भारत' विरोधी मोहम्मद यूनुस हर बीतते पल के साथ दिखा रहे तेवर, अब बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को पहली बार मोर्चा संभालते हुए, देश में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था। शेख हसीना ने कहा था कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया। जिसके बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सभी ''घृणास्पद भाषणों'' के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण पूर्व प्रधानमंत्री के विरुद्ध दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों की सुनवाई शुरू करेगा।

सोशल मीडिया से भी हसीना के भाषणों को हटाने का आदेश

बांग्लादेश संगबाद संस्था के मुताबिक न्यायाधीश एमडी गोलाम मुर्तजा मौजूमदार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया। आदेश में अधिकारियों को हसीना के भड़काऊ भाषण को सोशल मीडिया से हटाने और भविष्य में इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अभियोजक अधिवक्ता अब्दुल्लाह अल नोमान ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आईसीटी विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग को आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। अभियोजक ने दायर याचिका में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों को हटाया जाए। क्योंकि गवाहों और पीड़ितों को डर लग सकता है या जांच में बाधा आ सकती है।

क्या कहा था हसीना ने?

बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल का फैसला न्यूयॉर्क में वीडियो लिंक के जरिये हुए हसीना के संबोधन के बाद आया है। हसीना ने न्यूयॉर्क में मौजूद अपने समर्थकों को भारत ही से वीडियो लिंक के जरिये संबोधित किया था। हसीना ने अपने संबोधन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या का आरोप जड़ा था।न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में वर्चुअल संबोधन में उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर 'नरसंहार' करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है... मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हसीना के खिलाफ कम से कम 60 मुकदमें दायर

हसीना को इस साल जुलाई व अगस्त में विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश दिया।

मोहम्मद यूनुस नरसंहार में शामिल', बांग्लादेश सरकार पर शेख हसीना का तीखा हमला

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोला है। शेख हसीना ने कहा है कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। जबकि उन्‍होंने (शेख हसीना) हिंसा रोकने के लिए देश तक छोड़ दिया, लेकिन गोली नहीं चलने दी। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया।

बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई-हसीना

हसीना ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए यूनुस पर नरसंहार करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। अगस्त में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण देश छोड़कर भारत में शरण लेने के बाद यह हसीना का पहला सार्वजनिक संबोधन था। इस दौरान उन्होंने पांच अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, ''हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया। अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाई होतीं, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे गोलियां न चलाएं।'' उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी।

यूनुस सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहे-हसीना

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए में हसीना ने कहा, ‘‘आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है। वास्तव में, यूनुस एक सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहे हैं। इस नरसंहार के पीछे मुख्य षड्यंत्रकारी छात्र समन्वयक और यूनुस हैं।'' हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का परोक्ष संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू, बौद्ध, ईसाई - किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह गिरजाघरों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध उपासनास्थलों को तोड़ दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन के संत को गिरफ्तार कर लिया गया।

हसीना ने पूछा- अल्पसंख्यकों पर अत्याचार क्यों हो रहा है?

हसीना ने इस दौरान बांग्लादेश सरकार से पूछा, ‘‘अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों हो रहा है? उन्हें क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है?'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे तो इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला।'' हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।''

बढ़ेंगी शेख हसीना की मुश्किलें, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा चलाना चाहती है बांग्लादेश की यूनुस सरकार
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* बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बड़ी प्लानिंग कर रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) में मुकदमा चलाना चाहती है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बृहस्पतिवार को इस बारे में जानकारी दी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस की प्रेस शाखा के एक अधिकारी ने कहा, 'मुख्य सलाहकार यूनुस ने हसीना के खिलाफ मुकदमे के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजक करीम ए खान से चर्चा की, जिन्होंने जमुना स्थित उनके आधिकारिक आवास पर उनसे मुलाकात की।' बांग्लादेश में जून में विवादास्पद नौकरी आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन भड़क उठा। इसके बाद शेख हसीना और अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत आने पर मजबूर होना पड़ा। इस घटनाक्रम के तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला था। सत्ता छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दर्जनों केस दर्ज किए हैं, जिनमें मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप भी शामिल है। हसीना के अलावा उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से कुछ जेल में बंद हैं और कुछ देश छोड़कर भाग गए हैं।
चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भड़की शेख हसीना, यूनुस सरकार को चेताया

