लाल किला ब्लास्ट जांच की आंच आईआईटी कानपुर तक, दो कश्मीरी छात्र लापता, 15 दिनों से कोई संपर्क नहीं

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दिल्ली आतंकवादी हमले की जांच कर रही एजेंसियां आईआईटी कानपुर तक पहुंच गईं हैं। लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट के मामले में यूपी के कानपुर के डॉ. शाहीन और डॉ. आरिफ का कनेक्शन सामने आने के बाद से लगातार एटीएस, आईबी और पुलिस सक्रिय हैं। इसी क्रम में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। खुफिया एजेंसियों को शुक्रवार देर रात ये जानकारी मिली कि आईआईटी कानपुर से कश्मीर मूल के 2 पीचडी छात्र दिल्ली ब्लास्ट के पहले से लापता हैं।

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कश्मीरी मूल के छात्रों के सत्यापन में चौंकाने वाला खुलासा

दिल्ली हमले की आरोपी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पूर्व में तैनात रही डॉ. शाहीन पहले अरेस्ट की जा चुकी है। इसके बाद जांच एजेंसियां कार्डियोलॉजी से डॉक्टर मो. आरिफ को पहले ही ले जा चुकी हैं। जांच एजेंसियां इन दोनों के करीबियों की तलाश कर रही हैं। जांच के दौरान कश्मीरी मूल के नागरिक और छात्र भी जांच के दायरे में आए थे। इसी आधार पर पिछले दिनों शहर में पढ़ रहे कश्मीरी मूल के छात्र छात्राओं का ब्यौरा मांगा गया था। अब नई जानकारी आईआईटी से सामने आई है। कश्मीरी मूल के दो पीएचडी छात्र लापता हैं।

थीसिस जमा करने के बाद आईआईटी के संपर्क में नहीं

जानकारी के मुताबिक एक छात्र 18 अक्टूबर से लापता है, जबकि दूसरा छात्र बीते 10 नवंबर से लापता है। दोनों लापता छात्र इस समय कहां हैं, एजेंसियां इसकी जानकारी जुटा रही हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि दोनों ने शोध पूरी करने के बाद अपनी थीसिस जमा कर दी है। इसके बाद से वह आईआईटी के संपर्क में नहीं हैं, लेकिन दोनों छात्र कहां हैं, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। एजेंसियां पूरे मामले की जांच ने जुटी हैं।

जनजातीय आभूषण को वैश्विक बाजार से जोड़ने की झारखंड सरकार की दूरदर्शी पहल


नई दिल्ली: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में फोकस स्टेट के रूप में शामिल झारखंड पवेलियन इस वर्ष दर्शकों का खास आकर्षण बना हुआ है, जहां प्रदर्शित पारंपरिक आदिवासी एवं सिल्वर आभूषण दर्शकों को अपनी ओर खींच रही है।

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झारखंड सरकार द्वारा स्थापित यह पवेलियन राज्य की सांस्कृतिक विरासत, कारीगरी, कुटीर उद्योग, महिला उद्यमिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रहा है ।

वहीं सरकार का उद्देश्य स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और उद्यमियों को बड़े बाजारों से जोड़ना, उनके उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।

झारखंड की प्रसिद्ध पारंपरिक जनजातीय आभूषण, फैशन की मांग

झारखंड की प्रसिद्ध आदिवासी आभूषण जैसे हंसुली, ठेला, पैरी, बंगारी तथा अन्य चांदी एवं धातु के आभूषण अपने अनूठे डिजाइन, पारंपरिक तकनीक और सांस्कृतिक महत्व के कारण लोगों को बेहद पसंद आ रहे हैं। स्टॉल संचालिका गीता रानी ने बताया कि विशिष्ट डिजाइन, सांस्कृतिक पहचान और किफायती कीमतों ने झारखंड के आभूषण को दर्शको के बीच तेजी से पसंदीदा बनाया है। पवेलियन में युवाओं की बढ़ती रुचि और मौजूदगी से स्पष्ट है कि पारंपरिक फैशन की मांग बढ़ रही है।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में जनजातीय कला को मिला है व्यापक मंच

सरकार द्वारा किए गए प्रयासों जैसे स्टॉल सब्सिडी, उत्पाद प्रमोशन, बाजार अंतसंबर्धन, डिज़ाइन विकास सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रम ने स्थानीय समुदायों को नई पहचान दिलाई है। इस सक्रिय सहयोग के परिणामस्वरूप न केवल आदिवासी कला को व्यापक मंच मिला है, बल्कि झारखंड को पारंपरिक कला, सिल्वर आभूषण और हस्तशिल्प के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का अवसर भी मजबूत हुआ है।

IITF 2025 में झारखंड की धूम: देश के 70% तसर सिल्क का उत्पादन कर बना 'तसर राजधानी', पवेलियन में महिलाएं दे रहीं लाइव डेमो

नई दिल्ली: भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में झारखंड पवेलियन इस वर्ष तसर सिल्क के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय पहचान के कारण विशेष रूप से सुर्खियों में है। झारखंड देश के कुल तसर उत्पादन का 70 प्रतिशत योगदान अकेले देता है, जिससे यह 'देश की तसर राजधानी' के रूप में स्थापित हो गया है।

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तसर से तरक्की का सफर

झारखंड का तसर उद्योग आज कच्चे रेशम के उत्पादन को बढ़ाने, संपूर्ण तसर इकोसिस्टम का निर्माण करने और स्थानीय आजीविका को सुदृढ़ करने के विज़न के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

उत्पादन में वृद्धि: 2001 में जहाँ 90 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन होता था, वह बढ़कर 2024-25 में 1,363 मीट्रिक टन तक पहुँच गया है।

बुनियादी ढाँचा: राज्य में आज 100 कोकून संरक्षण केंद्र और 40 पूर्ण-सुविधायुक्त परियोजना केंद्र संचालित हो रहे हैं।

