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नरेंद्र मोदी का ईसाई समुदाय के साथ संबंध: क्रिसमस पर समावेशिता की ओर एक संदेश

#narendramodiandrelationwithchristainsofthenation

नरेंद्र मोदी का भारतीय ईसाई समुदाय के साथ एक जटिल संबंध है, जो उनके राजनीतिक कृत्यों, सार्वजनिक बयानों और उस व्यापक सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ से आकारित हुआ है, जिसमें वह कार्य करते हैं।

प्रारंभिक वर्ष और राजनीतिक करियर:

नरेंद्र मोदी, 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, कुछ ईसाई समूहों से आलोचना का सामना कर चुके हैं, विशेष रूप से 2002 के गुजरात दंगों के बाद। इन दंगों में व्यापक हिंसा हुई थी, जिसमें अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों और ईसाई समुदाय के खिलाफ साम्प्रदायिक हमलों का आरोप था। जबकि मोदी के नेतृत्व में दंगों के दौरान आलोचना हुई और यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंसा पर काबू पाने में लापरवाही बरती या इसमें उनकी सहमति थी, लेकिन अदालतों ने उन पर किसी तरह का दोष नहीं तय किया। हालांकि, उनके आलोचक यह मानते हैं कि उनकी भाजपा में उभरती हुई भूमिका हिंदू राष्ट्रीयता (हिंदुत्व) के विचारों से जुड़ी है, जिसे कुछ लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों, जैसे कि ईसाईयों, के लिए पूरी तरह समावेशी नहीं मानते।

प्रधानमंत्री बनने के बाद और धार्मिक समावेशिता:

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी ने एक ऐसे नेतृत्व की छवि पेश करने की कोशिश की है, जो भारत के सभी धार्मिक समुदायों, जिसमें ईसाई भी शामिल हैं, के लिए काम करता हो। उनके भाषणों में अक्सर एकता, विकास और धार्मिक सहिष्णुता की बातें होती हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कड़ी निंदा की है और क्रिसमस जैसे प्रमुख धार्मिक त्योहारों पर ईसाई समुदाय को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक संदेश भेजा था, जिसमें शांति, भाईचारे और प्रेम के महत्व पर जोर दिया गया था।

ईसाइयों से संबंधित नीतियाँ:

हालांकि उन्होंने समावेशिता की बात की है, मोदी के कार्यकाल में कुछ नीतियाँ ईसाई समूहों के बीच चिंताएँ पैदा कर चुकी हैं। कई राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में, धर्मांतरण को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाए गए हैं, जिन्हें कुछ ईसाई यह तर्क देते हैं कि यह उनके समुदाय और धर्म की स्वतंत्रता को असमान रूप से प्रभावित करता है।

 विभिन्न मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि कुछ ईसाई नेता यह महसूस करते हैं कि हिंदुत्व राजनीति की बढ़ती लोकप्रियता ने ऐसे दक्षिणपंथी समूहों को प्रोत्साहित किया है, जो ईसाई मिशनरी गतिविधियों और ग्रामीण क्षेत्रों में उनके कामकाज के खिलाफ आलोचना करते हैं।

नरेंद्र मोदी का ईसाई समुदाय के साथ संबंध बहुआयामी है। हालांकि उन्होंने राष्ट्रीय एकता का एक ऐसा दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हों, ईसाई समूहों द्वारा उठाए गए धार्मिक असहिष्णुता और कुछ राज्य सरकारों की नीतियों के खिलाफ चिंताएँ उनके समावेशिता के चित्रण के लिए एक चुनौती बनी हुई हैं। मोदी के विकास के दृष्टिकोण और उनके आलोचकों के धार्मिक अल्पसंख्यकों के हाशिए पर चले जाने के डर के बीच संतुलन, उनके नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण गतिशीलता बना हुआ है।

2024 के क्रिसमस गैदरिंग में शामिल हुए नरेंद्र मोदी , उन्होंने ईसाई भाइयों और बहनों को येसु के जन्मोत्सव की बधाई दी और साथ उनके ईसाई धर्म से उनके लगाव को भी साझा किया। 

अंबेडकर पर गृह मंत्री शाह से माफी मांगने पर अड़ी कांग्रेस को सीएम साय के सलाहकार पंकज झा ने दिखाया आइना

रायपुर-  आप में से कितनों को पता है कि कांग्रेस सरकार के समय एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तकों में कांग्रेस सरकार ने एक कार्टून प्रकाशित कराया था, जिसमें बाबा साहेब अंबेडकर को जवाहर लाल नेहरू कोड़े मार रहे थे. उस समय विभागीय मंत्री कपिल सिब्बल थे, और एनसीईआरटी के सलाहकार योगेन्द्र यादव थे. यह जानकारी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दी है.

संसद में गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर से जुड़े बयान पर कांग्रेस के माफी मांगे जाने के बीच मुख्यमंत्री साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने इस मुद्दे पर नई जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की है. उन्होंने कहा कि नेहरू द्वारा बाबा साहेब का जीते जी लगातार अपमान करने, मंत्रिमंडल से निकल जाने पर मजबूर करने आदि की बात तो इतिहास है ही, यह भी कांग्रेस का एक काला अध्याय है, जिसमें बच्चों को ऐसी भद्दी चीजें पढ़ायी गयी थी.

ऐसी जब आप बाबा साहेब के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है, तब कांग्रेस के ऐसे कुकृत्यों को याद रखा जाना चाहिये. ने पंचतीर्थ समेत अनेक ऐसे कार्य किए जिससे बाबा साहेब के स्मृति को उचित सम्मान मिला ही, उन्होंने लगातार वे तमाम कार्य किए जिससे वंचितों के उत्थान हेतु बाबा साहेब के देखे सपनों को साकार कर के उन्हें असली श्रद्धांजलि दी.

खुद-खुद को अंधों की रेबड़ी जैसा भारत रत्न दे-दे कर संविधान निर्माता को कोई सम्मान तक नहीं देने वाले गमले में पले लोग जब आज घड़ियाली आसूँ बहा रही है, तक कांग्रेस जैसी पार्टी के लिए कोई भी निकृष्ट शब्द कम ही पड़ेंगे! पुनश्च : वह कार्टून अपने पास है लेकिन लगा नहीं सकता. जो कार्टून कांग्रेस बच्चों को पढ़ा/दिखा रही थी, उसे हम यहां भी पोस्ट करना उचित नहीं समझ रहा. सोचिए जरा.

भारत-मॉरीशस संबंध: इतिहास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित दोस्ती

#indiamauritiusrelations

Narendra Modi with Mauritius President

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की जड़ें इतिहास, संस्कृति और आपसी हितों में गहरी हैं। भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित ये दो देश एक मजबूत, स्थायी साझेदारी के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो दशकों से निरंतर विकसित हो रही है। इन संबंधों की नींव साझा ऐतिहासिक अनुभवों, व्यापारिक हितों और सांस्कृतिक समानताओं पर आधारित है, जबकि वर्तमान में यह द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध

भारत और मॉरीशस का ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताबदी में शुरू हुआ, जब भारतीय श्रमिकों को ब्रिटिश साम्राज्य के तहत मॉरीशस में चीनी बागानों में काम करने के लिए लाया गया। आज मॉरीशस की अधिकांश जनसंख्या भारतीय मूल की है, और भारतीय संस्कृति ने इस द्वीप राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। मॉरीशस में हिंदी और भोजपुरी भाषाएं आम हैं, और भारतीय धार्मिक उत्सव जैसे दीवाली, महाशिवरात्रि और गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान निरंतर होता रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य, संगीत और साहित्य भी मॉरीशस की सांस्कृतिक धारा का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इस साझा सांस्कृतिक परंपरा ने दोनों देशों के बीच एक अनूठा और स्थायी संबंध स्थापित किया है।

कूटनीतिक संबंध और उच्च स्तरीय दौरे

1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद, भारत ने इस नए राष्ट्र को अपनी संप्रभुता की मान्यता दी और दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। भारत ने मॉरीशस के साथ कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई उच्चस्तरीय दौरे किए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत के शीर्ष नेताओं ने मॉरीशस का दौरा किया, और मॉरीशस के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने भी भारत की यात्रा की। इन दौरों का मुख्य उद्देश्य व्यापार, निवेश, रक्षा, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना रहा है। भारत और मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है, और दोनों देशों के बीच वैश्विक मंचों पर सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। दोनों देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा करते हैं।

