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जर्मनी से एस जयशंकर की पाक को खुली चेतावनी, कहा-आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे, यूरोपीय देशों से की खास अपील

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भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूरोप के दौरे पर है। जयशंकर तीन देशों की यात्रा पर हैं। उन्होंने पहले नीदरलैंड और डेनमार्क का दौरा किया। बर्लिन उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव था। बर्लिन में उन्होंने जर्मनी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बर्लिन में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में बातचीत के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।

एस जयशंकर ने कहा, यह एक आतंकी हमला था, जो एक पैटर्न का हिस्सा है, जिसने न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि भारत के अन्य हिस्सों को भी निशाना बनाया है। इसका मकसद डर का माहौल बनाना और कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नष्ट करना था। इसका मकसद धार्मिक मतभेद पैदा करना था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए हम आतंकवाद का जवाब दे रहे थे। जब हमने जवाब दिया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी समझ थी। हमने आतंकी मुख्यालयों और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। हमारा ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ है। इस मामले में आतंकी पड़ोसी देश से आते हैं, क्योंकि उस देश ने कई सालों से आतंकवाद को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है।

हम 80 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1947 में हमारी आजादी के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया है। उसके बाद से आठ दशकों (80 साल) में हमने क्या देखा है? जयशंकर ने कहा कि आप लोग तो अब जागे हैं हम 80 साल से आतंकवाद और पाकिस्तान की हरकतों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र को जितना कमजोर पश्चिमी देशों ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को लगातार उजागर किया है और लंबे समय से यह कहा है कि इस्लामाबाद की सत्ता संरचना पर सेना का प्रभुत्व है, जो आतंकवादी समूहों को कश्मीर घाटी, अफगानिस्तान समेत पूरे उपमहाद्वीप में सपोर्ट करता रहा है।

वैश्विक मंच पर भारत अपनी बात बिना हिचक रख रहा-एस जयशंकर

जयशंकर ने वैश्विक गठबंधनों पर भी बात की। उन्होंने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने क्वाड की तारीफ की। उन्होंने इसे एक लचीला और आधुनिक गठबंधन बताया, जो आज के बदलते वैश्विक माहौल में जरूरी है। यह गठबंधन देशों के हितों को ध्यान में रखकर काम करता है और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

जयशंकर की यह टिप्पणी भारत और यूरोप के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत चाहता है कि यूरोप और अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की सैन्य नीतियों पर सवाल उठाएं और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। उनकी यह स्पष्ट बातचीत दिखाती है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी बात बिना किसी हिचक के रख रहा है।

पाकिस्तान को कैसे पता चला हमने कितने विमान खोए, राहुल गांधी ने जयशंकर से पूछा सवाल

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब उस पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी ने सवाल उठाया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से सवाल किया है। राहुल ने पूछा है कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को कितने फाइटर जेट का नुकसान हुआ? दरअसल, पाकिस्तान को हमले की जानकारी देने पर राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए हैं।

कांग्रेस सांसद ने सोमवार को कहा कि विदेश मंत्री (EAM) जयशंकर चुप हैं, और ये चुप्पी बहुत कुछ कह रही है। ये चुप्पी गंभीर सवाल उठा रही है। इसलिए मैं फिर से पूछूंगा: पाकिस्तान को कैसे पता चला कि हमने कितने विमान खोए? ये सिर्फ एक गलती नहीं थी। ये एक अपराध था। देश को सच जानने का हक है।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें विदेश मंत्री कह रहे हैं कि ऑपरेशन की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित किया गया था कि भारत केवल आतंकवादी ढांचे को निशाना बना रहा है, न कि पाकिस्तानी सेना को। राहुल गांधी ने वीडियो शेयर करते हुए कहा है, ''हमारे हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना एक अपराध था। विदेश मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया।'' राहुल गांधी ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ''इसे किसने अधिकृत किया? क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पाकिस्तान को पता था कि हम हमला करने वाले हैं? यह कोई चूक नहीं थी। यह एक अपराध था। और देश को इस बारे में सच्चाई जानने का हक है।"

पहले भी उठाया था सवाल

राहुल गांधी ने अपने पुराने पोस्ट को ही रीपोस्ट करके यह सवाल किया है। इससे पहले 17 मई के पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा था, ‘हमारे हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना एक अपराध था. विदेश मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया.’ उन्होंने पूछा, ‘इसे किसने अधिकृत किया? इसके परिणामस्वरूप हमारी वायु सेना ने कितने विमान खो दिए?’