महिलाओं के नेतृत्व में सशक्तिकरण

इस अभूतपूर्व सफलता के केंद्र में झारखंड की महिलाएँ हैं, जिनकी तसर उत्पादन के 50-60 प्रतिशत कार्यों में सक्रिय भागीदारी है। कोकून प्रसंस्करण से लेकर यार्न उत्पादन (जो पूरी तरह महिला कर्मियों द्वारा किया जाता है) तक, महिलाएं इस अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

उद्योग विभाग और रेशम निदेशालय, झारक्राफ्ट, और JSLPS के सहयोग से, महिलाओं को प्रशिक्षण, रोजगार और बाजार तक पहुँच उपलब्ध कराई जा रही है। कॉमन फ़ैसिलिटी सेंटर (CFC) में 30-60 महिलाएँ एक साथ उत्पादन और कौशल विकास से जुड़कर स्वरोजगार की दिशा में बढ़ रही हैं।

पैवेलियन में लाइव डेमो आकर्षण का केंद्र

पवेलियन का मुख्य आकर्षण वह लाइव डेमो है, जहाँ प्रशिक्षित महिला कारीगर तसर कोकून से रेशम धागा निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया (कोकून उबालने से लेकर धागा तैयार करने तक) का प्रत्यक्ष प्रदर्शन कर रही हैं। इसके साथ ही, "तम्सुम" उसी धागे से करघे पर कपड़ा बुनने की कला प्रस्तुत करती हैं।

यह अनोखा प्रदर्शन न केवल तसर उद्योग की समृद्ध विरासत, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा स्थापित स्थायी आजीविका के मजबूत आधार को भी उजागर करता है।

IITF 2025 में झारखंड की धूम: सिसल और जूट से गढ़ रही हरित अर्थव्यवस्था की नई पहचान; बंजर भूमि पर खेती से 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में आज झारखंड पवेलियन खास चर्चा में रहा, जहाँ वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य की हरित अर्थव्यवस्था और सतत विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को प्रमुखता से प्रदर्शित कर रहा है।

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सिसल: हरित नवाचार का मॉडल

झारखंड पवेलियन में सिसल (Agave) आधारित उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन किया गया, जो राज्य की उभरती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं।

विशेषताएं: सिसल एक ऐसा पौधा है जो कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपता है। यह प्राकृतिक फाइबर का स्रोत है जिसका उपयोग रस्सी, मैट, बैग और हस्तशिल्प उत्पादों में होता है।

बायो-एथेनॉल की संभावना: सिसल के रस से बायो-एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं, जो इसे हरित नवाचार का एक मजबूत मॉडल बनाता है।

पारिस्थितिक महत्व: सिसल का बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी उगना इसे भूमि संरक्षण और जलवायु अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।

स्थायी आजीविका और रोजगार सृजन

SBO अनितेश कुमार ने सिसल परियोजना की प्रगति साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण कार्य पूरा हो चुका है। विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाना है।

विभाग बड़े पैमाने पर सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर तैयार कर रहा है।

"विभाग हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित कर रहा है, जो ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिरता और हरित विकास को महत्वपूर्ण गति प्रदान कर रहा है।"

जूट उत्पादों से हस्तशिल्प का प्रदर्शन

पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद भी झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ईको-फ्रेंडली जूट बैग और गृह सज्जा सामग्री, राज्य की कला-कौशल और ग्रामीण कारीगरी की गहराई को दर्शाते हैं।

IITF 2025 में झारखंड पवेलियन का लक्ष्य निवेश, बाजार और तकनीकी सहयोग के नए अवसरों को आकर्षित करना है, ताकि राज्य की ग्रामीण जनता को सशक्त बनाया जा सके।

IITF 2025: "मिनरल कैपिटल" झारखंड ने दिखाया खनिज व कृषि शक्ति का अनूठा संगम; रागी से लेकर यूरेनियम तक, पवेलियन बढ़ा रहा निवेशकों का भरोसा


प्रगति मैदान में आयोजित 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 के पाँचवें दिन, झारखंड पवेलियन अपने खनन क्षेत्र की मजबूती और कृषि विविधता, विशेषकर रागी (पोषक अनाज) के प्रभावी प्रदर्शन के कारण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस वर्ष राज्य सरकार ने झारखंड की खनिज संपदा के साथ-साथ उसकी समृद्ध कृषि परंपरा को भी राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया है।

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खनिज शक्ति: देश की औद्योगिक रीढ़

झारखंड को देश की "मिनरल कैपिटल" के रूप में जाना जाता है। पवेलियन में इस पहचान को मजबूती से दर्शाते हुए राज्य के प्रमुख खनिजों का विस्तृत प्रदर्शन किया गया है:

प्रमुख खनिज: लौह अयस्क, कोयला, अभ्रक, तांबा, यूरेनियम, बॉक्साइट, चूना पत्थर, सोना और ग्रेनाइट।

महत्व: ये खनिज भारत की औद्योगिक वृद्धि की रीढ़ हैं और ऊर्जा, आधारभूत संरचना, विनिर्माण और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को गति प्रदान करते हैं।

संदेश: प्रदर्शनी के माध्यम से राज्य यह संदेश दे रहा है कि झारखंड का खनन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन और निवेश आकर्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कृषि विविधता: टिकाऊ फसल रागी

खनिज संपदा के साथ-साथ, झारखंड ने इस बार अपनी रागी (मिलेट) फसल को भी विशेष रूप से प्रदर्शित किया है। रागी को ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए एक टिकाऊ व उच्च पोषण वाली फसल माना जाता है।

रागी उत्पाद: पवेलियन में रागी आधारित उत्पाद जैसे रागी आटा, बिस्किट, स्नैक्स और हेल्थ फूड ने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।

सरकारी पहल: राज्य सरकार रागी की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने, जलवायु-सहिष्णु खेती को प्रोत्साहित करने और बाज़ार से जोड़ने के लिए सक्रिय पहल कर रही है।

निवेशकों को संदेश

झारखंड पवेलियन का यह संतुलित प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि राज्य केवल प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादक केंद्र ही नहीं है, बल्कि खाद्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और सतत आर्थिक वृद्धि का भी एक मजबूत मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।

आईआईटीएफ 2025 में पवेलियन देश-विदेश के निवेशकों, व्यापारियों और दर्शकों को यह संदेश दे रहा है कि "झारखण्ड एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है", जो खनिज, कृषि और उद्योग तीनों में अपार संभावनाएँ रखता है।

Homeopathy in Hyderabad: A Natural Solution for Plantar Fasciitis Relief

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Plantar fasciitis is a painful foot condition that affects the thick band of tissue running along the bottom of the foot. When this tissue becomes strained or inflamed, it leads to sharp heel pain that can make walking, standing, or even simple daily tasks uncomfortable. Many people notice the pain more in the morning or after sitting for long periods, making the condition difficult to ignore.