आर्थिक और व्यापारिक सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक संबंध समय के साथ और मजबूत हुए हैं। मॉरीशस भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीकी बाजारों तक पहुँचने का एक प्रमुख हब बन गया है। भारत, बदले में, मॉरीशस को महत्वपूर्ण निवेश और व्यापार का स्रोत प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख क्षेत्र मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद, दवाइयाँ, वस्त्र, और चीनी के रूप में होता है।

भारत-मॉरीशस व्यापार के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ने अपने Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement (CECPA) के तहत मॉरीशस के साथ व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने माल और सेवाओं के व्यापार में तेजी लाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और व्यापारिक बाधाओं को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मॉरीशस को भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार और अफ्रीका में भारतीय निवेश का एक प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।

विकास सहयोग और तकनीकी सहायता

भारत ने हमेशा मॉरीशस की विकास यात्रा में मदद की है। भारत ने मॉरीशस को बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है। भारत ने मॉरीशस को लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) भी दिया है, जो कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिनमें बंदरगाह विकास, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और शहरी बुनियादी ढांचा शामिल हैं। भारत ने मॉरीशस में क्षमता निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया है। भारतीय विशेषज्ञों ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में मदद की है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप, मॉरीशस के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान भारत से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।

समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा सहयोग भी मजबूत हुआ है। दोनों देशों के पास साझा हित हैं – भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा बनाए रखना। भारत ने मॉरीशस को अपनी समुद्री निगरानी और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान किए हैं। भारतीय नौसेना मॉरीशस के बंदरगाहों पर नियमित रूप से आकर नौसैनिक अभ्यास करती है, और दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ रहा है।

भारत और मॉरीशस के बीच एक प्रमुख रक्षा सहयोग क्षेत्र संयुक्त समुद्री गश्त, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और आपदा राहत ऑपरेशंस है। दोनों देशों ने भारतीय महासागर में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अन्य खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाया है।

जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास

मॉरीशस, एक छोटे द्वीप राष्ट्र के रूप में, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से काफी प्रभावित हो सकता है। इसके मद्देनजर, भारत और मॉरीशस ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन जैसी पहलों में सहयोग किया है। भारत ने मॉरीशस को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है और दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

भारत और मॉरीशस ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया है और इस दिशा में कई सहयोगी योजनाओं को लागू किया है। 

चुनौतियाँ और तनाव के क्षेत्र

भारत और मॉरीशस के रिश्ते आम तौर पर सकारात्मक रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं। एक प्रमुख मुद्दा डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) था, जिसे कुछ आलोचकों ने भारत से निवेशों के रास्ते के रूप में देखा था, जिससे करों से बचने का अवसर मिलता था। हालांकि, भारत और मॉरीशस ने हाल के वर्षों में इस समझौते की शर्तों पर पुनर्विचार किया है और अब यह अधिक पारदर्शी और निवेशक मित्रवत है।

इसके अलावा, एक अन्य विवाद का मुद्दा चागोस द्वीपसमूह पर है। मॉरीशस ने इसे अपने क्षेत्र के रूप में दावा किया है, और भारत ने इस दावे का समर्थन किया है। भारत ने ब्रिटेन से द्वीपों की पुन: स्वामित्व को लेकर मॉरीशस के पक्ष में कड़ी स्थिति अपनाई है।

भारत-मॉरीशस संबंधों का भविष्य

भारत और मॉरीशस के रिश्तों का भविष्य और भी उज्जवल दिख रहा है। दोनों देशों के बीच CECPA और अन्य व्यापारिक समझौतों के तहत व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के नए अवसर खुलेंगे। भारत अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाता जा रहा है, और मॉरीशस के लिए यह एक प्रभावी सहयोगी के रूप में उभरने का अवसर है।

समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के रिश्ते और अधिक गहरे और व्यापक होंगे। भारत, एक बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में, मॉरीशस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा, और मॉरीशस के लिए भारत का समर्थन भारतीय महासागर में अपनी शक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

भारत और मॉरीशस के संबंध एक आदर्श साझेदारी का उदाहरण पेश करते हैं, जो पारस्परिक सहयोग, रणनीतिक दृष्टिकोण और साझा ऐतिहासिक बंधनों पर आधारित है। आने वाले वर्षों में ये दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, और भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देंगे।

 

370 అధికరణపై మోదీ స్ట్రాంగ్ వార్నింగ్

మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు.

జమ్మూకశ్మీర్‌ (Jammu and Kashmir)లో కేంద్రం రద్దు చేసిన 370వ అధికరణ (Article 370)ను దేశంలోని ఏ శక్తి పునరుద్ధరించ లేదని ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీ (Narendra Modi) తెగేసి చెప్పారు. కేంద్ర పాలిత ప్రాంతంలో (జమ్మూకశ్మీర్) కాంగ్రెస్ పార్టీ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ఓటర్లు గుర్తించాలని హెచ్చరించారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు. జమ్మూకశ్మీర్‌కు స్వయం ప్రతిపత్తిని కల్పించే 370వ అధికరణను తిరిగి పునరుద్ధరించాలంటూ రెండ్రోజుల క్రితం అక్కడి అధికార 'ఇండియా' కూటమి అసెంబ్లీలో తీర్మానం ఆమోదించిన నేపథ్యంలో మోదీ వ్యాఖ్యలు ప్రాధాన్యత సంతరించుకున్నాయి.

జమ్మూకశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ప్రజలు అవగాహన చేసుకోవాలని, 370వ అధికరణపై అక్కడి అసెంబ్లీ చేసిన తీర్మానాన్ని దేశం అంగీకరించిందని అన్నారు. ఏ శక్తి కూడా ఆ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని స్పష్టం చేశారు. 370వ అధికరణకు మద్దతుగా అసెంబ్లీ వెలుపల బ్యానర్లు పెట్టారు. ఆ అధికరణను పునరుద్ధరించాలంటూ కాంగ్రెస్ కూటమి ఒక తీర్మానాన్ని ఆమోదించింది.. దీనిని దేశ ప్రజలు ఆమోదిస్తారా? ఈ ప్రయత్నాన్ని అడ్డుకునేందుకు బీజేపీ ఎమ్మెల్యేలు శక్తవంచన లేకుండా నిరసన తెలిపినప్పటికీ వారిని అసెంబ్లీ నుంచి బయటకు పంపించేశారు. కాంగ్రెస్ కూటమి నిజస్వరూపం ఏమిటో యావద్దేశం అవగాహన చేసుకోవాలి'' అని మోదీ అన్నారు.

370వ అధికరణను పునరుద్ధరించేందుకు దేశ ప్రజలు అంగీకరించరని, కశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ పార్టీ ఆటలు మోదీ ఉన్నంత వరకూ సాగవని ప్రధాని అన్నారు. బీమ్‌రావ్ అంబేద్కర్ రాజ్యాంగం మాత్రమే అక్కడ నడుస్తుందని, ఏ శక్తీ 370వ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని మరోసారి ఆయన స్పష్టం చేశారు. విపక్ష సభ్యలు తీవ్ర ప్రతిఘటన, నిరసనల మధ్య జమ్మూకశ్మీర్ అసెంబ్లీలో 370వ అధికరణను పునరుద్ధరించే తీర్మానాన్ని గత శుక్రవారంనాడు మూజువాణి ఓటుతో ఆమోదించారు.

चार दिवसीय छठ पर्व की आप सभी को ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं•••
चार दिवसीय छठ पर्व की आप सभी को ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं•••



भारत देश के वर्तमान पीएम श्री #नरेंद्र मोदी और सामने बिहार के लोकप्रिय #पत्रकार सह भाजपा नेता #मनीष कश्यप Narendra Modi Manish Kasyap Chandan Singh तस्वीर आपको कैसा लगा कमेंट कर जरूर बताइएगा फोटो श्रे - मनीष कश्यप का फेसबुक पेज।।
ఎక్స్‌లో సీఎం రేవంత్ సంచలన పోస్ట్

ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీని ఉద్దేశించి ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డి ఎక్స్‌ వేదికగా సంచలన పోస్ట్‌ చేశారు. ఈ సందర్భంగా ప్రధానికి సీఎం స్ట్రాంగ్ కౌంటర్ ఇచ్చారు. ప్రియమైన మోదీ జీ అంటూ తమరు చేసిన అవాస్తవాలపై స్పష్టత ఇస్తున్నందుకు సంతోషంగా ఉందని అన్నారు.

ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీకి (PM Narendra Modi) ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డి (CM Revanth Reddy) స్ట్రాంగ్ కౌంటర్ ఇచ్చారు. ఎక్స్‌ వేదికగా స్పందించిన సీఎం.. తెలంగాణ రాష్ట్రంపై కేంద్రం చేసిన వ్యాఖ్యలపై ధీటైన సమాధానం ఇచ్చారు. కేంద్రం చేసిన అవాస్తవాలపై స్పష్టత ఇస్తున్నందుకు సంతోషంగా ఉందన్నారు. కాంగ్రెస్ హయాంలో చీకట్లను తరిమేసి వెలుగులు నింపామని తెలిపారు. ఉచిత బస్సు ప్రయాణం, రైతు భరోసా, రుణమాఫీ, తక్కువ ధరకే గ్యాస్ సిలిండర్ ఇలా తదితర అంశాలను వివరిస్తూ ఎక్స్‌‌లో పోస్టు చేశారు సీఎం. కాంగ్రెస్ పాలనలో రాష్ట్రంలో ఆనందం వెల్లువిరుస్తోందన్నారు. ముఖ్యమంత్రిగా బాధ్యతలు స్వీకరించిన 48 గంటల్లోనే రెండు వాగ్దానాలను నెరవేర్చామని.. 11 నెలల్లోనే దాదాపు 50వేల మంది యువతకు ఉద్యోగాలు కల్పించామని సీఎం రేవంత్ ఎక్స్‌లో పోస్టు చేశారు.

ప్రియమైన నరేంద్ర మోదీ జీ. నా రాష్ట్రం, నా ప్రభుత్వం గురించి మీరు చేసిన ప్రకటనలలో అనేక అపోహలు, అవాస్తవాలపై స్పష్టత ఇవ్వడానికి నేను సంతోషిస్తున్నాను. డిసెంబర్ 7, 2023 నుంచి తెలంగాణలో కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం ప్రమాణ స్వీకారం చేసినప్పటి నుంచి రాష్ట్రంలో ఆనందం ఆశలు వెల్లువెత్తాయి. దశాబ్దం బీఆర్‌ఎస్ దుష్పరిపాలన పోయి ప్రజల్లో సంతోషం వెల్లివిరిసిందన్నారు. బాధ్యతలు స్వీకరించిన రెండు రోజుల్లోనే, తెలంగాణ ప్రభుత్వం మొదటి, రెండవ వాగ్దానాన్ని నెరవేర్చింది. అన్ని టీజీఎస్‌ఆర్టీసీ బస్సులలో మహిళలకు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం, రాజీవ్ ఆరోగ్యశ్రీ కింద 10 లక్షల ఆరోగ్య సంరక్షణ, ఆసుపత్రి కవరేజీని విడుదల చేసింది. గత 11 నెలల్లో తెలంగాణాలోని సోదరీమణులు, తల్లులు ఒక్క రూపాయి కూడా చెల్లించకుండా ప్రయాణించారు. రాష్ట్రవ్యాప్తంగా 101 కోట్ల మంది మహిళలు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం చేశారు. ఒక సంవత్సరంలో మహిళలకు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం కోసం 3,433.36 కోట్లు ఖర్చు చేశాం. మా మొదటి సంవత్సరం పూర్తి కాకముందే, మేము రైతులకి భరోసా ఇస్తూ రైతు రుణమాఫీని అమలు చేశాం. 22 లక్షల 22 వేల మంది రైతులు (22,22,365) ఇప్పుడు ఎలాంటి రుణం లేకుండా, రాజులా జీవిస్తున్నారు. రూ. 2,00,000 వరకు రైతుల రుణాలన్నీ మాఫీ చేయబడ్డాయి. 25 రోజుల్లో 18 వేల కోట్ల రూపాయలను రైతుల ఖాతాల్లో జమ చేశాం’’ అని సీఎం చెప్పుకొచ్చారు.

ఇళ్లకు 200 యూనిట్ల వరకు గృహ విద్యుత్ ఛార్జీ లేకుండా ఉచిత విద్యుత్ అందిస్తున్నాం. దీంతో మహిళలు మమ్మల్ని ఆశీర్వదిస్తున్నారు. బీజేపీ పాలిత రాష్ట్రాల్లో గ్యాస్‌ సిలిండర్‌ ధరలు ఎక్కువగా ఉంటే, కాంగ్రెస్‌ అధికారంలో ఉన్న తెలంగాణలో కేవలం రూ.500 కే సిలిండర్‌ లభిస్తుండడం పట్ల వారు హర్షం వ్యక్తం చేస్తున్నారు. మా హయాంలో ఇప్పటివరకు 1.31 కోట్లకు పైగా గ్యాస్ సిలిండర్ రీఫిల్‌లు జరిగాయి. 42,90,246 మంది లబ్ధిపొంది ఆనందం వ్యక్తం చేస్తున్నారు. యువత కోసం ఉద్యోగ నియామకాలను చేపట్టాం. కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం అత్యధిక రిక్రూట్‌మెంట్ డ్రైవ్‌ను నిర్వహించింది. అన్ని స్థాయిల పరీక్షలను క్రమం తప్పకుండా నిర్వహిస్తోంది. గ్రూప్ 1, 2, 3, 4 పరీక్షలను 11 నెలల కంటే తక్కువ సమయంలో నిర్వహించి, కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం 50,000 మంది అర్హులైన యువతకు ఉద్యోగాలు కల్పించింది. ఇది ఏ బీజేపీ రాష్ట్ర ప్రభుత్వం చేయని రికార్డు. గత బీఆర్‌ఎస్ ప్రభుత్వం దశాబ్ద కాలంగా పాఠశాల విద్యార్థులను విస్మరించింది. దశాబ్దం తర్వాత సంక్షేమ హాస్టళ్లలో పేద పిల్లలకు మెస్, కాస్మోటిక్ చార్జీలను 40 శాతానికి పైగా పెంచాం. గతంలో నిర్లక్ష్యానికి గురైన మూసీ నదిని శుభ్రం చేసి పునర్వైభవం తీసుకొస్తున్నాం. గత 10 ఏళ్లలో ఆక్రమణలకు గురై, ధ్వంసం చేసిన మా సరస్సులు, నాలాలు విలువైన నీటి వనరులను కూడా మేము పరిరక్షిస్తున్నాం.

కాంగ్రెస్ అధికారంలోకి వచ్చినప్పటి నుంచి ఒక్క అంగుళం సరస్సు కూడా ఆక్రమణకు గురికాలేదు. అలాగే మేము ఫ్యూచర్ సిటీని రూపొందిస్తున్నాం. మాస్టర్‌ప్లాన్ ఖరారు చేయబడుతోంది. మేము యంగ్ ఇండియా స్కిల్స్ యూనివర్శిటీ, YI స్పోర్ట్స్ యూనివర్శిటీ, YI ఇంటిగ్రేటెడ్ రెసిడెన్షియల్ పాఠశాలల కోసం బాల్ రోలింగ్‌ను సెట్ చేశాం. గత 11 నెలల్లో మేము తెలంగాణలో చీకట్లను పారద్రోలి వెలుగులను నింపాం’’ అని రేవంత్‌ రెడ్డి ఎక్స్‌లో పోస్టు చేశారు.

