अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे...,महाराष्ट्र में मतदान से पहले फडणवीस का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से दो गठबंधन के बीच की 'जंग' में तब्दील हो चुका है। एक तरफ जहां महायुति गठबंधन है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी। चुनाव हैं तो इस दौरान चुनावी प्रचार में तमाम तरीके की बायनबाजी भी हो रही है। बीते दिनों ऐसी ही एक बयानबाजी को लेकर अब महायुति गठबंधन के दो बड़े देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। योगी के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे ने बीच चुनाव में महाराष्ट्र एनडीए में दरार डाल दी है। इस नारे को लेकर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं।

हाल ही में अजित पवार ने कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बटेंगे तो कटेंगे के नारे का समर्थन किया है। साथ ही फडणवीस ने इस नारे को लेकर अजीत पवार पर तीखा हमला किया है।

फडणवीस ने न्यू एजेंसी एएनआई से बातचीत में बंटेंगे तो कटेंगे नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है।

फडणवीस ने अजीत पवार को लेकर क्या कहा?

वहीं, महायुति की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के नारे का विरोध किया है और कहा है कि ऐसे नारों के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है। इस पर फडणवीस से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'अजित पवार कई दशकों तक ऐसी पार्टियों के साथ रहे हैं, जो खुद को कथित सेक्युलर बताती हैं। वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जो हिंदुत्व का विरोध करते हैं, इसलिए उन्हें लोगों की भावनाएं समझने में थोड़ा समय लगेगा।

बटेंगे तो कटेंगे पर अजित ने क्या कहा था?

इससे पहले बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा था कि यह सबका साथ, सबका विकास नहीं है। अजित ने कहा कि एक तरफ आप सबका साथ और सबका विकास की बात करते हो और दूसरी तरफ बटेंगे तो कटेंगे की बात करते हो। यह कैसे चलेगा? जूनियर पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी जैसा नहीं है। यहां लोग काफी समझदार हैं, इसलिए इन नारों का कोई मतलब नहीं है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की “राह”, महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक, हो रही संविधान की चर्चा

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इस साल मई में हुए हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया था। बीजेपी इसको लेकर आत्मविश्वास से लबरेज थी। हालांकि, उसे मुंह की खानी पड़ी। भाजपा ने सर्वाधिक 240 सीटें हासिल की, लेकिन 400 पार का सपना चकनाचूर हो गया था। जबकि सालों से कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं।इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी विजेता साबित हुई। कांग्रेस पार्टी को 47 सीटों का शुद्ध लाभ हुआ। उसने 2019 में कुल 52 सीटें जीतीं थीं जो अब बढ़कर 99 हो गईं। माना जाता है कि कांग्रेस को संविधान का मुद्दा उठाया फायदेमंद साबित हुआ था।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान ये नैरिटिव जोर शोर से खड़ा किया था कि बीजेपी लोक सभा में 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है कि वो संविधान में संशोधन कर आरक्षण खत्म कर सके। कांग्रेस का ये नैरेटिव का भी कर गया। खासकर उत्तर प्रदेश में तो इसका सबसे ज्यादा असर देखा गया। उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग ने बीजेपी का साथ तकरीबन छोड़ ही दिया। नतीजा राहुल और समाजवादी पार्टी के हक में रहा। बीजेपी को राज्य में 29 सीटों का नुकसान हुआ। उस वक्त राहुल गांधी लगातार लाल रंग की संविधान की किताब अपने साथ लिए वोटरों के बीच घूमते रहे। उस वक्त उनका नारा था संविधान को बचाना है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की राह

बीजेपी ने लोकसभा चुनावों से गंभीर सबक लिया। बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को उस मुद्दे को ही “हथिया” लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी रैलियों में अब बीजेपी, कांग्रेस पर संविधान को खत्म करने का आरोप लगा रही है। पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, 'कांग्रेस बाबा साहब के संविधान को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है। बीजेपी को मालूम है कि महाराष्ट्र को बाबा साहेब के अपमान की बात बहुत प्रभावित करती है।

संविधान के नाम पर लाल किताब बांटने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'कांग्रेस ने फर्जीवाड़े में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कांग्रेस के लोग संविधान के नाम पर अपनी एक अलग लाल किताब बंटवा रहे हैं। कांग्रेस की लाल किताब पर ऊपर तो लिखा है- भारत का संविधान! लेकिन लोगों ने जब भीतर से खोला तो पता चला कि लाल किताब कोरी है।'

उन्होंने आगे कहा, 'संविधान के नाम पर लाल किताब छपवाना, उसमें से संविधान के शब्दों को हटाना। ये संविधान को खत्म करने की कांग्रेस की पुरानी सोच का नमूना है। ये कांग्रेस वाले देश में बाबा साहब का नहीं बल्कि अपना अलग ही संविधान चलाना चाहते हैं। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है।'

संविधान से खिलवाड़ करने का आरोप

पीएम मोदी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के छतरपुर की चुनावी सभा अपने भाषण का फोकस इसी पर रखा। उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि राहुल गांधी संविधान की नकली किताब बांट कर बाबा साहेब का अपमान कर रहे हैं। शाह ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण और संविधान की बात कर रही है लेकिन संविधान से वही सबसे ज्यादा खिलवाड़ करती है। शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलेमाओं के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों- पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है।

यहां से मिली को मिला मुद्दा

यही नहीं, इस बार राहुल के विरोध में कुछ वीडियो भी बीजेपी के सोशल हैंडलों से शेयर हुए। ये वीडियो महाराष्ट्र का ही बताया गया। नागपुर में राहुल गांधी ने संविधान सम्मेलन का आयोजन किया था और वहां संविधान की प्रतियां बांटी गई थी। राहुल गांधी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की ओर से रचित संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। उन्होंने जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण और संविधान की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। इस दौरान एक लाल रंग की किताब बांटी गई, जिस पर संविधान लिखा था, लेकिन वह अंदर से खाली थी। इसके बाद से ही बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है।

महाराष्ट्र चुनाव से पहले अजित पवार ने बदली “पटरी”, बीजेपी और शिवसेना पर कितना होगा असर?
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महाराष्ट्र चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुति की दो प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना हिंदुत्व की पिच पर खुलकर बैटिंग कर रही हैं। महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव इस बार पहला ऐसा चुनाव है जिस चुनाव में बीजेपी और उसके फायरब्रैंड ने खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं। इसकी शुरुआत योगी आदित्यनाथ की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया। बीजेपी के साथ ही शिवसेना ने भी इस नारे का समर्थन किया है। वहीं महायुति के ही एक घटक अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में खुलकर उतर आई है। अजित पवार ने साफ कह दिया है कि इसका समर्थन नहीं करता हूं। ये यूपी या झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता।

योगी ने यूपी में दिए अपने नारे को महाराष्ट्र में भी आजमाया जिसके बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया। बयान को लेकर इस कदर सियासत हुई कि महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने अपना गियर बदल दिया। अजीत पवार ने यहां तक कहा डाला कि मैं शिवाजी से प्रेरणा लेकर बार-बार कहता हूं कि जब-जब बंटेंगे, तब-तब कटेंगे। अगर एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे।

यही नहीं, अजित पवार ने साफ कर दिया है कि जहां जहां महायुति की ओर से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस प्रकार के हिंदुत्व वाले विचारों के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास पर चलते हैं।

सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी को इससे क्या दिक्कत हो रही है? माना जा रहा है कि अजित पवार को अपने वोटबैंक और उम्मीदवारों की चिंता है इसलिए उन्होंने सीएम योगी के नारे से खुद को किनारा कर लिया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने इसलिए सीएम योगी के बयान का समर्थन नहीं किया क्योंकि इससे मुस्लिम वोटरों के खिसकने का डर है। इसके साथ-साथ एनसीपी अजित पवार गुट ने नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है जो मुस्लिम समुदाय से हैं। ऐसे में अगर अजित पवार योगी के नारे का समर्थन करते हैं तो पार्टी में भी मतभेद की भी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए अजित पवार को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलेगा।

वहीं, अजित के स्टैंड के बाद कयास महायुति में दरार के भी लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि अजित पवार ने इन बातों से चुनाव बाद बदलते समीकरण की ओर इशारा किया है।जानकारों का मानना है कि चुनाव बाद परिणामों पर नजर के बाद अजित पवार आगे की रणनीति पर काम कर सकते हैं। यह अलग बात है कि इस बार उनके चाचा शरद पवार किसी भी हालत में उनकी वापसी को मंजूर करने के मूड में दिख नहीं रहे हैं।
370 का मुद्दा महाराष्ट्र-झारखंड के चुनाव को कितना करेगा प्रभावित? एनसी का प्रस्ताव बनेगी कांग्रेस की परेशानी

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एक बार फिर अनुच्छेद 370 का मुद्दा गर्मा गया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अंदर हाल ही में उमर अब्दुल्ला की सरकार ने धारा 370 बहाल करने से जुड़ा एक प्रस्ताव पास करवा लिया है। जिसको लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पिछले दिनों जमकर हंगामा हुआ। हालांकि, अब ये मुद्दा जम्मू-कश्मीर से आगे बढ़कर महाराष्ट्र और झारखंड तक पहुंच गया है। दरअसल, महाराष्ट्र और झारखंड में इसी महीने विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी ने इस मुद्दे को लपक लिया है। भाजपा के दिग्गज नेताओं ने चुनावी प्रचार के दौरान इस मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है। अपनी चुनावी रैलियों में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा से विशेष दर्जे की बहाली के प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर निशाना साध रहे हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धारा 370 की वापसी के प्रस्ताव को मुद्दे को उठाया और उसे कांग्रेस की साजिश करार दिया। प्रधानमंत्री ने चुनावी रैली में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता को जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की साजिशों को समझना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि देश की जनता कभी भी अनुच्छेद 370 पर इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा। जब तक मोदी है, कांग्रेस कश्मीर में कुछ नहीं कर पाएगी। जम्मू-कश्मीर में केवल भीम राव अंबेडकर का संविधान चलेगा, कोई भी ताकत 370 को फिर से वापस नहीं ला सकती है।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी महाराष्ट्र के सांगली और कराड की रैली में 370 के बहाने कांग्रेस को घेरा। उन्होंने भी चुनौती दी कि चाहे कुछ भी हो जाए जम्मू-कश्मीर में 370 वापस नहीं हो सकता। अमित शाह ने कहा कि न तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी और न ही उनकी आने वाली पीढ़ियां जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस ला पाएंगी।

कुल मिलाकर कहें तो 370 के मुद्दे पर बीजेपी पूरी तरह से आक्रामक है। 370 पर विधानसभा के प्रस्ताव के ज़रिए वो महाराष्ट्र और यूपी में INDIA गठबंधन को घेर रही है। ऐसे में सवाल ये कि क्या जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव पास करके उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को फंसा दिया है? क्या ग़लत समय पर ये प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया? इससे भी अहम सवाल क्या 370 का मुद्दा बीजेपी को चुनाव में फायदा पहुंचाएगा और कांग्रेस को नुकसान?

बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति का प्रदर्शन बहुत आशाजनक नहीं रहा था, ऐसे में बीजेपी और महायुति की पार्टियां फिर से महाराष्ट्र में सत्ता में वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। इसी तरह से झारखंड में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्ता में बीजेपी उसे सत्ता से हाटने के लिए उस पर लगातार हमला बोल रही है। दोनों ही राज्यों में मुकाबला सीधे-सीधे बीजेपी बनाम कांग्रेस का है। एक राज्य में अगर महा विकास अघाड़ी है तो दूसरे में जेएमएम गठबंधन चुनौती दे रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी के लिए स्थानीय मुद्दों के साथ राष्ट्रवाद का मुद्दा भी जरूरी रहने वाला है।

बीजेपी के लिए तो जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भी भावनाओं वाला ही रहा है, उसकी विचारधारा एक देश एक विधान और एक निशान वाली रही है। समाज का एक बड़ा वर्ग भी इसी सिद्धांत से सहमत नजर आता है। ये बात कांग्रेस भी बखूबी जानती है। शायद यही वजह है कि इस प्रस्ताव के बाद कांग्रेस का ना कोई स्टैंड देखने को मिला, ना कोई स्पष्ट बयान आया है।

उसे इस बात का भी अहसास है कि 370 का मुद्दा सिर्फ राष्ट्रवाद का ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। अगर बीजेपी को मौका लगा वो तुरंत कांग्रेस को देश विरोधी बता देगी जिसका सीधा नुकसान महाराष्ट्र और झारखंड में उठाना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस ने ना अभी 370 पर कुछ बोलेगी और शायद आगे भी ऐसी ही सियासी चुप्पी साधे रखेगी।

बीजेपी के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए का घोषणा-पत्र, जानें पिटारे में क्या-क्या?

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इससे पहले बीजेपी का घोषणा पत्र अमित शाह ने जारी किया था। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं, किसानों पर फोकस किया है। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। वहीं 25 लाख के फ्री हेल्थ बीमा का ऐलान भी किया गया है। इसके साथ ही बेरोजगारों को 4 हजार रुपये महीना भत्ता देने का वादा किया गया है।

पांच गारंटी देने का वादा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास अघाड़ी का घोषणा पत्र ‘महाराष्ट्रनामा’ जारी किया। इस घोषणा को महाविकास आघाड़ी की 5 गारंटियों के इर्द गिर्द रखा गया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 'महाराष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए हमारे पास पांच स्तंभ हैं, जो कृषि और ग्रामीण विकास, उद्योग और रोजगार, शहरी विकास, पर्यावरण और लोक कल्याण पर आधारित हैं।

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन ने पांच गारंटी देने का वादा किया है। इसके मुताबिक पहली गारंटी में महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने तीन हजार रुपये और सभी महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा का वादा शामिल है। दूसरी गारंटी समानता की है। इसके तहत जातीय जनगणना कराई जाएगी और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को भी हटाया जाएगा। तीसरी गारंटी के तहत कुटुंब रक्षा योजना है, जिसमें 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाएं देने का वादा है। कृषि समृद्धि योजना के तहत किसानों को तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ, समय पर कर्ज चुकाने पर पचास हजार की प्रोत्साहन राशि देने का भी वादा किया गया है। वहीं युवाओं को वचन में बेरोजगारों को हर महीने चार हजार रुपये की मदद देने का वादा किया गया है।