विदेश मंत्रीलय ने कहा- गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा

वहीं, विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के दावों का खंडन किया था। कांग्रेस सांसद ने दावा किया था कि विदेश मंत्री ने स्वीकार किया है कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया था। मंत्रालय ने ऐसे दावों की निंदा करते हुए कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

विदेश मंत्रालय के विदेश प्रचार प्रभाग ने कहा कि एस. जयशंकर ने कहा था कि "हमने पाकिस्तान को शुरुआत में ही चेतावनी दे दी थी, जो स्पष्ट रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' के शुरुआत के बाद प्रारंभिक चरण की बात है।" मंत्रालय ने कहा, "इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है कि यह ऑपरेशन शुरू होने से पहले की बात है। तथ्यों को पूरी तरह से गलत तरीके से प्रस्तुत करने की निंदा की जा रही है।"

तीसरे देश का दखल मंजूर नहीं', जयशंकर ने पाक से लेकर अमेरिका तक को दिया सख्त संदेश

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर हो चुका है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान से वार्ता को लेकर फिर से भारत का रूख स्पष्ट कर दिया है। गुरुवार को दिल्ली में होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के दौरान एस जयशंकर ने पाकिस्तान से बातचीत को लेकर भारत की स्थितियां फिर से स्पष्ट की।

हमने पाकिस्तान को अगाह किया था- जयशंकर

भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर जयशंकर ने कहा, हमने आतंकवादी ढांचे को नष्ट किया। हमने पाकिस्तान को अगाह किया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह इस ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करे। उन्होंने इस सलाह को न मानने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत पर हमले किया। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।

द्विपक्षीय बातचीत पर जोर

विदेश मंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल द्विपक्षीय होगी। उन्होंने कहा, यह वर्षों से राष्ट्रीय सहमति है। बातचीत का विषय केवल आतंकवाद होगा। पाकिस्तान को आतंकवादियों की सूची सौंपनी होगी और उनके बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा। हम उनके साथ आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हैं। ये वे वार्ताएं हैं जो संभव हैं।

सिंधु समझौता स्थगित ही रहेगा- एस जयशंकर

एस जयशंकर ने कहा कि सिंधु समझौता स्थगित ही रहेगा। जयशंकर ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह नहीं रोकता, तब तक सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कश्मीर पर एकमात्र चर्चा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को खाली करने की होगी।

अब बुलेटप्रूफ कार में चलेंगे विदेश मंत्री, भारत-पाक तनाव के बीच एस जयशंकर की बढ़ी सुरक्षा,

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भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन बरकरार है। इस बीच भारत सरकार ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में बढ़ोतरी कर दी है। गृह मंत्रालय ने अब उनकी सुरक्षा में स्पेशल बुलेट प्रुफ वाहन को शामिल किया है। दिल्ली में उनके घर के आसपास भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में कई जगह हमले की कोशिश की थी। मौजूदा हालात को देखते हुए एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई है।

जयशंकर को पहले से ही सीआरपीएफ कमांडो की जेड-श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। केंद्रीय मंत्री की सुरक्षा में पहले से ही 33 कमांडो हमेशा तैनात रहते हैं। देश भर में उनके आवागमन और प्रवास के दौरान एक दर्जन से अधिक सशस्त्र कमांडो उनकी सुरक्षा में लगे रहते हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी ने विदेश मंत्री पर खतरे का आकलन करने के बाद सुरक्षा बढ़ाने की सिफारिश की थी। उस समय, सुरक्षा के तौर पर 12 सशस्त्र गार्ड केंद्रीय मंत्री जयशंकर के घर पर तैनात थे। छह पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) भी थे। 12 सशस्त्र एस्कॉर्ट कमांडो तीन शिफ्टों में तैनात थे। तीन वॉचर शिफ्टों में काम करते थे। तीन प्रशिक्षित ड्राइवर हर समय मौजूद रहते थे। अब एस जयशंकर की सुरक्षा को बढ़ाते हुए एक बुलेटप्रूफ कार भी दी गई है।

क्या है बुलेटप्रूफ कार की खासियत

विदेश मंत्री जयशंकर को मिलने वाली बुलेटप्रूफ कार सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम होगी। इस तरह की गाड़ी के कांच काफी ज्यादा मोटे होते हैं, जो कि लैमिनेटेड भी होते हैं। ये गोली को अंदर आने से रोकते हैं। अगर गाड़ी का टायर पंक्चर हो जाए तो यह 50 से ज्यादा किलोमीटर तक चलने में सक्षम होती है। यह हर तरह के हमले को ध्यान में रखकर डिजाइन की जाती है।

