/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे संशोधन? India
एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे संशोधन?

#onoeamendmentshowmodigovt_manage

‘एक देश एक चुनाव’ बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने आज यानी गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। अब बिल इसी चल रहे शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। चूंकि, वन नेशन, वन इलेक्‍शन के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की मंशा है, इसलिए यह मामला पेंचीदा हो जाता है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करने पड़ेंगे, जिसके लिए इसे संसद में बिल के तौर पर पेश करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा से इसे पास कराना होगा। इतना ही नहीं, संसद से पास होने के बाद इस बिल को 15 राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना होगा। ये सब होने के बाद राष्ट्रपति इस बिल पर मुहर लगाएंगे। सवाल यह है कि क्या यह इतनी आसानी से लागू हो जाएगा?

केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद मोदी सरकार अब संसद में विधेयक लाएगी और वहीं पर उसका असली टेस्ट होगा। बिल को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन लोकसभा में लड़ाई मुश्किल दिख रही है। निचले सदन में जब बिल पर वोटिंग की बारी आएगी तो सरकार विपक्षी दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है। केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।

क्या है संसद में नंबर गेम?

लोकसभा चुनाव-2024 के बाद 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया। इसमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए के आंकड़े की बात करें तो ये 293 है। जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा और वोटिंग की बारी आएगी तो उसे पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगर वाईएसआरसीपी, बीजेडी और गैर-एनडीए दलों का साथ मिल जाता है तो भी 362 का आंकड़ा छूने की संभावना नहीं है। बीजेपी को 69 सांसदों की जरूरत पड़ेगी जो उसके साथ खड़े रहें।हालांकि ये स्थिति तब होगी जब वोटिंग के दौरान लोकसभा में फुल स्ट्रेंथ रहती है। लेकिन 439 सांसद (अगर 100 सांसद उपस्थित नहीं रहते हैं) ही वोटिंग के दौरान लोकसभा में रहते हैं तो 293 वोटों की जरूरत होगी। ये संख्या एनडीए के पास है। इसका मतलब है कि अगर विपक्षी पार्टियों के सभी सांसद वोटिंग के दौरान लोकसभा में मौजूद रहते हैं तो संविधान संशोधन बिल गिर जाएगा।

एक देश एक चुनाव का 15 दलों ने किया विरोध

बता दें कि कोविंद समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से एक राष्ट्र एक चुनाव पर राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने अपने जवाब भेजे, जबकि 15 ने जवाब नहीं दिया। 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारियों का समर्थन किया, जबकि 15 दल विरोध में रहे। जिन 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया उसमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं और या तो उनका उसके प्रति नरम रुख रहा है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी जो मोदी सरकार 2.0 में साथ खड़ी रहती थी उसका रुख भी अब बदल गया है। वहीं, जिन 15 पार्टियों ने पैनल की सिफारिशों का विरोध किया उसमें कांग्रेस, सपा, आप जैसी पार्टियां हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल को मोदी कैबिनेट की मंजूरी, जल्द ही हो सकता है संसद में पेश*
#one_nation_one_election_bill_gets_modi_cabinet_approval
संसद के शीतकालीन सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई। जिसमें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी गई। अगले सप्ताह संसद में इसे पेश किए जाने की संभावना है। बता दें कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार इस पर तेजी से काम कर रही है।इससे पहले 'एक देश, एक चुनाव' पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी। एक देश एक चुनाव पर यह लेटेस्ट डेवलपमेंट ऐसे वक्त में आया है, जब बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का पुरजोर समर्थन किया था और कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा आ रही है।सूत्रों के मुताबिक, सरकार बहुत जल्द इस विधेयक को संसद में पेश करेगी। उसके बाद विस्तार से चर्चा की जाएगी। सूत्रों की मानें तो सरकार ने यह तय कर लिया है कि यह एक व्यापक ब‍िल के रूप में पेश क‍िया जाएगा। इसके लिए सभी दलों की राय भी जरूरी होगी, क्‍योंक‍ि यह बहुत बड़ा बदलाव होगा। इसल‍िए इसे पहले संसद की ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजा जा सकता है। इसके बाद राज्‍यों की विधानसभाओं से इसे पास कराना होगा। *कोविंद समिति ने सौंपी थी सिफारिश* प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा। मोदी सरकार इस बिल को लेकर लगातार सक्रिय रही है। सरकार ने सितंबर 2023 में इस महत्वाकांक्षी योजना पर आगे बढ़ने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था। कोविंद समिति ने अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को अपनी सिफारिश सौंपी थी। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। रिपोर्ट में 2 चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। समिति ने पहले चरण के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की है। जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के लिए चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई है। *18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट* 191 दिनों तक विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से विचार के बाद 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट दी गई. इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, ताकि लोकसभा के साथ राज्यों के विधानसभा चुनाव कराए जा सकें. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नो कॉन्फिडेंस मोशन या हंग असेंबली की स्थिति में 5 साल में से बचे समय के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं। पहले चरण में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। वहीं, दूसरे चरण में 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव हो सकते हैं। इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग, लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के लिए वोटर लिस्ट तैयार कर सकता है। इसके अलावा सुरक्षा बलों के साथ प्रशासनिक अफसरों, कर्मचारियों और मशीन के लिए एडवांस में योजना बनाने की सिफारिश की गई है। *'वन नेशन, वन इलेक्शन' की राह में कई अड़चन* बता दें कि केंद्र सरकार शुरू से ही वन नेशन, वन इलेक्शन के समर्थन में रही है। हालांकि, मौजूदा व्यवस्था को बदलना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। इसके लिए आम सहमति बेहद आवश्यक है। देश में एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए करीब 6 विधेयक लाने होंगे। इन सभी को संसद में पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।
केजरीवाल का बड़ा दांव, महिलाओं के खाते में हर महीने आएंगे 1000, चुनाव बाद मिलेंगे 2100 रुपये