महिलाओं को मुफ्त बस सेवा का वादा

घोषणा पत्र जारी करते हुए खरगे ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ठोस निर्भय नीति बनाएंगे। हम महिलाओं को मुफ्त बस सेवा देंगे। किसानों का तीन लाख तक का कर्ज माफ होगा।

शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता

खरगे ने आगे कहा कि हम महाराष्ट्र में भी जातिगत जनगणना कराएंगे। शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे। बीजेपी की योजनाएं हमारी योजनाओं की नकल है। हम सब सर्विस सेक्टर में 12 से 15% की वृद्धि हासिल करने की कोशिश करेंगे। सरकारी सेवा में कांट्रैक्ट बेस्ड आदेश को हम समाप्त करेंगे। खरगे ने कहा कि न्यू इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनेगी जो रोजगार उन्मुख होगा। ढाई लाख खाली पड़े हुए गवर्नमेंट जॉब को भी भरेंगे। इसके लिए एग्जामिनेशन का प्रक्रिया को शुरू करेंगे।

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी का घोषणा पत्र जारी, किसानों-महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दल जनता को रिझाने के लिए एक से एक दांव चल रहे हैं और एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं।इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस घोषणा पत्र में किसानों, महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस किया गया है।

संकल्प पत्र जारी करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह महाराष्ट्र की आकांक्षाओं का संकल्प पत्र है। इसमें किसानों का सम्मान और गरीबों का कल्याणा है। इसके अंदर महिलाओं का स्वाभिमान है। ये महाराष्ट्र की उम्मीदों का संकल्प पत्र है। ये संकल्प पत्र पत्थर की लकीर जैसा है। अघाड़ी की सारी योजनाएं सत्ता के लिए है।इस दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे।

फडणवीस ने क्या कहा?

वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकल्प पत्र जारी करने के बाद कहा कि AI ट्रेनिंग हब हम बनाएगा, सभी स्कूल और कॉलेज में यह ट्रेनिंग दी जाएगी। हम 25 लाख जॉब का निर्माण करेंगे। सीनियर सिटीजन की पेंशन हम 1500 से 2100 करेंगे। फिन टेका और एयरोनॉटिक पर हमारा जायदा फोकस होगा। ताकि नौजवानों को आगे जायदा मौका मिले।

बीजेपी के घोषणापत्र में जनता के लिए क्या है?

-वृद्धावस्था पेंशन धारकों को 2100 रुपये देने का वादा।

-सरकार बनने के 100 दिन के भीतर विजन महाराष्ट्र 2029 जमा करने का वादा।

– आंगनबाड़ी और आशा सेवकों को 15 हजार रुपये वेतन और बीमा कवर दिया जाएगा।

-25 लाख रोजगार पैदा होंगे।

-10 लाख छात्रों को 10 हजार रुपये प्रति माह ट्यूशन फीस दी जाएगी।

-लड़की बहिन योजना में 2100 रु।

-किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा।

-मूल्य विनिमय योजना लागू की जाएगी – यदि कीमत गारंटी मूल्य से कम है, तो हम गारंटी मूल्य पर खरीदेंगे और किसानों को अंतर का भुगतान किया जाएगा।

-आर्थिक सहायता योजना में 1500 रुपये के बदले 2100 रुपये मिलेंगे।

-आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर करने की योजना।

-सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से गरीबों और मध्यम वर्ग का बिजली बिल कम करेंगे।

-किसानों के लिए मूल्य श्रृंखला बनाना।

-50 लाख लखपति दीदी बनाएंगे।

-साइंस में महाराष्ट्र को नंबर एक बनाने का वादा।

-मेक इन महाराष्ट्र के लिए प्रयास।

-फिनटेक और एआई में करेंगे भारी निवेश।

कब होने हैं चुनाव?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं और सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतगणना 23 नवंबर को होगी। 2019 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 122, शिवसेना को 63 और कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।

महाराष्ट्र चुनाव: महायुति और एमवीए को राहत! मनोज जरांगे नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, सभी सीटों से वापस लेंगे नामांकन

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए आवेदन वापस लेने के आखिरी दिन सोमवार को मनोज जरांगे पाटिल ने बड़ा ऐलान किया है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे मनोज जारांगे पाटिल ने आगमा विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।मनोज जरांगे ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने नामांकन के अंतिम दिन अपने समर्थकों को नामांकन वापस लेने की सलाह दी। साथ ही मनोज जरांगे पाटील ने साफ कर दिया है कि उनका संगठन किसी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेगा।

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे। इससे पहले, जरांगे ने विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों का समर्थन या विरोध करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने अपना फैसला बदल दिया है। अंतरवाली सारथी गांव में बोलते हुए जंरागे ने कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है। मेरा किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल से कोई संबंध या समर्थन नहीं है। जरांगे ने कहा कि ऐसा करने के लिए उनके ऊपर किसी भी दल की तरफ से दबाव नहीं है। जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय खुद फैसला लेगा कि समर्थन करना है।

बता दें कि एक दिन पहले ही उन्होंने 25 में से 15 सीटों पर चुनाव लड़वाने को ऐलान कर दिया था। आज बाकी बची 10 सीटों पर भी आज फैसला होना था। लेकिन आज मनोज जरांगे ने कहा कि सभी भाई अपना नामांकन वापस लेंगे। उन्होंने आज सुबह एक प्रेस वार्ता में बताया कि हम रात में साढ़े 3 बजे तक चर्चा कर रहे थे। हम दलित और मुस्लिमों को मैदान में उतारना चाह रहे थे, एक जाति के दम पर चुनाव लड़ना और जीतना संभव नहीं है। हम नए हैं।

मनोज जारांगे पाटिल ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरक्षण मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी है, उन्होंने बताया कि चुनाव खत्म होने के बाद हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसी एक जाति पर चुनाव लड़ना संभव नहीं है। हम एक जाति से नहीं जीत सकते। जारांगे पाटिल ने बताया कि अकेले कैसे लड़ सकते हैं। जारांगे पाटिल ने कहा कि वह चुनाव से पीछे नहीं हटे हैं लेकिन आप इसे गुरिल्ला रणनीति (जेनेमी कावा) कह सकते हैं।

अब संजय राउत के भाई के बिगड़े बोल, शिंदे गुट की महिला उम्मीदवार को कहा ‘बकरी’

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महाराष्ट्र चुनाव में बदजुबानी जारी है। पहले शिवसेना उद्धव गुट के नेता अरविंद सांवत ने शायना एनसी को “इम्पोर्टेड माल” कहकर संबोधित किया था। अब शिवसेना उद्धव गुट के ही संजय राउत के भाई और उम्मीदवार सुनील राउत ने महिला उम्मीदवार का अपमान किया है। सुनील राउत ने महिला उम्मीदवार को बकरी कहकर संबोधित किया है।

संजय राउत के भाई सुनील राउत का विवादित वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में सुनील राउत बता रहे हैं कि उनके सामने कोई उम्मीदवार ही नहीं है। उन्होंने कहा, वो दस से साल से विधायक है। अब कोई उम्मीदवार नहीं मिला तो एक बकरी को लाकर मेरे सामने खड़ा कर दिया। अब बकरी आई तो बकरे को सर झुकाना ही पड़ेगा।