सेना की वर्दी में दिखे पीएम मोदी, कच्छ में जवानों के साथ मनाई दिवाली, अपने हाथों से खिलाई मिठाई

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हर साल की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों के साथ दिवाली मनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 31 अक्टूबर को गुजरात के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने सरदार पटेल की मूर्ति के सामने से देश को एकता का संदेश दिया। वहीं, सीमा पर देश की सरहदों की रक्षा करने वाले जवानों के पास भी पहुंचे। पीएम मोदी गुजरता के कच्छ पहुंचे और जवानो के साथ दिवाली सेलिब्रेट किया और सैनिकों को मिठाई खिलाई।

देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में दिवाली पर्व की धूम दिखाई दे रही है। वहीं, सेना के जवान इस पावन त्योहार पर भी सीमा पर देश की रक्षा में तैनात हैं और मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के कच्छ पहुंचे। यहां उन्होंने दिवाली का पर्व सैनिकों के साथ मनाया। अपने हाथों से जवानों को मिठाई खिलाई। पीएम मोदी ने जवानों की हौसला आफजाई की।

पीएम मोदी ने पहली बार जवानों के साथ दिवाली नहीं मनाई है। पीएम मोदी ने जब से देश की सत्ता संभाली है वे हर बार दिवाली का त्योहार सेना के जवानों संग ही मनाते हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने हिमाचल प्रदेश के लेपचा में जवानों संग दिवाली मनाई थी। वहीं, 2022 में पीएम मोदी ने कारगिल में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी। इस दौरान उन्होंने 1999 कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। पीएम मोदी इस साल लगातार 11वीं बार जवानों के साथ दिवाली मनाई है।

अब तक कहां-कहां दिवाली मना चुके हैं पीएम मोदी

• साल 2014: पीएम मोदी ने सियाचिन में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2015: पाकिस्तान की सीमा (पंजाब बॉर्डर) पर जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2016: हिमाचल प्रदेश में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2017: जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में जवानों के साथ दिवाली सेलिब्रेट की थी।

• साल 2018: पीएम मोदी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में आइटीबीपी के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2019: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2020 में राजस्थान के जैसलमेर में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2021: जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2022: पीएम मोदी ने कारगिल में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2023: हिमाचल प्रदेश के लेपचा में जवानों संग दिवाली मनाई थी।

जर्मनी ने भारत के लिए खोल दिया पिटारा, रोजगार और तकनीकी के क्षेत्र में किए समझौते*
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जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत दौरे पर हैं, वह 7वें 'इंटरगवर्नमेंटल कंसल्टेशंस' में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार की शाम नई दिल्ली पहुंचे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से दिल्ली में मुलाकात की।इस दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान प्रदान किया। इनमें नवाचार व प्रौद्योगिकी पर रोडमैड, रोजगार और श्रम क्षेत्र के एमओयू शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर से कहा, 'मैं जर्मनी और भारत के सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) में आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता हूं। यह आपका तीसरा भारत दौरा है। सौभाग्य से यह मेरे तीसरे कार्यकाल की पहली आईजीसी है। एक तरह से यह हमारी दोस्ती का ट्रिपल सेलिब्रेशन है। हमने 2022 में बर्लिन में आखिरी आईजीसी में अपने द्विपक्षीय सहयोग पर महत्वपूर्ण फैसले लिए। दो वर्षों में हमारे रणनीतिक संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहजनक प्रगति हुई है। रक्षा, प्रौद्योगिकी, उर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में बढ़ता सहयोगी आप आपसी भरोसा सहयोग का प्रतीक बन गया है।' प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। ऐसे समय में भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत आधार बनकर उभरी है। यह लेन-देन के संबंध नहीं हैं, बल्कि यह दो सक्षम और सशक्त लोकतंत्रों की परिवर्तनकारी साझेदारी है। इस संबंध में, हम आपकी ओर से जारी 'फोकस ऑन इंडिया' रणनीति का स्वागत करते हैं। मुझे खुशी है कि अपनी साझेदारी को विस्तार देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए हम कई नई और महत्वपूर्ण पहलें कर रहे हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने जर्मनी के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्योता दिया। उन्होंने कहा, 'निवेश के लिए भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है और देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने का यह सही समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना, ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल में शामिल होने का यह ‘सही’ समय है। यह दौरा जर्मनी के लिए एक नाजुक समय पर हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। वह लगातार दूसरे साल गिरावट का सामना कर रही है। यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच व्यापार विवाद जर्मन कंपनियों के लिए एक और चिंता का विषय है।2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले सस्ती रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण जर्मनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से जर्मनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
शांति से हो हर समस्या का समाधान', कजान में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले पीएम मोदी

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए मंगलवार को रूस पहुंच गए हैं। कजान पहुंचने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का औपचारिक तौर पर स्वागत किया। राष्ट्रपति पुतिन ने इस दौरान पीएम मोदी से कहा कि हमारे संबंध बहुत पुराने हैं। उन्होंने भारत और रूस को ब्रिक्स के मूल सदस्य देश बताया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने स्वागत के लिए पुतिन का धन्यवाद किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं आपकी (पुतिन) मित्रता और गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। इस शहर के साथ भारत के गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। कजान में भारत के नए कांसुलेट खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे। पिछले 3 महीनों में मेरा दो बार रूस आना हमारे करीबी समन्वय और गहरी मित्रता को दर्शाता है।

शांति से हो रूस-यूक्रेन के संघर्ष का समाधान- पीएम मोदी

मोदी ने पुतिन के सामने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर लगातार आपके संपर्क में रहा हूं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। हम शांति और स्थिरता की जल्द स्थापना का पूरा समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयासों में मानवता को प्राथमिकता दी जाती है। भारत आने वाले समय में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

पुतिन ने क्या कहा

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मुझे याद है कि जुलाई में हमारी मुलाकात हुई थी और कई मुद्दों पर हमारी बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। हम कई बार टेलीफोन पर भी बात कर चुके हैं। कजान आने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। आज हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे और उसके बाद रात्रिभोज करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य नेताओं के साथ मिलकर हमें कुछ बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली है। हमारी परियोजनाएं लगातार विकसित हो रही हैं। आपने कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है। हम इसका स्वागत करते हैं। भारत की नीतियों से हमारे सहयोग को फायदा होगा। हमें आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुशी हुई।

ब्रिक्स सम्मेलन के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, जानें शेड्यूल*
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस रवाना हो चुके हैं।प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22-23 अक्तूबर को रूस की यात्रा करेंगे। यहां मेजबान रूस की अध्यक्षता में 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। कज़ान में आयोजित ब्रिक्स देशों के सम्मेलन के अलावा पीएम मोदी कज़ान आने वाले ब्रिक्स सदस्य देशों और अन्य आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं। रूस के कज़ान में आयोजित दो दिन के इस सम्मेलन में अगर पूरी दुनिया की अगर किसी पर नजर है तो वो हैं तीन देश। इनमें भारत, चीन और रूस शामिल हैं। पीएम मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने रूस जा रहे हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि रूस में शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात हो सकती है। पीएम मोदी ने रूस यात्रा पर रवाना होने से पहले कहा कि भारत और रूस के संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कजान की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहा हूं। भारत ब्रिक्स के भीतर घनिष्ठ सहयोग को महत्व देता है जो वैश्विक विकास एजेंडा, सुधारित बहुपक्षवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, बिल्डिंग रिजिलियंट सप्लाई चेन, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने से संबंधित मुद्दों पर संवाद और चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। पिछले साल नए सदस्यों को जोड़ने के साथ ब्रिक्स के विस्तार ने इसकी समावेशिता और वैश्विक भलाई के एजेंडे को और मजबूत किया है। पीएम मोदी पिछले 4 महीनों में दूसरी बार रूस दौरे पर जा रहे हैं। इससे पहले वे जुलाई में भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। पीएम आज शाम को ब्रिक्स लीडर्स के साथ डिनर में शामिल होंगे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलेंगे। उनकी कई लीडर्स के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हो सकती है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी बुधवार को बिक्र्स की मीटिंग में हिस्सा लेंगे। यह दो सेशन में होगी। सबसे पहले सुबह क्लोज प्लेनरी यानी बंद कमरे में बातचीत होगी। इसके बाद शाम को ओपन प्लेनरी होगी। इस दौरान पीएम मोदी कई नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। *चीनी राष्ट्रपति से 2 साल बाद बातचीत संभव* ब्रिक्स समिट की साइडलाइन में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय ने कल ही बताया कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में पेट्रोलिंग को लेकर समझौते पर सहमति बन गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे में पीएम मोदी और जिनपिंग की बातचीत हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो 2 साल बाद दोनों नेता आपस में बातचीत करेंगे। दोनों के बीच आखिरी बार 2022 में इंडोनेशिया के बाली में जी20 समिट के दौरान मुलाकात हुई थी। हालांकि पिछले साल साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुई ब्रिक्स समिट में दोनों नेता शामिल हुए थे।
नरेंद्र मोदी का ईसाई समुदाय के साथ संबंध: क्रिसमस पर समावेशिता की ओर एक संदेश

