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झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी पर केंद्रीय नेतृत्व सख्त: राहुल गांधी से मिलेंगे प्रदेश अध्यक्ष और विधायक

नई दिल्ली: झारखंड कांग्रेस (Jharkhand Congress) में जारी अंदरूनी कलह और गुटबाजी पर केंद्रीय नेतृत्व ने कड़ा रुख अपना लिया है। पार्टी की सर्वोच्च कमान ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) समेत राज्य के सभी विधायकों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तलब किया है। यह महत्वपूर्ण कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब झारखंड में कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और आगामी चुनावों को देखते हुए पार्टी में एकजुटता बेहद आवश्यक मानी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, झारखंड के कांग्रेस नेता और विधायक आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात करेंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश इकाई में व्याप्त मतभेदों को सुलझाना और पार्टी के भीतर एकजुटता स्थापित करना है। लंबे समय से झारखंड कांग्रेस के भीतर विभिन्न गुटों के बीच खींचतान की खबरें आ रही हैं, जिससे पार्टी की छवि और कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। केंद्रीय नेतृत्व इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है और वह चाहता है कि प्रदेश इकाई मिलकर काम करे।

यह बैठक सिर्फ गुटबाजी को खत्म करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसमें राज्य में पार्टी की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, संगठन को मजबूत करने के उपाय और आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनावों की रणनीतियों पर भी गहन चर्चा होने की उम्मीद है। राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से सभी नेताओं से संवाद कर उनकी चिंताओं को समझेंगे और उन्हें पार्टी हित में एकजुट होकर काम करने का संदेश देंगे।

झारखंड कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं। इस बैठक से पहले प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह एक सामान्य संगठनात्मक बैठक है और इसमें प्रदेश के मुद्दों पर चर्चा होगी। हालांकि, अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व विशेष रूप से गुटबाजी को लेकर चिंतित है और वह नहीं चाहता कि इसका असर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर पड़े।

हाल के दिनों में, झारखंड कांग्रेस के भीतर कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से मतभेद सामने आए हैं, जिससे पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ी है। इस बैठक को केंद्रीय नेतृत्व की ओर से एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि पार्टी में अनुशासनहीनता और गुटबाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देखना यह है कि राहुल गांधी के साथ इस बैठक के बाद झारखंड कांग्रेस में कितनी एकजुटता आ पाती है और क्या पार्टी राज्य में अपनी स्थिति को और मजबूत कर पाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रघुवर दास की मुलाकात से झारखंड भाजपा में अटकलें तेज़

रांची, झारखंड: हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बीच हुई मुलाकात ने राज्य की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस बैठक को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे आगामी संगठनात्मक परिवर्तनों को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं।

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भाजपा झारखंड में अपनी संगठनात्मक स्थिति को मजबूत करने पर विचार कर रही है, विशेषकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए। वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी हैं, और उनके नेतृत्व में पार्टी ने हाल के चुनावों में मिश्रित परिणाम देखे हैं। ऐसे में, शाह और दास की बैठक को नेतृत्व परिवर्तन की संभावना के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

रघुवर दास झारखंड में भाजपा के एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया है। उनकी प्रशासनिक क्षमता और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए, कुछ राजनीतिक विश्लेषक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार मान रहे हैं। हालांकि, पार्टी के भीतर और भी कई नाम चर्चा में हैं, जिनमें वर्तमान अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का नाम भी शामिल है, अगर पार्टी उन्हें ही पद पर बरकरार रखने का फैसला करती है।

इस मुलाकात के बाद से, झारखंड भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। पार्टी आलाकमान का निर्णय राज्य में भाजपा की आगामी रणनीति और चुनावी तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमित शाह और पार्टी नेतृत्व झारखंड के लिए किस चेहरे पर भरोसा जताते हैं, जो न केवल पार्टी को एकजुट रख सके, बल्कि विपक्षी गठबंधन का प्रभावी ढंग से मुकाबला भी कर सके।

झारखंड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी: मंडल अध्यक्षों की घोषणा जल्द संभावित

