सीएम सोरेन का बड़ा निर्देश: जनगणना 2027 के लिए झारखंड की प्रशासनिक सीमाओं में 1 जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 तक नहीं होगा कोई बदलाव

रांची (मुख्यमंत्री सचिवालय): मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आगामी भारत की जनगणना-2027 को सुचारू रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण और बड़ा निर्देश जारी किया है।

आज (24 नवंबर 2025) मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह फैसला लिया है कि:

"झारखंड राज्य की सभी प्रशासनिक इकाइयों यथा, जिला, अनुमंडल, प्रखंड, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत, छावनी परिषद, वार्ड, पंचायत और ग्राम आदि के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार की सीमाओं में दिनांक-01.01.2026 से 31.03.2027 तक किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा।"

मुख्यमंत्री ने साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि 31 दिसंबर 2025 तक क्षेत्राधिकार की सीमाओं में हुए सभी परिवर्तनों से संबंधित सूचना और वांछित अधिसूचना निदेशक जनगणना कार्य निदेशालय, झारखंड, रांची को अग्रसारित (forward) की जाए।

यह निर्णय जनगणना प्रक्रिया की सटीकता और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है, ताकि जनगणना कार्य के दौरान किसी भी इकाई की सीमाएं अपरिवर्तित रहें।


बिजली बिल पर 'महा-राहत'! जानसठ में 1 दिसंबर से शुरू हो रही विशेष योजना: ब्याज माफ, मूलधन पर 25% तक की छूट

ब्रह्म प्रकाश शर्मा,मुजफ्फरनगर।जानसठ l बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर है! उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के निर्देश पर, जानसठ विद्युत उपखंड में 1 दिसंबर 2025 से 'बिजली बिल राहत योजना' की शुरुआत होने जा रही है। यह योजना 28 फरवरी 2026 तक चलेगी और इसका उद्देश्य 'नेवर पेड लॉन्ग अनपेड' उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देना है।

एसडीओ विद्युत चंदन चौबे ने बताया कि यह योजना उन लाखों उपभोक्ताओं को राहत देगी जिन पर लंबे समय से बिजली का बकाया है। उन्होंने सभी पात्र उपभोक्ताओं से आह्वान किया है कि वे इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाकर खुद को बकाये और मुकदमेबाजी के बोझ से मुक्त करें।

योजना विशेष रूप से घरेलू (2 किलोवाट तक) और वाणिज्यिक (1 किलोवाट तक) भार वाले उपभोक्ताओं के लिए है। यह छूट 31 मार्च 2025 तक के सभी बकाया बिलों पर लागू होगी। उपभोक्ताओं के लिए ब्याज (लेट पेमेंट सरचार्ज) | 100 प्रतिशत की पूर्ण छूट दी गई है एकमुश्त भुगतान करने पर मूल बकाया में 25 प्रतिशत तक की भारी छूट उन्होंने बताया कि पुराना बकाया चुकाने के लिए ₹750/₹500 की सरल मासिक किश्त सुविधाएं दी गई हैं वहीं विद्युत चोरी के मामले मे राजस्व निर्धारण में 50 प्रतिशत तक की छूट और आपराधिक मुकदमे से भी मुक्ति का मौका मिल रहा ।

एसडीओ चौबे ने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं को पंजीकरण के समय ₹2000 की न्यूनतम राशि जमा करनी होगी। उपभोक्ता स्वयं UPPCL की आधिकारिक वेबसाइट uppcl.org पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अपने नजदीकी जन सेवा केन्द्रों पर जाकर। या विद्युत सखी और मीटर रीडर के माध्यम से भी पंजीकरण कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह योजना तीन चरणों में लागू होगी। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे शुरुआती चरण में ही पंजीकरण करा लें ताकि उन्हें अधिकतम लाभ मिल सके और उनका वर्तमान बिल बकाया राशि से अलग हो जाए।

चंदन चौबे, एसडीओ विद्युत, जानसठ की सभी क्षेत्र के उपभोक्ताओं से अपील है कि यह योजना जानसठ क्षेत्र में उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा आर्थिक सहारा बनने जा रही है। विद्युत विभाग ने साफ किया है कि इस विशेष छूट के बाद बकाया वसूली में सख्ती की जाएगी, इसलिए सभी पात्र लोगों को 28 फरवरी 2026 की अंतिम तिथि से पहले इसका लाभ उठाना चाहिए।

30 प्रशिक्षणर्थियों को जिला पंचायत अध्यक्ष ने वितरित किए प्रमाण पत्र

फर्रुखाबाद।सोमवार को बैंक ऑफ़ इंडिया ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) में 35 दिवसीय (लघु उद्यमी) जूनियर ब्यूटी प्रैक्टिशनर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ l इस दौरान मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष मोनिका यादव ने 30 प्रशिक्षणार्थियों को जल्द से जल्द अपना स्वरोजगार स्थापित करने के लिए उत्साहवर्धन कर उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाए दी और सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए l

