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शेख हसीना के जाने के बाद समुद्री रास्ते करीब आ रहे पाकिस्तान-बांग्लादेश, भारत को कैसे हो सकता है ख़तरा?

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हाल में पाकिस्तान के बंदरगाह शहर कराची से कंटेनरों से लदे एक जहाज ने करीब 53 साल बाद बांग्लादेश के सबसे बड़े चटगांव बंदरगाह पर लंगर डाला। 53 साल बहुत लंबा समय है, जब दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क हुआ है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा समुद्री संपर्क एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद खराब हुए रिश्तों को फिर से बहाल करने की कोशिश है। इसने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने की उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि, इसने भारत की चिंता ज़रूर बढ़ा दी है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। बांग्लादेश की भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से निकटता के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल भी है।

क्या आया जहाज में

एक 182 मीटर (597 फुट) लंबा कंटेनर जहाज युआन जियांग फा झान पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश के चटगांव के लिए रवाना हुआ था। एएफपी ने चटगांव के शीर्ष अधिकारी उमर फारूक के हवाले से बताया कि जहाज ने बंदरगाह छोड़ने से पहले 11 नवंबर को बांग्लादेश में अपना माल उतार दिया था। चटगांव बंदरगाह अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा कि जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात से सामान लेकर आया है, जिसमें बांग्लादेश के प्रमुख कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल और बुनियादी खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

पाकिस्तान ने बताया बड़ा कदम

पाकिस्तानी माल को बांग्लादेश ले जाने से पहले आमतौर पर श्रीलंका, मलेशिया या सिंगापुर में फीडर जहाजों पर भेजा जाता था। हालांकि, सितंबर में बांग्लादेश ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई अंतरिम सरकार के तहत, पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंधों में ढील दे दी थी। सीधे समुद्री संपर्क को खोलने को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ढाका में पाकिस्तान के दूत सैयद अहमद मारूफ की एक सोशल मीडिया पोस्ट की बांग्लादेश में सोशल मीडिया की खूब चर्चा हुई है, जिसमें सीधे शिपिंग मार्ग को दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए "एक बड़ा कदम" बताया गया है।

दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के आज़ाद होने के बाद यह पहला मौका है जब दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क कायम हुआ है।सीधे समुद्री लिंक स्थापित कर यूनुस सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहती है। सवाल उठता है आखिर क्यों?

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नज़दीकियों को समझने के लिए हमें अतीत में झांकना होगा।1971 के युद्ध और बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर उभरने के बाद पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में हमेशा खटास रही है। नौ महीने तक चले मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान सेना के अत्याचार की यादें बांग्लादेश के लोगों के मन में गहराई तक बसी हैं। पाकिस्तानी सेना के हाथों करीब 30 लाख लोग मारे गए और हज़ारों को अत्याचार और बलात्कार झेलना पड़ा। इससे बचने के लिए लाखों लोग देश छोड़कर पलायन कर गए थे।

बांग्लादेश में पाकिस्तान के लिए प्रेम कभी नहीं रहा

1971 की जंग में भारत ने बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों की मदद की थी। तब पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाने वाला बांग्लादेश पश्चिमी पाकिस्तान के साथ नौ महीने के युद्ध के बाद एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। बांग्लादेश का जनक कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान के नेहरू-गांधी परिवार से निजी संबंध थे। युद्ध के बाद बने बांग्लादेश में पाकिस्तान के लिए प्रेम कभी नहीं रहा। रहमान की अवामी लीग का केंद्रीय राजनीतिक एजेंडा ही क्रूर युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचारों के लिए न्याय की मांग करना था। 1996-2001 और फिर 2009-2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना, उन्हीं रहमान की बेटी हैं। वह भारत की हिमायती रही हैं और पाकिस्तान को लेकर सतर्क।

हसीना की भारत से नज़दीकियां बहुतों को खली

सत्ता में रहने के दौरान शेख़ हसीना ने 1971 के युद्ध अपराधियों को चुन-चुन कर सज़ा दी। वर्ष 2010 में उन्होंने ऐसे लोगों को सज़ा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण का गठन किया और पाकिस्तान समर्थक जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगा दी। हसीना के सत्ता में रहते हुए बांग्लादेश और भारत के संबंध काफी मजबूत बने। ये नई दिल्ली से दोस्ताना रिश्‍ते ही थे। लेकिन बांग्लादेश में एक तबका ऐसा भी था जिसे हसीना की भारत से बढ़ती नज़दीकियां पसंद नहीं थीं। यही आगे चलकर वहां भारत-विरोधी अभियान की वजह बनी।

बांग्लादेश में हुए हालिया प्रदर्शनों से भी संकेत मिला कि शायद बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी अवामी लीग के विचारों से सहमत नहीं है। हसीना की भारत से नजदीकियां भी बहुतों को अखर रही थीं। बांग्लादेश में बढ़ती 'भारत विरोधी' भावना तब खुलकर सामने आई जब अगस्त में भीड़ ने ढाका के इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में तोड़फोड़ की और आग लगा दी।

पाकिस्तान से सहयोग मजबूत करना चाहते हैं यूनुस

हसीना के जाने के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई। जमात-ए-इस्लामी, जिसने बांग्लादेश के निर्माण का विरोध किया था, की ढाका में हसीना के बाद की सरकार में मजबूत उपस्थिति है। यूनुस सरकार ने पाकिस्तान से रिश्ते मजबूत करने चाहे। इसी साल सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और यूनुस ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की थी।

भारत को कैसे खतरा?

भारत पहले से ही पाकिस्तान से चलने वाली आतंकी ट्रेनिंग कैंपों और नारकोटिक्स ट्रेड से परेशान है। ऐसे में इस्लामाबाद और ढाका के बीच बढ़ते संबंध भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय बन सकते हैं। भारत की चिंता की वजह यह है कि दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क कायम होने से खासकर पूर्वोत्तर में सुरक्षा और उग्रवाद को नया ईंधन मिलने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश का दक्षिण-पूर्वी इलाका पूर्वोत्तर से सटा है। नई दिल्ली के लिए एक और सुरक्षा चिंता क्षेत्र को अस्थिर करने वाली गतिविधियों में पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई की भागीदारी है। आईएसआई इन नजदीकियों का फायदा उठाकर क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकती है। पहले भी बांग्लादेश के जरिए भारत में खलबली मचाने की कोशिश होती रही है। वर्षों से, भारत ने चटगांव बंदरगाह पर गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए शेख हसीना के साथ अपने संबंधों का उपयोग किया है।

भारतीय मछुआरों को पकड़ ले जा रहे थे पाकिस्तानी, भारतीय कोस्ट गार्ड ने बीच समुद्र में ऐसे दौड़ाया

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भारतीय तटरक्षक जहाज अग्रिम ने पाकिस्तानी सीमा के पास से सात भारतीय मछुआरों को बचाया। इन मछुआरों को भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा के पास पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी (पीएमएसए) ने पकड़ा था। पाकिस्तानी गार्ड्स मछुआरों को जहाज से पाकिस्तान ले जा रहे थे। हालांकि, पाकिस्तानी ऐसा कर पाते इससे पहले ही भारतीय तटरक्षक बल उनके रास्ते में आ गए। मछुआरों को बचाने के लिए भारतीय तटरक्षक जहाज अग्रिम ने दो घंटे तक पाकिस्तानी जहाज का पीछा किया। उसने पाकिस्तानी जहाज को खदेड़कर पकड़ा और सभी भारतीय मछुआरों को सकुशल कैद से छुड़ा लिया है।

