कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट लीक होते ही सियासत गरमाई, जानें पूरा मामला

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कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर बवाल मचा हुआ है। जनगणना के आंकड़े लीक होने के बाद कई समुदाय नाराज हैं। खासकर, ताकतवर माने जाने वाले समुदायों में गुस्सा है। इस जनगणना के संभावित आंकड़ों के लीक होने के बाद प्रदेश के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायतों में खलबली मची हुई है। इस वजह से कांग्रेस में भी फूट पड़ गई है। कई नेता इस जनगणना को 'अवैज्ञानिक' बता रहे हैं। वे सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

कर्नाटक में जातिगत सर्वे की लीक रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) का आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है। लीक हुई जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों अनुसार, मुसलमानों को राज्य की सबसे बड़ी आबादी वाला समूह बताया गया है। इसमें मुसलमानों की आबादी 75.2 लाख है। यानी, राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 12.6% है। यह आंकड़ा 2015 में हुए सर्वे का है। इसके बाद अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) का नंबर आता है। इसमें SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण शामिल है। वोक्कालिगा और लिंगायत जैसी पारंपरिक रूप से प्रभावशाली मानी जाने वाली जातियां जनसंख्या के लिहाज से अब पीछे दिखाई गई हैं। कैटेगरी III(A) में वोक्कालिगा और दो अन्य समुदाय शामिल हैं, जिनकी आबादी 73 लाख बताई गई है और उन्हें 7% आरक्षण दिया गया है। वहीं, कैटेगरी III(B) में लिंगायत समुदाय और पांच दूसरे समुदायों को जगह दी गई है, जिनकी जनसंख्या 81.3 लाख है और उन्हें 8% आरक्षण दिया गया है। यह वही जातियां हैं, जिनके समर्थन पर दशकों से कर्नाटक की राजनीति का संतुलन टिका रहा है। ऐसे में इन आंकड़ों ने सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर दरार की आशंकाएं बढ़ा दी हैं।

कांग्रेस में नया कलह

लिंगायत का नेतृत्व कर रहे उद्योग और वाणिज्य मंत्री एमबी पाटिल ने लीक हुए आंकड़ों पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा करते हुए कि उनकी जनसंख्या अभी भी बहुत अधिक है। पाटिल ने तर्क दिया कि लिंगायतों के कई उप-जातियों ने आरक्षण के लाभ के लिए अपनी मूल जाति का उल्लेख किया है, न कि जनगणना में लिंगायत धर्म का। हालांकि वे लिंगायत धर्म का पालन करते हैं। वोक्कालिगा भी इसी तरह के दावे करते हैं उन्होंने आकड़ों को अवैज्ञानिक बताते हुए खारिज कर दिया।

डीके शिवकुमार के लिए ये रिपोर्ट क्यों सिरदर्द?

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राहुल गांधी जैसे नेता इस रिपोर्ट को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम मान सकते हैं। लेकिन डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, जो स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, उनके लिए यह रिपोर्ट एक सियासी सिरदर्द बन गई है। शिवकुमार जैसे नेताओं की राजनीतिक शक्ति काफी हद तक उनकी जातिगत जनसंख्या के आधार पर तय होती रही है। अगर अब यह आधार ही कमजोर पड़ता दिखे, तो उनका राजनीतिक कद भी खतरे में पड़ सकता है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर बवाल, नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस विधायक आपस में भिड़े

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन नए वक्फ कानून पर हंगामा हुआ। इस दौरान नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच नोकझोंक हुई। नेकां और पीडीपी विधायकों के बीच भी बहस हुई। नेकां के विधायक वक्फ कानून पर विधानसभा में बहस की मांग पर अड़ गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के विधायकों ने सदन में बिल पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी की।

यह लगातार दूसरा दिन था जब वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से कानून का विरोध करते हुए एक नया प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया गया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा द्वारा मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए एक नए प्रस्ताव दिया गया।

पीडीपी विधायक को सदन से बाहर निकाला

वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद विधानसभा को दूसरे दिन फिर से स्थगित करना पड़ा और एक पीडीपी सदस्य वहीद पारा को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया। मंगलवार की सुबह जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो पारा वक्फ अधिनियम के खिलाफ अपने प्रस्ताव की प्रति लेकर आसन के समीप आ गए और अध्यक्ष से बहस करने लगे तथा केंद्र सरकार को संदेश देने के लिए इसे पारित करने की मांग करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष जब पारा को अपनी सीट पर लौटने के लिए कह रहे थे, तभी नेकां विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की। इसी दौरान अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वहीद पारा को सदन से बाहर ले जाएं। हालांकि पारा को बाहर निकाले जाने के बाद भी हंगामा जारी रहा। कई नेशनल कॉन्फ्रेंस और निर्दलीय विधायक आसान के समीप पहुंचकर वक्फ संशोधन कानून पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। इस दौरान सज्जाद लोन और नेकां के सलमान सागर के बीच तीखी बहस भी हुई।