इस दौरान आरसेटी निदेशक ओमेन्द्र सिंह व संकाय सदस्य दिव्यांशु मिश्रा ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया व प्रशिक्षणार्थियों का उत्साहवर्धन किया, निदेशक ओमेन्द्र सिंह ने बताया की वित्तीय वर्ष 2025-26 में 588 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे वीमेन टेलर,जूट प्रोडक्ट मेकिंग, होममेड अगरबत्ती मेकिंग, कैंडल मेकिंग आदि में प्रशिक्षण दिया जा चुका है |

आरसेटी निदेशक ने यह भी बताया की जल्द ही संस्थान में निशुल्क सेलफोन रिपेयरिंग, डेयरी फार्मिंग एवं सॉफ्ट टॉय मेकिंग का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है जिसके लिए पंजीकरण शुरू हो चुके है जिसमे जनपद के 18 से 45 वर्ष के युवा निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण करा सकते है | कार्यालय सहायक सोमेश शर्मा ने बताया प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को पाठ्य सामग्री, ड्रेस, सुबह का नाश्ता,भोजन इत्यादि सभी सुविधाएँ निशुल्क उपलब्ध करायी जाती है |

इस मौके पर आरसेटी संकाय सदस्य योगेन्द्र पाल, कार्यालय सहायक राहुल कुमार, अटेंडर अभिलाष कुमार व अन्य 30 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे |

पर्दे पर सबसे चमकता सितारा, लेकिन राजनीति नहीं आई रास, जानें कैसा रहा सियासी सफर

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बॉलीबुड के ही-मैन कहे जाने वाले धर्मेंद्र ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। धर्मेद्र के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी से लेकर बॉलीवुड के कई सेलेब्स ने दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि दी है।

अपने दमदार अभिनय के दम पर धर्मेद्र ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। यही नहीं उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। भारत के पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद उन्होंने पॉलिटिक्स में आने का फैसला लिया था। हालांकि, जल्द ही उनका राजनीति से मोहभंग हो गया। धर्मेंद्र का करियर सिनेमाई पर्दे पर जितना जादुई रहा उतना ही राजनीतिक पिच से वे निराश होकर लौटे।

बीकानेर से की राजनीतिक सफर की शुरुआत

धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बीकानेर सीट से वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से हराया था। इस चुनाव में धर्मेंद्र ने 57 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की और सांसद बन गए। उन्होंने इस संसदीय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रामेश्वर लाल डूडी को हराया था।

आडवाणी के कहने पर आए राजनीति में

धर्मेंद्र ने राजनीति में आने का फैसला ले तो लिया, लेकिन पॉलिटिक्स उन्हें ज्यादा रास नहीं आई। आडवाणी के कहने पर राजनीति में आने वाले धर्मेंद्र का जल्द ही इससे मोहभंग हो गया। सांसद रहते हुए धर्मेंद्र भी ज्यादार समय मुंबई में व्यस्त रहते थे। इसे लेकर बीकानेर में उनकी काफी आलोचना भी हुई। शहर में उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी लगे थे। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। सांसद के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया।

क्यों राजनीति से हुआ मोहभंग

कई इंटरव्यू में धर्मेंद्र स्पष्ट कह चुके हैं कि राजनीति की भाषा, उसके तौर-तरीके और उसके लोग उन्हें रास नहीं आए। उनका कहना था कि उन्होंने बीकानेर के लिए कई विकास कार्य करवाए, लेकिन सत्ता और सिस्टम की उलझनों में क्रेडिट किसी और के खाते में चला जाता था। फिर धर्मेंद्र ने खुलकर मान लिया, संसद और राजनीति मेरे बस की बात नहीं थी।

राजनाथ सिंह ने सिंध को बताया भारत का हिस्सा, पाकिस्तान को लगी मिर्ची, फिर अलापा कश्मीर राग

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सिंधी समाज सम्मेलन में दिए गए एक बयान से पाकिस्तान को मिर्ची लगी है। भारत के रक्षा मंत्री ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कहा था कि सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहा है और सीमाएं बदल सकती हैं। इस बयान से पाकिस्तान तिलमिला गया है। पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के इस बयान को खतरनाक और भड़काने वाला बताया है।

राजनाथ सिंह के बायन पर तिलमिलाया पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संबंध में भारतीय रक्षा मंत्री की भ्रम से भरे और खतरनाक बदलाव की मांग करने वाली टिप्पणियों की पाकिस्तान कड़ी निंदा करता है। बयान में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी भारत की विस्तारवादी हिन्दुत्व वाली मानसिकता को दर्शाती है। पाकिस्तान ने कहा है कि राजनाथ सिंह का बयान पाकिस्तान की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और 1947 में तय की गई सीमा के खिलाफ है।

पाकिस्तान ने फिर अलापा कश्मीर राग

राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कश्मीर और भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर टिप्पणी की है। पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत को जम्मू-कश्मीर का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और स्थानीय लोगों की मंशा के मुताबिक करना चाहिए। पाकिस्तान ने भारत में अल्पसंख्यकों और पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रही हिंसा पर ध्यान देने की नसीहत दी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा था?