रविवार की दोपहर भारतीय तटरक्षक बल को मछली पकड़ने के लिए निषिद्ध क्षेत्र (NFZ) के पास काम कर रही एक नाव 'काल भैरव' की ओर से संकटकालीन संकेत मिला था। इसके बाद नाव और मछुआरों के बचाव में एक जहाज भेजा गया। भारतीय तटरक्षक बल के जहाज ने पाकिस्तानी जहाज नुसरत को रोका और उन्हें भारतीय मछुआरों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया।भारतीय जहाज ने पहले पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी के जहाज पीएमएस नुसरत को अलर्ट किया गया। उसे बताया गया कि किसी भी हालत में वह भारतीय क्षेत्र से मछुआरों को नहीं ले जा सकते।

रक्षा अधिकारी ने बताया कि 17 नवंबर को इंडियन कोस्ट गार्ड के शिप को भारतीय मछुआरों की बोट से डिस्ट्रेस कॉल आया जो कि नो फिंशिंग जोन से किया गया था। मैसेज में जानकारी दी कि भारत पाकिस्तान मेरीटाइम बाउंड्री के पास पाकिस्तानी मेरिटाइम सिक्योरिटी एंजेसी ने तकरीबन 3:30 बजे 7 भारतीय मछुआरों को पकड़ा लिया। जानकारी मिलते ही कोस्ट गार्ड के शिप उस इलाके की तरफ बढ़े और उस पाकिस्तानी शिप को रोक लिया और भारतीय मछुआरों को छुड़वाया।

चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए भारत की टीम नहीं करेगी पाकितान का दौरा, पाकिस्तानी पत्रकार ने US अधिकारी से किये सवाल
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ICC revised trophyभारत सरकार द्वारा 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान न भेजने की घोषणा के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग की दैनिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इस मुद्दे को उठाया।14 नवंबर को, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इस मुद्दे पर प्रमुख उप प्रवक्ता वेदांत पटेल से उनके रुख के बारे में पूछा, जिसमें टूर्नामेंट को विश्व कप के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट आयोजन बताया गया। पाकिस्तानी पत्रकार ने यह कहकर शुरुआत की, “पाकिस्तान में एक बड़ा क्रिकेट आयोजन है।” हैरान होकर पटेल ने जवाब दिया, “क्रिकेट? ओह, मेरे बिंगो कार्ड में यह नहीं था। आगे बढे ।” इसके बाद पत्रकार ने कहा, “यह क्रिकेट विश्व कप के बाद सबसे बड़ा आयोजन है, और भारत इसमें भाग लेने वाला था, लेकिन भारत सरकार ने टीम को पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया है। भारतीय टीम ने आखिरी बार 2008 में पाकिस्तान का दौरा किया था, लेकिन राजनीतिक तनाव के कारण, भारत तब से वहां नहीं गया है। क्या आपको लगता है कि राजनीति को खेलों के साथ मिलाना एक अच्छा विचार है? इस पर आपकी क्या राय है?”हालांकि, पटेल ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का है। उन्होंने कहा, “चूंकि यह भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों से संबंधित है, इसलिए इसे उन्हें ही सुलझाना है, चाहे खेल के माध्यम से या अन्य मामलों के माध्यम से। मैं उनके द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करना उन पर छोड़ता हूं। यह हमारे लिए शामिल होने वाली कोई चीज नहीं है, लेकिन खेल निस्संदेह एक शक्तिशाली और एकजुट करने वाली ताकत है।” पटेल ने लोगों को जोड़ने में खेल कूटनीति के महत्व पर जोर दिया, और सार्वजनिक मामलों के वर्तमान और पूर्व अवर सचिवों से इसके मजबूत समर्थन का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि खेल मानवीय और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो प्रशासन के लिए प्राथमिकता है।“आपने देखा है कि यह विभाग लोगों को जोड़ने में खेल कूटनीति की भूमिका को वास्तव में प्राथमिकता देता है। यह कुछ ऐसा है जिसे हमारे वर्तमान अवर सचिव सार्वजनिक मामले और सार्वजनिक कूटनीति, ली सैटरफील्ड गहराई से महत्व देते हैं और हमारे पूर्व अवर सचिव, लिज़ एलन ने वास्तव में इसका समर्थन किया। पटेल ने कहा, "आखिरकार, खेल बहुत से लोगों को जोड़ते हैं और यह मानव-से-मानव और लोगों-से-लोगों के बीच संबंध बनाने का एक शानदार तरीका है, जिस पर इस प्रशासन ने ज़ोर दिया है।"इससे पहले यह निर्णय लिया गया था कि टीम इंडिया 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेगी, क्योंकि बीसीसीआई ने पीसीबी को सूचित किया था कि सुरक्षा चिंताओं के कारण वे भाग नहीं ले पाएंगे। इसके बजाय, भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अपने सभी खेल दुबई में खेलने का अनुरोध किया था।
19 फरवरी से 9 मार्च तक होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी में दुनिया की शीर्ष आठ टीमें पाकिस्तान के तीन स्थानों: कराची, लाहौर और रावलपिंडी में प्रतिस्पर्धा करेंगी।
एक बार फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान, मुंबई हमले के मास्‍टर माइंड लखवी का पार्क में कसरत करते वीडियो वायरल

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मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी पर एक तरफ पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने ये झूठ फैला रहा है की लखवी 2021 से पाकिस्तान की जेल में बंद है। हालांकि, अब पाकिस्तान के झूठ पर से एक बार फिर पर्दा उठ गया है। पड़ोसी देश ने अपनी हरकतों से साबित कर दिया है कि पाकिस्तान आतंकियो का पनाहगार है। दरअसल, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह पार्क में खुलेआम एक्सरसाइज करते देखा जा सकता है।

सोशल मीडिया पर उसके कई वीडियो वायरल हुए है, जिसमें एक वीडियो में वो एक पार्क में आसानी से जिम सेशन में हिस्सा ले रहा है। हालांकि, वीडियो की सही जगह और तारीख के बारे में अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुल 3 मिनट 9 सेकंड की इस वीडियो में जकी उर रहमान लखवी एक इवेंट में पश अप कर कर रहा है, डम्बल उठा रहा है और कार्यक्रम का होस्ट लखवी की पहचान लोगों से अबु वासी के रूप में करवाते हुए बता रहा है कि उसने कभी नहीं देखा कि एक 63 साल का व्यक्ति इतना फिट और फुर्तीला हो सकता है

वहीं जकी-उर-रहमान लखवी को लेकर कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि उसने अपना लुक बदल लिया है।इससे पहले आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी को इस्लामाबाद कोर्ट में देखा गया था, तब उसे लंबी दाढ़ी में देखा गया था।

अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका

26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड लखवी ना सिर्फ भारत में प्रतिबंधित आतंकी है बल्कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख सुधारने और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए पाकिस्तान ने पूरी दुनिया के सामने साल 2021 में जकी उर रहमान लखवी को 15 साल की कैद की सजा सुनाई थी।कथित तौर पर पाकिस्तान की जेल से बाहर है। दुनिया की आंखों में धूल झोंकते हुए वह मजे से जेल के बाहर अपने सारे काम कर रहा है।