सीएम अब्दुल्ला के रिजिजू से मिलने

बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाने की अपनी योजना दोहराई थी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन सहित घाटी के प्रमुख नेताओं ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। लोन ने अधिनियम पर खुली चर्चा की जरूरत पर जोर दिया और विधेयक पारित होने के तुरंत बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए सीएम अब्दुल्ला की आलोचना की। लोन का कहना था कि उनसे मिलने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे बहुत गलत संदेश जाता है।

कल बिल की कॉपी फाड़ी गई थी

वहीं, सोमवार को वक्फ कानून पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। भाजपा ने इसका विरोध किया। इससे मामला गरमा गया। दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोंक हुई। इस दौरान एनसी के विधायक ने सदन में वक्फ कानून की कॉपी फाड़ दी। एक एनसी विधायक ने अपनी जैकेट फाड़कर सदन में लहराई। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। एनसी समेत अन्य दलों ने वक्फ कानून के खिलाफ रेजोल्यूशन लाने की बात कही थी।

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

ब्रिटेन में कंगना की 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग पर बवाल, खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म

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कंगना रनाउत की 'इमरजेंसी' को जहां पंजाब में बैन कर दिया गया है, वहीं इंग्लैंड में भी विरोध चल रहा है। ब्रिटेन में कंगना रनाउत की फिल्म "इमरजेंसी" के विरोध में खालिस्तानियों ने सिनेमा घरों में तांडव मचा दिया है। लंदन में कई जगह ‘इमरजेंसी’ दिखाई जा रही थी। इस दौरान कुछ लोगों ने फिल्म देख रहे दर्शकों को डराया और धमकी दी। मामले को लेकर विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन के गृह सचिव से दखल देने की मांग की है।

बॉब ब्लैकमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (ब्रिटिश संसद के निचले सदन) को बताया कि “अत्यंत विवादास्पद” फिल्म के प्रदर्शन को वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम, स्लो, स्टेन्स और मैनचेस्टर में भी इसी प्रकार बाधित किया गया। इसके परिणामस्वरूप ‘व्यू और सिनेवर्ल्ड’ ने ब्रिटेन में अपने कई सिनेमाघरों से फिल्म को हटाने का निर्णय लिया है। व्यू और सिनेवर्ल्ड ब्रिटेन में कई सिनेमाघरों का संचालन करते हैं। ब्लैकमैन ने संसद को बताया, “रविवार को मेरे कई मतदाताओं ने हैरो व्यू सिनेमा में ‘इमरजेंसी’ फिल्म देखने के लिए टिकट लिये थे। फिल्म के प्रदर्शन के लगभग 30 या 40 मिनट बाद, नकाबपोश खालिस्तानी आतंकवादी घुस आए, दर्शकों को धमकाया और फिल्म को जबरन बंद करवा दिया।”

एसजीपीसी ने पंजाब में फिल्म के बैन के लिए सीएम को लिखा पत्र

वहीं, कंगना ने कहा कि उनका देश के प्रति प्यार उनकी इस फिल्म 'इमरजेंसी' से प्रदर्शित होता है। एक्ट्रेस ने वीडियो में कहा कि पंजाब के अलावा यूके और कनाडा में भी ऐसे ही हमले हुए हैं और यह आग कुछ छोटे-मोटे लोगों ने लगाई है। उधर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक लेटर लिखा। उन्होंने लेटर में 'इमरजेंसी' पर पंजाब में बैन लगाने की मांग की थी।

कंगना ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया

बता दें कि 17 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' को भारत के पंजाब में भी विरोध का सामना करना पड़ा था। देश में लागू इमरजेंसी (1975-77) पर बनी फिल्म में निर्देशन भी कंगना रनौत ने किया है। उन्होंने इस फिल्म में इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। पंजाब में फिल्म को लेकर हुए विरोध को लेकर कंगना रनौत का हाल ही में बयान सामने आया था। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर अभिनेत्री ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया था।

अभिनेत्री ने लिखा था, “यह कला और कलाकारों का उत्पीड़न है, पंजाब के कई शहरों से रिपोर्ट आ रही है कि ये लोग ‘इमरजेंसी’ को प्रदर्शित नहीं होने दे रहे हैं। मैं सभी धर्मों का बहुत सम्मान करती हूं और चंडीगढ़ में पढ़ने और पले-बढ़े होने के कारण मैंने सिख धर्म को बहुत करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह पूरी तरह से झूठ है और मेरी छवि को खराब करने और मेरी फिल्म को नुकसान पहुंचाने के लिए दुष्प्रचार है।"