भारत-पाक तनाव के बीच बढ़ी सुरक्षा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। पहलगाम हमले के 15 दिन बाद भारतीय सेना ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। जिसमें कई कुख्यात आतंकी भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालात बिगड़े और दो दशक बाद चरम पर पहुंच गए। वहीं पाकिस्तान की तरफ से भारत के शहरों को निशाना बनाए जाने के बाद, भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सभी को नाकाम करते हुए उसका माकूल जवाब दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को ध्वस्त कर दिए। इससे घबराए पाकिस्तान ने 10 मई को भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा।

तनाव बढ़ाने का इरादा नहीं, लेकिन अब हमला हुआ तो बहुत मजबूती से देंगे जवाब, एस जयशंकर की चेतावनी

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत दुनियाभर में अपने संदेश को मजबूती से रख रहा है। भारत ने विश्व पटल पर एक बार फिर से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में की गई कार्रवाई एकदम सटीक है। आज विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची के साथ दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने कहा कि आप ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब हमने 22 अप्रैल को भारतीय संघ शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हुए एक विशेष रूप से बर्बर हमले का जवाब दिया है। इस हमले ने हमें 7 मई को सीमा पार आतंकवादी ठिकाने पर हमला करके जवाब देने के लिए मजबूर किया।

बहुत कड़ा और निर्णायक जवाब की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास से द्विपक्षीय बैठक में कहा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सोची-समझी और सीमित थी। उसका इरादा तनाव बढ़ाने का नहीं है, लेकिन अगर भारत पर कोई सैन्य हमला होता है, तो उसका जवाब बहुत कड़ा और निर्णायक होगा। उन्होंने कहा- एक पड़ोसी और अहम साझेदार होने के नाते ईरान को हालात को लेकर स्पष्ट और सही जानकारी होना जरूरी है, ताकि किसी तरह की गलतफहमी न हो।

चीन तक भी पहुंचाई बात

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चीन से भी अपने इरादे साफ कर चुका है। जयशंकर ने चीन को कहा था कि पाकिस्तान अगर जवाबी कार्रवाई करेगा तो भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। जयशंकर ने बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराया था। जयशंकर ने एक्स' पर लिखा था कि दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

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पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

शाह और जयशंकर ने की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात, पहलगाम अटैक के बीच लाल फाइल दे रही खास संकेत

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पहलगाम हमले के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। देश की राजधानी में घटनाएं तेजी से घट रही है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। सर्वदलीय बैठक से पहले अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

लाल रंग की फाइलें क्या कह रही?

राष्ट्रपति भवन ने बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।'

इस तस्वीर में अमित शाह और जयशंकर जब राष्‍ट्रपत‍ि से मुलाकात कर रहे थे तो उनके हाथ में लाल रंग की फाइलें देखी गईं। आमतौर पर सरकारी बैठकों में लाल या हरी रंग फाइलें बेहद संवेदनशील और सीक्रेट डॉक्‍यूमेंट के ल‍िए होती हैं।

पीएम मोदी ने दी चेतावनी

गृहमंत्री और विदेश मंत्री एक साथ राष्ट्रपति से मिलते हैं, खासकर ऐसे समय में जब पीएम ने कड़ा बयान दिया है। गुरूवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र का एक्शन जारी

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। वहीं अटारी बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। जबकि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के राजनायिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही सेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा”, टैरिफ वॉर के बीच जयशंकर का बड़ा बयान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया हिली हुई है। खासकर चीन की तो हालत खराब हो गई है। टैरिफ की सबसे ज्यादा मार तो चीन पर ही पड़ी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने इकोनॉमी को हथ‍ियार के रूप में इस्‍तेमाल करने पर चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाई जा सके जो देश के आर्थिक हितों के साथ-साथ इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए आवश्यक है। विदेश मंत्री ने इंडिया-इटली बिजनेस, साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम में यह टिप्पणी की। इसमें इतालवी उपप्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी ने भी हिस्सा लिया।