मुंबई हमले में मारे गए थे 160 लोग

भारत ने लखवी पर 2008 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इस हमले में कम से कम 160 लोग मारे गए थे। हालांकि, पाकिस्तान ने लंबे समय तक लखवी की मुंबई हमलों में संलिप्तता से इनकार किया था।कई मौके पर भारत ने पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर को प्रत्यर्पित करने के लिए कहा, लेकिन पाकिस्तान ने अब तक कहा है कि वह मुंबई हमलों से जुड़े पाए जाने वाले अपने किसी भी नागरिक को भारत को नहीं सौंपेगा। इस्लामाबाद की तरफ से ये भी कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों पर पाकिस्तानी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

पाकिस्तान में अपनी सेना तैनात करेगा चीन! क्या पाकिस्तान को मंजूर होगा ड्रैगन का प्रपोजल*
#china_in_talks_with_pakistan_to_send_army_and_secure_its_own_citizen
पाकिस्‍तान की धरती पर मौजूद चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले हो रहे हैं।पिछले महीने कराची हवाई अड्डे के पास हुए कार बम विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की जान चली गई। पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और चीनी नागरिकों के खिलाफ हो रहे हमलों ने चीन को चिंतित कर दिया है। पाकिस्तान में अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों ने चीन का पाक सुरक्षाबलों से भरोसा उठा दिया है। बीजिंग अब पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चीनी सिक्योरिटी स्टाफ को तैनात करना चाहता है। ऐसे में चीन की सरकार इस्लामाबाद पर पाकिस्तान में काम करने वाले हजारों कर्मियों को सुरक्षा देने के लिए अपने सैनिकों की तैनाती को अनुमति देने के लिए दबाव डाल रहा है। बीजिंग ने इस्लामाबाद को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है, जिसमें चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीन की अपनी सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की मांग की गई है।इस प्रस्ताव में यह प्रावधान भी शामिल है कि दोनों देश एक-दूसरे के क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी अभियानों और संयुक्त हमलों के लिए अपनी सैन्य और सुरक्षा एजेंसियों को भेज सकेंगे। इस प्रावधान का उद्देश्य पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची एयरपोर्ट के पास बीते हुए पिछले महीने हुए विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। कराची हवाई अड्डे के पास हुए इस कार बम विस्फोट को चीन ने सुरक्षा में बड़ी चूक की तरह देखा है। इसने चीन की नाराजगी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। इसने पाकिस्तान सरकार को ज्वाइंट सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए औपचारिक वार्ता शुरू करने के लिए मजबूर किया है। सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि एक ज्‍वाइंट सिक्‍योरिटी मैनेजमेंट सिस्‍टम बनाने करने पर आम सहमति थी। हालांकि ग्राउंड लेवल पर सुरक्षा के संबंध में कोई समझौता नहीं हुआ है। पाकिस्‍तान पर चीन का काफी कर्ज है। ऊपर से देश में हो रहे विकासकार्यों को देखते हुए शाहबाज शरीफ सरकार ज्‍यादा वक्‍त तक चीन के प्रस्‍ताव को होल्‍ड करने की स्थिति में नहीं है। उसे आज नहीं तो कल चीन की बात माननी ही होगी। इस मामले पर पाकिस्तान या चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि वह संयुक्त सुरक्षा योजना पर बातचीत से परिचित नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग को मजबूत करना जारी रखेगा और चीनी कर्मियों और संस्थानों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। पाकिस्तान सेना ने भी इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है। पिछले महीने कराची हवाई अड्डे पर बम विस्फोट हुआ था, जिसमें दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों और उन्हें रोकने में इस्लामाबाद की नाकामी से शी जिनपिंग नाराज हैं। हाल ही में पाकिस्‍तानी अधिकारियों के साथ बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि वे अपनी सुरक्षा खुद लाना चाहते हैं। हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक इस तरह के प्रस्‍ताव पर सहमति नहीं जताई है।
पाकिस्तान का चेहरा फिर हुआ बेनकाब, पंजाब सरकार ने भगत सिंह को बताया “आतंकी”*
#pakistan_label_bhagat_singh_a_terrorist
पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को आतंकवादी करार दे दिया है। पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट में हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। दरअसल, लाहौर में शादमान चौक है, जहां शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। लाहौर में इस चौक का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह चौक करने की अपील की गई थी। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसे खारिज कर दिया है। पाकिस्तान में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। भगत सिंह के अपमान पर भारत में गुस्सा गहरा गया है। 1931 में अविभाजित भारत के लाहौर में जिस जगह पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने मांग हो रही है। इसी को लेकर लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई थी, जिस पर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने की मांग पाक के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने की और चौक पर मूर्ति लगाने के लिए आवाज उठाई। इसको लेकर पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे। आज की परिभाषा के तहत वो एक आतंकवादी थे। पंजाब सरकार की ओर पूर्व सेना के अफसर तारिक मजीद ने कोर्ट में जवाब दिया। तारिक ने कहा कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी। इसलिए उन्हें और उनके दो साथियों को फांसी की सजा दी गई। खास बात ये है कि चौक का नामकरण करने और मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। लाहौर हाईकोर्ट में 17 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
ढीली नहीं हुई पाकिस्तान की अकड़ तो इस देश में खेला जाएगा चैंपियंस ट्रॉफी, ICC ने कर लिया है प्लान*
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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर अभी से ही मुद्दा काफी गर्म है। इस टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान में किया जाना है। मगर भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान का दौरा करने से साफी इनकार कर दिया है।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत के पाकिस्तान जाने से इनकार के बाद पाकिस्तान से टूर्नामेंट की हाइब्रिड मॉडल में मेजबानी को लेकर जवाब मांगा है।हालांकि पाकिस्तान की ओर से इस मुद्दे को लेकर कोई भी जवाब सामने नहीं आया है। अब खबर ये है कि अगर पाकिस्तान हाईब्रिड मॉडल के लिए नहीं मानता है तो फिर ये टूर्नामेंट साउथ अफ्रीका में आयोजित किया जा सकता है।बता दें पाकिस्तान चाहता है कि टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी के लिए उसकी सरजमीं पर आए लेकिन बीसीसीआई ने इससे साफ इनकार कर दिया है। वहीं पाकिस्तान भी अड़ गया है कि वो हाईब्रिड मॉडल को नहीं मानेगा।यही वजह है कि आईसीसी अब दूसरे विकल्प पर सोच रही है। स्पोर्ट्सतक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर पीसीबी आईसीसी के विचारों से सहमत नहीं होती है तो चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी उससे छीनकर दक्षिण अफ्रीका को दी जा सकती है।एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी से पीछे नहीं हटता है तो यह तय है कि भारत के मैच यूएई में और फाइनल दुबई में होगा। सूत्र ने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी से कहा है कि उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है बशर्ते फाइनल दुबई में हो , पाकिस्तान में नहीं।’ पीसीबी ने सोमवार को बीसीसीआई के इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन सूत्रों के अनुसार आईसीसी ने पीसीबी से पूछा है कि क्या उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है जिसमें भारत के मैच और फाइनल दुबई में खेले जायेंगे। आईसीसी ने यह भी कहा कि इसके तहत उसे पूरी मेजबानी फीस और अधिकांश मैच मिलेंगे। *16 साल पहले साउथ अफ्रीका में हुई थी चैंपियंस ट्रॉफी* सूत्र ने कहा कि पीसीबी के टूर्नामेंट की मेजबानी से इनकार की दशा में पूरा टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में कराया जा सकता है। बता दें कि साउथ अफ्रीका में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन 16 साल पहले 2009 में हुआ था। उस टूर्नामेंट का विजेता ऑस्ट्रेलिया रहा था जबकि सेमीफाइनल में पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीम पहुंची थी। खिताबी भिड़ंत ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुई जिसमें कंगारुओं ने बाजी मारी। टीम इंडिया की बात करें तो वो ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी। उसे पहले ही मैच में पाकिस्तान से शिकस्त मिली थी और उसके बाद एक मैच बेनतीजा रहा वहीं आखिरी मैच जीतकर भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ।
लाहौर में आई लॉकडाउन की नौबत, रिकॉर्ड स्तर पर प्रदूषण, AQI 1100 के पार
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* भारत की राजधानी दिल्ली का प्रदूषण से बुरा हाल है। वहीं, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी प्रदूषण की मार झेल रहा है। लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा और वायु गुणवत्ता सूचकांक 1100 के आंकड़े को पार कर गया है। रिकॉर्ड वायु प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में पहुंच रहे हैं। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर लोग मास्क पहनने और स्मॉग से संबंधित अन्य दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहे तो पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है। बुधवार सुबह लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा और वायु गुणवत्ता सूचकांक 1,100 के आंकड़े को पार कर गया। 300 से ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है। जहरीले ‘स्मोग' ने पिछले महीने से शहर को अपनी चपेट में लिया हुआ है। लाहौर में हवा पूरी तरह से जहरीली हो चुकी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है, इसके साथ ही आंखों में जलन हो रही है। डॉक्टरों ने जानकारी देते हुए बताया कि अत्याधिक वायु प्रदूषण से हजारों लोग बीमार पड़ गए हैं। अस्पतालों में लोगों की भीड़ लगी हुई है। पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सलमान काज़मी ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में श्वास संबंधी परेशानी से जूझ रहे हजारों लोगों का अस्पतालों और क्लीनिक में इलाज किया गया। उन्होंने कहा कि आप लोगों को खांसते देख सकते हैं, लेकिन फिर भी वे मास्क नहीं लगाते हैं।इस बीच बढ़ते प्रदूषण के चलते प्रशासन ने लोगों को आगाह किया है कि अगर उन्होंने मास्क लगाने समेत अन्य निर्देशों का पालन नहीं तो पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया: 2 ग्रेनेड, 3 माइंस बरामद