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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा जारी है। इसी कड़ी में चटगांव में हालिया हिंसा के बाद इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इस पर बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का बयान आया है। शेख हसीना ने देशद्रोह के आरोप में हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और इसे “अन्यायपूर्ण” बताया साथ ही उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।

शेख हसीना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सनातन धर्म के एक वरिष्ठ नेता को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया है और उनकी अविलंब रिहाई होनी चाहिए। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने उनके इस बयान को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया। इसमें उन्होंने चटगांव में एक वकील की हत्या की घटना पर भी प्रतिक्रिया दी और इसे मानवाधिकारों का बड़ा उल्लंघन बताया।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म समुदाय के एक शीर्ष नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया है। इससे पहले अहमदिया समुदाय की मस्जिदों, दरगाहों, चर्चों, मठों और घरों पर हमला किया गया, तोड़फोड़ की गई, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। सभी समुदायों के लोगों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

शेख हसीना ने कहा-मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन

हसीने ने आगे कहा है कि चटगांव में एक वकील की हत्या की गई है, इस हत्या का कड़ा विरोध किया जा रहा है। इस हत्या में शामिल लोगों को जल्द से जल्द ढूंढकर सजा दी जानी चाहिए। इस घटना से मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है। एक वकील अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन करने गया था और उसे पीट-पीटकर मार डालने वाले आतंकवादी हैं। वे जो भी हों, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

अंतरिम सरकार की लगाई क्लास

हसीना ने मौजूदा सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाया। शेख हसीना ने कहा कि अगर असंवैधानिक रूप से सत्ता हथियाने वाली यूनुस सरकार इन आतंकवादियों को दंडित करने में विफल रहती है तो उसे मानवाधिकार उल्लंघन के लिए भी सजा का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण करने में विफल रही है और आम जनता की सुरक्षा देने में भी असमर्थ है। उन्होंने आम जनता पर हो रहे अत्याचारों की निंदा करते हुए कहा कि निर्दोष लोगों के खिलाफ कार्रवाई के जरिए दमन का माहौल बनाया जा रहा है।

भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे” मोहम्मद यूनुस का बयान, अब क्या करेगी मोदी सरकार?

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पांच अगस्त को शेख हसीना ने अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था। बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों के चलते सत्ता से बेदखल होने के बाद शेख हसीना भारत चली गई थीं। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के साथ शुरू हुई हिंसा की लहर आज तक बांग्लादेश में देखने को मिल रही है। इसी बीच बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने बड़ा बयान दिया है। मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रत्यर्पण भारत से मांगेगी। अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने ये ऐलान किया।

अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने कहा कि अंतरिम सरकार हसीना सहित उन लोगों पर मुकदमा चलाएगी, जो छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित यूनुस ने कहा, हम भारत से तानाशाह शेख हसीना को स्वदेश भेजने की मांग करेंगे। मैंने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के मुख्य अभियोजक करीम खान के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी।

सरकार हर एक मौत का विवरण इकट्ठा कर रही- यूनुस

यूनुस ने यह भी बताया कि हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1500 लोग मारे गए थे और 19,931 लोग घायल हुए थे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हर एक मौत का विवरण इकट्ठा कर रही है और घायलों का इलाज भी सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उन मामलों की जांच कर रही है जिनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसा का शिकार होना पड़ा। उन्होंने कहा हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी नागरिक को हिंसा का शिकार न होना पड़े, चाहे वह हिंदू हो या कोई और।

निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपना सबसे महत्वपूर्ण काम- यूनुस

हसीना और उनके करीबी सहयोगी देश में कई आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। वहीं, यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार भी इस मामले को आईसीसी को सौंपने पर जोर दे रही है। यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम एक निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने के लिए चुनाव कराना है, लेकिन उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन सबसे पहले चुनावी प्रणाली सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाएगा। यूनुस ने वादा किया कि एक बार चुनावी सुधार पूरे हो जाने के बाद नये चुनाव के लिए खाका पेश किया जाएगा।

हिंदू समुदाय के लोगों के साथ हुई हिंसा पर क्या बोले युनुस?

