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'हम बांग्लादेशी एजेंसियों के संपर्क में हैं, हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए..', संसद में बोले विदेश मंत्री जयशंकर

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद वह सोमवार शाम भारत पहुंचीं। इसके कुछ ही घंटों बाद, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने जनवरी 2024 में चुनाव के बाद बनी संसद को भंग करने का ऐलान कर दिया। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश संकट पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक की, जबकि शेख हसीना गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर एक सुरक्षित स्थान पर हैं।

बांग्लादेश के प्रमुख मीडिया आउटलेट डेली स्टार के अनुसार, एक ही दिन में वहां 27 स्थानों पर हिन्दुओं पर हमले हुए हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, आंदोलन के प्रमुख समन्वयकों में से एक, नाहिद इस्लाम ने कहा कि वह पहले ही प्रोफेसर यूनुस से बात कर चुके हैं, और उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अपनी सहमति दे दी है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि बांग्लादेश में चुनाव होने तक अंतरिम सरकार का शासन होना चाहिए और इसके लिए एक शॉर्ट और लॉन्ग टर्म रणनीति होनी चाहिए। छात्र प्रदर्शनकारियों ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को सरकार का मुख्य सलाहकार बनाने की मांग की है। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि केंद्र सरकार बांग्लादेश की आर्मी के संपर्क में है और वहां के हालात निरंतर बदल रहे हैं। जैसे-जैसे आगे की घटनाएं होंगी, सरकार उसके बारे में जानकारी देगी। जयशंकर ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में कुछ जगहों पर भारत विरोधी भावना देखी गई है, लेकिन जो भी सरकार आएगी, वह भारत के साथ मिलकर काम करेगी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं है कि हिंसा प्रभावित देश से 12,000-13,000 भारतीयों को निकालने की जरूरत पड़े। जयशंकर ने कहा कि सरकार बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद की स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है, जिसमें 300 से अधिक लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि, हम बांग्लादेशी एजेंसियों के लगातार संपर्क में हैं और वहां अपने राजदूतों और हिन्दुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए जोर दे रहे हैं।

77 मुस्लिम जातियां OBC कैसे हो गईं ? बंगाल में आरक्षण पर खेला, SC ने ममता सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से 77 मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण दिए जाने के फैसले पर जवाब मांगा है। यह कदम राज्य सरकार द्वारा कोलकाता हाई कोर्ट के मई में दिए गए उस फैसले को चुनौती देने के बाद उठाया गया है, जिसमें इन जातियों को OBC सूची से बाहर करने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट ने आरक्षण को अवैध करार दिया था, जिसके खिलाफ ममता बनर्जी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं और कहा कि उन्होंने 77 मुस्लिम जातियों को OBC में सही आरक्षण दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने पुछा है कि, आखिर उन जातियों को OBC में शामिल करने का आधार क्या था ? इस पर कोर्ट ने ममता सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिलचस्प बहस हुई। ममता सरकार के वकील ने कोलकाता हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई और कहा कि क्या उच्च न्यायालय ही राज्य को चलाना चाहता है। बंगाल सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की, यह दावा करते हुए कि उच्च न्यायालय ने अपनी सीमा से बाहर जाकर फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट कहता है कि मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक हित साधने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और यह आरक्षण धर्म के आधार पर दिया गया है, जबकि हमने मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर आरक्षण दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग से चर्चा किए बिना 77 मुस्लिम जातियों को OBC में शामिल कर दिया, जो गंभीर मुद्दा है। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि राज्य में आरक्षण व्यवस्था अटकी हुई है क्योंकि हाई कोर्ट ने कहा था कि जाति का दर्जा निर्धारण आयोग का काम है, राज्य सरकार का नहीं। 1993 में बने आयोग और 2012 में लाए गए राज्य सरकार के ऐक्ट के आधार पर ही जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने चाहिए।