रक्षामंत्री ने सिंधी समुदाय द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आडवाणी जी ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि सिंधी हिंदू, विशेषकर उनकी पीढ़ी के लोग, अब भी सिंध को भारत से अलग करने की बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।'' पाकिस्तान का निर्माण 1947 में तत्कालीन भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था, और सिंधु नदी के पास का सिंध क्षेत्र तब से पाकिस्तान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, केवल सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते थे। सिंध में कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम (सबसे पवित्र जल) से कम पवित्र नहीं है।

खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार सरकार  उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने ग्रहण किया खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री का पदभार *


बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है: श्री विजय कुमार सिन्हा * अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं: श्री विजय कुमार सिन्हा बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने आज पटना स्थित खान एवं भूतत्व विभाग के कार्यालय में मंत्री के रूप में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर विभाग के सचिव, निदेशक एवं सभी वरीय अधिकारियों ने फूल-गुलदस्तों से उनका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि खान एवं भूतत्व विभाग ने पिछले कुछ समय में अनेक ठोस और सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिनके सुखद परिणाम पूरे बिहार को दिखाई दे रहे हैं। अब विभाग का पूरा जोर वैध खनन को बढ़ावा देने, पारदर्शी नीतियों के जरिए हर वर्ग तक इसका लाभ पहुँचाने और बालू खनन के क्षेत्र में रोजगार के नए-नए अवसर सृजित करने पर है। बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है। अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगेगी और खनिज संसाधनों का उपयोग बिहार के विकास और आम जनता के हित में होगा। वैध खनन से जहाँ एक ओर राज्य का राजस्व बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खुलेंगे तथा बिहार तेजी से समृद्धि की ओर अग्रसर होगा। खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार , अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने, संसाधनों के समुचित प्रबंधन और जनता के हित में बालू की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
*राणा प्रताप पीजी कालेज के चार विद्यार्थियों का अग्निवीर में चयन - एनसीसी ट्रेनिंग रही फायदेमंद*
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों का चयन अग्निवीर सामान्य ड्यूटी में हुआ है। यह जानकारी देते हुए एनसीसी समन्वयक डॉ आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के एन सी कैडेट अजय पाल,अमित सरोज , अविनाश कुमार रजक और अखिल मौर्य का चयन अग्निवीर के आर्मी ड्यूटी में हुआ है। अजय,अमित और अविनाश बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हैं तो अखिलेश मौर्य इसी वर्ष उत्तीर्ण हो चुके हैं। इनके चयन में एनसीसी ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। अविनाश कुमार रजक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के बैजलपुर और अमित सरोज उसी तहसील के भीकमपुर गोकुला गांव निवासी हैं। दोनों ने एनसीसी ट्रेनिंग के लिए ही सुलतानपुर जनपद के राणा प्रताप पीजी कालेज में प्रवेश लिया था। अजय पाल धम्मौर के भाटी गांव निवासी हरीराम पाल के पुत्र और अखिल मौर्य दूबेपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी राकेश कुमार मौर्य के पुत्र हैं। महाविद्यालय एनसीसी कैडेट्स के अग्निवीर में चयन पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह,प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह,प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि समेत महाविद्यालय परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
*परीक्षा में वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है -डॉ शिल्पी सिंह*
शिक्षाशास्त्र विभाग में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित।
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक सम सेमेस्टर परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति की उपयोगिता एवं सीमाओं पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, तार्किक प्रस्तुति तथा शैक्षिक मूल्यांकन के प्रति जागरूकता विकसित करना रहा। इस प्रतियोगिता में बी.ए. पंचम सेमेस्टर से सृष्टि सिंह, सुप्रिया भारती, शबनम बानो, अंतिम तथा देवेंद्र तिवारी, बी.ए. तृतीय सेमेस्टर से काजल यादव, सेजल शर्मा, एवं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर से राज सिंह, माधुरी एवं साक्षी सिंह ने बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए। पक्ष में प्रस्तुत मुख्य विचार में बहुविकल्पीय प्रश्नों से व्यापक पाठ्यक्रम का तीव्र एवं वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होता है,यह प्रणाली मूल्यांकन में पारदर्शिता और त्रुटिरहित परिणाम प्रदान करती है,प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पद्धति विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। विपक्ष में रखे गए प्रमुख तर्क बहुविकल्पीय प्रश्न विद्यार्थियों की रचनात्मकता,विश्लेषणात्मक सोच और अभिव्यक्ति कौशल को कमज़ोर कर देते हैं,अनुमान आधारित उत्तर देने की प्रवृत्ति वास्तविक ज्ञान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती,यह पद्धति विषय की गहराई में जाने की प्रेरणा को सीमित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक स्तर पर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांग है, परंतु इसके साथ वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है। शिक्षण की गुणवत्ता तभी बढ़ती है जब मूल्यांकन समग्रता लिए हो। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी विचार-शक्ति तथा तर्क क्षमता को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।इस अवसर पर बी.ए. शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सृष्टि सिंह ने किया।
*आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है- डॉ अखिलेश सिंह*
युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान आयोजित।
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज परास्नातक प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए “युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज के ही समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अखिलेश सिंह रहे, जिन्होंने अपने रोचक, शोधपरक एवं समकालीन विश्लेषण से उपस्थित छात्र-छात्राओं को गहराई से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार सिंह ने की। संचालन डॉ. बृजेश सिंह द्वारा किया गया तथा अंत में श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया, कोचिंग कल्चर और प्रतियोगी माहौल ने परीक्षाओं की प्रकृति तथा विद्यार्थियों के मनोवैिज्ञान दोनों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि पहले परीक्षा को ज्ञान का मूल्यांकन माना जाता था, जबकि आज यह अधिकतर कैरियर निर्माण, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इस कारण छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, दबाव और अति-अपेक्षा बढ़ी है, जबकि दूसरी ओर कई छात्र परीक्षा को केवल एक औपचारिकता मानकर तैयारी में सतहीपन अपनाने लगे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि परीक्षा को लेकर युवा पीढ़ी का बदलता दृष्टिकोण केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। डिजिटल शिक्षण संसाधनों ने सीखने को अधिक सरल, सुलभ और रोचक बनाया है। आज का विद्यार्थी सूचना-समृद्ध है और स्वयं सीखने की क्षमता विकसित कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को सकारात्मक दिशा देने पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि परीक्षा को भय या बोझ की तरह न लें। इसे आत्ममूल्यांकन और आत्म-विकास का मौका समझें। आत्मअनुशासन, समय-प्रबंधन, डिजिटल संसाधनों का संतुलित उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल—ये सभी तत्व एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्रीय दृष्टि से परीक्षा केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो व्यक्ति के भविष्य को आकार देती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करें और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता बढ़ाएँ।संचालनकर्ता डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विद्यार्थियों में सकारात्मक शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अंत में आभार व्यक्त करते हुए श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार के उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने विषय पर विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका समाधान मुख्य वक्ता द्वारा सरल व सहज भाषा में किया गया।
*राणा प्रताप पीजी कॉलेज में हुआ द वॉयस ऑफ़ अवध प्रतियोगिता का आयोजन - सत्यधाम आश्रम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गायक नंदन चंदन थे निर्णायक*
सुलतानपुर,द वॉयस ऑफ अवध इस क्षेत्र में लोक गायन की छिपी प्रतिभाओं को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर है। अवधी और भोजपुरी गीतों पर केंद्रित इस आयोजन में हम गांव की मिट्टी की महक महसूस कर सकते हैं। यह बातें राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह सत्यधाम आश्रम और राणा प्रताप पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अवधी और भोजपुरी लोकगीतों की प्रतियोगिता द वायस आफ अवध को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधक एडवोकेट बालचंद सिंह ने पुस्तकालय कक्ष में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। संयोजक देवेंद्र कविराज देव ने बताया कि प्रतियोगिता में अवध क्षेत्र के बीस जनपदों के कुल निन्यानबे बच्चों ने भाग लिया जिसमें तीस प्रतिभागी सेमीफाइनल के लिए चयनित हुए। अगला ऑडिशन जल्द ही होगा। सेमीफाइनल के लिए कुल साठ लोगों का चयन करना है।अंतिम रूप से चयनित तीन प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर द वायस आफ अवध के खिताब से नवाजा जाएगा। महाविद्यालय आई क्यू ए सी निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि अच्छी गायकी के लिए अच्छा स्वर, सधा सुर , संगीत की समझ, सातत्य, समर्पण, साधना और संवेदनशीलता का सामंजस्य जरूरी है। प्रतियोगिता के निर्णायक भोजपुरी के चर्चित गायक नंदन और चंदन ने अपने गीतों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में जादूगर संजय घायल ने अपना जादू प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संगीत निर्देशक विनय पांडेय , कवि लोकेश श्रीवास्तव, संघ के जिला प्रचारक आशीष , डॉ अखिलेश सिंह, डॉ संतोष सिंह अंश, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पंकज चौरसिया, अन्नू यादव, चंद्रमणि मौर्य, विपिन कुमार, देव राजन, शुभम ,धर्मराज, राजीव मौर्या,अंतिमा तिवारी,आदर्श पांडे, अर्पित सिंह, अशोक आदि उपस्थित रहे।
सीएम सोरेन का बड़ा निर्देश: जनगणना 2027 के लिए झारखंड की प्रशासनिक सीमाओं में 1 जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 तक नहीं होगा कोई बदलाव