Common signs include stabbing heel pain, stiffness, swelling near the arch, and discomfort that worsens after long hours of activity. The main causes often involve improper footwear, sudden increases in physical activity, flat feet, high arches, or weight-related stress on the feet. Addressing these factors early is essential for long-term comfort and prevention.

Choosing homeopathy in Hyderabad offers a safe, gentle, and effective way to manage plantar fasciitis. Homeopathy aims to understand the entire health picture rather than focusing only on symptoms. Practitioners specializing in homeopathy in Hyderabad look at the patient’s lifestyle, walking habits, stress levels, and overall health to create a personalized treatment plan.

Homeopathic care promotes natural healing by reducing inflammation, easing tension in the plantar fascia, and improving foot flexibility. This holistic approach encourages the body to recover gradually, leading to long-lasting relief. Many patients report steady improvement in pain levels, better mobility, and reduced morning stiffness with consistent homeopathic treatment.

Spiritual Homeopathy provides professional and personalized care for individuals struggling with plantar fasciitis. With strong expertise in homeopathy in Hyderabad, the clinic focuses on long-term healing and patient comfort, helping individuals regain confidence in their daily movement and foot function.

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IITF 2025: झारखंड पवेलियन में वन विभाग का स्टॉल बना आकर्षण का केंद्र; प्राकृतिक शहद, लाह और रेशम के साथ दिख रही 31.8% वन क्षेत्र की समृद्धि

नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) के झारखंड पवेलियन में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का स्टॉल आगंतुकों के लिए ज्ञान और उत्पादों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। लोग यहाँ झारखंड के शुद्ध प्राकृतिक शहद, लाह और रेशम से निर्मित उत्पादों को काफी पसंद कर रहे हैं।

वन क्षेत्र पदा अधिकारी श्री राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, झारखंड की भूमि पर 31.8% वन पाए जाते हैं, जिनमें शाल वृक्षों की अधिकता है।

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वन उत्पाद और वन्यजीव संरक्षण

विभाग के स्टॉल पर वनों के उत्पादों के प्रसंस्करण और बिक्री की जानकारी दी जा रही है। इस वर्ष, पवेलियन में विशेष रूप से राजमहल के उत्पादों की बिक्री की जा रही है।

विशेष उत्पाद: झारखंड की प्राकृतिक शहद के अलावा, लीची, करंज, वन तुलसी और वाइल्ड हनी जैसी विशेष शहद यहाँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, वनों से ऑर्गैनिक काजू, लाह और बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ (शतावर, कालमेघ, ब्राह्मी आदि) भी प्राप्त होती हैं, जो देश के अन्य कोनों की मांग को पूरा करती हैं।

वन संरक्षण पहल: विभाग मुख्यमंत्री जन वन योजना जैसी परियोजनाओं पर काम कर रहा है और वनों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को साथ लेकर समितियाँ बनाता है, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है।

झारखंड में वन्यजीव संरक्षण

विभाग वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा कर रहा है। झारखंड में वन्यजीवों का संरक्षण इन-सीटू (In-situ) और एक्स-सीटू (Ex-situ) दोनों तरह से किया जाता है।

इन-सीटू संरक्षण के प्रमुख उदाहरणों में पलामू व्याघ्र आरक्ष्य (बेतला), सिंहभूम दलमा गज आरक्ष्य और 11 वन्य प्राणी आश्रयणी शामिल हैं। जबकि एक्स-सीटू संरक्षण (चिड़ियाघर) मूटा मगर प्रजनन केंद्र रांची, बिरसा मृग विहार कालामाटी और भगवान बिरसा जैविक उद्यान ओरमांझी में किया जाता है।

झारखंड का रजत पर्व: मोरहाबादी में भव्य समारोह, ₹8,799 करोड़ की 1087 योजनाओं की सौगात

रांची: देश के मानचित्र पर 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया झारखंड राज्य आज अपने स्थापना के रजत जयंती वर्ष (25वीं वर्षगांठ) का भव्य समारोह मना रहा है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में दो दिवसीय राज्यस्तरीय महोत्सव का पहला दिन उत्साह और भव्यता के साथ आयोजित किया गया।

₹8,799 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास

समारोह के मुख्य आकर्षण में राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की उपस्थिति में राज्य की जनता को ₹8,799 करोड़ की कुल 1087 योजनाओं की सौगात दी गई।

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शिलान्यास: ₹4,475 करोड़ की 209 नई योजनाओं का शिलान्यास किया गया।

उद्घाटन: ₹4,324 करोड़ की 878 योजनाओं का उद्घाटन किया गया।

उद्घाटित प्रमुख योजनाओं में विधानसभा सदस्यों के लिए कोर कैपिटल एरिया में आवासीय परिसर, देवघर और लोहरदगा में नए समाहरणालय भवन, गिरिडीह नगर पालिका भवन और सिमडेगा में नए अंतरराष्ट्रीय स्ट्रैटर्फ हॉकी स्टेडियम शामिल हैं।

IITF 2025: भारत मंडपम में 'झारखंड पवेलियन' का भव्य शुभारंभ; राज्य को मिला 'फोकस स्टेट' का दर्जा, मंत्री सुदिव्य कुमार ने किया उद्घाटन

