बोफोर्स घोटाले से बचने के लिए राजीव गांधी को अफसरों ने सुझाया था तरीका, हुई थी सीक्रेट मीटिंग
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1987 में भारत के चर्चित बोफोर्स घोटाले को लेकर अहम खुलासा हुआ है। बोफोर्स कांड को लेकर एक किताब में दावा किया गया है कि इस मामले से राजीव गांधी को बचाने के लिए वरिष्ठ भारतीय नौकरशाहों और बोफोर्स अधिकारियों के बीच गुप्त बैठकें हुईं। खोजी पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम की नई किताब में दावा किया गया है कि भारतीय नौकरशाहों ने स्वीडिश कंपनी बोफोर्स के अधिकारियों को यह बताया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को घोटाले से मुक्त करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए।
सुब्रमण्यम की यह किताब ‘बोफोर्सगेट’ स्वीडिश पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम (जिन्हें किताब में ‘स्टिंग’ के रूप में दर्शाया गया है) से मिली जानकारियों पर आधारित है। लिंडस्ट्रोम स्वीडन में बोफोर्स मामले की जांच कर रहे थे। उन्होंने ही पत्रकार को स्टॉकहोम में 22 अगस्त 1989 को कुछ दस्तावेज सौंपे थे, जिसमें बोफोर्स और भारतीय अधिकारियों के बीच हुई बैठक का 15 पृष्ठों का एक ‘सहमति-आधारित सारांश’ शामिल था। भारत सरकार ने स्वीडन की तोप निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इस सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत दिए जाने के आरोप लगे थे।
सुब्रमण्यम ने यूरोप से इस मामले को कवर किया था। उनकी किताब 320 पृष्ठों की है और इसमें उनकी जांच के बारे में विस्तार से बताया गया है। किताब के अनुसार, 22 अगस्त 1989 को स्टिंग ने सुब्रमण्यम को स्टॉकहोम में कुछ दस्तावेज दिए। इन दस्तावेजों में बोफोर्स और भारतीय अधिकारियों के बीच हुई बैठकों का 15 पृष्ठों का 'सहमति से तैयार सारांश' भी शामिल था। इस सारांश ने ही कथित तौर पर मामले को दबाने का आधार तैयार किया।
गुप्त बैठक की तारीखों का जिक्र
सुब्रमण्यम की किताब इसी महीने की 17 तारीख को बाजार में आ रही है। किताब में लिखा है, 'यह 15 पृष्ठों का एक सहमति-आधारित सारांश था, जिसमें बताया गया था कि भ्रष्टाचार को कैसे छिपाया जाए। मेरी जांच में प्रगति से कैसे निपटा जाए और सबसे बढ़कर, प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सभी दोषों से कैसे मुक्त किया जाए।' किताब के मुताबिक, ये बैठकें रक्षा मंत्रालय में 15, 16 और 17 सितंबर 1987 को हुई थीं, जो रेडियो पर खुलासे के ठीक पांच महीने बाद की बात है।
कौन-कौन था बैठक में शामिल
चित्रा सुब्रमण्यम लिखती हैं कि इन गुप्त बैठकों के लिए बोफोर्स अधिकारियों को दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग स्थित एक उच्च सुरक्षा वाले पांच सितारा होटल में ठहराया गया था। उनके ठहरने की व्यवस्था इस तरह की गई थी कि कोई बाहरी व्यक्ति उनसे संपर्क न कर सके। इस बैठक में बोफोर्स अधिकारियों का नेतृत्व पेर ओवे मोरबर्ग और लार्स गोहलिन कर रहे थे, जबकि भारतीय पक्ष से रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एसके भटनागर, पीके कार्था, गोपी अरोड़ा और एनएन वोहरा शामिल थे। इन्हें तत्कालीन संयुक्त सचिव के बनर्जी ने सहयोग दिया था।
6 hours ago