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पिता के निधन के बाद छलका सीएम हेमंत सोरेन का दर्द, का भावुक कर देने वाले पोस्ट

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दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। शिबू सोरेन के निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर है। गुरु जी का अंतिम संस्कार आज रामगढ़ स्थित उनके पैतृक गांव नेमरा में किया जायेगा। पिता की अंतिम यात्रा से पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक पोस्ट साझा किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर हेमंत ने लिखा, 'मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं।

सीएम सोरेन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया है। हेमंत सोरेन ने लिखा कि मैं उन्हें सिर्फ बाबा नहीं कहता था। वे मेरे पथ प्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे और उस जंगल जैसी छाया थे, जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।

हेमंत सोरेन ने आगे लिखा है कि, मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी। नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे, जहां गरीबी थी, भूख थी। पर हिम्मत थी।बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जमीदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी, जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया। मैंने उन्हें देखा है, हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे।

बाबा ने सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया-हेमंत सोरेन

पीता के निधन के बाद टूटे दिल से एक बेटे ने लिखा, बचपन में जब मैं उनसे पूछता था- बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं? तो वे मुस्कुराकर कहते- क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली। वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी, वह झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी। ‘दिशोम’ मतलब समाज, ‘गुरु’ मतलब जो रास्ता दिखाए। सच कहूं तो बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया।'

मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे- हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने लिखा कि बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ़ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा। मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे। वे कहते थे अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा। बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती। वो उनके पसीने में, उनकी आवाज में और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था। जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना। उन्होंने कहा ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं यह मेरे लोगों की पहचान है

झारखंड की हर पगडंडी में आप हो-हेमंत सोरेन

सीएम सोरेन ने आगे लिखा है, आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज़ मेरे भीतर गूंज रही है। मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा, झुकना नहीं। मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा बिना किसी स्वार्थ के अब आप हमारे बीच नहीं हो, पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो। हर मांदर की थाप में, हर खेत की मिट्टी में, हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो।

आपका वचन निभाऊंगा-हेमंत सोरेन

सीएम ने अंत में लिखा है कि आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा।बाबा, अब आप आराम कीजिए। आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है आपके नक्शे-कदम पर। झारखंड आपका कर्जदार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। वीर शिबू जिंदाबाद - जिंदाबाद, जिंदाबाद। दिशोम गुरु अमर रहें। जय झारखंड, जय जय झारखंड।

पीएम मोदी के गले लगकर रोए

इसस पहले सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचें थे। इसकी कुछ तस्वीरें पीएम के एक्स अकाउंट से साझा की गयी थी, जिसमें पिता के निधन से दुखी सीएम हेमंत सोरेन भावुक नजर आए थे, उनकी आंखों में आंसू थे। इस दौरान पीएम मोदी ने गले लगाकर हेमंत सोरेन को सांत्वना दी थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, परिजनों से की मुलाकात

नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर आज देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने दिवंगत शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया। इस दुखद घड़ी में उन्होंने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन और अन्य परिजनों से भी मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि वे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस कठिन समय में संबल दें।

शिबू सोरेन का निधन झारखंड समेत पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है, और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई गणमान्य व्यक्ति पहुंच रहे हैं।

कोलकाता आरजीआर हॉस्पिटल कांड के 1 साल पूरे होने के बीच गया जी पहुंचे माता-पिता बेटी के मोक्ष की कामना को लेकर किया पिंडदान

बंगाल सरकार और सीबीआई पर जरा सा भी न्याय की उम्मीद नहीं, बिहार के CM नीतीश कुमार पर है हमें भरोसा

गया जी : कोलकाता के आर्जिकर मेडिकल कॉलेज हास्पिटल की महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना बाद कोलकाता से महिला डॉक्टर को मोक्ष दिलाने के लिए उनके माता-पिता गया जी को पहुंचे. गया जी पहुंचकर उन्होंने अपनी बेटी की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान का कर्मकांड किया. वहीं, कहा, कि जो काम हमारी बेटी को हमारे लिए करना चाहिए था, वह हमें करना पड़ रहा है. इसका दुख है. लेकिन जो हुआ, उसमें हमें न्याय मिलना चाहिए. कोलकाता के आर्जिकर हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर से रेप व हत्याकांड के करीब 1 साल होने को हैं. इसके बीच घटना की शिकार महिला डॉक्टर के मोक्ष की कामना को लेकर कोलकाता से माता-पिता गया जी को पहुंचे.

विष्णु पद मंदिर परिसर स्थित शंकराचार्य मठ में पिंडदान का कर्मकांड शुरू किया. इसके बाद विष्णुपद गर्भगृह, प्रेतशिला, अक्षयवट में पहुंचकर कर्मकांड पूर्ण किया. पिंडदान का कर्मकांड करने पहुंचे माता-पिता काफी भावुक हुए थे. उन्होंने कहा, कि जिस काम को हमारी बेटी करती, वह काम हमें करना पड़ रहा है. इसका काफी दुख है. वे चाहते हैं कि देश भर से उन्हें सहयोग मिले, ताकि हमारी बेटी के साथ जो घटना हुई, उसमें जो भी लोग संलिप्त हैं, सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. पिता शेखर रंजन देवनाथ ने कहा कि कोलकाता सरकार ने घटना के बाद सबूत मिटाए.

घटना में संलिप्तों की पहुंच काफी दूर तक है. फिलहाल इस घटना की जांच सीबीआई भी कर रही है, लेकिन अपेक्षित न्याय नहीं मिल रहा. पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी लिखा है, अब तक संतोषजनक कोई न्याय मिलता नहीं दिख रहा है. इसे लेकर वे लोग काफी दुखित है. मां ने कहा कि इस घटना में कई लोग शामिल है. सभी को फांसी की सजा हो. पिता शेखर रंजन देवनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यदि दबाव बनाए, तो प्रधानमंत्री स्तर से काम होगा और उन्हें न्याय मिल सकता है.

कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने की विभागीय समीक्षा बैठक: युवाओं, छात्रों और झारखंडवासियों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय

रांची: झारखंड राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा ने मंगलवार को कल्याण कॉम्प्लेक्स, मोरहाबादी स्थित कार्यालय में विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए श्री लिंडा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विभागीय समन्वय और ज़मीनी स्तर पर कार्यों की निगरानी तेज़ की जाए। श्री लिंडा ने निर्देश दिया कि सभी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, इसके लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड के युवा, किसान, विद्यार्थी और वंचित समुदाय सरकार की प्राथमिकता में हैं, और उनके सशक्तिकरण हेतु कल्याण विभाग हरसंभव कदम उठाएगा।

बैठक के प्रमुख निर्णय और चर्चा बिंदु इस प्रकार रहे:

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना (CMEGP): झारखंड के युवाओं को अधिकाधिक लाभ पहुंचाने हेतु ऋण प्रक्रिया को सरल बनाने और व्यापक प्रचार-प्रसार पर चर्चा की गई।

धार्मिक पर्यटन विकास: सिरसी-ता-नाले राजकीय महोत्सव को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने हेतु विकास कार्यों पर निर्णय लिया गया।

आदिवासी क्षेत्रों में अधोसंरचना: कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग प्लांट, नर्सिंग होम एवं अस्पताल निर्माण जैसे परियोजनाओं की संभावनाओं पर विभागीय योजना पर विचार हुआ।

OBC छात्रवृत्ति: केंद्र सरकार से ओबीसी छात्रों के लिए लंबित 275 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि को शीघ्र निर्गत कराने हेतु पहल की जाएगी।

धूमकुड़िया भवन: सांस्कृतिक धरोहर धूमकुड़िया भवन के निर्माण एवं संचालन के लिए आवश्यक धनराशि की माँग पर विस्तृत चर्चा की गई।

तकनीकी प्रशिक्षण: राज्य के युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए आईटीआई प्रशिक्षण हेतु प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया गया।

प्रमाण पत्रों की मांग: विभिन्न जिलों से प्राप्त प्रमाण पत्रों की मांग के त्वरित निष्पादन पर विभाग गंभीर है और समाधान की प्रक्रिया तेज़ की जाएगी।

हिंदपीढ़ी कोचिंग सेंटर: रांची के हिंदपीढ़ी क्षेत्र में आदिवासी छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की निःशुल्क तैयारी के लिए Physics Wallah संस्था के साथ कोचिंग हेतु टेंडर प्रक्रिया पर चर्चा हुई।

मारांग गोमके विदेश छात्रवृत्ति योजना: योजना के क्रियान्वयन, चयन प्रक्रिया और लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार हुआ।

