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बंगाल हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी से भड़का भारत, अल्पसंख्यकों को लेकर दो टूक

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों भड़की हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश को इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। साथ ही बांग्लादेश को हमारे घरेलू मसलों पर गैर-जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अनुचित टिप्पणियां करने और सद्गुणों का प्रदर्शन करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारत को मुस्लिमों पर दिया था ज्ञान

इससे पहले बांग्लादेश ने भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को लेकर बयान दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने नई दिल्ली से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। बृहस्पतिवार को विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस वार्ता के दौरान आलम ने कहा, हम मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में बांग्लादेश को शामिल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से खंडन करते हैं। आलम ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने मुसलमानों पर हमलों की निंदा की है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, हम भारत और पश्चिम बंगाल सरकार से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह करते हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा में भूमिका

पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की संलिप्तता का संकेत मिला है।

बदला लेने की कोशिश में बांग्लादेश ने अपने पैर में मारी कुल्हाड़ी, भारत से जमीनी मार्ग से कच्चे धागे के आयात पर रोक

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भारत और बांग्लादेश के रिश्ते में बीते कुछ समय से तनातनी देखी जा रही है। दोनों देशों के बीच का तनाव अब व्यापार को भी प्रभावित करता दिख रहा है। बांग्लादेश ने भारत के साथ लैंड बॉर्डर ट्रेड को प्रभावित करने वाले कई कदम उठाए हैं।बांग्लादेश ने भारत से लैंड पोर्ट रूट के ज़रिए सूत के आयात पर पाबंदी लगा दी है। यही नहीं, बांग्लादेश ने भारत के साथ तीन लैंड पोर्ट से व्‍यापार बंद करने का ऐलान कर दिया है और एक से ट्रेड से कुछ समय के लिए स्‍थगित कर दिया है।

बांग्‍लादेश में जब से सत्‍ता मोहम्‍मद यूनुस के हाथों में आई है, तब से ही उसका झुकाव पाकिस्‍तान और चीन की ओर बढ़ता ही जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने जमीनी बंदरगाहों के माध्यम से भारत से होने वाले कच्चे धागे के आयात को निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (NBR) के आदेश के बाद अब बेनापोल, भोमरा, सोनमस्जिद, बंग्लाबांदा और बुरीमारी भूमि बंदरगाहों के माध्यम से कच्चे धागे के आयात की अनुमति नहीं होगी। ये बंदरगाह भारत से कच्चे धागे के आयात के प्राथमिक प्रवेश बिंदु थे।

फैसले के पीछे बांग्लादेश ने बताई ये वजह

बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट ढाका ट्रिब्यून ने एनबीआर के हवाले से बताया कि भूमि बंदरगाहों के माध्यम से अब धागे का आयात नहीं किया जा सकता है। हालांकि, समुद्र या अन्य मार्गों के माध्यम से आयात की अनुमति अभी भी दी जाएगी। इस साल फरवरी में बांग्लादेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन ने सरकार के जमीनी रास्तों से भारत से धागे का आयात रोकने का आग्रह किया था।

आयात रोकने के लिए तर्क दिया गया था कि सस्ता भारतीय सूत स्थानीय उत्पादकों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके बाद मार्च में बांग्लादेश व्यापार और टैरिफ आयोग ने घरेलू कपड़ा उद्योग की रक्षा के लिए जमीनी बंदरगाह आयात को अस्थायी रूप से निलंबित करने की सिफारिश की।

टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री में यूनूस को लेकर नाराजगी

वहीं, बांग्‍लादेश टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री ने यूनूस के इन कदमों को ‘आत्‍मघाती’ बताया है और वे बांग्‍लादेश सरकार से खासे नाराज हैं। भारत से धागा की आपूर्ति बाधित होने से छोटे और मध्यम आकार की गारमेंट कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि ये इकाइयां मुख्य रूप से भारतीय यार्न पर निर्भर रहती हैं। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश ने भारतीय धागा पर बैन का फैसला इसलिए लिया है ताकि पाकिस्‍तान से ज्‍यादा यार्न बांग्‍लादेश आ सके। सरकार के इस फैसले से पाकिस्‍तान को तो भले ही फायदा हो जाए, बांग्‍लादेश को नुकसान ही नुकसान है क्‍योंकि भारतीय धागा के मुकाबले पाकिस्‍तानी धागा महंगा है। यूनूस का यह कदम भारत-बांग्लादेश व्यापारिक संबंधों में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जो आखिरकार बांग्‍लादेश के लिए ही घातक साबित होगा।

भारत ने बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ली

पिछले कुछ महीनों से भारत और बांग्लादेश आमने-सामने हैं। हालांकि, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में छठे बिम्सटेक समिट से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की मुलाकात के बाद लग रहा था कि दोनों देशों के संबंधों में जमी बर्फ़ पिघल जाएगी।

लेकिन, इस बैठक के तीन दिन बाद ही भारत सरकार ने बांग्लादेश को 2020 से मिली ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली। इस सुविधा के कारण बांग्लादेश भारत के एयरपोर्ट और बंदरगाहों का इस्तेमाल तीसरे देश में अपने उत्पादों के निर्यात के लिए करता था।

मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर को लेकर दिया था बयान

दरअसल, भारत ने ये फैसला मोहम्मद यूनुस के एक बयान के बाद लिया था। मोहम्मद यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरे पर थे। इसी दौरे में यूनुस ने ऐसा बयान दिया, जिससे भारत का नाराज़ होना लाजिमी था। मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत की लैंडलॉक्ड स्थिति का हवाला दिया था। यूनुस ने कहा था कि पूर्वोत्तर भारत का समंदर से कोई कनेक्शन नहीं है और बांग्लादेश ही इस इलाके का अभिभावक है। मोहम्मद यूनुस ने कहा था, भारत के सेवन सिस्टर्स राज्य लैंडलॉक्ड हैं। इनका समंदर से कोई संपर्क नहीं है। इस इलाके के अभिभावक हम हैं। चीन की अर्थव्यवस्था के लिए यहाँ पर्याप्त संभावनाएं हैं। चीन यहाँ कई चीजें बना सकता है और पूरी दुनिया में आपूर्ति कर सकता है।

बांग्लादेश की पूर्वोत्तर पर बुरी नजर

बता दें कि पूर्वोत्तर भारत दशकों से उग्रवाद ग्रस्त रहा है और बांग्लादेश पर इन राज्यों में उग्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद अभी काबू में है लेकिन एक किस्म की बेचैनी अब भी देखने को मिलती है। भारत का यह इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है।

करीब आ रहे भारत के दो ‘दुश्मन’, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 15 साल बाद फिर वार्ता शुरू