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नरेंद्र मोदी का भारतीय ईसाई समुदाय के साथ एक जटिल संबंध है, जो उनके राजनीतिक कृत्यों, सार्वजनिक बयानों और उस व्यापक सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ से आकारित हुआ है, जिसमें वह कार्य करते हैं।

प्रारंभिक वर्ष और राजनीतिक करियर:

नरेंद्र मोदी, 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, कुछ ईसाई समूहों से आलोचना का सामना कर चुके हैं, विशेष रूप से 2002 के गुजरात दंगों के बाद। इन दंगों में व्यापक हिंसा हुई थी, जिसमें अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों और ईसाई समुदाय के खिलाफ साम्प्रदायिक हमलों का आरोप था। जबकि मोदी के नेतृत्व में दंगों के दौरान आलोचना हुई और यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंसा पर काबू पाने में लापरवाही बरती या इसमें उनकी सहमति थी, लेकिन अदालतों ने उन पर किसी तरह का दोष नहीं तय किया। हालांकि, उनके आलोचक यह मानते हैं कि उनकी भाजपा में उभरती हुई भूमिका हिंदू राष्ट्रीयता (हिंदुत्व) के विचारों से जुड़ी है, जिसे कुछ लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों, जैसे कि ईसाईयों, के लिए पूरी तरह समावेशी नहीं मानते।

प्रधानमंत्री बनने के बाद और धार्मिक समावेशिता:

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी ने एक ऐसे नेतृत्व की छवि पेश करने की कोशिश की है, जो भारत के सभी धार्मिक समुदायों, जिसमें ईसाई भी शामिल हैं, के लिए काम करता हो। उनके भाषणों में अक्सर एकता, विकास और धार्मिक सहिष्णुता की बातें होती हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कड़ी निंदा की है और क्रिसमस जैसे प्रमुख धार्मिक त्योहारों पर ईसाई समुदाय को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक संदेश भेजा था, जिसमें शांति, भाईचारे और प्रेम के महत्व पर जोर दिया गया था।

ईसाइयों से संबंधित नीतियाँ:

हालांकि उन्होंने समावेशिता की बात की है, मोदी के कार्यकाल में कुछ नीतियाँ ईसाई समूहों के बीच चिंताएँ पैदा कर चुकी हैं। कई राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में, धर्मांतरण को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाए गए हैं, जिन्हें कुछ ईसाई यह तर्क देते हैं कि यह उनके समुदाय और धर्म की स्वतंत्रता को असमान रूप से प्रभावित करता है।

 विभिन्न मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि कुछ ईसाई नेता यह महसूस करते हैं कि हिंदुत्व राजनीति की बढ़ती लोकप्रियता ने ऐसे दक्षिणपंथी समूहों को प्रोत्साहित किया है, जो ईसाई मिशनरी गतिविधियों और ग्रामीण क्षेत्रों में उनके कामकाज के खिलाफ आलोचना करते हैं।

नरेंद्र मोदी का ईसाई समुदाय के साथ संबंध बहुआयामी है। हालांकि उन्होंने राष्ट्रीय एकता का एक ऐसा दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हों, ईसाई समूहों द्वारा उठाए गए धार्मिक असहिष्णुता और कुछ राज्य सरकारों की नीतियों के खिलाफ चिंताएँ उनके समावेशिता के चित्रण के लिए एक चुनौती बनी हुई हैं। मोदी के विकास के दृष्टिकोण और उनके आलोचकों के धार्मिक अल्पसंख्यकों के हाशिए पर चले जाने के डर के बीच संतुलन, उनके नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण गतिशीलता बना हुआ है।

2024 के क्रिसमस गैदरिंग में शामिल हुए नरेंद्र मोदी , उन्होंने ईसाई भाइयों और बहनों को येसु के जन्मोत्सव की बधाई दी और साथ उनके ईसाई धर्म से उनके लगाव को भी साझा किया। 

अंबेडकर पर गृह मंत्री शाह से माफी मांगने पर अड़ी कांग्रेस को सीएम साय के सलाहकार पंकज झा ने दिखाया आइना

रायपुर-  आप में से कितनों को पता है कि कांग्रेस सरकार के समय एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तकों में कांग्रेस सरकार ने एक कार्टून प्रकाशित कराया था, जिसमें बाबा साहेब अंबेडकर को जवाहर लाल नेहरू कोड़े मार रहे थे. उस समय विभागीय मंत्री कपिल सिब्बल थे, और एनसीईआरटी के सलाहकार योगेन्द्र यादव थे. यह जानकारी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दी है.

संसद में गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर से जुड़े बयान पर कांग्रेस के माफी मांगे जाने के बीच मुख्यमंत्री साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने इस मुद्दे पर नई जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की है. उन्होंने कहा कि नेहरू द्वारा बाबा साहेब का जीते जी लगातार अपमान करने, मंत्रिमंडल से निकल जाने पर मजबूर करने आदि की बात तो इतिहास है ही, यह भी कांग्रेस का एक काला अध्याय है, जिसमें बच्चों को ऐसी भद्दी चीजें पढ़ायी गयी थी.

ऐसी जब आप बाबा साहेब के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है, तब कांग्रेस के ऐसे कुकृत्यों को याद रखा जाना चाहिये. ने पंचतीर्थ समेत अनेक ऐसे कार्य किए जिससे बाबा साहेब के स्मृति को उचित सम्मान मिला ही, उन्होंने लगातार वे तमाम कार्य किए जिससे वंचितों के उत्थान हेतु बाबा साहेब के देखे सपनों को साकार कर के उन्हें असली श्रद्धांजलि दी.

खुद-खुद को अंधों की रेबड़ी जैसा भारत रत्न दे-दे कर संविधान निर्माता को कोई सम्मान तक नहीं देने वाले गमले में पले लोग जब आज घड़ियाली आसूँ बहा रही है, तक कांग्रेस जैसी पार्टी के लिए कोई भी निकृष्ट शब्द कम ही पड़ेंगे! पुनश्च : वह कार्टून अपने पास है लेकिन लगा नहीं सकता. जो कार्टून कांग्रेस बच्चों को पढ़ा/दिखा रही थी, उसे हम यहां भी पोस्ट करना उचित नहीं समझ रहा. सोचिए जरा.

भारत-मॉरीशस संबंध: इतिहास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित दोस्ती

#indiamauritiusrelations

Narendra Modi with Mauritius President

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की जड़ें इतिहास, संस्कृति और आपसी हितों में गहरी हैं। भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित ये दो देश एक मजबूत, स्थायी साझेदारी के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो दशकों से निरंतर विकसित हो रही है। इन संबंधों की नींव साझा ऐतिहासिक अनुभवों, व्यापारिक हितों और सांस्कृतिक समानताओं पर आधारित है, जबकि वर्तमान में यह द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध

भारत और मॉरीशस का ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताबदी में शुरू हुआ, जब भारतीय श्रमिकों को ब्रिटिश साम्राज्य के तहत मॉरीशस में चीनी बागानों में काम करने के लिए लाया गया। आज मॉरीशस की अधिकांश जनसंख्या भारतीय मूल की है, और भारतीय संस्कृति ने इस द्वीप राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। मॉरीशस में हिंदी और भोजपुरी भाषाएं आम हैं, और भारतीय धार्मिक उत्सव जैसे दीवाली, महाशिवरात्रि और गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान निरंतर होता रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य, संगीत और साहित्य भी मॉरीशस की सांस्कृतिक धारा का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इस साझा सांस्कृतिक परंपरा ने दोनों देशों के बीच एक अनूठा और स्थायी संबंध स्थापित किया है।

कूटनीतिक संबंध और उच्च स्तरीय दौरे

1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद, भारत ने इस नए राष्ट्र को अपनी संप्रभुता की मान्यता दी और दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। भारत ने मॉरीशस के साथ कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई उच्चस्तरीय दौरे किए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत के शीर्ष नेताओं ने मॉरीशस का दौरा किया, और मॉरीशस के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने भी भारत की यात्रा की। इन दौरों का मुख्य उद्देश्य व्यापार, निवेश, रक्षा, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना रहा है। भारत और मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है, और दोनों देशों के बीच वैश्विक मंचों पर सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। दोनों देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा करते हैं।