बंगाल में आरक्षण पर हो रहा खेल, पूरा विपक्षी गठबंधन मौन :-

बता दें कि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग अध्यक्ष (NCBC) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने पश्चिम बंगाल में इसी तरह के मुद्दों पर प्रकाश डाला था, जहां OBC सूची में शामिल समुदायों का एक लगभग 90 फीसद हिस्सा मुस्लिम हैं। दरअसल, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 25 फरवरी 2023 को पश्चिम बंगाल की यात्रा की थी, जिसमे खुद बंगाल सरकार की संस्था कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) की रिपोर्ट से पता चला था कि ममता सरकार ने हिंदू धर्म से धर्मांतरित होकर मुस्लिम बने लोगों को भी OBC की सूची में शामिल कर दिया है। पिछड़ा आयोग के इस दौरे में यह भी पता चला है कि बंगाल सरकार ने OBC की लिस्ट में कुल 179 जातियों को शामिल किया है, जिसमे से 118 जातियाँ अकेले मुस्लिमों की है। जबकि, हिंदुओं की महज 61 जातियों को ही OBC की सूची में जगह दी गई है। इसको लेकर NCBC के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की कुल जनसँख्या में से 70% हिंदू हैं और 27% मुस्लिम। इसके बाद भी बड़ी तादाद में मुस्लिम जातियों को OBC की सूची में जगह दे दी गई। यही नहीं, बंगाल सरकार ने बांग्लादेश से आए मुस्लिमों को भी OBC आरक्षण सूची में शामिल कर दिया है। यानी, रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान भी भारत में पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। 

हंसराज अहीर ने यह भी कहा है कि इस दौरे में पिछड़ा आयोग ने पाया कि 2011 से पहले बंगाल में OBC की 108 जातियाँ हुआ करती थीं। मगर, इसके बाद इसमें 71 जातियों को और शामिल किया गया। इन 71 में से 66 जातियाँ अकेले मुस्लिमों की थी। वहीं, हिंदुओं की महज 5 जातियों को ही OBC आरक्षण का लाभ देने के लिए इस सूची में जगह मिल पाई। आयोग को लगता है कि बंगाल सरकार की संस्था CRI की गलत रिपोर्ट के कारण, मुस्लिम जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में OBC आरक्षण को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें कुल 179 जातियों को OBC लिस्ट में शामिल किया गया है। इसमें A वर्ग में अति पिछड़ों को रखा गया है। इसमें 89 में से 73 मुस्लिम और केवल 8 हिंदू जातियां हैं। वहीं B श्रेणी में पिछड़ी जातियों को रखा गया है, इसकी सूची में कुल 98 जातियां है, जिसमें 53 हिंदू और 45 मुस्लिम जातियां हैं। यानी बंगाल में कुल 179 पिछड़ी जातियों में से 118 जातियां तो मुस्लिमों की ही है, बाकी 61 पिछड़ी जातियां हिन्दुओं की है। इससे सवाल उठने लगा है कि, जिस इस्लाम में जातिवाद न होने का दावा किया जाता है, वो भारत में अति पिछड़ी जाति श्रेणी में हिन्दुओं (8) से भी अधिक पिछड़े (मुस्लिम 73) कैसे हो गए हैं ? क्या ये लाभ उन्हें और रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को सरकारों द्वारा वोट बैंक की लालच में दिया गया है ? क्योंकि, बीते कई चुनावों में हमने देखा है कि, मुस्लिम समुदाय एकतरफा और एकमुश्त होकर वोट करता है, इसलिए कई सियासी दल हर तरह से उन्हें खुश रखने की कोशिश करते ही हैं। ऐसा राजनेताओं के बयानों में भी कई बार देखा जा चुका है। इसीलिए संसद में OBC/SC/ST का मुद्दा उठाने वाले नेता विपक्ष राहुल गांधी भी इस पर मौन हैं और कोई अन्य विपक्षी नेता भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। क्योंकि, इससे उनके मुख्य वोट बैंक के नाराज़ होने का खतरा है। गौर करने वाली बात ये भी है कि, मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक होने के नाते भी कई लाभ मिलते हैं, जो OBC/SC/ST को नहीं मिलते, क्योंकि सरकार की नज़रों में ये बहुसंख्यक हिन्दू हैं। वहीं अब कई राज्य सरकारें तुष्टिकरण में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण भी दे रहीं हैं, और दिलचस्प बात तो ये है कि इस पर चर्चा ही नहीं होती। जो बोलता है, उसे ही सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है।

गौतम अडानी जल्द लेंगे संन्यास, यहां जानिए उनके बाद कौन संभालेगा लाखों करोड़ का साम्राज्य

अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने 2030 तक रिटायर होने का फैसला किया है। उन्होंने यह जानकारी ब्लूमबर्ग को दिए गए एक इंटरव्यू में दी। अडानी ने कहा कि वह 70 साल की उम्र में कंपनी की कमान अपने उत्तराधिकारियों को सौंप देंगे। अडानी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि कंपनी की बागडोर कौन संभालेगा, लेकिन माना जा रहा है कि उनके बेटे और भतीजे इस जिम्मेदारी को संभाल सकते हैं। अडानी ग्रुप के तेजी से विस्तार के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि अगली पीढ़ी कंपनी को कैसे आगे बढ़ाएगी। ब्लूमबर्ग के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वो साल 2030 तक अडानी समूह के चेयरमैन की कुर्सी छोड़ देंगे। उनके रिटायरमेंट के बाद कंपनी की जिम्मेदारी उनके दोनों बेटे और दो भतीजों पर होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब अडानी रिटार होंगे तो उनके चार उत्तराधिकारी - बेटे करण अडानी और जीत अडानी के अलावा र उनके भतीजे प्रणव और सागर अडानी परिवार के ट्रस्ट के बराबर के लाभार्थी होंगे। गौतम अडानी ने कहा,कारोबार की स्थिरता के लिए उत्तराधिकार बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने विकल्प दूसरी पीढ़ी पर छोड़ दिया है क्योंकि परिवर्तन जैविक, क्रमिक और बहुत व्यवस्थित होना चाहिए। गौतम अडानी के रिटायरमेंट के बाद संकट या प्रमुख रणनीतियों की स्थिति में संयुक्त निर्णय लिया जाना जारी रहेगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों में किसकी क्या जिम्मेदारी होंगी, इसके लिए एक गोपनीय समझौता होगा, जिसमें अडानी समूह की कंपनियों में हिस्सेदारी और उत्तराधिकारियों के बीच ट्रांसफर की पूरी जानकारी शामिल होगी।
वायनाड में आपातकालीन स्थिति: आठवें दिन भी जारी बचाव अभियान और मृतकों की बढ़ती संख्या, 180 लोग लापता