#delhi_mahila_samman_yojana_arvind_kejriwal_announced

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आम आदमी पार्टी ने बड़ा दांव चला है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को महिला सम्मान निधि योजना के तहत बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपना वादा पूरा करते हुए हर महिला के बैंक अकाउंट में हर महीने 1,000 रुपये डालने की योजना को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक में आतिशी की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव को पारित किया गया। अब दिल्ली की महिलाओं को रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके बाद उनके अकाउंट में यह राशि जमा की जाएगी।

केजरीवाल ने कहा कि आज मैं दिल्ली के लोगों के लिए दो बड़ी घोषणाएं करने आया हूं। दोनों घोषणाएं दिल्ली की मेरी बहनों और मांओं के लिए है। दिल्ली की हर महिला के बैंक अकाउंट में हर महीने हजार-हजार रुपये डाले जाएंगे। आज सुबह कैबिनेट में ये प्रस्ताव पास हो गया है। यह योजना लागू हो गई है।जो जो महिलाएं इसके लिए अप्लाई करेंगी। रजिस्ट्रेशन के बाद पैसा आना शुरू हो जाएगा।

केजरीवाल ने आगे कहा कि मैंने मार्च में एलान किया था अप्रैल में लागू होने की उम्मीद थी लेकिन इन्होंने मुझे जेल भेज दिया था। वापस लौटकर आतिशी के साथ कोशिश की और अब हो रहा है। ये महिलाओं पर कोई एहसान नहीं है। महिलाएं बच्चों को पालती हैं, वो देश का भविष्य होता है तो कुछ उनकी मदद करें। जहां नारी की पूजा होती है वहीं तरक्की होती है।केजरीवाल ने कहा कि मुझे लगता है कि इससे दिल्ली सरकार का खर्चा नहीं बरकत होगी।

यही नहीं अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि चुनाव के बाद महिलाओं को एक हजार की जगह 2100 रुपये देंगे। केजरीवाल ने कहा कि इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कल से शुरू हो जाएगा और इसी योजना के तहत चुनाव जीतने के बाद महिलाओं को 1000 रुपये की जगह हर महीने 2100-2100 रुपये मिलने लगेंगे। केरजीवाल ने कहा कि आज दिल्ली सरकार ने हजार रुपये चालू कर दिए लेकिन चुनाव 10-15 दिन में ऐलान होने वाले हैं। इस वजह से अभी चुनाव के पहले पैसा अकाउंट में जाना संभव नहीं है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी वाले गाली दे रहे हैं कि ये मुफ्त सुविधाएं और फ्री की रेवड़ी बांटते हैं। बीजेपी वाले कह रहे हैं कि पैसा कहां से आएंगे, जब मैं पहला चुनाव जीता और कहा कि बिजली पानी मुफ्त करूंगा तो बोले कि मैं झूठ बोल रहा हूं।

