पीके अपनी इनकम का 90 फीसदी हिस्सा पार्टी को करेंगे दान, बोले- अब सिर्फ पैसे देने वाले से करूंगा मुलाकात

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जनसुराज अभियान के संस्थापक नेता प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। बिहार के पश्चिम चंपारण के भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के बाद प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए अपनी संपत्ति दान करने और लोगों से मिलने के लिए अपनी फीस तय करने का ऐलान किया है। प्रशांत किशोर ने चुनावी हार के बाद अब पूरी तरह मिशन मोड में लौटने का ऐलान करते हुए कहा कि उनके अभियान को आर्थिक परेशानी नहीं हो इसको लेकर उन्होंने जन सुराज से जुड़े लोगों को एक-एक हजार रुपये पार्टी फंड में मदद करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि जो लोग रुपया जमा नहीं करेंगे उससे हम नहीं मिलेंगे।

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एक घर को छोड़कर सब कुछ पार्टी को करेंगे दान

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मौनव्रत कर हार का प्रायश्चित करने के बाद पीके ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों तक वह अपनी आय का 90 प्रतिशत पार्टी को दान देंगे। उन्होंने कहा, पिछले 20 वर्षों में जो भी चल-अचल संपत्ति अर्जित की है, दिल्ली में स्थित एक घर को छोड़कर, सब कुछ जन सुराज पार्टी को दान करूंगा।

अब पीके से मिलने के लिए देनें होंगे पैसे

मीडिया को संबोधित करते हुए पीके ने साफ कहा कि बिहार की गरीब जनता की आशा को आर्थिक बाधाएं नहीं रोक पाएंगी। पैसे की वजह से यह आंदोलन रुकने नहीं दूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। पीके ने आगे कहा कि अब आगे उन्हीं लोगों से मिलेंगे, जो जन सुराज पार्टी को कम से कम एक हजार रुपया दान देंगे। अगर एक करोड़ लोग भी 1-1 हजार रुपया दे तो काफी होगा। इस प्रकार अगर एक करोड़ लोग 1-1 हजार रुपया जन सुराज को देंगे तो कुल 10 अरब रुपये जमा हो जाएंगे।

15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की घोषणा

दरअसल, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन अनशन के बाद घोषणा की है कि वे 15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा के दौरान वे राज्य के 1 लाख 18 हजार वार्डों में उन महिलाओं से मुलाकात करेंगे, जिन्हें सरकार द्वारा 10 हजार रूपये की राशि मिली है। इसके साथ ही उन्हें बिहार सरकार की ओर से दिए जाने वाले 2 लाख के लाभ के लिए फॉर्म भरवाने का कार्य भी करेंगे।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

जनपद के 150 गाँव में मोबाइल वैन करेगी परिवार नियोजन पर प्रचार-प्रसार

  

गोण्डा, 21 नवम्बर 2025। – उम्मीद परियोजना के तहत जिला चिकित्सालय सभागार में डिस्ट्रिक्ट वर्किंग ग्रुप की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. रश्मि वर्मा ने की। बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस, पंचायती राज, ग्राम्य विकास, एनआरएलएम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक के दौरान पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा मोबियस फाउंडेशन के सहयोग से संचालित एसबीसीसी कैंपेन ‘इतनी भी क्या जल्दी है?!!!’ का औपचारिक शुभारंभ किया गया।

  सीएमओ डॉ. रश्मि वर्मा ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से परिवार नियोजन के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है। पोस्टर्स, लघु फिल्मों, जिंगल्स और अन्य माध्यमों से सही उम्र में विवाह, पहला बच्चा देरी से, दो बच्चों के जन्म में अंतर और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली के सही उपयोग जैसे संदेशों का प्रसार किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान अभियान से जुड़े पोस्टर्स, फिल्मों और जिंगल्स का विमोचन भी किया गया।

   इस मौके पर जनपद के कटरा बाजार, मनकापुर और करनैलगंज ब्लॉक के 150 गाँवों में जागरूकता फैलाने हेतु मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह वैन नवंबर 2025 से फरवरी 2026 तक गांवों में फिल्म प्रदर्शन, जिंगल प्रसारण और हैण्डबिल वितरण के माध्यम से परिवार नियोजन पर जागरूकता फैलाएगी। आशाओं के माध्यम से फिल्म प्रदर्शन के दिन परिवार नियोजन साधनों का वितरण भी किया जाएगा, जबकि वैन में तैनात काउंसलर द्वारा परामर्श सेवाएँ दी जाएँगी। सही उत्तर देने वाले ग्रामीणों को पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे।

   अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आदित्य वर्मा ने अवगत कराया कि ऑनलाइन माध्यम—इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक—साथ ही ऑफलाइन माध्यम से भी अभियान की संदेश सामग्री व्यापक रूप से प्रसारित की जाएगी। इसके अलावा जरवल ब्लॉक में लंबे समय तक परिवार नियोजन साधनों को अपनाने वाले उपयोगकर्ताओं और बेहतर कार्य करने वाले ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया जाएगा।

   कार्यक्रम की शुरुआत में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राज्य प्रतिनिधि बी. के. जैन ने उम्मीद परियोजना के सात जनपदों में चल रहे कार्यों, काउंसलिंग कॉर्नर स्थापना, आशा-एएनएम प्रशिक्षण और अंतर्विभागीय समन्वय की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य परिवार कल्याण सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाना है।

   इस अवसर पर डॉ. आर. पी. सिंह, डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर, ने समुदाय स्तरीय सेवाप्रदाताओं और प्रधानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। वहीं मोबियस फाउंडेशन के प्रतिनिधि प्रभात कुमार ने संसाधनों के संतुलित उपयोग के लिए परिवार नियोजन को आवश्यक बताया।

   बैठक में स्वास्थ्य विभाग सहित पंचायती राज, शिक्षा, ग्राम्य विकास, आईसीडीएस, महिला एवं बाल विकास, एनआरएलएम एवं सहभागी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सक्रिय उपस्थिति रही।

बहाना करना नहीं छोड़ेंगे तो अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आ पाएगी चिराग पासवान