बता दें कि सुनील राउत विक्रोली विधानसभा से तीसरी बार शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के उम्मीदवार बने हैं। अब उन्हें उम्मीद है वो जीतेंगे ही नहीं बल्कि इस बार मंत्री भी बनेंगे।वहीं, सुनील राउत के सामने शिवसेना शिंदे गुट ने इलाके की पार्षद सुवर्णा करंजे को उम्मीदवार बनाया है। जिन्हें सुनाल राउत ने बकरी कह कर संबोधित कर रहे हैं।

इससे पहले शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सांवत पहले ही शिंदे गुट की उम्मीदवार शायना एनसी को माल कहकर संबोधित कर चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर उद्धव गुट के नेता ने बदजुबानी की है।

महाराष्ट्र में महायुति में टकराव, एनसीपी अजित गुट ने नवाब मलिक को दिया टिकट, बीजेपी बोली-दाऊद से लिंक

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। नामांकन के आखिरी दिन कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। इन सबके बीच नवाब मलिक की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। अजित पवार की एनसीपी ने बीजेपी के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को उम्मीदवार बना दिया। नवाब मलिक ने मुंबई के मानखुर्द के शिवाजीनगर सीट से एनसीपी के टिकट पर पर्चा भरा है। वहीं, पूर्व मंत्री नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा और एनसीपी-अजित गुट में टकराव हो गया है।

मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन नवाब मल‍िक ने पहले मुंबई के शिवाजीनगर-मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय पर्चा भरा लेकिन कुछ ही देर बाद उन्‍हें एनसीपी अज‍ित पवार गुट ने एबी फार्म देकर अपना कैंडिडेट बना दिया। इसके बाद बीजेपी का रुख हमलावर हो गया। मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने बुधवार को कहा- हमारी पार्ट का स्टैंड क्लियर है। हम पहले भी नवाब मलिक की उम्मीदवारी के खिलाफ थे। अब भी उनका समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि उनके दाऊद इब्राहिम से लिंक होने की बात सामने आई थी। यह बात डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही कही है और अब मैं भी यही कह रहा हूं।

मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि नवाब मलिक के लिए प्रचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हमारा मानना है कि महायुति के सभी सहयोगियों को अपने उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार है, लेकिन नवाब मलिक को लेकर भाजपा का रुख साफ है। महायुति की ओर से यह सीट शिवसेना शिंदे गुट को दी गई है और सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने भी पाटिल का समर्थन करते हुए कहा है कि वे मलिक के लिए कैंपेन नहीं करेंगे।

वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को नवाब मलिक को आतंकी करार दिया। बता दें कि यह सीट पहले बीजेपी नेता किरीट सोमैया के पास थी लेकिन इस बार इसी सीट पर शिवसेना शिंदे गुट के सुरेश कृष्णराव पाटिल को महायुति को 'आधिकारिक' उम्मीदवार बनाया गया है। जिसके बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया और कहा कि मानखुर्द शिवाजी नगर सीट के लिए महायुति के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेश कृष्ण पाटिल (बुलेट पाटिल) हैं। किरीट सोमैया ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, हम वोट जिहाद, आतंकवाद का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को हराने के लिए लड़ेंगे।

नवाब म‍ल‍िक के महायुत‍ि का उम्‍मीदवार बन जाने से उद्धव ठाकरे की पार्टी को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया। एनसीपी उद्धव गुट की नेता प्र‍ियंका चतुर्वेदी ने एक्‍स पर ल‍िखा, दाऊद का साथी अब देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार का दोस्‍त होगा. उनकी पार्टी से चुनाव लड़ेगा। पेट्रोट‍िज्‍म का सर्टिफ‍िकेेट बांटने वाले आख‍िर कहा हैं?

प्रियंका ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि हाहाहाहाहा! आशीष शेलार कहते हैं, भाजपा नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं करेगी। पाखंड और झूठ की पार्टी! फुसकी फटाका!

*महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: बारामती सीट पर शरद पवार ने पोते पर खेला दांव, भतीजे अजीत के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
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* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बारामती में चाचा और भतीजे की चुनावी लड़ाई देखने को मिलेगी। इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार का अपने चाचा और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार से भिरंत होगी। भतीजे अजित के बगावत के बाद चाचा शरद पवार ने अपने दूसरे भतीजे के बेटे यानी पोते युगेंद्र पर दांव खेल दिया। युगेंद्र एनसीपी नेता अजित पवार के भाई श्री निवास पवार के बेटे हैं। नामांकन के दौरान शरद पवार ने वरदहस्त पोते के सिर पर रखा बल्कि राजनीति की पहली सीढ़ी पर संकेतों की राजनीति के गुर भी सिखा दिए। *शरद पवार का वोटरों को सीधा संदेश* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान सीनियर पवार यानी शरद पवार ने बारामती के समर्थकों को सीधा संदेश दिया। भतीजे अजित पवार के खिलाफ एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार युगेंद्र के नामांकन के दौरान शरद पवार न सिर्फ तहसील कार्यालय में मौजूद रहे बल्कि अपने पोते को पैतृक गांव अमराई भी ले गए। 1967 में शरद पवार ने भी पहली बार नामांकन करने से पहले अमराई की यात्रा की थी। इसके अलावा वह खुद कुनबे के साथ तहसील कार्यालय पहुंचे, जहां युगेंद्र ने नामांकन की प्रक्रिया पूरी की। युगेंद्र के साथ दादा शरद पवार के अलावा उनके पिता श्रीनिवास पवार, मां शर्मिला पवार और बुआ सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं। इस तरह शरद पवार ने बारामती के वोटरों को सीधा संदेश दिया कि इस चुनाव में पवार फैमिली के कैंडिडेट अजित नहीं, युगेंद्र पवार हैं। *शरद पवार का आशीर्वाद मेरे साथ है- युगेंद्र* वहीं चाचा के साथ चुनावी जंग पर युगेंद्र पवार ने कहा, जब मेरे चाचा (अजित पवार) ने बारामती से चुनाव लड़ा और काम किया, तो पवार साहब का आशीर्वाद उनके साथ था...लेकिन अब आशीर्वाद मेरे साथ है। पवार साहब के पास अधिक अनुभव है, जो मेरे लिए एक प्रोत्साहन और समर्थन है। उन्होंने कहा, मेरे माता-पिता सामाजिक कार्य करते हैं, मैं शैक्षणिक संस्थानों और कुश्ती संघ से जुड़ा हुआ हूं। मेरी फैक्ट्री यहां है और मैं जैविक खेती कर रहा हूं। उन्होंने कहा, यह (शरद) पवार साहब की 99 प्रतिशत सद्भावना है, जबकि मेरा प्रयास केवल एक प्रतिशत है। *छह महीने पवार परिवार के बीच दूसरी लड़ाई* पिछले छह महीनों में पुणे जिले के बारामती में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पवार परिवार के दो सदस्यों के बीच यह दूसरा चुनावी मुकाबला है। मई में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी को 1.58 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराकर बारामती सीट पर जीत हासिल की थी। 1999 में शरद पवार की तरफ से स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जुलाई 2023 में दो हिस्सों में बंट गई, जब उनके भतीजे अजीत पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से हाथ मिला लिया। बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना शरद पवार ने 1999 में की थी। जुलाई 2023 में उनके भतीजे अजित पवार के बगावत करने और एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी दो भागों में बंट गई थी।
अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे...,महाराष्ट्र में मतदान से पहले फडणवीस का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से दो गठबंधन के बीच की 'जंग' में तब्दील हो चुका है। एक तरफ जहां महायुति गठबंधन है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी। चुनाव हैं तो इस दौरान चुनावी प्रचार में तमाम तरीके की बायनबाजी भी हो रही है। बीते दिनों ऐसी ही एक बयानबाजी को लेकर अब महायुति गठबंधन के दो बड़े देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। योगी के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे ने बीच चुनाव में महाराष्ट्र एनडीए में दरार डाल दी है। इस नारे को लेकर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं।

हाल ही में अजित पवार ने कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बटेंगे तो कटेंगे के नारे का समर्थन किया है। साथ ही फडणवीस ने इस नारे को लेकर अजीत पवार पर तीखा हमला किया है।

फडणवीस ने न्यू एजेंसी एएनआई से बातचीत में बंटेंगे तो कटेंगे नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है।

फडणवीस ने अजीत पवार को लेकर क्या कहा?