आर्थिक और व्यापारिक सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक संबंध समय के साथ और मजबूत हुए हैं। मॉरीशस भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीकी बाजारों तक पहुँचने का एक प्रमुख हब बन गया है। भारत, बदले में, मॉरीशस को महत्वपूर्ण निवेश और व्यापार का स्रोत प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख क्षेत्र मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद, दवाइयाँ, वस्त्र, और चीनी के रूप में होता है।

भारत-मॉरीशस व्यापार के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ने अपने Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement (CECPA) के तहत मॉरीशस के साथ व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने माल और सेवाओं के व्यापार में तेजी लाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और व्यापारिक बाधाओं को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मॉरीशस को भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार और अफ्रीका में भारतीय निवेश का एक प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।

विकास सहयोग और तकनीकी सहायता

भारत ने हमेशा मॉरीशस की विकास यात्रा में मदद की है। भारत ने मॉरीशस को बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है। भारत ने मॉरीशस को लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) भी दिया है, जो कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिनमें बंदरगाह विकास, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और शहरी बुनियादी ढांचा शामिल हैं। भारत ने मॉरीशस में क्षमता निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया है। भारतीय विशेषज्ञों ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में मदद की है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप, मॉरीशस के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान भारत से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।

समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा सहयोग भी मजबूत हुआ है। दोनों देशों के पास साझा हित हैं – भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा बनाए रखना। भारत ने मॉरीशस को अपनी समुद्री निगरानी और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान किए हैं। भारतीय नौसेना मॉरीशस के बंदरगाहों पर नियमित रूप से आकर नौसैनिक अभ्यास करती है, और दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ रहा है।

भारत और मॉरीशस के बीच एक प्रमुख रक्षा सहयोग क्षेत्र संयुक्त समुद्री गश्त, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और आपदा राहत ऑपरेशंस है। दोनों देशों ने भारतीय महासागर में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अन्य खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाया है।

जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास

मॉरीशस, एक छोटे द्वीप राष्ट्र के रूप में, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से काफी प्रभावित हो सकता है। इसके मद्देनजर, भारत और मॉरीशस ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन जैसी पहलों में सहयोग किया है। भारत ने मॉरीशस को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है और दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

भारत और मॉरीशस ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया है और इस दिशा में कई सहयोगी योजनाओं को लागू किया है। 

चुनौतियाँ और तनाव के क्षेत्र

भारत और मॉरीशस के रिश्ते आम तौर पर सकारात्मक रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं। एक प्रमुख मुद्दा डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) था, जिसे कुछ आलोचकों ने भारत से निवेशों के रास्ते के रूप में देखा था, जिससे करों से बचने का अवसर मिलता था। हालांकि, भारत और मॉरीशस ने हाल के वर्षों में इस समझौते की शर्तों पर पुनर्विचार किया है और अब यह अधिक पारदर्शी और निवेशक मित्रवत है।

इसके अलावा, एक अन्य विवाद का मुद्दा चागोस द्वीपसमूह पर है। मॉरीशस ने इसे अपने क्षेत्र के रूप में दावा किया है, और भारत ने इस दावे का समर्थन किया है। भारत ने ब्रिटेन से द्वीपों की पुन: स्वामित्व को लेकर मॉरीशस के पक्ष में कड़ी स्थिति अपनाई है।

भारत-मॉरीशस संबंधों का भविष्य

भारत और मॉरीशस के रिश्तों का भविष्य और भी उज्जवल दिख रहा है। दोनों देशों के बीच CECPA और अन्य व्यापारिक समझौतों के तहत व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के नए अवसर खुलेंगे। भारत अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाता जा रहा है, और मॉरीशस के लिए यह एक प्रभावी सहयोगी के रूप में उभरने का अवसर है।

समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के रिश्ते और अधिक गहरे और व्यापक होंगे। भारत, एक बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में, मॉरीशस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा, और मॉरीशस के लिए भारत का समर्थन भारतीय महासागर में अपनी शक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

भारत और मॉरीशस के संबंध एक आदर्श साझेदारी का उदाहरण पेश करते हैं, जो पारस्परिक सहयोग, रणनीतिक दृष्टिकोण और साझा ऐतिहासिक बंधनों पर आधारित है। आने वाले वर्षों में ये दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, और भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देंगे।

 

370 అధికరణపై మోదీ స్ట్రాంగ్ వార్నింగ్

మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు.

జమ్మూకశ్మీర్‌ (Jammu and Kashmir)లో కేంద్రం రద్దు చేసిన 370వ అధికరణ (Article 370)ను దేశంలోని ఏ శక్తి పునరుద్ధరించ లేదని ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీ (Narendra Modi) తెగేసి చెప్పారు. కేంద్ర పాలిత ప్రాంతంలో (జమ్మూకశ్మీర్) కాంగ్రెస్ పార్టీ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ఓటర్లు గుర్తించాలని హెచ్చరించారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు. జమ్మూకశ్మీర్‌కు స్వయం ప్రతిపత్తిని కల్పించే 370వ అధికరణను తిరిగి పునరుద్ధరించాలంటూ రెండ్రోజుల క్రితం అక్కడి అధికార 'ఇండియా' కూటమి అసెంబ్లీలో తీర్మానం ఆమోదించిన నేపథ్యంలో మోదీ వ్యాఖ్యలు ప్రాధాన్యత సంతరించుకున్నాయి.

జమ్మూకశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ప్రజలు అవగాహన చేసుకోవాలని, 370వ అధికరణపై అక్కడి అసెంబ్లీ చేసిన తీర్మానాన్ని దేశం అంగీకరించిందని అన్నారు. ఏ శక్తి కూడా ఆ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని స్పష్టం చేశారు. 370వ అధికరణకు మద్దతుగా అసెంబ్లీ వెలుపల బ్యానర్లు పెట్టారు. ఆ అధికరణను పునరుద్ధరించాలంటూ కాంగ్రెస్ కూటమి ఒక తీర్మానాన్ని ఆమోదించింది.. దీనిని దేశ ప్రజలు ఆమోదిస్తారా? ఈ ప్రయత్నాన్ని అడ్డుకునేందుకు బీజేపీ ఎమ్మెల్యేలు శక్తవంచన లేకుండా నిరసన తెలిపినప్పటికీ వారిని అసెంబ్లీ నుంచి బయటకు పంపించేశారు. కాంగ్రెస్ కూటమి నిజస్వరూపం ఏమిటో యావద్దేశం అవగాహన చేసుకోవాలి'' అని మోదీ అన్నారు.

370వ అధికరణను పునరుద్ధరించేందుకు దేశ ప్రజలు అంగీకరించరని, కశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ పార్టీ ఆటలు మోదీ ఉన్నంత వరకూ సాగవని ప్రధాని అన్నారు. బీమ్‌రావ్ అంబేద్కర్ రాజ్యాంగం మాత్రమే అక్కడ నడుస్తుందని, ఏ శక్తీ 370వ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని మరోసారి ఆయన స్పష్టం చేశారు. విపక్ష సభ్యలు తీవ్ర ప్రతిఘటన, నిరసనల మధ్య జమ్మూకశ్మీర్ అసెంబ్లీలో 370వ అధికరణను పునరుద్ధరించే తీర్మానాన్ని గత శుక్రవారంనాడు మూజువాణి ఓటుతో ఆమోదించారు.

चार दिवसीय छठ पर्व की आप सभी को ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं•••
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भारत देश के वर्तमान पीएम श्री #नरेंद्र मोदी और सामने बिहार के लोकप्रिय #पत्रकार सह भाजपा नेता #मनीष कश्यप Narendra Modi Manish Kasyap Chandan Singh तस्वीर आपको कैसा लगा कमेंट कर जरूर बताइएगा फोटो श्रे - मनीष कश्यप का फेसबुक पेज।।
ఎక్స్‌లో సీఎం రేవంత్ సంచలన పోస్ట్

ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీని ఉద్దేశించి ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డి ఎక్స్‌ వేదికగా సంచలన పోస్ట్‌ చేశారు. ఈ సందర్భంగా ప్రధానికి సీఎం స్ట్రాంగ్ కౌంటర్ ఇచ్చారు. ప్రియమైన మోదీ జీ అంటూ తమరు చేసిన అవాస్తవాలపై స్పష్టత ఇస్తున్నందుకు సంతోషంగా ఉందని అన్నారు.

ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీకి (PM Narendra Modi) ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డి (CM Revanth Reddy) స్ట్రాంగ్ కౌంటర్ ఇచ్చారు. ఎక్స్‌ వేదికగా స్పందించిన సీఎం.. తెలంగాణ రాష్ట్రంపై కేంద్రం చేసిన వ్యాఖ్యలపై ధీటైన సమాధానం ఇచ్చారు. కేంద్రం చేసిన అవాస్తవాలపై స్పష్టత ఇస్తున్నందుకు సంతోషంగా ఉందన్నారు. కాంగ్రెస్ హయాంలో చీకట్లను తరిమేసి వెలుగులు నింపామని తెలిపారు. ఉచిత బస్సు ప్రయాణం, రైతు భరోసా, రుణమాఫీ, తక్కువ ధరకే గ్యాస్ సిలిండర్ ఇలా తదితర అంశాలను వివరిస్తూ ఎక్స్‌‌లో పోస్టు చేశారు సీఎం. కాంగ్రెస్ పాలనలో రాష్ట్రంలో ఆనందం వెల్లువిరుస్తోందన్నారు. ముఖ్యమంత్రిగా బాధ్యతలు స్వీకరించిన 48 గంటల్లోనే రెండు వాగ్దానాలను నెరవేర్చామని.. 11 నెలల్లోనే దాదాపు 50వేల మంది యువతకు ఉద్యోగాలు కల్పించామని సీఎం రేవంత్ ఎక్స్‌లో పోస్టు చేశారు.

ప్రియమైన నరేంద్ర మోదీ జీ. నా రాష్ట్రం, నా ప్రభుత్వం గురించి మీరు చేసిన ప్రకటనలలో అనేక అపోహలు, అవాస్తవాలపై స్పష్టత ఇవ్వడానికి నేను సంతోషిస్తున్నాను. డిసెంబర్ 7, 2023 నుంచి తెలంగాణలో కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం ప్రమాణ స్వీకారం చేసినప్పటి నుంచి రాష్ట్రంలో ఆనందం ఆశలు వెల్లువెత్తాయి. దశాబ్దం బీఆర్‌ఎస్ దుష్పరిపాలన పోయి ప్రజల్లో సంతోషం వెల్లివిరిసిందన్నారు. బాధ్యతలు స్వీకరించిన రెండు రోజుల్లోనే, తెలంగాణ ప్రభుత్వం మొదటి, రెండవ వాగ్దానాన్ని నెరవేర్చింది. అన్ని టీజీఎస్‌ఆర్టీసీ బస్సులలో మహిళలకు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం, రాజీవ్ ఆరోగ్యశ్రీ కింద 10 లక్షల ఆరోగ్య సంరక్షణ, ఆసుపత్రి కవరేజీని విడుదల చేసింది. గత 11 నెలల్లో తెలంగాణాలోని సోదరీమణులు, తల్లులు ఒక్క రూపాయి కూడా చెల్లించకుండా ప్రయాణించారు. రాష్ట్రవ్యాప్తంగా 101 కోట్ల మంది మహిళలు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం చేశారు. ఒక సంవత్సరంలో మహిళలకు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం కోసం 3,433.36 కోట్లు ఖర్చు చేశాం. మా మొదటి సంవత్సరం పూర్తి కాకముందే, మేము రైతులకి భరోసా ఇస్తూ రైతు రుణమాఫీని అమలు చేశాం. 22 లక్షల 22 వేల మంది రైతులు (22,22,365) ఇప్పుడు ఎలాంటి రుణం లేకుండా, రాజులా జీవిస్తున్నారు. రూ. 2,00,000 వరకు రైతుల రుణాలన్నీ మాఫీ చేయబడ్డాయి. 25 రోజుల్లో 18 వేల కోట్ల రూపాయలను రైతుల ఖాతాల్లో జమ చేశాం’’ అని సీఎం చెప్పుకొచ్చారు.

ఇళ్లకు 200 యూనిట్ల వరకు గృహ విద్యుత్ ఛార్జీ లేకుండా ఉచిత విద్యుత్ అందిస్తున్నాం. దీంతో మహిళలు మమ్మల్ని ఆశీర్వదిస్తున్నారు. బీజేపీ పాలిత రాష్ట్రాల్లో గ్యాస్‌ సిలిండర్‌ ధరలు ఎక్కువగా ఉంటే, కాంగ్రెస్‌ అధికారంలో ఉన్న తెలంగాణలో కేవలం రూ.500 కే సిలిండర్‌ లభిస్తుండడం పట్ల వారు హర్షం వ్యక్తం చేస్తున్నారు. మా హయాంలో ఇప్పటివరకు 1.31 కోట్లకు పైగా గ్యాస్ సిలిండర్ రీఫిల్‌లు జరిగాయి. 42,90,246 మంది లబ్ధిపొంది ఆనందం వ్యక్తం చేస్తున్నారు. యువత కోసం ఉద్యోగ నియామకాలను చేపట్టాం. కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం అత్యధిక రిక్రూట్‌మెంట్ డ్రైవ్‌ను నిర్వహించింది. అన్ని స్థాయిల పరీక్షలను క్రమం తప్పకుండా నిర్వహిస్తోంది. గ్రూప్ 1, 2, 3, 4 పరీక్షలను 11 నెలల కంటే తక్కువ సమయంలో నిర్వహించి, కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం 50,000 మంది అర్హులైన యువతకు ఉద్యోగాలు కల్పించింది. ఇది ఏ బీజేపీ రాష్ట్ర ప్రభుత్వం చేయని రికార్డు. గత బీఆర్‌ఎస్ ప్రభుత్వం దశాబ్ద కాలంగా పాఠశాల విద్యార్థులను విస్మరించింది. దశాబ్దం తర్వాత సంక్షేమ హాస్టళ్లలో పేద పిల్లలకు మెస్, కాస్మోటిక్ చార్జీలను 40 శాతానికి పైగా పెంచాం. గతంలో నిర్లక్ష్యానికి గురైన మూసీ నదిని శుభ్రం చేసి పునర్వైభవం తీసుకొస్తున్నాం. గత 10 ఏళ్లలో ఆక్రమణలకు గురై, ధ్వంసం చేసిన మా సరస్సులు, నాలాలు విలువైన నీటి వనరులను కూడా మేము పరిరక్షిస్తున్నాం.

కాంగ్రెస్ అధికారంలోకి వచ్చినప్పటి నుంచి ఒక్క అంగుళం సరస్సు కూడా ఆక్రమణకు గురికాలేదు. అలాగే మేము ఫ్యూచర్ సిటీని రూపొందిస్తున్నాం. మాస్టర్‌ప్లాన్ ఖరారు చేయబడుతోంది. మేము యంగ్ ఇండియా స్కిల్స్ యూనివర్శిటీ, YI స్పోర్ట్స్ యూనివర్శిటీ, YI ఇంటిగ్రేటెడ్ రెసిడెన్షియల్ పాఠశాలల కోసం బాల్ రోలింగ్‌ను సెట్ చేశాం. గత 11 నెలల్లో మేము తెలంగాణలో చీకట్లను పారద్రోలి వెలుగులను నింపాం’’ అని రేవంత్‌ రెడ్డి ఎక్స్‌లో పోస్టు చేశారు.

