फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

महाराष्ट्र में अब मंत्रालय के बंटवारे को लेकर फंस गया पेंच, गृह मंत्रालय को लेकर हो रही खींचतान!

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। विधानसभा चुनाव के बाद महायुति की सरकार बन चुकी है। सीएम और दो डिप्टी सीएम ने शपथ भी ले ली है। इसके बाद अब सबकी नजरें इस महायुति सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी हुई हैं। मंत्रिमंडल को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं होने के बीच खबरें आ रही हैं कि सीएम पद पर एकमत होने के बाद गृह विभाग को लेकर अब भी महायुति में जंग जारी है।शिवसेवा कई बार साफ तौर पर कह चुकी है कि उसे गृह विभाग चाहिए, लेकिन भाजपा उसे अपने पास ही रखना चाहती है।

पांच दिसंबर को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और राकांपा प्रमुख अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शिवसेना नेता उदय सामंत ने मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं और उन्हें सभी राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार है। जो भी निर्णय होगा, पार्टी के विधायकों को मंजूर होगा। मंत्रिमंडल के बंटवारे पर प्रतिक्रिया देते हुए उदय सामंत ने कहा कि किसे मंत्री बनाया जाएगा और किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री का निर्णय होगा। उन्होंने आगे कहा, "सीएम दोनों डिप्टी सीएम के साथ इस मामले को लेकर बैठक करेंगे। यह कौन कह रहा है कि हमें गृह मंत्रालय चाहिए? सीएम और डिप्टी सीए विभागों पर फैसला करेंगे।"

क्या है विभागों का गणित

बता दें कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की कुल संख्या 43 है। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में बीजेपी के 10, शिवसेना और एनसीपी के 9-9 मंत्री थे। अब संभावना है कि नए मंत्रिमंडल में बीजेपी को मुख्यमंत्री सहित 21, शिवसेना (शिंदे) को 12 और एनसीपी (अजित पवार) को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। ऐसे में यह देखने की बात है कि शिवसेना और एनसीपी को कितने मंत्री पद मिलेंगे? मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे गृह मंत्री पद के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि उनको यह विभाग मिलने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।

किस पार्टी के खाते में कौन सा विभाग

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पास गृह, विधि एवं न्याय, गृहमंत्री निर्माण, ऊर्जा, राज शिष्टाचार, सिंचाई, ग्राम विकास, पर्यटन, राजस्व, कौशल विकास, सामान्य प्रशासन और आदिवासी विभाग रह सकते हैं। वहीं शिवसेना (शिंदे) को शहरी विकास, आबकारी, सामाजिक न्याय, पर्यावरण, माइनिंग, जल आपूर्ति, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडब्यूडी विभाग दिए जा सकते हैं। इसके अलावा एनसीपी (अजित पवार) को वित्त एवं नियोजन, खाद्य एवं आपूर्ति, एफडीए, कृषि, महिला एवं बाल विकास, खेल एवं युवा कल्याण और मदद एवं पुनर्वास विभाग मिल सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अपने पास गृह मंत्रालय रखेगी। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास विभाग दिया जा सकता है। वहीं अजित पवार वित्त विभाग मांग रहे हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस गृह के साथ वित्त विभाग भी रखना चाहते हैं। इस विभाग पर अजित पवार से चर्चा होगी। इसके बदले बीजेपी अजित पवार को ऊर्जा या हाउसिंग विभाग देना चाहती है। इसके अलावा शहरी विकास, राजस्व, आदिवासी, कृषि, ग्राम विकास, मेडिकल एजुकेशन, महिला एवं बाल विकास विभाग पर अभी चर्चा जारी है। कुछ विभाग आपस में ऐक्सचेंज किए जा सकते हैं।

पिछली सरकार में कैसा था हाल?