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Indian Army

भारतीय सेना की रोमियो फोर्स ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के इलाके में एक पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया, अधिकारियों ने बताया, सेना विशेष अभियान समूह (एसओजी) पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही थी।

ऑपरेशन के हिस्से के रूप में, सेना ने ठिकाने से दो ग्रेनेड और तीन पाकिस्तानी माइंस बरामद किए, जो इस क्षेत्र में चल रहे खतरे को उजागर करते हैं, पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया। जवाब में, अधिकारियों ने तंगमर्ग और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में व्यापक तलाशी अभियान के साथ अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। भारतीय सेना की पहल का उद्देश्य गुलमर्ग, बारामुल्ला और गंदेरबल जिले के गगनगीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों से जुड़े संदिग्धों का पता लगाना है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले

इन सैन्य अभियानों की आवश्यकता 24 अक्टूबर को एक दुखद घटना के बाद पैदा हुई, जिसमें आतंकवादियों ने एक सैन्य वाहन पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप सेना के दो जवान और दो नागरिक कुली मारे गए। इसी तरह, 20 अक्टूबर को हुए एक पिछले हमले में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक सुरंग स्थल पर एक डॉक्टर और छह निर्माण श्रमिकों की जान चली गई थी, जिससे इन हमलों की लक्षित प्रकृति के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा हो गई थीं।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का आह्वान किया

इन आतंकवादी हमलों को मद्देनजर रखते हुए , जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और शिविरों के आसपास सुरक्षा प्रोटोकॉल को तत्काल बढ़ाने का आदेश दिया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने एक व्यापक सुरक्षा ऑडिट का निर्देश दिया और प्रमुख स्थानों पर निरंतर गश्त और जाँच चौकियाँ स्थापित कीं।

इसी तरह के एक अन्य ऑपरेशन में, काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने जम्मू-कश्मीर के छह जिलों में एक बड़ा ऑपरेशन किया और एक आतंकी संगठन से जुड़े भर्तीकर्ताओं को पकड़ा। काउंटर-इंटेलिजेंस यूनिट ने बताया कि श्रीनगर, गंदेरबल, पुलवामा, अनंतनाग, बडगाम और कुलगाम सहित जिलों में छापे मारे गए।

अधिकारियों ने कहा कि वे "तहरीक लबैक या मुस्लिम" (टीएलएम) नामक नवगठित आतंकवादी संगठन के भर्ती मॉड्यूल को ध्वस्त करने में सक्षम थे, जिसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक शाखा बताया जाता है, जिसे बाबा हमास नामक एक पाकिस्तानी आतंकवादी संचालक द्वारा संचालित किया जा रहा था।

देखा जा रहा है की केंद्र शाषित प्रदेश के चुनाव के बाद से आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में ज़्यदा पहल करनी चालू कर दी है, इसमें लोग मुख़्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह से आस लगाए बैठे है की वो इसपर कोई सख्त कदम उठाएंगे। 

UN में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर भड़का भारत, जानें किया कहा

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पाकिस्तान हर बार मुंह की खाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। कश्मीर के मुद्दे पर भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लताड़ लगा चुका है, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। भारत ने अब एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे को उठाने पर पाकिस्तान को जमकर खरी-खोटी सुनाई।भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बहस में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि उसकी यह हरकत गलत सूचना फैलाने और शरारतपूर्ण उकसावे वाली है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वार्षिक बहस के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया। भारत ने पाकिस्तान के इस प्रयास की निंदा करते हुए दो टूक जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, उस देश का यह प्रयास निंदनीय है, लेकिन इसका पूरी तरह से अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी आजमाई हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे में शामिल होने का विकल्प चुना है।

महिलाओं का हालत पर पाकिस्तान को लताड़ा

हरीश ने कहा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों से संबंधित महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है। यह टिप्पणी यूएनएससी बहस के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा जम्मू और कश्मीर का संदर्भ दिए जाने के बाद आई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह का शिकार होती हैं। खैर, मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मैं यहीं खत्म करता हूं।

भारत में महिलाओं की भूमिका का जिक्र

पाकिस्तान को आइना दिखाने के अलावा, राजदूत हरीश ने भारत में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत ने महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, विशेष रूप से शांति स्थापना और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने पहली बार सभी महिला सैनिकों को तैनात किया है।

शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी

शांति सेना में भारतीय महिलाओं की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए हरीश ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूपीएस एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार सभी महिलाओं वाली पुलिस यूनिट तैनात की, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में एक मिसाल कायम की। उनके काम को लाइबेरिया और संयुक्त राष्ट्र में जबरदस्त सराहना मिली। उन्होंने कहा कि हमने अपने शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। वर्तमान में दुनिया भर में 100 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक सेवा दे रही हैं, जिनमें तीन महिला महिला संलग्नता दल भी शामिल हैं।

हरीश ने कहा कि 2023 में, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में सेवा देने वाली मेजर राधिका सेन को यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह अपनी शानदार पूर्ववर्ती मेजर सुमन गवानी के पदचिन्हों पर चलती हैं, जिन्हें दक्षिण सूडान में यूएन मिशन के साथ उनकी सेवा के लिए मान्यता दी गई थी। उन्हें 2019 में यूएन द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया है, जिस पर उन्होंने जोर दिया कि इसने राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्त बनाया है।

शेख हसीना के जाने के बाद समुद्री रास्ते करीब आ रहे पाकिस्तान-बांग्लादेश, भारत को कैसे हो सकता है ख़तरा?

