झारखंड विस चुनाव की 43 सीटों पर कल वोटिंग,पूर्व CM समेत कई मंत्रियों के फैसला
रांची :पहले चरण में झारखंड की 43 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जायेंगे. 13 नवंबर को झारखंड में सत्ता का रण शुरू हो जायेगा. इसको लेकर राजनीति की बिसात बिछ गयी है राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के सामने चुनौती है.
झामुमो, भाजपा, कांग्रेस व आजसू सहित कई दल आमने-सामने हैं. पहले चरण में कई दिग्गजों की भी परीक्षा होनी है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और सरकार में शामिल कई मंत्रियों के भाग्य का फैसला होना है. ऐसी लगभग एक दर्जन सीटें हैं, जिस पर सबकी नजर है. यही 43 सीट झारखंड में सत्ता की तस्वीर और दलों की तकदीर तय करेगी.
सातवीं बार सीपी सिंह मैदान में महुआ माजी दे रहीं चुनौती
रांची विधानसभा सीट पर भाजपा का पिछले 28 वर्षों से कब्जा है. यहां से भाजपा प्रत्याशी वर्ष 1996 से लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं. सीपी सिंह को भाजपा ने सातवीं बार प्रत्याशी बनाया है. पिछले चुनाव में इस सीट पर झामुमो की महुआ माजी ने उन्हें कड़ी चुनौती दी थी. सीपी सिंह सिर्फ 5904 वोट से जीते थे. एक बार फिर महुआ माजी झामुमो के टिकट से मैदान में उतरी हैं.
ऐसे में जनता की निगाहें इस सीट पर बनी हुई हैं. महुआ माजी फिलहाल राज्यसभा की सदस्य हैं.
नवीन जायसवाल को चुनौती देंगे अजयनाथ शाहदेव
हटिया से नवीन जायसवाल पिछले 12 वर्षों से विधायक हैं. वह अलग-अलग दल से चुनाव लड़ कर इस सीट से जीत दर्ज करते रहे हैं. वर्ष 2012 में हुए उप चुनाव में नवीन जायसवाल पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद वे 2014 में जेवीएम के टिकट से चुनाव जीते. वर्ष 2019 के चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. इस बार भी भी उन्हें भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. इनके खिलाफ कांग्रेस के अजयनाथ शाहदेव चुनाव मैदान में हैं.
कांके में पिछले चार चुनावों से लगातार भाजपा को मिल रही है जीत
कांके सीट से अभी भाजपा के समरी लाल विधायक हैं. पिछले चार चुनावों में यह सीट भाजपा के खाते में गयी है. चार चुनावों में भाजपा ने दो बार रामचंद्र बैठा को यहां से टिकट दिया और वे विधायक बने. फिर 2014 में जीतू चरण राम को टिकट दिया, तो वे भी विधायक बने. वर्ष 2019 में समरी लाल को टिकट दिया, तो वे भी चुनाव जीते. इस बार फिर से जीतू चरण राम को यहां से टिकट दिया गया है. वहीं, कांग्रेस ने यहां से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में सुरेश कुमार बैठा को उतारा है.
मांडर में कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की और भाजपा के सन्नी टोप्पो में टक्कर
इस सीट पर 2005 से लेकर अब तक हुए चार चुनावों में तीन बार बंधु तिर्की विजयी हुए हैं. वर्ष 2005 में वह यूजीडीपी से विधायक बने. फिर 2009 में जेएचजेएएम से विधायक चुने गये. वहीं, वर्ष 2014 में इस सीट से भाजपा की गंगोत्री कुजूर जीतीं. वहीं, 2019 में बंधु तिर्की जेवीएम से चुनाव जीत गये. फिलहाल इस सीट से कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की विधायक हैं. इस बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. वहीं, भाजपा ने सन्नी टोप्पो को टिकट दिया है. दोनों के बीच सीधी टक्कर है.
विकास के सामने होंगे गोपाल कृष्ण पातर, होगी सीधी टक्कर
इस सीट से अभी झामुमो के विधायक विकास सिंह मुंडा हैं. श्री मुंडा वर्ष 2014 में यहां से विधायक रहे हैं. तब वह आजसू से जीते थे. यहां चार चुनावों में दो बार सीट जदयू के खाते में गयी, लेकिन प्रत्याशी अलग-अलग रहे. एक बार रमेश सिंह मुंडा व एक बार गोपाल कृष्ण पातर जीते. रमेश सिंह मुंडा की मृत्यु के बाद उनके पुत्र दो बार विधायक बने हैं. इस बार भी झामुमो ने विकास सिंह मुंडा को टिकट दिया है. वहीं, जदयू से फिर गोपाल कृष्ण पातर मैदान में हैं. जेएलकेएम ने दमयंती मुंडा को उतारा है.
वर्ष 2000 से लगातार विधायक हैं भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा
खूंटी विधानसभा सीट भाजपा की सेफ सीटों में एक रही है. वर्ष 2000 से लगातार इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा जीत दर्ज कर रहे हैं. रघुवर सरकार में नीलकंठ सिंह मुंडा मंत्री भी बने थे. एक बार फिर भाजपा ने नीलकंठ सिंह मुंडा पर भरोसा जताया है. वहीं, इस सीट पर झामुमो ने राम सूर्य मुंडा को प्रत्याशी बनाया है. वह महागठबंधन के प्रत्याशी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान खूंटी विस क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को 47 हजार से अधिक की बढ़त मिली थी.
चार चुनावों में दो बार भाजपा और दो बार झामुमो जीता
तोरपा सीट से अभी भाजपा के कोचे मुंडा विधायक हैं. इस बार भी भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. वहीं, झामुमो ने सुदीप गुड़िया को उतारा है. जेएलकेएम व झारखंड पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार दिया है. कोचे मुंडा वर्ष 2005 में भी यहां से विधायक बने हैं. इसके बाद वर्ष 2009 व 2014 में यह सीट झामुमो के खाते में चली गयी थी, लेकिन फिर वर्ष 2019 में यह सीट भाजपा के पास आ गयी. इस तरह चार चुनावों में दो बार झामुमो व दो बार भाजपा के खाते में यह सीट गयी है.
झामुमो-भाजपा के बीच सपा बना कोण, रोचक होगा मुकाबला
वर्तमान मंत्री मिथिलेश ठाकुर गढ़वा से महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. वहीं, भाजपा ने पूर्व विधायक सत्येंद्र तिवारी को मैदान में उतारा है. पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह ने सपा से चुनावी मैदान में उतर कर मुकाबले को रोचक बना दिया है. तीनों एक-दूसरे का खेल बिगाड़ने में लगे हैं. इस सीट पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर है. तिवारी इस सीट से 2009 व 2014 में विधायक का चुनाव जीत चुके हैं. गिरिनाथ सिंह 2000 व 2005 में चुनाव जीत चुके हैं.
भाजपा ने भानु और झामुमो ने अनंत प्रताप पर जताया भरोसा
भवनाथपुर से तीन बार विधायक रह चुके भानु प्रताप शाही एक बार फिर मैदान में हैं. इन्हें भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. शाही वर्ष 2005 में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के टिकट से चुनाव लड़ कर विधायक बने थे. 2009 में शाही कांग्रेस प्रत्याशी अनंत प्रताप देव से हार गये थे. वर्ष 2014 में शाही एक बार फिर नवजवान संघर्ष मोर्चा के टिकट से चुनाव लड़ कर विजयी हुए थे. 2019 में शाही भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधायक बने थे. वहीं, झामुमो ने अनंत प्रताप देव को उतारा है.
Nov 12 2024, 15:19