वहीं, महायुति की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के नारे का विरोध किया है और कहा है कि ऐसे नारों के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है। इस पर फडणवीस से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'अजित पवार कई दशकों तक ऐसी पार्टियों के साथ रहे हैं, जो खुद को कथित सेक्युलर बताती हैं। वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जो हिंदुत्व का विरोध करते हैं, इसलिए उन्हें लोगों की भावनाएं समझने में थोड़ा समय लगेगा।

बटेंगे तो कटेंगे पर अजित ने क्या कहा था?

इससे पहले बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा था कि यह सबका साथ, सबका विकास नहीं है। अजित ने कहा कि एक तरफ आप सबका साथ और सबका विकास की बात करते हो और दूसरी तरफ बटेंगे तो कटेंगे की बात करते हो। यह कैसे चलेगा? जूनियर पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी जैसा नहीं है। यहां लोग काफी समझदार हैं, इसलिए इन नारों का कोई मतलब नहीं है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की “राह”, महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक, हो रही संविधान की चर्चा

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इस साल मई में हुए हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया था। बीजेपी इसको लेकर आत्मविश्वास से लबरेज थी। हालांकि, उसे मुंह की खानी पड़ी। भाजपा ने सर्वाधिक 240 सीटें हासिल की, लेकिन 400 पार का सपना चकनाचूर हो गया था। जबकि सालों से कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं।इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी विजेता साबित हुई। कांग्रेस पार्टी को 47 सीटों का शुद्ध लाभ हुआ। उसने 2019 में कुल 52 सीटें जीतीं थीं जो अब बढ़कर 99 हो गईं। माना जाता है कि कांग्रेस को संविधान का मुद्दा उठाया फायदेमंद साबित हुआ था।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान ये नैरिटिव जोर शोर से खड़ा किया था कि बीजेपी लोक सभा में 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है कि वो संविधान में संशोधन कर आरक्षण खत्म कर सके। कांग्रेस का ये नैरेटिव का भी कर गया। खासकर उत्तर प्रदेश में तो इसका सबसे ज्यादा असर देखा गया। उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग ने बीजेपी का साथ तकरीबन छोड़ ही दिया। नतीजा राहुल और समाजवादी पार्टी के हक में रहा। बीजेपी को राज्य में 29 सीटों का नुकसान हुआ। उस वक्त राहुल गांधी लगातार लाल रंग की संविधान की किताब अपने साथ लिए वोटरों के बीच घूमते रहे। उस वक्त उनका नारा था संविधान को बचाना है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की राह

बीजेपी ने लोकसभा चुनावों से गंभीर सबक लिया। बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को उस मुद्दे को ही “हथिया” लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी रैलियों में अब बीजेपी, कांग्रेस पर संविधान को खत्म करने का आरोप लगा रही है। पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, 'कांग्रेस बाबा साहब के संविधान को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है। बीजेपी को मालूम है कि महाराष्ट्र को बाबा साहेब के अपमान की बात बहुत प्रभावित करती है।

संविधान के नाम पर लाल किताब बांटने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'कांग्रेस ने फर्जीवाड़े में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कांग्रेस के लोग संविधान के नाम पर अपनी एक अलग लाल किताब बंटवा रहे हैं। कांग्रेस की लाल किताब पर ऊपर तो लिखा है- भारत का संविधान! लेकिन लोगों ने जब भीतर से खोला तो पता चला कि लाल किताब कोरी है।'

उन्होंने आगे कहा, 'संविधान के नाम पर लाल किताब छपवाना, उसमें से संविधान के शब्दों को हटाना। ये संविधान को खत्म करने की कांग्रेस की पुरानी सोच का नमूना है। ये कांग्रेस वाले देश में बाबा साहब का नहीं बल्कि अपना अलग ही संविधान चलाना चाहते हैं। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है।'

संविधान से खिलवाड़ करने का आरोप

पीएम मोदी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के छतरपुर की चुनावी सभा अपने भाषण का फोकस इसी पर रखा। उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि राहुल गांधी संविधान की नकली किताब बांट कर बाबा साहेब का अपमान कर रहे हैं। शाह ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण और संविधान की बात कर रही है लेकिन संविधान से वही सबसे ज्यादा खिलवाड़ करती है। शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलेमाओं के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों- पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है।

यहां से मिली को मिला मुद्दा

यही नहीं, इस बार राहुल के विरोध में कुछ वीडियो भी बीजेपी के सोशल हैंडलों से शेयर हुए। ये वीडियो महाराष्ट्र का ही बताया गया। नागपुर में राहुल गांधी ने संविधान सम्मेलन का आयोजन किया था और वहां संविधान की प्रतियां बांटी गई थी। राहुल गांधी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की ओर से रचित संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। उन्होंने जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण और संविधान की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। इस दौरान एक लाल रंग की किताब बांटी गई, जिस पर संविधान लिखा था, लेकिन वह अंदर से खाली थी। इसके बाद से ही बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है।

महाराष्ट्र चुनाव से पहले अजित पवार ने बदली “पटरी”, बीजेपी और शिवसेना पर कितना होगा असर?
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महाराष्ट्र चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुति की दो प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना हिंदुत्व की पिच पर खुलकर बैटिंग कर रही हैं। महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव इस बार पहला ऐसा चुनाव है जिस चुनाव में बीजेपी और उसके फायरब्रैंड ने खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं। इसकी शुरुआत योगी आदित्यनाथ की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया। बीजेपी के साथ ही शिवसेना ने भी इस नारे का समर्थन किया है। वहीं महायुति के ही एक घटक अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में खुलकर उतर आई है। अजित पवार ने साफ कह दिया है कि इसका समर्थन नहीं करता हूं। ये यूपी या झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता।

योगी ने यूपी में दिए अपने नारे को महाराष्ट्र में भी आजमाया जिसके बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया। बयान को लेकर इस कदर सियासत हुई कि महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने अपना गियर बदल दिया। अजीत पवार ने यहां तक कहा डाला कि मैं शिवाजी से प्रेरणा लेकर बार-बार कहता हूं कि जब-जब बंटेंगे, तब-तब कटेंगे। अगर एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे।

यही नहीं, अजित पवार ने साफ कर दिया है कि जहां जहां महायुति की ओर से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस प्रकार के हिंदुत्व वाले विचारों के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास पर चलते हैं।

सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी को इससे क्या दिक्कत हो रही है? माना जा रहा है कि अजित पवार को अपने वोटबैंक और उम्मीदवारों की चिंता है इसलिए उन्होंने सीएम योगी के नारे से खुद को किनारा कर लिया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने इसलिए सीएम योगी के बयान का समर्थन नहीं किया क्योंकि इससे मुस्लिम वोटरों के खिसकने का डर है। इसके साथ-साथ एनसीपी अजित पवार गुट ने नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है जो मुस्लिम समुदाय से हैं। ऐसे में अगर अजित पवार योगी के नारे का समर्थन करते हैं तो पार्टी में भी मतभेद की भी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए अजित पवार को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलेगा।

वहीं, अजित के स्टैंड के बाद कयास महायुति में दरार के भी लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि अजित पवार ने इन बातों से चुनाव बाद बदलते समीकरण की ओर इशारा किया है।जानकारों का मानना है कि चुनाव बाद परिणामों पर नजर के बाद अजित पवार आगे की रणनीति पर काम कर सकते हैं। यह अलग बात है कि इस बार उनके चाचा शरद पवार किसी भी हालत में उनकी वापसी को मंजूर करने के मूड में दिख नहीं रहे हैं।
370 का मुद्दा महाराष्ट्र-झारखंड के चुनाव को कितना करेगा प्रभावित? एनसी का प्रस्ताव बनेगी कांग्रेस की परेशानी

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एक बार फिर अनुच्छेद 370 का मुद्दा गर्मा गया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अंदर हाल ही में उमर अब्दुल्ला की सरकार ने धारा 370 बहाल करने से जुड़ा एक प्रस्ताव पास करवा लिया है। जिसको लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पिछले दिनों जमकर हंगामा हुआ। हालांकि, अब ये मुद्दा जम्मू-कश्मीर से आगे बढ़कर महाराष्ट्र और झारखंड तक पहुंच गया है। दरअसल, महाराष्ट्र और झारखंड में इसी महीने विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी ने इस मुद्दे को लपक लिया है। भाजपा के दिग्गज नेताओं ने चुनावी प्रचार के दौरान इस मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है। अपनी चुनावी रैलियों में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा से विशेष दर्जे की बहाली के प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर निशाना साध रहे हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धारा 370 की वापसी के प्रस्ताव को मुद्दे को उठाया और उसे कांग्रेस की साजिश करार दिया। प्रधानमंत्री ने चुनावी रैली में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता को जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की साजिशों को समझना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि देश की जनता कभी भी अनुच्छेद 370 पर इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा। जब तक मोदी है, कांग्रेस कश्मीर में कुछ नहीं कर पाएगी। जम्मू-कश्मीर में केवल भीम राव अंबेडकर का संविधान चलेगा, कोई भी ताकत 370 को फिर से वापस नहीं ला सकती है।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी महाराष्ट्र के सांगली और कराड की रैली में 370 के बहाने कांग्रेस को घेरा। उन्होंने भी चुनौती दी कि चाहे कुछ भी हो जाए जम्मू-कश्मीर में 370 वापस नहीं हो सकता। अमित शाह ने कहा कि न तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी और न ही उनकी आने वाली पीढ़ियां जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस ला पाएंगी।

कुल मिलाकर कहें तो 370 के मुद्दे पर बीजेपी पूरी तरह से आक्रामक है। 370 पर विधानसभा के प्रस्ताव के ज़रिए वो महाराष्ट्र और यूपी में INDIA गठबंधन को घेर रही है। ऐसे में सवाल ये कि क्या जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव पास करके उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को फंसा दिया है? क्या ग़लत समय पर ये प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया? इससे भी अहम सवाल क्या 370 का मुद्दा बीजेपी को चुनाव में फायदा पहुंचाएगा और कांग्रेस को नुकसान?

बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति का प्रदर्शन बहुत आशाजनक नहीं रहा था, ऐसे में बीजेपी और महायुति की पार्टियां फिर से महाराष्ट्र में सत्ता में वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। इसी तरह से झारखंड में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्ता में बीजेपी उसे सत्ता से हाटने के लिए उस पर लगातार हमला बोल रही है। दोनों ही राज्यों में मुकाबला सीधे-सीधे बीजेपी बनाम कांग्रेस का है। एक राज्य में अगर महा विकास अघाड़ी है तो दूसरे में जेएमएम गठबंधन चुनौती दे रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी के लिए स्थानीय मुद्दों के साथ राष्ट्रवाद का मुद्दा भी जरूरी रहने वाला है।

बीजेपी के लिए तो जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भी भावनाओं वाला ही रहा है, उसकी विचारधारा एक देश एक विधान और एक निशान वाली रही है। समाज का एक बड़ा वर्ग भी इसी सिद्धांत से सहमत नजर आता है। ये बात कांग्रेस भी बखूबी जानती है। शायद यही वजह है कि इस प्रस्ताव के बाद कांग्रेस का ना कोई स्टैंड देखने को मिला, ना कोई स्पष्ट बयान आया है।

उसे इस बात का भी अहसास है कि 370 का मुद्दा सिर्फ राष्ट्रवाद का ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। अगर बीजेपी को मौका लगा वो तुरंत कांग्रेस को देश विरोधी बता देगी जिसका सीधा नुकसान महाराष्ट्र और झारखंड में उठाना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस ने ना अभी 370 पर कुछ बोलेगी और शायद आगे भी ऐसी ही सियासी चुप्पी साधे रखेगी।

बीजेपी के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए का घोषणा-पत्र, जानें पिटारे में क्या-क्या?

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इससे पहले बीजेपी का घोषणा पत्र अमित शाह ने जारी किया था। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं, किसानों पर फोकस किया है। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। वहीं 25 लाख के फ्री हेल्थ बीमा का ऐलान भी किया गया है। इसके साथ ही बेरोजगारों को 4 हजार रुपये महीना भत्ता देने का वादा किया गया है।

पांच गारंटी देने का वादा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास अघाड़ी का घोषणा पत्र ‘महाराष्ट्रनामा’ जारी किया। इस घोषणा को महाविकास आघाड़ी की 5 गारंटियों के इर्द गिर्द रखा गया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 'महाराष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए हमारे पास पांच स्तंभ हैं, जो कृषि और ग्रामीण विकास, उद्योग और रोजगार, शहरी विकास, पर्यावरण और लोक कल्याण पर आधारित हैं।

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन ने पांच गारंटी देने का वादा किया है। इसके मुताबिक पहली गारंटी में महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने तीन हजार रुपये और सभी महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा का वादा शामिल है। दूसरी गारंटी समानता की है। इसके तहत जातीय जनगणना कराई जाएगी और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को भी हटाया जाएगा। तीसरी गारंटी के तहत कुटुंब रक्षा योजना है, जिसमें 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाएं देने का वादा है। कृषि समृद्धि योजना के तहत किसानों को तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ, समय पर कर्ज चुकाने पर पचास हजार की प्रोत्साहन राशि देने का भी वादा किया गया है। वहीं युवाओं को वचन में बेरोजगारों को हर महीने चार हजार रुपये की मदद देने का वादा किया गया है।