जयशंकर ने कहा कि भले ही हम महामारी, यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया में कई संघर्षों से उबर रहे हों, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सप्लाई चेन अधिक नाजुक हो गई हैं और हमारा समुद्री नौवहन बाधित हो गया है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी का लाभ उठाया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव से तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण के कारण और भी बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी बनाकर, अपने मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार भागीदारों में विविधता लाकर इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने अपने देश (भारत और इटली) में इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत हाल के वर्षों में ऐसी लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस सूची में इटली का स्थान सबसे ऊपर है। कई क्षेत्रों में एक स्वाभाविक पूरकता है जिसका हमें दोहन करने की आवश्यकता है।

इससे पहले जयशंकर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में ह‍िस्‍सा ल‍िया। वहीं, एस जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए अधिक तत्परता से तैयार है। जयशंकर ने कहा कि भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है। मेरा मतलब है कि ये लोग अपने खेल में बहुत आगे हैं, जो हासिल करना चाहते हैं, उसको लेकर बहुत महत्वाकांक्षी है और वैश्विक परिदृश्य एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग है।

टैरिफ वॉर के बीच एस जयशंकर और मार्को रुबियो के बीच हुई बातचीत, क्या मिलेगी राहत?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। जिसके बाद से दुनियाभर के बाजारों में इसका जोरदार असर देखा जा रहा है। ट्रंप के जवाबी टैरिफ लगाए जाने को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से बात की है। एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने और रुबियो ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की अहमियत पर बात की। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस व्यापार समझौते को जल्दी से अंतिम रूप दिया जाए। जयशंकर ने कहा, हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की जल्द समाप्ति पर बात की है। मुझे उम्मीद है कि हम इस दिशा में जल्द आगे बढ़ेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि वह रुबियो के साथ संपर्क में बने रहेंगे। 

जयशंकर और रुबियो के बीच यह बातचीत उस दिन हुई जब ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने और संभावित व्यापार युद्ध की आशंका के चलते वैश्विक बाजार में गिरावट दर्ज की गई। यह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह भारत सहित कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (भारत पर 26%) लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी।

बता दें कि चीन और कुछ अन्य देशों के उलट भारत ने रेसिप्रोकल टैरिफ नहीं लगाया है और इसके बजाय ऐसा व्यापार समझौता करने का रास्ता चुना है जो दोनों देशों के हितों और संवेदनशीलताओं को साध सके। चल रही बातचीत का मुख्य फोकस बाजार तक पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और सप्लाई चेन के एकीकरण को मजबूत करने पर है।

ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत उन सभी देशों और साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अमेरिका से आयातित सामान पर टैरिफ लगा रहे हैं। इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन का मकसद व्यापार घाटे को कम करना और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है। भारत पर अमेरिका ने 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो पहले से लागू शुल्क के ज्यादा होगा।

एस जयशंकर ने यूएन महासचिव के विशेष दूत से की मुलाकात, म्यांमार को लेकर हुई चर्चा l

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दक्षिण-पूर्वी एशिया का एक छोटा सा देश म्यांमार जो आंतरिक कलह से जूझ रहा है। भारत का ये पड़ोसी देश लोकतंत्र की बहाली को लेकर जद्दोजहद कर रहा है। 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक तरीके़ से चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट किया था। जिसके बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत की अपने पड़ोसी देश म्यांमार की स्थिती पर हमेशा से नजरें लगी हुईं हैं। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप ने मंगलवार को म्यांमार में तेजी से बदलते हालात पर चर्चा की। पिछले साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बिशप को म्यांमार के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया था। बिशप इन दिनों भारत की यात्रा पर आई हैं।

जयशंकर ने एक्स पर कहा कि मंगलवार शाम दिल्ली में म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत जूली बिशप से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिरता, शरणार्थियों की स्थिति, म्यांमार से अंजाम दिए जा रहे अंतरराष्ट्रीय अपराध तथा देश को आर्थिक सहायता प्रदान करने के बारे में चर्चा हुई। राजनीतिक हालात पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। सीमा पर बढ़ती हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी में सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।

इस साल फरवरी में, भारत और म्यांमार ने फार्मास्यूटिकल्स, दालों और बीन्स, पेट्रोलियम उत्पादों और हाल ही में शुरू किए गए रुपया-क्यात व्यापार निपटान तंत्र के अधिक उपयोग के क्षेत्रों में संभावनाओं पर चर्चा की ताकि आपसी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

दोनों देशों के बीच चर्चा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री महामहिम यू मिन मिन ने भाग लिया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया। बैठक के दौरान भारत और म्यांमार के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया और सड़कों के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के महत्व को भी स्वीकार किया और इस मुद्दे पर कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।