दरअसल जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। उस समय गृह मंत्री का पद फडणवीस ने अपने पास रखा था। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो शिंदे गृह मंत्री का पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं शिवसेना इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री का पद हमें मिले। शिंदे इस मामले में बहुत दृढ़ हैं। उन्हें गृह और शहरी विकास मंत्रालय भी चाहिए। लेकिन इन दोनों विभागों पर बीजेपी की नजर है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों विभाग बीजेपी के खाते में जाएंगे।

देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार ली सीएम पद की शपथ, शिंदे-अजित बने डिप्टी सीएम

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देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुंबई के आजाद मैदान में हुए भव्य समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इन तीनों नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, योगी आदित्यनाथ, भजनलाल, चंद्रबाबू नायडू समेत अन्य राजनीतिक हस्तियां शामिल हुईं।

देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की तीसरी बार शपथ ली, वह नागपुर दक्षिण से विधायक हैं। इससे पहले 2014 में वह पहली बार सीएम बने थे, इसके बाद 2019 के चुनाव में कछ दिन के लिए सीएम रहे थे। इसके बाद महायुति गठबंधन बना और सीएम एक नाथ शिंदे को बना दिया गया था, जबकि फडणवीस डिप्टी सीएम की भूमिका में रहे थे।

शपथ ग्रहण समारोह में पहली पंक्‍त‍ि में अमित शाह के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह न‍ित‍िन गडकरी, श‍िवराज सिंह चौहान, रामदास आठवले समेत कई वर‍िष्‍ठ मंत्री नजर आए। तो वहीं, मुख्‍यमंत्र‍ियों वाली पंक्‍त‍ि में यूपी के मुख्‍मयंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्‍यमंत्री के साथ बैठे दिखे।

इसके अलावा उद्योगपति मुकेश अंबानी, अनंत अंबानी, राधिका अंबानी भी समारोह में मौजूद रहे। बॉलीवुड से शाहरुख खान, सलमान खान, संजय दत्त, माधुरी दीक्षित, रणबीर कपूर, रणबीर सिंह समेत अन्य हस्तियों ने शिरकत की।

समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।

महाराष्ट्र में फिर फडणवीस सरकार, बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार खेमे से कौन-कौन बन सकता है मंत्री? देखें संभावित लिस्ट

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महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।सरकार में पिछली बार की तरह की दो डिप्टी सीएम भी होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी भाग लेंगे।शपथ ग्रहण समारोह में देश की कई सारी नामचीन हस्तियां शामिल होगी। समारोह में तीनों दलों के 40 हजार कार्यकर्ता-पदाधिकारी, साधु संत सहित 2,000 अति विशिष्ट व्यक्ति शामिल होंगे।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कल उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच पूरे पांच साल का था, जबकि दूसरा कार्यकाल नवंबर 2019 में लगभग 80 घंटे तक रहा।

शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ

फडणवीस के साथ महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इनमें एक नाम एनसीपी नेता अजित पवार का माना जा रहा है, जबकि दूसरा नाम एकनाथ शिंदे का है। पहले इनके नाम पर कुछ साफ नहीं था लेकिन अब यह तय हो गया है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज

शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इसकी चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के एक नरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी के 17 कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जबकि एनसीपी अजित पवार गुट और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को 7-7 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

बीजेपी से संभावित मंत्री

बीजेपी से जिन नेताओं के मंत्री पद मिल सकता है, उनमें कोकण विभाग (मुंबई और ठाणे) से आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर और नितेश राणे का नाम शामिल है। वहीं ठाणे जिले से रवीन्द्र चव्हाण और गणेश नाइक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र से माधुरी मिसाल, शिवेंद्र सिंह राजे भोसले, राधाकृष्ण विखे पाटिल और गोपीचंद पडलकर को मौका मिल सकता है। इसके अलावा विदर्भ रीजन से चन्द्रशेखर बावनकुले और संजय कुटे कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं, जबकि उत्तर महाराष्ट्र से जयकुमार रावल और गिरीश महाजन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मराठवाड़ा से अतुल सावे और पंकजा मुंडे महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।

शिवसेन-एनसीपी के संभावित मंत्री

अगर शिवसेना की बात करें तो शिवसेना से एकनाथ शिंदे, शंभूराज देसाई, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, उदय सामंत और अर्जुन खोतकर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही एनसीपी अजित पवार गुट से अजित पवार, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अनिल भाईदास पाटिल और नरहरि जिरवाल मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी 132 सीटों के साथ बड़ी पार्टी

महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव हुआ था और 23 नवंबर को नतीजे आए थे। चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी। 132 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके अलावा शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार को एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

मुख्यमंत्री के लिए नाम तय होते ही फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया, बोले- 'एक हैं तो सेफ हैं' के नारे को जनता सही साबित किया