संसद में पोस्टर वॉरः पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से लहराए गए बैनर

#poster_war_continues_in_parliament

संसद का शीतकालीन सत्र एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ने लग गया है। इस हफ्ते के पिछले तीनों दिन संसद के दोनों सदन में कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी। पहले विपक्ष की ओर से अडाणी मुद्दे पर हंगामा किया जा रहा था, लेकिन अब सत्ता पक्ष के सांसद कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के जॉर्ज सोरेस के साथ संबंध होने को लेकर लगातार हंगामा कर रहे हैं। इस वजह से संसदीय कार्यवाही नहीं चल पा रही है। गुरुवार को सदन में पोस्‍टर वॉर हो गया। जब विपक्ष अडानी पर लगे आरोप के विरोध में और जांच के मामले को लेकर देश नहीं बिकने देंगे का पोस्‍टर संसद के बाहर लहराया तो दूसरी तरफ बीजेपी ने कांग्रेस को घेरने के लिए सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरेस के रिश्‍तों पर एक पोस्‍टर सदन में दिखाया।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। गिरिराज सिंह दोनों हाथों में सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरेस की तस्वीर लेकर संसद परिसर में आए, जिसमें लिखा है, "ये रिश्ता क्या कहलता है।" उन्होंने कांग्रेस से सोरोस के साथ क्या रिश्ता है, इसका जवाब भी मांगा है। बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर जॉर्ज सोरोस के साथ लिंक होने का आरोप लगाया है।

बीजेपी ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जॉर्ज सोरोस समर्थित उन संगठनों के साथ संबंध हैं, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है। कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को सिरे से खारिज करते किया। कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि सोरोस की ओर से वित्तपोषित फंड चलाने वाले कई लोगों के साथ बीजेपी नेताओं की सांठगांठ है।

वहीं, दूसरी तरफ संसद में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के कई घटक दलों के सांसदों ने अडानी समूह से जुड़े मुद्दे पर गुरुवार को ‘देश नहीं बिकने देंगे’ लिखे बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया.कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कुछ अन्य दलों के सांसद संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के निकट एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने ‘वी वांट जेपीसी’ के नारे लगाए। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और कई अन्य वरिष्ठ नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल पर सस्पेंस के बीच शरद पवार से मिले भतीजे अजीत, बेहद खास है मौका
#ajit_pawar_meets_sharad_pawar
* महाराष्ट्र में कैबिनेट गठन को लेकर बने सस्पेंस के बीच डिप्टी सीएम अजित पवार ने गुरुवार को और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। अजीत पवार ने हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद शरद पवार से पहली बार मुलाकात ही। आज के दिन हुई इस मुलाकात के खास मायने हैं। दरअसल, एनसीपी (एसपी) नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य शरद पवार आज 84 वर्ष के हो गए हैं। इस मौके पर भतीजे अजित पत्‍नी सुनेत्रा पवार और अपनी पार्टी के अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं प्रफुल पटेल, छगन भुजबल के साथ चाचा शरद पवार को जन्‍मदिन पर विश करने के लिए पहुंचे। सभी नेताओं ने शरद पवार को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। यह मुलाकात पवार के 6 जनपद आवास, दिल्ली में हुई।इसके बाद मीडिया से बात करते हुए अजित पवार ने कहा कि जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने शरद पवार को शुभकामनाएं दी। अजित पवार ने कहा कि मुलाकात के दौरान परिवारिक बातचीत के साथ- साथ सियासी बातचीत भी हुई। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी खबरें आ रही हैं कि आज दिल्‍ली में ही शरद पवार के जन्‍मदिन पर शाम को एक छोटी डिनर पार्टी रखी गई है. उसमें भी अजित पवार शिरकत करेंगे. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केवल करीबी मित्रों को ही बुलाया गया है. अजित पवार के सहयोगी ने अखबार को कंफर्म करते हुए कहा कि डिप्‍टी सीएम जरूर शिरकत करेंगे. पत्‍नी सुनेत्रा पवार जाएंगी या नहीं इसको लेकर पुष्टि नहीं हो सकी. सूत्रों के मुताबिक गेस्‍ट लिस्‍ट में फारुक अब्‍दुल्‍ला और शिवसेना राज्‍यसभा सदस्‍य मिलिंद देवड़ा भी शामिल हैं. बता दें कि एनसीपी में टूट के बाद शरद और अजित पवार के बीच एक साल से अधिक वक्‍त के बाद ये पहली मुलाकात है। पिछले साल दिवाली में अजित पवार मिलने उनके घर गए थे लेकिन इस साल राज्‍य में हो रहे विधानसभा चुनावों के चलते दिवाली के मौके पर नहीं पहुंचे। लोकसभा चुनावों में अजित पवार ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्‍नी सुनेत्रा पवार को चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन वो हार गईं। बाद में सुनेत्रा पवार को राज्‍यसभा भेजा गया। उसके बाद विधानसभा चुनाव में बारामती से ही शरद पवार ने अपनी पार्टी की तरफ से अजित के भतीजे युगेंद्र पवार को मैदान में उतारा। युगेंद्र एक लाख से अधिक वोटों से हार गए। शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीतिक के चाणक्य माने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सियासी बाजी पलटी और महायुति ने बंपर जीत हासिल की, ऐसे में एमवीए को करारी हाल मिली. इसमें भी जिस तरह का नुकसान शरद पवार की पार्टी को पहुंचा है, उसके बाद उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
महाराष्ट्र में बाकी है सस्पेंस! कब होगा मंत्रिमंडल विस्तार, मुख्यमंत्री फडणवीस और अजित पवार दिल्ली पहुंचे, नहीं आए शिंदे