पटना
राजद ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पोस्टल वोट रिजेक्ट होने के कारण हमारे गठबंधन के उम्मीदवार हार गए नहीं तो कुछ सीटों पर हमारे उम्मीदवार जीतते इसपर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि राजद और कांग्रेस जिंदगी भर कभी भी पलट करके यह लोग सत्ता में नहीं आएंगे अगर यह लोग बहाने बनाना नहीं छोड़ेंगे. हर हार के बाद आपको एक ईमानदार मंथन करने की जरूरत है कौन नहीं गुजरा है हार से. हम लोग हार से गुजरे हैं फिर भी हमारे पिता 2009 की हार के बाद अपने आप को 2014 मे खड़ा करने का काम किया. 2021 में मुझे मेरी पूरी पार्टी छीन ली गई और आज 2024-25 में हम लोगों ने पुनः अपने आप को स्थापित करने का काम किया क्योंकि हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया. 2020 के हमारे इंटरव्यू निकाल करके देखिए हमने कभी भी किसी पर ठीकरा तक नहीं फोड़ा कि हमारी पार्टी का क्यों ऐसा परफॉर्मेंस रहा. हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया कि हम लोगों से कहां कमी रह गई और कहां चुक हो गई. इतने अहंकार में डूबी हुई यह पार्टियों है कांग्रेस हो या राजद हो. आज रिजल्ट आए हुए इतने दिन हो गए और आज एक सप्ताह होने को आ गया है इन लोगों ने अभी तक मंथन तक करना जरूरी नहीं समझा एक बैठक की और अपने आप को नेता चुन लिया. और आज भी इस बात का ठीकरा फोड़ने में लगे हैं कि कभी इसका वोट चोरी हो गया तो कभी इसने वोट काट लिया. केवल आप लोग दूध के धुले हैं बाकी सब गलत है. तीन बार से एनडीए जीत करके आ रही है तो वह गलत है पर दो-दो बार यूपीए जीतकर के आ जाती है वह ठीक था. जहां पर आप जीत जाते हैं झारखंड जैसे राज्यों में तो वह सही हो जाता है और हम महाराष्ट्र की जातते हैं तो वह गलत हो जाता है. SIR चल रहा था तब से बहाना बना रहे हैं वोट चोरी का. यह लोग बहाना बना नहीं छोड़ेंगे तो *लालू जी की अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आएगी अगर यह लोग बहाना बनाना नहीं छोड़ेंगे तो* उनकी सभा में अगर आप चले जाइए तो आपको देखने को मिलेगा कि महिलाओं के साथ बदतमीजी की जाती थी इन लोगों के कार्यक्रम में इन लोगों के प्रवक्ताओं को देख लीजिए किस तरीके से एग्रेसिव होकर के बातों को रखते थे. आप अपने विपक्ष के तौर पर बातों को रखिए लेकिन केवल बहाना करते रहना है. EVM को लेकर के रोना रोते थे आज क्यों नहीं है ऐसा. SIR को नया मुद्दा बना लिया है और अगले 10 साल तक हारेंगे फिर नया मुद्दा ढूंढ लेंगे. ईमानदार से एक बार बैठ करके यह मंथन करें कि जनता ने क्यों नहीं साथ दिया है तब पता चलेगा. जनता ने 2005 से इन लोगों का साथ छोड़ा हुआ है और यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं. यह लोग बताएं कि 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ नहीं मिलता तो सात जन्म में भी ये लोग सरकार नहीं बनाते. 2020 में अगर मैं अलग नहीं रहता यूनाइटेड NDA रहता तो इससे भी बद्दतर प्रदर्शन रहता. यह लोग जो सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इसकी या उसकी वजह से हुआ एक बार ईमानदारी सब बैठेंगे तो इन लोगों को पता चलेगा कि यह लोग कितनी जगह गलत रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद पर हमला करते हैं लेकिन कल आशीर्वाद देते नजर आए उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को ना कि वह MLA है और नाही एमएलसी है इसको आप लोग बढ़ावा दे रहे हैं इस पर चिराग पासवान ने कहा कि मैं परिवारवाद पर कुछ बोल ही नहीं सकता हूं. लेकिन मैं बस इतना ही कहूंगा कि आप उस व्यवस्था को ऐसे में सुधार नहीं सकते आप एक नई लकीड़ नही खींच सकते मैं इसको नहीं मानता. क्योंकि आप एक परिवार से आते हैं आपको एक मौका नहीं मिलना चाहिए मैं इसका पक्षधर नहीं हूं लेकिन मैं बस इतना कहूंगा कि अगर आपके अंदर काबिलियत नहीं होगी आप कितने भी बड़े परिवार से आ जाओ आपका कुछ नहीं होगा. मैं अपना उदाहरण दूंगा 2021 में मेरे से मेरी पार्टी सिंबल सब कुछ लिया गया. आज अगर काबिलियत नहीं होती तो सात जन्म में भी चिराग पासवान या पार्टी खड़ी नहीं हो सकती थी. ऐसे में किसी परिवार का होना आपका सौभाग्य हो सकता है पर आपकी काबिलियत ही आपको आगे लेकर के जाएगी. काबिलियत होगी आप आगे बढ़ेंगे नहीं होगी तो कोई आपको आगे नहीं बढ़ा पाएगा. बंगाल बिहार जीतने के बाद बंगाल की बारी है हम लोग असम भी जीतने जा रहे हैं बंगाल भी जीतने जा रहे हैं और जितने राज्यों में डॉन साउथ तमिलनाडु सारी जगह आप लोग देखेंगे इस चुनाव के परिणामों की परछाई पूरे देश में देखने को मिलेगी. बंगाल में आपकी क्या भूमिका रहेगी इस पर चिराग पासवान ने कहा कि जो बिहार में भूमिका थी वही बंगाल में भी भूमिका रहेगी. समावेश के साथ महिला युवाओं को जोड़ते हुए आगे बढ़ना और वही भूमिका में आने वाले दिनों में असम बंगाल तमिलनाडु उत्तर प्रदेश 2027 में चुनाव है तमाम राज्यों में देखने को मिलेगा
जहानाबाद मेरा सपना — शिक्षा का प्रकाश” शकील अहमद काकवी की सोच ने बदल दी गाँव की तस्वीर

जहानाबाद से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जहाँ एक व्यक्ति के सपने ने पूरे गाँव की दिशा बदल दी। शकील अहमद काकवी का यह सपना सिर्फ एक कल्पना नहीं, बल्कि शिक्षा की रोशनी से गाँव को जगाने की एक जीवंत पहल बन चुका है।

स्टोरी:
रात का सन्नाटा और गाँव की छतों पर उतरती चाँदनी… इन्हीं पलों में शकील अहमद काकवी ने एक ऐसा सपना देखा जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
सपने में वे अपने ही गाँव की गलियों में थे—सादगी, मिट्टी की खुशबू और खेलते बच्चों की चमकती आँखें। बच्चों की आँखों में वह मासूम पुकार थी—“हमें बस रोशनी और दिशा चाहिए।”

यही सपना उनके लिए एक संदेश बन गया। उन्होंने तय किया कि अब इन बच्चों के भविष्य को संवारना है। गाँव के युवाओं से चर्चा हुई, और कई युवा इस अभियान से जुड़ गए। एक महिला शिक्षिका भी इस मुहिम का हिस्सा बनीं। धीरे-धीरे गाँव में एक नई आवाज़ गूँजने लगी—

“बेटियाँ और बेटे—सब पढ़ेंगे, तभी गाँव बदलेगा।”

शकील अहमद काकवी का विश्वास भारतीय परंपरा और ज्ञान के उन सूत्रों से और गहरा हुआ जहाँ कहा गया है—
“विद्या ददाति विनयम्”,
“विद्यायाः प्राप्यते सुखम्”,
और “ज्ञान से बढ़कर कोई पवित्र तत्व नहीं।”

इसके बाद गाँव में “जामिया कायनात” नामक पाठशाला की स्थापना की गई। जो बच्चे कभी खुद को महत्वहीन समझते थे, वे आज शिक्षा के सहारे अपनी ज़िंदगी संवार रहे हैं।
गाँव में उम्मीद की किरण लौटी, मुस्कुराहट लौटी।

इस सफर में कुरान की यह आयत भी दिशा दिखाती रही—
“अल्लाह उस कौम की हालत नहीं बदलता, जो खुद को बदलने की कोशिश नहीं करती।”

जब छात्रों की संख्या बढ़ने लगी तो पुरानी बंद हवेली को खोलकर शिक्षा की नई शमा जलाई गई। शकील अहमद काकवी ने कहा—

“मेरी कोशिश को सराहो, मेरे हमराह चलो…
मैंने एक शमा जलाई है हवाओं के खिलाफ।”

फिर उन्होंने गाँव में “त” की ताकत जगाने की अवधारणा रखी—

  • त — तालीम (शिक्षा)
  • त — तंजीम (संगठन)
  • त — तहरीक (अभियान)
  • त — तिजारत (आर्थिक उन्नति)