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हाल में पाकिस्तान के बंदरगाह शहर कराची से कंटेनरों से लदे एक जहाज ने करीब 53 साल बाद बांग्लादेश के सबसे बड़े चटगांव बंदरगाह पर लंगर डाला। 53 साल बहुत लंबा समय है, जब दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क हुआ है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा समुद्री संपर्क एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद खराब हुए रिश्तों को फिर से बहाल करने की कोशिश है। इसने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने की उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि, इसने भारत की चिंता ज़रूर बढ़ा दी है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। बांग्लादेश की भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से निकटता के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल भी है।

क्या आया जहाज में

एक 182 मीटर (597 फुट) लंबा कंटेनर जहाज युआन जियांग फा झान पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश के चटगांव के लिए रवाना हुआ था। एएफपी ने चटगांव के शीर्ष अधिकारी उमर फारूक के हवाले से बताया कि जहाज ने बंदरगाह छोड़ने से पहले 11 नवंबर को बांग्लादेश में अपना माल उतार दिया था। चटगांव बंदरगाह अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा कि जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात से सामान लेकर आया है, जिसमें बांग्लादेश के प्रमुख कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल और बुनियादी खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

पाकिस्तान ने बताया बड़ा कदम

पाकिस्तानी माल को बांग्लादेश ले जाने से पहले आमतौर पर श्रीलंका, मलेशिया या सिंगापुर में फीडर जहाजों पर भेजा जाता था। हालांकि, सितंबर में बांग्लादेश ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई अंतरिम सरकार के तहत, पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंधों में ढील दे दी थी। सीधे समुद्री संपर्क को खोलने को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ढाका में पाकिस्तान के दूत सैयद अहमद मारूफ की एक सोशल मीडिया पोस्ट की बांग्लादेश में सोशल मीडिया की खूब चर्चा हुई है, जिसमें सीधे शिपिंग मार्ग को दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए "एक बड़ा कदम" बताया गया है।

दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के आज़ाद होने के बाद यह पहला मौका है जब दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क कायम हुआ है।सीधे समुद्री लिंक स्थापित कर यूनुस सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहती है। सवाल उठता है आखिर क्यों?

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नज़दीकियों को समझने के लिए हमें अतीत में झांकना होगा।1971 के युद्ध और बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर उभरने के बाद पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में हमेशा खटास रही है। नौ महीने तक चले मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान सेना के अत्याचार की यादें बांग्लादेश के लोगों के मन में गहराई तक बसी हैं। पाकिस्तानी सेना के हाथों करीब 30 लाख लोग मारे गए और हज़ारों को अत्याचार और बलात्कार झेलना पड़ा। इससे बचने के लिए लाखों लोग देश छोड़कर पलायन कर गए थे।

बांग्लादेश में पाकिस्तान के लिए प्रेम कभी नहीं रहा

1971 की जंग में भारत ने बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों की मदद की थी। तब पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाने वाला बांग्लादेश पश्चिमी पाकिस्तान के साथ नौ महीने के युद्ध के बाद एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। बांग्लादेश का जनक कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान के नेहरू-गांधी परिवार से निजी संबंध थे। युद्ध के बाद बने बांग्लादेश में पाकिस्तान के लिए प्रेम कभी नहीं रहा। रहमान की अवामी लीग का केंद्रीय राजनीतिक एजेंडा ही क्रूर युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचारों के लिए न्याय की मांग करना था। 1996-2001 और फिर 2009-2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना, उन्हीं रहमान की बेटी हैं। वह भारत की हिमायती रही हैं और पाकिस्तान को लेकर सतर्क।

हसीना की भारत से नज़दीकियां बहुतों को खली

सत्ता में रहने के दौरान शेख़ हसीना ने 1971 के युद्ध अपराधियों को चुन-चुन कर सज़ा दी। वर्ष 2010 में उन्होंने ऐसे लोगों को सज़ा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण का गठन किया और पाकिस्तान समर्थक जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगा दी। हसीना के सत्ता में रहते हुए बांग्लादेश और भारत के संबंध काफी मजबूत बने। ये नई दिल्ली से दोस्ताना रिश्‍ते ही थे। लेकिन बांग्लादेश में एक तबका ऐसा भी था जिसे हसीना की भारत से बढ़ती नज़दीकियां पसंद नहीं थीं। यही आगे चलकर वहां भारत-विरोधी अभियान की वजह बनी।

बांग्लादेश में हुए हालिया प्रदर्शनों से भी संकेत मिला कि शायद बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी अवामी लीग के विचारों से सहमत नहीं है। हसीना की भारत से नजदीकियां भी बहुतों को अखर रही थीं। बांग्लादेश में बढ़ती 'भारत विरोधी' भावना तब खुलकर सामने आई जब अगस्त में भीड़ ने ढाका के इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में तोड़फोड़ की और आग लगा दी।

पाकिस्तान से सहयोग मजबूत करना चाहते हैं यूनुस

हसीना के जाने के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई। जमात-ए-इस्लामी, जिसने बांग्लादेश के निर्माण का विरोध किया था, की ढाका में हसीना के बाद की सरकार में मजबूत उपस्थिति है। यूनुस सरकार ने पाकिस्तान से रिश्ते मजबूत करने चाहे। इसी साल सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और यूनुस ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की थी।

भारत को कैसे खतरा?

भारत पहले से ही पाकिस्तान से चलने वाली आतंकी ट्रेनिंग कैंपों और नारकोटिक्स ट्रेड से परेशान है। ऐसे में इस्लामाबाद और ढाका के बीच बढ़ते संबंध भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय बन सकते हैं। भारत की चिंता की वजह यह है कि दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क कायम होने से खासकर पूर्वोत्तर में सुरक्षा और उग्रवाद को नया ईंधन मिलने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश का दक्षिण-पूर्वी इलाका पूर्वोत्तर से सटा है। नई दिल्ली के लिए एक और सुरक्षा चिंता क्षेत्र को अस्थिर करने वाली गतिविधियों में पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई की भागीदारी है। आईएसआई इन नजदीकियों का फायदा उठाकर क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकती है। पहले भी बांग्लादेश के जरिए भारत में खलबली मचाने की कोशिश होती रही है। वर्षों से, भारत ने चटगांव बंदरगाह पर गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए शेख हसीना के साथ अपने संबंधों का उपयोग किया है।

भारतीय मछुआरों को पकड़ ले जा रहे थे पाकिस्तानी, भारतीय कोस्ट गार्ड ने बीच समुद्र में ऐसे दौड़ाया

#indian_coast_guard_rescue_7_fishermen_apprehended_by_pakistan

भारतीय तटरक्षक जहाज अग्रिम ने पाकिस्तानी सीमा के पास से सात भारतीय मछुआरों को बचाया। इन मछुआरों को भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा के पास पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी (पीएमएसए) ने पकड़ा था। पाकिस्तानी गार्ड्स मछुआरों को जहाज से पाकिस्तान ले जा रहे थे। हालांकि, पाकिस्तानी ऐसा कर पाते इससे पहले ही भारतीय तटरक्षक बल उनके रास्ते में आ गए। मछुआरों को बचाने के लिए भारतीय तटरक्षक जहाज अग्रिम ने दो घंटे तक पाकिस्तानी जहाज का पीछा किया। उसने पाकिस्तानी जहाज को खदेड़कर पकड़ा और सभी भारतीय मछुआरों को सकुशल कैद से छुड़ा लिया है।

