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मुख्यमंत्री पहुंचे उत्कृष्ट किसान रोहित साहू के खेतों में: केला और पपीता की खेती से कमा रहे लाखों का मुनाफा

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज सुशासन तिहार के तहत औचक निरीक्षण पर बेमेतरा जिले के ग्राम सहसपुर आये। इस दौरान वे सहसपुर ग्राम के उत्कृष्ट किसान रोहित साहू के खेत में भी पहुंचे। मुख्यमंत्री को श्री साहू ने बताया कि वे पिछले 9 साल से केला और पपीता की खेती कर रहे हैं, जिससे वे लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं और 15-20 लोगों को अपने खेत में रोजगार भी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय को कृषक श्री साहू ने अपने खेत के ताजे केला और पपीता भेंट किये। मुख्यमंत्री को उन्होंने बताया कि वे 5 एकड़ में केला और साढ़े तीन एकड़ में पपीता की खेती कर रहे हैं। जिससे वे केले से प्रति एकड़ डेढ़ लाख रुपये व पपीता से 1 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं।

मुख्यमंत्री को श्री साहू ने बताया कि केला और पपीता की खेती से वे धान के मुकाबले अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान के अतिरिक्त अन्य लाभप्रद फसलों की ओर भी किसानों को बढ़ने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ की मिट्टी बहुत उर्वरा है। इस तरह किसान कृषि से और लाभ कमा पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कृषक श्री साहू की सराहना करते हए कहा कि उनकी खेती सभी किसानों के लिए प्रेरणादायी हैं।

मुख्यमंत्री ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर का किया औचक निरीक्षण

रायपुर- प्रदेश में सुशासन और जनहितकारी योजनाओं के प्रभाव को धरातल पर परखने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इन दिनों लगातार प्रदेश के विभिन्न इलाकों के दौरे पर हैं। इसी क्रम में आज उन्होंने जिला बेमेतरा के सहसपुर ग्राम पंचायत स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर का औचक निरीक्षण किया। बिना पूर्व सूचना के पहुंचे मुख्यमंत्री ने केंद्र में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का जायजा लिया और वहां इलाज करा रहे मरीजों से सीधे संवाद कर उनकी स्थिति जानी।

मुख्यमंत्री ने मितानिन दीदियों से चर्चा करते हुए संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षित मातृत्व और नवजात के स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है कि सभी प्रसव स्वास्थ्य संस्थानों में हों। मितानिनों को गांव-गांव जाकर महिलाओं को जागरूक करने और उन्हें अस्पताल में प्रसव के लिए प्रोत्साहित करने को कहा गया।

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने चिकित्सा स्टाफ को निर्देशित किया कि गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए दवाइयों और उपचार सामग्रियों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही नहीं होनी चाहिए और आमजन को समय पर, गुणवत्तापूर्ण उपचार मिले, यही राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।

इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार देने का काम कर रही है। उन्होंने सभी स्वास्थ्य केंद्रों को और अधिक सशक्त बनाने की बात भी कही।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री साय सुशासन तिहार के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण की बुनियादी संस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि योजनाओं का वास्तविक लाभ हर अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और जमीनी स्तर की कमियों को तुरंत दूर किया जाए।

इस मौके पर विधायक ईश्वर साह, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद मौजूद रहे।

भारत-पाक युद्ध : छत्तीसगढ़ के दुर्ग में होगा मॉक ड्रिल, तैयारी में जुटा प्रशासन, गृह मंत्रालय ने जारी किया है निर्देश

दुर्ग-  भारत-पाक युद्ध के दौरान आपातकालीन स्थिति से निपटने केंद्र सरकार के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मॉक ड्रिल होगा. इसकी तैयारी जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है. मॉक ड्रिल को लेकर कलेक्टर ने आज बैठक बुलाई है. मॉक ड्रिल के दौरान आपदा प्रबंधन के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ को जिम्मेदारी दी जाएगी.