वहीं, मोहम्मद यूनुस ने कहा कि देश में कुछ हिंसक घटनाएं मुख्य रूप से राजनीतिक कारणों से हुईं और धार्मिक रूप से उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। हिंदू समुदाय के लोगों में से कई ने शिकायत की थी कि हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद से कट्टरपंथी इस्लामवादी तेजी से प्रभावशाली हो रहे हैं। लेकिन इस बारे में जो भी प्रचार किया गया वह पूरी तरह से अतिशयोक्तिपूर्ण है। हिंसा के जो छोटे-मोटे मामले हुए वे मुख्य रूप से राजनीतिक थे। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को धार्मिक रंग देकर देश को फिर से अस्थिर करने के प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी के सहयोग से स्थिति से दृढ़ता से निपटा। उनकी सरकार के सत्ता में आने के दो महीने बाद देश भर में लगभग 32,000 पूजा मंडपों में दुर्गा पूजा मनाई गई।

बता दे कि शेख हसीना ने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था और भारत चली गई थीं। शेख हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के क्रूर दमन का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोग हताहत हुए।

फिर सुलगने लगा बांग्लादेश, अब शेख हसीना के समर्थक सड़कों पर, ट्रंप के जीतते ही आवामी लीग में उत्साह!

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बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री और देश की सबसे बड़ी पार्टी अवामी लीग की नेता शेख हसीना एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। दरअसल, बांग्लादेश में एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। इस बार शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए हैं।शेख हसीना की पार्टी के समर्थकों और भूमिगत हुए नेता रविवार को ढाका के गुलिस्तान, जीरो पॉइंट, नूर हुसैन स्क्वायर इलाकों में सड़कों पर उतरे।अपने नेताओं को गलत तरीके से फंसाने, छात्र विंग पर प्रतिबंध लगाने और एएल कार्यकर्ताओं को सताने के लिए अवामी लीग द्वारा यह विरोध प्रदर्शन किया गया।

5 अगस्त को शेख हसीना के तख्तापलट के बाद तीन महीनों में जो नहीं हुआ ढाका में वो देखना को मिला। तख्तापलट के बाद शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता हमलों का शिकार हुए। वो अब अचानक खुलकर यूनुस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। हालांकि अंतरिम सरकार ने उन्हें चेतावनी दी लेकिन वो नहीं माने। कुछ समय पहले अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के स्टूडेंट विंग ‘स्टूडेंट लीग’ को बैन कर दिया था। संगठन के खिलाफ 2009 के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की गई। स्टूडेंट लीग को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल पाया गया। इसी के खिलाफ अवामी लीग ने मोर्चा खोल दिया। वो नेता भी बाहर आ गए जो कल तक अंडरग्राउंड थे।

हसीना की पार्टी अवामी लीग के फेसबुक पेज पर सफल विरोध मार्च के लिए आह्वान करते हुए पोस्ट जारी हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं के लिए विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। इस पोस्ट में, पार्टी ने 10 नवंबर को शहीद नूर हुसैन दिवस के उपलक्ष्य में ढाका के जीरो प्वाइंट शहीद नूर हुसैन स्क्वायर पर विरोध मार्च की घोषणा की। उन्होंने तीन बजे भी मार्च निकालने की घोषणा की।पोस्ट के जरिए कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है जो मुक्ति संग्राम के मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।

इधर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बांग्लादेश की सेना-पुलिस तैनात कर दी गई। ढाका पुलिस ने उन्हें विरोध रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं दी है। देशभर में सेना की 191 टुकड़ियां तैनात की गई है। वहीं इस बीच सरकार के विभिन्न हलकों ने चेतावनी भी दी है कि आवामी लीग को विरोध मार्च आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अवामी लीग को फासीवादी करार देते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी को नियोजित रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं देगी।