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का इंतजार अभी भी जारी है, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच उत्सुकता बनी हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति में फिलहाल और समय लग सकता है।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा से पहले संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी कड़ी में, अगले सप्ताह तक राज्य के सभी 519 मंडल अध्यक्षों की घोषणा होने की प्रबल संभावना है। यह कदम जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद ही जिलाध्यक्षों के गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह एक चरणबद्ध प्रक्रिया है जिसमें मंडल स्तर पर नेतृत्व स्थापित होने के बाद ही जिला स्तर पर पदाधिकारियों का चुनाव किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में समय लगने के कारण प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में विलंब हो रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा आलाकमान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। आगामी चुनावों को देखते हुए एक ऐसे मजबूत और प्रभावी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो पार्टी को एकजुट रख सके और चुनावी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो। विभिन्न नामों पर विचार-विमर्श जारी है, लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को ही लेना है।

पार्टी के भीतर यह भी चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही नई टीम का गठन भी होगा, जिसमें युवा और अनुभवी दोनों तरह के नेताओं को जगह मिल सकती है। फिलहाल, सभी की निगाहें मंडल अध्यक्षों की घोषणा पर टिकी हैं, जिसके बाद ही जिलाध्यक्षों और अंततः प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का रास्ता साफ हो पाएगा। यह पूरी प्रक्रिया झारखंड में भाजपा की चुनावी रणनीति और भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

झारखंड के 10 जिलों में आज भारी बारिश का 'येलो' अलर्ट: जनजीवन पर पड़ सकता है असर

रांची, झारखंड: झारखंड में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का दौर जारी रहने वाला है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हो सकता है। रांची मौसम विज्ञान केंद्र ने 10 जिलों के लिए 'येलो' अलर्ट जारी किया है, जिसमें व्यापक वर्षा की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के उप निदेशक अभिषेक आनंद ने पुष्टि की है कि 17 जुलाई तक एक अवदाब (depression) और मानसूनी गर्त (monsoon trough) के प्रभाव से राज्य भर में अच्छी बारिश देखने को मिलेगी।

किन जिलों पर है अलर्ट?

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, जिन 10 जिलों में भारी बारिश का 'येलो' अलर्ट जारी किया गया है, उनमें मुख्य रूप से दक्षिणी और मध्य झारखंड के जिले शामिल हैं। इन जिलों में रहने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। हालांकि, सटीक जिलों के नाम का उल्लेख विज्ञप्ति में नहीं किया गया है, आमतौर पर ऐसे अलर्ट में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, लोहरदगा, लातेहार और रामगढ़ जैसे जिले शामिल होते हैं, जहां मॉनसून के दौरान भारी बारिश की संभावना अधिक होती है।

क्या है 'येलो' अलर्ट का मतलब?

'येलो' अलर्ट मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली चेतावनियों में से एक है। इसका मतलब है कि मौसम में कुछ अप्रत्याशित बदलाव हो सकते हैं, जिससे स्थितियां सामान्य से थोड़ी खराब हो सकती हैं, लेकिन तुरंत कोई बड़ा खतरा नहीं है। यह लोगों को सतर्क रहने और संभावित जोखिमों के लिए तैयार रहने की सलाह देता है। 'येलो' अलर्ट के दौरान, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को भी तैयार रहने को कहा जाता है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

क्यों हो रही है इतनी बारिश?

अभिषेक आनंद ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बने एक अवदाब और सामान्य मॉनसूनी गर्त के कारण झारखंड में नमी वाली हवाएं तेजी से आ रही हैं। यह अवदाब निम्न दबाव का एक क्षेत्र होता है जो नमी को अपनी ओर खींचता है और व्यापक वर्षा का कारण बनता है। इसके साथ ही, मॉनसूनी गर्त की सक्रियता भी बारिश को बढ़ावा दे रही है। इन दोनों मौसमी प्रणालियों के संयुक्त प्रभाव से ही राज्य में लगातार और तेज बारिश हो रही है, और यह स्थिति 17 जुलाई तक बनी रहेगी।

संभावित प्रभाव और सावधानियां

भारी बारिश के कारण कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शहरी इलाकों में जलजमाव की स्थिति बन सकती है, जिससे यातायात बाधित हो सकता है। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ने की संभावना है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में कटाव और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है, खासकर पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों में।

लोगों को सलाह दी जाती है कि वे:

घरों से तभी निकलें जब बहुत जरूरी हो।

जलभराव वाले इलाकों से दूर रहें।

बिजली के खंभों और तारों से दूरी बनाए रखें।

नदियों और नालों के पास जाने से बचें।

मकानों या पेड़ों के नीचे आश्रय लेने से बचें, जहां भूस्खलन या पेड़ गिरने का खतरा हो।

अपने मोबाइल फोन और आवश्यक सामान को सूखा रखें।

आपातकालीन सेवाओं के संपर्क में रहें।

स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर हैं और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं।

आगे क्या?