और गूँज उठा नारा—
“मेरे गाँव की यही पहचान—पढ़ा-लिखा हो हर इंसान।”

क्यू:
शकील अहमद काकवी का सपना अब सिर्फ सपना नहीं रहा। जहानाबाद में शिक्षा की रोशनी जग चुकी है और यह रोशनी आगे भी कई ज़िंदगियों को रोशन करने की क्षमता रखती है।

जहानाबाद से यह कहानी साबित करती है कि एक व्यक्ति का सपना, एक गाँव की तकदीर बदल सकता है।

रेड करने पहुंचे ED अफसर के सामने बिजनेसमैन ने छोड़े कुत्ते, छापेमारी में बेहिसाब कैश-ज्वेलरी बरामद

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफिया नेटवर्क के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की है. दोनों ही राज्यों में आज तड़के सुबह 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी कर अवैध कोयला खनन, चोरी और तस्करी के मामलों की जांच की जा रही है. इस कार्रवाई में एल.बी. सिंह सहित कई बड़े नाम शामिल हैं. हालांकि सिंह की एक हरकत ने अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया. ईडी के अधिकारी जैसे ही घर में घुसने वाले थे. एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया. इससे अधिकारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

धनबाद के बड़े कोयला व्यवसायी एल.बी. सिंह और उनके भाई कुंभनाथ सिंह के ठिकानों पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने व्यापक छापेमारी की है. ईडी की टीमें सरायढेला के देवबिला स्थित आवास, बैंक मोड़ के शांति भवन, निरसा के टालडांगा में बिनोद महतो के ठिकाने तथा भूली में सन्नी केशरी के स्थान सहित करीब आधा दर्जन लोकेशन पर पहुंची हैं.

अधिकारियों पर छोड़े कुत्ते

ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोकने के लिए एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया था. कुत्ते एलबी सिंह के आवासीय परिसर में घूम रहे थे और ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोके हुए थे. अधिकारी जैसे ही घर के अंदर जाने की कोशिश करते कुत्ते भौंकना शुरू कर देते. हालांकि बाद में अधिकारी घर के अंदर जाने में सफल रहे.

भारी सोना चांदी बरामद

ईडी ने अपनी इस छापेमारी में भारी मात्रा में कैश और सोना चांदी भी बरामद किया है. 100 से ज़्यादा ED अधिकारी और स्टाफ कोयला माफिया के खिलाफ सर्च कर रहे हैं. सर्च ऑपरेशन सुबह करीब 6 बजे शुरू हुआ था.

10 दिन पहले भी हुई थी छापेमारी

दोनों भाई कोयला आउटसोर्सिंग कंपनी के मालिक हैं और हाल के दिनों में सामने आए कोयला स्कैन से जुड़े मामलों की जांच के क्रम में यह कार्रवाई की जा रही है. इससे पहले करीब 10 वर्ष पूर्व बीसीसीएल में टेंडर घोटाला मामले में CBI ने एल.बी. सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी. उस दौरान छापेमारी के वक्त एल.बी. सिंह द्वारा CBI टीम पर फायरिंग भी किए जाने की घटना सामने आई थी.

ईडी की ताजा कार्रवाई से कोयला कारोबार से जुड़े अन्य लोगों में भी हलचल मची हुई है. जांच एजेंसी अभी सभी स्थानों से दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है.

यातायात नियम तोड़ने पर लगातार कार्रवाई, 2435 ई-चालान
लखनऊ। राजधानी में यातायात माह 2025 के दौरान नियम तोड़ने वालों पर पुलिस की सख्ती लगातार जारी है। शहर में तैनात यातायात निरीक्षक और उप निरीक्षक प्रतिदिन लोगों को जागरूक कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कई वाहन चालक नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। गुरुवार को यातायात पुलिस ने अलग-अलग चौराहों और तिराहों पर चेकिंग अभियान चलाया, जिसमें कुल 2435 ई-चालान किए गए। 235 को नो-पार्किंग नियम तोड़ने पर चालान कार्रवाई के दौरान 1278 लोगों को बिना हेल्मेट, 235 को नो-पार्किंग नियम तोड़ने, 79 को दोषपूर्ण नंबर प्लेट, 29 को बिना बीमा, 56 को रॉन्ग साइड चलने और 197 दोपहिया चालकों को तीन सवारी बैठाने पर चालान किया गया।पुलिस ने बताया कि अभियान का उद्देश्य लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। साथ ही अपील की कि सभी वाहन चालक यातायात नियमों का पालन करें और सुरक्षित यात्रा के लिए पुलिस का सहयोग करें।
धुंधला हुआ दिल्ली-एनसीआर, AQI 450 पार, सबसे 'जहरीला' फरीदाबाद

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दिल्ली और एनसीआर में गहरे वायु प्रदूषण की चपेट में है। दिल्ली-एनसीआर में धुंध की मोटी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। नवंबर के महीने में अभी तो सर्दी शुरुआती दौर में है, लेकिन अभी से ही राजधानी में प्रदूषण के चलते लोगों को परेशानी होने लगी है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार हो गया है।

शुक्रवार की सुबह दिल्ली-एनसीआर गहरे काले चादर से ढंकी हुई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीबीसीबी) की आज सुबह की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी के ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। रोहिणी, मुंडका, बवाना समेत कई स्थानों पर एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।

राजधानी दिल्ली में कहां कितना एक्यूआई

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आज सुबह राजधानी दिल्ली के आनंद विहार में एक्यूआई 416, अशोक विहार में 412, आया नगर में 343, बवाना में 431, बुराड़ी में 404, डीटीयू में 417, द्वारका में 369, आईटीओ में 381, जहांगीरपुरी में 433, मुंडका 434, नजफगढ़ में 353, पंजाबी बाग में 381, रोहिणी 423, आरकेपुरम 402, वजीरपुर में 442 दर्ज किया गया है। आज सुबह इंडिया गेट और कर्तव्य पथ के आस-पास के इलाके में जहरीले स्मॉग की एक परत छाई हुई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, इलाके के आस-पास एक्यूआई 331 दर्ज किया गया है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है।

देश के 5 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर फरीदाबाद

भारत के 5 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों के आंकड़े डराने वाले हैं। फरीदाबाद का एक्यूआई इस वक्त देश में सबसे ज्यादा (624) है। इसके बाद दूसरे नंबर पर गाजियाबाद (617) है। तीसरे नंबर पर रोहतक (587) तो वहीं चौथे नंबर पर नोएडा (560) है। पांचवे नंबर पर कैराना (542) है।

अगले 6 दिन ऐसा रह सकता है AQI

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि इससे पहले बुधवार को औसत एक्यूआई 392, मंगलवार को 374 और सोमवार को 351 था। आने वाले दिनों में दिल्ली का एक्यूआई और भी खराब होकर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की संभावना है। ये अगले छह दिनों तक ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहने की आशंका है। सीपीसीबी के समीर ऐप के अनुसार, गुरुवार को 38 चालू केंद्रों में से 18 में एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया। इनमें चांदनी चौक, आनंद विहार, डीटीयू, बवाना, मुंडका, नरेला और वजीरपुर स्टेशन शामिल हैं। यहां एक्यूआई 400 से अधिक रहा।

मीडिया शिक्षा से रूबरू हुए स्कूली विद्यार्थी,जाना टीवी स्टूडियो और रेडियो प्रसारण की बारीकियां

