अररिया लोकसभा से राजद प्रत्याशी हो सकते है "प्रसेनजीत कृष्ण"
अररिया - राजनीति का अनुसंधान केंद्र बिहार को कहा जाता है जब भी राजनीति में बड़े बदलाव की पटकथा लिखी गई उसमें बिहार का बड़ा योगदान था। यह आजादी से पहले और आजादी के बाद भी समान रूप से चलता रहा । जेपी आंदोलन हो या आपातकाल बिहार की सहभागिता हमेशा देश के अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा ही रही। हालांकि बिहार की राजनीति को लेकर सटीक आकलन नहीं लगाया जा सकता। क्योंकि यहां की जनता पहले ही 2014 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े उलटफेर की गवाही दे चुकी है। सीटों की खींचतान में कौन 2024 होगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना पता है कि राजनीति में हमेशा संभावनाओं का दौर खुला माना जाता है । ऐसे में देखना होगा कि बिहार सहित देश की राजनीति किस करवट बदलती है और कौन इसका बाजीगर बनता है?
अररिया जिले की बात करें तो 2006 में भारत सरकार ने इस जिले को देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया था . 18 साल बाद भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं .यहां के आवाम प्रमुख रूप से कृषि पर निर्भर है यहां पर बहुत कम कल कारखाने है जिसकी वजह से बेरोजगारी यहां की एक बड़ी समस्या है .उससे भी बड़ी समस्या हर साल आने वाली बाढ़ है . जिस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है .2017 में बिहार के 19 जिलों में बाढ़ आई जिसमें अररिया भी शामिल था और बाढ़ में करीब 90 लोग की मौत हुई पिछले 20 सालों में अररिया में बाढ़ की चपेट में आने से पांच सौ से ज्यादे लोग मारे जा चुके हैं लेकिन इस बड़ी समस्या पर ना ही सरकार सचेत हो रही है और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि। भले ही कभी किसी के कार्य हेतु प्रखंड कार्यालय में गए हो या नहीं गए हो कभी जनहित मुद्दे के लिए धरना अथवा प्रदर्शन किया हो या ना किया हो यह मायने नहीं रखता है बस आप किसी भी तरीके से किसी सशक्त पार्टी का टिकट हासिल कर ले तो आपकी जीत सुनिश्चित है । सच तो यह है कि अररिया राजनीतिक नायक विहीन है । वर्तमान में जो भी नेता है अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़े तो जमानत जप्त हो जाएगी।
अररिया में नेता चुनाव नहीं लड़ता बल्कि पार्टी चुनाव लड़ती है। इसी बीच नरपतगंज के एक युवा है जो इन दिनों अररिया की राजनीति में लोकप्रिय हो रहा है उनका नाम प्रसेनजीत कृष्णा है । स्थानीय लोगों का कहना है कि वह जमीनी हकीकत से जुड़ा हुआ युवक है। प्रसेनजीत कृष्ण जिला में एक सामाजिक संगठन “बिहार विकास युवा मोर्चा” की स्थापना कर सक्रिय राजनीति में भूमिका निभा रहे हैं । बीते वर्ष 2017 मंी आये प्रलयकारी बाढ़ में जहां जीते हुए प्रतिनिधि गायब थे वही प्रसेनजीत कृष्ण कई चुनौतियों का सामना कर आम जनता के मदद में जुटे हुए थे। छात्र जीवन से राजनीति करने वाले प्रसेनजीत कृष्ण “यादव” जाति से हैं।अररिया जिले भर में माय समीकरण का वर्चस्व रहा है।
गौरतलब है की अररिया जिला यादव बाहुल्य क्षेत्र है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के द्वारा प्रसेनजीत कृष्ण को लोकसभा में राजद प्रत्याशी के लिए बायोडेटा लेकर पटना कार्यालय बुलाये थे। बीते 16 सितम्बर को पूर्व विधायक प्रत्याशी रहे प्रसेनजीत कृष्ण अपने पूर्ण बायोडेटा के साथ राजद प्रदेश अध्यक्ष से मिलने पहुंचे थे। सूत्रों की माने तो श्री कृष्ण से राजद कार्यलय में राजद प्रदेश अध्यक्ष के अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और पूर्व मंत्री वृषण पटेल भी मिले थे। तीनो सदस्यों के द्वारा बायोडेटा को पढ़ने के बाद घण्टो बात चीत हुई। उसके बाद चुनाव की तैयारी करने का आदेश भी दिया गया है। यदि प्रसेनजीत कृष्ण को राजद लोकसभा में टिकट देती है तो जो अररिया सीट राजद की झोली से छीना जा चुका है वह सीट आसानी से जीता जा सकता है।
गौर करने योग्य बात यह है कि इस बार युवा मतदाताओं की संख्या काफी बढ़ी है । आसान शब्दों में कहें तो युवा वर्ग (उम्र 18 वर्ष से 25 वर्ष) इस बार अपना एमपी का चुनाव करेंगे । प्रसेनजीत कृष्ण युवा है,शिक्षित है और जनता और जमीन से जुड़े हुए जनप्रतिनिधि हैं । श्री कृष्ण जिला के एक ऐसे युवा नेता हैं जो बिना विधायक सांसद बने आम जनता और अररिया जिला के लिए बहुत कुछ किये है खासकर कृष्ण की पहचान क्रप्शन के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ने वाले योद्धा के तौर पर जाना जाता है।
हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि तेजस्वी यादव के खास और राजद के रणनीतिकार संजय यादव के द्वारा प्रसेनजीत कृष्ण को चयन किया गया है।
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव इससे पूर्व एक आरटीआई एक्टिविस्ट को टिकट देकर चुनाव लड़वा चुके है। यदि कृष्ण को खोजा गया है तो मतलब साफ है कि साफ छवि के लोगों को पार्टी में जगह दिया जा रहा और कृष्ण को टिकट मिलना मतलब एक के बाद दूसरे किसी आरटीआई एक्टिविस्ट को पार्टी में जगह दिया जाएगा। तेजस्वी यादव स्वच्छ राजनीति की और एक बेहतर कदम उठाए है इससे बिहार की जनता जोर दार स्वागत कर रही है।
प्रसेनजीत कृष्ण नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से आते है।वे 2020 में विस चुनाव भी लड़ चुके है। नरपतगंज विस के यादवो का रुझान जिस पार्टी के प्रत्याशी के तरफ रहती है उस पार्टी का सांसद का जितना ताय माना जाता है। इसका फिलहाल में उदाहरण 2018 लोकसभा उपचुनाव और 2019 आम लोकसभा चुनाव के तौर पर देखा जा सकता है। एकबात ताय है यदि राजद यादव जाती के उम्मीदवार प्रसेनजीत कृष्ण को अपना प्रत्याशी बनाते है तो बीजेपी को अररिया सीट जीतना टेडी खीर साबित होगी। प्रसेनजीत कृष्ण की उम्मीदवारी से नरपतगंज, फारबिसगंज, रानीगंज,भरगामा ब्लॉक के लोगों का रुझान इस ओर भी रहेगा कि सांसद उसके नजदीक क्षेत्र कक हो रहा जो कि वर्षों से पूर्वी क्षेत्र से बनता आ रहा है। वर्षो पूर्व पश्चिमी क्षेत्र से सांसद होते थे जिनका नाम सुकदेव पासवान है। ऐसे में प्रसेनजीत कृष्ण के जीत के लिए यह भी एक बड़ा फैक्टर बनेगा।
Oct 13 2023, 10:10