#mahayuticabinetexpansion

महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। वहीं, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने उपमंत्री की कमान संभाल ली है। हालांकि, कैबिनेट विस्तार को लेकर मंथनों का दौरा जारी है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जारी चर्चा के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार दोनों दिल्ली में हैं। जबकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नहीं गए। आज मंत्रालय बंटवारे और कैबिनेट विस्तार की तस्वीर साफ हो सकती हैं।

महायुति में अब मंत्रिमंडल को लेकर गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच बुधवार देर रात को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और फडणवीस ने अमित शाह से उनके घर पर मुलाकात की। विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद पिछले सप्ताह महायुति सरकार के सत्ता में आने के बाद विभागों के आवंटन को लेकर अटकलों के बीच यह मुलाकात हुई। हालांकि इस मीटिंग में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार मौजूद नहीं थे।

पावर शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बनी!

सूत्रों के मुताबिक पावर शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है। सूत्रों की मानें तो भाजपा 20 पोर्टफोलियो अपने पास रखेगी। वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच बराबर का बंटवारा हुआ है। 10-10 पोर्टफोलियो शिवसेना और एनसीपी अपने पास रखेगी। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी अपने पुराने मंत्रियों को ही पोर्टफोलियो देगा। वहीं, एनसीपी भी अपने पुराने मंत्रियों पर ही ज्यादा भरोसा कर रही है। मगर शिवसेना शिंदे कैंप अपने नए लोगों को मंत्री बना सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के हिस्से के सिर्फ दो से तीन विभाग सहयोगी दलों के पास जा सकते है। बीजेपी अपने सहयोगी दलों को सिर्फ राजस्व और आवास हाउसिंग विभाग और पीडब्ल्यूडी देने की तैयारी में है। बीजेपी गृह विभाग के साथ ही शहरी विकास विभाग भी अपने पास रखना चाहती है और बदले में शिवसेना को राजस्व और पीडब्ल्यूडी देने को तैयार है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नहीं माने तो अर्बन डेवलपमेंट शिवसेना और राजस्व बीजेपी के पास रहेगा।

किसके कोटे में कौन सा विभाग

बीजेपीः-गृह-शहरी विकास/ राजस्व (दोनों में से एक), लॉ एंड ज्यूडिशियरी, सामान्य प्रशासन, ग्रामीण विकास-बिजली ऊर्जा, सार्वजनिक लोक निर्माण, पर्यावरण, वन, आदिवासी जैसे सभी महत्वपूर्ण विभाग बीजेपी के पास रह सकते हैं।

शिवसेनाः- राजस्व, शहरी विकास दोनों में से एक, सार्वजनिक कार्य (PWD), श्रम, स्कूल शिक्षा, राज्य उत्पाद शुल्क, जल आपूर्ति और स्वच्छता, परिवहन विभाग शिवसेना को मिलने की संभावना है।

