हरिहर क्षेत्र मेले के विस्तार व राष्ट्रीय दर्जे की मांग को लेकर लोगों ने किया प्रदर्शन
मंगलवार को विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले का विस्तार करने और महाकुंभ के तर्ज पर मेला आयोजित करने की मांग को लेकर जौहरी बाजार में प्रदर्शन किया गया। स्वामी विवेकानंद सामाजिक शोध संस्थान, बिहार के तत्वावधान में इन मांगों को लेकर बुद्धिजीवियों और नागरिकों ने प्रो अजीत कुमार के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हरिहर क्षेत्र मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने और इस क्षेत्र को विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र बनाने की भी मांग की।
इसके बाद शहर में प्रदर्शन करते हुए यादव चौक पर सभा की गयी। सभा की अध्यक्षता करते हुए प्रो अजीत कुमार ने कहा कि हरिहर क्षेत्र मेला 325 ईसा पूर्व से लगते आया है। 1803 के दशक में अंग्रेजी शासनकाल में इसे सरकारी मेले के रूप - में आयोजित करने और इसे विकसित - करने की घोषणा की गयी।
तब से मेला लगातार प्रसिद्धि के शिखर पर चढ़ता रहा है। लेकिन, दुर्भाग्य है कि राज्य सरकार की उदासीनता और तुगलकी फरमान के कारण विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला सिमटता चला गया। मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित कर इसका विस्तार पहलेजा घाट धाम, सबलपुर, सोनपुर कालीघाट से लेकर हाजीपुर के जौहरी बाजार, अंदर किला, मोक्षधाम कौनहारा घाट से रामचौरा मंदिर, रामभद्र तक किया जाना चाहिए।
सभा का संचालन शिवनाथ सिंह ने किया।सभा में पतंजलि योग समिति, वैशाली के अध्यक्ष जयनारायण सिंह, अधिवक्ता अभिषेक सिंह, परमात्मा राय, अमित कुमार स्वाभिमानी, डॉ सीके तिवारी, गणेश सिंह, पंकज कुमार सिन्हा, विनोद कुमार सिंह, दिलीप कुमार ठाकुर, प्रभात सिंह, आरके गुप्ता, सुधाकर सिंह, भोला कुमार, राजीव कुमार राय आदि ने विचार रखे।
वक्ताओं ने राज्य सरकार पर हरिहर क्षेत्र मेले के प्रति उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मेले में प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के पर्यटक आते रहे हैं। इसके पौराणिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाया, तो इस मुद्दे को लेकर जनांदोलन खड़ा किया जायेगा. रुद्र प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कांग्रेस नेता ने गोविंदचक से बजरंग चौक तक स्ट्रीट लाइट लगाने की एसडीओ से की मांग
सोनपुर के गोविंदचक, त्रिभुवन चौक से बजरंग चौक के बीच पर्याप्त संख्या में स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग कांग्रेस नेता पंकज कुमार परमार ने एसडीओ से की है।उन्होंने कहा कि जेपी सेतु के उद्घाटन के समय से गोविंदचौक, त्रिभुवन चौक से जेपी सेतु की दोनों तरफ सड़क पर पर्याप्त रोशनीकी व्यवस्था थी तथा एक पुलिस चौकी भी कार्यरत थी, जिससे उस रास्ते से आने-जाने वाले लोगों को रोशनी मिलती थी, लेकिन कुछ महीनों के बाद वहां प्रकाश की व्यवस्था धीरे-धीरे बंद हो गयी, जो आज तक बंद है। पुलिस चौकी भी हटा ली गयी है। फलस्वरूप त्रिभुवन चौक और उसके आसपास के क्षेत्र में आपराधिक घटनाएं बढ़ गयी हैं।
Oct 25 2024, 13:36