*शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी, रामभक्त ले चला रे राम की निशानी*
मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के तत्वाधान में स्थानीय कलाकारों के द्वारा आयोजित किये जा रहे 48वें श्री रामलीला महोत्सव में चल रहे श्री रामलीला में गत रात्रि प्रभु श्रीराम और भरत मिलाप का मार्मिक मंचन किया गया।
श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर की रामलीला दर्शकों को खूब आकर्षित कर रही है। प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र पर आधारित श्री रामलीला मंचन के क्रम में गुरूवार को स्थानीय कलाकारों ने श्री राम-भरत मिलाप की लीला का मनमोहन और मार्मिक मंचन किया तो दर्शक कलाकारों के संवाद के साथ प्रस्तुत अभिनय को देखकर दो भाईयों के मिलाप को देखकर भाव-विभोर हो गए।
श्री राम अयोध्या वापस लौटने से इंकार कर देते हैं तो भरत उनकी चरणपादुका अपने सिर पर उठा कर अश्रुपूरित होकर वापस लौटते हैं।
लीला मंचन की शुरूआत श्री गणेश आरती और गुरूओं को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ की गयी। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उद्योग पति मनीष भाटिया, व्यापारी पीयूष शर्मा और भाजपा नेता सचिन अग्रवाल पटाखा का श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक पूर्व सभासद विकल्प जैन सहित अन्य पदाधिकारियों ने पटका पहनाकर स्वागत और अभिनंदन किया।
अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर लीला का शुभारंभ किया। समिति के पदाधिकारियों ने स्मृति चिन्ह और मिष्ठान देकर अतिथियों का सम्मान किया। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और मां सीता के स्वरूपों की आरती कर उनको भोग प्रसाद ग्रहण कराया और फिर मंच का पर्दा उठा तो दर्शकों के सामने व्याकुल और शोकाकुल अयोध्या का दृश्य था।
रामलीला का शुभारंभ भरतलाल और शत्रु घ्न के अयोध्या लौटने से होता है। अयोध्या में राजा दशरथ की मृत्यु होने के कारण चारों ओर शोक छाया है और राम, लक्ष्मण तथा जानकी मां सीता के अयोध्या से वन गमन के कारण प्रजा में भी मायूसी का आलम है। महल से ले कर झोपडी तक सभी जगह सूनापन और अंधेरा कायम है।
केवट की नाव में सवार होकर प्रभु श्रीराम अपने वनवास की ओर प्रस्थान की तैयारी करते हैं। इसी बीच भरत और शत्रुघ्न का अयोध्या में प्रवेश होता है। राम, लक्ष्मण व सीता के वनवास व पिता दशरथ के मरण का समाचार पाकर वह बेहद दुखी हो जाते हैं। गुरू वशिष्ठ से कहते हैं कि मुझे अयोध्या का सिंहासन नहीं चाहिए।
मेरा कल्याण तो भैया राम की सेवा में है। इसके बाद लाव लश्कर लेकर व्याकुल भरत अपने अनुज शत्रुघ्न के साथ श्रीराम को मनाने के लिए निकलते हैं और चित्रकूट पहुंचते हैं। यहां गंगा किनारे का दर्शन होता है। जहां पर राम जनक जननी सीता व लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। उनके पास एक भील आता है और भरत के सेना के साथ आने की जानकारी देता है। लक्ष्मण को संशय होता है, और वो उत्तेजित हो जाते हैं, राम उन्हें समझाते हैं।
इस बीच भरत पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम को देखते ही उनसे लिपट जाते हैं। रोने लगते हैं। आग्रह करते हैं कि अयोध्या लौट चले। राम-भरत मिलाप के इस मार्मिक दृश्य को देखकर सभी की आंखें भर आती हैं। भरत सहित माताएं, गुरुदेव सभी राम को मनाने की कोशिश करते हैं।
राम के इंकार के बाद गुरू वशिष्ठ कहते हैं कि आप अपनी चरणपादुका भरत को सौंप दें। जिन्हें राजगद्दी पर रखकर भरतलाल राज करेंगे। भरत श्रीराम की चरणपादुका माथे पर लगाते हैं, और शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी, रामभक्त ले चला रे राम की निशानी...भजन सुन सभी भावविभोर हो जाते हैं।
इस भरत मिलाप में भरत के स्वरूप में कलाकार जतिन कुमार और शत्रुघ्न बने उत्कर्ष ने अपनी भूमिका में छाप छोड़ी। श्रीराम बने पंकज शर्मा, लक्ष्मण की भूमिका में यश गर्ग और गुरू वशिष्ठ का किरदार निभा रहे राजेश कुमार ने अपने अभिनय व संवाद से दर्शकों को प्रभावित किया। इसके साथ ही सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध बनाया।
श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के अध्यक्ष गोपाल चैधरी, मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक सभासद विकल्प जैन, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, प्रमोद गुप्ता, धर्मेंद्र पंवार नीटू, मुख्य निर्देशक विजय मित्तल, पंकज शर्मा, निर्देशक अमित भारद्वाज, गोविंद शर्मा, नारायण ऐरन, ज्योति ऐरन, कामिनी भारद्वाज, मीना ऐरन, कन्दर्प ऐरन, जितेंद्र नामदेव, विनय गुप्ता टिंकू, पीयूष शर्मा, राकेश बंसल, अनिल गोयल, राकेश मित्तल, अंशुल गुप्ता, विपुल मोहन, अज्जू जैन, आकाश गोयल, गौरव मित्तल, अनुराग अग्रवाल एडवोकेट आदि व्यवस्था बनाने में सहयोग कर रहे हैं।
Oct 20 2023, 16:21