एनसीपीः- वित्त और योजना, हाउंसिंग आवास, चिकित्सा शिक्षा ( मेडिकल एजुकेशन), खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला और बाल कल्याण, राहत और पुनर्वास, खाद्य और औषधि प्रशासन जैसे विभाग एनसीपी के पास बने रहने की संभावना है।

गृह विभाग को लेकर तकरार

बता दें कि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं। महायुति में पोर्टफोलियो को लेकर ही तकरार है। महायुति में असल झगड़ा भाजपा और शिवसेना के बीच था। पहले सीएम पद को लेकर खींचतान हुई। अब होम मिनिस्ट्री पद को लेकर गतिरोध रहा। एकनाथ शिंदे शिवसेना के लिए गृह विभाग मांग रहे थे, मगर भाजपा इसके लिए तैयार नहीं थी।

मालामाल हुए मस्क, 400 बिलियन डॉलर के पार पहुंची नेटवर्थ
#elon_musk_net_worth_over_400_billion_dollar
टेस्ला और स्पेसएक्स के माल‍िक एलन मस्क की संपत्‍त‍ि प‍िछले एक साल में बुलेट की रफ्तार से बढ़ी है। मस्क को सबसे ज्‍यादा फायदा उन्‍हें डोनाल्‍ड ट्रंप के अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि न‍िर्वाच‍ित होने के बाद म‍िला है। अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में अपना पैसा पानी की तरह बहाया था। अब उनकी संपत्ति को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। मस्क के निजी स्वामित्व वाली कंपनी स्पेसएक्स के शेयरों की हुई इनसाइडर बिक्री के चलते मस्क की संपत्ति में उछाल आया है और मस्क की संपत्ति 50 अरब डॉलर बढ़कर 400 अरब डॉलर के पार पहुंच गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मस्क 400 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति तक पहुंचने वाले इतिहास के पहले व्यक्ति बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, उनकी कंपनी स्पेसएक्स के आंतरिक शेयर बिक्री से बिजनेस दिग्गज की कुल संपत्ति में लगभग 50 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे उनकी कुल संपत्ति 439.2 बिलियन डॉलर हो गई। यह एक नया रिकॉर्ड है, प‍िछले 24 घंटे में ही उनकी संपत्‍त‍ि में 62.8 ब‍िल‍ियन डॉलर का इजाफा हुआ है। प‍िछले एक साल में उनकी संपत्‍त‍ि में 218 ब‍िल‍ियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 के अंत में, मस्क की कुल संपत्ति में 200 बिलियन डॉलर से अधिक की कमी देखी गई थी, हालांकि पिछले महीने जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गए, तो मस्क ने भारी लाभ देखा, जो आने वाले प्रशासन के सबसे प्रभावशाली दाताओं और सहयोगियों में से एक था। *टेस्ला इंक के शेयरों में लगभग 65 प्रतिशत की वृद्धि* ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की माने तो चुनाव से पहले से टेस्ला इंक के शेयरों में लगभग 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मस्क प्रमुख राजनीतिक दानदाता और ट्रंप के समर्थक रहे हैं। उन्होंने रिपब्लिकन के कैंपेन में 270 मिलियन डॉलर का भारी खर्च क‍िया। ट्रंप की चुनाव जीत के बाद से वह लगातार उनके साथी रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें टेक्सास में अपनी स्पेसएक्स कंपनी द्वारा रॉकेट लॉन्च देखने के लिए भी इनवाइट क‍िया। मस्क के सभी ब‍िजनेस का अमेरिकी और विदेशी सरकारों के साथ अलग-अलग लेवल पर संपर्क है, और ट्रंप के साथ उनकी निकटता ने चिंता पैदा कर दी है कि मस्क अपने स्वयं के हितों को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे। *क्यों हुई मस्क की संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी?* खबरों के अनुसार एलन मस्क की संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि स्पेसएक्स और उसके निवेशकों ने कंपनी के अंदरूनी शेयर खरीदने का करार क‍िया। इस डील में स्पेसएक्स की कीमत करीब 350 अरब डॉलर आंकी गई। बाजारों को यह अनुमान है कि डोनाल्ड ट्रंप स्वचालित कारों के रोलआउट को सुव्यवस्थित करेंगे और टेस्ला के प्रतिद्वंद्वियों की मदद करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कर क्रेडिट को समाप्त कर देंगे।
अतुल सुभाष सुसाइड केस में नया मोड़, निकिता की मां-भाई घर छोड़कर फरार*
#atul_subhash_case_nikita_mother_brother_fled_home