रांची (मुख्यमंत्री सचिवालय): मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आगामी भारत की जनगणना-2027 को सुचारू रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण और बड़ा निर्देश जारी किया है।

आज (24 नवंबर 2025) मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह फैसला लिया है कि:

"झारखंड राज्य की सभी प्रशासनिक इकाइयों यथा, जिला, अनुमंडल, प्रखंड, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत, छावनी परिषद, वार्ड, पंचायत और ग्राम आदि के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार की सीमाओं में दिनांक-01.01.2026 से 31.03.2027 तक किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा।"

मुख्यमंत्री ने साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि 31 दिसंबर 2025 तक क्षेत्राधिकार की सीमाओं में हुए सभी परिवर्तनों से संबंधित सूचना और वांछित अधिसूचना निदेशक जनगणना कार्य निदेशालय, झारखंड, रांची को अग्रसारित (forward) की जाए।

यह निर्णय जनगणना प्रक्रिया की सटीकता और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है, ताकि जनगणना कार्य के दौरान किसी भी इकाई की सीमाएं अपरिवर्तित रहें।


बिजली बिल पर 'महा-राहत'! जानसठ में 1 दिसंबर से शुरू हो रही विशेष योजना: ब्याज माफ, मूलधन पर 25% तक की छूट

ब्रह्म प्रकाश शर्मा,मुजफ्फरनगर।जानसठ l बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर है! उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के निर्देश पर, जानसठ विद्युत उपखंड में 1 दिसंबर 2025 से 'बिजली बिल राहत योजना' की शुरुआत होने जा रही है। यह योजना 28 फरवरी 2026 तक चलेगी और इसका उद्देश्य 'नेवर पेड लॉन्ग अनपेड' उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देना है।

एसडीओ विद्युत चंदन चौबे ने बताया कि यह योजना उन लाखों उपभोक्ताओं को राहत देगी जिन पर लंबे समय से बिजली का बकाया है। उन्होंने सभी पात्र उपभोक्ताओं से आह्वान किया है कि वे इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाकर खुद को बकाये और मुकदमेबाजी के बोझ से मुक्त करें।

योजना विशेष रूप से घरेलू (2 किलोवाट तक) और वाणिज्यिक (1 किलोवाट तक) भार वाले उपभोक्ताओं के लिए है। यह छूट 31 मार्च 2025 तक के सभी बकाया बिलों पर लागू होगी। उपभोक्ताओं के लिए ब्याज (लेट पेमेंट सरचार्ज) | 100 प्रतिशत की पूर्ण छूट दी गई है एकमुश्त भुगतान करने पर मूल बकाया में 25 प्रतिशत तक की भारी छूट उन्होंने बताया कि पुराना बकाया चुकाने के लिए ₹750/₹500 की सरल मासिक किश्त सुविधाएं दी गई हैं वहीं विद्युत चोरी के मामले मे राजस्व निर्धारण में 50 प्रतिशत तक की छूट और आपराधिक मुकदमे से भी मुक्ति का मौका मिल रहा ।

एसडीओ चौबे ने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं को पंजीकरण के समय ₹2000 की न्यूनतम राशि जमा करनी होगी। उपभोक्ता स्वयं UPPCL की आधिकारिक वेबसाइट uppcl.org पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अपने नजदीकी जन सेवा केन्द्रों पर जाकर। या विद्युत सखी और मीटर रीडर के माध्यम से भी पंजीकरण कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह योजना तीन चरणों में लागू होगी। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे शुरुआती चरण में ही पंजीकरण करा लें ताकि उन्हें अधिकतम लाभ मिल सके और उनका वर्तमान बिल बकाया राशि से अलग हो जाए।

चंदन चौबे, एसडीओ विद्युत, जानसठ की सभी क्षेत्र के उपभोक्ताओं से अपील है कि यह योजना जानसठ क्षेत्र में उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा आर्थिक सहारा बनने जा रही है। विद्युत विभाग ने साफ किया है कि इस विशेष छूट के बाद बकाया वसूली में सख्ती की जाएगी, इसलिए सभी पात्र लोगों को 28 फरवरी 2026 की अंतिम तिथि से पहले इसका लाभ उठाना चाहिए।

30 प्रशिक्षणर्थियों को जिला पंचायत अध्यक्ष ने वितरित किए प्रमाण पत्र

फर्रुखाबाद।सोमवार को बैंक ऑफ़ इंडिया ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) में 35 दिवसीय (लघु उद्यमी) जूनियर ब्यूटी प्रैक्टिशनर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ l इस दौरान मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष मोनिका यादव ने 30 प्रशिक्षणार्थियों को जल्द से जल्द अपना स्वरोजगार स्थापित करने के लिए उत्साहवर्धन कर उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाए दी और सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए l