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी प्रदर्शनी सह बिक्री, 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) का शुभारंभ शुक्रवार, 14 नवंबर 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में हुआ। इस ऐतिहासिक मेले में झारखंड को 'फोकस स्टेट' का दर्जा प्राप्त हुआ है।

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झारखंड पवेलियन का विधिवत उद्घाटन झारखंड सरकार के नगर विकास एवं आवास, पर्यटन, कला संस्कृति एवं युवा कार्य मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने किया।

'एक भारत श्रेष्ठ भारत' थीम पर झारखंड की विशिष्टता

मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने उद्घाटन के बाद कहा कि झारखंड प्रदेश देश के अग्रणी प्रदेशों में से एक है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष IITF की थीम "एक भारत श्रेष्ठ भारत" है, और झारखंड इसमें अपनी विशिष्टता प्रदर्शित कर रहा है।

"भारत मंडपम का यह पटल राज्य की अलग-अलग उपलब्धियों और वस्तुओं को प्रदर्शित करने का उपयुक्त पटल है। हमें आशा है यहां आने वाले आगंतुक हमारे द्वारा प्रदर्शित की गई चीजों को पसंद करेंगे।"

माननीय मंत्री ने इस अवसर पर दीप प्रज्वलित किया और पवेलियन में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

स्थापना दिवस और फोकस स्टेट

झारखंड इस वर्ष अपने स्थापना दिवस के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। इसी कारण, मेले में झारखंड प्रदेश को फोकस स्टेट के रूप में प्रमुखता दी गई है। पवेलियन में प्रदेश के प्रमुख सरकारी संस्थानों के साथ-साथ शिल्पकारों के वस्तुओं की प्रदर्शनी सह बिक्री के स्टॉल लगाए गए हैं।

इस अवसर पर उद्योग सचिव श्री अरवा राजकमल, प्रबंध निदेशक जूडिको श्री वरुण रंजन, उद्योग निदेशक श्री विशाल सागर, संयुक्त निदेशक उद्योग श्री प्रणव कुमार पॉल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (टीसीआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज की

दिल्ली : ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (टीसीआई), जो भारत की अग्रणी एकीकृत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सॉल्यूशन्स प्रदाता कंपनी है, ने 30 सितंबर, 2025 को समाप्त दूसरी तिमाही (वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही) के वित्तीय परिणामों की घोषणा की।

वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के प्रमुख वित्तीय अंश:

• राजस्व: ₹12,174 मिलियन, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (₹11,314 मिलियन) की तुलना में 8% वृद्धि दर्शाता है।

• एबिट्डा (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय): ₹1,624 मिलियन, जो पिछले वर्ष के ₹1,519 मिलियन की तुलना में 7% की वृद्धि है।

• पीएटी (करोत्तर लाभ): ₹1,135 मिलियन, जो पिछले वर्ष के ₹1,073 मिलियन की तुलना में 6% की वृद्धि है।

समेकित

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही समेकित (₹ मिलियन में)

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की छमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की छमाही समेकित (₹ मिलियन में)

विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि % विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि %

राजस्व 12174 11314 7.6% राजस्व 23680 21874 8.3%

एबिट्डा 1624 1519 6.9% एबिट्डा 3144 2877 9.3%

पीएटी 1135 1073 5.8% पीएटी 2207 1989 11.0%

 

स्टैंडअलोन

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही स्टैंडअलोन (₹ मिलियन में)

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की छमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की छमाही स्टैंडअलोन (₹ मिलियन में)

विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि % विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि %

राजस्व 10652 10120 5.3% राजस्व 20990 19959 5.2%

एबिट्डा 1303 1228 6.1% एबिट्डा 2932 2675 9.6%

पीएटी 878 825 6.4% पीएटी 2120 1872 13.2%

प्रबंधन की टिप्पणी:

कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री विनीत अग्रवाल ने कहा, “हमें दूसरी तिमाही में स्थिर प्रदर्शन की रिपोर्ट करते हुए खुशी हो रही है, जो ऑटो, एफएमसीजी और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में मजबूत माँग से प्रेरित है, जो हमारी रणनीति, परिचालन दक्षता और प्रभावी कार्यान्वयन की मजबूती को दर्शाता है। सभी उत्पाद खंडों/डिवीजन्स ने संतोषजनक प्रदर्शन किया है।

जीएसटी 2.0 के कार्यान्वयन ने अनुपालन में स्पष्टता और कराधान को सरल बनाया है, जिससे लॉजिस्टिक्स संचालन अधिक सुचारू हुए हैं। बेहतर सामर्थ्य और तेजी से पूर्ति के शुरुआती संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं, जिसे प्रमुख उपभोग श्रेणियों में त्यौहारी सीजन की माँग से और बल मिल रहा है।

हमने अपने वेयरहाउसिंग नेटवर्क का विस्तार किया है और ऑटोमेशन व स्मार्ट मल्टीमॉडल संपत्तियों में निवेश जारी रखा है। हमारी रेल और तटीय मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सेवाएँ उच्च क्षमता वाली, पर्यावरण-अनुकूल और कुशल परिवहन प्रणाली प्रदान कर रही हैं।स्थिरता के मोर्चे पर, हम वैकल्पिक ईंधन तकनीकों के परीक्षण के साथ अपने ग्रीन फ्लीट में निवेश कर रहे हैं। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा, कचरा प्रबंधन और मोडल शिफ्ट जैसी पहलों पर भी काम जारी है।

टीसीआई- आईआईएम बैंगलोर पहल के तहत विकसित लैब के परिवहन उत्सर्जन माप उपकरण (टीईएमटी) को अब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा औपचारिक रूप से अपना लिया गया है और इसकी आधिकारिक वेबसाइट (https://dpiit.freightemissions.com/ ) पर उपलब्ध करा दिया गया है, जिससे एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।