अब सवाल है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि अवामी लीग इतनी आक्रामक हो गई? इसे अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप की वापसी से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, शेख हसीना ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर डोनाल्ड ट्रंप को बधाई संदेश दिया है। इसमें शेख हसीना ने खुद को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनाता।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना ने ट्रंप को बधाई संदेश अपनी पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग के लेटर हेड पर लिखा। लेटर हेड पर सामने ही मोटे अक्षरों में पार्टी का नाम है। इसके नीचे पता 23 बंगबंधु एवेन्यू, ढाका का पता लिखा था। आखिर में बांग्लादेश अवामी लीग के ऑफिस सेक्रेटरी बिप्लब बरुआ के हस्ताक्षर।

इसके अलावा शेख हसीना ने ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की है। इसमें शेख हसीना के साथ उनकी बेटी साइमा वाजिद भी खड़ी हैं।

पार्टी के सुप्रीम नेता के एक्टिव मोड में आने से शायद बांग्लादेश में ठंडे पड़ चुके कार्यकर्ताओं को भी ग्रीन सिग्नल मिला। जिसके बाद बांग्लादेश में अवामी लीग माहौल बनाने में जुट गई है।

अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया

बता दें कि शेख हसीना ने कथित तौर पर खुद को बांग्लादेश से हटाए जाने के पीछे वर्तमान जो बाइडन प्रशासन के होने का आरोप लगाया था। शेख हसीना ने प्रधानमंत्री रहते हुए भी अमेरिका पर उनके खिलाफ तख्तापलट का आरोप लगाया था।

शेख हसीने के तख्तापलट के पीछे अमेरिका का हाथ होने का कोई ठोस सबूत भले ही ना हो, लेकिन अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसकी झलक मोहम्मद यूनुस की संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए हाल में ही अमेरिका यात्रा के दौरान दिखाई दिया। इस दौरान मोहम्मद यूनुस बहुत प्रेम से राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते नजर आए थे। दोनों नेताओं के बॉडी लैंग्वेज को लेकर काफी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं, सवाल यह भी उठे थे कि खुद को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहने वाले देश का राष्ट्रपति एक अलोकतांत्रित तरीके से नियुक्त कार्यवाहक से कैसे मिल रहा है।

यूनुस डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी

वहीं, अगर मोहम्मद यूनुस की बात की जाए तो वे घोषित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। 2016 में, ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के ठीक बाद, पेरिस में एक व्याख्यान देते हुए, यूनुस ने कहा था, "ट्रंप की जीत ने हमें इतना प्रभावित किया है कि आज सुबह मैं मुश्किल से बोल पा रहा था। मेरी सारी ताकत खत्म हो गई। क्या मुझे यहां आना चाहिए? बेशक, मुझे आना चाहिए, हमें इस गिरावट को अवसाद में नहीं जाने देना चाहिए, हम इन काले बादलों को दूर कर देंगे।" ट्रंप पर यूनुस के पिछले विचार और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की ट्रंप द्वारा सार्वजनिक रूप से निंदा किए जाने के कारण इस नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए अमेरिका से निपटना मुश्किल हो सकता है।

शेख हसीना की वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे मोहम्मद यूनुस, इंटरपोल से मदद लेगी बांग्लादेशी सरकार

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी के लिए हर मुमकिन कोशिश में लगी हुई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कहना है कि वह देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के लिए इंटरपोल की मदद लेगा। हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर सरकार विरोधी छात्र आंदोलन को क्रूर तरीके से दबाने का आदेश देने का आरोप है। जुलाई से अगस्त महीने में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी। जिसके खिलाफ अक्टूबर के मध्य तक हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार की शिकायतें दर्ज कराई गईं थी। अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन में हुई मौतों का मुकदमा चलाने के लिए उनको बांग्लादेश लाया जाएगा। इसके लिए अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद मांगेगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने रविवार को कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य 'भगोड़ों' को भारत से वापस लाने के लिए इंटरपोल से मदद मांगेगी ताकि उन सभी पर मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सके। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा, 'बहुत जल्द इंटरपोल के लिए एक रेड नोटिस जारी किया जाएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता के ये भगोड़े फासीवादी दुनिया में कहां छिपे हैं। उन्हें वापस लाया जाएगा और अदालत न्याय करेगी।'