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बांग्लादेश से शेख हसीना शासन के पतन के बाद पाकिस्तान से इसकी नजदीकी तेजी से बढ़ रही है। अब करीब 15 साल बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के टॉप डिप्लोमैट्स एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठने वाले है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गुरुवार 17 अप्रैल को ढाका में विदेश सचिव स्तर की विदेश कार्यालय परामर्श आयोजित होने जा रही है। इसके लिए पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच इस्लामाबाद के प्रतिनिधिमंडल के साथ बुधवार को ढाका पहुंच चुकीं हैं।

दोनों देशों के बीच आखिरी फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशन की बैठक 2010 में हुई थी। बांग्लादेश की तरफ से विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन राज्य अतिथि गृह पद्मा में होने वाली इस बैठक का नेतृत्व करेंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि बैठक के लिए कोई खास एजेंडा तय नहीं किया है, लेकिन चर्चा के दौरान आपसी हितों के सभी क्षेत्रों को शामिल किए जाने की संभावना है। अधिकारी ने बताया कि इतने लंबे समय के बाद हो रही वार्ता में पहले से विषयों को प्राथमिकता देना मुश्किल है, लेकिन वार्ता व्यापक होगी।

ये मीटिंग ऐसे वक्त में होने जा रही है जब भारत बांग्लादेश के रिश्ते पहले जैसे मजबूत नहीं रहे हैं। अब डेढ़ दशक बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसा कुछ करने जा रहे हैं, जो भारत की टेंशन बढ़ाएगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश अपने रिश्तों को नई दिशा देने की तैयारी में हैं। चर्चा है कि इस दौरे के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार भी ढाका आ सकते हैं जो कि 2012 के बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा होगा।

विदेश सचिव स्तर की बैठक के अलावा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार इस महीने के अंत में ढाका का दौरा करने वाले हैं। 2012 के बाद यह किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली बांग्लादेश यात्रा होगी। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, हम अभी तारीख तय कर रहे हैं, लेकिन यात्रा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है।

भारत ने बांग्लादेश को दी बड़ी “चोट”, चीन में युनूस के दिए बयान के बाद एक्शन, जानें पूरा मामला

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था। वहां उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर पर टिप्प्णी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य लैंड लॉक्ड हैं और समुद्र तक उनकी पहुंच का एकमात्र रास्ता बांग्लादेश है। यही नहीं, यूनुस ने चीन को बांग्लादेश की स्थिति का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया था। जिसके बाद दोनों देशों में डिप्लोमैटिक तनाव देखने को मिला था। इस बीच भारत ने सख्ती दिखाते हुए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट की सुविधा खत्म कर दी है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने 8 अप्रैल को सर्कुलर जारी कर इस फैसले के बारे में बताया।इसमें बोर्ड ने 29 जून, 2020 के अपने पुराने आदेश को रद्द कर दिया है। उसमें बांग्लादेश से आने वाले सामान को भारत के रास्ते दूसरे देशों में भेजने की अनुमति दी गई थी।

2020 से जारी इस व्यवस्था के अंतर्गत बांग्लादेश को भारतीय कस्टम स्टेशनों के जरिए अपने एक्सपोर्ट्स कार्गो को तीसरे देशों में बंदरगाहों और एयरपोर्ट तक भेजने की परमिशन थी। इसके जरिए बांग्लादेश आसानी से भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों को सामान भेज सकता था।

नए सर्कुलर में क्या?

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि नए सर्कुलर के साथ, ट्रांसशिपमेंट व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, सर्कुलर के अनुसार, पहले की व्यवस्था के तहत भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुके कार्गो को मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी।

बांग्लादेश पर क्या होगा असर?

ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के इस फैसले से बांग्लादेशी एक्सपोर्ट्स बुरी तरह प्रभावित होगा। भारत सरकार के इस कदम से बांग्लादेश के लिए नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बाधा आ सकती है, क्योंकि ये व्यापार मुख्यतः भारतीय भूमि मार्गों के माध्यम से होता था। ट्रांस-शिपमेंट सुविधा के जरिए भारत ने बांग्लादेश को एक व्यवस्थित रास्ता दिया था। इससे बांग्लादेशी माल की ढुलाई लागत और समय दोनों में कटौती हुई थी। अब इसके बिना बांग्लादेश एक्सपोर्टर्स को नेपाल और भूटान समेत दुनिया भर में सामान भेजने में देरी, ऊंची लागत और अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा।

शेख हसीना ने भरी बांग्लादेश लौटने की हुंकार, बोलीं- मैं मरी नहीं...अल्लाह ने मुझे किसी कारण से जिंदा रखा


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पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता का दौर कायम है। इस बीच सत्ता से बेदखल हो चुकी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर हुंकार भरी है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपने समर्थकों से कहा कि वह अपने देश वापस आएंगी। बता दें कि पिछले साल अगस्त में अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना को हिंसक आंदोलन के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। उन्होंने फिलहाल भारत में शरण ली है।

सोशल मीडिया पर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए हसीना ने कहा कि मैं मरी नहीं, इसका मतलब है कि मैं फिर से वापस बांग्लादेश आऊंगी। अल्लाह ने लोगों को संदेश दे दिया है। वापस आने के बाद अंतरिम सरकार और उनके लोगों को जेल से लेकर अदालत तक मैं घसीटूंगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर निशाना साधते हुए शेख हसीना ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी लोगों से प्यार नहीं किया। उन्होंने ऊंची ब्याज दरों पर छोटी रकम उधार दी और उस पैसे का इस्तेमाल विदेश में ऐशो-आराम से रहने में किया। हम तब उनके दोगलेपन को समझ नहीं पाए, इसलिए हमने उनकी बहुत मदद की। लेकिन लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अपने लिए अच्छा किया। फिर सत्ता की ऐसी लालसा पैदा की जो आज बांग्लादेश को जला रही है।

बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया-हसीना

शेख हसीना ने आगे कहा कि बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया है। उन्होंने कहा कि "हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस तरह से मारा जा रहा है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अवामी लीग, पुलिस, वकील, पत्रकार, कलाकार, हर किसी को निशाना बनाया जा रहा है।" इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में मीडिया पर भी शिकंजा कसने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "बलात्कार, हत्या, डकैती, कुछ भी रिपोर्ट नहीं किया जा सकता। और अगर रिपोर्ट किया जाता है, तो टीवी चैनल या अखबार को निशाना बनाया जाएगा।

मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी-हसीना

बातचीत के दौरान आवामी लीग के कार्यकर्ताओं के एक सवाल के जवाब में हसीना ने कहा, अल्लाह ने मुझे किसी वजह से जिंदा रखा है और वह दिन जरूर आएगा जब न्याय होगा। मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी। आप सभी लोग धैर्य बनाकर रहें। आपके साथ न्याय होगा। जो भी लोग आपको मारने के लिए आ रहे हैं, उन्हें खोज-खोजकर लाया जाएगा।

पिता और परिवार की हत्या को याद कर हुईं भावुक

हसीना ने इस दौरान कार्यकर्ताओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि मैं हर बार बच क्यों जाती हूं? आतंकवादियों ने मेरे पिता, माता और भाई को मार दिया, लेकिन उस वक्त भी मैं बच गई। उन्होंने आगे कहा मुझे मारने की पिछली बार भी कोशिश की गई, लेकिन मैं बच गई। अल्लाह की मर्जी क्या है, मुझे नहीं पता, लेकिन बांग्लादेश में कुछ जरूर अच्छा होने वाला है।

यूनुस ने फिर दोहराई हसीना के प्रत्यार्पण की मांग

शेख हसीना का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बिम्सटेक की बैठक में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हसीना को सौंपने की अपील की थी। यूनुस का कहना था कि शेख हसीना पर बांग्लादेश में गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें सौंपा जाए। अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत आ गई थीं।

बांग्लादेश की यूनुस सरकार का भारत विरोधी एजेंडा, चीन को दिया बड़ा ऑफर, कोलकाता के बगल में...