दिल्ली में सीएम आवास को लेकर बवाल, मुख्यमंत्री आवास देखने पहुंचे सौरभ-संजय को पुलिस ने रोका

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दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक है। इस बीच आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले शीशमहल बनाम राजमहल की राजनीति तेज हो गई है। इस बीच आप नेता संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज सीएम आवास देखने पहुंचे। पुलिस ने 6 फ्लैग स्टाफ रोड के पास बेरिकेड्स लगा रखे हैं। पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक लिया। साथ ही आप नेताओं की पुलिस से बहस हुई। इसी के बाद दोनों नेता सीएम आवास के बाहर ही धरने पर बैठ गए थे, लेकिन फिर दोनों वापस चले गए।

बुधवार को आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, मंत्री सौरभ भारद्वाज और अन्य नेता मीडिया के साथ सीएम हाउस पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। आवास के बाहर बैरिकेडिंग की गई थी, जिसे पार करने की कोशिश पर पुलिस और आप नेताओं के बीच नोकझोंक हुई। आप नेताओं का आरोप है कि बीजेपी सीएम हाउस में लग्जरी सुविधाओं का दावा कर रही है, जिसे दिखाने की मांग पर उन्हें रोका जा रहा है। पुलिस ने ऊपर से आदेश का हवाला देते हुए किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।

आप नेता संजय सिंह ने कहा, कल मैंने चुनौती दी थी बीजेपी जिस आवास के बारे में झूठा प्रचार कर रही है कि सोने की टॉयलेट, मिनी बार और स्विमिंग पूल बना हुआ है। हम खोजेंगे कहां ये सारी चीजें। पूरे देश को पता चलना चाहिए। दूसरा, देश के पीएम जिन्होंने बड़े बड़े फैशन डिजाइनर को फेल कर दिया है उनका राजमहल भी देखने चलेंगे। उनके 6700 जोड़ी जूते देखने चलेंगे, 200 करोड़ का झूमर देखने चलेंगे, सोने के धागे से जो 300 करोड़ की कालीन बनाई गई है उसे भी देखने जाएंगे। 10-10 लाख का पेन भी देखने चलेंगे। राजा राजमहल में रहने वाले मोदी जी 8400 करोड़ के जहाज से चलते है, 2700 करोड़ के घर में रहते हैं। मुझे लगता है कि आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। पूरे देश के सामने सच्चाई आयेगी।

दरअसल, बीजेपी लगातार आम आदमी पार्टी पर दिल्ली के सीएम हाउस को लेकर कई आरोप लगाती रही है। इसी को लेकर उन आरोपों का खुलासा करने और सीएम हाउस में सोने का टॉयलेट, बार और स्विमिंग पूल ढूंढने के लिए आज आप पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज और संजय सिंह सीएम हाउस पहुंचे थे।

बता दें कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास को लेकर बीजेपी लगातार आरोप लगाती रही है। हाल ही में बीजेपी ने सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले पर हुए खर्च को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेस में सीएजी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि पीडब्ल्यूडी की ओर से 17 मार्च 2020 को एक प्रपोजल दिया था कि सीएम हाउस को रीमॉडलिंग करना होगा।

इसका मतलब केवल रिनोवेशन नहीं है, इसका मतलब था कि बिल्डिंग को गिराकर उस पर एक नया फ्लोर तैयार करना है। एक दिन के अदंर ही इस प्रपोजल को मान लिया गया. प्रपोजल में सीएम हाउस की एस्टीमेट कॉस्ट 7 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी। इसके बाद जो टेंडर निकाला गया तो वो 8 करोड़ 62 लाख रुपए का निकाला गया था। साथ ही संबित पात्रा ने कहा कि सीएम हाउस के लिए फाइनल पेमेंट 33 करोड़ 66 लाख रुपए दिया गया। कहां 7 करोड़ का एस्टीमेट और कहां 33 करोड़ रुपए दिए गए।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

आरएसएस ने जाति जनगणना के समर्थन का दिया संकेत, कांग्रेस ने संघ के बयान पर उठा दिया सवाल

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को जाति आधारित जनगणना को समर्थन देने के संकेत दिए हैं।संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि यह संवदेनशील मामला है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल पिछड़ रहे समुदाय और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए। संघ की ओर से दिए गए इस बयान के बाद एक बार फिर विवाद बढ़ता दिख रहा है। आरएसएस के बयान के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है। 

कांग्रेस ने संघ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पहले तो कहा कि जाति जनगणना की इजाजत देने वाला आरएसएस कौन हाता है। इसके बाद कहा कि अगर संघ की तरफ हरी झंडी मिल गई है तो क्या पीएम नरेन्द्र मोदी कांग्रेस की एक और गारंटी को हाइजैक करके जाति जनगणना करवाएंगे? कांग्रेस ने कुल मिलाकर पांच सवाल किए।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं। इन सवालों के जरिए संघ को भी निशाने पर लिया है। जयराम ने पूछा, “जाति जनगणना को लेकर आरएसएस की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं। क्या आरएसएस के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है? जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? आरएसएस का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या यह जज या अंपायर बनना है?

जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘अब जब RSS ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?’ 

दरअसल, संघ ने कहा है कि जाति जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। केरल के पलक्कड़ में संघ के तीन दिवसीय अखिल भारतीय स्वयंसेवक बैठक के अंतिम दिन आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस कांफ्रेन्स की।आंबेकर ने कहा, हिंदू समाज में जाति और जातीय संबंध एक संवेदनशील मुद्दा है। ये हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे बहुत गंभीरता से निपटाना चाहिए न कि केवल चुनाव या राजनीति के लिए।

उन्होंने कहा, आरएसएस को लगता है कि सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए विशेष रूप से जो जाति पिछड़ रही है, उन पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है और इसके लिए अगर सरकार को कभी आँकड़ों की ज़रूरत है, तो यह एक स्थापित परंपरा है।इससे पहले भी सरकार ने इस तरह के काम किए हैं। इसलिए वो आगे भी कर सकती है। लेकिन यह केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। इसे चुनावी राजनीति के उपकरण के तौर पर नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसलिए हमने सभी के लिए इस बारे में सावधानी बरतने की बात कही है।

Movie: Ruckus in parliament Directed by Rahul Gandhi
Movie: Ruckus in parliament Directed by Rahul Gandhi

लोकसभा में आपातकाल को लेकर हंगामा, जानें अध्यक्ष ओम बिरला ने इमरजेंसी पर क्या-क्या कहा?

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18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज बुधवार को लोकसभा में ध्वनिमत से बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। इस दौरान पीएम मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी परंपरा के अनुसार आसन तक लेकर गए। ओम बिरला ने 18वीं लोकसभा के अपने पहले संबोधन में आपातकाल को याद किया।लोकसभा अध्यक्ष का अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की कड़े शब्दों में निंदा की और कांग्रेस पर जमकर बरसे. साथ ही साथ सदन में दो मिनट का मौन रखा गया। इस बीच विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।हंगामे को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी। 

आज लोकसभा में आपातकाल पर पेश किए गए प्रस्ताव पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'ये सदन 1975 में देश में आपातकाल(इमरजेंसी) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था। भारत की पहचान पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर है। भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का संवर्धन हुआ, हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा की गई, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई। ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी थीं और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। इमरजेंसी का वो समय हमारे देश के इतिहास में एक अन्याय काल था, एक काला कालखंड था। आपातकाल लगाने के बाद उस समय की कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय किए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावना को कुचलने का काम किया।

स्पीकर के आपातकाल पर दिए संबोधन और कल गुजरी आपातकाल की बरसीं पर मौन रखा गया। इस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी।

“कुछ लोगों की आदत हुड़दंग करने की” बजट सत्र से पहले हंगामा करने वाले सांसदों पर पीएम मोदी का तंज

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आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू हो जाएगा।संसद सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी को 2024 की राम-राम।इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव के पहले अंतरिम बजटस पेश करने की परंपरा रही है। इसलिए हम भी परंपरा का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि नई सरकार बनने के बाद पूर्ण बजट भी हम ही लेकर आएंगे।

अंतरिम बजट नारी शक्ति के हस्ताक्षर का पर्व होगा-पीएम मोदी

संसद के बजट सत्र से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित किया है। पीएम मोदी ने कहा है कि अंतरिम बजट नारी शक्ति के हस्ताक्षर का पर्व होने वाला है। सदन ने गरिमापूर्ण फैसले किए हैं। उन्होंने कहा कि आज जब बजट सत्र शुरू होगा तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मार्गदर्शन और कल जब निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी - एक प्रकार से ये नारी शक्ति का उत्सव है।

सांसद आत्मनिरीक्षण करें-पीएम मोदी

संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया।मैं आशा करता हूं कि गत 10 वर्ष में जिसको जो रास्ता सुझा उस प्रकार से संसद में सब ने अपना अपना कार्य किया। जिनको आदतन हुड़दंग करने का स्वभाव बन गया है। जो आदतन लोकतांत्रिक मूल्यों का चीरहरण करते हैं, ऐसे सभी सांसद आत्मनिरीक्षण करें कि 10 साल में उन्होंने जो किया।पीएम मोदी ने कहा है कि हुड़दंग करने वाले सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में भी 100 लोगों से पूछ लें किसी को याद नहीं होगा। किसी को नाम भी पता नहीं होगा...लेकिन जिसने सदन में उत्तम विचारों से संसद को लाभान्वित किया होगा, उन्हें एक बहुत बड़ा वर्ग आज भी याद करता होगा, इसकी सराहना करते होंगे।

कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट लीक होते ही सियासत गरमाई, जानें पूरा मामला

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कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर बवाल मचा हुआ है। जनगणना के आंकड़े लीक होने के बाद कई समुदाय नाराज हैं। खासकर, ताकतवर माने जाने वाले समुदायों में गुस्सा है। इस जनगणना के संभावित आंकड़ों के लीक होने के बाद प्रदेश के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायतों में खलबली मची हुई है। इस वजह से कांग्रेस में भी फूट पड़ गई है। कई नेता इस जनगणना को 'अवैज्ञानिक' बता रहे हैं। वे सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

कर्नाटक में जातिगत सर्वे की लीक रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) का आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है। लीक हुई जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों अनुसार, मुसलमानों को राज्य की सबसे बड़ी आबादी वाला समूह बताया गया है। इसमें मुसलमानों की आबादी 75.2 लाख है। यानी, राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 12.6% है। यह आंकड़ा 2015 में हुए सर्वे का है। इसके बाद अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) का नंबर आता है। इसमें SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण शामिल है। वोक्कालिगा और लिंगायत जैसी पारंपरिक रूप से प्रभावशाली मानी जाने वाली जातियां जनसंख्या के लिहाज से अब पीछे दिखाई गई हैं। कैटेगरी III(A) में वोक्कालिगा और दो अन्य समुदाय शामिल हैं, जिनकी आबादी 73 लाख बताई गई है और उन्हें 7% आरक्षण दिया गया है। वहीं, कैटेगरी III(B) में लिंगायत समुदाय और पांच दूसरे समुदायों को जगह दी गई है, जिनकी जनसंख्या 81.3 लाख है और उन्हें 8% आरक्षण दिया गया है। यह वही जातियां हैं, जिनके समर्थन पर दशकों से कर्नाटक की राजनीति का संतुलन टिका रहा है। ऐसे में इन आंकड़ों ने सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर दरार की आशंकाएं बढ़ा दी हैं।

कांग्रेस में नया कलह

लिंगायत का नेतृत्व कर रहे उद्योग और वाणिज्य मंत्री एमबी पाटिल ने लीक हुए आंकड़ों पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा करते हुए कि उनकी जनसंख्या अभी भी बहुत अधिक है। पाटिल ने तर्क दिया कि लिंगायतों के कई उप-जातियों ने आरक्षण के लाभ के लिए अपनी मूल जाति का उल्लेख किया है, न कि जनगणना में लिंगायत धर्म का। हालांकि वे लिंगायत धर्म का पालन करते हैं। वोक्कालिगा भी इसी तरह के दावे करते हैं उन्होंने आकड़ों को अवैज्ञानिक बताते हुए खारिज कर दिया।

डीके शिवकुमार के लिए ये रिपोर्ट क्यों सिरदर्द?

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राहुल गांधी जैसे नेता इस रिपोर्ट को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम मान सकते हैं। लेकिन डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, जो स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, उनके लिए यह रिपोर्ट एक सियासी सिरदर्द बन गई है। शिवकुमार जैसे नेताओं की राजनीतिक शक्ति काफी हद तक उनकी जातिगत जनसंख्या के आधार पर तय होती रही है। अगर अब यह आधार ही कमजोर पड़ता दिखे, तो उनका राजनीतिक कद भी खतरे में पड़ सकता है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर बवाल, नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस विधायक आपस में भिड़े

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन नए वक्फ कानून पर हंगामा हुआ। इस दौरान नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच नोकझोंक हुई। नेकां और पीडीपी विधायकों के बीच भी बहस हुई। नेकां के विधायक वक्फ कानून पर विधानसभा में बहस की मांग पर अड़ गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के विधायकों ने सदन में बिल पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी की।

यह लगातार दूसरा दिन था जब वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से कानून का विरोध करते हुए एक नया प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया गया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा द्वारा मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए एक नए प्रस्ताव दिया गया।

पीडीपी विधायक को सदन से बाहर निकाला

वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद विधानसभा को दूसरे दिन फिर से स्थगित करना पड़ा और एक पीडीपी सदस्य वहीद पारा को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया। मंगलवार की सुबह जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो पारा वक्फ अधिनियम के खिलाफ अपने प्रस्ताव की प्रति लेकर आसन के समीप आ गए और अध्यक्ष से बहस करने लगे तथा केंद्र सरकार को संदेश देने के लिए इसे पारित करने की मांग करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष जब पारा को अपनी सीट पर लौटने के लिए कह रहे थे, तभी नेकां विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की। इसी दौरान अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वहीद पारा को सदन से बाहर ले जाएं। हालांकि पारा को बाहर निकाले जाने के बाद भी हंगामा जारी रहा। कई नेशनल कॉन्फ्रेंस और निर्दलीय विधायक आसान के समीप पहुंचकर वक्फ संशोधन कानून पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। इस दौरान सज्जाद लोन और नेकां के सलमान सागर के बीच तीखी बहस भी हुई।