सेना की वर्दी में दिखे पीएम मोदी, कच्छ में जवानों के साथ मनाई दिवाली, अपने हाथों से खिलाई मिठाई

#pmnarendramodicelebratesdiwaliwithjawansinkachchh

हर साल की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों के साथ दिवाली मनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 31 अक्टूबर को गुजरात के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने सरदार पटेल की मूर्ति के सामने से देश को एकता का संदेश दिया। वहीं, सीमा पर देश की सरहदों की रक्षा करने वाले जवानों के पास भी पहुंचे। पीएम मोदी गुजरता के कच्छ पहुंचे और जवानो के साथ दिवाली सेलिब्रेट किया और सैनिकों को मिठाई खिलाई।

देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में दिवाली पर्व की धूम दिखाई दे रही है। वहीं, सेना के जवान इस पावन त्योहार पर भी सीमा पर देश की रक्षा में तैनात हैं और मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के कच्छ पहुंचे। यहां उन्होंने दिवाली का पर्व सैनिकों के साथ मनाया। अपने हाथों से जवानों को मिठाई खिलाई। पीएम मोदी ने जवानों की हौसला आफजाई की।

पीएम मोदी ने पहली बार जवानों के साथ दिवाली नहीं मनाई है। पीएम मोदी ने जब से देश की सत्ता संभाली है वे हर बार दिवाली का त्योहार सेना के जवानों संग ही मनाते हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने हिमाचल प्रदेश के लेपचा में जवानों संग दिवाली मनाई थी। वहीं, 2022 में पीएम मोदी ने कारगिल में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी। इस दौरान उन्होंने 1999 कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। पीएम मोदी इस साल लगातार 11वीं बार जवानों के साथ दिवाली मनाई है।

अब तक कहां-कहां दिवाली मना चुके हैं पीएम मोदी

• साल 2014: पीएम मोदी ने सियाचिन में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2015: पाकिस्तान की सीमा (पंजाब बॉर्डर) पर जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2016: हिमाचल प्रदेश में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2017: जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में जवानों के साथ दिवाली सेलिब्रेट की थी।

• साल 2018: पीएम मोदी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में आइटीबीपी के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2019: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2020 में राजस्थान के जैसलमेर में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2021: जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जवानों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2022: पीएम मोदी ने कारगिल में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।

• साल 2023: हिमाचल प्रदेश के लेपचा में जवानों संग दिवाली मनाई थी।

जर्मनी ने भारत के लिए खोल दिया पिटारा, रोजगार और तकनीकी के क्षेत्र में किए समझौते*
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जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत दौरे पर हैं, वह 7वें 'इंटरगवर्नमेंटल कंसल्टेशंस' में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार की शाम नई दिल्ली पहुंचे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से दिल्ली में मुलाकात की।इस दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान प्रदान किया। इनमें नवाचार व प्रौद्योगिकी पर रोडमैड, रोजगार और श्रम क्षेत्र के एमओयू शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर से कहा, 'मैं जर्मनी और भारत के सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) में आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता हूं। यह आपका तीसरा भारत दौरा है। सौभाग्य से यह मेरे तीसरे कार्यकाल की पहली आईजीसी है। एक तरह से यह हमारी दोस्ती का ट्रिपल सेलिब्रेशन है। हमने 2022 में बर्लिन में आखिरी आईजीसी में अपने द्विपक्षीय सहयोग पर महत्वपूर्ण फैसले लिए। दो वर्षों में हमारे रणनीतिक संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहजनक प्रगति हुई है। रक्षा, प्रौद्योगिकी, उर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में बढ़ता सहयोगी आप आपसी भरोसा सहयोग का प्रतीक बन गया है।' प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। ऐसे समय में भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत आधार बनकर उभरी है। यह लेन-देन के संबंध नहीं हैं, बल्कि यह दो सक्षम और सशक्त लोकतंत्रों की परिवर्तनकारी साझेदारी है। इस संबंध में, हम आपकी ओर से जारी 'फोकस ऑन इंडिया' रणनीति का स्वागत करते हैं। मुझे खुशी है कि अपनी साझेदारी को विस्तार देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए हम कई नई और महत्वपूर्ण पहलें कर रहे हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने जर्मनी के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्योता दिया। उन्होंने कहा, 'निवेश के लिए भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है और देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने का यह सही समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना, ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल में शामिल होने का यह ‘सही’ समय है। यह दौरा जर्मनी के लिए एक नाजुक समय पर हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। वह लगातार दूसरे साल गिरावट का सामना कर रही है। यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच व्यापार विवाद जर्मन कंपनियों के लिए एक और चिंता का विषय है।2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले सस्ती रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण जर्मनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से जर्मनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
शांति से हो हर समस्या का समाधान', कजान में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले पीएम मोदी

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए मंगलवार को रूस पहुंच गए हैं। कजान पहुंचने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का औपचारिक तौर पर स्वागत किया। राष्ट्रपति पुतिन ने इस दौरान पीएम मोदी से कहा कि हमारे संबंध बहुत पुराने हैं। उन्होंने भारत और रूस को ब्रिक्स के मूल सदस्य देश बताया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने स्वागत के लिए पुतिन का धन्यवाद किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं आपकी (पुतिन) मित्रता और गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। इस शहर के साथ भारत के गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। कजान में भारत के नए कांसुलेट खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे। पिछले 3 महीनों में मेरा दो बार रूस आना हमारे करीबी समन्वय और गहरी मित्रता को दर्शाता है।

शांति से हो रूस-यूक्रेन के संघर्ष का समाधान- पीएम मोदी

मोदी ने पुतिन के सामने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर लगातार आपके संपर्क में रहा हूं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। हम शांति और स्थिरता की जल्द स्थापना का पूरा समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयासों में मानवता को प्राथमिकता दी जाती है। भारत आने वाले समय में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

पुतिन ने क्या कहा

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मुझे याद है कि जुलाई में हमारी मुलाकात हुई थी और कई मुद्दों पर हमारी बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। हम कई बार टेलीफोन पर भी बात कर चुके हैं। कजान आने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। आज हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे और उसके बाद रात्रिभोज करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य नेताओं के साथ मिलकर हमें कुछ बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली है। हमारी परियोजनाएं लगातार विकसित हो रही हैं। आपने कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है। हम इसका स्वागत करते हैं। भारत की नीतियों से हमारे सहयोग को फायदा होगा। हमें आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुशी हुई।

ब्रिक्स सम्मेलन के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, जानें शेड्यूल*
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस रवाना हो चुके हैं।प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22-23 अक्तूबर को रूस की यात्रा करेंगे। यहां मेजबान रूस की अध्यक्षता में 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। कज़ान में आयोजित ब्रिक्स देशों के सम्मेलन के अलावा पीएम मोदी कज़ान आने वाले ब्रिक्स सदस्य देशों और अन्य आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं। रूस के कज़ान में आयोजित दो दिन के इस सम्मेलन में अगर पूरी दुनिया की अगर किसी पर नजर है तो वो हैं तीन देश। इनमें भारत, चीन और रूस शामिल हैं। पीएम मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने रूस जा रहे हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि रूस में शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात हो सकती है। पीएम मोदी ने रूस यात्रा पर रवाना होने से पहले कहा कि भारत और रूस के संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कजान की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहा हूं। भारत ब्रिक्स के भीतर घनिष्ठ सहयोग को महत्व देता है जो वैश्विक विकास एजेंडा, सुधारित बहुपक्षवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, बिल्डिंग रिजिलियंट सप्लाई चेन, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने से संबंधित मुद्दों पर संवाद और चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। पिछले साल नए सदस्यों को जोड़ने के साथ ब्रिक्स के विस्तार ने इसकी समावेशिता और वैश्विक भलाई के एजेंडे को और मजबूत किया है। पीएम मोदी पिछले 4 महीनों में दूसरी बार रूस दौरे पर जा रहे हैं। इससे पहले वे जुलाई में भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। पीएम आज शाम को ब्रिक्स लीडर्स के साथ डिनर में शामिल होंगे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलेंगे। उनकी कई लीडर्स के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हो सकती है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी बुधवार को बिक्र्स की मीटिंग में हिस्सा लेंगे। यह दो सेशन में होगी। सबसे पहले सुबह क्लोज प्लेनरी यानी बंद कमरे में बातचीत होगी। इसके बाद शाम को ओपन प्लेनरी होगी। इस दौरान पीएम मोदी कई नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। *चीनी राष्ट्रपति से 2 साल बाद बातचीत संभव* ब्रिक्स समिट की साइडलाइन में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय ने कल ही बताया कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में पेट्रोलिंग को लेकर समझौते पर सहमति बन गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे में पीएम मोदी और जिनपिंग की बातचीत हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो 2 साल बाद दोनों नेता आपस में बातचीत करेंगे। दोनों के बीच आखिरी बार 2022 में इंडोनेशिया के बाली में जी20 समिट के दौरान मुलाकात हुई थी। हालांकि पिछले साल साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुई ब्रिक्स समिट में दोनों नेता शामिल हुए थे।