जर्मनी से एस जयशंकर की पाक को खुली चेतावनी, कहा-आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे, यूरोपीय देशों से की खास अपील

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भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूरोप के दौरे पर है। जयशंकर तीन देशों की यात्रा पर हैं। उन्होंने पहले नीदरलैंड और डेनमार्क का दौरा किया। बर्लिन उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव था। बर्लिन में उन्होंने जर्मनी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बर्लिन में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में बातचीत के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।

एस जयशंकर ने कहा, यह एक आतंकी हमला था, जो एक पैटर्न का हिस्सा है, जिसने न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि भारत के अन्य हिस्सों को भी निशाना बनाया है। इसका मकसद डर का माहौल बनाना और कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नष्ट करना था। इसका मकसद धार्मिक मतभेद पैदा करना था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए हम आतंकवाद का जवाब दे रहे थे। जब हमने जवाब दिया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी समझ थी। हमने आतंकी मुख्यालयों और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। हमारा ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ है। इस मामले में आतंकी पड़ोसी देश से आते हैं, क्योंकि उस देश ने कई सालों से आतंकवाद को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है।

हम 80 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1947 में हमारी आजादी के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया है। उसके बाद से आठ दशकों (80 साल) में हमने क्या देखा है? जयशंकर ने कहा कि आप लोग तो अब जागे हैं हम 80 साल से आतंकवाद और पाकिस्तान की हरकतों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र को जितना कमजोर पश्चिमी देशों ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को लगातार उजागर किया है और लंबे समय से यह कहा है कि इस्लामाबाद की सत्ता संरचना पर सेना का प्रभुत्व है, जो आतंकवादी समूहों को कश्मीर घाटी, अफगानिस्तान समेत पूरे उपमहाद्वीप में सपोर्ट करता रहा है।

वैश्विक मंच पर भारत अपनी बात बिना हिचक रख रहा-एस जयशंकर

जयशंकर ने वैश्विक गठबंधनों पर भी बात की। उन्होंने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने क्वाड की तारीफ की। उन्होंने इसे एक लचीला और आधुनिक गठबंधन बताया, जो आज के बदलते वैश्विक माहौल में जरूरी है। यह गठबंधन देशों के हितों को ध्यान में रखकर काम करता है और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

जयशंकर की यह टिप्पणी भारत और यूरोप के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत चाहता है कि यूरोप और अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की सैन्य नीतियों पर सवाल उठाएं और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। उनकी यह स्पष्ट बातचीत दिखाती है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी बात बिना किसी हिचक के रख रहा है।

पाकिस्तान को कैसे पता चला हमने कितने विमान खोए, राहुल गांधी ने जयशंकर से पूछा सवाल

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब उस पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी ने सवाल उठाया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से सवाल किया है। राहुल ने पूछा है कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को कितने फाइटर जेट का नुकसान हुआ? दरअसल, पाकिस्तान को हमले की जानकारी देने पर राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए हैं।

कांग्रेस सांसद ने सोमवार को कहा कि विदेश मंत्री (EAM) जयशंकर चुप हैं, और ये चुप्पी बहुत कुछ कह रही है। ये चुप्पी गंभीर सवाल उठा रही है। इसलिए मैं फिर से पूछूंगा: पाकिस्तान को कैसे पता चला कि हमने कितने विमान खोए? ये सिर्फ एक गलती नहीं थी। ये एक अपराध था। देश को सच जानने का हक है।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें विदेश मंत्री कह रहे हैं कि ऑपरेशन की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित किया गया था कि भारत केवल आतंकवादी ढांचे को निशाना बना रहा है, न कि पाकिस्तानी सेना को। राहुल गांधी ने वीडियो शेयर करते हुए कहा है, ''हमारे हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना एक अपराध था। विदेश मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया।'' राहुल गांधी ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ''इसे किसने अधिकृत किया? क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पाकिस्तान को पता था कि हम हमला करने वाले हैं? यह कोई चूक नहीं थी। यह एक अपराध था। और देश को इस बारे में सच्चाई जानने का हक है।"

पहले भी उठाया था सवाल

राहुल गांधी ने अपने पुराने पोस्ट को ही रीपोस्ट करके यह सवाल किया है। इससे पहले 17 मई के पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा था, ‘हमारे हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना एक अपराध था. विदेश मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया.’ उन्होंने पूछा, ‘इसे किसने अधिकृत किया? इसके परिणामस्वरूप हमारी वायु सेना ने कितने विमान खो दिए?’