केरल के वायनाड में भूस्खलन के बाद तबाही मची है। भूस्खलन के बाद से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच वायनाड के प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत अभियान मंगलवार को लगातार आठवें दिन भी जारी रहा। अब तक 387 की मौत, 180 लापता मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2 अगस्त तक मरने वालों की संख्या 387 हो गई है। रविवार तक 220 शव बरामद किए जा चुके हैं और 180 लोग अभी भी लापता हैं। राहत अभियान के तहत वायनाड में कुल 53 शिविर स्थापित किए गए हैं। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, जिले भर में 1983 परिवारों, 2501 पुरुषों, 2677 महिलाओं, 1581 बच्चों और 20 गर्भवती महिलाओं सहित 6759 लोगों को इन शिविरों में स्थानांतरित किया गया है। सरकार ने मेप्पाडी और अन्य ग्राम पंचायतों में 16 शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें 9 आश्रय और 7 बचाव शिविर शामिल हैं। सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया बता दें कि 30 जुलाई को वायनाड के चूरलमाला और मुंडक्कई में हुए भीषण भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई और जान-माल का नुकसान हुआ। रविवार देर रात जिला प्रशासन ने भूस्खलन में मारे गए अज्ञात लोगों के पार्थिव शरीर का सामूहिक अंतिम संस्कार किया। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पहले जिला प्रशासन को सर्वधर्म प्रार्थना के साथ औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया था। इससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि चूरलमाला और मुंडक्कई इलाकों में पुलिस की रात्रि गश्त शुरू कर दी गई है। बचाव अभियान में लगाए गए रडार सीएमओ के बयान में रात में पीड़ितों के घरों या इलाकों में घुसने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। बयान में कहा गया है कि बचाव अभियान के लिए पुलिस की अनुमति के बिना किसी को भी रात में इन जगहों के घरों या इलाकों में प्रवेश नहीं करना चाहिए। केरल सरकार के अनुरोध पर भारतीय वायुसेना ने 3 अगस्त को तलाशी अभियान के लिए सियाचिन और दिल्ली से एक ZAWER और चार REECO रडार मंगवाए।
कौन हैं मोहम्मद यूनुस? जिन्हें बांग्लादेश का पीएम बनाने की उठी मांग*
#who_is_nobel_prize_winner_muhammad_yunus_become_bangladesh_new_pm
बांग्लादेश इस वक्त जल रहा है।देश में तख्तापलट हो गया है और बांग्लादेश की कमान फिलहाल सेना ने संभाल ली है। प्रधानमंत्री शेख हसीना आरक्षण विरोधी प्रदर्शन और हिंसक झड़पों के बीच अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है। इस बीच, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अंतरिम सरकार बनाने के लिए संसद को भंग करने का ऐलान किया है। जिसके बाद अब सवाल उठ रहा है कि हसीना के बाद देश का पीएम कौन होगा? वहीं, छात्र आंदोलन के कोऑर्डिनेटर ने नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को सरकार का मुख्य सलाहकार बनाने की मांग की है। फेसबुक पर जारी एक वीडियो में आंदोलनकारियों के नेताओं ने मंगलवार तड़के प्रस्ताव का एलान किया। उन्होंने अंतरिम सरकार के लिए एक योजना की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को प्रमुख बनाने का प्रस्ताव रखा है। मोहम्मद यूनुस वह बांग्लादेश के एक सामाजिक उद्यमी, एक बैंकर, एक अर्थशास्त्री और सिविल सोसायटी के नेता हैं। साल 2006 में उन्होंने ग्रामीण बैंक की स्थापना की और माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस के विचारों का आविष्कार किया। जिसके लिए उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। गरीबी उन्मूलन की दिशा में अहम योगदान के लिए यूनुस को इस पुरस्कार से नवाजा गया था। यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी जो गरीब लोगों को छोटे कर्ज मुहैया कराता है। बांग्लादेश को अपने ग्रामीण बैंक के माध्यम से माइक्रोक्रेडिट के लिए दुनियाभर में सराहना हासिल हुई थी। इसके कारण बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग जीवनस्तर के ऊपर उठाने में सफल हए थे। 1961 से 1965 तक उन्होंने बांग्लादेश के चटगांव विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उन्होंने वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की।साल 18 फरवरी 2007 को मोहम्मद यूनुस ने नागरिक शक्ति नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी।इसके अलावा यूनुस ने साल 2012 से 2018 तक स्कॉटलैंड में ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में काम किया।उन्होंने ग्रामीण अमेरिका और ग्रामीण फाउंडेशन में भी अहम भूमिका निभाई है। साल 1998 से 2021 तक वह संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य रहे। वहीं, मोहम्मद यूनुस को श्रम कानून के उल्लंघन के आरोप में बांग्लादेश की एक कोर्ट ने 6 महीने की सजा भी सुनाई थी।नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को 23 लाख डॉलर गबन करने के मामले में भी जेल की सजा सुनाई जा चुकी है। बता दें, ग्रामीण टेलीकॉम के पास बांग्लादेश के सबसे बड़े मोबाइल फोन ऑपरेटर ग्रामीणफोन में 34.2 फीसदी हिस्सेदारी है। ग्रामीणफोन नॉर्वे की टेलीकॉम दिग्गज टेलीनॉर की सहायक कंपनी है। इसके अलावा, इन आरोपों में 250 मिलियन से अधिक का गबन और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है।
शेख हसीना के इस्‍तीफे के बाद भी बांग्‍लादेश में हिंसा जारी, प्रदर्शकारियों ने 6 पुलिस स्‍टेशनों को जलाया

#bangladesh_violence

बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हैं।उनके बांग्लादेश छोड़ते ही पूरे देश में भारी बवाल देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों में तोड़फोड़ और आगजनी की। प्रदर्शनकारी पुलिस थानों से हथियार भी लूट ले गए। प्रदर्शनकारी आवामी लीग के नेताओं और अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं।बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं।

अवामी लीग के नेता के होटल को जलाया, 8 मरे

बांग्‍लादेश के जेस्‍सोरे इलाके में शेख हसीना की पार्टी के नेता के होटल को भीड़ ने जला दिया है। इसमें कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई है और 84 अन्‍य घायल हो गए हैं। इस नेता की पहचान शाहीन चाकलदार के रूप में हुई है। डिप्‍टी कम‍िश्‍नर ने इस हमले और आगजनी की पुष्टि की है। पूरे देश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है।

छह पुलिस स्‍टेशनों को जलाया गया, मंदिर जलाए

बांग्‍लादेश के चटगांव में कम से कम 6 पुलिस स्‍टेशनों को जला दिया गया है। भीड़ ने थानों में लूट की और हथियार तथा गोलियां लेकर भाग गए। कई मंदिरों को जला दिया गया है। इससे भारी तनाव बना हुआ है।