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए जिसमें भारत का विरोध झलका। सत्ता संभालने के बाद यूनुस के फैसले बांग्लादेश को चीन और पाकिस्तान के करीब लाते हैं, जबकि भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती है। पहले पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया। अपने इस दौरे के दौरान यूनुस ने भारत के खिलाफ चीन को “चारा” देने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस का भारत विरोधी रवैया जारी है। बिमस्टेक समिट में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस सरकार ने चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक जगहों पर अहम प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं। इनमें एक पोर्ट और एक एयरबेस शामिल है। अपनी चीन यात्रा के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने चीन को बड़ा ऑफर दिया। उन्होंने बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में एयरबेस बनाने का न्योता दे डाला।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक दस्तावेजों में तो इस एयरबेस का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस ने जब पिछले दिनों बीजिंग की यात्रा की थी तो उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ इस एयरबेस को लेकर बात की थी।

कोलकाता से सिर्फ 200 किमी पोर्ट की जिम्मेदारी चीन को

बांग्लादेश में शेख हसीना (सरकार के सत्ता से बाहर होने और मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव देखने को मिला है। इस बीच नई सरकार ने चीन से घनिष्ठ संबंध बनाने के संकेत दिए हैं। हाल ही में बिजिंग के दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान बांग्लादेश ने भारत के कोलकाता से सिर्फ 200 किमी दूर मोंगला पोर्ट के विस्तार की जिम्मेदारी चीन को दी है। यूनुस की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान इस डील पर मुहर लगी थी। चीन ने इस पोर्ट के डेवलपमेंट के लिए 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपए) देने का वादा किया है।

चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया

वहीं, बांग्लादेशी सरकार लालमोनिरहाट जिले में एक सैन्य एयरबेस बना रही है, जो भारत के 'चिकन नेक' यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 120 किमी दूर है। मोहम्मद यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया। सूत्रों के मुताबिक इसी साल अक्टूबर तक एयरबेस का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। वहीं एक पाकिस्तानी कंपनी एयरबेस निर्माण में सहयोग करेगी। बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार सलाहउद्दीन शोएब चौधरी ने एक वेबसाइट पर लिखे अपने लेख में यह दावा किया।

चिकन नेक को लेकर यूनुस का बयान भी अहम

मोहम्मद यूनुस ने चीन जाकर 'चिकन नेक' को लेकर जो बयान दिया था, जिसे भारत की ओर से भड़काऊ बताया गया था यूनुस ने कहा था, 'भारत के सात, राज्य भारत के पूर्वी हिस्से...जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है, ये भारत के लैंडलॉक्ड इलाके हैं। समुद्र तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं। इस पूरे क्षेत्र के लिए समंदर के अकेले संरक्षक हम हैं। यह चीनी इकनॉमी के लिए मौका हो सकता है।

चिकन नेक क्या है?

चिकन नेक को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है। चिकन नेक, पश्चिम बंगाल में भारत का वह 22 से 25 किलोमीटर चौड़ा गलियारा है जो पूरे पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह गलियारा नेपाल और भूटान तथा बांग्लादेश से घिरा हुआ है। यह गलियारा दक्षिण-पश्चिम में बांग्लादेश, उत्तर-पश्चिम में नेपाल और उत्तर में भूटान के समीप स्थित है। सिक्किम और भूटान के बीच चुम्बी घाटी तिब्बती क्षेत्र स्थित है। डोलम पठार या डोकलाम ट्राइबाउंड्री क्षेत्र का दक्षिणी छोर गलियारे में ढलान पर है। सबसे संकरी जगह पर, गलियारा आम तौर पर पूर्व में मेची नदी द्वारा निर्मित होता है; नेपाल का भद्रपुर नदी के तट पर स्थित है। आगे उत्तर में मेची ब्रिज मेचीनगर को जोड़ता है। इसकी सबसे पतली चौड़ाई केवल 20 किलोमीटर है।

चिकन नेक पर चीन की नजर?

इस रूट की कोई भी नाकाबंदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्यभूमि से काट सकती है। इसे काटना मतलब 7 राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से काट देना है। लिहाजा बांग्लादेश को चीन को एयरबेस बनाने का न्योता देना भारत के खिलाफ न सिर्फ भौगोलिक, बल्कि सैन्य, राजनीतिक और रणनीतिक लड़ाई की शुरूआत है। ऐसे में अगर इस कॉरिडोर से कुछ किलोमीटर दूर चीन को एयरबेस बनाने की छूट मिल जाती है, तो क्या वह इस जगह की सेंसेटिविटी का फायदा नहीं उठाएगा? यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस ने खुले तौर पर चीन को ‘बांग्लादेश में निवेश’ का न्योता दिया है और यह भी कहा कि वह सैन्य उपयोग की संभावनाओं से इनकार नहीं करते।

मुलाकात पर मानें पर लगा दी क्लासःपीएम मोदी ने यूनुस को दी हिंदुओं की सुरक्षा और बयानबाजी से बचने की सलाह

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थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्‍मद यूनुस के बीच अहम मुलाकात हुई।शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी। दोनों नेता बिम्सटेक सम्मेलन से इतर मिले। दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट बातचीत हुई।बैठक में पीएम मोदी ने बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं पर जोर दिया। पीएम मोदी ने साथ ही बांग्लादेश को बयानबाजी बंद करने की नसीहत भी दे दी। भारत ने साथ ही बांग्लादेश को पूर्ण सहयोग और समर्थन देने का अपना वादा दोहराया।

मुहम्मद यूनुस के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि बैठक के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा की चिंता का खास तौर पर जिक्र किया। मिसरी ने कहा कि पीएम मोदी ने बैठक के दौरान हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के मुद्दे को उठाया।

मिसरी ने कहा कि भारत ने साथ ही लोकतांत्रिक, स्थायी, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश का समर्थन का वादा किया। पीएम मोदी ने इसके अलावा मोहम्मद यूनुस को तनावपूर्ण स्थिति से बचने की भी सलाह दी। प्रधानमंत्री ने अपील की कि माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचा जाए। सीमा पर सख्ती से अवैध घुसपैठ को रोका जा सकता है और सीमा सुरक्षा को कायम रखा जा सकता है।