कलेक्टर अभिजीत सिंह ने कहा, भिलाई इस्पात संयंत्र जैसे बड़े सयंत्र की वजह से दुर्ग जिले में मॉक ड्रिल किया जाएगा. इसके लिए आज शाम बैठक रखी गई है. बता दें कि पहलगाम अटैक का बदला लेने के लिए भारत कड़ा रुख अपनाने की तैयारी कर रहा हैगृह मंत्रालय ने कई राज्यों को दिए हैं निर्देश

बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध वॉर जारी है. युद्ध की आग कभी भी भड़क सकती है. ऐसे में भारत ने अपनी ओर से तैयारी तेज कर दी है. केंद्र सरकार ने सुरक्षा तैयारियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है. गृह मंत्रालय ने देश के कई प्रदेशों को 7 मई को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. इसके तहत छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कल मॉक ड्रिल किया जाएगा।


जानिए कहां-कहां होगा मॉक ड्रिल-

अटक गया राजधानी का मास्टर प्लान, अफसर अपने हिसाब से बना रहे शहर की योजनाएं

रायपुर- जिम्मेदार अधिकारी कितने अपनी जबावदारी के प्रति जिम्मेदार होते हैं, इसका उदाहरण टाउन प्लानिंग विभाग है. जांच में राजधानी रायपुर के लिए बनाए गए मास्टर प्लान में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आने के बाद भी जो स्थित है, उसे देखकर आप केवल अपना सिर पिट सकते हैं.

यह कहानी पिछली कांग्रेस सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रदेश में भाजपा के सत्तारुढ़ होने के साथ शुरू होती है. राजधानी के लिए बनाए गए मास्टर प्लान को लेकर शिकायतों को देखते हुए पिछले साल मई में जांच की घोषणा की गई थी. टाउन प्लानिंग के आला अफसरों ने इसकी जांच की. करीब तीन महीने की जांच के बाद समिति ने रिपोर्ट टाउन प्लानिंग के तत्कालीन डायरेक्टर सौरभ कुमार को सौंप दी थी.

रिपोर्ट की समीक्षा के बाद इसे कैबिनेट में पेश करना था, लेकिन उसी दौरान टाउन प्लानिंग के डायरेक्टर बदल गए. नए डायरेक्टर अवनीश कुमार शरण के समक्ष जांच रिपोर्ट सबमिट की गई तो उन्होंने नए सिरे से समीक्षा का फरमान जारी कर दिया. उन्होंने अफसरों से कहा है कि वे जल्द ही इस संबंध में बैठक लेंगे. रिपोर्ट की फिर समीक्षा होने से फिलहाल कैबिनेट को नहीं सौंपी जाएगी. इस वजह से मास्टर प्लान में बदलाव फिलहाल अटक गया.

अब नया मास्टर प्लान लागू नहीं होने की वजह से अभी शहर में जितनी भी योजनाएं बन रही हैं वे अफसर अपने हिसाब से बना रहे हैं. इसके अलावा मास्टर प्लान में जिन लोगों की जमीन प्रभावित हुई हैं उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि प्लान में संशोधन की वजह से वे अपनी ही जमीन की खरीदी-बिक्री तक नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है. यहां तक यह भी तय नहीं है कि मास्टर प्लान में आम लोगों से दावा-आपत्ति कब मंगाई जाएगी.

रिपोर्ट आने के बाद एक भी बैठक नहीं

मास्टर प्लान में संशोधन को लेकर विभाग के अफसर कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद एक भी बार अफसरों की बैठक तक नहीं ली गई. अभी तक यह भी तय नहीं है कि मास्टर प्लान में जो संशोधन का प्लान दिया गया है, उसे जस का तस माना जाएगा या नहीं.