रायपुर- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में गुरुवार को ब्रह्मविद द ग्लोबल स्कूल के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्रों को जनसंचार एवं पत्रकारिता की शिक्षा से रूबरू कराया गया। कार्यक्रम में जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र मोहंती ने छात्रों को संबोधित करते हुए जनसंचार की शिक्षा के क्षेत्र में संभावनाओं पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा के मूल में रचनात्मकता का सार निहित है, जिसके बिना यह अध्ययन अधूरा रहता है।इसी दौरान छात्रों ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे, जैसे—मीडिया क्षेत्र में सफलता का प्रतिशत क्या होता है, छात्रों के जीवन में पत्रकारिता का महत्व क्या है, तथा रचनात्मकता, बुद्धिमत्ता या व्यवहार में से कौन अधिक महत्वपूर्ण है। डॉ. मोहंती ने सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए बताया कि मीडिया समाज को दिशा देने और लोगों के जीवन को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है। इस दौरान बीएएमसी प्रथम सेमेस्टर के छात्रों ने भी अपने मीडिया शिक्षा से जुड़े अनुभव साझा किए।

इसके बाद शिक्षक डॉ. नीलेश साहू ने छात्रों को सामुदायिक लाइव रेडियो स्टेशन की विभिन्न प्रणालियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि आरजे किस प्रकार कार्यक्रम रिकॉर्ड करते हैं, स्क्रिप्ट तैयार करते हैं और प्रसारण करते हैं। विद्यार्थियों ने स्वयं भी अपना परिचय रिकॉर्ड किया तथा पर्यावरण और समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार रेडियो पर साझा किए।

वहीं विनोद सावंत ने टीवी स्टूडियो के माध्यम से समाचार प्रसारण की प्रक्रिया को समझाया। छात्रों ने लाइव न्यूज़ स्टूडियो की कार्यप्रणाली, ब्रेकिंग न्यूज़ जारी करने की प्रणाली और लाइव प्रसारण के दौरान स्टूडियो संचालन को करीब से देखा। भ्रमण के दौरान छात्रों ने पैनल कंट्रोल रूम (PCR), लाइटिंग, ऑडियो मिक्सर, टेलीप्रॉम्प्टर, ट्राईकास्टर, विज़ुअल सेटअप, एडिटिंग रूम जैसे तकनीकी उपकरणों का भी प्रायोगिक ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने यह भी समझा कि लाइव एंकरिंग का अंतिम आउटपुट कैसे तैयार होता है और फ्रेम चयन ट्राईकास्टर द्वारा किस प्रक्रिया से किया जाता है।

छात्रों ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का भी भ्रमण किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की ओर से संयोजक चंद्रशेखर शिवारे द्वारा किया गया। स्कूल से शिक्षक अभिषेक चौबे, श्वेता शर्मा, ऐश्वर्या श्रीवास्तव और षणमुगप्रिया उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय से दीपक साहू, ज्योति साहू तथा जनसंचार विभाग के बीएएमसी प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।

*नगर निगम गोरखपुर को जल संरक्षण के लिए मिला राष्ट्रीय सम्मान*

गोरखपुर नगर निगम ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए पूरे देश में शहर का मान बढ़ाया है। जल संचय जन भागीदारी अभियान (JSJB 1.0) के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्यों के लिए नगर निगम को राष्ट्रीय स्तर पर तृतीय पुरस्कार तथा उत्तर प्रदेश स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025’ समारोह में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने यह सम्मान गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल को प्रदान किया। गोरखपुर के लिए यह क्षण गौरव और प्रेरणा से भरा हुआ रहा।

पुरस्कार प्राप्त कर गोरखपुर लौटने पर नगर निगम सदन हाल में महापौर और नगर आयुक्त का पार्षदों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। पार्षदगण ने माला, स्मृति चिन्ह और पुष्पगुच्छ भेंटकर दोनों का अभिनंदन किया। इस सम्मान में गोरखपुर के जन-सहयोग और टीमवर्क की भावना झलकती है।

महापौर बोले—यह पुरस्कार गोरखपुर के हर नागरिक का सम्मान

महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह उपलब्धि गोरखपुर की जनता, नगर निगम के पार्षदों और पूरी टीम के निरंतर प्रयास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि “महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दिया गया यह सम्मान गोरखपुर की ऐतिहासिक उपलब्धि है। पहली बार नगर निगम को राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा बड़ा सम्मान मिला है। हम आगे और बेहतर कार्य करेंगे ताकि गोरखपुर पहले या दूसरे स्थान तक पहुँच सके।

महापौर ने यह भी कहा कि गोरखपुर की जनता ने जल संरक्षण को जिस तरह जन आंदोलन का रूप दिया है, वह पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है।

नगर आयुक्त ने कहा—तीन महीनों में मिला तीसरा राष्ट्रीय सम्मान, अब जिम्मेदारी और बढ़ गई

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि जल संचय जन भागीदारी अभियान के तहत गोरखपुर को तीसरा राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर पहला स्थान प्राप्त होना पूरे शहर के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि “यह सफलता महापौर जी की दूरदर्शिता, पार्षदों के सहयोग, देवतुल्य जनता के प्रयास और माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन से संभव हुई है।”

उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में नगर निगम को यह तीसरा राष्ट्रीय सम्मान मिला है, जो गोरखपुर मॉडल की मजबूती को दर्शाता है। नगर आयुक्त ने कहा कि अब जिम्मेदारी और बढ़ गई है और जल संरक्षण के कार्यों को और व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।

गोरखपुर मॉडल—देश में बना उदाहरण

गोरखपुर के जल संरक्षण कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष सराहना मिली है। इनमें प्रमुख है

वर्षा जल संचयन संरचनाओं का व्यापक विस्तार तालाबों और कुओं की सफाई और पुनर्जीवन नदियों और नालों के पुनर्जीवन के प्रयास तकिया घाट पर स्थापित नेचुरल वॉटर फिल्ट्रेशन सिस्टम तकिया घाट स्थित प्राकृतिक जल शोधन केंद्र बिना रसायन के नदी के प्रदूषित जल को शुद्ध करने का अनोखा मॉडल है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। यह गोरखपुर की नवाचारी सोच का उत्कृष्ट उदाहरण है।

2 करोड़ की प्रोत्साहन राशि से होंगे नए कार्य

राष्ट्रीय जल पुरस्कार के साथ मिली 2 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग नगर निगम द्वारा निम्न कार्यों में किया जायेगा

नए जल संरक्षण मॉडल तैयार करना अधिक तालाबों का पुनर्जीवन वर्षा जल संचयन संरचनाओं का विस्तार नागरिकों को स्वच्छ जल उपलब्धता में सुधार नगर निगम का लक्ष्य है कि गोरखपुर को देश के अग्रणी जल-संरक्षण मॉडल के रूप में स्थापित किया जाए।

गोरखपुर का बढ़ा मान—निवासियों ने कहा, यह ऐतिहासिक अवसर

गोरखपुर के निवासियों ने कहा कि इतिहास में पहली बार नगर निगम को राष्ट्रपति से ऐसा बड़ा राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। यह शहर के लिए बेहद गर्व का क्षण है। नागरिकों ने महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल की टीम को हार्दिक बधाई दी और कहा कि नगर निगम ने वास्तव में गोरखपुर का मान बढ़ाने का काम किया है।

यह उपलब्धि सिद्ध करती है कि गोरखपुर अब सिर्फ सांस्कृतिक और शिक्षा का केंद्र ही नहीं, बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण में भी देश का अग्रणी शहर बनकर उभर रहा है। गोरखपुर के नेतृत्व और नागरिकों के सामूहिक प्रयासों ने यह संभव किया है।

