बांग्लादेश में फिर शेख हसीना की सरकार, 5वीं बार बनने जा रही प्रधानमंत्री
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बांग्लादेश में एक बार फिर शेख हसीना प्रधानमंत्री बनने जा रहीं हैं।रविवार को हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी आवामी लीग ने 300 में से दो-तिहाई से अधिक सीटें जीत ली हैं।शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जहां 222 सीटें जीतीं वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को 63 सीट पर कामयाबी हासिल हुई।शेख हसीना पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनेंगी। वह 2009 से ही प्रधानमंत्री हैं।इससे पहले 1991 से 1996 तक भी शेख हसीना प्रधानमंत्री रह चुकीं हैं।
रविवार 7 जनवरी को हुए आम चुनाव में हसीना की पार्टी अवामी लीग ने संसद की 300 में से 204 सीटें जीत लीं। इस बार 299 सीटों पर वोटिंग हुई थी।गोपालगंज-3 सीट से उन्होंने बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के कैंडिडेट एम निजामुद्दीन लश्कर को 2.49 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। हसीना को 2 लाख 49 हजार 965 तो निजामुद्दीन को महज 469 वोट मिले।
बांग्लादेश चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार चुनाव में 40% वोट पड़े। यह आंकड़ा बदल सकता है। 2018 के चुनाव में 80% मतदान हुआ था। देश में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) समेत विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था।
हसीना का आदेश- जीत का जश्न न मनाएं कार्यकर्ता
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी पार्टी अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ताओं को आदेश दिया है कि वो जीत का जश्न न मनाएं और न ही कोई रैली या जुलूस निकालें। हसीना के सेक्रेटरी सायम खान ने रविवार रात इस बारे में प्रधानमंत्री के हवाले से बयान जारी किया। उन्होंने कहा- नतीजे आने के बाद किसी तरह की हिंस नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे देश को नुकसान होता है।
प्रधानमंत्री रहते हुई आलोचनाओं की शिकार
1996 वह साल था जब उन्होंने पहली बार जीत का स्वाद चखा। वह देश की प्रधानमंत्री बनीं। हसीना का पहला कार्यकाल आर्थिक तरक्की और इंफ्रास्ट्रकचर के विकास के नाम रहा। बांग्लादेश में उनके प्रधानमंत्री रहते हुए आर्थिक उदारीकरण हुआ। साथ ही बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में विदेशी निवेश आया। हालांकि शेख हसीना की इस बात पर आलोचना भी हुई की उन्होंने देश की न्यायिक स्वतंत्रता को समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। साथ ही जमात ए इस्लामी पार्टी पर शेख हसीना ने जो नकेल कसा, उसका कुछ धड़ों ने स्वागत किया तो कुछ ने मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देकर विरोध किया। बीच में एक अंतराल के बाद 2009 में शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता में लौटीं। इसके बाद से लगातार वह शासन में बनी हुई हैं। इसके बाद जो तीन चुनाव वह अब तक जीती हैं, इन सभी चुनावों पर धांधली का आरोप है। आलोचकों का कहना है कि देश में लोकतांत्रिक मूल्य लगातार ढ़लान पर हैं। बोलने की आजादी समय के साथ सीमित होती चली गई है।
Jan 08 2024, 14:00