*20 साल बाद सबूतों के अभाव में हाईकोर्ट के पूर्व स्टेनो बरी, जज बनकर प्रोटोकॉल लेने का था आरोप*
विभू मिश्रा
गाजियाबाद- जिला कोर्ट ने 20 साल पुराने मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर स्टेनो को बरी कर दिया। इस मुकदमे के दूसरे नामजद आरोपी हाईकोर्ट के वकील की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। आरोप था कि इन दोनों ने हाईकोर्ट के जज की सूचना पुलिस को देकर गाजियाबाद में सरकारी प्रोटोकॉल लिया और आलीशान होटल में दो दिन रुककर मौज उड़ाई। हालांकि पुलिस इससे जुड़ा एक भी सुबूत कोर्ट को नहीं दे पाई। जिसके बाद कोर्ट ने 5 जुलाई को अपना फैसला सुनाया।
वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश भारद्वाज ने बताया कि साल-2004 में गाजियाबाद नगर कोतवाली के इंस्पेक्टर ने आईपीसी सेक्शन-420, 170 में मदनलाल राय और सूर्यबली सिंह के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई। इंस्पेक्टर के मुताबिक, इन दोनों व्यक्ति ने उन्हें कॉल करके कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस गाजियाबाद आ रहे हैं। उनके ठहरने की व्यवस्था की जाए और सरकारी प्रोटोकॉल दिया जाए। रिपोर्ट में लिखवाया गया कि ये दोनों व्यक्ति गाजियाबाद के शिप्रा होटल में दो दिन तक रुके। गलत तरीके से सरकारी प्रोटोकॉल लिया, जबकि ये दोनों जज नहीं थे। इस तरह दोनों ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया।
पुलिस ने जांच के बाद इस मामले में मदनलाल राय और सूर्यबली सिंह के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की। मदनलाल राय उस वक्त हाईकोर्ट में वकील थे और सूर्यबली सिंह स्टेनो थे। मुकदमा ट्रायल के दौरान करीब 10 साल पहले मदनलाल राय की मृत्यु हो गई। कोर्ट में करीब 16 साल तक ट्रायल चला। 5 जुलाई 2024 को इस केस में आखिरी तारीख थी।
गाजियाबाद न्यायालय के एसीजेएम-6 पवन कुमार चौरसिया ने सुबूतों के अभाव में सूर्यबली सिंह को बरी कर दिया है। अधिवक्ता उमेश भारद्वाज ने बताया कि पुलिस इस केस में कोई सुबूत पेश नहीं कर सकी। उदाहरण के तौर पर पुलिस ने जिस शिप्रा होटल में सूर्यबली सिंह के 2 दिन रुकने की बात कही है, उस होटल की सीसीटीवी फुटेज नहीं थी। यहां तक एंट्री रजिस्टर में सूर्यबली सिंह का नाम भी नहीं था। पुलिस को ऐसा कोई गवाह भी नहीं मिला, जो मुकदमे में नामजद सूर्यबली सिंह को पहचान सके। इन सब आधार पर कोर्ट ने 68 साल के सूर्यबली सिंह को बरी कर दिया है।
Jul 12 2024, 11:27