रविवार की दोपहर भारतीय तटरक्षक बल को मछली पकड़ने के लिए निषिद्ध क्षेत्र (NFZ) के पास काम कर रही एक नाव 'काल भैरव' की ओर से संकटकालीन संकेत मिला था। इसके बाद नाव और मछुआरों के बचाव में एक जहाज भेजा गया। भारतीय तटरक्षक बल के जहाज ने पाकिस्तानी जहाज नुसरत को रोका और उन्हें भारतीय मछुआरों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया।भारतीय जहाज ने पहले पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी के जहाज पीएमएस नुसरत को अलर्ट किया गया। उसे बताया गया कि किसी भी हालत में वह भारतीय क्षेत्र से मछुआरों को नहीं ले जा सकते।

रक्षा अधिकारी ने बताया कि 17 नवंबर को इंडियन कोस्ट गार्ड के शिप को भारतीय मछुआरों की बोट से डिस्ट्रेस कॉल आया जो कि नो फिंशिंग जोन से किया गया था। मैसेज में जानकारी दी कि भारत पाकिस्तान मेरीटाइम बाउंड्री के पास पाकिस्तानी मेरिटाइम सिक्योरिटी एंजेसी ने तकरीबन 3:30 बजे 7 भारतीय मछुआरों को पकड़ा लिया। जानकारी मिलते ही कोस्ट गार्ड के शिप उस इलाके की तरफ बढ़े और उस पाकिस्तानी शिप को रोक लिया और भारतीय मछुआरों को छुड़वाया।

चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए भारत की टीम नहीं करेगी पाकितान का दौरा, पाकिस्तानी पत्रकार ने US अधिकारी से किये सवाल
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ICC revised trophyभारत सरकार द्वारा 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान न भेजने की घोषणा के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग की दैनिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इस मुद्दे को उठाया।14 नवंबर को, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इस मुद्दे पर प्रमुख उप प्रवक्ता वेदांत पटेल से उनके रुख के बारे में पूछा, जिसमें टूर्नामेंट को विश्व कप के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट आयोजन बताया गया। पाकिस्तानी पत्रकार ने यह कहकर शुरुआत की, “पाकिस्तान में एक बड़ा क्रिकेट आयोजन है।” हैरान होकर पटेल ने जवाब दिया, “क्रिकेट? ओह, मेरे बिंगो कार्ड में यह नहीं था। आगे बढे ।” इसके बाद पत्रकार ने कहा, “यह क्रिकेट विश्व कप के बाद सबसे बड़ा आयोजन है, और भारत इसमें भाग लेने वाला था, लेकिन भारत सरकार ने टीम को पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया है। भारतीय टीम ने आखिरी बार 2008 में पाकिस्तान का दौरा किया था, लेकिन राजनीतिक तनाव के कारण, भारत तब से वहां नहीं गया है। क्या आपको लगता है कि राजनीति को खेलों के साथ मिलाना एक अच्छा विचार है? इस पर आपकी क्या राय है?”हालांकि, पटेल ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का है। उन्होंने कहा, “चूंकि यह भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों से संबंधित है, इसलिए इसे उन्हें ही सुलझाना है, चाहे खेल के माध्यम से या अन्य मामलों के माध्यम से। मैं उनके द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करना उन पर छोड़ता हूं। यह हमारे लिए शामिल होने वाली कोई चीज नहीं है, लेकिन खेल निस्संदेह एक शक्तिशाली और एकजुट करने वाली ताकत है।” पटेल ने लोगों को जोड़ने में खेल कूटनीति के महत्व पर जोर दिया, और सार्वजनिक मामलों के वर्तमान और पूर्व अवर सचिवों से इसके मजबूत समर्थन का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि खेल मानवीय और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो प्रशासन के लिए प्राथमिकता है।“आपने देखा है कि यह विभाग लोगों को जोड़ने में खेल कूटनीति की भूमिका को वास्तव में प्राथमिकता देता है। यह कुछ ऐसा है जिसे हमारे वर्तमान अवर सचिव सार्वजनिक मामले और सार्वजनिक कूटनीति, ली सैटरफील्ड गहराई से महत्व देते हैं और हमारे पूर्व अवर सचिव, लिज़ एलन ने वास्तव में इसका समर्थन किया। पटेल ने कहा, "आखिरकार, खेल बहुत से लोगों को जोड़ते हैं और यह मानव-से-मानव और लोगों-से-लोगों के बीच संबंध बनाने का एक शानदार तरीका है, जिस पर इस प्रशासन ने ज़ोर दिया है।"इससे पहले यह निर्णय लिया गया था कि टीम इंडिया 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेगी, क्योंकि बीसीसीआई ने पीसीबी को सूचित किया था कि सुरक्षा चिंताओं के कारण वे भाग नहीं ले पाएंगे। इसके बजाय, भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अपने सभी खेल दुबई में खेलने का अनुरोध किया था।
19 फरवरी से 9 मार्च तक होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी में दुनिया की शीर्ष आठ टीमें पाकिस्तान के तीन स्थानों: कराची, लाहौर और रावलपिंडी में प्रतिस्पर्धा करेंगी।
एक बार फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान, मुंबई हमले के मास्‍टर माइंड लखवी का पार्क में कसरत करते वीडियो वायरल

#26_11_mumbai_attack_mastermind_zaki_ur_rehman_lakhvi_openly_living_in_pakistan

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी पर एक तरफ पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने ये झूठ फैला रहा है की लखवी 2021 से पाकिस्तान की जेल में बंद है। हालांकि, अब पाकिस्तान के झूठ पर से एक बार फिर पर्दा उठ गया है। पड़ोसी देश ने अपनी हरकतों से साबित कर दिया है कि पाकिस्तान आतंकियो का पनाहगार है। दरअसल, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह पार्क में खुलेआम एक्सरसाइज करते देखा जा सकता है।

सोशल मीडिया पर उसके कई वीडियो वायरल हुए है, जिसमें एक वीडियो में वो एक पार्क में आसानी से जिम सेशन में हिस्सा ले रहा है। हालांकि, वीडियो की सही जगह और तारीख के बारे में अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुल 3 मिनट 9 सेकंड की इस वीडियो में जकी उर रहमान लखवी एक इवेंट में पश अप कर कर रहा है, डम्बल उठा रहा है और कार्यक्रम का होस्ट लखवी की पहचान लोगों से अबु वासी के रूप में करवाते हुए बता रहा है कि उसने कभी नहीं देखा कि एक 63 साल का व्यक्ति इतना फिट और फुर्तीला हो सकता है

वहीं जकी-उर-रहमान लखवी को लेकर कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि उसने अपना लुक बदल लिया है।इससे पहले आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी को इस्लामाबाद कोर्ट में देखा गया था, तब उसे लंबी दाढ़ी में देखा गया था।

अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका

26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड लखवी ना सिर्फ भारत में प्रतिबंधित आतंकी है बल्कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख सुधारने और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए पाकिस्तान ने पूरी दुनिया के सामने साल 2021 में जकी उर रहमान लखवी को 15 साल की कैद की सजा सुनाई थी।कथित तौर पर पाकिस्तान की जेल से बाहर है। दुनिया की आंखों में धूल झोंकते हुए वह मजे से जेल के बाहर अपने सारे काम कर रहा है।