बांग्लादेश की शेरपुर जेल से भागे खूंखार आतंकी

बांग्लादेश में शेरपुर जिले की एक जेल से सभी 518 कैदी भाग गए हैं। सोमवार की शाम भीड़ जेल में घुस गई थी और मौके का फायदा उठाकर कैदी फरार हो गए। यह हमला कल शाम 4.30 से 5.30 बजे के बीच हुआ। कई हथियार और जरूरी चीजें भी लूटी गई हैं। खबर है कि 10-15 खूंखार आतंकवादी भी जेल से भाग गए हैं। 

इधर, भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा कड़ी रखी जा रही है। बीएसएफ को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि दस्तावेजों की छानबीन सख्ती से की जाए। बांग्लादेश हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सीमा पर घुसपैठ नहीं होने दी जाएगी। भारत और बांग्लादेश के बीच आयात-निर्यात बंद कर दिया गया है।

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद दिल्ली में सर्वदलीय बैठक, विदेश मंत्री ने दी हालात की जानकारी
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बांग्लादेश के हालात पर सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई। यह बैठक संसद भवन में बुलाई गई। इस बैठक में बांग्लादेश हिंसा को लेकर चर्चा की गई है और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। सर्वदलीय बैठक में बीजेपी के अलावा कांग्रेस, टीएनमसी, जेडीयू, एसपी, डीएमके, आरजेडी के नेता भी मौजूद थे। बैठक में भारत सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सभी नेताओं को बताया कि स्थिति को देखते हुए हमारी उसपर नजर है, हमने शेख हसीना पर कोई फैसला नहीं लिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि शेख हसीना को थोड़ा समय देना चाहते हैं कि वो क्या चाहती हैं। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि बांग्लादेश में 12-13 हजार भारतीय मौजूद हैं। सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सरकार के साथ है। राहुल गांधी ने कहा कि मीडियम और लॉन्ग टर्म स्ट्रैटजी होनी चाहिए। सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, डीएमके के टीआर बालू, जेडीयू के लल्लन सिंह, एसपी के राम गोपाल यादव, टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, राजद की मीसा भारती, एसएस (UBT) के अरविंद सावंत, बीजेडी के सस्मित पात्रा, एनसीपी (SP) की सुप्रिया सुले, टीडीपी के राम मोहन नायडू भी सर्वदलीय बैठक में मौजूद रहे।
शेख हसीना अब कभी बांग्लादेश की राजनीति में नहीं लौटेंगी, बेटे ने कहा- अब वापसी असंभव*
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बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के हिंसक रूप में तब्दील होने के बाद सोमवार को शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। यही नहीं, हसीना ने अपनी बहन के साथ देश छोड़ दिया है। उनके लंदन जाने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल वो भारत में अस्थायी प्रवास पर हैं। वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश की आर्मी ने सरकार की कमान संभाल ली है। इस बीच शेख हसीना के बेटे साजिब अहमद वाजेद जॉय का बयान सामने आया है। साजिब अहमद ने कहा कि उनकी मां शेख हसीना शायद अब बांग्लादेश की राजनीति में नहीं लौटेंगी। बीबीसी से बात करते हुए शेख हसीना के बेटे सजीब वाजिद जॉय ने कहा कि उनकी मां रविवार को ही प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने का मन बना चुकी थीं। हालांकि, ऐसी रिपोर्ट है कि बांग्लादेश की सेना ने शेख हसीना को इस्तीफा देने को कहा था।उन्होंने कहा कि उनकी मां की राजनीतिक वापसी अब संभव नहीं है। सजीब ने यह भी कहा,वह अब 70 की हो चुकी हैं। अब वो अपने पोते-पोतियों के साथ वक्त बिताएँगी। वह अब कुछ दिन अपने बेटे-बेटी और बहन पास रहेंगी। मेहनत के बावजूद थोडे़ से लोगों ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया। मेरे ख्याल से वह अब वापसी नहीं करेंगी। अपनी मां के सत्ता में रिकॉर्ड का बचाव करते हुए, उन्होंने कहा, उन्होंने बांग्लादेश को बदल दिया है। जब उन्होंने सत्ता संभाली थी, तो इसे एक असफल राज्य माना जाता था। यह एक गरीब देश था। आज तक इसे एशिया के उभरते बाघों में से एक माना जाता था। वह बहुत निराश हैं। वाजेद ने कहा बांग्लादेश के लोगों ने अपने नेता चुन लिए हैं और वहीं उन्हें मिलेंगे। वाजेद ने खुद के भी राजनीति में आने के कयासों पर रोक लगा दी। उन्होंने बताया कि उनकी भविष्य में ऐसी कोई योजना नहीं है। वाजेद ने कहा कि उनका परिवार तीन बार सैन्य तख्तापलट झेल चुका है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार बांग्लादेश को बचाते बचाते थक चुका है और अब बांग्लादेश के लोग खुद ही यह काम करें। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश अब उनकी समस्या नहीं है। बता दें कि बांग्लादेश में जुलाई महीने से ही आरक्षण खत्म करने की माँग को लेकर प्रदर्शन चल रहे थे। जल्द ही इस प्रदर्शन ने कट्टरपंथी रंग ले लिया। इसके बाद भारी हिंसा हुई। यह हिंसा अगस्त में और बढ़ गई और प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना सोमवार (5 अगस्त, 2024) को ढाका छोड़ कर भारत आ गईं। वर्तमान में वह भारत में हैं। उनके कुछ दिन भारत में रह कर आगे ब्रिटेन जाएँगी।
*बांग्लादेश के हालात पर दिल्ली में सर्वदलीय बैठक, विदेश मंत्री देंगे स्थिति की जानकारी

