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भारतीय वायुसेना होगी और ताकतवर, लड़ाकू विमानों की “फौज” बनाने की तैयारी

#india_preparing_to_purchase_114_new_fighter_aircraft

भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन अपनी सेना और हथियारों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश में जुटा है। चीन की बढ़ती ताकत सबसे पहले भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में भारत को भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी।

भारत ने वायुसेना के 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत विदेशी जेट विमानों को भारत में बनाने की शर्त रखी गई है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी) की जरूरत होगी और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है। यह प्रोजेक्ट साल 2019 से रुका हुआ है।

वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए। यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी। इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।

भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच राफेल विमानों की खरीद पर हुई अलोचना के बाद, अब भारतीय सरकार चाहती है कि यह डील पूरी तरह पारदर्शी और बिना किसी विवाद के हो। इस डील के लिए पांच जेट विमान दौड़ में है, जिनमें राफेल सबसे आगे है क्योंकि यह पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है।

इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है। हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो।

जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी 'साब' पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है। रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें।

मोहम्मद शमी के रमजान में एनर्जी ड्रिंक पीने से बवाल, मैच के दौरान रोजा न रखने पर भड़के मौलाना

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टीम इंडिया के धाकड़ तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मोहम्मद शमी की एक तस्वीर को लेकर उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है। मोहम्मद शमी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एनर्जी ड्रिंक पीते नजर आए। यह मैच रमजान के दौरान हुआ, जब दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं। इस वजह से सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। इस बीच मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रजवी टीम ने भी मोहम्मद शमी से खासी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि शमी ने रमजान में रोजा नहीं रखा, जो गुनाह है।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शमी को अपराधी बताया है।शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, शरीयत के नियमों का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। इस्लाम में रोजा रखना फर्ज है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर रोजा नहीं रखता, तो वह इस्लामिक कानून के अनुसार गुनहगार माना जाता है। क्रिकेट खेलना बुरा नहीं है, लेकिन धार्मिक जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए। मैं हिदायत देता हूं कि शमी शरीयत के नियमों का पालन करें और अपने धर्म के प्रति जिम्मेदार बनें।

मौलान अरशद ने किया शमी का समर्थन

वहीं, मोहम्मद शमी को दिल्ली की मोती मस्जिद के इमाम मौलाना अरशद का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा है कि मोहम्मद शमी को ट्रोल करने वाले लोग न तो इस्लाम को जानते हैं और न ही कुरान को। उन्होंन कहा कि इस्लाम में मुसाफिर पर रोज़ा न रखने की छूट है। मौलाना ने कहा, 'मोहम्मद शमी इस समय सफर पर भारत से बाहर हैं, तो उन पर भी ये बात लागू होती हैं। रोज़े के मामले में सिर्फ कुरान का हुक्म माना जाए, बरेली के किसी मौलाना या दूसरे लोगों का नहीं। शमी देश के लिए खेल रहे हैं, सबको ये बात याद रखनी चाहिए।'

वहीं, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी पर भाजपा नेता मोहसिन रजा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, यह इंसान और अल्लाह के बीच का मामला है और मुल्ला को बीच में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। वह (मोहम्मद शमी) अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने गए हैं और हमारा धर्म ऐसा करने की इजाजत देता है। मौलाना ने बयान देकर खुद पाप किया है। उन्हें पूरे देश से माफी मांगने की जरूरत है।

ट्रंप से बहस के बाद खतरे में जेलेंस्की की कुर्सी! यूक्रेन के विपक्षी नेताओं के संपर्क में अमेरिका

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व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का डोनाल्ड ट्रंप को आंखे दिखाना महंगा पड़ने वाला है। जेलेंस्की का कभी भी तख्तापलट हो सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि ओवल ऑफिस में हुई बहस के करीब एक हफ्ते के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टीम के कम से कम चार अधिकारियों ने यूक्रेन के विपक्षी नेताओं के साथ बात की है।