महिलाओं को मुफ्त बस सेवा का वादा

घोषणा पत्र जारी करते हुए खरगे ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ठोस निर्भय नीति बनाएंगे। हम महिलाओं को मुफ्त बस सेवा देंगे। किसानों का तीन लाख तक का कर्ज माफ होगा।

शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता

खरगे ने आगे कहा कि हम महाराष्ट्र में भी जातिगत जनगणना कराएंगे। शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे। बीजेपी की योजनाएं हमारी योजनाओं की नकल है। हम सब सर्विस सेक्टर में 12 से 15% की वृद्धि हासिल करने की कोशिश करेंगे। सरकारी सेवा में कांट्रैक्ट बेस्ड आदेश को हम समाप्त करेंगे। खरगे ने कहा कि न्यू इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनेगी जो रोजगार उन्मुख होगा। ढाई लाख खाली पड़े हुए गवर्नमेंट जॉब को भी भरेंगे। इसके लिए एग्जामिनेशन का प्रक्रिया को शुरू करेंगे।

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी का घोषणा पत्र जारी, किसानों-महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दल जनता को रिझाने के लिए एक से एक दांव चल रहे हैं और एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं।इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस घोषणा पत्र में किसानों, महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस किया गया है।

संकल्प पत्र जारी करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह महाराष्ट्र की आकांक्षाओं का संकल्प पत्र है। इसमें किसानों का सम्मान और गरीबों का कल्याणा है। इसके अंदर महिलाओं का स्वाभिमान है। ये महाराष्ट्र की उम्मीदों का संकल्प पत्र है। ये संकल्प पत्र पत्थर की लकीर जैसा है। अघाड़ी की सारी योजनाएं सत्ता के लिए है।इस दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे।

फडणवीस ने क्या कहा?

वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकल्प पत्र जारी करने के बाद कहा कि AI ट्रेनिंग हब हम बनाएगा, सभी स्कूल और कॉलेज में यह ट्रेनिंग दी जाएगी। हम 25 लाख जॉब का निर्माण करेंगे। सीनियर सिटीजन की पेंशन हम 1500 से 2100 करेंगे। फिन टेका और एयरोनॉटिक पर हमारा जायदा फोकस होगा। ताकि नौजवानों को आगे जायदा मौका मिले।

बीजेपी के घोषणापत्र में जनता के लिए क्या है?

-वृद्धावस्था पेंशन धारकों को 2100 रुपये देने का वादा।

-सरकार बनने के 100 दिन के भीतर विजन महाराष्ट्र 2029 जमा करने का वादा।

– आंगनबाड़ी और आशा सेवकों को 15 हजार रुपये वेतन और बीमा कवर दिया जाएगा।

-25 लाख रोजगार पैदा होंगे।

-10 लाख छात्रों को 10 हजार रुपये प्रति माह ट्यूशन फीस दी जाएगी।

-लड़की बहिन योजना में 2100 रु।

-किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा।

-मूल्य विनिमय योजना लागू की जाएगी – यदि कीमत गारंटी मूल्य से कम है, तो हम गारंटी मूल्य पर खरीदेंगे और किसानों को अंतर का भुगतान किया जाएगा।

-आर्थिक सहायता योजना में 1500 रुपये के बदले 2100 रुपये मिलेंगे।

-आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर करने की योजना।

-सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से गरीबों और मध्यम वर्ग का बिजली बिल कम करेंगे।

-किसानों के लिए मूल्य श्रृंखला बनाना।

-50 लाख लखपति दीदी बनाएंगे।

-साइंस में महाराष्ट्र को नंबर एक बनाने का वादा।

-मेक इन महाराष्ट्र के लिए प्रयास।

-फिनटेक और एआई में करेंगे भारी निवेश।

कब होने हैं चुनाव?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं और सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतगणना 23 नवंबर को होगी। 2019 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 122, शिवसेना को 63 और कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।

महाराष्ट्र चुनाव: महायुति और एमवीए को राहत! मनोज जरांगे नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, सभी सीटों से वापस लेंगे नामांकन

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए आवेदन वापस लेने के आखिरी दिन सोमवार को मनोज जरांगे पाटिल ने बड़ा ऐलान किया है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे मनोज जारांगे पाटिल ने आगमा विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।मनोज जरांगे ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने नामांकन के अंतिम दिन अपने समर्थकों को नामांकन वापस लेने की सलाह दी। साथ ही मनोज जरांगे पाटील ने साफ कर दिया है कि उनका संगठन किसी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेगा।

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे। इससे पहले, जरांगे ने विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों का समर्थन या विरोध करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने अपना फैसला बदल दिया है। अंतरवाली सारथी गांव में बोलते हुए जंरागे ने कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है। मेरा किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल से कोई संबंध या समर्थन नहीं है। जरांगे ने कहा कि ऐसा करने के लिए उनके ऊपर किसी भी दल की तरफ से दबाव नहीं है। जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय खुद फैसला लेगा कि समर्थन करना है।

बता दें कि एक दिन पहले ही उन्होंने 25 में से 15 सीटों पर चुनाव लड़वाने को ऐलान कर दिया था। आज बाकी बची 10 सीटों पर भी आज फैसला होना था। लेकिन आज मनोज जरांगे ने कहा कि सभी भाई अपना नामांकन वापस लेंगे। उन्होंने आज सुबह एक प्रेस वार्ता में बताया कि हम रात में साढ़े 3 बजे तक चर्चा कर रहे थे। हम दलित और मुस्लिमों को मैदान में उतारना चाह रहे थे, एक जाति के दम पर चुनाव लड़ना और जीतना संभव नहीं है। हम नए हैं।

मनोज जारांगे पाटिल ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरक्षण मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी है, उन्होंने बताया कि चुनाव खत्म होने के बाद हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसी एक जाति पर चुनाव लड़ना संभव नहीं है। हम एक जाति से नहीं जीत सकते। जारांगे पाटिल ने बताया कि अकेले कैसे लड़ सकते हैं। जारांगे पाटिल ने कहा कि वह चुनाव से पीछे नहीं हटे हैं लेकिन आप इसे गुरिल्ला रणनीति (जेनेमी कावा) कह सकते हैं।

अब संजय राउत के भाई के बिगड़े बोल, शिंदे गुट की महिला उम्मीदवार को कहा ‘बकरी’

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महाराष्ट्र चुनाव में बदजुबानी जारी है। पहले शिवसेना उद्धव गुट के नेता अरविंद सांवत ने शायना एनसी को “इम्पोर्टेड माल” कहकर संबोधित किया था। अब शिवसेना उद्धव गुट के ही संजय राउत के भाई और उम्मीदवार सुनील राउत ने महिला उम्मीदवार का अपमान किया है। सुनील राउत ने महिला उम्मीदवार को बकरी कहकर संबोधित किया है।

संजय राउत के भाई सुनील राउत का विवादित वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में सुनील राउत बता रहे हैं कि उनके सामने कोई उम्मीदवार ही नहीं है। उन्होंने कहा, वो दस से साल से विधायक है। अब कोई उम्मीदवार नहीं मिला तो एक बकरी को लाकर मेरे सामने खड़ा कर दिया। अब बकरी आई तो बकरे को सर झुकाना ही पड़ेगा।

