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'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर क्या बोलीं विपक्षी पार्टियां, कमलनाथ बोले- इसके लिए राज्यों की मंजूरी भी जरूरी

डेस्क: I.N.D.I.A गठबंधन की तीसरी बैठक मुंबई में चल रही है। इस बैठक का आज दूसरा दिन है। इस बीच केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें 5 बैठकें होंगी। संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में कई अहम बिलों को पास किया जाएगा। इस बीच केंद्र सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर एक कमेटी बनाई है। 5 दिनों के इस विशेष सत्र को लेकर संभावना जताई जा रही है कि सरकार संसद में इस बाबत विधेयक पेश कर सकती है। विपक्षी दलों में इसे लेकर हलचल है। विपक्षी नेता 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को भाजपा का षडयंत्र बता रहे हैं। 

वन नेशन, वन इलेक्शन पर क्या बोलीं प्रियंका चतुर्वेदी

इस बाबत बोलते हुए शिवसेना यूबीटी की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मोदी सरकार की सत्ता जाने के आखिरी पड़ाव पर है। इस कारण इस तरह के हथकंडे सरकार अपना रही है। उन्होंने कहा, 'पहले सरकार ने विशेष सत्र बुलाया। इंडिया अलायंस के डर से गैस सिलिंडर के दाम कम किए। अब असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए कमेटी बनाई।' उन्होंने कहा कि शिवसेना उद्धव ठाकरे की पार्टी आपसे पूछती है कि महिला सुरक्षा को लेकर कमेटी कब बनाएंगे? भ्रष्टाचार के कई मुद्दों को लेकर कमेटी कब बनाएंगे? देश में अहम मसले हैं, उसको लेकर कमेटी कब बनाएंगे?

पृथ्वीराज चव्हाण ने भाजपा पर साधा निशाना

वन नेशन, वन इलेक्शन पर बोलते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि एक बात साफ है, सरकार अब पैनिक मोड में है। ध्यान भटकाने के लिए ये चीजें हो रही हैं। उन्होंने कहा, 'इस विशेष सत्र को बुलाने की क्या जरूरत है। गणेश चतुर्थी उत्सव के बीच? क्या वे (केंद्र सरकार) हिंदू भावनाओं से अनजान हैं?' उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि वह कहते हैं, "सरकार को कभी भी चुनाव कराने का अधिकार है। अगर वे समय से पहले लोकसभा चुनाव कराना चाहते हैं, तो करा सकते हैं। अगर वे कुछ विधेयक पारित कराना चाहते हैं तो उन विधेयकों के बारे में हमें बताएं।" 

कमलनाथ ने कही ये बात

एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि इसके लिए सिर्फ संविधान में संशोधन की ही नहीं बल्कि राज्यों की मंजूरी भी जरूरी है। हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे भाजपा शासित राज्यों में वे अपनी संबंधित विधानसभाओं को भंग करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तय कर सकते हैं और पारित कर सकते हैं। आप किसी राज्य की विधानसभा की अवधि कम नहीं कर सकते हैं। यह इस तरह काम नहीं करता है।

श्रीमती जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार संभाला


श्रीमती जया वर्मा सिन्हा ने आज रेल भवन में रेलवे बोर्ड (रेल मंत्रालय) के नए अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का पदभार संभाल लिया। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने श्रीमती जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति को स्वीकृति दी है। जया वर्मा सिन्हा रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के रूप में भारतीय रेलवे के इस शीर्ष पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं।

इससे पहले श्रीमती जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड में सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) के तौर पर कार्य किया है। श्रीमती सिन्हा भारतीय रेलवे में माल ढुलाई और यात्री सेवाओं के समग्र परिवहन का दायित्व भी संभाल चुकी हैं।

श्रीमती जया वर्मा सिन्हा 1988 में भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) में शामिल हुईं। भारतीय रेलवे में अपने 35 साल से अधिक के करियर में उन्होंने रेलवे बोर्ड के सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) अपर सदस्य, यातायात परिवहन जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने परिचालन, वाणिज्यिक, आईटी और सतर्कता सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। वह दक्षिण-पूर्व रेलवे की प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला भी रही हैं।

