परशुराम को शस्त्र,शास्त्र का ज्ञान शिवजी से मिला :डाॅ अर्जुन पाण्डेय
अमेठी। शुक्रवार अवधी साहित्य संस्थान की ओर से नगर स्थित ओम नगर में परशुराम के जन्मोत्सव पर संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण एवं पूजा अर्चना के साथ हुआ।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि भृगु कुल तिलक परशुराम को शस्त्र एवं शास्त्र का ज्ञान भगवान शिवजी से मिला| लोक कल्याण एवं आतताइयों के दमन हेतु शिवजी ने उन्हें परशु प्रदान कर राम से परशुराम बना दिया| भगवती सीता के स्वयंवर में पिनाक भंग होने पर महेंद्र गिरि से वे मन के वेग से सीधा वहां पहुंचे, उनके आक्रोश को देखकर सभी राजा कांप उठे थे।
भगवान श्रीराम के विनम्र भाव ने उन्हें जीत लिया, जिस पर भगवान परशुराम ने स्वयं अपना धनुष उन्हें समर्पित कर पुनः तपनिष्ठ हो गए। साहस, शक्ति, शौर्य, ज्ञान एवं भक्ति के प्रतीक के रूप में आज भी हमारे बीच उपस्थित हैं| भगवान परशुराम को याद करना वक्त की जरूरत है| द्वापर युग में भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को चक्र सुदर्शन देकर यह कहा था कि धर्म की रक्षा और दुष्टों का संहार कीजिए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अंबरीश मिश्र ने कहा कि भगवान परशुराम ने आतताइयों का संहार करके धर्म का मार्ग प्रशस्त किया था। वे चिरंजीवी हैं, उनका स्मरण और अनुकरण सर्वथा कल्याणकारी है। ब्राह्मणों को नैतिक रहते हुए समाज के सभी वर्गों को दिशा देनी चाहिए। मानवता की सेवा ही अभीष्ट लक्ष्य होना चाहिए।मुख्य अथिति के रूप में उद्बोधन देते हुए कैप्टन पी एन मिश्र ने कहा कि विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम को न्याय का देवता कहा जाता है| उनके दान, विवेक एवं त्याग के गुण समाज के लिए आज भी आदर्श हैं|
विशिष्ट अतिथि के रूप में संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ज्ञानेंद्र पांडेय 'मधुरस' ने कहा कि मुख में वेद, पीठ पर तरकश, कर में कठिन कुठार, शाप और शर दोनों ही ऋषि के संबल हैं| परशुराम के परस के प्रहार से ही गणेश को एकदंत कहा जाता है|श्रीनाथ शुक्ल द्वारा प्रस्तुत गीत 'छठा अवतरण भगवान विष्णु का लीला बड़ी निराली, बोलो जय जय परशुराम' को उपस्थित लोगों ने जमकर सराहा गया।
पूर्व प्राचार्य सत्येंद्र प्रकाश शुक्ल ने कहा कि आजादी के बाद जातिगत राजनीति को बढ़ावा देकर महान ऋषियों, संतों एवं व्यक्तियों को विशेष जाति समूह से जोड़कर उनके प्रति श्रद्धा, सम्मान एवं विश्वास को कम किया गया|
डॉ. शिवम् तिवारी ने कहा कि ऋषि परम्परा में आने वाले परशुराम को एक जाति विशेष में बाँधकर क्षत्रिय विरोधी बताना भारतीय समाज की भूल होगी| वे प्रकृति प्रेमी एवं संरक्षक थे| जगदम्बा प्रसाद त्रिपाठी मधुर, कैलाश नाथ शर्मा, पूर्व प्राचार्य राम कुमार तिवारी, कौशल कुमार मिश्र, सुधीर रंजन द्विवेदी ने संगोष्ठी को संबोधित किया। इस संगोष्ठी में हरिकेश मिश्र, डॉ. अभिमन्यु पांडेय, रीता पांडेय आदि की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।
May 11 2024, 16:53