इस दौरान आरसेटी निदेशक ओमेन्द्र सिंह व संकाय सदस्य दिव्यांशु मिश्रा ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया व प्रशिक्षणार्थियों का उत्साहवर्धन किया, निदेशक ओमेन्द्र सिंह ने बताया की वित्तीय वर्ष 2025-26 में 588 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे वीमेन टेलर,जूट प्रोडक्ट मेकिंग, होममेड अगरबत्ती मेकिंग, कैंडल मेकिंग आदि में प्रशिक्षण दिया जा चुका है |

आरसेटी निदेशक ने यह भी बताया की जल्द ही संस्थान में निशुल्क सेलफोन रिपेयरिंग, डेयरी फार्मिंग एवं सॉफ्ट टॉय मेकिंग का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है जिसके लिए पंजीकरण शुरू हो चुके है जिसमे जनपद के 18 से 45 वर्ष के युवा निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण करा सकते है | कार्यालय सहायक सोमेश शर्मा ने बताया प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को पाठ्य सामग्री, ड्रेस, सुबह का नाश्ता,भोजन इत्यादि सभी सुविधाएँ निशुल्क उपलब्ध करायी जाती है |

इस मौके पर आरसेटी संकाय सदस्य योगेन्द्र पाल, कार्यालय सहायक राहुल कुमार, अटेंडर अभिलाष कुमार व अन्य 30 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे |

पर्दे पर सबसे चमकता सितारा, लेकिन राजनीति नहीं आई रास, जानें कैसा रहा सियासी सफर

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बॉलीबुड के ही-मैन कहे जाने वाले धर्मेंद्र ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। धर्मेद्र के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी से लेकर बॉलीवुड के कई सेलेब्स ने दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि दी है।

अपने दमदार अभिनय के दम पर धर्मेद्र ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। यही नहीं उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। भारत के पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद उन्होंने पॉलिटिक्स में आने का फैसला लिया था। हालांकि, जल्द ही उनका राजनीति से मोहभंग हो गया। धर्मेंद्र का करियर सिनेमाई पर्दे पर जितना जादुई रहा उतना ही राजनीतिक पिच से वे निराश होकर लौटे।

बीकानेर से की राजनीतिक सफर की शुरुआत

धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बीकानेर सीट से वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से हराया था। इस चुनाव में धर्मेंद्र ने 57 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की और सांसद बन गए। उन्होंने इस संसदीय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रामेश्वर लाल डूडी को हराया था।

आडवाणी के कहने पर आए राजनीति में

धर्मेंद्र ने राजनीति में आने का फैसला ले तो लिया, लेकिन पॉलिटिक्स उन्हें ज्यादा रास नहीं आई। आडवाणी के कहने पर राजनीति में आने वाले धर्मेंद्र का जल्द ही इससे मोहभंग हो गया। सांसद रहते हुए धर्मेंद्र भी ज्यादार समय मुंबई में व्यस्त रहते थे। इसे लेकर बीकानेर में उनकी काफी आलोचना भी हुई। शहर में उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी लगे थे। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। सांसद के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया।

क्यों राजनीति से हुआ मोहभंग

कई इंटरव्यू में धर्मेंद्र स्पष्ट कह चुके हैं कि राजनीति की भाषा, उसके तौर-तरीके और उसके लोग उन्हें रास नहीं आए। उनका कहना था कि उन्होंने बीकानेर के लिए कई विकास कार्य करवाए, लेकिन सत्ता और सिस्टम की उलझनों में क्रेडिट किसी और के खाते में चला जाता था। फिर धर्मेंद्र ने खुलकर मान लिया, संसद और राजनीति मेरे बस की बात नहीं थी।

राजनाथ सिंह ने सिंध को बताया भारत का हिस्सा, पाकिस्तान को लगी मिर्ची, फिर अलापा कश्मीर राग

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सिंधी समाज सम्मेलन में दिए गए एक बयान से पाकिस्तान को मिर्ची लगी है। भारत के रक्षा मंत्री ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कहा था कि सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहा है और सीमाएं बदल सकती हैं। इस बयान से पाकिस्तान तिलमिला गया है। पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के इस बयान को खतरनाक और भड़काने वाला बताया है।

राजनाथ सिंह के बायन पर तिलमिलाया पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संबंध में भारतीय रक्षा मंत्री की भ्रम से भरे और खतरनाक बदलाव की मांग करने वाली टिप्पणियों की पाकिस्तान कड़ी निंदा करता है। बयान में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी भारत की विस्तारवादी हिन्दुत्व वाली मानसिकता को दर्शाती है। पाकिस्तान ने कहा है कि राजनाथ सिंह का बयान पाकिस्तान की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और 1947 में तय की गई सीमा के खिलाफ है।

पाकिस्तान ने फिर अलापा कश्मीर राग

राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कश्मीर और भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर टिप्पणी की है। पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत को जम्मू-कश्मीर का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और स्थानीय लोगों की मंशा के मुताबिक करना चाहिए। पाकिस्तान ने भारत में अल्पसंख्यकों और पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रही हिंसा पर ध्यान देने की नसीहत दी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा था?