उन्होंने बांग्लादेश के ढाका में भारतीय उच्चायोग में रेलवे सलाहकार के रूप में भी कार्य किया, उनके इस कार्यकाल के दौरान कोलकाता से ढाका तक प्रसिद्ध मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था।

श्रीमती सिन्हा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा हैं और उन्हें फोटोग्राफी में गहरी रुचि है।

यूपी में मायावती और अखिलेश समय की व्यवस्था फिर बहाल!, अब से डीएम की अध्यक्षता में होगी कानून-व्यवस्था की बैठक, योगी सरकार का फैसला, जानें वजह

मायावती और अखिलेश यादव की सरकार ने कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने को लेकर डीएम की अध्यक्षता में कानून व्यवस्था की बैठक का फैसला लागू किया था। अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी बैठक को लेकर यही व्यवस्था लागू कर दी है। निर्णय लेने के बाद सूबे के सभी 75 जिलों में नयाआदेश भी जारी किया गया। आदेश के अनुसार अब प्रदेश के 68 जिलों में डीएम को कानून व्यवस्था की बैठक लेने का अधिकार होगा।

लोकसभा चुनावों के पहले सूबे में बदले रहे राजनीतिक माहौल में कानून व्यवस्था को लेकर कोई बखेड़ा ना खड़ा होने पाए इसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार सतर्क हुई है। यूपी से सटे राज्यों में बीते दिनों हिंसा की हुई कई घटनाओं के चलते यूपी में भी चौकसी बढ़ानी पड़ी थी। इसी का संज्ञान लेते हुए राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर भी समीक्षा ही गई तो उसमें कई खामियां सामने आयी।

उन्हें दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है कि डीएम (जिलाधिकारी) ही जिले के सुपर बॉस होंगे। उनकी अनुमति के बिना कानून व्यवस्था को लेकर कोई फैसला अब पुलिस कप्तान नहीं कर पाएंगे। अब से डीएम ही कानून व्यवस्था की बैठक लेंगे। मायावती और अखिलेश यादव की सरकार ने कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने की उक्त व्यवस्था लागू थी।

जिसे योगी सरकार ने बदल दिया था। इस व्यवस्था को गत बुधवार को मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की अध्यक्षता में सूबे की कानून व्यवस्था को लेकर हुई बैठक में बदले जाने का फैसला किया गया। यहीं नहीं इस बैठक के बाद इसे लेकर सूबे के सभी 75 जिलों में नया आदेश भी जारी किया गया।

इस आदेश के बाद जिलों के पुलिस कप्तानों को बड़ा झटका लगा है। अब प्रदेश के 68 जिलों में डीएम को कानून व्यवस्था की बैठक लेने का अधिकार होगा। जबकि लखनऊ, कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी और प्रयागराज जिले में पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

डीएम की मंजूरी से थानाध्यक्ष की तैनाती होगी

इस व्यवस्था के चलते अब जिले में डीएम की मंजूरी के बिना थानाध्यक्ष की तैनाती नहीं होगी। वर्ष 2018 में थानाध्यक्षों की तैनाती को लेकर कई जिलों में डीएम और एसपी (पुलिस अधीक्षक) के बीच विवाद हुआ था। जिसका असर जिले की कानून व्यवस्था पर पड़ा था। जिसके चलते कानून व्यवस्था की बैठक लेने का अधिकार डीएम से ले लिया गया था।

अब भविष्य की चुनौतियों (लोकसभा चुनावों के चलते बदल रहे राजनीतिक माहौल) को देखते हुए योगी सरकार को इस बात की आवश्यकता महसूस हुई है कि जिलों की कमान फिर डीएम को सौंपी जाए। जिसके बाद योगी सरकार ने यह निर्णय लिया है। अब बिना जिलाधिकारी की मंजूरी के थानाध्यक्ष की तैनाती नहीं होगी।

थानाध्यक्ष की नियुक्ति करने में अब डीएम की अनुमति एसपी को लेनी होगी। पहले पुलिस अधीक्षक ही थानों में थानाध्यक्ष की नियुक्ति करते थे। लेकिन अब उन्हें इसके लिए डीएम की अनुमति लेनी होगी। यह आदेश पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली वाले लखनऊ, कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी और प्रयागराज में लागू नहीं होगा। इन जिलों में पुलिस कमिश्नर ही कानून व्यवस्था की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. और उनकी सहमति से ही थानाध्यक्ष की तैनाती होगी।

जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा?', SC के सवाल पर केंद्र ने दिया ये जवाब, पढ़िए, पूरी खबर

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में निरंतर सुनवाई चल रही है। 29 अगस्त को हुई सुनवाई के चलते चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे तथा राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा? इस पर केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को जवाब दिया है। केंद्र सरकार ने कहा, ''हम किसी भी वक़्त जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने को तैयार हैं। चुनाव कब हों ये राज्य चुनाव आयोग तथा केंद्रीय चुनाव आयोग तय करेगा। केंद्र ने कहा है कि मतदाता सूची अपडेट हो रही है। थोड़ा सा काम बचा है। पहली बार 3 स्तरीय पंचायती राज सिस्टम जम्मू कश्मीर मे लागू किया गया है। पहला चुनाव पंचायत का होगा। केंद्र के द्वारा कहा गया है कि प्रदेश में पत्थरबाजी की घटनाओं में 97.2 प्रतिशत की कमी आई है।

एसजी तुषार मेहता ने कहा है कि आतंकवादी घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 की स्थिति की तुलना वर्ष 2023 की स्थिति से कर रहा हूं। घुसपैठ के मामलों में भी 90.2 प्रतिशत की कमी आई है। धारा 370 को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 12वें दिन सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के चलते एसजी तुषार मेहता ने दलीलें आगे बढ़ाईं थीं। इसमें उन्होंने कहा था कि हम तीन मुख्य बिंदुओं पर दलील देंगे। इनमें पहला- अनुच्छेद 370 पर हमारी व्याख्या सही है। 

दूसरा- राज्य पुनर्गठन अधिनियम तथा तीसरा अनुच्छेद 356 लागू होने पर विधायका की शक्ति के मापदंडों पर। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि संविधान निर्माताओं ने कभी भी अनुच्छेद 370 को स्थायी तौर पर लाने का इरादा नहीं किया था। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण विशेष राज्य का दर्जा बहाल रखने की दलील भी लचर है क्योंकि जम्मू कश्मीर इकलौता सीमावर्ती प्रदेश नहीं है।

सरकार ने बताया जस्टिस संजय किशन कौल ने पूछा कि यदि आप लद्दाख को अलग किए बिना पूरा ही केंद्र शासित प्रदेश बनाते तो क्या प्रभाव होता? एसजी मेहता ने कहा कि पहले अलग करना अनिवार्य और अपरिहार्य है। असम और त्रिपुरा को भी पहले अलग कर केंद्र शासित प्रदेश ही बनाया गया था. एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश नहीं घोषित किया जा सकता. CJI ने कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब से ही विशिष्ट रूप से अलग कर केंद्रशासित बनाकर दोनों प्रदेशों की राजधानी बनाया गया. वहीं, पहले की सुनवाई के चलते अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि इतिहास में गए बिना इस मुद्दे को समझना मुश्किल होगा.

इस के चलते उन्होंने 1950 में हुए चुनाव में पूरण लाल लखनपाल को चुनाव लड़ने से रोकने की घटना का जिक्र भी किया कि आखिर क्यों उनके चुनाव लडने की राह में रोड़े अटके. रमणी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मायनों में राजनीतिक एकता एवं संवैधानिक एकता में कोई अंतर नहीं है. 370 अस्थाई इंतजाम था. वो इंतजाम अब अंत पर पहुंच गया है.

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर की संविधान सभा पूरी व्यवस्था का हिस्सा थी तो आप उसे संविधान के दायरे से बाहर कैसे कह सकते हैं. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर की संविधान सभा 1957 में उपस्थित थी तो क्या विधान सभा सिफारिश कर सकती थी कि प्रदेश में जनता बुनियादी अधिकार नहीं होंगे?