बीते साल अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। उसके बाद से मोहम्मद यूनुस ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि मोहम्मद यूनुस का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा है और उनके कार्यकाल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ीं। इसके चलते भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी खटास आई है। बीते हफ्ते ही चीन के दौरे पर मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को लेकर विवादित बयान दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आई है।

मोहम्मद यूनुस ने जल प्रबंधन के लिए चीन से मांगा 50 साल का मास्टर प्लान, भारत के लिए चिंता का विषय

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बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने देश के जल प्रबंधन संकट को हल करने के लिए चीन से 50 साल का मास्टर प्लान तैयार करने में मदद मांगी है। इसमें तीस्ता नदी का जल प्रबंधन भी शामिल है। उन्होंने चीन को 'जल प्रबंधन का मास्टर' बताते हुए कहा कि वे चीन से सीखना चाहते हैं कि जल संसाधनों को लोगों के लिए अधिक उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है।

यूनुस चार दिवसीय चीन दौरे पर हैं और शुक्रवार को उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संघ (बीएसएस) के मुताबिक, यूनुस ने चीन के जल संसाधन मंत्री ली गुओयिंग से मुलाकात के दौरान चीन की बाढ़ और जल प्रबंधन प्रणाली की सराहना की। उन्होंने कहा, हमारे देश में भी वहीं समस्याएं हैं, जो चीन में हैं। इसलिए अगर आप हमारे साथ अपने अनुभव साझा करें, तो हमें खुशी होगी।

उन्होंने तीस्ता नदी से जुड़े मुद्दों पर खास फोकस किया लेकिन यह भी कहा कहा कि बांग्लादेश की समस्या एक नदी तक सीमित नहीं बल्कि, पूरी जल प्रणाली से जुड़ी है। बीएसएस के मुताबिक, चीनी मंत्री इस बात को माना कि चीन और बांग्लादेश दोनों को जल प्रबंधन से जुड़ी समान चुनौतियों का सामना करना पड़ता। उन्होंने बांग्लादेश को तकनीकी सहयोग देने का आश्वासन दिया।

इससे पहले, यूनुस ने जिनपिंग के साथ बैठक की। जिसके बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि दोनों देश जल विज्ञान पूर्वानुमान, बाढ़ रोकथाम, आपदा प्रबंधन, नदी की खुदाई और जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग बढ़ाएंगे। संयुक्त बयान में कहा गया कि बांग्लादेश सरकार ने तीस्ता नदी के समग्र प्रबंधन और पुनरुद्धा परियोजना (टीआरसीएमआरपी) में चीनी कंपनियों की भागीदारी का स्वागत किया है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान 22 जून, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में तीस्ता नदी जल प्रबंधन का काम भारत को देने का वादा किया था। दोनों नेताओ में सहमति बनी थी कि जल्द ही एक भारतीय टीम ढाका का दौरा करेगी जो तीस्ता जल प्रबंधन की भावी योजना की रूपरेखा तैयार करेगी। अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने चीन की कंपनियों को भारत के लिए बेहद संवेदनशील इस नदी परियोजना का काम देने का वादा किया है।

चीन पहले से ही बांग्लादेश में कई इंफ्रास्ट्रक्चर और जल परियोजनाओं में निवेश कर रहा है, जिससे उसकी इस क्षेत्र में पकड़ मजबूत होती जा रही है। यदि चीन बांग्लादेश के जल संसाधन प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाता है, तो इससे भारत की जल कूटनीति और रणनीतिक हितों पर असर पड़ सकता है। भारत-बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर पहले ही मतभेद रहे हैं, और चीन की बढ़ती भागीदारी से यह मुद्दा और जटिल हो सकता है। यदि बांग्लादेश चीन पर अत्यधिक निर्भर हो जाता है, तो इससे भारत और बांग्लादेश के बीच जल समझौतों पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि भारत अभी स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।

क्या बांग्लादेश में फिर होने वाला है तख्तापलट? जानें क्यों उठ रहे ऐसे सवाल

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बांग्लादेश में तख्तापलट की अफवाहों का बोलबाला है।पड़ोसी देश में सेना की बैठकों की रिपोर्ट ने इन अटकलों को और पुख्ता कर दिया है। आशंका जताई जा रही है कि आर्मी मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार का तख्तापलट कर शासन की बागडोर अपने हाथ में ले सकती है। चर्चा इस बात की भी है कि सेना प्रमुख वकार उज जमान ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक भी की है।ऐसा भी दावा किया गया था कि सेना ने ढाका समेत कई शहरों में सैनिकों को तैनात किया है और उन्होंने सड़कों पर बंकर बनाकर पोजिशन ले ली है।

देश के मौजूदा हालातों के चलते सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमन सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का एक बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 5 लें.जनरल रैंक के अधिकारी, 8 मेजर जनरल और कई इंडीपेंडेंट ब्रिगेड के कमांडिग अफसर शामिल थे। इस बैठक में अंदहरूनी सुरक्षा हालातों की समीक्षा की। रिपोर्ट के मुताबित बांग्लादेश में आने वाले दिनों में बड़े आतंकी हमलों की आशंका जताई जा रहा है।इसे लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।

हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने देश में तख्तापलट की खबरों को अफवाह बताया। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने के लिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है और झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं।

मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा, लोगों को गुमराह करने के लिए एक के बाद एक झूठी जानकारी फैलाई जा रही है ताकि देश में अस्थिरता पैदा की जा सके। अफवाहें फैलाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। एक तस्वीर को दूसरी तस्वीर से जोड़ा जा रहा है, एक घटना का फोटोकॉर्ड बनाया जा रहा है और दूसरे देशों की घटनाओं को इस देश की घटनाओं के रूप में पेश कर सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई जा रही है।

सेना का तख्तापलट की आशंकाओं से इनकार

वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश सेना ने मंगलवार को उस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। सेना ने इस खबर को झूठा और मनगढ़ंत बताया और इसे पत्रकारिता की गंभीर चूक बताया।

सेना ने कहा कि तख्तापलट की संभावना को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। बयान में आगे कहा गया कि यह पहली बार नहीं है जब संबंधित मीडिया संगठन ने बांग्लादेश सेना के खिलाफ झूठी खबरें फैलाई हैं। इससे पहले भी इसी मीडिया समूह ने गलत जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे बांग्लादेश सेना ने 11 मार्च को जारी एक बयान में खारिज किया था।

भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना

बांग्लादेश सेना ने भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए सनसनीखेज खबरें फैलाना गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता का उदाहरण है। सेना ने कहा कि ऐसी भ्रामक रिपोर्टों से दोनों देशों के लोगों के बीच अविश्वास और तनाव पैदा हो सकता है। बयान में साफ किया गया कि यह एक सामान्य बैठक थी, जिसे अनावश्यक रूप से गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

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बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।