पीके अपनी इनकम का 90 फीसदी हिस्सा पार्टी को करेंगे दान, बोले- अब सिर्फ पैसे देने वाले से करूंगा मुलाकात

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जनसुराज अभियान के संस्थापक नेता प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। बिहार के पश्चिम चंपारण के भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के बाद प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए अपनी संपत्ति दान करने और लोगों से मिलने के लिए अपनी फीस तय करने का ऐलान किया है। प्रशांत किशोर ने चुनावी हार के बाद अब पूरी तरह मिशन मोड में लौटने का ऐलान करते हुए कहा कि उनके अभियान को आर्थिक परेशानी नहीं हो इसको लेकर उन्होंने जन सुराज से जुड़े लोगों को एक-एक हजार रुपये पार्टी फंड में मदद करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि जो लोग रुपया जमा नहीं करेंगे उससे हम नहीं मिलेंगे।

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एक घर को छोड़कर सब कुछ पार्टी को करेंगे दान

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मौनव्रत कर हार का प्रायश्चित करने के बाद पीके ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों तक वह अपनी आय का 90 प्रतिशत पार्टी को दान देंगे। उन्होंने कहा, पिछले 20 वर्षों में जो भी चल-अचल संपत्ति अर्जित की है, दिल्ली में स्थित एक घर को छोड़कर, सब कुछ जन सुराज पार्टी को दान करूंगा।

अब पीके से मिलने के लिए देनें होंगे पैसे

मीडिया को संबोधित करते हुए पीके ने साफ कहा कि बिहार की गरीब जनता की आशा को आर्थिक बाधाएं नहीं रोक पाएंगी। पैसे की वजह से यह आंदोलन रुकने नहीं दूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। पीके ने आगे कहा कि अब आगे उन्हीं लोगों से मिलेंगे, जो जन सुराज पार्टी को कम से कम एक हजार रुपया दान देंगे। अगर एक करोड़ लोग भी 1-1 हजार रुपया दे तो काफी होगा। इस प्रकार अगर एक करोड़ लोग 1-1 हजार रुपया जन सुराज को देंगे तो कुल 10 अरब रुपये जमा हो जाएंगे।

15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की घोषणा

दरअसल, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन अनशन के बाद घोषणा की है कि वे 15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा के दौरान वे राज्य के 1 लाख 18 हजार वार्डों में उन महिलाओं से मुलाकात करेंगे, जिन्हें सरकार द्वारा 10 हजार रूपये की राशि मिली है। इसके साथ ही उन्हें बिहार सरकार की ओर से दिए जाने वाले 2 लाख के लाभ के लिए फॉर्म भरवाने का कार्य भी करेंगे।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

जनपद के 150 गाँव में मोबाइल वैन करेगी परिवार नियोजन पर प्रचार-प्रसार

  

गोण्डा, 21 नवम्बर 2025। – उम्मीद परियोजना के तहत जिला चिकित्सालय सभागार में डिस्ट्रिक्ट वर्किंग ग्रुप की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. रश्मि वर्मा ने की। बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस, पंचायती राज, ग्राम्य विकास, एनआरएलएम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक के दौरान पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा मोबियस फाउंडेशन के सहयोग से संचालित एसबीसीसी कैंपेन ‘इतनी भी क्या जल्दी है?!!!’ का औपचारिक शुभारंभ किया गया।

  सीएमओ डॉ. रश्मि वर्मा ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से परिवार नियोजन के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है। पोस्टर्स, लघु फिल्मों, जिंगल्स और अन्य माध्यमों से सही उम्र में विवाह, पहला बच्चा देरी से, दो बच्चों के जन्म में अंतर और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली के सही उपयोग जैसे संदेशों का प्रसार किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान अभियान से जुड़े पोस्टर्स, फिल्मों और जिंगल्स का विमोचन भी किया गया।

   इस मौके पर जनपद के कटरा बाजार, मनकापुर और करनैलगंज ब्लॉक के 150 गाँवों में जागरूकता फैलाने हेतु मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह वैन नवंबर 2025 से फरवरी 2026 तक गांवों में फिल्म प्रदर्शन, जिंगल प्रसारण और हैण्डबिल वितरण के माध्यम से परिवार नियोजन पर जागरूकता फैलाएगी। आशाओं के माध्यम से फिल्म प्रदर्शन के दिन परिवार नियोजन साधनों का वितरण भी किया जाएगा, जबकि वैन में तैनात काउंसलर द्वारा परामर्श सेवाएँ दी जाएँगी। सही उत्तर देने वाले ग्रामीणों को पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे।

   अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आदित्य वर्मा ने अवगत कराया कि ऑनलाइन माध्यम—इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक—साथ ही ऑफलाइन माध्यम से भी अभियान की संदेश सामग्री व्यापक रूप से प्रसारित की जाएगी। इसके अलावा जरवल ब्लॉक में लंबे समय तक परिवार नियोजन साधनों को अपनाने वाले उपयोगकर्ताओं और बेहतर कार्य करने वाले ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया जाएगा।

   कार्यक्रम की शुरुआत में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राज्य प्रतिनिधि बी. के. जैन ने उम्मीद परियोजना के सात जनपदों में चल रहे कार्यों, काउंसलिंग कॉर्नर स्थापना, आशा-एएनएम प्रशिक्षण और अंतर्विभागीय समन्वय की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य परिवार कल्याण सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाना है।

   इस अवसर पर डॉ. आर. पी. सिंह, डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर, ने समुदाय स्तरीय सेवाप्रदाताओं और प्रधानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। वहीं मोबियस फाउंडेशन के प्रतिनिधि प्रभात कुमार ने संसाधनों के संतुलित उपयोग के लिए परिवार नियोजन को आवश्यक बताया।

   बैठक में स्वास्थ्य विभाग सहित पंचायती राज, शिक्षा, ग्राम्य विकास, आईसीडीएस, महिला एवं बाल विकास, एनआरएलएम एवं सहभागी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सक्रिय उपस्थिति रही।

बहाना करना नहीं छोड़ेंगे तो अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आ पाएगी चिराग पासवान