सीएम अब्दुल्ला के रिजिजू से मिलने

बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाने की अपनी योजना दोहराई थी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन सहित घाटी के प्रमुख नेताओं ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। लोन ने अधिनियम पर खुली चर्चा की जरूरत पर जोर दिया और विधेयक पारित होने के तुरंत बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए सीएम अब्दुल्ला की आलोचना की। लोन का कहना था कि उनसे मिलने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे बहुत गलत संदेश जाता है।

कल बिल की कॉपी फाड़ी गई थी

वहीं, सोमवार को वक्फ कानून पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। भाजपा ने इसका विरोध किया। इससे मामला गरमा गया। दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोंक हुई। इस दौरान एनसी के विधायक ने सदन में वक्फ कानून की कॉपी फाड़ दी। एक एनसी विधायक ने अपनी जैकेट फाड़कर सदन में लहराई। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। एनसी समेत अन्य दलों ने वक्फ कानून के खिलाफ रेजोल्यूशन लाने की बात कही थी।

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

ब्रिटेन में कंगना की 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग पर बवाल, खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म

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कंगना रनाउत की 'इमरजेंसी' को जहां पंजाब में बैन कर दिया गया है, वहीं इंग्लैंड में भी विरोध चल रहा है। ब्रिटेन में कंगना रनाउत की फिल्म "इमरजेंसी" के विरोध में खालिस्तानियों ने सिनेमा घरों में तांडव मचा दिया है। लंदन में कई जगह ‘इमरजेंसी’ दिखाई जा रही थी। इस दौरान कुछ लोगों ने फिल्म देख रहे दर्शकों को डराया और धमकी दी। मामले को लेकर विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन के गृह सचिव से दखल देने की मांग की है।

बॉब ब्लैकमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (ब्रिटिश संसद के निचले सदन) को बताया कि “अत्यंत विवादास्पद” फिल्म के प्रदर्शन को वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम, स्लो, स्टेन्स और मैनचेस्टर में भी इसी प्रकार बाधित किया गया। इसके परिणामस्वरूप ‘व्यू और सिनेवर्ल्ड’ ने ब्रिटेन में अपने कई सिनेमाघरों से फिल्म को हटाने का निर्णय लिया है। व्यू और सिनेवर्ल्ड ब्रिटेन में कई सिनेमाघरों का संचालन करते हैं। ब्लैकमैन ने संसद को बताया, “रविवार को मेरे कई मतदाताओं ने हैरो व्यू सिनेमा में ‘इमरजेंसी’ फिल्म देखने के लिए टिकट लिये थे। फिल्म के प्रदर्शन के लगभग 30 या 40 मिनट बाद, नकाबपोश खालिस्तानी आतंकवादी घुस आए, दर्शकों को धमकाया और फिल्म को जबरन बंद करवा दिया।”

एसजीपीसी ने पंजाब में फिल्म के बैन के लिए सीएम को लिखा पत्र

वहीं, कंगना ने कहा कि उनका देश के प्रति प्यार उनकी इस फिल्म 'इमरजेंसी' से प्रदर्शित होता है। एक्ट्रेस ने वीडियो में कहा कि पंजाब के अलावा यूके और कनाडा में भी ऐसे ही हमले हुए हैं और यह आग कुछ छोटे-मोटे लोगों ने लगाई है। उधर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक लेटर लिखा। उन्होंने लेटर में 'इमरजेंसी' पर पंजाब में बैन लगाने की मांग की थी।

कंगना ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया

बता दें कि 17 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' को भारत के पंजाब में भी विरोध का सामना करना पड़ा था। देश में लागू इमरजेंसी (1975-77) पर बनी फिल्म में निर्देशन भी कंगना रनौत ने किया है। उन्होंने इस फिल्म में इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। पंजाब में फिल्म को लेकर हुए विरोध को लेकर कंगना रनौत का हाल ही में बयान सामने आया था। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर अभिनेत्री ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया था।

अभिनेत्री ने लिखा था, “यह कला और कलाकारों का उत्पीड़न है, पंजाब के कई शहरों से रिपोर्ट आ रही है कि ये लोग ‘इमरजेंसी’ को प्रदर्शित नहीं होने दे रहे हैं। मैं सभी धर्मों का बहुत सम्मान करती हूं और चंडीगढ़ में पढ़ने और पले-बढ़े होने के कारण मैंने सिख धर्म को बहुत करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह पूरी तरह से झूठ है और मेरी छवि को खराब करने और मेरी फिल्म को नुकसान पहुंचाने के लिए दुष्प्रचार है।"