विदेश मंत्रीलय ने कहा- गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा

वहीं, विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के दावों का खंडन किया था। कांग्रेस सांसद ने दावा किया था कि विदेश मंत्री ने स्वीकार किया है कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया था। मंत्रालय ने ऐसे दावों की निंदा करते हुए कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

विदेश मंत्रालय के विदेश प्रचार प्रभाग ने कहा कि एस. जयशंकर ने कहा था कि "हमने पाकिस्तान को शुरुआत में ही चेतावनी दे दी थी, जो स्पष्ट रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' के शुरुआत के बाद प्रारंभिक चरण की बात है।" मंत्रालय ने कहा, "इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है कि यह ऑपरेशन शुरू होने से पहले की बात है। तथ्यों को पूरी तरह से गलत तरीके से प्रस्तुत करने की निंदा की जा रही है।"

तीसरे देश का दखल मंजूर नहीं', जयशंकर ने पाक से लेकर अमेरिका तक को दिया सख्त संदेश

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर हो चुका है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान से वार्ता को लेकर फिर से भारत का रूख स्पष्ट कर दिया है। गुरुवार को दिल्ली में होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के दौरान एस जयशंकर ने पाकिस्तान से बातचीत को लेकर भारत की स्थितियां फिर से स्पष्ट की।

हमने पाकिस्तान को अगाह किया था- जयशंकर

भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर जयशंकर ने कहा, हमने आतंकवादी ढांचे को नष्ट किया। हमने पाकिस्तान को अगाह किया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह इस ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करे। उन्होंने इस सलाह को न मानने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत पर हमले किया। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।

द्विपक्षीय बातचीत पर जोर

विदेश मंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल द्विपक्षीय होगी। उन्होंने कहा, यह वर्षों से राष्ट्रीय सहमति है। बातचीत का विषय केवल आतंकवाद होगा। पाकिस्तान को आतंकवादियों की सूची सौंपनी होगी और उनके बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा। हम उनके साथ आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हैं। ये वे वार्ताएं हैं जो संभव हैं।

सिंधु समझौता स्थगित ही रहेगा- एस जयशंकर

एस जयशंकर ने कहा कि सिंधु समझौता स्थगित ही रहेगा। जयशंकर ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह नहीं रोकता, तब तक सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कश्मीर पर एकमात्र चर्चा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को खाली करने की होगी।

अब बुलेटप्रूफ कार में चलेंगे विदेश मंत्री, भारत-पाक तनाव के बीच एस जयशंकर की बढ़ी सुरक्षा,

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भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन बरकरार है। इस बीच भारत सरकार ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में बढ़ोतरी कर दी है। गृह मंत्रालय ने अब उनकी सुरक्षा में स्पेशल बुलेट प्रुफ वाहन को शामिल किया है। दिल्ली में उनके घर के आसपास भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में कई जगह हमले की कोशिश की थी। मौजूदा हालात को देखते हुए एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई है।

जयशंकर को पहले से ही सीआरपीएफ कमांडो की जेड-श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। केंद्रीय मंत्री की सुरक्षा में पहले से ही 33 कमांडो हमेशा तैनात रहते हैं। देश भर में उनके आवागमन और प्रवास के दौरान एक दर्जन से अधिक सशस्त्र कमांडो उनकी सुरक्षा में लगे रहते हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी ने विदेश मंत्री पर खतरे का आकलन करने के बाद सुरक्षा बढ़ाने की सिफारिश की थी। उस समय, सुरक्षा के तौर पर 12 सशस्त्र गार्ड केंद्रीय मंत्री जयशंकर के घर पर तैनात थे। छह पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) भी थे। 12 सशस्त्र एस्कॉर्ट कमांडो तीन शिफ्टों में तैनात थे। तीन वॉचर शिफ्टों में काम करते थे। तीन प्रशिक्षित ड्राइवर हर समय मौजूद रहते थे। अब एस जयशंकर की सुरक्षा को बढ़ाते हुए एक बुलेटप्रूफ कार भी दी गई है।

क्या है बुलेटप्रूफ कार की खासियत

विदेश मंत्री जयशंकर को मिलने वाली बुलेटप्रूफ कार सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम होगी। इस तरह की गाड़ी के कांच काफी ज्यादा मोटे होते हैं, जो कि लैमिनेटेड भी होते हैं। ये गोली को अंदर आने से रोकते हैं। अगर गाड़ी का टायर पंक्चर हो जाए तो यह 50 से ज्यादा किलोमीटर तक चलने में सक्षम होती है। यह हर तरह के हमले को ध्यान में रखकर डिजाइन की जाती है।

