ज़िलाधिकारी ने उत्तर कोयल जलाशय परियोजना के भू-अर्जन कार्य को 15 दिसंबर तक पूरा करने का दिया निर्देश
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गया के ज़िलाधिकारी शशांक शुभंकर की अध्यक्षता में आज उत्तर कोयल जलाशय परियोजना (North Koel Reservoir Project) की प्रगति की विस्तृत समीक्षा बैठक आयोजित की गई। यह परियोजना ₹1367.61 करोड़ की लागत से झारखंड और बिहार के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय सिंचाई और जल संसाधन परियोजना है, जो मुख्य रूप से बिहार के गया और औरंगाबाद जिलों में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने परियोजना से संबंधित भू-अर्जन (Land Acquisition) के कार्य को 15 दिसंबर 2025 से पहले हर हाल में समाप्त करने का निर्देश संबंधित सभी अंचलाधिकारी को दिया। उन्होंने भू-अर्जन की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि गया जी ज़िला में 96.749 हेक्टेयर के लक्ष्य के विरुद्ध 5.350 हेक्टेयर ज़मीन प्राप्त की गई है। बैठक में बताया गया कि उत्तर कोयल जलाशय परियोजना फेज-1 के तहत कुल 206.153 एकड़ रकवा है। जिसमे मुख्य रूप से 3 अंचल के क्षेत्र पड़ता है। गुरारू अंचल में 190 एकड़ का क्षेत्र पड़ता है। इसमें 20 मौजा है और 400 से अधिक संख्या में रैयत हैं। गुरुआ अंचल में 46.50 एकड़ का क्षेत्र पड़ता है। इसमें 12 मौजा है और 450 की संख्या में रैयत हैं। कोच अंचल में 34.16 एकड़ का क्षेत्र पड़ता है। इसमें 5 मौजा है और 225 रैयत की संख्या है. ज़िलाधिकारी ने सभी 3 अंचलों के अंचलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि आज से ही सभी अपने क्षेत्रों में कैम्प लगाकर रैयतों का एलपीसी बनाने एवं निर्गत करवाने, कैम्प में ही बटवारा चार्ट, सहमति पत्र इत्यादि कागजात रैयतों को बनवाने में मदद करने को कहा है। उन्होंने कहा कि किस व्यक्ति के पास कितना रैयत है उसका मौजावार रैयतों की सूची तैयार करे। उन्होंने अपर समाहर्ता राजस्व को निर्देश दिया है कि प्रत्येक मौजावर एक एक अमीन कल से ही प्रतिनियुक्ति करें। इसके अलावा गुरारू अंचल के लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता टेकारी, कोच अंचल के लिए अनुमंडल पदाधिकारी टिकारी एवं गुरुआ अंचल के लिए अनुमंडल पदाधिकारी शेरघाटी को वरीय पदाधिकारी के रूप में लगाया गया है ताकि उक्त परियोजना का प्रतिदिन दैनिक समीक्षा करेंगे एवं तेजी से भूअर्जन प्रक्रिया को पूर्ण करवाएंगे।
ज़िलाधिकारी ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि रैयतों के बीच भूअर्जन संबंधित नोटिस तामिला तेजी से करवाने को कहा है।
परियोजना की विवरण
उत्तर कोयल नदी झारखंड राज्य में बहती है। इसका उद्गम स्थल छोटा नागपुर पठार है और यह लातेहार जिले में प्रवेश करती है। यह नदी सोन नदी में मिल जाती है। यहां से सीधे पलामू, गढ़वा औरंगाबाद एवं गया जिले में सिंचाई प्रणाली को जोड़ता है। मुख्य नहर से शाखा नहर, शाखा नहर से वितरणी नहर- उप वितरणी नहर- लघु नहर के माध्यम से होते हुए किसानों के खेतों तक सिचाई के लिये पानी मिलता है. मुख्य नहर को पुनर्जीवित किया जा रहा है, संरचनाओं का पक्कीकरण किया जा रहा है ताकि अंतिम बिंदु तक सिचाई हेतु पानी जा सके. यह परियोजना के पूर्ण होने से गया ज़िले के लगभग 25 से 30 हजार हेक्टेयर से अधिक सिचाई क्षमता में और इजाफा होगा। इस परियोजना में मुख्य रूप से गया ज़िले के 5 अंचल क्षेत्र यथा आमस, गुरुआ, गुरारू, कोच एवं परैया में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी. बैठक में सहायक समाहर्ता, अपर समाहर्ता राजस्व, ज़िला भूअर्जन पदाधिकारी, अनुमण्डल पदाधिकारी शेरघाटी, डीसीएलआर शेरघाटी, डीसीएलआर टिकारी, उत्तर कोयल नहर परियोजना सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता, संबंधित अंचलों के अंचल अधिकारी उपस्थित थे।


हजारीबाग उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले कोडरमा जिले के समाहरणालय सभागार में आज उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त श्री पवन कुमार की अध्यक्षता में राजस्व संबंधी मामलों पर एकदिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों ने भाग लिया और राजस्व मामलो से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
Kolkata, the cultural capital of India, has always been a land of mysticism, spirituality, and tantra sadhana. For centuries, Bengal has been the home of great tantriks, sadhaks, and spiritual masters who bridged the gap between the seen and the unseen, the material and the divine. Among today's generation, one name that shines the brightest in the realm of tantra and spiritual guidance is Ramapada Acharjee—widely regarded as 



हुए हैं।


Dec 03 2025, 18:11
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