जैसे-जैसे भारत का लॉजिस्टिक्स परिदृश्य तेज़ी से विकसित हो रहा है, टीसीआई एकीकृत, तकनीक-सक्षम और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ सप्लाई चेन समाधान प्रदान करने के अपने संकल्प पर कायम है।“

लाल किला ब्लास्ट जांच की आंच आईआईटी कानपुर तक, दो कश्मीरी छात्र लापता, 15 दिनों से कोई संपर्क नहीं

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दिल्ली आतंकवादी हमले की जांच कर रही एजेंसियां आईआईटी कानपुर तक पहुंच गईं हैं। लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट के मामले में यूपी के कानपुर के डॉ. शाहीन और डॉ. आरिफ का कनेक्शन सामने आने के बाद से लगातार एटीएस, आईबी और पुलिस सक्रिय हैं। इसी क्रम में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। खुफिया एजेंसियों को शुक्रवार देर रात ये जानकारी मिली कि आईआईटी कानपुर से कश्मीर मूल के 2 पीचडी छात्र दिल्ली ब्लास्ट के पहले से लापता हैं।

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कश्मीरी मूल के छात्रों के सत्यापन में चौंकाने वाला खुलासा

दिल्ली हमले की आरोपी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पूर्व में तैनात रही डॉ. शाहीन पहले अरेस्ट की जा चुकी है। इसके बाद जांच एजेंसियां कार्डियोलॉजी से डॉक्टर मो. आरिफ को पहले ही ले जा चुकी हैं। जांच एजेंसियां इन दोनों के करीबियों की तलाश कर रही हैं। जांच के दौरान कश्मीरी मूल के नागरिक और छात्र भी जांच के दायरे में आए थे। इसी आधार पर पिछले दिनों शहर में पढ़ रहे कश्मीरी मूल के छात्र छात्राओं का ब्यौरा मांगा गया था। अब नई जानकारी आईआईटी से सामने आई है। कश्मीरी मूल के दो पीएचडी छात्र लापता हैं।

थीसिस जमा करने के बाद आईआईटी के संपर्क में नहीं

जानकारी के मुताबिक एक छात्र 18 अक्टूबर से लापता है, जबकि दूसरा छात्र बीते 10 नवंबर से लापता है। दोनों लापता छात्र इस समय कहां हैं, एजेंसियां इसकी जानकारी जुटा रही हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि दोनों ने शोध पूरी करने के बाद अपनी थीसिस जमा कर दी है। इसके बाद से वह आईआईटी के संपर्क में नहीं हैं, लेकिन दोनों छात्र कहां हैं, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। एजेंसियां पूरे मामले की जांच ने जुटी हैं।

जनजातीय आभूषण को वैश्विक बाजार से जोड़ने की झारखंड सरकार की दूरदर्शी पहल


नई दिल्ली: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में फोकस स्टेट के रूप में शामिल झारखंड पवेलियन इस वर्ष दर्शकों का खास आकर्षण बना हुआ है, जहां प्रदर्शित पारंपरिक आदिवासी एवं सिल्वर आभूषण दर्शकों को अपनी ओर खींच रही है।

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झारखंड सरकार द्वारा स्थापित यह पवेलियन राज्य की सांस्कृतिक विरासत, कारीगरी, कुटीर उद्योग, महिला उद्यमिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रहा है ।

वहीं सरकार का उद्देश्य स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और उद्यमियों को बड़े बाजारों से जोड़ना, उनके उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।

झारखंड की प्रसिद्ध पारंपरिक जनजातीय आभूषण, फैशन की मांग

झारखंड की प्रसिद्ध आदिवासी आभूषण जैसे हंसुली, ठेला, पैरी, बंगारी तथा अन्य चांदी एवं धातु के आभूषण अपने अनूठे डिजाइन, पारंपरिक तकनीक और सांस्कृतिक महत्व के कारण लोगों को बेहद पसंद आ रहे हैं। स्टॉल संचालिका गीता रानी ने बताया कि विशिष्ट डिजाइन, सांस्कृतिक पहचान और किफायती कीमतों ने झारखंड के आभूषण को दर्शको के बीच तेजी से पसंदीदा बनाया है। पवेलियन में युवाओं की बढ़ती रुचि और मौजूदगी से स्पष्ट है कि पारंपरिक फैशन की मांग बढ़ रही है।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में जनजातीय कला को मिला है व्यापक मंच

सरकार द्वारा किए गए प्रयासों जैसे स्टॉल सब्सिडी, उत्पाद प्रमोशन, बाजार अंतसंबर्धन, डिज़ाइन विकास सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रम ने स्थानीय समुदायों को नई पहचान दिलाई है। इस सक्रिय सहयोग के परिणामस्वरूप न केवल आदिवासी कला को व्यापक मंच मिला है, बल्कि झारखंड को पारंपरिक कला, सिल्वर आभूषण और हस्तशिल्प के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का अवसर भी मजबूत हुआ है।

IITF 2025 में झारखंड की धूम: देश के 70% तसर सिल्क का उत्पादन कर बना 'तसर राजधानी', पवेलियन में महिलाएं दे रहीं लाइव डेमो

नई दिल्ली: भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में झारखंड पवेलियन इस वर्ष तसर सिल्क के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय पहचान के कारण विशेष रूप से सुर्खियों में है। झारखंड देश के कुल तसर उत्पादन का 70 प्रतिशत योगदान अकेले देता है, जिससे यह 'देश की तसर राजधानी' के रूप में स्थापित हो गया है।

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तसर से तरक्की का सफर

झारखंड का तसर उद्योग आज कच्चे रेशम के उत्पादन को बढ़ाने, संपूर्ण तसर इकोसिस्टम का निर्माण करने और स्थानीय आजीविका को सुदृढ़ करने के विज़न के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

उत्पादन में वृद्धि: 2001 में जहाँ 90 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन होता था, वह बढ़कर 2024-25 में 1,363 मीट्रिक टन तक पहुँच गया है।