भारत-पाक तनाव के बीच बढ़ी सुरक्षा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। पहलगाम हमले के 15 दिन बाद भारतीय सेना ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। जिसमें कई कुख्यात आतंकी भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालात बिगड़े और दो दशक बाद चरम पर पहुंच गए। वहीं पाकिस्तान की तरफ से भारत के शहरों को निशाना बनाए जाने के बाद, भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सभी को नाकाम करते हुए उसका माकूल जवाब दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को ध्वस्त कर दिए। इससे घबराए पाकिस्तान ने 10 मई को भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा।

तनाव बढ़ाने का इरादा नहीं, लेकिन अब हमला हुआ तो बहुत मजबूती से देंगे जवाब, एस जयशंकर की चेतावनी

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत दुनियाभर में अपने संदेश को मजबूती से रख रहा है। भारत ने विश्व पटल पर एक बार फिर से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में की गई कार्रवाई एकदम सटीक है। आज विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची के साथ दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने कहा कि आप ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब हमने 22 अप्रैल को भारतीय संघ शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हुए एक विशेष रूप से बर्बर हमले का जवाब दिया है। इस हमले ने हमें 7 मई को सीमा पार आतंकवादी ठिकाने पर हमला करके जवाब देने के लिए मजबूर किया।

बहुत कड़ा और निर्णायक जवाब की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास से द्विपक्षीय बैठक में कहा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सोची-समझी और सीमित थी। उसका इरादा तनाव बढ़ाने का नहीं है, लेकिन अगर भारत पर कोई सैन्य हमला होता है, तो उसका जवाब बहुत कड़ा और निर्णायक होगा। उन्होंने कहा- एक पड़ोसी और अहम साझेदार होने के नाते ईरान को हालात को लेकर स्पष्ट और सही जानकारी होना जरूरी है, ताकि किसी तरह की गलतफहमी न हो।

चीन तक भी पहुंचाई बात

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चीन से भी अपने इरादे साफ कर चुका है। जयशंकर ने चीन को कहा था कि पाकिस्तान अगर जवाबी कार्रवाई करेगा तो भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। जयशंकर ने बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराया था। जयशंकर ने एक्स' पर लिखा था कि दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

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पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

शाह और जयशंकर ने की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात, पहलगाम अटैक के बीच लाल फाइल दे रही खास संकेत

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पहलगाम हमले के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। देश की राजधानी में घटनाएं तेजी से घट रही है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। सर्वदलीय बैठक से पहले अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

लाल रंग की फाइलें क्या कह रही?

राष्ट्रपति भवन ने बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।'

इस तस्वीर में अमित शाह और जयशंकर जब राष्‍ट्रपत‍ि से मुलाकात कर रहे थे तो उनके हाथ में लाल रंग की फाइलें देखी गईं। आमतौर पर सरकारी बैठकों में लाल या हरी रंग फाइलें बेहद संवेदनशील और सीक्रेट डॉक्‍यूमेंट के ल‍िए होती हैं।

पीएम मोदी ने दी चेतावनी

गृहमंत्री और विदेश मंत्री एक साथ राष्ट्रपति से मिलते हैं, खासकर ऐसे समय में जब पीएम ने कड़ा बयान दिया है। गुरूवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र का एक्शन जारी

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। वहीं अटारी बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। जबकि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के राजनायिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही सेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा”, टैरिफ वॉर के बीच जयशंकर का बड़ा बयान

#s_jaishankar_expresses_concern_over_economy_as_weapon

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया हिली हुई है। खासकर चीन की तो हालत खराब हो गई है। टैरिफ की सबसे ज्यादा मार तो चीन पर ही पड़ी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने इकोनॉमी को हथ‍ियार के रूप में इस्‍तेमाल करने पर चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाई जा सके जो देश के आर्थिक हितों के साथ-साथ इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए आवश्यक है। विदेश मंत्री ने इंडिया-इटली बिजनेस, साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम में यह टिप्पणी की। इसमें इतालवी उपप्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी ने भी हिस्सा लिया।