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपना देश छोड़कर फिलहाल भारत में हैं और ऐसी खबरें हैं कि वह यहां से लंदन जा सकती हैं। वहीं बांग्लादेश में सेना के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन करने की तैयारी चल रही है और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं। इधर भारत पड़ोसी देश में जारी संकट पर बारीकी से नजर रखे हुए हैष भारत सरकार ने भी इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। 

बांग्लादेश मामले पर केंद्र सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता संसद में बैठक करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर बांग्लादेश के हालात पर जानकारी देंगे। उसके बाद बांग्लादेश पर संसद में बयान देने पर फैसला लिया जाएगा।

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने ब्रिटेन की सरकार से शरण मांगी है। हालांकि अभी तक ब्रिटेन सरकार ने शेख हसीना को शरण देने के संबंध में कोई पुष्टि नहीं की है। जब तक शरण नहीं मिलेगी तब तक वो भारत में ही रहेंगी। भारत सरकार ने शेख हसीना को ब्रिटेन में शरण मिलने तक अस्थायी प्रवास की मंजूरी दी है। जानकारी के मुताबिक, शाम तक शरण मिलने की उम्मीद है।

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भारत में अस्थायी प्रवास पर हैं शेख हसीना, जानें कहां ले रहीं शरण

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बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरु हुए बवाल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनकी कुर्सी छीन ली। भारी प्रदर्शन के बाद तख्तापलट हो गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना को भाग कर भारत पहुंची हैं। शेख हसीना ने ब्रिटेन से शरण मांगी है। जब तक ब्रिटेन सरकार उनको राजनीतिक शरण नहीं देता है, तब तक वह भारत में ही अस्थायी प्रवास करेंगीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत शेख हसीना को ब्रिटेन में शरण लेने के लिए व्यापक सैन्य सहायता देगा। 

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना आज भी भारत में ही रह सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने ब्रिटेन की सरकार से शरण मांगी है। हालांकि अभी तक ब्रिटेन सरकार ने शेख हसीना को शरण देने के संबंध में कोई पुष्टि नहीं की है। उनकी छोटी बहन रेहाना ब्रिटेन की ही नागरिक हैं। रेहाना की बेटी ट्यूलिप सिद्दीक लेबर पार्टी से ब्रिटिश संसद की सदस्य भी हैं। ये जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि जब तक शरण नहीं मिलेगी तब तक वो भारत में ही रहेंगी। भारत सरकार ने शेख हसीना को ब्रिटेन में शरण मिलने तक अस्थायी प्रवास की मंजूरी दी है। जानकारी के मुताबिक, शाम तक शरण मिलने की उम्मीद है।

बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बीच शेख हसीना ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालात बिगड़ता देख उन्होंने देश छोड़ दिया और भारत पहुंचीं। उनका विमान दिल्ली के पास गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा। एनएसए अजीत डोभाल ने उनसे मुलाकात की। हिंडन एयरबेस से उन्हें सेफ हाउस भेज दिया गया। इसके साथ ही वो जहां रूकी हैं उसकी सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ाई गई है।

बांग्लादेश में बिगड़े हालात पर भारत की पैनी नजर है। बांग्लादेश में भड़की ताजा हिंसा में 24 घंटों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जबकि पिछले 3 हफ्तों में यहां हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बांग्लादेश के बिगड़े हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है वहां, 14 पुलिस कर्मियों को जिंदा जला दिया गया। बता दे कि प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।