सरायकेला:झारखण्ड के आदिवासी कोटि के पदाधिकारीयों के साथ की गई अन्याय
सरायकेला :- झारखण्ड राज्य , बिहार से अलग इसलिए किया गया कि यहा के स्थानिय जनमानस को सभी क्षेत्रों में विकास हो ,परंतु सूत्रो कि जानकारी के अनुसार झारखण्ड राज्य के मछली पालन विभाग में कुछ अलग ही खेल चल रहा है- 14-15 सालो से एक ही पद (मत्स्य प्रसार पदाधिकारी पर राज्य में 15 लोगो 15-16 लोगों ने योगदान दिया था जिसमे है आदिवासी एवं अनुसूचित जाति एवं २ अन्य कुल 10 लोगों का साधारण प्रोत्रित्ती के मध्यम से जिला मत्स्य पदाधिकाटी पदाधिकारी के के पद पर प्रोन्नति होना था.
वरीयता के सारे मापदण्डो को पूर्ण करते हुए इनको 8 मार्च 2024 के राज्य लोक सेवा आयोग (JPSC) मे बैठक बुलाई गई परंतु नाटकिय ढंग से विभागीय राजनीति के शिकार हो इस बैठक को स्थगत करने के लिए विभागीय सचिव का ही ट्रान्सफर कर दिया गया और 48 घंटे के भीतर फिर से सचिव भी बना दिया गया, ये सब इसलिए की UPSC में ब ST अधिकारीयों के प्रमोशन की बैठक टल जाये। साथ ही कुछ षड्यन्त्रकारी अधिकारीयों ने वंदना- डान्डल, IAS के एक आदेश जिसमें वरियता के आधार ST अधिकारीयों को प्रचोति संबोध- आदेश को रह ,करने के लिए wp(c) राज्य के झारखण्ड हाई कोर्ट में भी केस करवा दिया जिससे ST संवर्ग के अधिकारी खाली पड़े सामान्य कोटी के पदों पर प्रत्नोति न ले सो बहरहाल, JPSC व्दारा 19 मार्च को फिर से तरीख दे दी गई और प्रन्नोति समिति की बैठक में इन 4 महिला ST संर्ग (एवं । (50) संर्ग सहित 10 अधिकारियों के नाम 5 संवर्ग एवं । उए संकी सहित 10 की अनुशंसा कर दी गई, परंतू लगभग 3 माह से सचिवालय, मंत्रालय (मत्स्य) से निदेशालय (मत्स्य) से इन अधिकारीयों की पोटिग्स के लिए कोई रुची नही ली और न ही कोई अधिसूचना निकाली गई, नियमतहः 3 दिनों में इनके पदस्थापन की सूचना निकलना चाहीये था दिनांक 11/6/24 को विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक प्रस्तावित थी, परंतु फिर से राज्य के आदिवासी अधिकारियो की अव्हेलना करते हुए कोई बैठक नही की गई, इस सब घटनाक्रम से स्वष्ठहे कि राज्य के मूलनिवासीयों के हित की बात रखने वाला कोई नही है ऐसे क्या इसीलिए झारखण्ड अलग राज्य बनाया।
दोषियों के दृष्टान्त और भी बहुत है, ये तो एक - अदना सा विभाग है, जिसमें अगर इसमें ऐसा है, तो जरा सोचिए राज्य की प्रगति कैसी चल रही होगी।
Jun 12 2024, 18:47