विश्व आदिवासी दिवस (09 अगस्त 2025): राज्यस्तरीय आदिवासी महोत्सव के सफल आयोजन हेतु आवश्यक बजट और योजनाओं पर विस्तारपूर्वक विमर्श किया गया।

छात्रावास पोषण योजना: राज्य के सभी आदिवासी छात्रावासों में पोषण योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित करने हेतु समीक्षा की गई और आवश्यक सुधारों के निर्देश दिए गए।

बैठक में विभागीय सचिव श्री कृपानंद झा, आयुक्त श्री कुलदीप चौधरी समेत अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

कर्नलगंज को मिलेगा इंडोर स्टेडियम और कम्युनिटी सेंटर, ₹498.16 लाख की कार्ययोजना शासन को भेजी गई

गोण्डा।20 जुलाई 2025 मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना (CM-VNY) के तहत नगर पालिका परिषद कर्नलगंज को विकसित करने के लिए ₹498.16 लाख की विस्तृत कार्ययोजना शासन को प्रेषित कर दी गई है। इस योजना के अंतर्गत नगर में आधुनिक इंडोर स्टेडियम, डिजिटल पुस्तकालय/स्टडी सेंटर और कम्युनिटी सेंटर जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनका उद्देश्य क्षेत्र की नगरीय संरचना को सुदृढ़ बनाना है।

स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई कार्ययोजना

यह कार्ययोजना जिलाधिकारी कार्यालय, गोण्डा द्वारा नगर निकाय की प्राथमिकताओं एवं जनसामान्य की अपेक्षाओं के आधार पर तैयार कर शासन को प्रेषित की गई है।

जिलाधिकारी ने बताया कि शासन से स्वीकृति प्राप्त होते ही निर्माण कार्य तेजी से प्रारंभ कराए जाएंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजनाएं न केवल कर्नलगंज के नगरीय परिदृश्य को आधुनिक स्वरूप देंगी, बल्कि युवाओं, छात्रों और आम नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाएंगी।

प्रमुख विकास कार्य और उनकी अनुमानित लागत:

1. इंडोर स्टेडियम (₹180.30 लाख): स्थानीय युवाओं और खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण एवं प्रतियोगिताओं के लिए आधुनिक खेल अधोसंरचना प्रदान करने के उद्देश्य से बहुउद्देशीय इंडोर स्टेडियम का निर्माण प्रस्तावित है। यह न केवल खेल प्रतिभाओं को विकसित करने में सहायक होगा, बल्कि नगर की खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देगा।

2.

2. डिजिटल पुस्तकालय/स्टडी सेंटर (₹58.41 लाख): छात्रों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए एक आधुनिक डिजिटल पुस्तकालय एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो ऑनलाइन संसाधनों से युक्त होगा और शांति से अध्ययन करने हेतु उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराएगा।

3.

3. कम्युनिटी सेंटर (₹259.45 लाख): सामाजिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक कार्यक्रमों के आयोजन हेतु एक बहुउद्देशीय कम्युनिटी सेंटर का निर्माण प्रस्ताव में शामिल है। यह केंद्र नागरिकों के लिए संवाद और सहभागिता का सशक्त मंच बनेगा।

संपादकीय : झारखंड: विकास के नए क्षितिज पर मेट्रो का स्वप्न

विनोद आनंद

झारखंड, जो कभी अपने खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता था, अब शहरी विकास के एक नए युग में प्रवेश करने के लिए तैयार है। राज्य सरकार ने रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे अपने प्रमुख शहरों में मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने के लिए केंद्र सरकार को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव भेजा है।

यह कदम न केवल इन शहरों के लिए एक परिवहन क्रांति का प्रतीक है, बल्कि राज्य के समग्र विकास को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग भी है। जिस प्रकार पटना और भुवनेश्वर जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में मेट्रो का सफल क्रियान्वयन हुआ है, उसी तर्ज पर झारखंड भी अपने शहरों में एक आधुनिक और कुशल परिवहन प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य बना रहा है। यह पहल, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशों के बाद नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार ने आगे बढ़ाया है, यह दर्शाता है कि झारखंड अब केवल एक औद्योगिक केंद्र नहीं, बल्कि एक प्रगतिशील और भविष्योन्मुखी राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है.

क्यों है मेट्रो परियोजना झारखंड के लिए महत्वपूर्ण?


झारखंड के शहरों में बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या ने यातायात प्रबंधन को एक बड़ी चुनौती बना दिया है। सड़कों पर बढ़ता दबाव, प्रदूषण का उच्च स्तर और यात्रा में लगने वाला अत्यधिक समय दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। ऐसे में मेट्रो रेल परियोजना एक बहुआयामी समाधान प्रस्तुत करती है जो इन

समस्याओं से निजात दिला सकती है।

यातायात दबाव में कमी:


मेट्रो प्रणाली एक उच्च क्षमता वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है जो एक साथ बड़ी संख्या में यात्रियों को ले जा सकती है। इससे व्यक्तिगत वाहनों पर निर्भरता कम होगी और सड़कों पर भीड़ कम होगी, जिससे यातायात का प्रवाह सुगम होगा।

पर्यावरणीय लाभ:


वाहनों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन शहरी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। मेट्रो रेल के उपयोग से प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लाभ मिलेगा। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है।

शहरी सुरक्षा और यातायात प्रबंधन:


ग्रेड सेपरेटेड कॉरिडोर के साथ मेट्रो प्रणाली दुर्घटनाओं को कम करने और यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह शहरी सुरक्षा को बढ़ाती है और यात्रियों को एक सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा का अनुभव प्रदान करती है।

समय और लागत की बचत:


शहरों में बढ़ते यातायात के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय और धन खर्च करना पड़ता है। मेट्रो एक तेज और कुशल परिवहन साधन है जो यात्रा के समय को काफी कम कर सकता है, जिससे नागरिकों के लिए समय और लागत दोनों की बचत होगी। यह व्यक्तियों को अपने काम और व्यक्तिगत जीवन के लिए अधिक समय देगा, जिससे समग्र उत्पादकता में वृद्धि होगी।

आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसर:

मेट्रो परियोजना का क्रियान्वयन अपने आप में एक विशाल उद्यम है जो निर्माण, संचालन और रखरखाव के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा करेगा। इसके अतिरिक्त, मेट्रो स्टेशनों के आसपास नए वाणिज्यिक और आवासीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह शहरों में नए निवेश को आकर्षित करेगा और रियल एस्टेट क्षेत्र को भी पुनर्जीवित करेगा।

जीवन की गुणवत्ता में सुधार:


एक आधुनिक और कुशल परिवहन प्रणाली न केवल यात्रा को आसान बनाती है, बल्कि यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करती है। कम तनावपूर्ण आवागमन, स्वच्छ हवा और बेहतर कनेक्टिविटी से शहरी निवासियों के लिए एक अधिक आरामदायक और स्वस्थ जीवन शैली बनती है। यह स्मार्ट प्लानिंग और आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ शहरों को रहने के लिए अधिक आकर्षक स्थान बनाता है।

पटना-भुवनेश्वर मॉडल: एक प्रेरणादायक उदाहरण


झारखंड सरकार पटना और भुवनेश्वर जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में मेट्रो की सफलता से प्रेरित है। ये शहर, जो जनसंख्या और शहरीकरण के पैमाने पर रांची, धनबाद और जमशेदपुर के समान हैं, ने यह साबित कर दिया है कि मेट्रो प्रणाली केवल बड़े महानगरों तक ही सीमित नहीं है। इन शहरों में मेट्रो ने शहरी परिवहन को नया आयाम दिया है, जिससे न केवल यातायात की समस्या का समाधान हुआ है, बल्कि आर्थिक विकास और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। झारखंड सरकार का यह मानना है कि इसी मॉडल को अपनाकर वह अपने शहरों में भी एक समान परिवर्तनकारी प्रभाव ला सकती है। यह दृष्टिकोण यह भी दर्शाता है कि राज्य सरकार दूरदर्शिता के साथ काम कर रही है और सफल मॉडलों से सीखने के लिए तैयार है।

मेट्रो रेल नीति 2017 का पालन और आधुनिक मॉडल


प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि परियोजना मेट्रो रेल नीति 2017 के अंतर्गत सभी मापदंडों का पालन करेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि परियोजना का क्रियान्वयन एक मानक और पारदर्शी तरीके से हो। इसके अतिरिक्त, सरकार कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP), पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP), वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF) जैसे आधुनिक मॉडल अपनाने पर भी जोर दे रही है।

कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP):