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महाराष्ट्र को आखिरकार नया मुख्यमंत्री मिल गया। 23 तारीख को आए विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद लगातार सीएम के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। आखिरकार बुधवार को हुई बीजेपी विदायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस का नाम फाइनल हो गया। इसके साथ ये भी साफ हो गया कि वह राज्य के नए मुख्यमंत्री भी होंगे। फडणवीस गुरुवार शाम को सीएम पद की शपथ लेंगे। भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद फडणवीस ने दल के सभी सदस्यों का आभार जताया। साथ ही छत्रपति शिवाजी, अटल बिहारी वाजपेयी और अहिल्याबाई होल्कर को याद किया।

देवेंद्र फडणवीस ने विधायक दल का नेता चुनने के बाद कहा कि मैं उन सबका धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया। महाराष्ट्र में हमें ऐतिहासिक जीत मिली। इस चुनाव में एक बात तो बता दी एक हैं तो सेफ हैं। हमें एकतरफा जीत देने के लिए में जनता का शुक्रिया करता हूं। उन्होंने आगे कहा, 'हमने हरियाणा के साथ अपनी जीत का सिलसिला फिर से शुरू किया है और अब महाराष्ट्र ने ऐसा प्रचंड जनादेश दिया है कि मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं के सामने पूरी तरह से नतमस्तक हूं। 

अपने संबोधन में फडणवीस ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को विशेष धन्यवाद जो इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पूरे दिल से हमारे साथ रहे। आरपीआई नेता रामदास अठावले और सभी सहयोगी दलों को हृदय से धन्यवाद।

फडणवीस ने कहा, 'हमें गर्व है कि 2019 के बाद एक भी विधायक ने हमें नहीं छोड़ा और सभी एक साथ रहे और हमने 2022 में सरकार बनाई। आज भी महायुति को ऐतिहासिक जनादेश मिला है। मोदी जी लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने हैं। मैंने वार्ड स्तर के नेता के रूप में शुरुआत की थी और अब मैं तीसरी बार मुख्यमंत्री भी बन गया हूं। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने चुनावों के दौरान महाराष्ट्र भाजपा को भारी समर्थन और बढ़ावा दिया है।'

बता दें कि बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फणडवीस को नेता चुना गया। देवेंद्र फणडवीस के नाम का प्रस्ताव चंद्रकांत पाटिल ने रखा। दूसरा प्रस्ताव सुधीर मुनगंटीवार ने रखा। इसके बाद पंकजा मुंडे, प्रवीण दरेकर, रवींद्र चव्हाण, संजय कुंटे, पूर्व मंत्री विधायक अशोक उईके, मेघना बोर्डिकर, योगेश सागर, संभाजी पाटिल नीलंगेकर, गोपीचंद पड़लकर, आशीष शेलार ने समर्थन किया। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हुए चुनाव में भाजपा ने भारी सफलता हासिल की और राज्य की 288 विधानसभा सीट में से 132 सीट हासिल की, जो राज्य में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अपने सहयोगियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति के पास 230 सीट का भारी बहुमत है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम का एलान, देवेंद्र फडणवीस चुने गए भाजपा विधायक दल के नेता

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महाराष्‍ट्र के अगले सीएम के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई है। बीजेपी की कोर कमेटी ने फडणवीस को महाराष्‍ट्र के अगले सीएम के रूप में चुना है। इस महाराष्‍ट्र विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल की बैठक जारी है। उन्‍हें सदन के नेता के रूप में चुने जाने की कार्यवाही जारी है। कल देवेंद्र फडणवीस मुंबई में शपथ लेंगे।

महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हमें फडणवीस के नेतृत्व में जीत मिली है। वे राज्य के विकास के लिए लगातार काम करते रहे हैं। इसके बाद चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुगंटीवार ने फडणवीस के नाम का प्रस्ताव रखा। पंकजा मुंडे ने उनके नाम का अनुमोदन किया।

दो बार सीएम रह चुके देवेंद्र फडणवीस को इस पद के लिए रेस में सबसे आगे थे। वह 2014 में पहली बार राज्य के सीएम बने थे। इस बार विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत दर्ज की है। गठबंधन को 230 विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। इसमें बीजेपी के खाते में सबसे ज्यादा 132 सीटें आई हैं। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है।

फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

महाराष्ट्र में अब मंत्रालय के बंटवारे को लेकर फंस गया पेंच, गृह मंत्रालय को लेकर हो रही खींचतान!