जेलेंस्की रूस के साथ जंग के बीच पिछले दिनों मदद मांगने के लिए अमेरिका पहुंचे थे। हालांकि, हालात हाथों से निकल गए। ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक हुई। जिसे पूरी दुनिया ने देखा। इस झड़प के बाद बाद जेलेंस्की को ना सिर्फ खाली हाथ लौटना पड़ा, बल्कि अमेरिका से रिश्ते भी बिगड़ गए। जिसके बाद से अमेरिका-यूक्रेन संबंधों पर अटकलों का बाजार गर्म है। अब अमेरिकी अखबार द पॉलिटिको की रिपोर्ट की मानें तो ट्रंप यूक्रेन में राष्ट्रपति जेलेंस्की के तख्तापलट की कोशिश में जुट गए हैं।

द पॉलिटिको की रिपोर्ट बुधवार को ट्रंप के 4 अधिकारी यूक्रेन पहुंचे, जहां वे जेलेंस्की के विरोधी नेताओं से मुलाकात की। मुलाकात का मकसद यूक्रेन में जल्द ही राष्ट्रपति के चुनाव कराना था। रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को ट्रंप के 4 वरिष्ठ सहयोगियों ने यूक्रेनी विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको और पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की। ट्रंप के अधिकारियों ने यूक्रेनी नेताओं से पूछा कि यहां चुनाव कब तक होने चाहिए और उसके लिए क्या करने की जरूरत है। पॉलटिका के मुताबिक ट्रंप के अधिकारियों ने जेलेंस्की से ऐसे वक्त में मुलाकात की, जब अमेरिका और रूस की कोशिश यूक्रेन में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने की है।

आपको बता दें कि फिलहाल यूक्रेन में मार्शल लॉ लगा हुआ है और मौजूदा हालातों में चुनाव नहीं हो सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप इलेक्शन करवाने में हो रही देरी की बार बार आलोचना कर चुके हैं। पिछले साल राष्ट्रपति जेलेंस्की का शासनकाल खत्म हो गया था और उसके बाद से ही रूस लगातार उन्हें यूक्रेन का 'अवैध नेता' कहता आया है।

विपक्षी नेताओं से बात दर्शाता है कि डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन की अंदरूनी राजनीति में दखलअंदाजी कर रहे हैं। टिमोशेंको से बात करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगियों ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि चल रहे युद्ध और सरकार के भीतर व्यापक भ्रष्टाचार की वजह से जेलेंस्की वोट खो देंगे। हालांकि जेलेंस्की ने वाकई अपनी लोकप्रियता खो दी थी लेकिन पिछले हफ्ते ट्रंप से बहस के बाद उनकी लोकप्रियता में जबरस्त उछाल देखने को मिला है। दूसरी तरफ इस हफ्ते अमेरिका की वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने उन दावों को खारिज कर दिया कि डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेनी राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप की एकमात्र दिलचस्पी यूक्रेन युद्ध में शांति खोजना है।

आरएसएस नेता भैयाजी जोशी ने ऐसा क्या कहा, भड़क गए संजय राउत

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देश में इन दिनों भाषा को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भाषा को लेकर लगातार केन्द्र सरकार पर हमलावर है। स्टालिन तीन-भाषा नीति के माध्यम से हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने महाराष्ट्र के मुंबई में बड़ा बयान दिया है। आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि मुंबई आने के लिए मराठी सीखने की जरूरत नहीं है।

भैयाजी ने ठाणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है। मुंबई के अलग-अलग भागों में अलग-अलग भाषा बोली जाती है। घाटकोपर परिसर के लोग गुजराती बोलते हैं, गिरगांव में हिंदी बोलने वाले कम मिलेंगे, वहां लोग मराठी बोलते हैं। इसलिए मुंबई आने वालों को मराठी भाषा सीखनी चाहिए ऐसा नहीं है।

ठाणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने भाजपा और आरएसएस को सुना दिया। उन्होंने भाजपा के मार्गदर्शक, पॉलिसी मेकर और आरएसएस के नेता भैयाजी जोशी का जिक्र करते हुए चैलेंज किया कि क्या ऐसी बातें आप लखनऊ जाकर कह सकते हैं?