यह एक समग्र योजना है जो परिवहन के सभी साधनों को एकीकृत करती है और शहरी गतिशीलता की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाती है। यह सुनिश्चित करता है कि मेट्रो परियोजना शहर के अन्य परिवहन बुनियादी ढांचे के साथ सहज रूप से जुड़े।

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP):


पीपीपी मॉडल निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और वित्तीय संसाधनों का लाभ उठाता है, जिससे परियोजना के लिए धन जुटाने और उसके कुशल क्रियान्वयन में मदद मिलती है। यह सरकार पर वित्तीय बोझ को भी कम करता है।

वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF)


वीसीएफ एक अभिनव वित्तपोषण तंत्र है जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न भूमि मूल्य वृद्धि के एक हिस्से को कैप्चर करता है। यह मेट्रो परियोजना के लिए एक स्थायी राजस्व धारा प्रदान कर सकता है और सार्वजनिक धन पर निर्भरता को कम कर सकता है

ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD):


टीओडी एक शहरी नियोजन दृष्टिकोण है जो उच्च घनत्व, मिश्रित भूमि उपयोग और बेहतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है। मेट्रो स्टेशनों के आसपास टीओडी को लागू करने से न केवल यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ेगी बल्कि शहरी क्षेत्रों का अधिक कुशल और टिकाऊ विकास भी होगा। यह पैदल चलने और साइकिल चलाने को भी बढ़ावा देगा, जिससे शहरी गतिशीलता और स्वास्थ्य में सुधार होगा।

झारखंड के विकास को लगेंगे पंख


झारखंड में मेट्रो सेवा की तैयारी न केवल एक परिवहन परियोजना है, बल्कि यह राज्य के विकास के पहिए को तेज करने का एक शक्तिशाली उत्प्रेरक भी है। यह केवल लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह शहरों को पुनर्जीवित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के बारे में है।

निवेश और पर्यटन को बढ़ावा:


एक आधुनिक मेट्रो प्रणाली निवेशकों को आकर्षित करती है और पर्यटन को बढ़ावा देती है। यह शहरों को अधिक आकर्षक बनाता है और नए व्यवसायों और उद्योगों को स्थापित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।

शहरी नियोजन में सुधार:


मेट्रो परियोजना शहरी नियोजन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है, जिससे शहरों का अधिक संगठित और टिकाऊ विकास होता है। यह भूमि उपयोग को अनुकूलित करता है और भविष्य की शहरी चुनौतियों के लिए शहरों को तैयार करता है।

झारखंड की बदलती छवि:


यह परियोजना झारखंड की छवि को एक पिछड़े राज्य से एक प्रगतिशील और आधुनिक राज्य के रूप में बदल सकती है। यह राज्य की क्षमताओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसे राष्ट्रीय मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।

आगे की राह और चुनौतियां


हालांकि मेट्रो परियोजना के लाभ स्पष्ट हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी होंगी। भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधन जुटाना, और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव कुछ ऐसे मुद्दे हो सकते हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता और केंद्र सरकार के साथ सहयोग से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है। फिजिबिलिटी स्टडी और डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करना पहला महत्वपूर्ण कदम होगा, जो परियोजना की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता का आकलन करेगा।

यह सर्व विदित है कि झारखंड में मेट्रो रेल परियोजना की तैयारी राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल शहरी गतिशीलता में क्रांति लाएगी, बल्कि यह आर्थिक विकास को गति देगी, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देगी और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगी। पटना और भुवनेश्वर मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, और मेट्रो रेल नीति 2017 के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, झारखंड सरकार एक पारदर्शी और व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। यह परियोजना निश्चित रूप से झारखंड को विकास के पहिए पर तेजी से दौड़ाएगी और इसे एक आधुनिक, समृद्ध और भविष्योन्मुखी राज्य के रूप में स्थापित करेगी। यह सिर्फ एक परिवहन प्रणाली नहीं, बल्कि झारखंड के उज्ज्वल भविष्य का आधार है।

आज 25 करोड़ कामगारों की देशव्यापी हड़ताल, झारखंड में भी दिखेगा असर: बैंकिंग से कोयला खदानों तक कामकाज प्रभावित

रांची, झारखंड: आज देश भर में लगभग 25 करोड़ कामगार देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगे, जिसका व्यापक असर झारखंड में भी देखने को मिलेगा. यह हड़ताल केंद्र सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के विरोध में दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनकी सहयोगी इकाइयों द्वारा बुलाई गई है. यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे 'भारत बंद' का नाम दिया है.

झारखंड में हड़ताल का व्यापक समर्थन

जानकारी के अनुसार, झारखंड के मजदूर संगठन भी इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सक्रिय रूप से शामिल होंगे. भारतीय मजदूर संघ और उससे जुड़े संगठनों को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख मजदूर संगठन इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं. कई राजनीतिक दलों ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.

कोयला, बैंक, केंद्रीय कर्मचारी, राज्य सरकार के कर्मचारी, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, बीड़ी, बॉक्साइट, स्टील, परिवहन उद्योग से जुड़े कर्मियों ने हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है. इसके अलावा, कई अन्य संगठनों ने इस आम हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है. हड़ताल को सफल बनाने के लिए मंगलवार को राजधानी रांची में मशाल जुलूस भी निकाला गया, जिसमें सीटू, एटक, एक्टू, एचएमएस, इंटक आदि संगठनों के सदस्यों ने हिस्सा लिया और लोगों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की.

कोयला उद्योग में आंदोलन को सफल बनाने के लिए मजदूर संगठनों ने गेट और पीट मीटिंग का आयोजन किया. मजदूरों को बताया गया कि केंद्र सरकार श्रमिक विरोधी कानून ला रही है, जो देश हित में नहीं है. झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल (कुछ खदान) के साथ-साथ सीएमपीडीआई (CMPDI) में भी मजदूरों को हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया गया है. रांची स्थित एचईसी (HEC) में भी विभिन्न श्रमिक संगठनों, जैसे एटक से संबद्ध हटिया कामगार यूनियन, सीटू से संबद्ध हटिया मजदूर यूनियन और इंटक से संबद्ध हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन ने कामकाज बंद रखने का आह्वान किया है. केंद्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ ने भी केंद्रीय कर्मचारियों से हड़ताल में शामिल होने का आह्नान किया है.

प्रमुख मांगें

इस हड़ताल की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:

चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए.

सभी मजदूरों के लिए ₹26,000 न्यूनतम वेतन और ₹9,000 न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो.

पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए.

महंगाई पर रोक लगे और आवश्यक वस्तुओं से जीएसटी हटाई जाए.

सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए.

यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकारों का सम्मान हो.

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पानी जैसी जरूरतों की सार्वजनिक गारंटी हो.

बिजली का निजीकरण रोका जाए और स्मार्ट मीटर बंद किए जाएं.

किसानों को फसल पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी मिले.

वन अधिकार कानून में जनविरोधी संशोधन रद्द हों.

इन सेवाओं पर पड़ेगा बंद का असर

आज की हड़ताल के कारण निम्नलिखित सेवाएं प्रभावित होंगी:

बैंकिंग सेवाएं

बीमा कंपनियों का कामकाज

पोस्ट ऑफिस सेवाएं

कोयला खदानों का संचालन

राज्य परिवहन सेवाएं (सरकारी बसें)

हाईवे और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम

सरकारी फैक्ट्रियों और सार्वजनिक उपक्रमों का प्रोडक्शन

इन सेवाओं को बंद से राहत

हालांकि, कुछ सेवाओं को इस बंद से राहत दी गई है:

निजी क्षेत्र की अधिकतर कंपनियां सामान्य रूप से काम करेंगी.

अस्पताल और मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी.

निजी स्कूल-कॉलेज और ऑनलाइन सेवाएं भी प्रभावित नहीं होंगी.

यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र सरकार पर अपनी नीतियों की समीक्षा करने और कामगारों व किसानों की मांगों पर ध्यान देने का दबाव बनाने का एक बड़ा प्रयास है.