बांग्लादेश सरकार के अधिकारियों के मुताबिक रेड नोटिस कोई इंटरनेशनल गिरफ्तारी वारंट नहीं है, बल्कि प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या किसी अपराधी की गिरफ्तारी करने का एक वैश्विक अनुरोध है। वे प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या ऐसी कानूनी कार्रवाई से भाग रहे व्यक्ति का पता लगाएं और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करें।

वहीं, आसिफ नजरुल ने कहा कि हसीना और उनके कई कैबिनेट सहयोगियों और अवामी लीग के नेताओं पर विशेष न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया जाएगा। 17 अक्तूबर को न्यायाधिकरण ने हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और उनके कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल हैं।

77 साल की अवामी लीग प्रमुख हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर छात्र विरोधी आंदोलन के क्रूर दमन का आरोप लगा है। इसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोग हताहत हुए थे। बाद में आंदोलन बड़े पैमाने पर विद्रोह में बदल गया, जिस कारण उन्हें भाग कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का कहना है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। सरकार ने कहा है कि हसीना और उनके अवामी लीग नेताओं के खिलाफ अक्टूबर के मध्य तक अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण और अभियोजन टीम के पास 60 से ज्यादा शिकायतें की गई हैं। यह मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार से जुड़ी हैं।

बता दें कि बांग्लादेश में आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया।

बीते 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन बाद में बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया था।

शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, भारत के सामने आगे क्या है रास्ता?

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद देश छोड़ कर भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हाल में छात्रों के व्यापक आंदोलन के दौरान मानवता के विरुद्ध कथित अपराध के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस मामले में हसीना के अलावा अन्य शीर्ष अवामी लीग नेताओं सहित 45 लोगों के खिलाफ बृहस्पतिवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

अंतरराष्‍ट्रीय अपराध प्राधिकरण को शेख हसीना ने ही बनाया था ताकि साल 1971 में पाकिस्‍तानी सेना के नरसंहार में मदद करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई किया जा सके। अब इसी प्राधिकरण का इस्‍तेमाल करके मोहम्मद यूनुस की कार्यकारी सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करा दिया है।इस प्राधिकरण ने सरकार से कहा है कि वह शेख हसीना और 45 अन्‍य लोगों को अरेस्‍ट करके 18 नवंबर तक पेश करे। जिन लोगों को अरेस्‍ट करने का आदेश दिया गया है, उनमें शेख हसीना सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं।

अभियोजन पक्ष ने हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हत्याओं में कथित रूप से शामिल 50 अन्य लोगों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है। ट्रिब्यूनल को अब तक निर्वासित नेता और उनकी अवामी लीग के सहयोगियों के खिलाफ जबरन गायब करने, हत्या और सामूहिक हत्याओं की 60 शिकायतें मिल चुकी हैं। हसीना के 15 साल के शासन में व्यापक मानवाधिकार हनन देखने को मिले, जिसमें उनके राजनीतिक विरोधियों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लेना और उनकी हत्याएं शामिल हैं।

बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के बाद से सत्ता छोड़कर 5 अगस्त को भारत चलीं आई थीं। वह यूरोपिय देशों में शरण लेने की कोशिश में थी। हालांकि, किसी अन्य देश में शरण नहीं मिल पाने के वजह से तब से वह भारत में रह रहीं हैं। हसीना ढाका से भागने और भारत में शरण लेने के बाद से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई हैं।

बांग्लादेश में कई बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठ चुकी है। इस मामले में भारत के सामने कूटनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। माना जा रहा है कि शेख हसीना की वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। दरअसल, भारत और बांग्लादेश के मध्य एक प्रत्यर्पण संधि 2013 में हुई थी। अब सवाल उठता है कि अगर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करती है तो क्या भारत उसके अनुरोध को स्वीकार करेगा?

