जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई बीआर गवई ने सरकार से की सिफारिश
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भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई का रिटायरमेंट नजदीक है। इस कारण अगले सीजेआई के चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीजेआई गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया है। गवई अगले महीने 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं।
23 अक्टूबर से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू
केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ही नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और सीजेआई गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सुझाने का अनुरोध किया था। संविधान के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर’ से तय होती है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को, अगर वे उपयुक्त माने जाएं, मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
कैसे होती है सीजेआई की नियुक्ति
परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से पद छोड़ने से लगभग 30 दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को 'पद धारण करने के लिए उपयुक्त' मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।
23 नवंबर को रिटायर हो रहे सीजेआई गवई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे।न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख बनने की कतार में अगले स्थान पर हैं। नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे।
हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 मई 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया। साल 2000 में वह हरियाणा के महाधिवक्ता बने और साल 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। वह उसी साल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद वह साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।
कई ऐतिहासिक फैसलों की कर चुके हैं सुनवाई
पिछले दो दशकों में अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण, लैंगिक समानता और अनुच्छेद 370 से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। वे उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (सिडिशन लॉ) को निलंबित किया था। उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची से बाहर किए गए नामों का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था और बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया था। जस्टिस सूर्यकांत उन पीठों में भी शामिल रहे हैं जिन्होंने पेगासस जासूसी मामले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक, और वन रैंक-वन पेंशन जैसे अहम मामलों की सुनवाई की थी।







सुल्तानपुर,जगतगुरू राम भद्राचार्य नौ दिवसीय बाल्मीकि रामायण कथा का प्रवचन करने सुल्तानपुर के बिजेथुआ महावीरन धाम पहुंचे हैं। शुक्रवार को यहां मीडिया से बात करते हुए CJI पर कोर्ट में जूते से हमले के प्रयास को गलत ठहराया। वही राम भद्राचार्य CJI पर भी टिप्पणी की। राम भद्राचार्य ने कहा, हमला नहीं होना चाहिए उन्होंने जो किया वो बहुत ग़लत है। उसके बाद वे कहते हैं, मैं पूरा केस जानता हूं। चीफ जस्टिस ने अपनी मर्यादाओं से हटकर ऐसा किया। आज तक बहुत से चीफ जस्टिस मैंने देखे आज तक इतना किसी ने नहीं किया था। यद्पि जूता फेकना ग़लत है लेकिन उनकी भी बात बहुत गलत है।
वही आरक्षण के सवाल पर राम भद्राचार्य ने कहा मैं तो प्रारम्भ से कह रहा हूं जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के कदम की सराहना किया और अपील किया सभी स्वदेशी सामान अपनाए। आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर उन्होंने कहा आरएसएस ने बहुत अच्छा काम किया है, वो शताब्दी वर्ष मना रहे हैं हमने उनको वीडियो भेजा है। वही आई लव मोहम्मद के विरोध में आई लव महादेव ट्रेंड चलाने की राम भद्राचार्य ने प्रशंसा की है। उधर सवाल हुआ कि बिजेथुआ महोत्सव में अबकी बार प्रधानमंत्री आने वाले थे इस पर क्या कहेंगे तो जवाब में उन्होंने कहा हम लोग प्रयास कर रहे हैं। इस बार जरा हम जल्दी आ गए, इसलिए कि हनुमान जी ने सपना दिया,हमारी योजना में था किहम दो वर्ष बाद बाल्मीकि रामायण करे लेकिन हनुमान जी का मन था।
बता दें कि यहां भव्य शोभा यात्रा और कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। बीते दो वर्षों से लगातार रामभद्रा चार्य यहां कथा के लिए पहुंच रहे हैं। कादीपुर के सूरापुर स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम के प्रांगण में सत्या माइक्रो फाइनेंस के सीईओ विवेक तिवारी के संयोजन और कादीपुर विधायक राजेश गौतम की अध्यक्षता में यहां कार्यक्रम कराया जा रहा है।Report/LalJi


डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991' के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं की सुनवाई से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि जब तक इस मामले पर केंद्र सरकार का जवाब दाखिल नहीं हो जाता, तब तक इस पर सुनवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किया है, जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जवाब जल्द दाखिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक नई याचिका दायर की जा सकती है लेकिन उन्हें रजिस्टर नहीं किया जाएगा।

18 min ago
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