दिल्ली में सीएम आवास को लेकर बवाल, मुख्यमंत्री आवास देखने पहुंचे सौरभ-संजय को पुलिस ने रोका

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दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक है। इस बीच आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले शीशमहल बनाम राजमहल की राजनीति तेज हो गई है। इस बीच आप नेता संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज सीएम आवास देखने पहुंचे। पुलिस ने 6 फ्लैग स्टाफ रोड के पास बेरिकेड्स लगा रखे हैं। पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक लिया। साथ ही आप नेताओं की पुलिस से बहस हुई। इसी के बाद दोनों नेता सीएम आवास के बाहर ही धरने पर बैठ गए थे, लेकिन फिर दोनों वापस चले गए।

बुधवार को आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, मंत्री सौरभ भारद्वाज और अन्य नेता मीडिया के साथ सीएम हाउस पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। आवास के बाहर बैरिकेडिंग की गई थी, जिसे पार करने की कोशिश पर पुलिस और आप नेताओं के बीच नोकझोंक हुई। आप नेताओं का आरोप है कि बीजेपी सीएम हाउस में लग्जरी सुविधाओं का दावा कर रही है, जिसे दिखाने की मांग पर उन्हें रोका जा रहा है। पुलिस ने ऊपर से आदेश का हवाला देते हुए किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।

आप नेता संजय सिंह ने कहा, कल मैंने चुनौती दी थी बीजेपी जिस आवास के बारे में झूठा प्रचार कर रही है कि सोने की टॉयलेट, मिनी बार और स्विमिंग पूल बना हुआ है। हम खोजेंगे कहां ये सारी चीजें। पूरे देश को पता चलना चाहिए। दूसरा, देश के पीएम जिन्होंने बड़े बड़े फैशन डिजाइनर को फेल कर दिया है उनका राजमहल भी देखने चलेंगे। उनके 6700 जोड़ी जूते देखने चलेंगे, 200 करोड़ का झूमर देखने चलेंगे, सोने के धागे से जो 300 करोड़ की कालीन बनाई गई है उसे भी देखने जाएंगे। 10-10 लाख का पेन भी देखने चलेंगे। राजा राजमहल में रहने वाले मोदी जी 8400 करोड़ के जहाज से चलते है, 2700 करोड़ के घर में रहते हैं। मुझे लगता है कि आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। पूरे देश के सामने सच्चाई आयेगी।

दरअसल, बीजेपी लगातार आम आदमी पार्टी पर दिल्ली के सीएम हाउस को लेकर कई आरोप लगाती रही है। इसी को लेकर उन आरोपों का खुलासा करने और सीएम हाउस में सोने का टॉयलेट, बार और स्विमिंग पूल ढूंढने के लिए आज आप पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज और संजय सिंह सीएम हाउस पहुंचे थे।

बता दें कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास को लेकर बीजेपी लगातार आरोप लगाती रही है। हाल ही में बीजेपी ने सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले पर हुए खर्च को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेस में सीएजी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि पीडब्ल्यूडी की ओर से 17 मार्च 2020 को एक प्रपोजल दिया था कि सीएम हाउस को रीमॉडलिंग करना होगा।

इसका मतलब केवल रिनोवेशन नहीं है, इसका मतलब था कि बिल्डिंग को गिराकर उस पर एक नया फ्लोर तैयार करना है। एक दिन के अदंर ही इस प्रपोजल को मान लिया गया. प्रपोजल में सीएम हाउस की एस्टीमेट कॉस्ट 7 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी। इसके बाद जो टेंडर निकाला गया तो वो 8 करोड़ 62 लाख रुपए का निकाला गया था। साथ ही संबित पात्रा ने कहा कि सीएम हाउस के लिए फाइनल पेमेंट 33 करोड़ 66 लाख रुपए दिया गया। कहां 7 करोड़ का एस्टीमेट और कहां 33 करोड़ रुपए दिए गए।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

आरएसएस ने जाति जनगणना के समर्थन का दिया संकेत, कांग्रेस ने संघ के बयान पर उठा दिया सवाल

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को जाति आधारित जनगणना को समर्थन देने के संकेत दिए हैं।संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि यह संवदेनशील मामला है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल पिछड़ रहे समुदाय और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए। संघ की ओर से दिए गए इस बयान के बाद एक बार फिर विवाद बढ़ता दिख रहा है। आरएसएस के बयान के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है। 

कांग्रेस ने संघ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पहले तो कहा कि जाति जनगणना की इजाजत देने वाला आरएसएस कौन हाता है। इसके बाद कहा कि अगर संघ की तरफ हरी झंडी मिल गई है तो क्या पीएम नरेन्द्र मोदी कांग्रेस की एक और गारंटी को हाइजैक करके जाति जनगणना करवाएंगे? कांग्रेस ने कुल मिलाकर पांच सवाल किए।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं। इन सवालों के जरिए संघ को भी निशाने पर लिया है। जयराम ने पूछा, “जाति जनगणना को लेकर आरएसएस की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं। क्या आरएसएस के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है? जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? आरएसएस का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या यह जज या अंपायर बनना है?

जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘अब जब RSS ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?’ 

दरअसल, संघ ने कहा है कि जाति जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। केरल के पलक्कड़ में संघ के तीन दिवसीय अखिल भारतीय स्वयंसेवक बैठक के अंतिम दिन आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस कांफ्रेन्स की।आंबेकर ने कहा, हिंदू समाज में जाति और जातीय संबंध एक संवेदनशील मुद्दा है। ये हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे बहुत गंभीरता से निपटाना चाहिए न कि केवल चुनाव या राजनीति के लिए।

उन्होंने कहा, आरएसएस को लगता है कि सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए विशेष रूप से जो जाति पिछड़ रही है, उन पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है और इसके लिए अगर सरकार को कभी आँकड़ों की ज़रूरत है, तो यह एक स्थापित परंपरा है।इससे पहले भी सरकार ने इस तरह के काम किए हैं। इसलिए वो आगे भी कर सकती है। लेकिन यह केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। इसे चुनावी राजनीति के उपकरण के तौर पर नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसलिए हमने सभी के लिए इस बारे में सावधानी बरतने की बात कही है।

Movie: Ruckus in parliament Directed by Rahul Gandhi
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लोकसभा में आपातकाल को लेकर हंगामा, जानें अध्यक्ष ओम बिरला ने इमरजेंसी पर क्या-क्या कहा?

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18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज बुधवार को लोकसभा में ध्वनिमत से बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। इस दौरान पीएम मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी परंपरा के अनुसार आसन तक लेकर गए। ओम बिरला ने 18वीं लोकसभा के अपने पहले संबोधन में आपातकाल को याद किया।लोकसभा अध्यक्ष का अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की कड़े शब्दों में निंदा की और कांग्रेस पर जमकर बरसे. साथ ही साथ सदन में दो मिनट का मौन रखा गया। इस बीच विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।हंगामे को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी। 

आज लोकसभा में आपातकाल पर पेश किए गए प्रस्ताव पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'ये सदन 1975 में देश में आपातकाल(इमरजेंसी) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था। भारत की पहचान पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर है। भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का संवर्धन हुआ, हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा की गई, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई। ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी थीं और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। इमरजेंसी का वो समय हमारे देश के इतिहास में एक अन्याय काल था, एक काला कालखंड था। आपातकाल लगाने के बाद उस समय की कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय किए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावना को कुचलने का काम किया।

स्पीकर के आपातकाल पर दिए संबोधन और कल गुजरी आपातकाल की बरसीं पर मौन रखा गया। इस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी।

“कुछ लोगों की आदत हुड़दंग करने की” बजट सत्र से पहले हंगामा करने वाले सांसदों पर पीएम मोदी का तंज

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आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू हो जाएगा।संसद सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी को 2024 की राम-राम।इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव के पहले अंतरिम बजटस पेश करने की परंपरा रही है। इसलिए हम भी परंपरा का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि नई सरकार बनने के बाद पूर्ण बजट भी हम ही लेकर आएंगे।

अंतरिम बजट नारी शक्ति के हस्ताक्षर का पर्व होगा-पीएम मोदी

संसद के बजट सत्र से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित किया है। पीएम मोदी ने कहा है कि अंतरिम बजट नारी शक्ति के हस्ताक्षर का पर्व होने वाला है। सदन ने गरिमापूर्ण फैसले किए हैं। उन्होंने कहा कि आज जब बजट सत्र शुरू होगा तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मार्गदर्शन और कल जब निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी - एक प्रकार से ये नारी शक्ति का उत्सव है।

सांसद आत्मनिरीक्षण करें-पीएम मोदी

संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया।मैं आशा करता हूं कि गत 10 वर्ष में जिसको जो रास्ता सुझा उस प्रकार से संसद में सब ने अपना अपना कार्य किया। जिनको आदतन हुड़दंग करने का स्वभाव बन गया है। जो आदतन लोकतांत्रिक मूल्यों का चीरहरण करते हैं, ऐसे सभी सांसद आत्मनिरीक्षण करें कि 10 साल में उन्होंने जो किया।पीएम मोदी ने कहा है कि हुड़दंग करने वाले सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में भी 100 लोगों से पूछ लें किसी को याद नहीं होगा। किसी को नाम भी पता नहीं होगा...लेकिन जिसने सदन में उत्तम विचारों से संसद को लाभान्वित किया होगा, उन्हें एक बहुत बड़ा वर्ग आज भी याद करता होगा, इसकी सराहना करते होंगे।