पटना
राजद ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पोस्टल वोट रिजेक्ट होने के कारण हमारे गठबंधन के उम्मीदवार हार गए नहीं तो कुछ सीटों पर हमारे उम्मीदवार जीतते इसपर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि राजद और कांग्रेस जिंदगी भर कभी भी पलट करके यह लोग सत्ता में नहीं आएंगे अगर यह लोग बहाने बनाना नहीं छोड़ेंगे. हर हार के बाद आपको एक ईमानदार मंथन करने की जरूरत है कौन नहीं गुजरा है हार से. हम लोग हार से गुजरे हैं फिर भी हमारे पिता 2009 की हार के बाद अपने आप को 2014 मे खड़ा करने का काम किया. 2021 में मुझे मेरी पूरी पार्टी छीन ली गई और आज 2024-25 में हम लोगों ने पुनः अपने आप को स्थापित करने का काम किया क्योंकि हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया. 2020 के हमारे इंटरव्यू निकाल करके देखिए हमने कभी भी किसी पर ठीकरा तक नहीं फोड़ा कि हमारी पार्टी का क्यों ऐसा परफॉर्मेंस रहा. हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया कि हम लोगों से कहां कमी रह गई और कहां चुक हो गई. इतने अहंकार में डूबी हुई यह पार्टियों है कांग्रेस हो या राजद हो. आज रिजल्ट आए हुए इतने दिन हो गए और आज एक सप्ताह होने को आ गया है इन लोगों ने अभी तक मंथन तक करना जरूरी नहीं समझा एक बैठक की और अपने आप को नेता चुन लिया. और आज भी इस बात का ठीकरा फोड़ने में लगे हैं कि कभी इसका वोट चोरी हो गया तो कभी इसने वोट काट लिया. केवल आप लोग दूध के धुले हैं बाकी सब गलत है. तीन बार से एनडीए जीत करके आ रही है तो वह गलत है पर दो-दो बार यूपीए जीतकर के आ जाती है वह ठीक था. जहां पर आप जीत जाते हैं झारखंड जैसे राज्यों में तो वह सही हो जाता है और हम महाराष्ट्र की जातते हैं तो वह गलत हो जाता है. SIR चल रहा था तब से बहाना बना रहे हैं वोट चोरी का. यह लोग बहाना बना नहीं छोड़ेंगे तो *लालू जी की अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आएगी अगर यह लोग बहाना बनाना नहीं छोड़ेंगे तो* उनकी सभा में अगर आप चले जाइए तो आपको देखने को मिलेगा कि महिलाओं के साथ बदतमीजी की जाती थी इन लोगों के कार्यक्रम में इन लोगों के प्रवक्ताओं को देख लीजिए किस तरीके से एग्रेसिव होकर के बातों को रखते थे. आप अपने विपक्ष के तौर पर बातों को रखिए लेकिन केवल बहाना करते रहना है. EVM को लेकर के रोना रोते थे आज क्यों नहीं है ऐसा. SIR को नया मुद्दा बना लिया है और अगले 10 साल तक हारेंगे फिर नया मुद्दा ढूंढ लेंगे. ईमानदार से एक बार बैठ करके यह मंथन करें कि जनता ने क्यों नहीं साथ दिया है तब पता चलेगा. जनता ने 2005 से इन लोगों का साथ छोड़ा हुआ है और यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं. यह लोग बताएं कि 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ नहीं मिलता तो सात जन्म में भी ये लोग सरकार नहीं बनाते. 2020 में अगर मैं अलग नहीं रहता यूनाइटेड NDA रहता तो इससे भी बद्दतर प्रदर्शन रहता. यह लोग जो सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इसकी या उसकी वजह से हुआ एक बार ईमानदारी सब बैठेंगे तो इन लोगों को पता चलेगा कि यह लोग कितनी जगह गलत रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद पर हमला करते हैं लेकिन कल आशीर्वाद देते नजर आए उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को ना कि वह MLA है और नाही एमएलसी है इसको आप लोग बढ़ावा दे रहे हैं इस पर चिराग पासवान ने कहा कि मैं परिवारवाद पर कुछ बोल ही नहीं सकता हूं. लेकिन मैं बस इतना ही कहूंगा कि आप उस व्यवस्था को ऐसे में सुधार नहीं सकते आप एक नई लकीड़ नही खींच सकते मैं इसको नहीं मानता. क्योंकि आप एक परिवार से आते हैं आपको एक मौका नहीं मिलना चाहिए मैं इसका पक्षधर नहीं हूं लेकिन मैं बस इतना कहूंगा कि अगर आपके अंदर काबिलियत नहीं होगी आप कितने भी बड़े परिवार से आ जाओ आपका कुछ नहीं होगा. मैं अपना उदाहरण दूंगा 2021 में मेरे से मेरी पार्टी सिंबल सब कुछ लिया गया. आज अगर काबिलियत नहीं होती तो सात जन्म में भी चिराग पासवान या पार्टी खड़ी नहीं हो सकती थी. ऐसे में किसी परिवार का होना आपका सौभाग्य हो सकता है पर आपकी काबिलियत ही आपको आगे लेकर के जाएगी. काबिलियत होगी आप आगे बढ़ेंगे नहीं होगी तो कोई आपको आगे नहीं बढ़ा पाएगा. बंगाल बिहार जीतने के बाद बंगाल की बारी है हम लोग असम भी जीतने जा रहे हैं बंगाल भी जीतने जा रहे हैं और जितने राज्यों में डॉन साउथ तमिलनाडु सारी जगह आप लोग देखेंगे इस चुनाव के परिणामों की परछाई पूरे देश में देखने को मिलेगी. बंगाल में आपकी क्या भूमिका रहेगी इस पर चिराग पासवान ने कहा कि जो बिहार में भूमिका थी वही बंगाल में भी भूमिका रहेगी. समावेश के साथ महिला युवाओं को जोड़ते हुए आगे बढ़ना और वही भूमिका में आने वाले दिनों में असम बंगाल तमिलनाडु उत्तर प्रदेश 2027 में चुनाव है तमाम राज्यों में देखने को मिलेगा
जहानाबाद मेरा सपना — शिक्षा का प्रकाश” शकील अहमद काकवी की सोच ने बदल दी गाँव की तस्वीर

जहानाबाद से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जहाँ एक व्यक्ति के सपने ने पूरे गाँव की दिशा बदल दी। शकील अहमद काकवी का यह सपना सिर्फ एक कल्पना नहीं, बल्कि शिक्षा की रोशनी से गाँव को जगाने की एक जीवंत पहल बन चुका है।

स्टोरी:
रात का सन्नाटा और गाँव की छतों पर उतरती चाँदनी… इन्हीं पलों में शकील अहमद काकवी ने एक ऐसा सपना देखा जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
सपने में वे अपने ही गाँव की गलियों में थे—सादगी, मिट्टी की खुशबू और खेलते बच्चों की चमकती आँखें। बच्चों की आँखों में वह मासूम पुकार थी—“हमें बस रोशनी और दिशा चाहिए।”

यही सपना उनके लिए एक संदेश बन गया। उन्होंने तय किया कि अब इन बच्चों के भविष्य को संवारना है। गाँव के युवाओं से चर्चा हुई, और कई युवा इस अभियान से जुड़ गए। एक महिला शिक्षिका भी इस मुहिम का हिस्सा बनीं। धीरे-धीरे गाँव में एक नई आवाज़ गूँजने लगी—

“बेटियाँ और बेटे—सब पढ़ेंगे, तभी गाँव बदलेगा।”

शकील अहमद काकवी का विश्वास भारतीय परंपरा और ज्ञान के उन सूत्रों से और गहरा हुआ जहाँ कहा गया है—
“विद्या ददाति विनयम्”,
“विद्यायाः प्राप्यते सुखम्”,
और “ज्ञान से बढ़कर कोई पवित्र तत्व नहीं।”

इसके बाद गाँव में “जामिया कायनात” नामक पाठशाला की स्थापना की गई। जो बच्चे कभी खुद को महत्वहीन समझते थे, वे आज शिक्षा के सहारे अपनी ज़िंदगी संवार रहे हैं।
गाँव में उम्मीद की किरण लौटी, मुस्कुराहट लौटी।

इस सफर में कुरान की यह आयत भी दिशा दिखाती रही—
“अल्लाह उस कौम की हालत नहीं बदलता, जो खुद को बदलने की कोशिश नहीं करती।”

जब छात्रों की संख्या बढ़ने लगी तो पुरानी बंद हवेली को खोलकर शिक्षा की नई शमा जलाई गई। शकील अहमद काकवी ने कहा—

“मेरी कोशिश को सराहो, मेरे हमराह चलो…
मैंने एक शमा जलाई है हवाओं के खिलाफ।”

फिर उन्होंने गाँव में “त” की ताकत जगाने की अवधारणा रखी—

  • त — तालीम (शिक्षा)
  • त — तंजीम (संगठन)
  • त — तहरीक (अभियान)
  • त — तिजारत (आर्थिक उन्नति)

और गूँज उठा नारा—
“मेरे गाँव की यही पहचान—पढ़ा-लिखा हो हर इंसान।”

क्यू:
शकील अहमद काकवी का सपना अब सिर्फ सपना नहीं रहा। जहानाबाद में शिक्षा की रोशनी जग चुकी है और यह रोशनी आगे भी कई ज़िंदगियों को रोशन करने की क्षमता रखती है।

जहानाबाद से यह कहानी साबित करती है कि एक व्यक्ति का सपना, एक गाँव की तकदीर बदल सकता है।

रेड करने पहुंचे ED अफसर के सामने बिजनेसमैन ने छोड़े कुत्ते, छापेमारी में बेहिसाब कैश-ज्वेलरी बरामद

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफिया नेटवर्क के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की है. दोनों ही राज्यों में आज तड़के सुबह 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी कर अवैध कोयला खनन, चोरी और तस्करी के मामलों की जांच की जा रही है. इस कार्रवाई में एल.बी. सिंह सहित कई बड़े नाम शामिल हैं. हालांकि सिंह की एक हरकत ने अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया. ईडी के अधिकारी जैसे ही घर में घुसने वाले थे. एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया. इससे अधिकारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

धनबाद के बड़े कोयला व्यवसायी एल.बी. सिंह और उनके भाई कुंभनाथ सिंह के ठिकानों पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने व्यापक छापेमारी की है. ईडी की टीमें सरायढेला के देवबिला स्थित आवास, बैंक मोड़ के शांति भवन, निरसा के टालडांगा में बिनोद महतो के ठिकाने तथा भूली में सन्नी केशरी के स्थान सहित करीब आधा दर्जन लोकेशन पर पहुंची हैं.

अधिकारियों पर छोड़े कुत्ते

ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोकने के लिए एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया था. कुत्ते एलबी सिंह के आवासीय परिसर में घूम रहे थे और ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोके हुए थे. अधिकारी जैसे ही घर के अंदर जाने की कोशिश करते कुत्ते भौंकना शुरू कर देते. हालांकि बाद में अधिकारी घर के अंदर जाने में सफल रहे.

भारी सोना चांदी बरामद

ईडी ने अपनी इस छापेमारी में भारी मात्रा में कैश और सोना चांदी भी बरामद किया है. 100 से ज़्यादा ED अधिकारी और स्टाफ कोयला माफिया के खिलाफ सर्च कर रहे हैं. सर्च ऑपरेशन सुबह करीब 6 बजे शुरू हुआ था.

10 दिन पहले भी हुई थी छापेमारी

दोनों भाई कोयला आउटसोर्सिंग कंपनी के मालिक हैं और हाल के दिनों में सामने आए कोयला स्कैन से जुड़े मामलों की जांच के क्रम में यह कार्रवाई की जा रही है. इससे पहले करीब 10 वर्ष पूर्व बीसीसीएल में टेंडर घोटाला मामले में CBI ने एल.बी. सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी. उस दौरान छापेमारी के वक्त एल.बी. सिंह द्वारा CBI टीम पर फायरिंग भी किए जाने की घटना सामने आई थी.

ईडी की ताजा कार्रवाई से कोयला कारोबार से जुड़े अन्य लोगों में भी हलचल मची हुई है. जांच एजेंसी अभी सभी स्थानों से दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है.

यातायात नियम तोड़ने पर लगातार कार्रवाई, 2435 ई-चालान
लखनऊ। राजधानी में यातायात माह 2025 के दौरान नियम तोड़ने वालों पर पुलिस की सख्ती लगातार जारी है। शहर में तैनात यातायात निरीक्षक और उप निरीक्षक प्रतिदिन लोगों को जागरूक कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कई वाहन चालक नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। गुरुवार को यातायात पुलिस ने अलग-अलग चौराहों और तिराहों पर चेकिंग अभियान चलाया, जिसमें कुल 2435 ई-चालान किए गए। 235 को नो-पार्किंग नियम तोड़ने पर चालान कार्रवाई के दौरान 1278 लोगों को बिना हेल्मेट, 235 को नो-पार्किंग नियम तोड़ने, 79 को दोषपूर्ण नंबर प्लेट, 29 को बिना बीमा, 56 को रॉन्ग साइड चलने और 197 दोपहिया चालकों को तीन सवारी बैठाने पर चालान किया गया।पुलिस ने बताया कि अभियान का उद्देश्य लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। साथ ही अपील की कि सभी वाहन चालक यातायात नियमों का पालन करें और सुरक्षित यात्रा के लिए पुलिस का सहयोग करें।
धुंधला हुआ दिल्ली-एनसीआर, AQI 450 पार, सबसे 'जहरीला' फरीदाबाद

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दिल्ली और एनसीआर में गहरे वायु प्रदूषण की चपेट में है। दिल्ली-एनसीआर में धुंध की मोटी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। नवंबर के महीने में अभी तो सर्दी शुरुआती दौर में है, लेकिन अभी से ही राजधानी में प्रदूषण के चलते लोगों को परेशानी होने लगी है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार हो गया है।

शुक्रवार की सुबह दिल्ली-एनसीआर गहरे काले चादर से ढंकी हुई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीबीसीबी) की आज सुबह की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी के ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। रोहिणी, मुंडका, बवाना समेत कई स्थानों पर एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।

राजधानी दिल्ली में कहां कितना एक्यूआई

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आज सुबह राजधानी दिल्ली के आनंद विहार में एक्यूआई 416, अशोक विहार में 412, आया नगर में 343, बवाना में 431, बुराड़ी में 404, डीटीयू में 417, द्वारका में 369, आईटीओ में 381, जहांगीरपुरी में 433, मुंडका 434, नजफगढ़ में 353, पंजाबी बाग में 381, रोहिणी 423, आरकेपुरम 402, वजीरपुर में 442 दर्ज किया गया है। आज सुबह इंडिया गेट और कर्तव्य पथ के आस-पास के इलाके में जहरीले स्मॉग की एक परत छाई हुई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, इलाके के आस-पास एक्यूआई 331 दर्ज किया गया है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है।

देश के 5 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर फरीदाबाद

भारत के 5 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों के आंकड़े डराने वाले हैं। फरीदाबाद का एक्यूआई इस वक्त देश में सबसे ज्यादा (624) है। इसके बाद दूसरे नंबर पर गाजियाबाद (617) है। तीसरे नंबर पर रोहतक (587) तो वहीं चौथे नंबर पर नोएडा (560) है। पांचवे नंबर पर कैराना (542) है।

अगले 6 दिन ऐसा रह सकता है AQI

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि इससे पहले बुधवार को औसत एक्यूआई 392, मंगलवार को 374 और सोमवार को 351 था। आने वाले दिनों में दिल्ली का एक्यूआई और भी खराब होकर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की संभावना है। ये अगले छह दिनों तक ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहने की आशंका है। सीपीसीबी के समीर ऐप के अनुसार, गुरुवार को 38 चालू केंद्रों में से 18 में एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया। इनमें चांदनी चौक, आनंद विहार, डीटीयू, बवाना, मुंडका, नरेला और वजीरपुर स्टेशन शामिल हैं। यहां एक्यूआई 400 से अधिक रहा।

मीडिया शिक्षा से रूबरू हुए स्कूली विद्यार्थी,जाना टीवी स्टूडियो और रेडियो प्रसारण की बारीकियां