बुनियादी ढाँचा: राज्य में आज 100 कोकून संरक्षण केंद्र और 40 पूर्ण-सुविधायुक्त परियोजना केंद्र संचालित हो रहे हैं।

महिलाओं के नेतृत्व में सशक्तिकरण

इस अभूतपूर्व सफलता के केंद्र में झारखंड की महिलाएँ हैं, जिनकी तसर उत्पादन के 50-60 प्रतिशत कार्यों में सक्रिय भागीदारी है। कोकून प्रसंस्करण से लेकर यार्न उत्पादन (जो पूरी तरह महिला कर्मियों द्वारा किया जाता है) तक, महिलाएं इस अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

उद्योग विभाग और रेशम निदेशालय, झारक्राफ्ट, और JSLPS के सहयोग से, महिलाओं को प्रशिक्षण, रोजगार और बाजार तक पहुँच उपलब्ध कराई जा रही है। कॉमन फ़ैसिलिटी सेंटर (CFC) में 30-60 महिलाएँ एक साथ उत्पादन और कौशल विकास से जुड़कर स्वरोजगार की दिशा में बढ़ रही हैं।

पैवेलियन में लाइव डेमो आकर्षण का केंद्र

पवेलियन का मुख्य आकर्षण वह लाइव डेमो है, जहाँ प्रशिक्षित महिला कारीगर तसर कोकून से रेशम धागा निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया (कोकून उबालने से लेकर धागा तैयार करने तक) का प्रत्यक्ष प्रदर्शन कर रही हैं। इसके साथ ही, "तम्सुम" उसी धागे से करघे पर कपड़ा बुनने की कला प्रस्तुत करती हैं।

यह अनोखा प्रदर्शन न केवल तसर उद्योग की समृद्ध विरासत, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा स्थापित स्थायी आजीविका के मजबूत आधार को भी उजागर करता है।

IITF 2025 में झारखंड की धूम: सिसल और जूट से गढ़ रही हरित अर्थव्यवस्था की नई पहचान; बंजर भूमि पर खेती से 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में आज झारखंड पवेलियन खास चर्चा में रहा, जहाँ वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य की हरित अर्थव्यवस्था और सतत विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को प्रमुखता से प्रदर्शित कर रहा है।

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सिसल: हरित नवाचार का मॉडल

झारखंड पवेलियन में सिसल (Agave) आधारित उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन किया गया, जो राज्य की उभरती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं।

विशेषताएं: सिसल एक ऐसा पौधा है जो कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपता है। यह प्राकृतिक फाइबर का स्रोत है जिसका उपयोग रस्सी, मैट, बैग और हस्तशिल्प उत्पादों में होता है।

बायो-एथेनॉल की संभावना: सिसल के रस से बायो-एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं, जो इसे हरित नवाचार का एक मजबूत मॉडल बनाता है।

पारिस्थितिक महत्व: सिसल का बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी उगना इसे भूमि संरक्षण और जलवायु अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।

स्थायी आजीविका और रोजगार सृजन

SBO अनितेश कुमार ने सिसल परियोजना की प्रगति साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण कार्य पूरा हो चुका है। विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाना है।

विभाग बड़े पैमाने पर सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर तैयार कर रहा है।

"विभाग हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित कर रहा है, जो ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिरता और हरित विकास को महत्वपूर्ण गति प्रदान कर रहा है।"

जूट उत्पादों से हस्तशिल्प का प्रदर्शन

पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद भी झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ईको-फ्रेंडली जूट बैग और गृह सज्जा सामग्री, राज्य की कला-कौशल और ग्रामीण कारीगरी की गहराई को दर्शाते हैं।

IITF 2025 में झारखंड पवेलियन का लक्ष्य निवेश, बाजार और तकनीकी सहयोग के नए अवसरों को आकर्षित करना है, ताकि राज्य की ग्रामीण जनता को सशक्त बनाया जा सके।

IITF 2025: "मिनरल कैपिटल" झारखंड ने दिखाया खनिज व कृषि शक्ति का अनूठा संगम; रागी से लेकर यूरेनियम तक, पवेलियन बढ़ा रहा निवेशकों का भरोसा


प्रगति मैदान में आयोजित 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 के पाँचवें दिन, झारखंड पवेलियन अपने खनन क्षेत्र की मजबूती और कृषि विविधता, विशेषकर रागी (पोषक अनाज) के प्रभावी प्रदर्शन के कारण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस वर्ष राज्य सरकार ने झारखंड की खनिज संपदा के साथ-साथ उसकी समृद्ध कृषि परंपरा को भी राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया है।

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खनिज शक्ति: देश की औद्योगिक रीढ़

झारखंड को देश की "मिनरल कैपिटल" के रूप में जाना जाता है। पवेलियन में इस पहचान को मजबूती से दर्शाते हुए राज्य के प्रमुख खनिजों का विस्तृत प्रदर्शन किया गया है:

प्रमुख खनिज: लौह अयस्क, कोयला, अभ्रक, तांबा, यूरेनियम, बॉक्साइट, चूना पत्थर, सोना और ग्रेनाइट।

महत्व: ये खनिज भारत की औद्योगिक वृद्धि की रीढ़ हैं और ऊर्जा, आधारभूत संरचना, विनिर्माण और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को गति प्रदान करते हैं।

संदेश: प्रदर्शनी के माध्यम से राज्य यह संदेश दे रहा है कि झारखंड का खनन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन और निवेश आकर्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कृषि विविधता: टिकाऊ फसल रागी

खनिज संपदा के साथ-साथ, झारखंड ने इस बार अपनी रागी (मिलेट) फसल को भी विशेष रूप से प्रदर्शित किया है। रागी को ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए एक टिकाऊ व उच्च पोषण वाली फसल माना जाता है।

रागी उत्पाद: पवेलियन में रागी आधारित उत्पाद जैसे रागी आटा, बिस्किट, स्नैक्स और हेल्थ फूड ने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।