राउत ने कहा, 'वह (भैयाजी) कल महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई आए थे। यहां आकर ऐलान कर दिया कि महाराष्ट्र की राजधानी की भाषा मराठी नहीं है। मराठी नहीं हो सकती। यहां कोई भी आकर मराठी के बिना रह सकते हैं, काम कर सकते हैं।' उद्धव सेना के वरिष्ठ नेता ने सवाल पूछते हुए कहा कि आपको (भैयाजी जोशी) इस प्रकार का बयान देने का अधिकार किसने दिया?

आरएसएस को राउत की चुनौती

शिवसेना नेता ने आगे तंज कसते हुए कहा कि क्या आप कोलकाता में जाकर बोल सकते हैं कि कलकत्ता की भाषा बंगाली नहीं है? क्या आप कोच्चि और त्रिवेंद्रम में जाकर बोल सकते हो कि यहां की भाषा मलयाली नहीं है। क्या आप लखनऊ जाकर योगी जी के सामने खड़े होकर बोल सकते हैं कि लखनऊ की भाषा हिंदी नहीं है। क्या आप पटना में जाकर नीतीश कुमार जी के सामने बोल सकते हो कि पटना की भाषा हिंदी नहीं है। क्या आप चेन्नई में जाकर बोल सकते हो कि यहां की भाषा तमिल या तेलुगु नहीं है? क्या पंजाब में जाकर बोल सकते हों कि यहां की भाषा पंजाबी नहीं है।

मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की कोशिश-राउत

राउत ने कहा कि आप की मंशा मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की है। हमने मराठी भाषा के लिए बलिदान दिया है। हमारे लोग शहीद हो गए। शिवाजी महाराज ने मराठा राज्य स्थापित किया क्योंकि उनकी भाषा मराठी थी।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, जानें क्या है सिद्धारमैया का प्लान?

#karnatakamuslimreservation

कर्नाटक में एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार मुस्लिम आरक्षण की तैयारी कर रही है। यह आरक्षण राज्य में दिए जाने वाले ठेकों में लागू किया जाएगा। राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण क़ानून में बदलाव करके दिया जाएगा। इसके लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (केटीपीपी) एक्ट में संशोधन किया जाएगा। एक साल पहले इसी तरह का प्रस्ताव विवादों और तुष्टिकरण की राजनीति के आरोपों के बीच वापस ले लिया गया था, लेकिन अब दोबारा से अमलीजामा पहनाने की रणनीति बनाई है। भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्स के अनुसार, कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार मुस्लिमों को कर्नाटक के सरकारी निर्माण के ठेकों में 4% का आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने इसके लिए 1999 के कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स एक्ट, में संशोधन कर मुस्लिमों को सरकारी निर्माण कार्यों में 4 फीसदी आरक्षण देने का प्लान बनाया है। सिद्धारमैया सरकार यह संशोधन विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में लाने की रणनीति बनाई है। इसके जरिए ही आरक्षण लागू किया जाएगा। कर्नाटक वित्त विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है और कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कथित तौर पर संशोधन को मंजूरी दे दी है।

मुस्लिम वोटों को लुभाने का एक पैंतरा

ऐसा पहली बार नहीं है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को अलग से आरक्षण देने की तैयारी की हो। इससे पहले नवम्बर, 2024 में भी सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर चुकी है लेकिन तब विरोध के कारण इस आइडिया को छोड़ दिया गया था। कर्नाटक में कांग्रेस का यह कदम मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लुभाने का एक पैंतरा माना जा रहा है। वह इस मामले में जेडीएस को किनारे करना चाहती है। सिद्दारमैया सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हमलावर है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस केवल मुस्लिमों को ही अल्पसंख्यक मानती है।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का इतिहास

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने का इतिहास काफी पुराना है। 1994 में एच.डी. देवगौड़ा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने पिछड़ी जातियों के बीच ‘श्रेणी 2बी’ बनाकर मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दिया। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस 4% आरक्षण को रद्द कर दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने बीजेपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।

कांग्रेस के गढ़ में खिला कमलःतेलंगाना एमएलसी चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, 3 में से दो सीटों पर जीत दर्ज