बंगाल हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी से भड़का भारत, अल्पसंख्यकों को लेकर दो टूक

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों भड़की हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश को इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। साथ ही बांग्लादेश को हमारे घरेलू मसलों पर गैर-जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अनुचित टिप्पणियां करने और सद्गुणों का प्रदर्शन करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारत को मुस्लिमों पर दिया था ज्ञान

इससे पहले बांग्लादेश ने भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को लेकर बयान दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने नई दिल्ली से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। बृहस्पतिवार को विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस वार्ता के दौरान आलम ने कहा, हम मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में बांग्लादेश को शामिल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से खंडन करते हैं। आलम ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने मुसलमानों पर हमलों की निंदा की है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, हम भारत और पश्चिम बंगाल सरकार से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह करते हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा में भूमिका

पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की संलिप्तता का संकेत मिला है।

बदला लेने की कोशिश में बांग्लादेश ने अपने पैर में मारी कुल्हाड़ी, भारत से जमीनी मार्ग से कच्चे धागे के आयात पर रोक

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भारत और बांग्लादेश के रिश्ते में बीते कुछ समय से तनातनी देखी जा रही है। दोनों देशों के बीच का तनाव अब व्यापार को भी प्रभावित करता दिख रहा है। बांग्लादेश ने भारत के साथ लैंड बॉर्डर ट्रेड को प्रभावित करने वाले कई कदम उठाए हैं।बांग्लादेश ने भारत से लैंड पोर्ट रूट के ज़रिए सूत के आयात पर पाबंदी लगा दी है। यही नहीं, बांग्लादेश ने भारत के साथ तीन लैंड पोर्ट से व्‍यापार बंद करने का ऐलान कर दिया है और एक से ट्रेड से कुछ समय के लिए स्‍थगित कर दिया है।

बांग्‍लादेश में जब से सत्‍ता मोहम्‍मद यूनुस के हाथों में आई है, तब से ही उसका झुकाव पाकिस्‍तान और चीन की ओर बढ़ता ही जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने जमीनी बंदरगाहों के माध्यम से भारत से होने वाले कच्चे धागे के आयात को निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (NBR) के आदेश के बाद अब बेनापोल, भोमरा, सोनमस्जिद, बंग्लाबांदा और बुरीमारी भूमि बंदरगाहों के माध्यम से कच्चे धागे के आयात की अनुमति नहीं होगी। ये बंदरगाह भारत से कच्चे धागे के आयात के प्राथमिक प्रवेश बिंदु थे।

फैसले के पीछे बांग्लादेश ने बताई ये वजह

बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट ढाका ट्रिब्यून ने एनबीआर के हवाले से बताया कि भूमि बंदरगाहों के माध्यम से अब धागे का आयात नहीं किया जा सकता है। हालांकि, समुद्र या अन्य मार्गों के माध्यम से आयात की अनुमति अभी भी दी जाएगी। इस साल फरवरी में बांग्लादेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन ने सरकार के जमीनी रास्तों से भारत से धागे का आयात रोकने का आग्रह किया था।

आयात रोकने के लिए तर्क दिया गया था कि सस्ता भारतीय सूत स्थानीय उत्पादकों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके बाद मार्च में बांग्लादेश व्यापार और टैरिफ आयोग ने घरेलू कपड़ा उद्योग की रक्षा के लिए जमीनी बंदरगाह आयात को अस्थायी रूप से निलंबित करने की सिफारिश की।

टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री में यूनूस को लेकर नाराजगी

वहीं, बांग्‍लादेश टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री ने यूनूस के इन कदमों को ‘आत्‍मघाती’ बताया है और वे बांग्‍लादेश सरकार से खासे नाराज हैं। भारत से धागा की आपूर्ति बाधित होने से छोटे और मध्यम आकार की गारमेंट कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि ये इकाइयां मुख्य रूप से भारतीय यार्न पर निर्भर रहती हैं। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश ने भारतीय धागा पर बैन का फैसला इसलिए लिया है ताकि पाकिस्‍तान से ज्‍यादा यार्न बांग्‍लादेश आ सके। सरकार के इस फैसले से पाकिस्‍तान को तो भले ही फायदा हो जाए, बांग्‍लादेश को नुकसान ही नुकसान है क्‍योंकि भारतीय धागा के मुकाबले पाकिस्‍तानी धागा महंगा है। यूनूस का यह कदम भारत-बांग्लादेश व्यापारिक संबंधों में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जो आखिरकार बांग्‍लादेश के लिए ही घातक साबित होगा।

भारत ने बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ली

पिछले कुछ महीनों से भारत और बांग्लादेश आमने-सामने हैं। हालांकि, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में छठे बिम्सटेक समिट से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की मुलाकात के बाद लग रहा था कि दोनों देशों के संबंधों में जमी बर्फ़ पिघल जाएगी।

लेकिन, इस बैठक के तीन दिन बाद ही भारत सरकार ने बांग्लादेश को 2020 से मिली ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली। इस सुविधा के कारण बांग्लादेश भारत के एयरपोर्ट और बंदरगाहों का इस्तेमाल तीसरे देश में अपने उत्पादों के निर्यात के लिए करता था।

मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर को लेकर दिया था बयान

दरअसल, भारत ने ये फैसला मोहम्मद यूनुस के एक बयान के बाद लिया था। मोहम्मद यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरे पर थे। इसी दौरे में यूनुस ने ऐसा बयान दिया, जिससे भारत का नाराज़ होना लाजिमी था। मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत की लैंडलॉक्ड स्थिति का हवाला दिया था। यूनुस ने कहा था कि पूर्वोत्तर भारत का समंदर से कोई कनेक्शन नहीं है और बांग्लादेश ही इस इलाके का अभिभावक है। मोहम्मद यूनुस ने कहा था, भारत के सेवन सिस्टर्स राज्य लैंडलॉक्ड हैं। इनका समंदर से कोई संपर्क नहीं है। इस इलाके के अभिभावक हम हैं। चीन की अर्थव्यवस्था के लिए यहाँ पर्याप्त संभावनाएं हैं। चीन यहाँ कई चीजें बना सकता है और पूरी दुनिया में आपूर्ति कर सकता है।

बांग्लादेश की पूर्वोत्तर पर बुरी नजर

बता दें कि पूर्वोत्तर भारत दशकों से उग्रवाद ग्रस्त रहा है और बांग्लादेश पर इन राज्यों में उग्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद अभी काबू में है लेकिन एक किस्म की बेचैनी अब भी देखने को मिलती है। भारत का यह इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है।

करीब आ रहे भारत के दो ‘दुश्मन’, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 15 साल बाद फिर वार्ता शुरू