जयशंकर ने कहा कि भले ही हम महामारी, यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया में कई संघर्षों से उबर रहे हों, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सप्लाई चेन अधिक नाजुक हो गई हैं और हमारा समुद्री नौवहन बाधित हो गया है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी का लाभ उठाया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव से तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण के कारण और भी बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी बनाकर, अपने मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार भागीदारों में विविधता लाकर इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने अपने देश (भारत और इटली) में इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत हाल के वर्षों में ऐसी लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस सूची में इटली का स्थान सबसे ऊपर है। कई क्षेत्रों में एक स्वाभाविक पूरकता है जिसका हमें दोहन करने की आवश्यकता है।

इससे पहले जयशंकर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में ह‍िस्‍सा ल‍िया। वहीं, एस जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए अधिक तत्परता से तैयार है। जयशंकर ने कहा कि भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है। मेरा मतलब है कि ये लोग अपने खेल में बहुत आगे हैं, जो हासिल करना चाहते हैं, उसको लेकर बहुत महत्वाकांक्षी है और वैश्विक परिदृश्य एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग है।

टैरिफ वॉर के बीच एस जयशंकर और मार्को रुबियो के बीच हुई बातचीत, क्या मिलेगी राहत?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। जिसके बाद से दुनियाभर के बाजारों में इसका जोरदार असर देखा जा रहा है। ट्रंप के जवाबी टैरिफ लगाए जाने को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से बात की है। एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने और रुबियो ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की अहमियत पर बात की। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस व्यापार समझौते को जल्दी से अंतिम रूप दिया जाए। जयशंकर ने कहा, हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की जल्द समाप्ति पर बात की है। मुझे उम्मीद है कि हम इस दिशा में जल्द आगे बढ़ेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि वह रुबियो के साथ संपर्क में बने रहेंगे। 

जयशंकर और रुबियो के बीच यह बातचीत उस दिन हुई जब ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने और संभावित व्यापार युद्ध की आशंका के चलते वैश्विक बाजार में गिरावट दर्ज की गई। यह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह भारत सहित कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (भारत पर 26%) लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी।

बता दें कि चीन और कुछ अन्य देशों के उलट भारत ने रेसिप्रोकल टैरिफ नहीं लगाया है और इसके बजाय ऐसा व्यापार समझौता करने का रास्ता चुना है जो दोनों देशों के हितों और संवेदनशीलताओं को साध सके। चल रही बातचीत का मुख्य फोकस बाजार तक पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और सप्लाई चेन के एकीकरण को मजबूत करने पर है।

ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत उन सभी देशों और साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अमेरिका से आयातित सामान पर टैरिफ लगा रहे हैं। इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन का मकसद व्यापार घाटे को कम करना और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है। भारत पर अमेरिका ने 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो पहले से लागू शुल्क के ज्यादा होगा।

एस जयशंकर ने यूएन महासचिव के विशेष दूत से की मुलाकात, म्यांमार को लेकर हुई चर्चा l

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दक्षिण-पूर्वी एशिया का एक छोटा सा देश म्यांमार जो आंतरिक कलह से जूझ रहा है। भारत का ये पड़ोसी देश लोकतंत्र की बहाली को लेकर जद्दोजहद कर रहा है। 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक तरीके़ से चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट किया था। जिसके बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत की अपने पड़ोसी देश म्यांमार की स्थिती पर हमेशा से नजरें लगी हुईं हैं। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप ने मंगलवार को म्यांमार में तेजी से बदलते हालात पर चर्चा की। पिछले साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बिशप को म्यांमार के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया था। बिशप इन दिनों भारत की यात्रा पर आई हैं।

जयशंकर ने एक्स पर कहा कि मंगलवार शाम दिल्ली में म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत जूली बिशप से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिरता, शरणार्थियों की स्थिति, म्यांमार से अंजाम दिए जा रहे अंतरराष्ट्रीय अपराध तथा देश को आर्थिक सहायता प्रदान करने के बारे में चर्चा हुई। राजनीतिक हालात पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। सीमा पर बढ़ती हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी में सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।

इस साल फरवरी में, भारत और म्यांमार ने फार्मास्यूटिकल्स, दालों और बीन्स, पेट्रोलियम उत्पादों और हाल ही में शुरू किए गए रुपया-क्यात व्यापार निपटान तंत्र के अधिक उपयोग के क्षेत्रों में संभावनाओं पर चर्चा की ताकि आपसी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

दोनों देशों के बीच चर्चा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री महामहिम यू मिन मिन ने भाग लिया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया। बैठक के दौरान भारत और म्यांमार के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया और सड़कों के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के महत्व को भी स्वीकार किया और इस मुद्दे पर कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।