थेक्कड़ी एक स्वप्निल स्थल

आदिवासी संस्कृति से समृद्ध थेक्कड़ी पर्यटकों को धरती पर एक सुखद स्वर्ग का अनुभव कराती है
समृद्ध आदिवासी संस्कृति को दर्शाती थेक्कडी उन लोगों के लिए धरती पर एक सुखद स्वर्ग है, जो प्रकृति को उसके जंगली रूपों में प्यार करते हैं।
कोच्चि से लगभग 145 किमी दूर थेवकही केरल-तमिलनाडु सीमा के पास स्थित है। इस क्षेत्र में कई पुराने खंडहर भी हैं, जो अतीत की भव्यता के प्रतीक हैं और इतिहास के कई अधखुले पन्ने खोलते हैं. इसमें मंगला देवी कन्नगी मंदिर में आध्यात्मिक विरासत से लेकर मरयूर में मेगालिधिक चमत्कार तक शामिल हैं, जो इतिहास के विभिन्न कालखंडों में अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं, जैसे कि उनके खंडहर दीवारों के माध्यम से देखे जाते हैं. इन प्राचीन खंडहरों के बीच घूमना अतीत में घूमने जैसा है, क्योंकि यह केरल की समृद्ध विरासत का प्रतीक हैं।
भारत के दक्षिणी हिस्से में स्थित पश्चिमी घाट के एवरग्रीन और सेमी-एवरग्रीन जंगलों के बीच स्थित है थेक्कडी, जिसके इको-सिस्टम को बरकरार रखने में केरल टूरिज्म बिभाग ने बेहतरीन काम किया है। वैसे तो यह जगह परिवार के साथ छुट्टियां मनाने या फिर दोस्तों के साथ घूमने के लिहाज से बेहतरीन है, लेकिन अगर आप सुकून के पल की तलाश में हैं, तो अकेले भी यहां घूमने आ सकते हैं.
यहां के पेरियार वन्यजीव अभयारण्य हाथी , सांभर, बाघ, गौर, शेर-पंछ वाले मकाक और नीलगिरि लंगूरों के झुंडों का घर है
देश का सबसे बड़ा पेरियार वन्यजीव अभयारण्य यहीं स्थित है, जो अपने घने सदाबहार, अर्ध-सदाबहार, नम पर्णपाती जंगलों और सवाना घास के मैदानों के लिए प्रसिद्ध है. यह हाथी, सांभर, बाघ, गौर, शेर-पंछ वाले मकाक और नीलगिरि लंगूरों के झुंडों का घर है. पेरियार वन्यजीव अभयारण्य की 1978 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था. पेरियार नदी पर मुल्लापेरियार बांध द्वारा बनाई गई शानदार कृत्रिम झील पार्क के आकर्षण को बढ़ाती है. वहां का सबसे बड़ा आकर्षण जंगली हाथियों, हिरणों और बाइसन के झुंड हैं, जो झील में पानी पीने के लिए आते हैं.
इसके अंदर पेरियार और चंबा नदियां बहती हैं यहां प्रवेश करते ही एक अजीब सी खामोशी से सामना होता हैं
305 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान के अंदर से पेरियार और चंबा नदियां बहती हैं. इसके बीच स्थित पेरियार झील में बोटिंग का लुत्फ उठाया जा सकता है. इस झील के पास जंगली जानवरों को पानी पीते हुए देखना रोमांचित करने वाला है. यह क्षेत्र 18वीं और 19वीं शताब्दी में त्रावपाकोर राजाओं की शिकारगाह था. यहाँ प्रवेश करते ही एक अजीब-सी खामोशी से सामना होता है. कहीं भय भी था कि चूंकि यह एक टाइगर रिजर्व है, तो कहीं से कोई बाघ निकलकर हमारे सामने न आ जाए, पार्क के अंदर बंदर बहुतायत में हैं और अगर आपके पास खाने-पीने की चीजें हैं, तो खुद को उनसे बचाए रखना मुश्किल हो जाता है. बोटिंग के लिए डबल डेकर बोट में जब बैठे, तो लाइफ जैकेट पहनने को दी गई और सीट से न उठने की सख्त हिदायत भी. झील के बीच में कुछ लकड़ी के लड्डे गाड़े गये हैं, जिन पर विभिन्न प्रकार के पक्षियों ने घोंसले बनाए थे. थोड़ा आगे बढ़े, तो एक जगह पानी के किनारे झुरमुटों में थोड़ी हलचल हुई, लेकिन ध्यान से देखा, तो एक हिरण दिखाई दिया. मन थोड़ा उदास हुआ, पर सोचा यहां नहीं तो बाध आगे तो दिख ही जाएगा, काफी दूर एक दूसरे छोर पर कुछ हाथी अठखेलियां करते दिखाई पड़े, पर वह चीज नहीं दिखाई दी, जिसे देखने हम हम आए थे. वाप वापस लौटते वक्त भी केवल कुछ छोटे-मोटे जानवर ही दिखाई पड़े.