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बांग्लादेश से शेख हसीना शासन के पतन के बाद पाकिस्तान से इसकी नजदीकी तेजी से बढ़ रही है। अब करीब 15 साल बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के टॉप डिप्लोमैट्स एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठने वाले है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गुरुवार 17 अप्रैल को ढाका में विदेश सचिव स्तर की विदेश कार्यालय परामर्श आयोजित होने जा रही है। इसके लिए पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच इस्लामाबाद के प्रतिनिधिमंडल के साथ बुधवार को ढाका पहुंच चुकीं हैं।

दोनों देशों के बीच आखिरी फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशन की बैठक 2010 में हुई थी। बांग्लादेश की तरफ से विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन राज्य अतिथि गृह पद्मा में होने वाली इस बैठक का नेतृत्व करेंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि बैठक के लिए कोई खास एजेंडा तय नहीं किया है, लेकिन चर्चा के दौरान आपसी हितों के सभी क्षेत्रों को शामिल किए जाने की संभावना है। अधिकारी ने बताया कि इतने लंबे समय के बाद हो रही वार्ता में पहले से विषयों को प्राथमिकता देना मुश्किल है, लेकिन वार्ता व्यापक होगी।

ये मीटिंग ऐसे वक्त में होने जा रही है जब भारत बांग्लादेश के रिश्ते पहले जैसे मजबूत नहीं रहे हैं। अब डेढ़ दशक बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसा कुछ करने जा रहे हैं, जो भारत की टेंशन बढ़ाएगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश अपने रिश्तों को नई दिशा देने की तैयारी में हैं। चर्चा है कि इस दौरे के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार भी ढाका आ सकते हैं जो कि 2012 के बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा होगा।

विदेश सचिव स्तर की बैठक के अलावा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार इस महीने के अंत में ढाका का दौरा करने वाले हैं। 2012 के बाद यह किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली बांग्लादेश यात्रा होगी। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, हम अभी तारीख तय कर रहे हैं, लेकिन यात्रा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है।

भारत ने बांग्लादेश को दी बड़ी “चोट”, चीन में युनूस के दिए बयान के बाद एक्शन, जानें पूरा मामला

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था। वहां उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर पर टिप्प्णी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य लैंड लॉक्ड हैं और समुद्र तक उनकी पहुंच का एकमात्र रास्ता बांग्लादेश है। यही नहीं, यूनुस ने चीन को बांग्लादेश की स्थिति का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया था। जिसके बाद दोनों देशों में डिप्लोमैटिक तनाव देखने को मिला था। इस बीच भारत ने सख्ती दिखाते हुए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट की सुविधा खत्म कर दी है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने 8 अप्रैल को सर्कुलर जारी कर इस फैसले के बारे में बताया।इसमें बोर्ड ने 29 जून, 2020 के अपने पुराने आदेश को रद्द कर दिया है। उसमें बांग्लादेश से आने वाले सामान को भारत के रास्ते दूसरे देशों में भेजने की अनुमति दी गई थी।

2020 से जारी इस व्यवस्था के अंतर्गत बांग्लादेश को भारतीय कस्टम स्टेशनों के जरिए अपने एक्सपोर्ट्स कार्गो को तीसरे देशों में बंदरगाहों और एयरपोर्ट तक भेजने की परमिशन थी। इसके जरिए बांग्लादेश आसानी से भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों को सामान भेज सकता था।

नए सर्कुलर में क्या?

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि नए सर्कुलर के साथ, ट्रांसशिपमेंट व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, सर्कुलर के अनुसार, पहले की व्यवस्था के तहत भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुके कार्गो को मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी।

बांग्लादेश पर क्या होगा असर?

ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के इस फैसले से बांग्लादेशी एक्सपोर्ट्स बुरी तरह प्रभावित होगा। भारत सरकार के इस कदम से बांग्लादेश के लिए नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बाधा आ सकती है, क्योंकि ये व्यापार मुख्यतः भारतीय भूमि मार्गों के माध्यम से होता था। ट्रांस-शिपमेंट सुविधा के जरिए भारत ने बांग्लादेश को एक व्यवस्थित रास्ता दिया था। इससे बांग्लादेशी माल की ढुलाई लागत और समय दोनों में कटौती हुई थी। अब इसके बिना बांग्लादेश एक्सपोर्टर्स को नेपाल और भूटान समेत दुनिया भर में सामान भेजने में देरी, ऊंची लागत और अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा।

शेख हसीना ने भरी बांग्लादेश लौटने की हुंकार, बोलीं- मैं मरी नहीं...अल्लाह ने मुझे किसी कारण से जिंदा रखा


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पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता का दौर कायम है। इस बीच सत्ता से बेदखल हो चुकी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर हुंकार भरी है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपने समर्थकों से कहा कि वह अपने देश वापस आएंगी। बता दें कि पिछले साल अगस्त में अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना को हिंसक आंदोलन के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। उन्होंने फिलहाल भारत में शरण ली है।

सोशल मीडिया पर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए हसीना ने कहा कि मैं मरी नहीं, इसका मतलब है कि मैं फिर से वापस बांग्लादेश आऊंगी। अल्लाह ने लोगों को संदेश दे दिया है। वापस आने के बाद अंतरिम सरकार और उनके लोगों को जेल से लेकर अदालत तक मैं घसीटूंगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर निशाना साधते हुए शेख हसीना ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी लोगों से प्यार नहीं किया। उन्होंने ऊंची ब्याज दरों पर छोटी रकम उधार दी और उस पैसे का इस्तेमाल विदेश में ऐशो-आराम से रहने में किया। हम तब उनके दोगलेपन को समझ नहीं पाए, इसलिए हमने उनकी बहुत मदद की। लेकिन लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अपने लिए अच्छा किया। फिर सत्ता की ऐसी लालसा पैदा की जो आज बांग्लादेश को जला रही है।

बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया-हसीना

शेख हसीना ने आगे कहा कि बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया है। उन्होंने कहा कि "हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस तरह से मारा जा रहा है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अवामी लीग, पुलिस, वकील, पत्रकार, कलाकार, हर किसी को निशाना बनाया जा रहा है।" इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में मीडिया पर भी शिकंजा कसने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "बलात्कार, हत्या, डकैती, कुछ भी रिपोर्ट नहीं किया जा सकता। और अगर रिपोर्ट किया जाता है, तो टीवी चैनल या अखबार को निशाना बनाया जाएगा।

मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी-हसीना

बातचीत के दौरान आवामी लीग के कार्यकर्ताओं के एक सवाल के जवाब में हसीना ने कहा, अल्लाह ने मुझे किसी वजह से जिंदा रखा है और वह दिन जरूर आएगा जब न्याय होगा। मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी। आप सभी लोग धैर्य बनाकर रहें। आपके साथ न्याय होगा। जो भी लोग आपको मारने के लिए आ रहे हैं, उन्हें खोज-खोजकर लाया जाएगा।

पिता और परिवार की हत्या को याद कर हुईं भावुक

हसीना ने इस दौरान कार्यकर्ताओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि मैं हर बार बच क्यों जाती हूं? आतंकवादियों ने मेरे पिता, माता और भाई को मार दिया, लेकिन उस वक्त भी मैं बच गई। उन्होंने आगे कहा मुझे मारने की पिछली बार भी कोशिश की गई, लेकिन मैं बच गई। अल्लाह की मर्जी क्या है, मुझे नहीं पता, लेकिन बांग्लादेश में कुछ जरूर अच्छा होने वाला है।

यूनुस ने फिर दोहराई हसीना के प्रत्यार्पण की मांग

शेख हसीना का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बिम्सटेक की बैठक में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हसीना को सौंपने की अपील की थी। यूनुस का कहना था कि शेख हसीना पर बांग्लादेश में गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें सौंपा जाए। अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत आ गई थीं।

बांग्लादेश की यूनुस सरकार का भारत विरोधी एजेंडा, चीन को दिया बड़ा ऑफर, कोलकाता के बगल में...