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। विधानसभा चुनाव के बाद महायुति की सरकार बन चुकी है। सीएम और दो डिप्टी सीएम ने शपथ भी ले ली है। इसके बाद अब सबकी नजरें इस महायुति सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी हुई हैं। मंत्रिमंडल को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं होने के बीच खबरें आ रही हैं कि सीएम पद पर एकमत होने के बाद गृह विभाग को लेकर अब भी महायुति में जंग जारी है।शिवसेवा कई बार साफ तौर पर कह चुकी है कि उसे गृह विभाग चाहिए, लेकिन भाजपा उसे अपने पास ही रखना चाहती है।

पांच दिसंबर को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और राकांपा प्रमुख अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शिवसेना नेता उदय सामंत ने मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं और उन्हें सभी राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार है। जो भी निर्णय होगा, पार्टी के विधायकों को मंजूर होगा। मंत्रिमंडल के बंटवारे पर प्रतिक्रिया देते हुए उदय सामंत ने कहा कि किसे मंत्री बनाया जाएगा और किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री का निर्णय होगा। उन्होंने आगे कहा, "सीएम दोनों डिप्टी सीएम के साथ इस मामले को लेकर बैठक करेंगे। यह कौन कह रहा है कि हमें गृह मंत्रालय चाहिए? सीएम और डिप्टी सीए विभागों पर फैसला करेंगे।"

क्या है विभागों का गणित

बता दें कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की कुल संख्या 43 है। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में बीजेपी के 10, शिवसेना और एनसीपी के 9-9 मंत्री थे। अब संभावना है कि नए मंत्रिमंडल में बीजेपी को मुख्यमंत्री सहित 21, शिवसेना (शिंदे) को 12 और एनसीपी (अजित पवार) को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। ऐसे में यह देखने की बात है कि शिवसेना और एनसीपी को कितने मंत्री पद मिलेंगे? मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे गृह मंत्री पद के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि उनको यह विभाग मिलने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।

किस पार्टी के खाते में कौन सा विभाग

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पास गृह, विधि एवं न्याय, गृहमंत्री निर्माण, ऊर्जा, राज शिष्टाचार, सिंचाई, ग्राम विकास, पर्यटन, राजस्व, कौशल विकास, सामान्य प्रशासन और आदिवासी विभाग रह सकते हैं। वहीं शिवसेना (शिंदे) को शहरी विकास, आबकारी, सामाजिक न्याय, पर्यावरण, माइनिंग, जल आपूर्ति, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडब्यूडी विभाग दिए जा सकते हैं। इसके अलावा एनसीपी (अजित पवार) को वित्त एवं नियोजन, खाद्य एवं आपूर्ति, एफडीए, कृषि, महिला एवं बाल विकास, खेल एवं युवा कल्याण और मदद एवं पुनर्वास विभाग मिल सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अपने पास गृह मंत्रालय रखेगी। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास विभाग दिया जा सकता है। वहीं अजित पवार वित्त विभाग मांग रहे हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस गृह के साथ वित्त विभाग भी रखना चाहते हैं। इस विभाग पर अजित पवार से चर्चा होगी। इसके बदले बीजेपी अजित पवार को ऊर्जा या हाउसिंग विभाग देना चाहती है। इसके अलावा शहरी विकास, राजस्व, आदिवासी, कृषि, ग्राम विकास, मेडिकल एजुकेशन, महिला एवं बाल विकास विभाग पर अभी चर्चा जारी है। कुछ विभाग आपस में ऐक्सचेंज किए जा सकते हैं।

पिछली सरकार में कैसा था हाल?