बेंगलुरु में पत्नी से परेशान होकर इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में आरोपी पत्नी निकिता के मां और भाई घर से चुपके से भागते हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, अतुल सुभाष के भाई की तहरीर पर बेंगलुरु पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है। जिसके बाद बुधवार देर रात अतुल सुभाष के साले अनुराग सिंघानिया और सास निशा सिंघानिया गिरफ्तारी की डर से बाइक पर सवार होकर फरार हो गए। एफआईआर के बाद अतुल सुभाष सुसाइड मामले में जांच के लिए बेंगलुरु पुलिस बुधवार रात को जौनपुर पहुंची। पुलिस के पहुंचने से पहले ही इंजीनियर की पत्नी निकिता की मां निशा और भाई अनुराग घर से निकल गए। हालांकि, जब अतुल का साला अनुराग भाग रहा था तो मीडिया वालों ने उनसे सवाल किया। तब उसने बोला कि मां का इलाज करवाने जा रहे हैं। आधी रात को घर पर ताला लगाकर भागने की तस्वीर अब वायरल है।निकिता के भाई का नाम अनुराग सिंघानिया और मां निशा सिंघानियां हैं। कोतवाली के खोआ मंडी के पास मकान से दोनों फरार हो गए। *पत्नी की प्रताड़ना और झूठे केस से थे परेशान* बेंगलुरु में 34 साल के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने एक दिन खुद को इस दुनिया से अलविदा कहने का फैसला लिया। उन्होंने अपने घर पर ही सुसाइड कर लिया। उत्तर प्रदेश के रहने वाले अतुल ने सिस्टम और पत्नी से इतना परेशान थे कि उन्होंने कुल 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा। इतना ही नहीं उन्होंने 1.5 घंटे का एक वीडियो भी बनाया। इन दोनों के ही माध्यम से उन्होंने आरोप लगाया कि सिस्टम के खिलाफ उन्होंने किस तरह से लड़ाई लड़ी और 9 से ज्यादा झूठे मुकदमों का सामना किया। उन्होंने वीडियो में कहा कि मेरे ही जैसे लोगों के टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम चलता है। ये लोग मुझे और मेरे परिवार के साथ-साथ मेरे जैसे दूसरे लोगों को परेशान करता है। जब मैं ही इस दुनिया में नहीं नहीं रहूंगा तो ना ही मेरा टैक्स होगा और न ही इन लोगों के पास मेरे घरवालों को परेशान करने की कोई वजह पास होगी। एआई इंजीनियर अतुल ने खुद को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके घरवालों पर आरोप लगाया। *अतुल ने अपनी मौत के लिए पांच लोगों को ठहराया है जिम्मेदार* बता दें कि अतुल सुभाष ने सुसाइड से पहले एक वीडियो बनाया था जिसमें लोअर जुडिशियरी के काम-काज पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने जिन पांच लोगों को अपनी मौत का ज़िम्मेदार ठहराया। उनमें पहला नाम जौनपुर की फैमिली कोर्ट की लेडी जज का है। इसके बाद निकिता, निकिता की मां निशा, भाई अनुराग सिंघानिया और निशा के ताउ सुशील कुमार का नाम शामिल है। अतुल सुभाष का इल्ज़ाम है कि फैमिली कोर्ट की जज उनको प्रताड़ित करने में वाइफ और उसकी फैमिली का साथ देती हैं। कोर्ट मेडिटेशन के दौरान उन्होंने मामला सेटेल करने के बदले में पैसे मांगे थे। कोर्ट के क्लर्क भी पैसे लेकर ऐसी तारीख़ें लगाते थे, जिससे वो परेशान हों। अतुल सुभाष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कम से कम सुसाइड के बाद तो उनकी फैमिली को इंसाफ़ मिलेगा। अतुल ने अपने आखिरी वीडियो में कहा कि अगर उनकी मौत के बाद भी जज और कोर्ट के करप्ट कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न हो तो उनकी अस्थियों को कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए। *अतुल सुभाष पर पत्नी ने दर्ज कराए थे 9 केस* बता दें कि अतुल सुभाष पर उनकी पत्नी निकिता ने दहेज़ उत्पीड़न, हत्या का प्रयास समेत कुल 9 केस जौनपुर में दर्ज करवाए थे।अतुल सुभाष की शादी मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए हुई थी। शादी के तीन साल बाद निकिता घर छोड़कर जौनपुर आ गई। जहां उसने 10 लाख रुपए दहेज़ मांगने का मामला दर्ज करवाया। उस वक्त अतुल सुभाष की सैलरी 40 लाख रुपए सालाना थी। इसके बाद अतुल सुभाष बेंगलुरु से जौनपुर पेशी के लिए 120 बार आए
पहाड़ों की बर्फबारी के बाद ठिठुरी देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर भारत में अगले चार दिन शीतलहर का अलर्ट