मास्टर प्लान में गड़बड़ी करने वाले एक भी अफसर या कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्हें किसी भी तरह का नोटिस तक नहीं दिया गया है. इस वजह से अफसर भी इसे लेकर बेखौफ हैं. हालांकि, विभागीय मंत्री ओपी चौधरी का दावा है कि मास्टर प्लान में गड़बड़ी करने वालों को किसी भी तरह से बख्शा नहीं जाएगा. जांच रिपोर्ट के आधार पर ही गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मुख्यमंत्री ने तेरहवीं शताब्दी के प्राचीन शिव व हनुमान मंदिर के किए दर्शन

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सुशासन तिहार के अंतर्गत आज अपने आकस्मिक निरीक्षण के दूसरे दिन बेमेतरा जिले के ग्राम-सहसपुर पहुंचे। मुख्यमंत्री श्री साय ने ग्राम सहसपुर में 13वीं- 14वीं शताब्दी में निर्मित भगवान शिव व हनुमान के प्राचीन मंदिर के दर्शन किए और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

उल्लेखनीय है कि ग्राम-सहसपुर में यह प्राचीन मंदिर कवर्धा के फणिनागवंशी राजाओं द्वारा नागर शैली में निर्मित किया गया था। गांव के सुरम्य वातावरण में स्थित यह मंदिर इस बात का जीवंत सबूत है की छत्तीसगढ़ की धरती में धर्म और आस्था के बीज बहुत पुराने हैं। ये मंदिर छत्तीसगढ़ की समृद्ध वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सोलह स्तम्भों पर टिका शिव मंदिर और आठ स्तम्भों का हनुमान मंदिर बहुत सुंदर प्रतीत होता है। आज भी इन मंदिरों का पुराना वैभव यथावत है। ये अपने कालखंड की एक निशानी के तौर पर मौजूद हैं और हमारी समृद्ध कला संस्कृति का भी परिचय देते हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने आज अपने आकस्मिक दौरे से छत्तीसगढ़ के गांवों की आस्था के इस ऐतिहासिक पहलू को छुआ है।

सुशासन तिहार : समाधान शिविर में शराब दुकान हटाने की उठी मांग, 15 दिन में कार्रवाई नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी, कलेक्टर ने दिया आश्वासन

गरियाबंद- छत्तीसगढ़ में जनता की समस्या के समाधान के लिए सुशासन तिहार के तहत समाधान शिविर लगाया जा रहा है. शिविर में जिले के ग्राम सोनामुंदी में देश-अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने जाने को लेकर मांग उठी है. वार्ड पार्षद विनोद पांडे ने पत्र लिखकर बताया कि इसके लिए वे 5 बार से ज्यादा आवेदन दे चुकें हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. इससे वार्ड के लोगों में नाराजगी है. वार्डवासियों के हस्ताक्षरित ज्ञापन के साथ कलेक्टर को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 15 दिनों के भीतर दुकान नहीं हटाई गई, तो वह वार्डवासियों के साथ धरने पर बैठेंगे.

दरअसल, बीते एक वर्ष से वार्डवासी, शिशु मंदिर संस्थान और वहां अध्ययनरत बच्चों के पालक लगातार दुकान को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं. नगर सुशासन तिहार के दौरान भी इस संबंध में पांच से अधिक आवेदन दिए जा चुके हैं, लेकिन आबकारी विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. विभाग की उदासीनता से वार्डवासियों नाराज है.

जनता की नाराजगी, प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल

सुशासन तिहार के बीच जनता की तीखी नाराजगी ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. राज्य सरकार का ‘सुशासन दिवस’ जनता-जनार्दन को समर्पित है, लेकिन ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी एक्शन नहीं लिया गया. अब देखना यह होगा कि प्रशासन आबकारी विभाग की जिद को तोड़कर जनभावनाओं का सम्मान करता है या फिर इसे अन्य मांगों की तरह नजरअंदाज कर देता है.

क्यों उठी शराब दुकान हटाने की मांग?

स्थानीय निवासियों का कहना है कि शराब दुकान के कारण इलाके में भीड़भाड़, गंदगी और असामाजिक गतिविधियों का बोलबाला है. पीने वाले लोग शिशु मंदिर परिसर और आसपास की निजी संपत्तियों में बैठकर शराब का सेवन करते हैं, जिससे कई बार घटनाएं भी हो चुकी हैं. सोनामूंदी वार्ड वासीयों की आवाजाही दुकान स्थित रोड पर है. सड़कों पर सुबह-शाम मदिरा प्रेमियों की भीड़ लगी रहती है, जिससे महिलाओं और बच्चों को आवागमन में परेशानी होती है. यही नहीं, महिला समूह द्वारा संचालित कार्यशाला भी दुकान के माहौल के कारण बंद हो चुकी है. इसलिए अब वार्डवासी चाहते हैं कि शराब दुकान को यहां से हटाया जाए.

