बलिया में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आह्वान पर शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ भरी हुंकार
संजीव सिंह बलिया। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आह्वान पर देश के समस्त जनपदों में शिक्षकों ने टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ आवाज उठाई। इसी क्रम में बलिया में भी राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला संयोजक राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में भारत सरकार से तत्काल इस निर्णय को वापस लेने और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा एवं आजीविका संकट से राहत दिलाने हेतु जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। जिला संयोजक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि जब उनकी नियुक्ति हुई थी, तब सभी सरकारी नियमों का पालन करते हुए नियुक्ति हुई थी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के बाद वर्ष 2010 से टीईटी अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब 20-25 वर्षों की सेवा के बाद नियम बदलकर शिक्षकों पर टीईटी परीक्षा थोपना न्यायालय का अन्यायपूर्ण निर्णय है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि शिक्षकों के सम्मान और उनके पवित्र शिक्षण कार्य का अपमान न हो, और तुरंत उनका गौरव वापस दिलाया जाए। जिला सहसंयोजक पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि आज के ज्ञापन में शिक्षक समुदाय की व्यथा और मांगों को पूरी निष्ठा के साथ शामिल किया गया है। उन्होंने सरकार से पुनः आग्रह किया कि शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के लिए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तुरंत सकारात्मक कदम उठाए जाएं। जिला सहसंयोजक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि न्यायालय का यह फैसला शिक्षक विरोधी है और बिना शिक्षकों की बात सुने एकतरफा निर्णय है। अगर आवश्यकता पड़ी तो शिक्षक संघर्ष के लिए दिल्ली तक कूच करेंगे। शिक्षकों के सम्मान के साथ समझौता नहीं होने दिया जाएगा। सहसंयोजक ज्ञान प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने बिना नियमों को देखे मनमाना फैसला सुनाया है, जबकि भारत सरकार के राजपत्र में स्पष्ट है कि 2010 से पहले नियुक्त अध्यापकों के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं था। इस फैसले से पूरे शिक्षक समाज में निराशा फैली है, जो शिक्षा कार्यों पर भी असर डालेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए ताकि शिक्षकों की निराशा खत्म हो सके। इस अवसर पर समीर कुमार पाण्डेय, अमरेंद्र सिंह, रामअशीष यादव, ज्ञान प्रकाश उपाध्याय, संजीव कुमार सिंह, अकीलुर्रहमान खान, राजेश सिंह, विनय राय, राकेश कुमार मौर्य, धर्मेन्द्र गुप्ता, कृष्णानंद पाण्डेय, ओंकारनाथ सिंह, राजीव सिंह, उमेश राय, अभिषेक सिंह, गणेश यादव, मुकेश सिंह, संजीव रंजन, राघवेंद्र सिंह, अमरेश चतुर्वेदी, चंदन गुप्ता, दिग्विजय सिंह, राकेश गुप्ता, कर्ण प्रताप सिंह, अनिल सिंह, रजनीश चौबे, अमित नाथ तिवारी, सतीश कुशवाहा, शीतांशु वर्मा, सतीश त्रिपाठी, नीतीश राय, डॉ. विनय भारद्वाज, अभिषेक राय, अंगद वर्मा, अमित यादव, सुशील दुबे, बब्बन यादव, कुलभूषण त्रिपाठी, अभिषेक तिवारी, पुनीत सिसोदिया, सुदीप तिवारी, रामप्रवेश राम, संजय सिंह, शुभम सिंह, संतोष पाण्डेय, अजय वर्मा, अभय सिंह, अशोक सिंह, रवि यादव, विनोद यादव, राजकुमार यादव, अजय सिंह, धनजी प्रसाद, संजय कुमार, श्रीकांत मिश्रा, अशोक तिवारी, सत्येन्द्र चौबे, कविता सिंह समेत सैकड़ों शिक्षक उपस्थित थे।
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