सरकारी पहल: राज्य सरकार रागी की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने, जलवायु-सहिष्णु खेती को प्रोत्साहित करने और बाज़ार से जोड़ने के लिए सक्रिय पहल कर रही है।

निवेशकों को संदेश

झारखंड पवेलियन का यह संतुलित प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि राज्य केवल प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादक केंद्र ही नहीं है, बल्कि खाद्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और सतत आर्थिक वृद्धि का भी एक मजबूत मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।

आईआईटीएफ 2025 में पवेलियन देश-विदेश के निवेशकों, व्यापारियों और दर्शकों को यह संदेश दे रहा है कि "झारखण्ड एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है", जो खनिज, कृषि और उद्योग तीनों में अपार संभावनाएँ रखता है।

Homeopathy in Hyderabad: A Natural Solution for Plantar Fasciitis Relief

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Plantar fasciitis is a painful foot condition that affects the thick band of tissue running along the bottom of the foot. When this tissue becomes strained or inflamed, it leads to sharp heel pain that can make walking, standing, or even simple daily tasks uncomfortable. Many people notice the pain more in the morning or after sitting for long periods, making the condition difficult to ignore.

Common signs include stabbing heel pain, stiffness, swelling near the arch, and discomfort that worsens after long hours of activity. The main causes often involve improper footwear, sudden increases in physical activity, flat feet, high arches, or weight-related stress on the feet. Addressing these factors early is essential for long-term comfort and prevention.

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Homeopathic care promotes natural healing by reducing inflammation, easing tension in the plantar fascia, and improving foot flexibility. This holistic approach encourages the body to recover gradually, leading to long-lasting relief. Many patients report steady improvement in pain levels, better mobility, and reduced morning stiffness with consistent homeopathic treatment.

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IITF 2025: झारखंड पवेलियन में वन विभाग का स्टॉल बना आकर्षण का केंद्र; प्राकृतिक शहद, लाह और रेशम के साथ दिख रही 31.8% वन क्षेत्र की समृद्धि

नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) के झारखंड पवेलियन में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का स्टॉल आगंतुकों के लिए ज्ञान और उत्पादों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। लोग यहाँ झारखंड के शुद्ध प्राकृतिक शहद, लाह और रेशम से निर्मित उत्पादों को काफी पसंद कर रहे हैं।

वन क्षेत्र पदा अधिकारी श्री राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, झारखंड की भूमि पर 31.8% वन पाए जाते हैं, जिनमें शाल वृक्षों की अधिकता है।

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वन उत्पाद और वन्यजीव संरक्षण

विभाग के स्टॉल पर वनों के उत्पादों के प्रसंस्करण और बिक्री की जानकारी दी जा रही है। इस वर्ष, पवेलियन में विशेष रूप से राजमहल के उत्पादों की बिक्री की जा रही है।

विशेष उत्पाद: झारखंड की प्राकृतिक शहद के अलावा, लीची, करंज, वन तुलसी और वाइल्ड हनी जैसी विशेष शहद यहाँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, वनों से ऑर्गैनिक काजू, लाह और बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ (शतावर, कालमेघ, ब्राह्मी आदि) भी प्राप्त होती हैं, जो देश के अन्य कोनों की मांग को पूरा करती हैं।

वन संरक्षण पहल: विभाग मुख्यमंत्री जन वन योजना जैसी परियोजनाओं पर काम कर रहा है और वनों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को साथ लेकर समितियाँ बनाता है, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है।

झारखंड में वन्यजीव संरक्षण

विभाग वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा कर रहा है। झारखंड में वन्यजीवों का संरक्षण इन-सीटू (In-situ) और एक्स-सीटू (Ex-situ) दोनों तरह से किया जाता है।

इन-सीटू संरक्षण के प्रमुख उदाहरणों में पलामू व्याघ्र आरक्ष्य (बेतला), सिंहभूम दलमा गज आरक्ष्य और 11 वन्य प्राणी आश्रयणी शामिल हैं। जबकि एक्स-सीटू संरक्षण (चिड़ियाघर) मूटा मगर प्रजनन केंद्र रांची, बिरसा मृग विहार कालामाटी और भगवान बिरसा जैविक उद्यान ओरमांझी में किया जाता है।

झारखंड का रजत पर्व: मोरहाबादी में भव्य समारोह, ₹8,799 करोड़ की 1087 योजनाओं की सौगात

रांची: देश के मानचित्र पर 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया झारखंड राज्य आज अपने स्थापना के रजत जयंती वर्ष (25वीं वर्षगांठ) का भव्य समारोह मना रहा है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में दो दिवसीय राज्यस्तरीय महोत्सव का पहला दिन उत्साह और भव्यता के साथ आयोजित किया गया।

₹8,799 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास

समारोह के मुख्य आकर्षण में राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की उपस्थिति में राज्य की जनता को ₹8,799 करोड़ की कुल 1087 योजनाओं की सौगात दी गई।

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शिलान्यास: ₹4,475 करोड़ की 209 नई योजनाओं का शिलान्यास किया गया।

उद्घाटन: ₹4,324 करोड़ की 878 योजनाओं का उद्घाटन किया गया।

उद्घाटित प्रमुख योजनाओं में विधानसभा सदस्यों के लिए कोर कैपिटल एरिया में आवासीय परिसर, देवघर और लोहरदगा में नए समाहरणालय भवन, गिरिडीह नगर पालिका भवन और सिमडेगा में नए अंतरराष्ट्रीय स्ट्रैटर्फ हॉकी स्टेडियम शामिल हैं।

IITF 2025: भारत मंडपम में 'झारखंड पवेलियन' का भव्य शुभारंभ; राज्य को मिला 'फोकस स्टेट' का दर्जा, मंत्री सुदिव्य कुमार ने किया उद्घाटन

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी प्रदर्शनी सह बिक्री, 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) का शुभारंभ शुक्रवार, 14 नवंबर 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में हुआ। इस ऐतिहासिक मेले में झारखंड को 'फोकस स्टेट' का दर्जा प्राप्त हुआ है।