गौरतलब है कि वार्ड वासी, महिला समूह ने कदली मूड़ा आए प्रभारी मंत्री दयाल दास बघेल को सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा था. इसके अलावा क्षेत्रीय वरिष्ठ भाजपा नेता गोवर्धन मांझी और जिला पंचायत अध्यक्ष गौरी शंकर कश्यप ने भी शिशु मंदिर संचालन में पड़ रहे दुष्प्रभाव को लेकर शासन प्रशासन को दुकान हटाने की मांग करते हुए पत्र सौंप चुके हैं.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन

समाधान शिविर में ज्ञापन सौंपे जाने के बाद कलेक्टर भगवान उइके ने वार्ड पार्षद विनोद पांडे और स्थानीय नागरिकों को भरोसा दिलाया कि दुकान हटाने की मांग पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी. 

महादेव सट्टा के सटोरिए के साथ पुलिसकर्मियों की फोटो वायरल : DGP ने लिया एक्शन, टीआई और एसआई को किया पीएचक्यू अटैच

दुर्ग- महादेव सट्टा एप से जुड़े एक सटोरिए के साथ पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों की तस्वीर वायरल होने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय ने बड़ी कार्रवाई की है. वायरल फोटो के चलते दुर्ग जिले के थाना प्रभारी और उप निरीक्षक (एसआई) को पुलिस मुख्यालय (PHQ) अटैच कर दिया गया है. इस संबंध में डीजीपी अरुण देव गौतम ने आदेश जारी किया है.

बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की तस्वीर सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुई थी, जिसमें एडिशनल एसपी सिटी सुखनंदन राठौर, निरीक्षक कपिल देव पांडे और उप निरीक्षक चेतन चंद्राकर एक सटोरिए के साथ नजर आ रहे थे.

दावा किया गया कि यह सटोरिया महादेव सट्टा एप से जुड़ा हुआ है. तस्वीर सामने आते ही पुलिस विभाग की किरकिरी शुरू हो गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई.

पीएचक्यू द्वारा जारी आदेश के अनुसार, कपिल देव पांडे टीआई जामुल को पीएचक्यू अटैच किया गया है. चेतन चंद्राकर, उप निरीक्षक दुर्ग को भी पीएचक्यू अटैच किया गया है. अरविंद कुमार साहू रक्षित निरीक्षक राजनांदगांव को नेताजी सुभाष चंद्र बोस राज्य पुलिस अकादमी चंदखुरी भेजा गया है और बालाराम सिन्हा उप निरीक्षक महासमुंद को धमतरी स्थानांतरित किया गया है.

अपोलो अस्पताल के फर्जी डॉक्टर जॉन केम की पुलिस रिमांड खत्म, वापस भेजा गया दमोह जेल…

बिलासपुर- अपोलो अस्पताल के फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम का रिमांड खत्म होने के बाद वापस दमोह जेल भेज दिया गया है. डॉ. जॉन केम को प्रोडक्शन रिमांड पर गिरफ्तार कर बिलासपुर लाया गया था.

अपोलो अस्पताल में पदस्थ रहते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल सहित अन्य मरीजों की इलाज में लापरवाही से मौत होने का आरोप परिजनों ने लगाया है. मामले में सरकंडा थाने में डॉ. जॉन के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. आरोपी फर्जी डॉक्टर को दमोह से बिलासपुर लाए जाने के बाद पुलिस ने मामले में डॉक्टर से पूछताछ हुई है.

गौरतलब है कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में डॉ. नरेंद्र जॉन कैम ने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है. जिन मरीजों का ऑपरेशन किया था, उनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के समय हुई थी. जांच में पता चला कि डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के डिग्री और अनुभव पूरी तरह से फर्जी थे.

