#StreetBuzz Exclusive) दुमका : समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर रामलाल राय ने पत्नी संग पहली बार किया मतदान,
नक्सल से जुड़े 17 मामलों में था आरोपी, 13 केस में बरी
दुमका : झारखण्ड के संताल परगना में चौथे चरण एवं देश के सातवे व अंतिम चरण में शनिवार को हुए मतदान के बाद लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया। दुमका संसदीय क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बंपर वोटिंग की सूचना है। खासकर जिन इलाकों में कभी नक्सलियों का खौफ रहता था, उन इलाकों के मतदाताओं में भी काफी उत्साह दिखा।
इन इलाकों से ही एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है जो समाज के मुख्यधारा से भटकने वाले युवाओं को लोकतंत्र में आस्था और विश्वास रखने का संदेश देती है।
दुमका के शिकारीपाड़ा विधानसभा के काठीकुण्ड स्थित सरुवापानी गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में स्थित मतदान केंद्र में एक ऐसा शख्स मतदान करने पहुँचा जो कभी आतंक का पर्याय माना जाता था और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती था। बात कर रहे है 33 साल के रामलाल राय की।
कम उम्र में ही समाज की मुख्यधारा से भटकर रामलाल राय कभी नक्सली दस्ते में शामिल हो गया था और फिर धीरे धीरे नक्सलवाद ने उसके पूरे परिवार को तबाह कर दिया।
करीब साढ़े दस साल तक जेल में रहने के बाद रामलाल रिहा हो गया और फिर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुआ और आज लोकतंत्र पर विश्वास जताते हुए अपनी पत्नी के साथ मतदान करने भी पहुँचा।
मतदान करने के बाद राम लाल राय ने कहा कि देश में एक मजबूत सरकार बने और समाज व देश का समुचित विकास हो, इसे लेकर उन्होंने मतदान किया। रामलाल ने पहली बार मतदान किया। यह उसके लिए पहला अवसर है जब उसने लोकसभा चुनाव में मतदान कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
साढ़े दस साल की सजा काटने के बाद वह खुली हवा में सांस ले रहा है। अपने परिवार के साथ रहकर खेती-बाड़ी कर उनका पालन-पोषण कर रहा है।
रामलाल ने कहा कि
पहले वह आवारागर्दी करता फिरता था। इसलिए उसके पिता स्व बद्री राय उसे अपने साथ नक्सली दस्ते में ले गये थे, ताकि उस पर नजर रख सकें। रामलाल दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के बड़ा सरुआपानी गांव का रहने वाला है। नक्सल गतिविधियों के कारण जीवन बर्बाद होने का रामलाल को मलाल भी है। 23 जुलाई 2023 को वह साढ़े दस साल की सजा काट कर जेल से निकला है।
अब मुख्यधारा में लौटकर अपने परिवार के साथ खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है।
रामलाल राय ने कहा कि कोई रोजी-रोजगार मिल जाने से परिवार चलाना आसान हो जाता।
उसने बताया कि वह वर्ष 2006 में नक्सली दस्ते में शामिल हुआ था। लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहे रामलाल राय को मलाल है कि नक्सलवाद ने उसके परिवार को तहस-नहस कर दिया। पिता बद्री राय को भी जेल जाना पड़ा था। पिता जेल से बाहर आ चुके थे और वह जेल में ही था, तब भाई सहदेव राय उर्फ ताला पुलिस मुठभेड में मारा गया। रामलाल ने बताया कि दस्ते से जुड़े रहने के दौरान काफी परेशानियां होती थीं। यहां से वहां भटकना, ना खाने का ठिकाना था, ना रहने का। कई बार वह घर लौटने की सोचता था, लेकिन काफी केस मुकदमे हो जाने की वजह से घर लौटने की हिम्मत नहीं होती थी। वर्ष 2013 के फरवरी माह में रामलाल पुलिस गिरफ्त में आ गया।
इस दौरान उसके साथ नक्सली गतिविधियों में संलिप्त उसकी पत्नी दीपिका मुर्मू और उसकी डेढ़ साल की बेटी भी मौजूद थी। पत्नी 4 साल बाद जेल से निकली। वर्तमान में रामलाल अपनी पत्नी, अपने बेटे और एक बेटी के साथ अपने गांव में खेती-बाड़ी कर जीवन-यापन कर रहा है। रामलाल ने कहा कि गांव में सिंचाई के साधनों को विकसित किए जाने की जरूरत है ताकि हमलोग सालभर खेती कर सकें। रामलाल ने बताया कि उस पर एक-दो नहीं 17 केस हुए. एक केस (आर्म्स एक्ट) में उसे दो साल की सजा हुई, लेकिन 13 केस में उसे अदालत ने बरी किया है। तीन केस अभी और है। दो केस दुमका और एक पाकुड़ जिले से संबंधित है।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Jun 03 2024, 22:33