मुंबई हमले में मारे गए थे 160 लोग

भारत ने लखवी पर 2008 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इस हमले में कम से कम 160 लोग मारे गए थे। हालांकि, पाकिस्तान ने लंबे समय तक लखवी की मुंबई हमलों में संलिप्तता से इनकार किया था।कई मौके पर भारत ने पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर को प्रत्यर्पित करने के लिए कहा, लेकिन पाकिस्तान ने अब तक कहा है कि वह मुंबई हमलों से जुड़े पाए जाने वाले अपने किसी भी नागरिक को भारत को नहीं सौंपेगा। इस्लामाबाद की तरफ से ये भी कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों पर पाकिस्तानी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

पाकिस्तान में अपनी सेना तैनात करेगा चीन! क्या पाकिस्तान को मंजूर होगा ड्रैगन का प्रपोजल*
#china_in_talks_with_pakistan_to_send_army_and_secure_its_own_citizen
पाकिस्‍तान की धरती पर मौजूद चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले हो रहे हैं।पिछले महीने कराची हवाई अड्डे के पास हुए कार बम विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की जान चली गई। पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और चीनी नागरिकों के खिलाफ हो रहे हमलों ने चीन को चिंतित कर दिया है। पाकिस्तान में अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों ने चीन का पाक सुरक्षाबलों से भरोसा उठा दिया है। बीजिंग अब पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चीनी सिक्योरिटी स्टाफ को तैनात करना चाहता है। ऐसे में चीन की सरकार इस्लामाबाद पर पाकिस्तान में काम करने वाले हजारों कर्मियों को सुरक्षा देने के लिए अपने सैनिकों की तैनाती को अनुमति देने के लिए दबाव डाल रहा है। बीजिंग ने इस्लामाबाद को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है, जिसमें चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीन की अपनी सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की मांग की गई है।इस प्रस्ताव में यह प्रावधान भी शामिल है कि दोनों देश एक-दूसरे के क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी अभियानों और संयुक्त हमलों के लिए अपनी सैन्य और सुरक्षा एजेंसियों को भेज सकेंगे। इस प्रावधान का उद्देश्य पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची एयरपोर्ट के पास बीते हुए पिछले महीने हुए विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। कराची हवाई अड्डे के पास हुए इस कार बम विस्फोट को चीन ने सुरक्षा में बड़ी चूक की तरह देखा है। इसने चीन की नाराजगी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। इसने पाकिस्तान सरकार को ज्वाइंट सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए औपचारिक वार्ता शुरू करने के लिए मजबूर किया है। सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि एक ज्‍वाइंट सिक्‍योरिटी मैनेजमेंट सिस्‍टम बनाने करने पर आम सहमति थी। हालांकि ग्राउंड लेवल पर सुरक्षा के संबंध में कोई समझौता नहीं हुआ है। पाकिस्‍तान पर चीन का काफी कर्ज है। ऊपर से देश में हो रहे विकासकार्यों को देखते हुए शाहबाज शरीफ सरकार ज्‍यादा वक्‍त तक चीन के प्रस्‍ताव को होल्‍ड करने की स्थिति में नहीं है। उसे आज नहीं तो कल चीन की बात माननी ही होगी। इस मामले पर पाकिस्तान या चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि वह संयुक्त सुरक्षा योजना पर बातचीत से परिचित नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग को मजबूत करना जारी रखेगा और चीनी कर्मियों और संस्थानों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। पाकिस्तान सेना ने भी इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है। पिछले महीने कराची हवाई अड्डे पर बम विस्फोट हुआ था, जिसमें दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों और उन्हें रोकने में इस्लामाबाद की नाकामी से शी जिनपिंग नाराज हैं। हाल ही में पाकिस्‍तानी अधिकारियों के साथ बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि वे अपनी सुरक्षा खुद लाना चाहते हैं। हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक इस तरह के प्रस्‍ताव पर सहमति नहीं जताई है।
पाकिस्तान का चेहरा फिर हुआ बेनकाब, पंजाब सरकार ने भगत सिंह को बताया “आतंकी”*
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पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को आतंकवादी करार दे दिया है। पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट में हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। दरअसल, लाहौर में शादमान चौक है, जहां शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। लाहौर में इस चौक का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह चौक करने की अपील की गई थी। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसे खारिज कर दिया है। पाकिस्तान में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। भगत सिंह के अपमान पर भारत में गुस्सा गहरा गया है। 1931 में अविभाजित भारत के लाहौर में जिस जगह पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने मांग हो रही है। इसी को लेकर लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई थी, जिस पर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने की मांग पाक के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने की और चौक पर मूर्ति लगाने के लिए आवाज उठाई। इसको लेकर पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे। आज की परिभाषा के तहत वो एक आतंकवादी थे। पंजाब सरकार की ओर पूर्व सेना के अफसर तारिक मजीद ने कोर्ट में जवाब दिया। तारिक ने कहा कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी। इसलिए उन्हें और उनके दो साथियों को फांसी की सजा दी गई। खास बात ये है कि चौक का नामकरण करने और मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। लाहौर हाईकोर्ट में 17 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
ढीली नहीं हुई पाकिस्तान की अकड़ तो इस देश में खेला जाएगा चैंपियंस ट्रॉफी, ICC ने कर लिया है प्लान*
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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर अभी से ही मुद्दा काफी गर्म है। इस टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान में किया जाना है। मगर भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान का दौरा करने से साफी इनकार कर दिया है।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत के पाकिस्तान जाने से इनकार के बाद पाकिस्तान से टूर्नामेंट की हाइब्रिड मॉडल में मेजबानी को लेकर जवाब मांगा है।हालांकि पाकिस्तान की ओर से इस मुद्दे को लेकर कोई भी जवाब सामने नहीं आया है। अब खबर ये है कि अगर पाकिस्तान हाईब्रिड मॉडल के लिए नहीं मानता है तो फिर ये टूर्नामेंट साउथ अफ्रीका में आयोजित किया जा सकता है।बता दें पाकिस्तान चाहता है कि टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी के लिए उसकी सरजमीं पर आए लेकिन बीसीसीआई ने इससे साफ इनकार कर दिया है। वहीं पाकिस्तान भी अड़ गया है कि वो हाईब्रिड मॉडल को नहीं मानेगा।यही वजह है कि आईसीसी अब दूसरे विकल्प पर सोच रही है। स्पोर्ट्सतक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर पीसीबी आईसीसी के विचारों से सहमत नहीं होती है तो चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी उससे छीनकर दक्षिण अफ्रीका को दी जा सकती है।एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी से पीछे नहीं हटता है तो यह तय है कि भारत के मैच यूएई में और फाइनल दुबई में होगा। सूत्र ने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी से कहा है कि उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है बशर्ते फाइनल दुबई में हो , पाकिस्तान में नहीं।’ पीसीबी ने सोमवार को बीसीसीआई के इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन सूत्रों के अनुसार आईसीसी ने पीसीबी से पूछा है कि क्या उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है जिसमें भारत के मैच और फाइनल दुबई में खेले जायेंगे। आईसीसी ने यह भी कहा कि इसके तहत उसे पूरी मेजबानी फीस और अधिकांश मैच मिलेंगे। *16 साल पहले साउथ अफ्रीका में हुई थी चैंपियंस ट्रॉफी* सूत्र ने कहा कि पीसीबी के टूर्नामेंट की मेजबानी से इनकार की दशा में पूरा टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में कराया जा सकता है। बता दें कि साउथ अफ्रीका में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन 16 साल पहले 2009 में हुआ था। उस टूर्नामेंट का विजेता ऑस्ट्रेलिया रहा था जबकि सेमीफाइनल में पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीम पहुंची थी। खिताबी भिड़ंत ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुई जिसमें कंगारुओं ने बाजी मारी। टीम इंडिया की बात करें तो वो ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी। उसे पहले ही मैच में पाकिस्तान से शिकस्त मिली थी और उसके बाद एक मैच बेनतीजा रहा वहीं आखिरी मैच जीतकर भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ।
लाहौर में आई लॉकडाउन की नौबत, रिकॉर्ड स्तर पर प्रदूषण, AQI 1100 के पार
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* भारत की राजधानी दिल्ली का प्रदूषण से बुरा हाल है। वहीं, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी प्रदूषण की मार झेल रहा है। लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा और वायु गुणवत्ता सूचकांक 1100 के आंकड़े को पार कर गया है। रिकॉर्ड वायु प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में पहुंच रहे हैं। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर लोग मास्क पहनने और स्मॉग से संबंधित अन्य दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहे तो पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है। बुधवार सुबह लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा और वायु गुणवत्ता सूचकांक 1,100 के आंकड़े को पार कर गया। 300 से ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है। जहरीले ‘स्मोग' ने पिछले महीने से शहर को अपनी चपेट में लिया हुआ है। लाहौर में हवा पूरी तरह से जहरीली हो चुकी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है, इसके साथ ही आंखों में जलन हो रही है। डॉक्टरों ने जानकारी देते हुए बताया कि अत्याधिक वायु प्रदूषण से हजारों लोग बीमार पड़ गए हैं। अस्पतालों में लोगों की भीड़ लगी हुई है। पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सलमान काज़मी ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में श्वास संबंधी परेशानी से जूझ रहे हजारों लोगों का अस्पतालों और क्लीनिक में इलाज किया गया। उन्होंने कहा कि आप लोगों को खांसते देख सकते हैं, लेकिन फिर भी वे मास्क नहीं लगाते हैं।इस बीच बढ़ते प्रदूषण के चलते प्रशासन ने लोगों को आगाह किया है कि अगर उन्होंने मास्क लगाने समेत अन्य निर्देशों का पालन नहीं तो पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया: 2 ग्रेनेड, 3 माइंस बरामद