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए जिसमें भारत का विरोध झलका। सत्ता संभालने के बाद यूनुस के फैसले बांग्लादेश को चीन और पाकिस्तान के करीब लाते हैं, जबकि भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती है। पहले पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया। अपने इस दौरे के दौरान यूनुस ने भारत के खिलाफ चीन को “चारा” देने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस का भारत विरोधी रवैया जारी है। बिमस्टेक समिट में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस सरकार ने चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक जगहों पर अहम प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं। इनमें एक पोर्ट और एक एयरबेस शामिल है। अपनी चीन यात्रा के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने चीन को बड़ा ऑफर दिया। उन्होंने बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में एयरबेस बनाने का न्योता दे डाला।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक दस्तावेजों में तो इस एयरबेस का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस ने जब पिछले दिनों बीजिंग की यात्रा की थी तो उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ इस एयरबेस को लेकर बात की थी।

कोलकाता से सिर्फ 200 किमी पोर्ट की जिम्मेदारी चीन को

बांग्लादेश में शेख हसीना (सरकार के सत्ता से बाहर होने और मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव देखने को मिला है। इस बीच नई सरकार ने चीन से घनिष्ठ संबंध बनाने के संकेत दिए हैं। हाल ही में बिजिंग के दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान बांग्लादेश ने भारत के कोलकाता से सिर्फ 200 किमी दूर मोंगला पोर्ट के विस्तार की जिम्मेदारी चीन को दी है। यूनुस की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान इस डील पर मुहर लगी थी। चीन ने इस पोर्ट के डेवलपमेंट के लिए 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपए) देने का वादा किया है।

चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया

वहीं, बांग्लादेशी सरकार लालमोनिरहाट जिले में एक सैन्य एयरबेस बना रही है, जो भारत के 'चिकन नेक' यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 120 किमी दूर है। मोहम्मद यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया। सूत्रों के मुताबिक इसी साल अक्टूबर तक एयरबेस का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। वहीं एक पाकिस्तानी कंपनी एयरबेस निर्माण में सहयोग करेगी। बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार सलाहउद्दीन शोएब चौधरी ने एक वेबसाइट पर लिखे अपने लेख में यह दावा किया।

चिकन नेक को लेकर यूनुस का बयान भी अहम

मोहम्मद यूनुस ने चीन जाकर 'चिकन नेक' को लेकर जो बयान दिया था, जिसे भारत की ओर से भड़काऊ बताया गया था यूनुस ने कहा था, 'भारत के सात, राज्य भारत के पूर्वी हिस्से...जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है, ये भारत के लैंडलॉक्ड इलाके हैं। समुद्र तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं। इस पूरे क्षेत्र के लिए समंदर के अकेले संरक्षक हम हैं। यह चीनी इकनॉमी के लिए मौका हो सकता है।

चिकन नेक क्या है?

चिकन नेक को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है। चिकन नेक, पश्चिम बंगाल में भारत का वह 22 से 25 किलोमीटर चौड़ा गलियारा है जो पूरे पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह गलियारा नेपाल और भूटान तथा बांग्लादेश से घिरा हुआ है। यह गलियारा दक्षिण-पश्चिम में बांग्लादेश, उत्तर-पश्चिम में नेपाल और उत्तर में भूटान के समीप स्थित है। सिक्किम और भूटान के बीच चुम्बी घाटी तिब्बती क्षेत्र स्थित है। डोलम पठार या डोकलाम ट्राइबाउंड्री क्षेत्र का दक्षिणी छोर गलियारे में ढलान पर है। सबसे संकरी जगह पर, गलियारा आम तौर पर पूर्व में मेची नदी द्वारा निर्मित होता है; नेपाल का भद्रपुर नदी के तट पर स्थित है। आगे उत्तर में मेची ब्रिज मेचीनगर को जोड़ता है। इसकी सबसे पतली चौड़ाई केवल 20 किलोमीटर है।

चिकन नेक पर चीन की नजर?

इस रूट की कोई भी नाकाबंदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्यभूमि से काट सकती है। इसे काटना मतलब 7 राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से काट देना है। लिहाजा बांग्लादेश को चीन को एयरबेस बनाने का न्योता देना भारत के खिलाफ न सिर्फ भौगोलिक, बल्कि सैन्य, राजनीतिक और रणनीतिक लड़ाई की शुरूआत है। ऐसे में अगर इस कॉरिडोर से कुछ किलोमीटर दूर चीन को एयरबेस बनाने की छूट मिल जाती है, तो क्या वह इस जगह की सेंसेटिविटी का फायदा नहीं उठाएगा? यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस ने खुले तौर पर चीन को ‘बांग्लादेश में निवेश’ का न्योता दिया है और यह भी कहा कि वह सैन्य उपयोग की संभावनाओं से इनकार नहीं करते।

मुलाकात पर मानें पर लगा दी क्लासःपीएम मोदी ने यूनुस को दी हिंदुओं की सुरक्षा और बयानबाजी से बचने की सलाह

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थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्‍मद यूनुस के बीच अहम मुलाकात हुई।शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी। दोनों नेता बिम्सटेक सम्मेलन से इतर मिले। दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट बातचीत हुई।बैठक में पीएम मोदी ने बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं पर जोर दिया। पीएम मोदी ने साथ ही बांग्लादेश को बयानबाजी बंद करने की नसीहत भी दे दी। भारत ने साथ ही बांग्लादेश को पूर्ण सहयोग और समर्थन देने का अपना वादा दोहराया।

मुहम्मद यूनुस के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि बैठक के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा की चिंता का खास तौर पर जिक्र किया। मिसरी ने कहा कि पीएम मोदी ने बैठक के दौरान हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के मुद्दे को उठाया।

मिसरी ने कहा कि भारत ने साथ ही लोकतांत्रिक, स्थायी, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश का समर्थन का वादा किया। पीएम मोदी ने इसके अलावा मोहम्मद यूनुस को तनावपूर्ण स्थिति से बचने की भी सलाह दी। प्रधानमंत्री ने अपील की कि माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचा जाए। सीमा पर सख्ती से अवैध घुसपैठ को रोका जा सकता है और सीमा सुरक्षा को कायम रखा जा सकता है।