दरअसल जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। उस समय गृह मंत्री का पद फडणवीस ने अपने पास रखा था। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो शिंदे गृह मंत्री का पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं शिवसेना इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री का पद हमें मिले। शिंदे इस मामले में बहुत दृढ़ हैं। उन्हें गृह और शहरी विकास मंत्रालय भी चाहिए। लेकिन इन दोनों विभागों पर बीजेपी की नजर है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों विभाग बीजेपी के खाते में जाएंगे।

देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार ली सीएम पद की शपथ, शिंदे-अजित बने डिप्टी सीएम

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देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुंबई के आजाद मैदान में हुए भव्य समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इन तीनों नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, योगी आदित्यनाथ, भजनलाल, चंद्रबाबू नायडू समेत अन्य राजनीतिक हस्तियां शामिल हुईं।

देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की तीसरी बार शपथ ली, वह नागपुर दक्षिण से विधायक हैं। इससे पहले 2014 में वह पहली बार सीएम बने थे, इसके बाद 2019 के चुनाव में कछ दिन के लिए सीएम रहे थे। इसके बाद महायुति गठबंधन बना और सीएम एक नाथ शिंदे को बना दिया गया था, जबकि फडणवीस डिप्टी सीएम की भूमिका में रहे थे।

शपथ ग्रहण समारोह में पहली पंक्‍त‍ि में अमित शाह के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह न‍ित‍िन गडकरी, श‍िवराज सिंह चौहान, रामदास आठवले समेत कई वर‍िष्‍ठ मंत्री नजर आए। तो वहीं, मुख्‍यमंत्र‍ियों वाली पंक्‍त‍ि में यूपी के मुख्‍मयंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्‍यमंत्री के साथ बैठे दिखे।

इसके अलावा उद्योगपति मुकेश अंबानी, अनंत अंबानी, राधिका अंबानी भी समारोह में मौजूद रहे। बॉलीवुड से शाहरुख खान, सलमान खान, संजय दत्त, माधुरी दीक्षित, रणबीर कपूर, रणबीर सिंह समेत अन्य हस्तियों ने शिरकत की।

समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।

महाराष्ट्र में फिर फडणवीस सरकार, बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार खेमे से कौन-कौन बन सकता है मंत्री? देखें संभावित लिस्ट

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महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।सरकार में पिछली बार की तरह की दो डिप्टी सीएम भी होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी भाग लेंगे।शपथ ग्रहण समारोह में देश की कई सारी नामचीन हस्तियां शामिल होगी। समारोह में तीनों दलों के 40 हजार कार्यकर्ता-पदाधिकारी, साधु संत सहित 2,000 अति विशिष्ट व्यक्ति शामिल होंगे।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कल उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच पूरे पांच साल का था, जबकि दूसरा कार्यकाल नवंबर 2019 में लगभग 80 घंटे तक रहा।

शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ

फडणवीस के साथ महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इनमें एक नाम एनसीपी नेता अजित पवार का माना जा रहा है, जबकि दूसरा नाम एकनाथ शिंदे का है। पहले इनके नाम पर कुछ साफ नहीं था लेकिन अब यह तय हो गया है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज

शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इसकी चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के एक नरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी के 17 कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जबकि एनसीपी अजित पवार गुट और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को 7-7 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

बीजेपी से संभावित मंत्री

बीजेपी से जिन नेताओं के मंत्री पद मिल सकता है, उनमें कोकण विभाग (मुंबई और ठाणे) से आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर और नितेश राणे का नाम शामिल है। वहीं ठाणे जिले से रवीन्द्र चव्हाण और गणेश नाइक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र से माधुरी मिसाल, शिवेंद्र सिंह राजे भोसले, राधाकृष्ण विखे पाटिल और गोपीचंद पडलकर को मौका मिल सकता है। इसके अलावा विदर्भ रीजन से चन्द्रशेखर बावनकुले और संजय कुटे कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं, जबकि उत्तर महाराष्ट्र से जयकुमार रावल और गिरीश महाजन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मराठवाड़ा से अतुल सावे और पंकजा मुंडे महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।

शिवसेन-एनसीपी के संभावित मंत्री

अगर शिवसेना की बात करें तो शिवसेना से एकनाथ शिंदे, शंभूराज देसाई, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, उदय सामंत और अर्जुन खोतकर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही एनसीपी अजित पवार गुट से अजित पवार, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अनिल भाईदास पाटिल और नरहरि जिरवाल मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी 132 सीटों के साथ बड़ी पार्टी

महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव हुआ था और 23 नवंबर को नतीजे आए थे। चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी। 132 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके अलावा शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार को एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

मुख्यमंत्री के लिए नाम तय होते ही फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया, बोले- 'एक हैं तो सेफ हैं' के नारे को जनता सही साबित किया