बता दें कि सुनील राउत विक्रोली विधानसभा से तीसरी बार शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के उम्मीदवार बने हैं। अब उन्हें उम्मीद है वो जीतेंगे ही नहीं बल्कि इस बार मंत्री भी बनेंगे।वहीं, सुनील राउत के सामने शिवसेना शिंदे गुट ने इलाके की पार्षद सुवर्णा करंजे को उम्मीदवार बनाया है। जिन्हें सुनाल राउत ने बकरी कह कर संबोधित कर रहे हैं।

इससे पहले शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सांवत पहले ही शिंदे गुट की उम्मीदवार शायना एनसी को माल कहकर संबोधित कर चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर उद्धव गुट के नेता ने बदजुबानी की है।

महाराष्ट्र में महायुति में टकराव, एनसीपी अजित गुट ने नवाब मलिक को दिया टिकट, बीजेपी बोली-दाऊद से लिंक

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। नामांकन के आखिरी दिन कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। इन सबके बीच नवाब मलिक की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। अजित पवार की एनसीपी ने बीजेपी के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को उम्मीदवार बना दिया। नवाब मलिक ने मुंबई के मानखुर्द के शिवाजीनगर सीट से एनसीपी के टिकट पर पर्चा भरा है। वहीं, पूर्व मंत्री नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा और एनसीपी-अजित गुट में टकराव हो गया है।

मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन नवाब मल‍िक ने पहले मुंबई के शिवाजीनगर-मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय पर्चा भरा लेकिन कुछ ही देर बाद उन्‍हें एनसीपी अज‍ित पवार गुट ने एबी फार्म देकर अपना कैंडिडेट बना दिया। इसके बाद बीजेपी का रुख हमलावर हो गया। मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने बुधवार को कहा- हमारी पार्ट का स्टैंड क्लियर है। हम पहले भी नवाब मलिक की उम्मीदवारी के खिलाफ थे। अब भी उनका समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि उनके दाऊद इब्राहिम से लिंक होने की बात सामने आई थी। यह बात डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही कही है और अब मैं भी यही कह रहा हूं।

मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि नवाब मलिक के लिए प्रचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हमारा मानना है कि महायुति के सभी सहयोगियों को अपने उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार है, लेकिन नवाब मलिक को लेकर भाजपा का रुख साफ है। महायुति की ओर से यह सीट शिवसेना शिंदे गुट को दी गई है और सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने भी पाटिल का समर्थन करते हुए कहा है कि वे मलिक के लिए कैंपेन नहीं करेंगे।

वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को नवाब मलिक को आतंकी करार दिया। बता दें कि यह सीट पहले बीजेपी नेता किरीट सोमैया के पास थी लेकिन इस बार इसी सीट पर शिवसेना शिंदे गुट के सुरेश कृष्णराव पाटिल को महायुति को 'आधिकारिक' उम्मीदवार बनाया गया है। जिसके बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया और कहा कि मानखुर्द शिवाजी नगर सीट के लिए महायुति के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेश कृष्ण पाटिल (बुलेट पाटिल) हैं। किरीट सोमैया ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, हम वोट जिहाद, आतंकवाद का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को हराने के लिए लड़ेंगे।

नवाब म‍ल‍िक के महायुत‍ि का उम्‍मीदवार बन जाने से उद्धव ठाकरे की पार्टी को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया। एनसीपी उद्धव गुट की नेता प्र‍ियंका चतुर्वेदी ने एक्‍स पर ल‍िखा, दाऊद का साथी अब देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार का दोस्‍त होगा. उनकी पार्टी से चुनाव लड़ेगा। पेट्रोट‍िज्‍म का सर्टिफ‍िकेेट बांटने वाले आख‍िर कहा हैं?

प्रियंका ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि हाहाहाहाहा! आशीष शेलार कहते हैं, भाजपा नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं करेगी। पाखंड और झूठ की पार्टी! फुसकी फटाका!

*महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: बारामती सीट पर शरद पवार ने पोते पर खेला दांव, भतीजे अजीत के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
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* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बारामती में चाचा और भतीजे की चुनावी लड़ाई देखने को मिलेगी। इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार का अपने चाचा और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार से भिरंत होगी। भतीजे अजित के बगावत के बाद चाचा शरद पवार ने अपने दूसरे भतीजे के बेटे यानी पोते युगेंद्र पर दांव खेल दिया। युगेंद्र एनसीपी नेता अजित पवार के भाई श्री निवास पवार के बेटे हैं। नामांकन के दौरान शरद पवार ने वरदहस्त पोते के सिर पर रखा बल्कि राजनीति की पहली सीढ़ी पर संकेतों की राजनीति के गुर भी सिखा दिए। *शरद पवार का वोटरों को सीधा संदेश* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान सीनियर पवार यानी शरद पवार ने बारामती के समर्थकों को सीधा संदेश दिया। भतीजे अजित पवार के खिलाफ एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार युगेंद्र के नामांकन के दौरान शरद पवार न सिर्फ तहसील कार्यालय में मौजूद रहे बल्कि अपने पोते को पैतृक गांव अमराई भी ले गए। 1967 में शरद पवार ने भी पहली बार नामांकन करने से पहले अमराई की यात्रा की थी। इसके अलावा वह खुद कुनबे के साथ तहसील कार्यालय पहुंचे, जहां युगेंद्र ने नामांकन की प्रक्रिया पूरी की। युगेंद्र के साथ दादा शरद पवार के अलावा उनके पिता श्रीनिवास पवार, मां शर्मिला पवार और बुआ सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं। इस तरह शरद पवार ने बारामती के वोटरों को सीधा संदेश दिया कि इस चुनाव में पवार फैमिली के कैंडिडेट अजित नहीं, युगेंद्र पवार हैं। *शरद पवार का आशीर्वाद मेरे साथ है- युगेंद्र* वहीं चाचा के साथ चुनावी जंग पर युगेंद्र पवार ने कहा, जब मेरे चाचा (अजित पवार) ने बारामती से चुनाव लड़ा और काम किया, तो पवार साहब का आशीर्वाद उनके साथ था...लेकिन अब आशीर्वाद मेरे साथ है। पवार साहब के पास अधिक अनुभव है, जो मेरे लिए एक प्रोत्साहन और समर्थन है। उन्होंने कहा, मेरे माता-पिता सामाजिक कार्य करते हैं, मैं शैक्षणिक संस्थानों और कुश्ती संघ से जुड़ा हुआ हूं। मेरी फैक्ट्री यहां है और मैं जैविक खेती कर रहा हूं। उन्होंने कहा, यह (शरद) पवार साहब की 99 प्रतिशत सद्भावना है, जबकि मेरा प्रयास केवल एक प्रतिशत है। *छह महीने पवार परिवार के बीच दूसरी लड़ाई* पिछले छह महीनों में पुणे जिले के बारामती में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पवार परिवार के दो सदस्यों के बीच यह दूसरा चुनावी मुकाबला है। मई में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी को 1.58 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराकर बारामती सीट पर जीत हासिल की थी। 1999 में शरद पवार की तरफ से स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जुलाई 2023 में दो हिस्सों में बंट गई, जब उनके भतीजे अजीत पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से हाथ मिला लिया। बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना शरद पवार ने 1999 में की थी। जुलाई 2023 में उनके भतीजे अजित पवार के बगावत करने और एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी दो भागों में बंट गई थी।