*रक्तदान महादान,रोटरी नववर्ष 2025-26 की शुरुआत रक्तदान के साथ*
सुलतानपुर,रोटरी क्लब परिवार ने परंपरा को निभाते हुए इस वर्ष भी रोटरी नववर्ष 2025-26 का शुभारंभ रक्तदान जैसे पुनीत कार्य से किया। यह रक्तदान शिविर स्थानीय मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में आयोजित किया गया! जिसमें क्लब के सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। शिविर का उद्घाटन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव, CMS डॉ. आर. के. मिश्रा, सहमंडलाध्यक्ष रोटेरियन नीरव पांडेय, अध्यक्ष रोटेरियन अखिल अग्रवाल, तथा सचिव रोटेरियन डॉ. अभिषेक पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर अनेक विशिष्ट रोटेरियन सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं: जोनल सेक्रेटरी संजय केसरवानी, रक्तदान शिविर चेयरमैन निमेन्द्र गोयल, डॉ. रवि त्रिपाठी,डॉ.अमित पांडेय, मनमोहित सिंह,वेद प्रकाश जायसवाल, अलंकार टंडन,श्वेता अग्रवाल,डॉ.मीनू पांडेय,प्रतिमा सिंह,तथा सागर तिवारी। शिविर के दौरान कुल 11 यूनिट रक्त एकत्र किया गया,जिसमें रोटेरियन दिल से केशव अग्रवाल द्वारा भी एक यूनिट रक्तदान किया गया। रोटरी परिवार के इस प्रयास से न केवल समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैली है, बल्कि यह भी सिद्ध हुआ है कि रोटरी सेवा के माध्यम से समाज के लिए संकल्पित है।
क्या कोविड वैक्सीन बन रही अचानक मौतों की वजह? ICMR और AIIMS ने दिया जवाब

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पिछले कुछ महीनों में अचानक मौतों की खबरों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। इन मौतों का कनेक्शन कोविड-19 की वैक्सीन से जोड़ा जा रहा है। कई लोगों ने कोविड वैक्सीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम बयान जारी कर लोगों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है। मंत्रालय ने साफ किया है कि कोविड वैक्सीनेशन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो बड़ी वैज्ञानिक स्टडीज का हवाला देते हुए कहा कि कोविड-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं है।देश की दो सबसे बड़ी मेडिकल संस्थाओं ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ने बड़ी और गहरी जांच की है, जिसमें साफ कहा गया है कि कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों का कोई सीधा संबंध नहीं है।

ICMR और AIIMS की स्टडी में क्या?

-इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में 18 से 45 साल के युवाओं की अचानक हुई मौतों का विश्लेषण किया। इसमें साफ था कि कोविड वैक्सीन से इन मौतों का कोई संबंध नहीं है।

-दूसरी स्टडी AIIMS और ICMR द्वारा मिलकर की जा रही है, जो अभी चल रही है। शुरुआती तौर पर इसके रिजल्ट बताते हैं कि इन मौतों के पीछे प्रमुख कारण हार्ट अटैक ही है, और यह वैक्सीन से नहीं जुड़ा है. इसके अलावा, अधिकतर मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन या पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं भी पाई गईं.

सरकार ने अपील क्या की?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन भारत में पूरी तरह सुरक्षित है और करोड़ों लोगों की जान बचाने में इसकी भूमिका रही है। गंभीर रिएक्शन के मामले बेहद ही कम हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, इस तरह के अटकलें बिना वैज्ञानिक आधार के होती हैं और ये जनता के मन में वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करती हैं। हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिए, न कि अफवाहों पर।

कर्नाटक के हासन में 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत

AIIMS और ICMR की रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब कर्नाटक के हासन जिले में हो रही मौतों ने लोगों डरा दिया है। दरअसल, कर्नाटक के हासन जिले में मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून के आखिरी हफ्ते तक 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इनमें से 9 लोग 30 साल से भी कम उम्र के थे। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से ज्यादातर को कोई पुरानी बीमारी नहीं थी और उन्हें कोई लक्षण भी नहीं दिखे थे।

सिद्दारमैया का चौंकाने वाला बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक विशेषज्ञ समिति को 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सिद्दारमैया ने इस पूरे मामले पर बयान देते हुए एक चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने कहा है कि हो सकता है कि कोविड-19 वैक्सीन का भी इन मौतों में कोई कनेक्शन हो। उन्होंने कहा, हम यह नजरअंदाज नहीं कर सकते कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और इसे बिना टेस्टिंग के लोगों को लगाया गया। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भी वैक्सीन और हार्ट संबंधी समस्याओं के कुछ लिंक सामने आए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भदोही दौरा: कालीन उद्योग को सराहा, गंगा पर बहुप्रतीक्षित पुल निर्माण की घोषणा, बैठक कर अफसरों का पेंच

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने भदोही दौरे के दौरान जिले को कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की सौगात दी। उन्होंने जहां भदोही के प्रसिद्ध कालीन उद्योग की जमकर सराहना की, वहीं स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई बड़े एलान भी किए। बता दें कि सोमवार को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भदोही दौरे पर रहे। वह दोपहर 1.40 बजे भदोही पुलिस लाइन पहुंचे।

पुलिस लाइन में बीजेपी नेताओं एवं पार्टी पदाधिकारियों संग उन्होंने वार्ता किया। इसके बाद उन्होंने मुख्यालय के पास सरपतहां स्थित सौ शैय्या अस्पताल में निर्माणाधीन 50 बेड क्रिटिकल केयर ब्लॉक का स्थलीय निरीक्षण किया। साथ ही डायलिसिस सेंटर का निरीक्षण करते हुए मरीजों-तीमारदारों से हालचाल एवं व्यवस्था की जानकारी ली। इसके बाद सीएम ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर प्रदेशव्यापी वृहद पौधरोपण 'एक पेड़, मां के नाम' कार्यक्रम की शुरुआत कलेक्ट्रेट परिसर में पेड़ रोपित कर किया।

तत्पश्चात भदोही कलेक्ट्रेट सभागार में मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों संग विकास कार्यों एवं कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक की। सीएम के भ्रमण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही, प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा।

CM प्रेस ब्रीफिंग -------

•‘एक पेड़, मां के नाम’ कार्यक्रम का शुभारंभ-

सीएम योगी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस पर प्रदेशव्यापी वृक्षारोपण अभियान ‘एक पेड़, मां के नाम’ का शुभारंभ किया। उन्होंने भदोही कलेक्ट्रेट परिसर में स्वयं एक पौधा रोपित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। आमजन से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए हर व्यक्ति एक - एक पौधे जरूर लगाए।

•कालीन उद्योग को बताया प्रदेश की शान-

प्रेस ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री ने कहा कि भदोही के कालीन उद्योग ने प्रदेश और देश की विश्वभर में पहचान दिलाई है। उन्होंने बताया कि देशभर में भदोही अकेले 60% कार्पेट उत्पादन और निर्यात करता है। यह क्षेत्र की शिल्पकला और मेहनतकश लोगों की प्रतिभा का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार हस्तशिल्प और कालीन उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के लिए विशेष सहयोग प्रदान करेगी।

•स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछली सरकारों पर साधा निशाना-

सीएम योगी ने सरपतहां स्थित निर्माणाधीन 50 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक और डायलिसिस सेंटर का निरीक्षण किया। प्रेस ब्रीफिंग में उसकी चर्चा करते हुए सीएम ने पिछली सरकारों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। कहा कि, “सौ शैय्या अस्पताल के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार पिछली सरकार में हुआ, जिसे हमारी सरकार धीरे-धीरे सुधार रही है।”

•बहुप्रतीक्षित डेंगूरपुर-धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल निर्माण की स्वीकृति-

जनप्रतिनिधियों की मांग पर भदोही वासियों को बड़ी सौगात देते हुए मुख्यमंत्री ने डीघ ब्लॉक के डेंगूरपुर-धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल निर्माण को स्वीकृति दी। यह पुल लंबे समय से जनता की मांग में शामिल था और अब इसके निर्माण के शुरुआत की राह प्रशस्त होगी।

•शिक्षा और बुनियादी ढांचे में बड़े एलान-

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अगर जमीन उपलब्ध होती है , तो ज्ञानपुर स्थित काशी नरेश स्नातकोत्तर महाविद्यालय को स्टेट यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित कराएंगे।

•भदोही को मिलेगा मेडिकल कॉलेज-

सीएम योगी ने कहा कि अभी हम सौ शैय्या अस्पताल में 50 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक की स्थापना करा रहे हैं। आगे भदोही में पीपीपी मॉडल पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना भी कराने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ होंगी, बल्कि युवाओं को चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर भी मिलेंगे।

•मुख्यालय पर बनेगा मल्टीपरपज हॉल, अधिकारियों के आवासीय सुविधा-

प्रेस ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि पहले से एक छोटा सा ऑडिटोरियम मुख्यालय पर बनने के लिए स्वीकृत था, जिसे हमने मल्टीपर्पज हॉल के रूप में निर्माण के लिए प्रस्तावित किया है। एवं अधिकारियों कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधा की भी बात कही। उन्होंने कहा कि प्रयास रहेगा जल्द ही उक्त परियोजनाओं के शिलान्यास एवं लोकार्पण के लिए पुनः भदोही दौरे पर आप सभी के बीच आऊं।

पिता के निधन के बाद छलका सीएम हेमंत सोरेन का दर्द, का भावुक कर देने वाले पोस्ट

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दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। शिबू सोरेन के निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर है। गुरु जी का अंतिम संस्कार आज रामगढ़ स्थित उनके पैतृक गांव नेमरा में किया जायेगा। पिता की अंतिम यात्रा से पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक पोस्ट साझा किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर हेमंत ने लिखा, 'मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं।

सीएम सोरेन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया है। हेमंत सोरेन ने लिखा कि मैं उन्हें सिर्फ बाबा नहीं कहता था। वे मेरे पथ प्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे और उस जंगल जैसी छाया थे, जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।

हेमंत सोरेन ने आगे लिखा है कि, मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी। नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे, जहां गरीबी थी, भूख थी। पर हिम्मत थी।बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जमीदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी, जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया। मैंने उन्हें देखा है, हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे।

बाबा ने सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया-हेमंत सोरेन

पीता के निधन के बाद टूटे दिल से एक बेटे ने लिखा, बचपन में जब मैं उनसे पूछता था- बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं? तो वे मुस्कुराकर कहते- क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली। वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी, वह झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी। ‘दिशोम’ मतलब समाज, ‘गुरु’ मतलब जो रास्ता दिखाए। सच कहूं तो बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया।'

मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे- हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने लिखा कि बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ़ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा। मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे। वे कहते थे अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा। बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती। वो उनके पसीने में, उनकी आवाज में और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था। जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना। उन्होंने कहा ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं यह मेरे लोगों की पहचान है

झारखंड की हर पगडंडी में आप हो-हेमंत सोरेन

सीएम सोरेन ने आगे लिखा है, आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज़ मेरे भीतर गूंज रही है। मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा, झुकना नहीं। मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा बिना किसी स्वार्थ के अब आप हमारे बीच नहीं हो, पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो। हर मांदर की थाप में, हर खेत की मिट्टी में, हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो।

आपका वचन निभाऊंगा-हेमंत सोरेन

सीएम ने अंत में लिखा है कि आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा।बाबा, अब आप आराम कीजिए। आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है आपके नक्शे-कदम पर। झारखंड आपका कर्जदार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। वीर शिबू जिंदाबाद - जिंदाबाद, जिंदाबाद। दिशोम गुरु अमर रहें। जय झारखंड, जय जय झारखंड।

पीएम मोदी के गले लगकर रोए

इसस पहले सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचें थे। इसकी कुछ तस्वीरें पीएम के एक्स अकाउंट से साझा की गयी थी, जिसमें पिता के निधन से दुखी सीएम हेमंत सोरेन भावुक नजर आए थे, उनकी आंखों में आंसू थे। इस दौरान पीएम मोदी ने गले लगाकर हेमंत सोरेन को सांत्वना दी थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, परिजनों से की मुलाकात

नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर आज देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने दिवंगत शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया। इस दुखद घड़ी में उन्होंने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन और अन्य परिजनों से भी मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि वे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस कठिन समय में संबल दें।

शिबू सोरेन का निधन झारखंड समेत पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है, और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई गणमान्य व्यक्ति पहुंच रहे हैं।

कोलकाता आरजीआर हॉस्पिटल कांड के 1 साल पूरे होने के बीच गया जी पहुंचे माता-पिता बेटी के मोक्ष की कामना को लेकर किया पिंडदान

बंगाल सरकार और सीबीआई पर जरा सा भी न्याय की उम्मीद नहीं, बिहार के CM नीतीश कुमार पर है हमें भरोसा

गया जी : कोलकाता के आर्जिकर मेडिकल कॉलेज हास्पिटल की महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना बाद कोलकाता से महिला डॉक्टर को मोक्ष दिलाने के लिए उनके माता-पिता गया जी को पहुंचे. गया जी पहुंचकर उन्होंने अपनी बेटी की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान का कर्मकांड किया. वहीं, कहा, कि जो काम हमारी बेटी को हमारे लिए करना चाहिए था, वह हमें करना पड़ रहा है. इसका दुख है. लेकिन जो हुआ, उसमें हमें न्याय मिलना चाहिए. कोलकाता के आर्जिकर हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर से रेप व हत्याकांड के करीब 1 साल होने को हैं. इसके बीच घटना की शिकार महिला डॉक्टर के मोक्ष की कामना को लेकर कोलकाता से माता-पिता गया जी को पहुंचे.

विष्णु पद मंदिर परिसर स्थित शंकराचार्य मठ में पिंडदान का कर्मकांड शुरू किया. इसके बाद विष्णुपद गर्भगृह, प्रेतशिला, अक्षयवट में पहुंचकर कर्मकांड पूर्ण किया. पिंडदान का कर्मकांड करने पहुंचे माता-पिता काफी भावुक हुए थे. उन्होंने कहा, कि जिस काम को हमारी बेटी करती, वह काम हमें करना पड़ रहा है. इसका काफी दुख है. वे चाहते हैं कि देश भर से उन्हें सहयोग मिले, ताकि हमारी बेटी के साथ जो घटना हुई, उसमें जो भी लोग संलिप्त हैं, सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. पिता शेखर रंजन देवनाथ ने कहा कि कोलकाता सरकार ने घटना के बाद सबूत मिटाए.

घटना में संलिप्तों की पहुंच काफी दूर तक है. फिलहाल इस घटना की जांच सीबीआई भी कर रही है, लेकिन अपेक्षित न्याय नहीं मिल रहा. पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी लिखा है, अब तक संतोषजनक कोई न्याय मिलता नहीं दिख रहा है. इसे लेकर वे लोग काफी दुखित है. मां ने कहा कि इस घटना में कई लोग शामिल है. सभी को फांसी की सजा हो. पिता शेखर रंजन देवनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यदि दबाव बनाए, तो प्रधानमंत्री स्तर से काम होगा और उन्हें न्याय मिल सकता है.

कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने की विभागीय समीक्षा बैठक: युवाओं, छात्रों और झारखंडवासियों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय

रांची: झारखंड राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा ने मंगलवार को कल्याण कॉम्प्लेक्स, मोरहाबादी स्थित कार्यालय में विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए श्री लिंडा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विभागीय समन्वय और ज़मीनी स्तर पर कार्यों की निगरानी तेज़ की जाए। श्री लिंडा ने निर्देश दिया कि सभी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, इसके लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड के युवा, किसान, विद्यार्थी और वंचित समुदाय सरकार की प्राथमिकता में हैं, और उनके सशक्तिकरण हेतु कल्याण विभाग हरसंभव कदम उठाएगा।

बैठक के प्रमुख निर्णय और चर्चा बिंदु इस प्रकार रहे:

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना (CMEGP): झारखंड के युवाओं को अधिकाधिक लाभ पहुंचाने हेतु ऋण प्रक्रिया को सरल बनाने और व्यापक प्रचार-प्रसार पर चर्चा की गई।

धार्मिक पर्यटन विकास: सिरसी-ता-नाले राजकीय महोत्सव को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने हेतु विकास कार्यों पर निर्णय लिया गया।

आदिवासी क्षेत्रों में अधोसंरचना: कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग प्लांट, नर्सिंग होम एवं अस्पताल निर्माण जैसे परियोजनाओं की संभावनाओं पर विभागीय योजना पर विचार हुआ।

OBC छात्रवृत्ति: केंद्र सरकार से ओबीसी छात्रों के लिए लंबित 275 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि को शीघ्र निर्गत कराने हेतु पहल की जाएगी।

धूमकुड़िया भवन: सांस्कृतिक धरोहर धूमकुड़िया भवन के निर्माण एवं संचालन के लिए आवश्यक धनराशि की माँग पर विस्तृत चर्चा की गई।

तकनीकी प्रशिक्षण: राज्य के युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए आईटीआई प्रशिक्षण हेतु प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया गया।

प्रमाण पत्रों की मांग: विभिन्न जिलों से प्राप्त प्रमाण पत्रों की मांग के त्वरित निष्पादन पर विभाग गंभीर है और समाधान की प्रक्रिया तेज़ की जाएगी।

हिंदपीढ़ी कोचिंग सेंटर: रांची के हिंदपीढ़ी क्षेत्र में आदिवासी छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की निःशुल्क तैयारी के लिए Physics Wallah संस्था के साथ कोचिंग हेतु टेंडर प्रक्रिया पर चर्चा हुई।

मारांग गोमके विदेश छात्रवृत्ति योजना: योजना के क्रियान्वयन, चयन प्रक्रिया और लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार हुआ।

विश्व आदिवासी दिवस (09 अगस्त 2025): राज्यस्तरीय आदिवासी महोत्सव के सफल आयोजन हेतु आवश्यक बजट और योजनाओं पर विस्तारपूर्वक विमर्श किया गया।

छात्रावास पोषण योजना: राज्य के सभी आदिवासी छात्रावासों में पोषण योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित करने हेतु समीक्षा की गई और आवश्यक सुधारों के निर्देश दिए गए।

बैठक में विभागीय सचिव श्री कृपानंद झा, आयुक्त श्री कुलदीप चौधरी समेत अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

कर्नलगंज को मिलेगा इंडोर स्टेडियम और कम्युनिटी सेंटर, ₹498.16 लाख की कार्ययोजना शासन को भेजी गई

गोण्डा।20 जुलाई 2025 मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना (CM-VNY) के तहत नगर पालिका परिषद कर्नलगंज को विकसित करने के लिए ₹498.16 लाख की विस्तृत कार्ययोजना शासन को प्रेषित कर दी गई है। इस योजना के अंतर्गत नगर में आधुनिक इंडोर स्टेडियम, डिजिटल पुस्तकालय/स्टडी सेंटर और कम्युनिटी सेंटर जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनका उद्देश्य क्षेत्र की नगरीय संरचना को सुदृढ़ बनाना है।

स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई कार्ययोजना

यह कार्ययोजना जिलाधिकारी कार्यालय, गोण्डा द्वारा नगर निकाय की प्राथमिकताओं एवं जनसामान्य की अपेक्षाओं के आधार पर तैयार कर शासन को प्रेषित की गई है।

जिलाधिकारी ने बताया कि शासन से स्वीकृति प्राप्त होते ही निर्माण कार्य तेजी से प्रारंभ कराए जाएंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजनाएं न केवल कर्नलगंज के नगरीय परिदृश्य को आधुनिक स्वरूप देंगी, बल्कि युवाओं, छात्रों और आम नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाएंगी।

प्रमुख विकास कार्य और उनकी अनुमानित लागत:

1. इंडोर स्टेडियम (₹180.30 लाख): स्थानीय युवाओं और खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण एवं प्रतियोगिताओं के लिए आधुनिक खेल अधोसंरचना प्रदान करने के उद्देश्य से बहुउद्देशीय इंडोर स्टेडियम का निर्माण प्रस्तावित है। यह न केवल खेल प्रतिभाओं को विकसित करने में सहायक होगा, बल्कि नगर की खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देगा।

2.

2. डिजिटल पुस्तकालय/स्टडी सेंटर (₹58.41 लाख): छात्रों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए एक आधुनिक डिजिटल पुस्तकालय एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो ऑनलाइन संसाधनों से युक्त होगा और शांति से अध्ययन करने हेतु उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराएगा।

3.

3. कम्युनिटी सेंटर (₹259.45 लाख): सामाजिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक कार्यक्रमों के आयोजन हेतु एक बहुउद्देशीय कम्युनिटी सेंटर का निर्माण प्रस्ताव में शामिल है। यह केंद्र नागरिकों के लिए संवाद और सहभागिता का सशक्त मंच बनेगा।

संपादकीय : झारखंड: विकास के नए क्षितिज पर मेट्रो का स्वप्न

विनोद आनंद

झारखंड, जो कभी अपने खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता था, अब शहरी विकास के एक नए युग में प्रवेश करने के लिए तैयार है। राज्य सरकार ने रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे अपने प्रमुख शहरों में मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने के लिए केंद्र सरकार को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव भेजा है।

यह कदम न केवल इन शहरों के लिए एक परिवहन क्रांति का प्रतीक है, बल्कि राज्य के समग्र विकास को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग भी है। जिस प्रकार पटना और भुवनेश्वर जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में मेट्रो का सफल क्रियान्वयन हुआ है, उसी तर्ज पर झारखंड भी अपने शहरों में एक आधुनिक और कुशल परिवहन प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य बना रहा है। यह पहल, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशों के बाद नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार ने आगे बढ़ाया है, यह दर्शाता है कि झारखंड अब केवल एक औद्योगिक केंद्र नहीं, बल्कि एक प्रगतिशील और भविष्योन्मुखी राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है.

क्यों है मेट्रो परियोजना झारखंड के लिए महत्वपूर्ण?


झारखंड के शहरों में बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या ने यातायात प्रबंधन को एक बड़ी चुनौती बना दिया है। सड़कों पर बढ़ता दबाव, प्रदूषण का उच्च स्तर और यात्रा में लगने वाला अत्यधिक समय दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। ऐसे में मेट्रो रेल परियोजना एक बहुआयामी समाधान प्रस्तुत करती है जो इन

समस्याओं से निजात दिला सकती है।

यातायात दबाव में कमी:


मेट्रो प्रणाली एक उच्च क्षमता वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है जो एक साथ बड़ी संख्या में यात्रियों को ले जा सकती है। इससे व्यक्तिगत वाहनों पर निर्भरता कम होगी और सड़कों पर भीड़ कम होगी, जिससे यातायात का प्रवाह सुगम होगा।

पर्यावरणीय लाभ:


वाहनों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन शहरी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। मेट्रो रेल के उपयोग से प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लाभ मिलेगा। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है।

शहरी सुरक्षा और यातायात प्रबंधन:


ग्रेड सेपरेटेड कॉरिडोर के साथ मेट्रो प्रणाली दुर्घटनाओं को कम करने और यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह शहरी सुरक्षा को बढ़ाती है और यात्रियों को एक सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा का अनुभव प्रदान करती है।

समय और लागत की बचत:


शहरों में बढ़ते यातायात के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय और धन खर्च करना पड़ता है। मेट्रो एक तेज और कुशल परिवहन साधन है जो यात्रा के समय को काफी कम कर सकता है, जिससे नागरिकों के लिए समय और लागत दोनों की बचत होगी। यह व्यक्तियों को अपने काम और व्यक्तिगत जीवन के लिए अधिक समय देगा, जिससे समग्र उत्पादकता में वृद्धि होगी।

आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसर:

मेट्रो परियोजना का क्रियान्वयन अपने आप में एक विशाल उद्यम है जो निर्माण, संचालन और रखरखाव के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा करेगा। इसके अतिरिक्त, मेट्रो स्टेशनों के आसपास नए वाणिज्यिक और आवासीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह शहरों में नए निवेश को आकर्षित करेगा और रियल एस्टेट क्षेत्र को भी पुनर्जीवित करेगा।

जीवन की गुणवत्ता में सुधार:


एक आधुनिक और कुशल परिवहन प्रणाली न केवल यात्रा को आसान बनाती है, बल्कि यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करती है। कम तनावपूर्ण आवागमन, स्वच्छ हवा और बेहतर कनेक्टिविटी से शहरी निवासियों के लिए एक अधिक आरामदायक और स्वस्थ जीवन शैली बनती है। यह स्मार्ट प्लानिंग और आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ शहरों को रहने के लिए अधिक आकर्षक स्थान बनाता है।

पटना-भुवनेश्वर मॉडल: एक प्रेरणादायक उदाहरण


झारखंड सरकार पटना और भुवनेश्वर जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में मेट्रो की सफलता से प्रेरित है। ये शहर, जो जनसंख्या और शहरीकरण के पैमाने पर रांची, धनबाद और जमशेदपुर के समान हैं, ने यह साबित कर दिया है कि मेट्रो प्रणाली केवल बड़े महानगरों तक ही सीमित नहीं है। इन शहरों में मेट्रो ने शहरी परिवहन को नया आयाम दिया है, जिससे न केवल यातायात की समस्या का समाधान हुआ है, बल्कि आर्थिक विकास और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। झारखंड सरकार का यह मानना है कि इसी मॉडल को अपनाकर वह अपने शहरों में भी एक समान परिवर्तनकारी प्रभाव ला सकती है। यह दृष्टिकोण यह भी दर्शाता है कि राज्य सरकार दूरदर्शिता के साथ काम कर रही है और सफल मॉडलों से सीखने के लिए तैयार है।

मेट्रो रेल नीति 2017 का पालन और आधुनिक मॉडल


प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि परियोजना मेट्रो रेल नीति 2017 के अंतर्गत सभी मापदंडों का पालन करेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि परियोजना का क्रियान्वयन एक मानक और पारदर्शी तरीके से हो। इसके अतिरिक्त, सरकार कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP), पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP), वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF) जैसे आधुनिक मॉडल अपनाने पर भी जोर दे रही है।

कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP):


यह एक समग्र योजना है जो परिवहन के सभी साधनों को एकीकृत करती है और शहरी गतिशीलता की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाती है। यह सुनिश्चित करता है कि मेट्रो परियोजना शहर के अन्य परिवहन बुनियादी ढांचे के साथ सहज रूप से जुड़े।

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP):


पीपीपी मॉडल निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और वित्तीय संसाधनों का लाभ उठाता है, जिससे परियोजना के लिए धन जुटाने और उसके कुशल क्रियान्वयन में मदद मिलती है। यह सरकार पर वित्तीय बोझ को भी कम करता है।

वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF)


वीसीएफ एक अभिनव वित्तपोषण तंत्र है जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न भूमि मूल्य वृद्धि के एक हिस्से को कैप्चर करता है। यह मेट्रो परियोजना के लिए एक स्थायी राजस्व धारा प्रदान कर सकता है और सार्वजनिक धन पर निर्भरता को कम कर सकता है

ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD):


टीओडी एक शहरी नियोजन दृष्टिकोण है जो उच्च घनत्व, मिश्रित भूमि उपयोग और बेहतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है। मेट्रो स्टेशनों के आसपास टीओडी को लागू करने से न केवल यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ेगी बल्कि शहरी क्षेत्रों का अधिक कुशल और टिकाऊ विकास भी होगा। यह पैदल चलने और साइकिल चलाने को भी बढ़ावा देगा, जिससे शहरी गतिशीलता और स्वास्थ्य में सुधार होगा।

झारखंड के विकास को लगेंगे पंख


झारखंड में मेट्रो सेवा की तैयारी न केवल एक परिवहन परियोजना है, बल्कि यह राज्य के विकास के पहिए को तेज करने का एक शक्तिशाली उत्प्रेरक भी है। यह केवल लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह शहरों को पुनर्जीवित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के बारे में है।

निवेश और पर्यटन को बढ़ावा:


एक आधुनिक मेट्रो प्रणाली निवेशकों को आकर्षित करती है और पर्यटन को बढ़ावा देती है। यह शहरों को अधिक आकर्षक बनाता है और नए व्यवसायों और उद्योगों को स्थापित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।

शहरी नियोजन में सुधार:


मेट्रो परियोजना शहरी नियोजन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है, जिससे शहरों का अधिक संगठित और टिकाऊ विकास होता है। यह भूमि उपयोग को अनुकूलित करता है और भविष्य की शहरी चुनौतियों के लिए शहरों को तैयार करता है।

झारखंड की बदलती छवि:


यह परियोजना झारखंड की छवि को एक पिछड़े राज्य से एक प्रगतिशील और आधुनिक राज्य के रूप में बदल सकती है। यह राज्य की क्षमताओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसे राष्ट्रीय मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।

आगे की राह और चुनौतियां


हालांकि मेट्रो परियोजना के लाभ स्पष्ट हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी होंगी। भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधन जुटाना, और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव कुछ ऐसे मुद्दे हो सकते हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता और केंद्र सरकार के साथ सहयोग से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है। फिजिबिलिटी स्टडी और डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करना पहला महत्वपूर्ण कदम होगा, जो परियोजना की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता का आकलन करेगा।

यह सर्व विदित है कि झारखंड में मेट्रो रेल परियोजना की तैयारी राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल शहरी गतिशीलता में क्रांति लाएगी, बल्कि यह आर्थिक विकास को गति देगी, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देगी और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगी। पटना और भुवनेश्वर मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, और मेट्रो रेल नीति 2017 के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, झारखंड सरकार एक पारदर्शी और व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। यह परियोजना निश्चित रूप से झारखंड को विकास के पहिए पर तेजी से दौड़ाएगी और इसे एक आधुनिक, समृद्ध और भविष्योन्मुखी राज्य के रूप में स्थापित करेगी। यह सिर्फ एक परिवहन प्रणाली नहीं, बल्कि झारखंड के उज्ज्वल भविष्य का आधार है।

आज 25 करोड़ कामगारों की देशव्यापी हड़ताल, झारखंड में भी दिखेगा असर: बैंकिंग से कोयला खदानों तक कामकाज प्रभावित

रांची, झारखंड: आज देश भर में लगभग 25 करोड़ कामगार देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगे, जिसका व्यापक असर झारखंड में भी देखने को मिलेगा. यह हड़ताल केंद्र सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के विरोध में दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनकी सहयोगी इकाइयों द्वारा बुलाई गई है. यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे 'भारत बंद' का नाम दिया है.

झारखंड में हड़ताल का व्यापक समर्थन

जानकारी के अनुसार, झारखंड के मजदूर संगठन भी इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सक्रिय रूप से शामिल होंगे. भारतीय मजदूर संघ और उससे जुड़े संगठनों को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख मजदूर संगठन इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं. कई राजनीतिक दलों ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.

कोयला, बैंक, केंद्रीय कर्मचारी, राज्य सरकार के कर्मचारी, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, बीड़ी, बॉक्साइट, स्टील, परिवहन उद्योग से जुड़े कर्मियों ने हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है. इसके अलावा, कई अन्य संगठनों ने इस आम हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है. हड़ताल को सफल बनाने के लिए मंगलवार को राजधानी रांची में मशाल जुलूस भी निकाला गया, जिसमें सीटू, एटक, एक्टू, एचएमएस, इंटक आदि संगठनों के सदस्यों ने हिस्सा लिया और लोगों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की.

कोयला उद्योग में आंदोलन को सफल बनाने के लिए मजदूर संगठनों ने गेट और पीट मीटिंग का आयोजन किया. मजदूरों को बताया गया कि केंद्र सरकार श्रमिक विरोधी कानून ला रही है, जो देश हित में नहीं है. झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल (कुछ खदान) के साथ-साथ सीएमपीडीआई (CMPDI) में भी मजदूरों को हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया गया है. रांची स्थित एचईसी (HEC) में भी विभिन्न श्रमिक संगठनों, जैसे एटक से संबद्ध हटिया कामगार यूनियन, सीटू से संबद्ध हटिया मजदूर यूनियन और इंटक से संबद्ध हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन ने कामकाज बंद रखने का आह्वान किया है. केंद्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ ने भी केंद्रीय कर्मचारियों से हड़ताल में शामिल होने का आह्नान किया है.

प्रमुख मांगें

इस हड़ताल की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:

चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए.

सभी मजदूरों के लिए ₹26,000 न्यूनतम वेतन और ₹9,000 न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो.

पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए.

महंगाई पर रोक लगे और आवश्यक वस्तुओं से जीएसटी हटाई जाए.

सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए.

यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकारों का सम्मान हो.

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पानी जैसी जरूरतों की सार्वजनिक गारंटी हो.

बिजली का निजीकरण रोका जाए और स्मार्ट मीटर बंद किए जाएं.

किसानों को फसल पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी मिले.

वन अधिकार कानून में जनविरोधी संशोधन रद्द हों.

इन सेवाओं पर पड़ेगा बंद का असर

आज की हड़ताल के कारण निम्नलिखित सेवाएं प्रभावित होंगी:

बैंकिंग सेवाएं

बीमा कंपनियों का कामकाज

पोस्ट ऑफिस सेवाएं

कोयला खदानों का संचालन

राज्य परिवहन सेवाएं (सरकारी बसें)

हाईवे और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम

सरकारी फैक्ट्रियों और सार्वजनिक उपक्रमों का प्रोडक्शन

इन सेवाओं को बंद से राहत

हालांकि, कुछ सेवाओं को इस बंद से राहत दी गई है:

निजी क्षेत्र की अधिकतर कंपनियां सामान्य रूप से काम करेंगी.

अस्पताल और मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी.

निजी स्कूल-कॉलेज और ऑनलाइन सेवाएं भी प्रभावित नहीं होंगी.

यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र सरकार पर अपनी नीतियों की समीक्षा करने और कामगारों व किसानों की मांगों पर ध्यान देने का दबाव बनाने का एक बड़ा प्रयास है.

