दुमका : एबीवीपी के छात्र गर्जना कार्यक्रम में गूंजा रोजगार व बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा, संगठन ने जारी किया काला दस्तावेज
दुमका : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा बुधवार को समाहरणालय परिसर में आयोजित छात्र गर्जना कार्यक्रम में रोजगार और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा गूंजा। संगठन ने रोजगार सहित अन्य मुद्दों पर राज्य की हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा।
कार्यक्रम में प्रवासी कार्यकर्ता के तौर पर संगठन के प्रदेश सहमंत्री शुभम मौजूद थे। प्रदेश सहमंत्री शुभम ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में विद्यार्थियों को शिक्षा, युवाओं को रोजगार और महिलाओं की सुरक्षा एवं समान अधिकार के वादे पर राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन को मौका दिया। सरकार को चुनते समय राज्य का 19 वर्ष का युवा आज 24 वर्ष पूरे करने के कगार पर खड़ा है लेकिन अपना वयस्क राज्य झारखंड आज भी गरीबी और कमजोर प्रशासन की मार झेल रहा है। कहा कि देश के 40 प्रतिशत खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में आज भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं लगभग 20 प्रतिशत शिशु और बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। राज्य सरकार के मंत्री एवं कई अधिकारियों ने झारखंड को लूट खंड बना कर रख दिया है। सरकार के मुखिया स्वयं सेना की जमीन घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों एवं सत्ताधारी राजनीतिक दलों के अधिकारियों ने भी राज्य को लूटने में कोई अवसर नहीं छोड़ा। इनके द्वारा खुलेआम जल, जंगल एवं जमीन को मिटाने का प्रयास किया गया। कहा कि राज्य में लवजिहाद और लैंड जिहाद झारखंड के आदिवासी समाज और उनकी बेटियों के अस्तित्व को समाप्त करने की तैयारी में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आदिवासी समाज की जनसंख्या में 10 प्रतिशत की गिरावट हुई। उन्होंने कहा कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण अपने चरम पर है। कहा कि
बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या जटिल रूप ले चुकी है। इसमें झारखंड में आदिवासी और आदिम जनजातीय का अस्तित्व खतरे में है झारखंड सरकार इनके सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की पूरी तरह से भी विफल रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ महज एक सहयोग है या एक गहरी साजिश। बिना राज्य सरकार के संरक्षण के ऐसा कैसे संभव है।
कहा कि साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने सहित सरकार अपने हर वादे को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। कहा कि
राज्य के युवा, महिला, मजदूर, किसान और आम जनता ने यह महसूस किया है कि लोक लुभावन वादों के साथ सत्ता में आई झारखंड सरकार एक बार पुनः मुफ्त की योजनाएं लाकर राज्य की जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। विगत 5 वर्षों में शिक्षा वेंटिलेटर पर आ चुकी है। यहां ना तो विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति है ना तो कॉलेज में नियमित प्रधानाचार्य। शिक्षक की कमी का असर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर हो रही है। जिसके कारण झारखंड राज्य के विद्यार्थी बाकी राज्य की तुलना में रोजगार और जीवन मूल्यों के मापदंड में पिछड़ते जा रहे हैं। आखिर इस सब का जवाबदेह कौन है। राज्य में व्याप्त अराजकता एवं विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, रोजगार, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा के विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जारी काला दस्तावेज झारखंड सरकार के निरंकुशता का परिणाम है। मौके पर संगठन के दुमका विभाग संगठन मंत्री हिमांशु दुबे, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मनोज सोरेन, अभिषेक गुप्ता, लखीराम मंडल, जिला संगठन मंत्री धनंजय कुमार, कॉलेज अध्यक्ष अमन कुमार साह, कॉलेज मंत्री अभिषेक पाल, विवेक धर, अमित कुमार ठाकुर, सोनाली टुडू, खुशी कुमारी, रोजी, दीपाली कुमारी, अर्पिता पल, अनु कुमारी, मुस्कान कुमारी, अर्पिता कुमारी, सपना कुमारी, अनु कुमारी, सोनी कुमारी, कंचन कुमारी, उत्तम मंडल, राहुल कुमार, राजेश कुमार, सुमित कुमार, स्मृति रानी, सनत कुमार, छोटन सोरेन, पुलास्ट सिंह, जीत मंडल, कुशल कुमार राय, राहुल कुमार सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Sep 27 2024, 21:52