मौसम विभाग ने 17 जुलाई के बाद बारिश की तीव्रता में कुछ कमी आने की उम्मीद जताई है, लेकिन मॉनसून के सक्रिय रहने से रुक-रुक कर बारिश जारी रह सकती है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट और स्थानीय समाचार चैनलों से अपडेटेड जानकारी लेते रहें। यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोग सतर्क रहें और सुरक्षित रहें।

झारखंड में डेंगू और चिकनगुनिया का बढ़ता खतरा, दो जिलों में जापानी बुखार की दस्तक

झारखंड इस समय मानसून के मौसम से जूझ रहा है, और इसके साथ ही मच्छर जनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 16 जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं, जो चिंता का विषय है। इसके अलावा, दो जिलों में जापानी बुखार (Japanese Encephalitis) के मामले भी दर्ज किए गए हैं, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता को और बढ़ा दिया है।

डेंगू और चिकनगुनिया, दोनों ही एडीस मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारियाँ हैं, जो आमतौर पर दिन के समय सक्रिय होते हैं। इन बीमारियों के लक्षणों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और आँखों के पीछे दर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में, डेंगू हेमरेजिक बुखार (Dengue Hemorrhagic Fever) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) जैसी जटिलताएँ भी विकसित हो सकती हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं। चिकनगुनिया आमतौर पर जानलेवा नहीं होता, लेकिन इसके कारण होने वाला जोड़ों का दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है।

जिन 16 जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं, उनमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र शामिल हैं। यह दर्शाता है कि इन बीमारियों का प्रसार व्यापक है और इन पर तत्काल नियंत्रण पाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग ने इन जिलों में सक्रिय निगरानी और जागरूकता अभियान तेज कर दिए हैं। स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर फॉगिंग और लार्वा नियंत्रण के उपाय किए जा रहे हैं।

विशेष रूप से चिंताजनक बात यह है कि राज्य के दो जिलों में जापानी बुखार के मामले भी सामने आए हैं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर से फैलती है और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है, जिससे गंभीर तंत्रिका संबंधी समस्याएँ और मृत्यु भी हो सकती है। जापानी बुखार के लक्षण तीव्र बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, दौरे और कोमा तक हो सकते हैं। इन दो जिलों में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष टीमों का गठन किया है ताकि बीमारी के प्रसार को रोका जा सके और प्रभावित व्यक्तियों को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जनता से अपील की है कि वे इन बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक सावधानी बरतें। इसमें अपने घरों और आसपास के इलाकों में पानी जमा न होने देना, कूलर, गमलों और अन्य बर्तनों से पानी को नियमित रूप से खाली करना, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना, पूरी बाजू के कपड़े पहनना और मच्छर भगाने वाले स्प्रे का उपयोग करना शामिल है। किसी भी तरह के बुखार या बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है।

सरकार ने इन बीमारियों के प्रसार को रोकने और प्रभावितों को उचित उपचार प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता ही इन बीमारियों से प्रभावी ढंग से लड़ने की कुंजी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में पुलों की कमी, पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने सरकार से की हस्तक्षेप की अपील

रांची, झारखंड: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में पुलों के अभाव के कारण आम जनता को हो रही भारी परेशानियों के मद्देनजर, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से अविलंब इस समस्या पर ध्यान देने और आवश्यक पुलों के निर्माण की अपील की है। मरांडी ने इस बात पर जोर दिया कि कई क्षेत्रों में, खासकर मानसून के दौरान, पुलों की कमी ग्रामीणों के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाती है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बाधित होती है।

झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां भौगोलिक विविधता और कई नदियाँ और नाले हैं। इन प्राकृतिक बाधाओं को पार करने के लिए पुलों का होना अत्यंत आवश्यक है। हालांकि, कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग इन जलधाराओं को पार करने के लिए अस्थायी और असुरक्षित तरीकों पर निर्भर हैं।

बारिश के मौसम में, जब नदियाँ और नाले उफान पर होते हैं, तो कई गाँव शेष दुनिया से कट जाते हैं। इससे न केवल बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत होती है, बल्कि बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने या आपातकालीन सेवाओं तक पहुंचने में भी बड़ी बाधा आती है। किसानों को अपनी उपज मंडियों तक ले जाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ता है।

बाबूलाल मरांडी ने सरकार से आग्रह किया है कि वह ग्रामीण विकास योजनाओं के तहत पुल निर्माण को प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विकास का मुद्दा नहीं है, बल्कि ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता और सुरक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है। मरांडी ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों की पहचान करने की बात कही है जहां पुलों की तत्काल आवश्यकता है और वहां प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कार्य शुरू करने का सुझाव दिया।

ग्रामीण क्षेत्रों में पुलों का निर्माण न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। यह गांवों को शहरी केंद्रों से जोड़ेगा, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी और ग्रामीणों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री की यह अपील ऐसे समय में आई है जब राज्य सरकार ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जता रही है। यह देखना होगा कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्रवाई करती है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को राहत मिल सके।

पलामू में चतुर्थवर्गीय पदों पर सीधी भर्ती नहीं, अब लिखित परीक्षा से होगी नियुक्ति

पलामू, झारखंड: झारखंड सरकार ने चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब पलामू जिले में चतुर्थवर्गीय पदों पर सीधी भर्ती नहीं होगी, बल्कि इन पदों पर नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसके बाद अब यह नई व्यवस्था जल्द ही लागू होने की उम्मीद है।

यह निर्णय सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता और योग्यता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। अभी तक चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति कई बार सीधी भर्ती या साक्षात्कार के माध्यम से होती थी, जिससे कई तरह की अनियमितताओं और पक्षपात की शिकायतें सामने आती थीं। नई व्यवस्था के तहत, एक लिखित परीक्षा के माध्यम से उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता, सामान्य ज्ञान और अन्य प्रासंगिक कौशल का मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित हो सकेगा।

इस बदलाव से न केवल भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता आएगी, बल्कि उन मेहनती और मेधावी युवाओं को भी समान अवसर मिलेंगे जो इन पदों पर नियुक्त होने की आकांक्षा रखते हैं। सरकार का मानना है कि लिखित परीक्षा प्रणाली से योग्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलेगी और सरकारी विभागों में बेहतर कार्यबल तैयार होगा।

इस निर्णय का पलामू जिले के युवाओं और विभिन्न छात्र संगठनों ने स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह कदम रोजगार के अवसरों में समानता लाएगा और भर्ती प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय बनाएगा। हालांकि, अभी तक परीक्षा के विस्तृत पाठ्यक्रम, पैटर्न और अन्य नियमों पर जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी। यह बदलाव झारखंड में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में एक नई दिशा का संकेत देता है, जहां योग्यता को सर्वोपरि रखा जाएगा।

झारखंड में धान के फसल क्षेत्र में भारी गिरावट: 36% की अप्रत्याशित कमी

रांची, झारखंड: सांख्यिकी निदेशालय (Directorate of Statistics) की हालिया रिपोर्ट ने झारखंड के कृषि परिदृश्य के लिए चिंताजनक तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अनाजों के कुल फसल क्षेत्र में चौंका देने वाली 36% की कमी दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण धान की खेती वाले क्षेत्र में आई भारी गिरावट है। यह अप्रत्याशित कमी राज्य के किसानों और खाद्य सुरक्षा दोनों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर सकती है।

झारखंड, जो अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, में धान खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है और लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। फसल क्षेत्र में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिनमें अनियमित मानसून, सूखे की स्थिति, सिंचाई सुविधाओं की कमी, या किसानों का वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करना शामिल है।

इस कमी का सीधा असर राज्य के कुल कृषि उत्पादन पर पड़ेगा, जिससे खाद्य सुरक्षा पर दबाव बढ़ने की आशंका है। इसके अलावा, धान पर निर्भर किसानों की आय भी प्रभावित होगी, जो पहले से ही कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार और कृषि विभाग के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वे इस समस्या की तह तक जाएं और किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए सिंचाई परियोजनाओं को मजबूत करना, किसानों को उन्नत बीज और कृषि तकनीकों तक पहुंच प्रदान करना, और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना जैसे उपायों पर जोर देना होगा। इस रिपोर्ट ने झारखंड में कृषि क्षेत्र के सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों को उजागर किया है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

झारखंड में भारी बारिश और अचानक बाढ़ का अलर्ट जारी

झा. डेस्क

रांची : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने झारखंड के कई जिलों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे राज्य में अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। यह चेतावनी राज्य के 19 जिलों के लिए है, जहाँ अत्यधिक वर्षा के कारण जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है।

IMD के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, झारखंड के विभिन्न हिस्सों में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान भारी बारिश हो सकती है। विशेष रूप से निचले इलाकों और नदी-नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग ने अचानक बाढ़ की संभावना को देखते हुए स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट पर रखा है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने सभी संबंधित विभागों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसमें बचाव और राहत कार्यों के लिए टीमों को तैयार रखना, निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना और जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करना शामिल है। लोगों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें और जलभराव वाले क्षेत्रों से दूर रहें।

IMD ने मानसून की सक्रियता को देखते हुए किसानों को भी सलाह दी है कि वे अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करें। वज्रपात की भी संभावना व्यक्त की गई है, इसलिए खुले स्थानों पर रहने वाले लोगों और पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है।

यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब मानसून अपने चरम पर है और पिछले कुछ हफ्तों से देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। झारखंड में भी मानसून की गतिविधियां तेज हुई हैं, जिससे कई नदियां उफान पर हैं। IMD और राज्य सरकार की प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

रांची: RTE प्रवेश में देरी पर निजी स्कूलों को उपायुक्त की कड़ी फटकार, मान्यता रद्द करने की चेतावनी


रांची, 15 जुलाई 2025 – रांची के उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी मंजूनाथ भजन्त्री ने आज आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम के तहत गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों के प्रवेश में हो रही देरी पर निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस दौरान, अनुपस्थित रहने वाले विद्यालयों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ-साथ नामांकन पूरा करने की अंतिम चेतावनी दी गई। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि नामांकन प्रक्रिया पूरी न करने वाले विद्यालयों की आरटीई मान्यता रद्द करने की अनुशंसा की जाएगी।

आरटीई अधिनियम के तहत, सभी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करनी होती हैं। रांची जिले में 121 मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में कुल 1217 सीटों के लिए पहली बार पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसके तहत 1744 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 1158 वैध आवेदनों का लॉटरी के माध्यम से स्कूल चयन किया गया और कुल 672 सीटों पर छात्रों का चयन हुआ।

हालांकि, इन छात्रों के नामांकन में हो रही देरी को लेकर उपायुक्त ने चिंता व्यक्त की। अब तक 672 में से केवल 493 नामांकन ही पूरे किए गए हैं, जबकि 116 आवेदनों को वापस शिक्षा एडमिन को रेफर कर दिया गया था। उपायुक्त ने इन 116 आवेदनों की जांच कर उन्हें अनिवार्य रूप से नामांकन प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश के साथ सभी विद्यालयों के लॉगिन पर वापस भेज दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई आवेदन रद्द किया जाता है, तो उसके बदले वैध छात्रों के नाम की अनुशंसा की जाएगी।

बैठक में डीपीएस विद्यालय रांची को 24 बच्चों का नामांकन विभिन्न दस्तावेजों की आवश्यकता बताकर न लेने और शिक्षा एडमिन को रेफर किए गए आवेदनों के वैध कारण न होने पर कड़ी फटकार लगाई गई। इसके अतिरिक्त, बैठक में अनुपस्थित रहे विद्यालयों जैसे संत अलोईस स्कूल, संत अरविंदो एकेडमी, संत कोलंबस एवं छोटानागपुर पब्लिक स्कूल मुर्ग, जेवियर स्कूल धुर्वा, आरबी स्प्रिंगडेल पब्लिक स्कूल, आईटीसी पब्लिक स्कूल मुरी, और डॉन बॉस्को इंग्लिश मीडियम स्कूल को भी कड़ी फटकार लगाई गई।