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महाराष्ट्र को आखिरकार नया मुख्यमंत्री मिल गया। 23 तारीख को आए विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद लगातार सीएम के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। आखिरकार बुधवार को हुई बीजेपी विदायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस का नाम फाइनल हो गया। इसके साथ ये भी साफ हो गया कि वह राज्य के नए मुख्यमंत्री भी होंगे। फडणवीस गुरुवार शाम को सीएम पद की शपथ लेंगे। भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद फडणवीस ने दल के सभी सदस्यों का आभार जताया। साथ ही छत्रपति शिवाजी, अटल बिहारी वाजपेयी और अहिल्याबाई होल्कर को याद किया।

देवेंद्र फडणवीस ने विधायक दल का नेता चुनने के बाद कहा कि मैं उन सबका धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया। महाराष्ट्र में हमें ऐतिहासिक जीत मिली। इस चुनाव में एक बात तो बता दी एक हैं तो सेफ हैं। हमें एकतरफा जीत देने के लिए में जनता का शुक्रिया करता हूं। उन्होंने आगे कहा, 'हमने हरियाणा के साथ अपनी जीत का सिलसिला फिर से शुरू किया है और अब महाराष्ट्र ने ऐसा प्रचंड जनादेश दिया है कि मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं के सामने पूरी तरह से नतमस्तक हूं। 

अपने संबोधन में फडणवीस ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को विशेष धन्यवाद जो इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पूरे दिल से हमारे साथ रहे। आरपीआई नेता रामदास अठावले और सभी सहयोगी दलों को हृदय से धन्यवाद।

फडणवीस ने कहा, 'हमें गर्व है कि 2019 के बाद एक भी विधायक ने हमें नहीं छोड़ा और सभी एक साथ रहे और हमने 2022 में सरकार बनाई। आज भी महायुति को ऐतिहासिक जनादेश मिला है। मोदी जी लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने हैं। मैंने वार्ड स्तर के नेता के रूप में शुरुआत की थी और अब मैं तीसरी बार मुख्यमंत्री भी बन गया हूं। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने चुनावों के दौरान महाराष्ट्र भाजपा को भारी समर्थन और बढ़ावा दिया है।'

बता दें कि बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फणडवीस को नेता चुना गया। देवेंद्र फणडवीस के नाम का प्रस्ताव चंद्रकांत पाटिल ने रखा। दूसरा प्रस्ताव सुधीर मुनगंटीवार ने रखा। इसके बाद पंकजा मुंडे, प्रवीण दरेकर, रवींद्र चव्हाण, संजय कुंटे, पूर्व मंत्री विधायक अशोक उईके, मेघना बोर्डिकर, योगेश सागर, संभाजी पाटिल नीलंगेकर, गोपीचंद पड़लकर, आशीष शेलार ने समर्थन किया। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हुए चुनाव में भाजपा ने भारी सफलता हासिल की और राज्य की 288 विधानसभा सीट में से 132 सीट हासिल की, जो राज्य में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अपने सहयोगियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति के पास 230 सीट का भारी बहुमत है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम का एलान, देवेंद्र फडणवीस चुने गए भाजपा विधायक दल के नेता

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महाराष्‍ट्र के अगले सीएम के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई है। बीजेपी की कोर कमेटी ने फडणवीस को महाराष्‍ट्र के अगले सीएम के रूप में चुना है। इस महाराष्‍ट्र विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल की बैठक जारी है। उन्‍हें सदन के नेता के रूप में चुने जाने की कार्यवाही जारी है। कल देवेंद्र फडणवीस मुंबई में शपथ लेंगे।

महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हमें फडणवीस के नेतृत्व में जीत मिली है। वे राज्य के विकास के लिए लगातार काम करते रहे हैं। इसके बाद चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुगंटीवार ने फडणवीस के नाम का प्रस्ताव रखा। पंकजा मुंडे ने उनके नाम का अनुमोदन किया।

दो बार सीएम रह चुके देवेंद्र फडणवीस को इस पद के लिए रेस में सबसे आगे थे। वह 2014 में पहली बार राज्य के सीएम बने थे। इस बार विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत दर्ज की है। गठबंधन को 230 विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। इसमें बीजेपी के खाते में सबसे ज्यादा 132 सीटें आई हैं। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है।