रक्षामंत्री ने सिंधी समुदाय द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आडवाणी जी ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि सिंधी हिंदू, विशेषकर उनकी पीढ़ी के लोग, अब भी सिंध को भारत से अलग करने की बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।'' पाकिस्तान का निर्माण 1947 में तत्कालीन भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था, और सिंधु नदी के पास का सिंध क्षेत्र तब से पाकिस्तान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, केवल सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते थे। सिंध में कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम (सबसे पवित्र जल) से कम पवित्र नहीं है।

खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार सरकार  उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने ग्रहण किया खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री का पदभार *


बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है: श्री विजय कुमार सिन्हा * अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं: श्री विजय कुमार सिन्हा बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने आज पटना स्थित खान एवं भूतत्व विभाग के कार्यालय में मंत्री के रूप में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर विभाग के सचिव, निदेशक एवं सभी वरीय अधिकारियों ने फूल-गुलदस्तों से उनका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि खान एवं भूतत्व विभाग ने पिछले कुछ समय में अनेक ठोस और सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिनके सुखद परिणाम पूरे बिहार को दिखाई दे रहे हैं। अब विभाग का पूरा जोर वैध खनन को बढ़ावा देने, पारदर्शी नीतियों के जरिए हर वर्ग तक इसका लाभ पहुँचाने और बालू खनन के क्षेत्र में रोजगार के नए-नए अवसर सृजित करने पर है। बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है। अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगेगी और खनिज संसाधनों का उपयोग बिहार के विकास और आम जनता के हित में होगा। वैध खनन से जहाँ एक ओर राज्य का राजस्व बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खुलेंगे तथा बिहार तेजी से समृद्धि की ओर अग्रसर होगा। खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार , अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने, संसाधनों के समुचित प्रबंधन और जनता के हित में बालू की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
*राणा प्रताप पीजी कालेज के चार विद्यार्थियों का अग्निवीर में चयन - एनसीसी ट्रेनिंग रही फायदेमंद*
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों का चयन अग्निवीर सामान्य ड्यूटी में हुआ है। यह जानकारी देते हुए एनसीसी समन्वयक डॉ आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के एन सी कैडेट अजय पाल,अमित सरोज , अविनाश कुमार रजक और अखिल मौर्य का चयन अग्निवीर के आर्मी ड्यूटी में हुआ है। अजय,अमित और अविनाश बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हैं तो अखिलेश मौर्य इसी वर्ष उत्तीर्ण हो चुके हैं। इनके चयन में एनसीसी ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। अविनाश कुमार रजक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के बैजलपुर और अमित सरोज उसी तहसील के भीकमपुर गोकुला गांव निवासी हैं। दोनों ने एनसीसी ट्रेनिंग के लिए ही सुलतानपुर जनपद के राणा प्रताप पीजी कालेज में प्रवेश लिया था। अजय पाल धम्मौर के भाटी गांव निवासी हरीराम पाल के पुत्र और अखिल मौर्य दूबेपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी राकेश कुमार मौर्य के पुत्र हैं। महाविद्यालय एनसीसी कैडेट्स के अग्निवीर में चयन पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह,प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह,प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि समेत महाविद्यालय परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
*परीक्षा में वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है -डॉ शिल्पी सिंह*
शिक्षाशास्त्र विभाग में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित।
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक सम सेमेस्टर परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति की उपयोगिता एवं सीमाओं पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, तार्किक प्रस्तुति तथा शैक्षिक मूल्यांकन के प्रति जागरूकता विकसित करना रहा। इस प्रतियोगिता में बी.ए. पंचम सेमेस्टर से सृष्टि सिंह, सुप्रिया भारती, शबनम बानो, अंतिम तथा देवेंद्र तिवारी, बी.ए. तृतीय सेमेस्टर से काजल यादव, सेजल शर्मा, एवं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर से राज सिंह, माधुरी एवं साक्षी सिंह ने बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए। पक्ष में प्रस्तुत मुख्य विचार में बहुविकल्पीय प्रश्नों से व्यापक पाठ्यक्रम का तीव्र एवं वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होता है,यह प्रणाली मूल्यांकन में पारदर्शिता और त्रुटिरहित परिणाम प्रदान करती है,प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पद्धति विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। विपक्ष में रखे गए प्रमुख तर्क बहुविकल्पीय प्रश्न विद्यार्थियों की रचनात्मकता,विश्लेषणात्मक सोच और अभिव्यक्ति कौशल को कमज़ोर कर देते हैं,अनुमान आधारित उत्तर देने की प्रवृत्ति वास्तविक ज्ञान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती,यह पद्धति विषय की गहराई में जाने की प्रेरणा को सीमित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक स्तर पर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांग है, परंतु इसके साथ वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है। शिक्षण की गुणवत्ता तभी बढ़ती है जब मूल्यांकन समग्रता लिए हो। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी विचार-शक्ति तथा तर्क क्षमता को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।इस अवसर पर बी.ए. शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सृष्टि सिंह ने किया।
*आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है- डॉ अखिलेश सिंह*
युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान आयोजित।
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज परास्नातक प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए “युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज के ही समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अखिलेश सिंह रहे, जिन्होंने अपने रोचक, शोधपरक एवं समकालीन विश्लेषण से उपस्थित छात्र-छात्राओं को गहराई से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार सिंह ने की। संचालन डॉ. बृजेश सिंह द्वारा किया गया तथा अंत में श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया, कोचिंग कल्चर और प्रतियोगी माहौल ने परीक्षाओं की प्रकृति तथा विद्यार्थियों के मनोवैिज्ञान दोनों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि पहले परीक्षा को ज्ञान का मूल्यांकन माना जाता था, जबकि आज यह अधिकतर कैरियर निर्माण, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इस कारण छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, दबाव और अति-अपेक्षा बढ़ी है, जबकि दूसरी ओर कई छात्र परीक्षा को केवल एक औपचारिकता मानकर तैयारी में सतहीपन अपनाने लगे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि परीक्षा को लेकर युवा पीढ़ी का बदलता दृष्टिकोण केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। डिजिटल शिक्षण संसाधनों ने सीखने को अधिक सरल, सुलभ और रोचक बनाया है। आज का विद्यार्थी सूचना-समृद्ध है और स्वयं सीखने की क्षमता विकसित कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को सकारात्मक दिशा देने पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि परीक्षा को भय या बोझ की तरह न लें। इसे आत्ममूल्यांकन और आत्म-विकास का मौका समझें। आत्मअनुशासन, समय-प्रबंधन, डिजिटल संसाधनों का संतुलित उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल—ये सभी तत्व एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्रीय दृष्टि से परीक्षा केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो व्यक्ति के भविष्य को आकार देती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करें और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता बढ़ाएँ।संचालनकर्ता डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विद्यार्थियों में सकारात्मक शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अंत में आभार व्यक्त करते हुए श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार के उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने विषय पर विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका समाधान मुख्य वक्ता द्वारा सरल व सहज भाषा में किया गया।
*राणा प्रताप पीजी कॉलेज में हुआ द वॉयस ऑफ़ अवध प्रतियोगिता का आयोजन - सत्यधाम आश्रम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गायक नंदन चंदन थे निर्णायक*
सुलतानपुर,द वॉयस ऑफ अवध इस क्षेत्र में लोक गायन की छिपी प्रतिभाओं को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर है। अवधी और भोजपुरी गीतों पर केंद्रित इस आयोजन में हम गांव की मिट्टी की महक महसूस कर सकते हैं। यह बातें राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह सत्यधाम आश्रम और राणा प्रताप पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अवधी और भोजपुरी लोकगीतों की प्रतियोगिता द वायस आफ अवध को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधक एडवोकेट बालचंद सिंह ने पुस्तकालय कक्ष में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। संयोजक देवेंद्र कविराज देव ने बताया कि प्रतियोगिता में अवध क्षेत्र के बीस जनपदों के कुल निन्यानबे बच्चों ने भाग लिया जिसमें तीस प्रतिभागी सेमीफाइनल के लिए चयनित हुए। अगला ऑडिशन जल्द ही होगा। सेमीफाइनल के लिए कुल साठ लोगों का चयन करना है।अंतिम रूप से चयनित तीन प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर द वायस आफ अवध के खिताब से नवाजा जाएगा। महाविद्यालय आई क्यू ए सी निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि अच्छी गायकी के लिए अच्छा स्वर, सधा सुर , संगीत की समझ, सातत्य, समर्पण, साधना और संवेदनशीलता का सामंजस्य जरूरी है। प्रतियोगिता के निर्णायक भोजपुरी के चर्चित गायक नंदन और चंदन ने अपने गीतों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में जादूगर संजय घायल ने अपना जादू प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संगीत निर्देशक विनय पांडेय , कवि लोकेश श्रीवास्तव, संघ के जिला प्रचारक आशीष , डॉ अखिलेश सिंह, डॉ संतोष सिंह अंश, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पंकज चौरसिया, अन्नू यादव, चंद्रमणि मौर्य, विपिन कुमार, देव राजन, शुभम ,धर्मराज, राजीव मौर्या,अंतिमा तिवारी,आदर्श पांडे, अर्पित सिंह, अशोक आदि उपस्थित रहे।