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झारखंड पवेलियन का विधिवत उद्घाटन झारखंड सरकार के नगर विकास एवं आवास, पर्यटन, कला संस्कृति एवं युवा कार्य मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने किया।

'एक भारत श्रेष्ठ भारत' थीम पर झारखंड की विशिष्टता

मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने उद्घाटन के बाद कहा कि झारखंड प्रदेश देश के अग्रणी प्रदेशों में से एक है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष IITF की थीम "एक भारत श्रेष्ठ भारत" है, और झारखंड इसमें अपनी विशिष्टता प्रदर्शित कर रहा है।

"भारत मंडपम का यह पटल राज्य की अलग-अलग उपलब्धियों और वस्तुओं को प्रदर्शित करने का उपयुक्त पटल है। हमें आशा है यहां आने वाले आगंतुक हमारे द्वारा प्रदर्शित की गई चीजों को पसंद करेंगे।"

माननीय मंत्री ने इस अवसर पर दीप प्रज्वलित किया और पवेलियन में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

स्थापना दिवस और फोकस स्टेट

झारखंड इस वर्ष अपने स्थापना दिवस के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। इसी कारण, मेले में झारखंड प्रदेश को फोकस स्टेट के रूप में प्रमुखता दी गई है। पवेलियन में प्रदेश के प्रमुख सरकारी संस्थानों के साथ-साथ शिल्पकारों के वस्तुओं की प्रदर्शनी सह बिक्री के स्टॉल लगाए गए हैं।

इस अवसर पर उद्योग सचिव श्री अरवा राजकमल, प्रबंध निदेशक जूडिको श्री वरुण रंजन, उद्योग निदेशक श्री विशाल सागर, संयुक्त निदेशक उद्योग श्री प्रणव कुमार पॉल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (टीसीआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज की

दिल्ली : ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (टीसीआई), जो भारत की अग्रणी एकीकृत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सॉल्यूशन्स प्रदाता कंपनी है, ने 30 सितंबर, 2025 को समाप्त दूसरी तिमाही (वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही) के वित्तीय परिणामों की घोषणा की।

वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के प्रमुख वित्तीय अंश:

• राजस्व: ₹12,174 मिलियन, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (₹11,314 मिलियन) की तुलना में 8% वृद्धि दर्शाता है।

• एबिट्डा (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय): ₹1,624 मिलियन, जो पिछले वर्ष के ₹1,519 मिलियन की तुलना में 7% की वृद्धि है।

• पीएटी (करोत्तर लाभ): ₹1,135 मिलियन, जो पिछले वर्ष के ₹1,073 मिलियन की तुलना में 6% की वृद्धि है।

समेकित

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही समेकित (₹ मिलियन में)

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की छमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की छमाही समेकित (₹ मिलियन में)

विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि % विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि %

राजस्व 12174 11314 7.6% राजस्व 23680 21874 8.3%

एबिट्डा 1624 1519 6.9% एबिट्डा 3144 2877 9.3%

पीएटी 1135 1073 5.8% पीएटी 2207 1989 11.0%

 

स्टैंडअलोन

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही स्टैंडअलोन (₹ मिलियन में)

प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ: वित्त वर्ष 26 की छमाही बनाम वित्त वर्ष 25 की छमाही स्टैंडअलोन (₹ मिलियन में)

विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि % विवरण 30.09.2025 30.09.2024 वृद्धि %

राजस्व 10652 10120 5.3% राजस्व 20990 19959 5.2%

एबिट्डा 1303 1228 6.1% एबिट्डा 2932 2675 9.6%

पीएटी 878 825 6.4% पीएटी 2120 1872 13.2%

प्रबंधन की टिप्पणी:

कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री विनीत अग्रवाल ने कहा, “हमें दूसरी तिमाही में स्थिर प्रदर्शन की रिपोर्ट करते हुए खुशी हो रही है, जो ऑटो, एफएमसीजी और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में मजबूत माँग से प्रेरित है, जो हमारी रणनीति, परिचालन दक्षता और प्रभावी कार्यान्वयन की मजबूती को दर्शाता है। सभी उत्पाद खंडों/डिवीजन्स ने संतोषजनक प्रदर्शन किया है।

जीएसटी 2.0 के कार्यान्वयन ने अनुपालन में स्पष्टता और कराधान को सरल बनाया है, जिससे लॉजिस्टिक्स संचालन अधिक सुचारू हुए हैं। बेहतर सामर्थ्य और तेजी से पूर्ति के शुरुआती संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं, जिसे प्रमुख उपभोग श्रेणियों में त्यौहारी सीजन की माँग से और बल मिल रहा है।

हमने अपने वेयरहाउसिंग नेटवर्क का विस्तार किया है और ऑटोमेशन व स्मार्ट मल्टीमॉडल संपत्तियों में निवेश जारी रखा है। हमारी रेल और तटीय मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सेवाएँ उच्च क्षमता वाली, पर्यावरण-अनुकूल और कुशल परिवहन प्रणाली प्रदान कर रही हैं।स्थिरता के मोर्चे पर, हम वैकल्पिक ईंधन तकनीकों के परीक्षण के साथ अपने ग्रीन फ्लीट में निवेश कर रहे हैं। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा, कचरा प्रबंधन और मोडल शिफ्ट जैसी पहलों पर भी काम जारी है।

टीसीआई- आईआईएम बैंगलोर पहल के तहत विकसित लैब के परिवहन उत्सर्जन माप उपकरण (टीईएमटी) को अब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा औपचारिक रूप से अपना लिया गया है और इसकी आधिकारिक वेबसाइट (https://dpiit.freightemissions.com/ ) पर उपलब्ध करा दिया गया है, जिससे एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।

जैसे-जैसे भारत का लॉजिस्टिक्स परिदृश्य तेज़ी से विकसित हो रहा है, टीसीआई एकीकृत, तकनीक-सक्षम और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ सप्लाई चेन समाधान प्रदान करने के अपने संकल्प पर कायम है।“