रेखा गुप्ता बीजेपी की मास्टरस्ट्रोक, इसके पीछे छिपा है ये सियासी संदेश
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बीजेपी ने दिल्ली फतह के बाद अब नया दांव चला है। रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाकर।रेखा गुप्ता को दिल्ली का सीएम चुनते वक्त बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे।मुख्यमंत्री पद की रेस में अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा से लेकर दिल्ली के अनुभवी नेता विजेंद्र गुप्ता जैसे कई दिग्गजों के नाम चल रहे थे। बावजूद इसके पार्टी ने रेखा गुप्ता पर दांव लगाया। बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री बनाकर ना सिर्फ महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का संदेश दिया है, बल्कि वैश्य समाज और मिडिल क्लास को भी साधने की कोशिश की है।
आखिरी बार जब सन् 1998 में दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी, तब भी यहां सुषमा स्वराज के तौर पर महिला मुख्यमंत्री थीं. अब पार्टी ने लंबे वनवास के बाद एक बार फिर से दिल्ली की कमान महिला को सौंपा है तो इसका संकेत साफ है। दिल्ली एक ऐसा राज्य है, जहां महिला मतदाता बड़ी संख्या में हैं और उनका झुकाव अब तक आम आदमी पार्टी की ओर ज्यादा रहा है। बीजेपी को यह एहसास हो गया था कि अगर उसे दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो महिला नेतृत्व को आगे लाना होगा। इसके अलावा, अगर हम बीजेपी के दूसरे शासित राज्यों पर नजर डालें तो हर जगह पुरुष मुख्यमंत्री हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात समेत हर जगह बीजेपी ने पुरुष नेताओं को सीएम बनाया है। ऐसे में दिल्ली में महिला को मुख्यमंत्री बनाना सिर्फ संयोग नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे महिला मतदाताओं को यह संदेश दिया जा सके कि बीजेपी महिला नेतृत्व को बढ़ावा दे रही है।
रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी ने दिल्ली में करीब 7 फीसदी वैश्य वोट है। रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं। दिल्ली में बनिया होने के नाते भी अरविंद केजरीवाल के प्रति वैश्य वोट का झुकाव रहा है। अब रेखा गुप्ता के सीएम बनने से तस्वीर बदल सकती है। इसके अलावा एक खास संयोग यह भी देखें कि बनिया समुदाय से आने वाली रेखा गुप्ता का संबंध भी हरियाणा से है तो उन्हीं के समाज से आने वाले अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। यानी किसी भी मोर्चे पर बीजेपी ने मैदान को खाली नहीं छोड़ा है। आम आदमी पार्टी फिलहाल इस राजनीति में बहुत पीछे रह गई है। बीजेपी सभी मोर्चे पर आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को उन्हीं की भाषा और रणनीति में घेरने और शिकस्त देने की कोशिश कर रही है।
ठीक इसी तरह दिल्ली में मिडिल क्लास की आबादी लगभग 45% मानी गई है। मध्यम वर्ग इस बात से नाखुश रहता था कि सरकारें सिर्फ गरीबों पर फोकस करती हैं, उनके लिए कोई नहीं है। लेकिन बजट में 12 लाख की आय को करमुक्त कर बीजेपी ने उन्हें अपना दीवाना बना लिया। नतीजे में भी इसका असर दिखा। बीजेपी इस वर्ग पर अपना पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहती है।
Feb 20 2025, 11:47