बीते साल अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। उसके बाद से मोहम्मद यूनुस ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि मोहम्मद यूनुस का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा है और उनके कार्यकाल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ीं। इसके चलते भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी खटास आई है। बीते हफ्ते ही चीन के दौरे पर मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को लेकर विवादित बयान दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आई है।

मोहम्मद यूनुस ने जल प्रबंधन के लिए चीन से मांगा 50 साल का मास्टर प्लान, भारत के लिए चिंता का विषय

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बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने देश के जल प्रबंधन संकट को हल करने के लिए चीन से 50 साल का मास्टर प्लान तैयार करने में मदद मांगी है। इसमें तीस्ता नदी का जल प्रबंधन भी शामिल है। उन्होंने चीन को 'जल प्रबंधन का मास्टर' बताते हुए कहा कि वे चीन से सीखना चाहते हैं कि जल संसाधनों को लोगों के लिए अधिक उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है।

यूनुस चार दिवसीय चीन दौरे पर हैं और शुक्रवार को उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संघ (बीएसएस) के मुताबिक, यूनुस ने चीन के जल संसाधन मंत्री ली गुओयिंग से मुलाकात के दौरान चीन की बाढ़ और जल प्रबंधन प्रणाली की सराहना की। उन्होंने कहा, हमारे देश में भी वहीं समस्याएं हैं, जो चीन में हैं। इसलिए अगर आप हमारे साथ अपने अनुभव साझा करें, तो हमें खुशी होगी।

उन्होंने तीस्ता नदी से जुड़े मुद्दों पर खास फोकस किया लेकिन यह भी कहा कहा कि बांग्लादेश की समस्या एक नदी तक सीमित नहीं बल्कि, पूरी जल प्रणाली से जुड़ी है। बीएसएस के मुताबिक, चीनी मंत्री इस बात को माना कि चीन और बांग्लादेश दोनों को जल प्रबंधन से जुड़ी समान चुनौतियों का सामना करना पड़ता। उन्होंने बांग्लादेश को तकनीकी सहयोग देने का आश्वासन दिया।

इससे पहले, यूनुस ने जिनपिंग के साथ बैठक की। जिसके बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि दोनों देश जल विज्ञान पूर्वानुमान, बाढ़ रोकथाम, आपदा प्रबंधन, नदी की खुदाई और जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग बढ़ाएंगे। संयुक्त बयान में कहा गया कि बांग्लादेश सरकार ने तीस्ता नदी के समग्र प्रबंधन और पुनरुद्धा परियोजना (टीआरसीएमआरपी) में चीनी कंपनियों की भागीदारी का स्वागत किया है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान 22 जून, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में तीस्ता नदी जल प्रबंधन का काम भारत को देने का वादा किया था। दोनों नेताओ में सहमति बनी थी कि जल्द ही एक भारतीय टीम ढाका का दौरा करेगी जो तीस्ता जल प्रबंधन की भावी योजना की रूपरेखा तैयार करेगी। अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने चीन की कंपनियों को भारत के लिए बेहद संवेदनशील इस नदी परियोजना का काम देने का वादा किया है।

चीन पहले से ही बांग्लादेश में कई इंफ्रास्ट्रक्चर और जल परियोजनाओं में निवेश कर रहा है, जिससे उसकी इस क्षेत्र में पकड़ मजबूत होती जा रही है। यदि चीन बांग्लादेश के जल संसाधन प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाता है, तो इससे भारत की जल कूटनीति और रणनीतिक हितों पर असर पड़ सकता है। भारत-बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर पहले ही मतभेद रहे हैं, और चीन की बढ़ती भागीदारी से यह मुद्दा और जटिल हो सकता है। यदि बांग्लादेश चीन पर अत्यधिक निर्भर हो जाता है, तो इससे भारत और बांग्लादेश के बीच जल समझौतों पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि भारत अभी स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।

क्या बांग्लादेश में फिर होने वाला है तख्तापलट? जानें क्यों उठ रहे ऐसे सवाल

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बांग्लादेश में तख्तापलट की अफवाहों का बोलबाला है।पड़ोसी देश में सेना की बैठकों की रिपोर्ट ने इन अटकलों को और पुख्ता कर दिया है। आशंका जताई जा रही है कि आर्मी मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार का तख्तापलट कर शासन की बागडोर अपने हाथ में ले सकती है। चर्चा इस बात की भी है कि सेना प्रमुख वकार उज जमान ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक भी की है।ऐसा भी दावा किया गया था कि सेना ने ढाका समेत कई शहरों में सैनिकों को तैनात किया है और उन्होंने सड़कों पर बंकर बनाकर पोजिशन ले ली है।

देश के मौजूदा हालातों के चलते सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमन सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का एक बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 5 लें.जनरल रैंक के अधिकारी, 8 मेजर जनरल और कई इंडीपेंडेंट ब्रिगेड के कमांडिग अफसर शामिल थे। इस बैठक में अंदहरूनी सुरक्षा हालातों की समीक्षा की। रिपोर्ट के मुताबित बांग्लादेश में आने वाले दिनों में बड़े आतंकी हमलों की आशंका जताई जा रहा है।इसे लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।

हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने देश में तख्तापलट की खबरों को अफवाह बताया। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने के लिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है और झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं।

मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा, लोगों को गुमराह करने के लिए एक के बाद एक झूठी जानकारी फैलाई जा रही है ताकि देश में अस्थिरता पैदा की जा सके। अफवाहें फैलाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। एक तस्वीर को दूसरी तस्वीर से जोड़ा जा रहा है, एक घटना का फोटोकॉर्ड बनाया जा रहा है और दूसरे देशों की घटनाओं को इस देश की घटनाओं के रूप में पेश कर सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई जा रही है।

सेना का तख्तापलट की आशंकाओं से इनकार

वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश सेना ने मंगलवार को उस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। सेना ने इस खबर को झूठा और मनगढ़ंत बताया और इसे पत्रकारिता की गंभीर चूक बताया।

सेना ने कहा कि तख्तापलट की संभावना को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। बयान में आगे कहा गया कि यह पहली बार नहीं है जब संबंधित मीडिया संगठन ने बांग्लादेश सेना के खिलाफ झूठी खबरें फैलाई हैं। इससे पहले भी इसी मीडिया समूह ने गलत जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे बांग्लादेश सेना ने 11 मार्च को जारी एक बयान में खारिज किया था।

भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना

बांग्लादेश सेना ने भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए सनसनीखेज खबरें फैलाना गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता का उदाहरण है। सेना ने कहा कि ऐसी भ्रामक रिपोर्टों से दोनों देशों के लोगों के बीच अविश्वास और तनाव पैदा हो सकता है। बयान में साफ किया गया कि यह एक सामान्य बैठक थी, जिसे अनावश्यक रूप से गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

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बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।