#weatherreportcoldwavealertinnorth_india

पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ-साथ हल्की बारिश हो रही है। कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर घाटी में पहले से ही तापमान माइनस में चल रहा है और उसके ऊपर से हो रही बर्फबारी ने कंपकपी बढ़ा दी है। जम्मू संभाग में भी सर्दी का पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है। लेह और लद्दाख में भी खून को जमा देने वाली ठंड पड़ रही है। जिसका असर पूरे उत्तर भारत में दिख रहा है। इन इलाकों में लगातार तापमान गिर रहा है।

मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को इस सर्दी का अब तक का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। इस दौरान न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया। आईएमडी ने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में न्यूनतम तापमान 37 वर्षों में पहली बार पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान सबसे कम न्यूनतम तापमान 6 दिसंबर 1987 को 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

येलो अलर्ट किया गया है जारी

मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 12 दिसंबर को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में अगले दो दिनों तक शीतलहर चलने और घना कोहरे होने की संभावना, जिसकी वजह से विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है।

हिमाचल से आ रही हवाओं ने बढ़ाई ठंड

मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि हिमालय से सीधी आ रही बर्फीली हवाओं ने हरियाणा, एनसीआर और दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया है। तापमान जमाव बिंदु के पास पहुंच गया है।हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर बुधवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री नीचे दर्ज किया गया जबकि कुछ इलाकों में हल्की बर्फबारी भी हुई। इस दौरान राज्य में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति का ताबो सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 12.7 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। पश्चिमी जिलों में खेत खलिहानों और खुले स्थानों पर पाला जमने लगा है। बारिश न होने से अभी सूखी ठंड का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। हालांकि दिन में चमकदार धूप खिली रहने से दिन में ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। 5-10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवा चलने से कोहरा भी नहीं बन रहा है। बुधवार को प्रदेश में अधिकतर स्थानों पर दिन व रात का ताप मान सामान्य से नीचे बना हुआ है।

कश्मीर में बर्फबारी के बाद शीतलहर और तेज

इधर, कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर में रात के तापमान में सुधार आया है, लेकिन अधिकांश जिलों में दिन के साथ रात का पारा सामान्य से 2 से 6 डिग्री नीचे चल रहा है। राजधानी श्रीनगर में दिन का तापमान 8.8, पहलगाम में 4.2 और गुलमर्ग में माइनस 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लेह में खून जमा देने वाली ठंड के बीच दिन और रात का पारा शून्य डिग्री से नीचे चल रहा है। जम्मू में रात का पारा सामान्य से 5.2 डिग्री गिरकर 5.0 डिग्री तक पहुंच गया, जो इस सीजन की सर्द रात बीती। इस पारे ने पिछले साल का न्यूनतम तापमान का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। जम्मू में 19 दिसंबर 2023 को न्यूनतम तापमान 5.7 डिग्री दर्ज किया गया था।

बांग्लादेश से जो वापस भारत आना चाहते उन्हें आने दे केन्द्र”, ममता बनर्जी की मोदी सरकार से अपील*
#mamata_banerjee_said_centre_must_take_action_protect_minorities_in_bangladesh

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बड़ी अपील की है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और यह भी कहा कि जो लोग वापस भारत आना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाए। बनर्जी ने यह बात दीघा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। मुख्यमंत्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए और जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें वापस लाना चाहिए। सीएम ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहते हैं। केंद्र को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। इस दौरान ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर फर्जी वीडियो फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फर्जी वीडियो से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा, जो कि ठीक नहीं। इससे देश का माहौल खराब होगा। *पहले भी कर चुकीं है अपील* ससे पहले भी ममता बनर्जी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकीं हैं। दिसंबर के शुरूआत में उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।बनर्जी ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। *बांग्लादेश में हिंसा का असर कोलकाता में* बांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। *बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय* बता दें कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया।