दिल्ली शंखनाद महोत्सव: सामरिक नीति पर मंथन और 'गज़वा-ए-हिंद' को वैचारिक जवाब देने की मांग

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी बोले- विश्व सनातन संस्कृति की ओर अग्रसर; ‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी ने देश के भीतर के ‘पाकिस्तान’ पर चिंता जताई
नई दिल्ली: 'सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन' और 'सनातन संस्था' द्वारा आयोजित 'सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव' में 15 दिसंबर 2025 को भारत की सामरिक नीति और सांस्कृतिक उत्थान पर महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए।
प्रमुख वक्ताओं के विचार
1. डॉ. सुधांशु त्रिवेदी (भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता)
'विश्व सनातन संस्कृति की ओर अग्रसर' विषय पर बोलते हुए डॉ. त्रिवेदी ने वैश्विक स्तर पर सनातन मूल्यों की बढ़ती स्वीकृति पर प्रकाश डाला:
वैश्विक स्वीकृति: उन्होंने कहा कि जो लोग कभी सनातन संस्कृति की आलोचना करते थे, वे आज उसके मूल्यों को अपना रहे हैं (जैसे रासायनिक खेती के बजाय जैविक खेती और चाय-कॉफी के बजाय हर्बल टी)।
योग दिवस और कुंभ: उन्होंने बताया कि 177 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' का समर्थन किया और यूरोपीय देशों के लाखों नागरिक अब कुंभ मेले में सम्मिलित होने आते हैं।
स्वाभाविक परिवर्तन: उन्होंने जोर देकर कहा कि यह परिवर्तन बिना किसी पर आक्रमण किए स्वाभाविक रूप से हो रहा है, जो सनातन संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति का द्योतक है।
2. 'रणसंवाद – भारत की सामरिक नीति' सत्र
'रॉ' के पूर्व अधिकारी कर्नल आर.एस.एन. सिंह सहित कई सैन्य विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों पर मंथन किया:
कर्नल आर.एस.एन. सिंह (पूर्व ‘रॉ’ अधिकारी):
आंतरिक सुरक्षा: उन्होंने चिंता जताई कि 'हमारे देश में एक अंदरूनी पाकिस्तान भी मौजूद है।'
वैचारिक युद्ध: उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान के विरुद्ध 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन देश के भीतर के पाकिस्तान से कैसे निपटेंगे? उन्होंने 'गज़वा-ए-हिंद' को वैचारिक उत्तर देने के लिए वैचारिक युद्ध शुरू करने की आवश्यकता बताई।
विंग कमांडर विनायक डावरे:
नैरेटिव की लड़ाई: उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में 93,000 पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, परंतु हम 'नैरेटिव की लड़ाई' हार गए। उन्होंने भारत को अपनी सफलताओं का सही प्रचार कर देश की छवि मजबूत करने का आह्वान किया।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) संजय अग्रवाल:
ऐतिहासिक जीत को पहचानें: उन्होंने कहा कि 1962 के युद्ध पर अक्सर चर्चा होती है, लेकिन 1967 के युद्ध में भारत ने चीन को पराजित किया था, यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
लक्ष्य निर्धारण: उन्होंने कहा कि भारत अपनी शक्ति को पहचाने, इसके लिए ऐसे महोत्सवों की आवश्यकता है, और देश को अपने लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए।
3. कश्मीरी हिंदू और हिंदूफोबिया पर चिंता
श्री राहुल कौल (अध्यक्ष, यूथ फॉर पनून कश्मीर):
नरसंहार की उपेक्षा: उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार हुआ, यह बात सरकारें आज भी मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पर्यटन से आतंकवाद रुकने के भ्रम में न रहने की सलाह दी और 16 जनवरी 2026 से शुरू होने वाले विशेष अभियान के लिए देश के सभी हिंदुओं के सहयोग की मांग की।
श्री अशोक श्रीवास्तव (संपादक, दूरदर्शन न्यूज़):
हिंदूफोबिया: उन्होंने कहा कि जब कुछ राजनीतिक नेता हिंदुत्व को डेंगू, मलेरिया, एड्स कहते हैं, तब मीडिया चुप रहती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस्लामोफोबिया की चर्चा हो रही है, लेकिन वास्तव में हिंदूफोबिया बहुत बड़े स्तर पर है।
रिपोर्ट: उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसके अनुसार भारत में दिसंबर 2025 के पहले 11 दिनों में केवल हिंदू होने के कारण हिंदुओं को परेशान किए जाने की 104 घटनाएँ हुई हैं।
31 min ago
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