कनाडा के नए प्रधानमंत्री होंगे पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, क्या सुधरेंगे भारत के साथ संबंध?
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कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने मार्क कार्नी को अपना नया नेता चुन लिया है। मार्क कार्नी देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। 59 वर्षीय कार्नी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे, जिन्होंने जनवरी में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, लेकिन आने वाले दिनों में उनके उत्तराधिकारी के शपथ लेने तक वो प्रधानमंत्री बने रहेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ रिश्तों को निचले स्तर पर पहुंचा दिया था। ऐसे में सवाल है कि भारत और कनाडा के रिश्ते में सुधार होगा?
जस्टिन ट्रूडो ने जहां अपने कार्यकाल में भारत से संबंधों को तनावपूर्ण बनाया तो वहीं मार्क कार्नी ने भारत से संबंधों को सुधारने का वादा किया है। कनाडा ने नए पीएम ने इस बात के संकेत भी दिए हैं। लिबरल पार्टी में नेतृत्व की दौड़ से पहले कार्नी ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर वह पीएम बने तो वह समान विचारधारा वाले देशों के साथ कनाडा के व्यापारिक संबंधों को विविधता देने के लिए काम करेंगे। कार्नी ने कहा, कनाडा जो करना चाहेगा वह है समान विचारधारा वाले देशों के साथ हमारे व्यापारिक संबंधों को विविधता देना और भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर हैं।
हालांकि, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी कि कार्नी ट्रूडो द्वारा भारत-कनाडा संबंधों को पहुंचाई गई क्षति को दूर कर पाएंगे। लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों और कुछ लिबरल नेताओं का मानना है कि उनके चुनाव से तत्काल कोई नीतिगत परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन उनकी नेतृत्व शैली और आर्थिक फोकस कई तरीकों से भारत के प्रति कनाडा के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकते हैं
कार्नी का अर्थव्यवस्था और वित्तीय मामलों में व्यापक अनुभव है। वह पहले ब्रूकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं, जो भारत में करीब 30 बिलियन डॉलर की संपत्तियों का प्रबंधन करता है। इनमें रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, प्राइवेट इक्विटी और विशेष निवेश शामिल हैं। कनाडा इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष रीतेश मलिक के मुताबिक, कार्नी एक अनुभवी अर्थशास्त्री हैं और ब्रूकफील्ड में अपने अनुभव के चलते भारत की अर्थव्यवस्था को अच्छी तरह समझते हैं। उनकी प्राथमिकता विदेश नीति और व्यापार पर होगी, जिससे भारत-कनाडा के मौजूदा तनावपूर्ण संबंधों में सुधार की संभावना है।
बता दें कि ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत-कनाडा संबंध काफी बिगड़ गए थे, जो ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गए थे। दोनों देशों के बीच तनाव तब बढ़ गया जब ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया। इसके जवाब में, दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, जिससे राजनयिक संबंध और खराब हो गए। व्यापार वार्ता भी रोक दी गई और कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गईं।
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