#telangana_mlc_election_bjp

भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्यों में बी अपने जड़े जमाने की कोशिश में लगी है। भाजपा की इस र सफलता मिलती भी दिख रही है। बीजेपी ने दक्षिण के उस राज्य में सफलता हासिल की है, जहां सत्ता में कांग्रेस है। बीजेपी ने तेलंगाना विधानसभा परिषद के चुनाव में अप्रत्‍याशित सफलता हासिल की है। उसने तीन सीटों पर हुए चुनावों में दो पर कामयाबी हासिल की।तीन एमएलसी सीट में से दो पर जीत कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा के लिए एक नैतिक बढ़त के रूप में सामने आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना विधान परिषद चुनाव में बीजेपी की जीत पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'एमएलसी चुनावों में तेलंगाना भाजपा को इस तरह के अभूतपूर्व समर्थन के लिए मैं तेलंगाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमारे नवनिर्वाचित उम्मीदवारों को बधाई।' उन्होंने कहा कि मुझे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बहुत गर्व है, जो लोगों के बीच कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

इससे पहले तेलंगाना विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। एक अन्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था। भाजपा समर्थित मलका कोमरैया ने मेडक-निजामाबाद-आदिलाबाद-करीमनगर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की और निर्दलीय उम्मीदवार श्रीपाल रेड्डी पिंगिली ने वारंगल-खम्मम-नलगोंडा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में स्नातक एमएलसी चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की ओर से किए गए एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, 'विजेता उम्मीदवारों को बधाई। केंद्र और आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकारें राज्य के लोगों की सेवा करती रहेंगी और राज्य की विकास यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।'

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान

#khalistanis_supporter_attack_on_s_jaishankar_in_london

विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी हैरान नहीं जयशंकर, इसे क्यों अच्छा बता रहे हैं विदेश मंत्री?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ की धमकी दी है। ये खबर भारत के लिए तनाव बढ़ाने वाली कही जा रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की मानें तो यह आश्चर्यजनक नहीं है। जयशंकर ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, वो भारत के हितों के अनुकूल है।

लंदन दौरे पर गए विदेश एस जयशंकर से जब उनसे ये पूछा गया कि आप अमेरिका की नई विदेश नीति के पहले 41 दिनों के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह भारत के लिए अच्छा है? क्या यह दुनिया के लिए सही है?

इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में हमने जो कुछ देखा और सुना है, उससे मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ है लेकिन क्या यह सही है तो अब मैं कहूंगा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। हमारे राजनीतिक रिश्ते अच्छे हैं। कम से कम हाल के दिनों में इस पर कोई बोझ नहीं है।

अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है?

डॉ जयशंकर के सोशल मीडिया पेज पर जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा, 'अब, ऐसा कहा जा रहा है कि क्या वर्तमान अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है? इस पर कई मायनों में मैं कहूंगा हां... यह आप भी जानते हैं...' लंदन के चाथम हाउस में एक बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा, 'हमारे अपने (भारत-ब्रिटेन) राजनीतिक संबंधों को बहुत ईमानदारी से देखें। कम से कम हाल के दिनों में, हमें अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ कभी कोई समस्या नहीं हुई है। ऐसा कोई बोझ नहीं है, जिसे हम ढोते हैं या जो संबंधों पर बोझ है।

भारत के लिए कैसे “अवसर”

जयशंकर ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन क्वाड को मजबूत करने के पक्ष में है और अमेरिका भारत के लिए तकनीकी और व्यापारिक दृष्टिकोण से कई अवसर उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा, ट्रंप ने ऊर्जा की कीमतों को स्थिर बनाए रखा। वह टेक्नोलॉजी और विकास को प्राथमिकता देते हैं, जो भारत के लिए लाभकारी है। वह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भी खुले हैं, जिसमें भारत की गहरी रुचि है। हां, उनके पास व्यापार को लेकर एक निश्चित दृष्टिकोण है। हमने इस पर खुली बातचीत की और नतीजा यह रहा कि हम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए। हमारे व्यापार मंत्री इस पर अमेरिका में चर्चा कर रहे हैं।

दो बार फेल हुए, पता नहीं कैसे पीएम बन गए, राजीव गांधी को लेकर बोले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर

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कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर मणिशंकर अय्यर ने “जुबान” खोली है। हालांकि, इस बार मणिशंकर अय्यर की ओर से टिप्पणी विपक्ष के किसी नेता पर नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी के नेता राजीव गांधी पर है। मणिशंकर अय्यर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह दो बार फेल हुए थे इसके बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया। अय्यर के इस बयान को लेकर कांग्रेस पार्टी में घमासान छिड़ गया है।

एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता मणिशंक अय्यर ने कहा कि राजीव गांधी एयरलाइन पायलट थे। वे कैंब्रिज में दो बार फेल हुए थे। अय्यर ने आगे कहा कि कैंब्रिज में फेल होना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि यूनिवर्सिटी सभी को पास कराने की कोशिश करती है। वह अपना ट्रैक रिकॉर्ड ठीक रखना चाहते हैं। फिर भी राजीव गांधी फेल हो गए। कांग्रेस नेता ने बताया कि राजीव गांधी लंदन के इंपीरियल कॉलेज में भी फेल हुए थे। अय्यर ने सवाल उठाया कि ऐसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है?

अय्यर के इस बयान ने बीजेपी को बैठे बिठाए एक मौका दे दिया है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने अय्यर के इंटरव्यू की एक क्लिप सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि सच्चाई अब सामने आ रही है।

मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर कांग्रेस नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने इसे "बेतुका" करार देते हुए कहा कि राजीव गांधी देश के महान नेता थे। उन्होंने सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्रांति लाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी सराहना होती थी। अय्यर कभी खुद को उनका करीबी बताते थे। ऐसे में उनसे इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी।

यह पहली बार नहीं है जब अय्यर ने अपने बयानों से विवाद खड़ा किया है। वे पहले भी कई बार अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहे हैं। उनकी इस टिप्पणी से कांग्रेस पार्टी की भी किरकिरी हो रही है। कई लोग इसे पार्टी के लिए नुकसानदेह मान रहे हैं। दरअसल, विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

PoK को लेकर एस जयशंकर का बड़ा बयान, सुनकर पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 दिनों के विदेश दौरे पर हैं। एस जयशंकर अभी ब्रिटेन में हैं। विदेशी धरती से एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सीधा और सख्त संदेश दिया है। लंदन के चैथम हाउस में कश्मीर मुद्दे पर सवाल पूछा तो डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी से कश्मीर मुद्दा पूरी तरह से हल हो जाएगा

जयशंकर बुधवार को लंदन में चैथम हाउस में आयोजित ‘भारत का उदय और विश्व में उसकी भूमिका’ सत्र में अपनी बात रख रहे थे। जयशंकर ने कश्मीर की स्थिति और भारत सरकार की ओ से उठाए गए कदमों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, कश्मीर में विकास व आर्थिक गतिविधि, सामाजिक न्याय की बहाली और साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का केवल वह हिस्सा समस्याओं के पूर्ण समाधान से बचा हुआ है।

कश्मीर समस्या पूरी तरह हल करने का दिया भरोसा

जयशंकर ने कहा, कश्मीर में हमने ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर लिया है। मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था। उसके बाद कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय की बहाली दूसरा कदम था। उच्च मतदान प्रतिशत के साथ सफलतापूर्वक चुनाव कराना तीसरा कदम था। इसके साथ ही उन्होंने कहा, हम जिस हिस्से का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर का वो हिस्सा है जो अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है। जब वो वापस आएगा, तो मैं आपको भरोसा देता हूं, कश्मीर समस्या पूरी तरह हल हो जाएगी।

पीओके को लेकर पहले भी जता चुके हैं मंशा

इससे पहले 9 मई 2024 को विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि हर भारतीय राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके भारत को वापस मिले। दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज, नई दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, मैं पीओके के बारे में बस इतना ही कह सकता हूं कि इस देश का हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके, जो भारत का हिस्सा है, भारत को वापस मिले। यह हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है।