यहां वनों में चाय, काफी और इलायची के बगानों की खूशबू आती हैं
खुले वातावरण में उसके खुद के घर में आजादी से बाघ को स्वच्छंद घूमते हुए देखने का रोमांच कुछ और ही है. के पेरियार वन्यजीव अभयारण्य के अद्भुत नजारों को देखने लिए सबसे अच्छी जगह केरल के थेक्कडी से चार किमी की दूरी पर स्प्रिंग वैली माउंटेन की चोटी है. स्थानीय लोगों द्वारा कुरिसुमाला कहे जाने वाले स्प्रिंग वैली माउंटेन में ट्रैकिंग ट्रेल्स है. पहाड़ी की चोटी पर एक चर्च भी है. पहाड़ियों से गुजरते हुए सुगंधित मसाला बागानों के साथ साथ चाय, कॉफी और इलायची की खुशबू भी आती है.

थेक्कडी प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के रोमांचक जगह हैं यहां जंगलों के साहसिक कहानियां सुनने का मिलते हैं
पेरियार टाइगर ट्रेल मार्ग पहाडियों और घाटियों से होकर गुजरता है, जिसमें कई तरह के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र और विस्तृत खुली जगहें है. गाइड रास्ते में बहुत दिलचस्पी से पहले के शिकारियों की अजीबो-गरीब साहसिक कहानियां सुनाते चलते हैं. धक्कड़ी में बांस राफ्टिंग परियार टाइगर रिजर्व के सबसे बेहतरीन रोमांचक कार्यक्रमों में से एक है. थेक्कडी आने वाले प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक शानदार पर्यावरण-अनुकूरत, मनोरंजन कार्यक्रम है. बांस राफ्टिंग सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक होती है, दस पर्यटकों चाली प्रत्येक टीम के साथ एक सशस्त्र वन रक्षक और चार गाइड थे. ज्यादातर गाइड आदिवासी समुदायों के हैं, जो धने जंगलों के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं.
बॉर्डर हाइकिंग भी यहां का एक आकर्षण है. प्रतिदिन 10 हाइकर्स के दो समूहों को लंबे वन्यजीव संरक्षण ट्रेक पर ले जाया जाता है। प्रत्येक समूह के साथ दो गाइड और एक सशस्त्र वन रक्षक होते हैं. 900-1,300 मीटर की ऊंचाई तक ट्रेकिंग करते हुए ट्रेकर्स पार्क और विशाल मैदानों की सीमा पर ऊंची ढलानों को देखना एक अविस्मरणीय अनुभव था.इस दौरान पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों को भी देखने का अवसर मिला.
यहां कन्नागी मंदिर पहाड़ो के भीतर 1337 मी की उंचाई पर पांडियन शैली में बना है
थेक्कडी के पास सबसे प्राचीन स्थानों में से एक है मंगला देवी कन्नगी मंदिर. यह मंदिर एक हजार साल से भी पहले पेरियार टाइगर रिजर्व पहाड़ों के भीतर 1,337 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया था. पारंपरिक केरल वास्तुकला के अनुसार निर्मित यह मंदिर कन्नगी नामक एक प्रसिद्ध तमिल महिला को समर्पित है, जो शुद्धता के साथ-साथ सच्चाई की भी प्रतीक हैं, इसके अलावा, ये अवशेष न केवल हमारी स्थापत्य भव्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि यहां से अन्य पहाड़ियों और घाटियों को भी देखा जा सकता है। यह मंदिर केरल की पांडियन शैली में बना है।
कैसे पहुंचें
केरल के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों से सड़क मार्ग द्वारा थेक्कडी पहुंचा जा सकता है. निकटतम रेलवे स्टेशन कुमारकोम है, जो थेक्कडी से 114 किलोमीटर की दूरी पर है, और मदुरै रेलवे स्टेशन लगभग 136 किलोमीटर दूर है. कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है.
Mar 07 2025, 18:05