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Indian Army

भारतीय सेना की रोमियो फोर्स ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के इलाके में एक पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया, अधिकारियों ने बताया, सेना विशेष अभियान समूह (एसओजी) पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही थी।

ऑपरेशन के हिस्से के रूप में, सेना ने ठिकाने से दो ग्रेनेड और तीन पाकिस्तानी माइंस बरामद किए, जो इस क्षेत्र में चल रहे खतरे को उजागर करते हैं, पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया। जवाब में, अधिकारियों ने तंगमर्ग और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में व्यापक तलाशी अभियान के साथ अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। भारतीय सेना की पहल का उद्देश्य गुलमर्ग, बारामुल्ला और गंदेरबल जिले के गगनगीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों से जुड़े संदिग्धों का पता लगाना है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले

इन सैन्य अभियानों की आवश्यकता 24 अक्टूबर को एक दुखद घटना के बाद पैदा हुई, जिसमें आतंकवादियों ने एक सैन्य वाहन पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप सेना के दो जवान और दो नागरिक कुली मारे गए। इसी तरह, 20 अक्टूबर को हुए एक पिछले हमले में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक सुरंग स्थल पर एक डॉक्टर और छह निर्माण श्रमिकों की जान चली गई थी, जिससे इन हमलों की लक्षित प्रकृति के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा हो गई थीं।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का आह्वान किया

इन आतंकवादी हमलों को मद्देनजर रखते हुए , जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और शिविरों के आसपास सुरक्षा प्रोटोकॉल को तत्काल बढ़ाने का आदेश दिया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने एक व्यापक सुरक्षा ऑडिट का निर्देश दिया और प्रमुख स्थानों पर निरंतर गश्त और जाँच चौकियाँ स्थापित कीं।

इसी तरह के एक अन्य ऑपरेशन में, काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने जम्मू-कश्मीर के छह जिलों में एक बड़ा ऑपरेशन किया और एक आतंकी संगठन से जुड़े भर्तीकर्ताओं को पकड़ा। काउंटर-इंटेलिजेंस यूनिट ने बताया कि श्रीनगर, गंदेरबल, पुलवामा, अनंतनाग, बडगाम और कुलगाम सहित जिलों में छापे मारे गए।

अधिकारियों ने कहा कि वे "तहरीक लबैक या मुस्लिम" (टीएलएम) नामक नवगठित आतंकवादी संगठन के भर्ती मॉड्यूल को ध्वस्त करने में सक्षम थे, जिसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक शाखा बताया जाता है, जिसे बाबा हमास नामक एक पाकिस्तानी आतंकवादी संचालक द्वारा संचालित किया जा रहा था।

देखा जा रहा है की केंद्र शाषित प्रदेश के चुनाव के बाद से आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में ज़्यदा पहल करनी चालू कर दी है, इसमें लोग मुख़्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह से आस लगाए बैठे है की वो इसपर कोई सख्त कदम उठाएंगे। 

UN में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर भड़का भारत, जानें किया कहा

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पाकिस्तान हर बार मुंह की खाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। कश्मीर के मुद्दे पर भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लताड़ लगा चुका है, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। भारत ने अब एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे को उठाने पर पाकिस्तान को जमकर खरी-खोटी सुनाई।भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बहस में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि उसकी यह हरकत गलत सूचना फैलाने और शरारतपूर्ण उकसावे वाली है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वार्षिक बहस के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया। भारत ने पाकिस्तान के इस प्रयास की निंदा करते हुए दो टूक जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, उस देश का यह प्रयास निंदनीय है, लेकिन इसका पूरी तरह से अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी आजमाई हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे में शामिल होने का विकल्प चुना है।

महिलाओं का हालत पर पाकिस्तान को लताड़ा

हरीश ने कहा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों से संबंधित महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है। यह टिप्पणी यूएनएससी बहस के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा जम्मू और कश्मीर का संदर्भ दिए जाने के बाद आई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह का शिकार होती हैं। खैर, मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मैं यहीं खत्म करता हूं।

भारत में महिलाओं की भूमिका का जिक्र

पाकिस्तान को आइना दिखाने के अलावा, राजदूत हरीश ने भारत में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत ने महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, विशेष रूप से शांति स्थापना और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने पहली बार सभी महिला सैनिकों को तैनात किया है।

शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी

शांति सेना में भारतीय महिलाओं की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए हरीश ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूपीएस एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार सभी महिलाओं वाली पुलिस यूनिट तैनात की, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में एक मिसाल कायम की। उनके काम को लाइबेरिया और संयुक्त राष्ट्र में जबरदस्त सराहना मिली। उन्होंने कहा कि हमने अपने शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। वर्तमान में दुनिया भर में 100 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक सेवा दे रही हैं, जिनमें तीन महिला महिला संलग्नता दल भी शामिल हैं।

हरीश ने कहा कि 2023 में, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में सेवा देने वाली मेजर राधिका सेन को यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह अपनी शानदार पूर्ववर्ती मेजर सुमन गवानी के पदचिन्हों पर चलती हैं, जिन्हें दक्षिण सूडान में यूएन मिशन के साथ उनकी सेवा के लिए मान्यता दी गई थी। उन्हें 2019 में यूएन द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया है, जिस पर उन्होंने जोर दिया कि इसने राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्त बनाया है।