जिले के जंदाहा प्रखंड में बटेश्वरनाथ धाम शिवमंदिर जलाभिषेक के साथ बैंगन चढ़ाने की है परंपरा
हाजीपुर
बटेश्वरनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग भगवान वट वृक्ष से उत्पन्न हुए थे
जिले के जंदाहा प्रखंड के धंधुआ में स्थापित बाबा बटेश्वरनाथ धाम शिवमंदिर प्रदेश भर में चर्चित शिव मंदिरों में से एक है। बाबा बटेश्वरनाथ धाम काफी प्राचीन मंदिर है। यहां पर सैकड़ों वर्ष से लोग पूजा-अर्चना करने आ रहे हैं। मान्यता है कि सच्चे हृदय से मांगी गयी मुराद अवश्य पूरी होती है। वैसे तो सालोंभर श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं, लेकिन सावन और महाशिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग भगवान वट वृक्ष से उत्पन्न हुए हैं। बाद में मंदिर बनाया गया। स्थानीय ग्रामीणों की मंदिर से गहरी आस्था है।
बटेश्वरनाथ शिवमंदिर में मनोकामना पूरी होने के बाद जलाभिषेक के साथ बैंगन चढ़ाने की परंपरा हैं
कई पुस्तकों के रचनाकार सेवा निवृत्त प्राध्यापक डॉ शत्रुध्न राय शशांक कहते हैं कि यहां भगवान भोलेनाथ को बैंगन का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। यहां सैकड़ों साल से पूजा हो रही है। श्रद्धालु यहां जलाभिषेक के साथ बैंगन चढ़ाते हैं। कृषि बहुल इस इलाके में सब्जी की खेती की प्रधानता है। इस कारण किसान सब्जी उपजने के बाद पहली सब्जी महादेव को ही चढ़ाते हैं। श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने के बाद भी आते हैं। तब वे सामर्थ्य के अनुसार, 11, 21, 51 और 101 किलो बैंगन फिर चढ़ाते हैं। बैंगन चढ़ाने के पीछे मान्यता है कि बाबा को नीलकंठ भी कहा जाता है। समय के साथ व मान्यताओं के कारण लोग बैगन चढ़ाने लगे।
महाशिवरात्रि पर लगता है बड़ा मेला
मंदिर की देखरेख बाबा बटेश्वरनाथ मंदिर कमेटी करती है। श्रवण मास एवं महाशिवरात्रि के मौके पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इस अवसर पर भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। मेला तेजपत्ता और काष्ठ के सामानों के बिक्री के लिए प्रदेश भर में चर्चित है। अब इस मेले को राजकीय मेला का दर्जा दिया गया। जिले के पदाधिकारी मेले को आधुनिक स्वरूप दे रहे हैं।
अभी यहां पांचवीं पीढ़ी पूजा कर रही
डॉ शशांक ने बताया कि बाबा बटेश्वरनाथ घाम में स्थापित काले पत्थर का शिवलिंग काफी प्राचीन है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण मुन्ना गिरी के अनुसार उनके दादा राम इकबाल गिरी बताते थे कि उनके पिता को करीब 150 वर्ष पूर्व स्वप्न आया था कि बंधुआ में वट वृक्ष से शिवलिंग रूपी भगवान प्रकट हुए हैं और उन्हें जाकर सेवा करनी है। जब उनके परदादा आए, तब यहां घना जंगल था।
Feb 25 2025, 19:09