बांग्लादेश में पूरी प्लानिंग से किया गया तख्तापलट, मोहम्मद यूनुस ने मास्टरमाइंड का नाम बताया

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5 अगस्त 2024... वो तारीख, जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था। हालांकि, शेख हसीना का तख्तापलट अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकरे पीछे पूरी प्लानिंग के तरह काम किया गया। शेख हसीना ने भी देश छोड़ने बाद ये आरोप लगाया था। अब खुद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने ये बात स्वीकार की है। यही नहीं मोहम्मद यूनुस आंदोलन के पीछे के असली मास्टरमाइंड के बारे में बताया। इस शख्स को मोहम्मद यूनुस ने अपना विशेष सहायक बना रखा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने गए मोहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में तख्तापलट की साजिश का पर्दाफाश किया। मोहम्मद यूनुस ने 'क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव' कार्यक्रम में शिरकत की। यहां उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन सावधानीपूर्वक किए गए थे और ये संयोग नहीं था। उन्होंने छात्र नेता महफूज आलम का भी नाम लिया। स मौके पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे।

बिल क्लिंटन की मौजूदगी मास्टरमाइंड का खुलासा

बिल क्लिंटन की मौजूदगी में यूनुस ने मंच पर महफूज आलम को बुलाकर कहा, 'पूरी क्रांति के पीछे यही (महफूज) थे।मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम के नेतृत्व की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ये इससे इनकार करते हैं, लेकिन क्रांति के पीछे यही थे। ये अचानक हुई चीज नहीं थी। आंदोलन को बहुत अच्छे से डिजाइन किया गया था। लोगों को ये भी नहीं मालूम था कि नेता कौन हैं। ऐसे में आप किसी एक को पकड़कर ये नहीं कह सकते कि आंदोलन खत्म हो गया।'

मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम की जमकर की तारीफ

मोहम्मद यूनुस ने अपने विशेष सहायक महफूज आलम का परिचय कराते हुए कहा, 'वे भी किसी अन्य युवा की तरह ही दिखते हैं, जिन्हें आप पहचान नहीं पाएंगे। लेकिन जब आप उन्हें काम करते हुए देखेंगे, जब आप उन्हें बोलते हुए सुनेंगे, तो आप हिल जाएंगे। उन्होंने अपने भाषणों, अपने समर्पण और अपनी प्रतिबद्धता से पूरे देश को हिला दिया।'

हसीना ने अमेरिका पर लगाए थे तख्तापलट के आरोप

इससे पहले अगस्त में शेख हसीना ने अमेरिका पर तख्तापलट के आरोप लगाए थे।उन्होंने कहा था, वे छात्रों के शवों पर चढ़कर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने इसकी अनुमति नहीं दी। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मैं सत्ता में बनी रह सकती थी अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती और उसे बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दे दी होती।

अवामी लीग के कुछ नेताओं ने भी सत्ता परिवर्तन के लिए मई में ढाका का दौरा करने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को जिम्मेदार ठहराया था।आरोप है कि अमेरिकी राजनयिक चीन के खिलाफ कदम उठाने के लिए हसीना पर दबाव डाल रहे थे।

बांग्लादेश सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट किया रद्द, अब दूसरे देश कैसे जाएंगी ?

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अपने देश से भाग भारत में शरण लिए हुए शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। एक तरफ बांग्लादेश पूर्व प्रधानंमत्री शेख हसीना के खिलाफ एक के बाद एक कई मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यही वहीं, बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया है।

बांग्लादेश में फैली भयंकर हिंसा के बीच 5 अगस्त को अपनी जान बचाने के लिए हसीना ने ढाका से भागकर भारत आकर शरण ली।भारत पहुंचने से पहले शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद भी छोड़ना पड़ा था।अब बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द करने का भी ऐलान कर दिया है यानी जिस पासपोर्ट को लेकर शेख हसीना भारत आई थीं अब वो मान्य नहीं है।

बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री, उनके सलाहकार, पूर्व कैबिनेट मंत्री और भंग राष्ट्रीय असेंबली के सभी सदस्य अपने पदों के आधार पर राजनयिक पासपोर्ट के पात्र थे। अगर उन्हें पदों से हटाया गया हो या वे सेवानिवृत्त हो गए हैं तो उनके और उनके जीवनसाथी के पासपोर्ट रद्द करने होंगे।" ढाका के नए अधिकारियों ने कहा कि शेख हसीना और उनके कार्यकाल के पूर्व शीर्ष अधिकारी स्टैंडर्ड पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते थे।

पासपोर्ट रद्द करने की वजह

बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने पासपोर्ट रद्द करने के पीछे कारण दिया गया है कि शेख हसीना के खिलाफ अब तक 44 आपराधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसके साथ ही कुछ और मुकदमे अभी दर्ज हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन पर पाबंदी लगाने के लिए उनका डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया जाए।

भारत से बाहर शरण मिलना होगा मुश्किल

बता दें कि शेख हसीना अभी फिलहाल भारत में शरण ली हुई हैं और वह कुछ अन्य देशों में भी शरण लेने की योजना के तहत काम कर रही हैं। बांग्लादेश की अंतिम सरकार द्वारा उनका डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द किए जाने के बाद उनको विदेश में शरण मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही अंतिम सरकार ने उनके अनेक सहयोगियों के भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं, जिससे वह बांग्लादेश छोड़कर भाग न पाएं या यदि उनमें से कुछ लोग जो बाहर चले गए हैं वह अन्य देशों की यात्रा न कर पाएं।

यूएन टीम ने हसीना पर कई गंभीर आरोप लगाए

बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर 40 से अधिक मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिसमें ज्यादातर हत्या के मुकदमे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक टीम भी बांग्लादेश पहुंच चुकी है जो कि शेख हसीना के कार्यकाल में हुए मानवाधिकार हनन के मामलों की जांच करेगी। अपनी प्राथमिक जांच में यूएन टीम ने शेख हसीना पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही बांग्लादेश की सरकार शेख हसीना के खिलाफ भारत से प्रत्यर्पण की मांग कर सकती है।

बीएनपी ने की हसीने के प्रयार्पण की मांग 

बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने शेख हसीना पर देश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन को बाधित करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। फखरुल इस्लाम ने कहा कि शेख हसीना को शरण देकर भारत बांग्लादेशियों का दिल नहीं जीत सकता। उन्होंने भारत पर लोकतंत्र के समर्थन से पीछे हटने का भी आरोप लगाया।

भारत' विरोधी मोहम्मद यूनुस हर बीतते पल के साथ दिखा रहे तेवर, अब बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को पहली बार मोर्चा संभालते हुए, देश में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था। शेख हसीना ने कहा था कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया। जिसके बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सभी ''घृणास्पद भाषणों'' के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण पूर्व प्रधानमंत्री के विरुद्ध दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों की सुनवाई शुरू करेगा।

सोशल मीडिया से भी हसीना के भाषणों को हटाने का आदेश

बांग्लादेश संगबाद संस्था के मुताबिक न्यायाधीश एमडी गोलाम मुर्तजा मौजूमदार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया। आदेश में अधिकारियों को हसीना के भड़काऊ भाषण को सोशल मीडिया से हटाने और भविष्य में इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अभियोजक अधिवक्ता अब्दुल्लाह अल नोमान ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आईसीटी विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग को आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। अभियोजक ने दायर याचिका में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों को हटाया जाए। क्योंकि गवाहों और पीड़ितों को डर लग सकता है या जांच में बाधा आ सकती है।

क्या कहा था हसीना ने?

बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल का फैसला न्यूयॉर्क में वीडियो लिंक के जरिये हुए हसीना के संबोधन के बाद आया है। हसीना ने न्यूयॉर्क में मौजूद अपने समर्थकों को भारत ही से वीडियो लिंक के जरिये संबोधित किया था। हसीना ने अपने संबोधन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या का आरोप जड़ा था।न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में वर्चुअल संबोधन में उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर 'नरसंहार' करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है... मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हसीना के खिलाफ कम से कम 60 मुकदमें दायर

हसीना को इस साल जुलाई व अगस्त में विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश दिया।