्टर भेज दिए थे। विपक्ष के साथ उनकी पार्टी के सांसदों ने उनके आदेश को अस्वीकार करके उन्हें अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर किया। जिसके बाद इस फैसले को पलट दिया गया। वहीं, यून ने शनिवार को मार्शल लॉ लगाने पर जनता से माफी भी मांगी थी। राष्ट्रपति यून सुक-योल शनिवार को संसद में महाभियोग प्रस्ताव से बाल-बाल बच गए, जबकि संसद के बाहर जुटी भारी भीड़ ने उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मार्शल लॉ अब कभी भी देश में नहीं लगाया जाएगा, मेरे भविष्य का फैसला मेरी पार्टी करने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि, पद पर बने रहने के बावजूद, यून और उनके करीबी सहयोगियों पर कई जांच चल रही हैं, जिसमें कथित विद्रोह की जांच भी शामिल है। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय पुलिस साउथ कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून और दूसरे टॉप अधिकारियों पर कथित देशद्रोह के मामले की जांच कर रही है। बीते रविवार को पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून को भी हिरासत में ले लिया गया।