रायपुर- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में गुरुवार को ब्रह्मविद द ग्लोबल स्कूल के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्रों को जनसंचार एवं पत्रकारिता की शिक्षा से रूबरू कराया गया। कार्यक्रम में जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र मोहंती ने छात्रों को संबोधित करते हुए जनसंचार की शिक्षा के क्षेत्र में संभावनाओं पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा के मूल में रचनात्मकता का सार निहित है, जिसके बिना यह अध्ययन अधूरा रहता है।इसी दौरान छात्रों ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे, जैसे—मीडिया क्षेत्र में सफलता का प्रतिशत क्या होता है, छात्रों के जीवन में पत्रकारिता का महत्व क्या है, तथा रचनात्मकता, बुद्धिमत्ता या व्यवहार में से कौन अधिक महत्वपूर्ण है। डॉ. मोहंती ने सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए बताया कि मीडिया समाज को दिशा देने और लोगों के जीवन को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है। इस दौरान बीएएमसी प्रथम सेमेस्टर के छात्रों ने भी अपने मीडिया शिक्षा से जुड़े अनुभव साझा किए।

इसके बाद शिक्षक डॉ. नीलेश साहू ने छात्रों को सामुदायिक लाइव रेडियो स्टेशन की विभिन्न प्रणालियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि आरजे किस प्रकार कार्यक्रम रिकॉर्ड करते हैं, स्क्रिप्ट तैयार करते हैं और प्रसारण करते हैं। विद्यार्थियों ने स्वयं भी अपना परिचय रिकॉर्ड किया तथा पर्यावरण और समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार रेडियो पर साझा किए।

वहीं विनोद सावंत ने टीवी स्टूडियो के माध्यम से समाचार प्रसारण की प्रक्रिया को समझाया। छात्रों ने लाइव न्यूज़ स्टूडियो की कार्यप्रणाली, ब्रेकिंग न्यूज़ जारी करने की प्रणाली और लाइव प्रसारण के दौरान स्टूडियो संचालन को करीब से देखा। भ्रमण के दौरान छात्रों ने पैनल कंट्रोल रूम (PCR), लाइटिंग, ऑडियो मिक्सर, टेलीप्रॉम्प्टर, ट्राईकास्टर, विज़ुअल सेटअप, एडिटिंग रूम जैसे तकनीकी उपकरणों का भी प्रायोगिक ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने यह भी समझा कि लाइव एंकरिंग का अंतिम आउटपुट कैसे तैयार होता है और फ्रेम चयन ट्राईकास्टर द्वारा किस प्रक्रिया से किया जाता है।

छात्रों ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का भी भ्रमण किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की ओर से संयोजक चंद्रशेखर शिवारे द्वारा किया गया। स्कूल से शिक्षक अभिषेक चौबे, श्वेता शर्मा, ऐश्वर्या श्रीवास्तव और षणमुगप्रिया उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय से दीपक साहू, ज्योति साहू तथा जनसंचार विभाग के बीएएमसी प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।

*नगर निगम गोरखपुर को जल संरक्षण के लिए मिला राष्ट्रीय सम्मान*

गोरखपुर नगर निगम ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए पूरे देश में शहर का मान बढ़ाया है। जल संचय जन भागीदारी अभियान (JSJB 1.0) के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्यों के लिए नगर निगम को राष्ट्रीय स्तर पर तृतीय पुरस्कार तथा उत्तर प्रदेश स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025’ समारोह में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने यह सम्मान गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल को प्रदान किया। गोरखपुर के लिए यह क्षण गौरव और प्रेरणा से भरा हुआ रहा।

पुरस्कार प्राप्त कर गोरखपुर लौटने पर नगर निगम सदन हाल में महापौर और नगर आयुक्त का पार्षदों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। पार्षदगण ने माला, स्मृति चिन्ह और पुष्पगुच्छ भेंटकर दोनों का अभिनंदन किया। इस सम्मान में गोरखपुर के जन-सहयोग और टीमवर्क की भावना झलकती है।

महापौर बोले—यह पुरस्कार गोरखपुर के हर नागरिक का सम्मान

महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह उपलब्धि गोरखपुर की जनता, नगर निगम के पार्षदों और पूरी टीम के निरंतर प्रयास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि “महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दिया गया यह सम्मान गोरखपुर की ऐतिहासिक उपलब्धि है। पहली बार नगर निगम को राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा बड़ा सम्मान मिला है। हम आगे और बेहतर कार्य करेंगे ताकि गोरखपुर पहले या दूसरे स्थान तक पहुँच सके।

महापौर ने यह भी कहा कि गोरखपुर की जनता ने जल संरक्षण को जिस तरह जन आंदोलन का रूप दिया है, वह पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है।

नगर आयुक्त ने कहा—तीन महीनों में मिला तीसरा राष्ट्रीय सम्मान, अब जिम्मेदारी और बढ़ गई

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि जल संचय जन भागीदारी अभियान के तहत गोरखपुर को तीसरा राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर पहला स्थान प्राप्त होना पूरे शहर के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि “यह सफलता महापौर जी की दूरदर्शिता, पार्षदों के सहयोग, देवतुल्य जनता के प्रयास और माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन से संभव हुई है।”

उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में नगर निगम को यह तीसरा राष्ट्रीय सम्मान मिला है, जो गोरखपुर मॉडल की मजबूती को दर्शाता है। नगर आयुक्त ने कहा कि अब जिम्मेदारी और बढ़ गई है और जल संरक्षण के कार्यों को और व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।

गोरखपुर मॉडल—देश में बना उदाहरण

गोरखपुर के जल संरक्षण कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष सराहना मिली है। इनमें प्रमुख है

वर्षा जल संचयन संरचनाओं का व्यापक विस्तार तालाबों और कुओं की सफाई और पुनर्जीवन नदियों और नालों के पुनर्जीवन के प्रयास तकिया घाट पर स्थापित नेचुरल वॉटर फिल्ट्रेशन सिस्टम तकिया घाट स्थित प्राकृतिक जल शोधन केंद्र बिना रसायन के नदी के प्रदूषित जल को शुद्ध करने का अनोखा मॉडल है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। यह गोरखपुर की नवाचारी सोच का उत्कृष्ट उदाहरण है।

2 करोड़ की प्रोत्साहन राशि से होंगे नए कार्य

राष्ट्रीय जल पुरस्कार के साथ मिली 2 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग नगर निगम द्वारा निम्न कार्यों में किया जायेगा

नए जल संरक्षण मॉडल तैयार करना अधिक तालाबों का पुनर्जीवन वर्षा जल संचयन संरचनाओं का विस्तार नागरिकों को स्वच्छ जल उपलब्धता में सुधार नगर निगम का लक्ष्य है कि गोरखपुर को देश के अग्रणी जल-संरक्षण मॉडल के रूप में स्थापित किया जाए।

गोरखपुर का बढ़ा मान—निवासियों ने कहा, यह ऐतिहासिक अवसर

गोरखपुर के निवासियों ने कहा कि इतिहास में पहली बार नगर निगम को राष्ट्रपति से ऐसा बड़ा राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। यह शहर के लिए बेहद गर्व का क्षण है। नागरिकों ने महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल की टीम को हार्दिक बधाई दी और कहा कि नगर निगम ने वास्तव में गोरखपुर का मान बढ़ाने का काम किया है।

यह उपलब्धि सिद्ध करती है कि गोरखपुर अब सिर्फ सांस्कृतिक और शिक्षा का केंद्र ही नहीं, बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण में भी देश का अग्रणी शहर बनकर उभर रहा है। गोरखपुर के नेतृत्व और नागरिकों के सामूहिक प्रयासों ने यह संभव किया है।