बहराइच में नहीं थम रहा भेड़िये का आतंक, एक बार फिर 11 साल की बच्ची पर हमला कर किया घायल, ग्रामीणों में दहशत
लखनऊ/बहराइच। यूपी के बहराइच जिले में भेड़िये का आतंक थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यहां पर भेड़िये पकड़े जाने के बाद भी हमला करने से बाज नहीं आ रहे है। मंगलवार की रात एक भेड़िये ने 11 साल की बच्ची पर हमला कर दिया। हमले के बाद वह भाग गया। घायल लड़की को इलाज के लिए स्थानीय सरकारी अस्पताल महसी में भर्ती कराया गया है। हमले के बाद से लोगों में दहशत और बढ़ गई है। जिसकी वजह से लोग घर से बाहर निकलने से डरने लगे है। बच्चे डर के मारे स्कूल और किसान अपने खेत में नहीं जा पा रहे है। भेड़िये से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा तमाम इंतजाम किये गये है। इसके बाद भी भेड़िये के आगे सारे इंतजाम बेकार साबित हो जा रहे है।
बहराइच में मादा भेड़िया पिंजरे में कैद
पुलिस व प्रशासन के लगातार प्रसाय के बाद महसी क्षेत्र में वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों के साथ घेराबंदी कर एक मादा भेड़िया को मंगलवार को पकड़ लिया। भेड़िया को पिंजरे में रखकर वन रेंज कार्यालय लाया गया और उसका स्वास्थ्य परीक्षण करवाया गया। मादा भेड़िया की उम्र लगभग चार साल बताई जा रही है। इसे गोरखपुर चिड़ियाघर भेजने की तैयारी है। वन विभाग की टीमों ने अब इकलौते बचे भेड़िये को पकड़ने का अभियान तेज कर दिया है।
पूर्व में एक मादा की हो गई थी मौत, तीन बढ़ा रहे चिड़ियाघर की शोभा
वन टीम द्वारा ड्रोन में दिखे भेड़ियों में से चार को पहले की पकड़ा जा चुका है। पकड़े गए भेड़ियों में एक मादा भेड़िया थी, जिसकी रेस्क्यू के बाद मौत हो गई थी। दो भेड़ियों को लखनऊ चिड़ियाघर और एक को गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा दिया गया था।
खतरनाक लंगड़ा भेड़िया अब भी पकड़ से बाहर
बताया जा रहा है कि हमलावर भेड़ियों में से एक भेड़िया पैर से जख्मी था और लंगड़ा कर चल रहा था। इस भेड़िये को सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता जा रहा है। डीएफओ अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि अब एक भेड़िया बचा है। जिसे पकड़ने के लिए कवायद तेज कर दी गई है। एक लोकेशन मिली है, जहां उसके मौजूद होने की संभावना है। जल्द उसे दबोच लिया जाएगा।
आतंक का पर्याय बने भेड़िये ''वुल्फ डॉग'' नहीं
तराई के बहराइच समेत कई जिलों में आतंक का पर्याय बने भेड़िये ''वुल्फ डॉग'' नहीं हैं। पकड़े गए भेड़ियों के प्रारंभिक अध्ययन के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के विशेषज्ञों का यह आकलन है। ये विशेषज्ञ पकड़े गए भेड़ियों का शीघ्र ब्लड सैंपल लेकर उनका आनुवंशिक विश्लेषण (जेनेटिक टेस्टिंग) भी करेंगे। ताकि, सही नतीजों पर पहुंचा जा सके।
भेड़िया एक दिन में 15-20 किमी तक की दूरी लेता है नाप
डब्ल्यूआईआई के विशेषज्ञ डॉ. शहीर खान बताते हैं कि पकड़े गए पांचों भेड़ियों को देखने (लुक) से यही पता चला रहा है कि वे क्रॉस ब्रीड नहीं हैं। डॉ. शहीर करीब एक सप्ताह से बहराइच की उस टीम में शामिल हैं, जो आदमखोर भेड़ियों को काबू में लाने का प्रयास कर रही है। वे बताते हैं कि भेड़िया एक दिन में 15-20 किमी तक की दूरी नाप लेता है। इनका अधिकतम दायरा 250 किमी तक रहता है। यानी, वे बड़ी ही आसानी से नेपाल बॉर्डर पर महराजगंज-सिद्धार्थनगर से पीलीभीत, बरेली और आगे तक का सफल तय कर सकते हैं।
जमीन पर मानव से भी पहले भेड़िया आया, अब हो रही विलुप्त
डॉ. शहीर का अनुमान है कि यूपी में 50-60 से ज्यादा भेड़िये नहीं होंगे। वे मानते हैं कि भेड़ियों के आदमखोर हो जाने पर उन्हें हटा देना ही एकमात्र रास्ता होता है। जमीन पर मानव से भी पहले भेड़िया आया है। अब वे विलुप्त हो रही प्रजातियों में शामिल हैं। इसलिए इंसान को उनके वास क्षेत्र से दूरी बनाए रखना जरूरी है। बहराइच में ड्रोन कैमरे में छह भेड़ियों का समूह कैद हुआ था, जिन्हें आदमखोर ठहराया गया है। इनमें से महज एक भेड़िया ही अभी पकड़ से दूर हैं। वन कर्मियों को उम्मीद है कि शीघ्र ही समूह के इस आखिरी भेड़िये को भी पकड़ा जा सकेगा।
Sep 11 2024, 17:27