शेख हसीना की वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे मोहम्मद यूनुस, इंटरपोल से मदद लेगी बांग्लादेशी सरकार
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी के लिए हर मुमकिन कोशिश में लगी हुई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कहना है कि वह देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के लिए इंटरपोल की मदद लेगा। हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर सरकार विरोधी छात्र आंदोलन को क्रूर तरीके से दबाने का आदेश देने का आरोप है। जुलाई से अगस्त महीने में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी। जिसके खिलाफ अक्टूबर के मध्य तक हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार की शिकायतें दर्ज कराई गईं थी। अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन में हुई मौतों का मुकदमा चलाने के लिए उनको बांग्लादेश लाया जाएगा। इसके लिए अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद मांगेगी।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने रविवार को कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य 'भगोड़ों' को भारत से वापस लाने के लिए इंटरपोल से मदद मांगेगी ताकि उन सभी पर मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सके। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा, 'बहुत जल्द इंटरपोल के लिए एक रेड नोटिस जारी किया जाएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता के ये भगोड़े फासीवादी दुनिया में कहां छिपे हैं। उन्हें वापस लाया जाएगा और अदालत न्याय करेगी।'
बांग्लादेश सरकार के अधिकारियों के मुताबिक रेड नोटिस कोई इंटरनेशनल गिरफ्तारी वारंट नहीं है, बल्कि प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या किसी अपराधी की गिरफ्तारी करने का एक वैश्विक अनुरोध है। वे प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या ऐसी कानूनी कार्रवाई से भाग रहे व्यक्ति का पता लगाएं और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करें।
वहीं, आसिफ नजरुल ने कहा कि हसीना और उनके कई कैबिनेट सहयोगियों और अवामी लीग के नेताओं पर विशेष न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया जाएगा। 17 अक्तूबर को न्यायाधिकरण ने हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और उनके कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल हैं।
77 साल की अवामी लीग प्रमुख हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर छात्र विरोधी आंदोलन के क्रूर दमन का आरोप लगा है। इसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोग हताहत हुए थे। बाद में आंदोलन बड़े पैमाने पर विद्रोह में बदल गया, जिस कारण उन्हें भाग कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का कहना है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। सरकार ने कहा है कि हसीना और उनके अवामी लीग नेताओं के खिलाफ अक्टूबर के मध्य तक अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण और अभियोजन टीम के पास 60 से ज्यादा शिकायतें की गई हैं। यह मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार से जुड़ी हैं।
बता दें कि बांग्लादेश में आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया।
बीते 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन बाद में बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया था।
Nov 11 2024, 14:20