*रक्तदान महादान,रोटरी नववर्ष 2025-26 की शुरुआत रक्तदान के साथ*
सुलतानपुर,रोटरी क्लब परिवार ने परंपरा को निभाते हुए इस वर्ष भी रोटरी नववर्ष 2025-26 का शुभारंभ रक्तदान जैसे पुनीत कार्य से किया। यह रक्तदान शिविर स्थानीय मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में आयोजित किया गया! जिसमें क्लब के सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। शिविर का उद्घाटन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव, CMS डॉ. आर. के. मिश्रा, सहमंडलाध्यक्ष रोटेरियन नीरव पांडेय, अध्यक्ष रोटेरियन अखिल अग्रवाल, तथा सचिव रोटेरियन डॉ. अभिषेक पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर अनेक विशिष्ट रोटेरियन सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं: जोनल सेक्रेटरी संजय केसरवानी, रक्तदान शिविर चेयरमैन निमेन्द्र गोयल, डॉ. रवि त्रिपाठी,डॉ.अमित पांडेय, मनमोहित सिंह,वेद प्रकाश जायसवाल, अलंकार टंडन,श्वेता अग्रवाल,डॉ.मीनू पांडेय,प्रतिमा सिंह,तथा सागर तिवारी। शिविर के दौरान कुल 11 यूनिट रक्त एकत्र किया गया,जिसमें रोटेरियन दिल से केशव अग्रवाल द्वारा भी एक यूनिट रक्तदान किया गया। रोटरी परिवार के इस प्रयास से न केवल समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैली है, बल्कि यह भी सिद्ध हुआ है कि रोटरी सेवा के माध्यम से समाज के लिए संकल्पित है।
क्या कोविड वैक्सीन बन रही अचानक मौतों की वजह? ICMR और AIIMS ने दिया जवाब

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पिछले कुछ महीनों में अचानक मौतों की खबरों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। इन मौतों का कनेक्शन कोविड-19 की वैक्सीन से जोड़ा जा रहा है। कई लोगों ने कोविड वैक्सीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम बयान जारी कर लोगों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है। मंत्रालय ने साफ किया है कि कोविड वैक्सीनेशन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो बड़ी वैज्ञानिक स्टडीज का हवाला देते हुए कहा कि कोविड-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं है।देश की दो सबसे बड़ी मेडिकल संस्थाओं ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ने बड़ी और गहरी जांच की है, जिसमें साफ कहा गया है कि कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों का कोई सीधा संबंध नहीं है।

ICMR और AIIMS की स्टडी में क्या?

-इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में 18 से 45 साल के युवाओं की अचानक हुई मौतों का विश्लेषण किया। इसमें साफ था कि कोविड वैक्सीन से इन मौतों का कोई संबंध नहीं है।

-दूसरी स्टडी AIIMS और ICMR द्वारा मिलकर की जा रही है, जो अभी चल रही है। शुरुआती तौर पर इसके रिजल्ट बताते हैं कि इन मौतों के पीछे प्रमुख कारण हार्ट अटैक ही है, और यह वैक्सीन से नहीं जुड़ा है. इसके अलावा, अधिकतर मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन या पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं भी पाई गईं.

सरकार ने अपील क्या की?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन भारत में पूरी तरह सुरक्षित है और करोड़ों लोगों की जान बचाने में इसकी भूमिका रही है। गंभीर रिएक्शन के मामले बेहद ही कम हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, इस तरह के अटकलें बिना वैज्ञानिक आधार के होती हैं और ये जनता के मन में वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करती हैं। हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिए, न कि अफवाहों पर।

कर्नाटक के हासन में 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत

AIIMS और ICMR की रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब कर्नाटक के हासन जिले में हो रही मौतों ने लोगों डरा दिया है। दरअसल, कर्नाटक के हासन जिले में मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून के आखिरी हफ्ते तक 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इनमें से 9 लोग 30 साल से भी कम उम्र के थे। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से ज्यादातर को कोई पुरानी बीमारी नहीं थी और उन्हें कोई लक्षण भी नहीं दिखे थे।

सिद्दारमैया का चौंकाने वाला बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक विशेषज्ञ समिति को 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सिद्दारमैया ने इस पूरे मामले पर बयान देते हुए एक चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने कहा है कि हो सकता है कि कोविड-19 वैक्सीन का भी इन मौतों में कोई कनेक्शन हो। उन्होंने कहा, हम यह नजरअंदाज नहीं कर सकते कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और इसे बिना टेस्टिंग के लोगों को लगाया गया। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भी वैक्सीन और हार्ट संबंधी समस्याओं के कुछ लिंक सामने आए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भदोही दौरा: कालीन उद्योग को सराहा, गंगा पर बहुप्रतीक्षित पुल निर्माण की घोषणा, बैठक कर अफसरों का पेंच

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने भदोही दौरे के दौरान जिले को कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की सौगात दी। उन्होंने जहां भदोही के प्रसिद्ध कालीन उद्योग की जमकर सराहना की, वहीं स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई बड़े एलान भी किए। बता दें कि सोमवार को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भदोही दौरे पर रहे। वह दोपहर 1.40 बजे भदोही पुलिस लाइन पहुंचे।

पुलिस लाइन में बीजेपी नेताओं एवं पार्टी पदाधिकारियों संग उन्होंने वार्ता किया। इसके बाद उन्होंने मुख्यालय के पास सरपतहां स्थित सौ शैय्या अस्पताल में निर्माणाधीन 50 बेड क्रिटिकल केयर ब्लॉक का स्थलीय निरीक्षण किया। साथ ही डायलिसिस सेंटर का निरीक्षण करते हुए मरीजों-तीमारदारों से हालचाल एवं व्यवस्था की जानकारी ली। इसके बाद सीएम ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर प्रदेशव्यापी वृहद पौधरोपण 'एक पेड़, मां के नाम' कार्यक्रम की शुरुआत कलेक्ट्रेट परिसर में पेड़ रोपित कर किया।

तत्पश्चात भदोही कलेक्ट्रेट सभागार में मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों संग विकास कार्यों एवं कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक की। सीएम के भ्रमण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही, प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा।

CM प्रेस ब्रीफिंग -------

•‘एक पेड़, मां के नाम’ कार्यक्रम का शुभारंभ-

सीएम योगी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस पर प्रदेशव्यापी वृक्षारोपण अभियान ‘एक पेड़, मां के नाम’ का शुभारंभ किया। उन्होंने भदोही कलेक्ट्रेट परिसर में स्वयं एक पौधा रोपित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। आमजन से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए हर व्यक्ति एक - एक पौधे जरूर लगाए।

•कालीन उद्योग को बताया प्रदेश की शान-

प्रेस ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री ने कहा कि भदोही के कालीन उद्योग ने प्रदेश और देश की विश्वभर में पहचान दिलाई है। उन्होंने बताया कि देशभर में भदोही अकेले 60% कार्पेट उत्पादन और निर्यात करता है। यह क्षेत्र की शिल्पकला और मेहनतकश लोगों की प्रतिभा का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार हस्तशिल्प और कालीन उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के लिए विशेष सहयोग प्रदान करेगी।

•स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछली सरकारों पर साधा निशाना-

सीएम योगी ने सरपतहां स्थित निर्माणाधीन 50 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक और डायलिसिस सेंटर का निरीक्षण किया। प्रेस ब्रीफिंग में उसकी चर्चा करते हुए सीएम ने पिछली सरकारों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। कहा कि, “सौ शैय्या अस्पताल के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार पिछली सरकार में हुआ, जिसे हमारी सरकार धीरे-धीरे सुधार रही है।”

•बहुप्रतीक्षित डेंगूरपुर-धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल निर्माण की स्वीकृति-

जनप्रतिनिधियों की मांग पर भदोही वासियों को बड़ी सौगात देते हुए मुख्यमंत्री ने डीघ ब्लॉक के डेंगूरपुर-धनतुलसी गंगा घाट पर पक्का पुल निर्माण को स्वीकृति दी। यह पुल लंबे समय से जनता की मांग में शामिल था और अब इसके निर्माण के शुरुआत की राह प्रशस्त होगी।

•शिक्षा और बुनियादी ढांचे में बड़े एलान-

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अगर जमीन उपलब्ध होती है , तो ज्ञानपुर स्थित काशी नरेश स्नातकोत्तर महाविद्यालय को स्टेट यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित कराएंगे।

•भदोही को मिलेगा मेडिकल कॉलेज-

सीएम योगी ने कहा कि अभी हम सौ शैय्या अस्पताल में 50 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक की स्थापना करा रहे हैं। आगे भदोही में पीपीपी मॉडल पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना भी कराने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ होंगी, बल्कि युवाओं को चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर भी मिलेंगे।

•मुख्यालय पर बनेगा मल्टीपरपज हॉल, अधिकारियों के आवासीय सुविधा-

प्रेस ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि पहले से एक छोटा सा ऑडिटोरियम मुख्यालय पर बनने के लिए स्वीकृत था, जिसे हमने मल्टीपर्पज हॉल के रूप में निर्माण के लिए प्रस्तावित किया है। एवं अधिकारियों कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधा की भी बात कही। उन्होंने कहा कि प्रयास रहेगा जल्द ही उक्त परियोजनाओं के शिलान्यास एवं लोकार्पण के लिए पुनः भदोही दौरे पर आप सभी के बीच आऊं।