दमोह में फर्जी डॉक्टर का खुलासा होने के बाद बिलासपुर में भी हलचल हुई. अपोलो अस्पताल में 2006 में इलाज के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल की मौत के पीछे उनके बेटे ने प्रदीप शुक्ल ने फर्जी डॉक्टर को जिम्मेदार बताते हुए पुलिस में शिकायत की थी.

इस पर फर्जी डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जान केम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 466 (दस्तावेजों में कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग), 304 (गैर इरादतन हत्या) और 34 (सामूहिक अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस मामले में अपोलो प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है. आरोप है कि बिना दस्तावेज सत्यापन के अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर इलाज का मौका दिया, जिससे गंभीर लापरवाही हुई और मरीज की जान चली गई. पुलिस मामले में प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कर रही है.

जांच में पाई गई फर्जी डिग्रियां

पुलिस जांच में पाया गया कि नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. वह देहरादून का रहने वाला है. दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है. उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है. उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है. इसके बाद जो 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है. ये डिग्रियां कलकत्ता, दार्जिलिंग व यूके की बताई गई हैं.

नक्सलियों की कायराना करतूत, उप सरपंच को गला घोंटकर उतारा मौत के घाट

सुकमा- छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों की बौखलाहट देखने को मिली है. नक्सलियों ने तारलागुड़ा के उपसरपंच मुचाकी मूचाकी रामा की गला घोंटकर हत्या कर दी. इस घटना से इलाके में दहशत का माहौल बन गया है. जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर मृतक का शव बरामद किया और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है. पूरा मामला जगरगुण्डा थाना क्षेत्र के तारलागुड़ा के आश्रित ग्राम बैनपल्ली का है.

जानकारी के अनुसार, बिना वर्दी के पहुंचे माओवादियों ने उपसरपंच मूचाकी रामा को घर से उठाया और जंगल ले जाकर रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी. यह घटना सोमवार दोपहर लगभग 3:00 बजे की है. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची और शव को सुरक्षित निकाला. शव को वैधानिक कार्यवाही के लिए भेजा गया है और पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.  

तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन राशि वितरण में भ्रष्टाचार, 11 वनोपज समिति प्रबंधक निलंबित, संचालक मंडल को किया भंग

जगदलपुर- सुकमा जिले में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि के वितरण में भ्रष्टाचार सामने आया था. मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 प्राथमिक वनोपज समिति प्रबंधकों को हटा दिया गया है. इसके साथ ही इन समितियों के संचालक मंडल को भी भंग कर दिया गया है.

इस मामले में पहले ही सुकमा जिले के डीएफओ को निलंबित करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने डीएफओ को गिरफ्तार किया है. अब समिति के प्रबंधकों को हटाने के साथ समिति के संचालक मंडल को भंग करने के बाद संबंधित नोडल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की गई है.

बता दें कि सुकमा जिले के अंतर्गत सीजन वर्ष 2021 के लिए 31,356 संग्राहकों को 4.53 करोड़ व वर्ष 2022 के लिए 18,918 संग्राहकों को 3.32 करोड़ रुपये प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना था. इनमें से वर्ष 2021 के 10,131 संग्राहकों को 1.38 करोड़ तथा वर्ष 2022 के 5,739 संग्राहकों को 74 लाख रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित की गई.

शेष संग्राहकों के बैंक खाते उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में सुकमा कलेक्टर की अनुशंसा पर शासन ने नगद भुगतान की अनुमति दी थी. इसके लिए राशि जिला यूनियन को हस्तांतरित की गई थी. कुछ समितियों द्वारा नगद भुगतान किया गया, लेकिन 11 समितियां – जिसमें सुकमा, फूलबगड़ी, दुब्बाटोटा, जगरगुण्डा, मिचीगुड़ा, बोड़केल, कोंटा, जग्गावरम, गोलापल्ली, किस्टाराम एवं पालाचलमा शामिल है, वहां प्रोत्साहन राशि का वितरण नहीं किया गया था.