जानिए, इंडिया गठबंधन में वर्तमान में शामिल सात दल कांग्रेस टूटने के बाद बने, लेकिन ये सात दल कभी बीजेपी के साथ एनडीए में थे

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष ने प्लान बना लिया है, जिसकी कवायद चल रही है। इसी मकसद से मुंबई में एक बैठक हो रही है। हालांकि कांग्रेस इसमें मुख्य पार्टी है मगर बाकी पार्टियों का उस राज्य में अच्छा प्रभाव है। बीजेपी के साथ ऐसी ही छोटी-बड़ी पार्टियां हैं। इसके चलते इस बार का लोकसभा चुनाव का मुकाबला कड़ा होने वाला है।

इंडिया अलायंस में 28 पार्टियां एक साथ आई हैं। इन पार्टियों की मीटिंग दो दिनों तक होगी। इसमें आयोजक कौन है, गठबंधन का लोगो क्या होगा, इसकी जानकारी मिलेगी। बेंगलुरु बैठक में गठबंधन को 'इंडिया' नाम दिया गया।

खास बात यह है कि इस गठबंधन में सातों दल कांग्रेस टूटने के बाद बने हैं। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि सात दल कभी बीजेपी के साथ एनडीए में थे। इन सात पार्टियों में से कुछ दोनों पक्षों में थीं। इन सभी दलों की यह तीसरी बैठक है। इस बैठक में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के साथ-साथ एक और क्षेत्रीय पार्टी भी हिस्सा लेगी।

आज की बैठक में कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव ग्रुप), एनसीपी (शरद पवार ग्रुप), सीपीआई, सीपीआईएम, जेडीयू, डीएमके, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राजद, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी शामिल हैं।

इसके अलावा छोटी पार्टियों में आरएलडी, सीपीआई (एमएल), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (एम), मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके), एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केरल कांग्रेस, केएमडीके, एआईएफबी, अपना दल कामेरवाड़ी और किसान और श्रमिक शामिल हैं। पार्टी शामिल है।

जो पार्टियां कभी-कभी बीजेपी के साथ होती हैं वो हैं- शिवसेना (उद्धव ग्रुप), पीडीपी, जेडीयू, टीएमसी, रालोद, केएमडीके। 1999 में ममता की टीएमसी बीजेपी में थी। वह रेल मंत्री भी थे। 2001 में यह पार्टी यूपीए में शामिल हो गई।

मध्य प्रदेश के रतलाम में रक्षाबंधन पर भाई बहन के प्यार की अनोखी फोटो सामने अाई, शहीद की पत्नी के कदमों में भाइयों ने बिछाई हथेली

मध्य प्रदेश के रतलाम में रक्षाबंधन के अवसर पर भाई बहन के प्यार की अनोखी फोटो देखने को मिली। जहां शहीद की पत्नी के कदमों में भाइयों ने हथेली बिछाई। यहां शहीद सपूत कन्हैयालाल जाट के राष्ट्र शक्ति स्थल का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर वीरांगना बहनों के पैरों तले युवा भाइयों ने अपनी हथेलियां बिछा दी। इस नजारे को जिसने देखा वो बस देखता ही रह गया। 

रक्षाबंधन के अवसर पर बुधवार को शहीद पति की ‎तस्वीर हाथ में लिए वीरांगना सपना हथेलियों पर पैर ‎रखते हुए पहुंचीं तथा प्रतिमा का अनावरण ‎किया। पति की प्रतिमा देखते ही सपना ‎उससे लिपटकर रो पड़ीं। घरवालों ने उन्हें चुप‎ कराया। आंसू पोछते हुए बोलीं- ऐसा लग ‎रहा है कि शहीद समरसता मिशन के भाइयों ने ‎मुझे मेरा जीवन, मेरा पति लौटा दिया है। ‎

बता दें, शहीद कन्हैयालाल ने 21 मई 2021 में सिक्किम में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। गुणावद के सपूत ‎कन्हैयालाल जाट 21 मई 2021 को ‎सिक्किम में शहीद हुए थे। इनकी 2 बेटियां ‎किंजल और आराध्या हैं। इस राष्ट्र शक्ति‎स्थल का निर्माण 4 लाख के जनसहयोग से ‎किया है। शहीद ‎समरसता मिशन के संस्थापक एवं राष्ट्रीय‎संयोजक मोहन नारायण ने शहीद की पत्नी ‎वीरांगना सपना जाट एवं वीर माता-पिता से ‎31 जुलाई को क्रांतिकारी शहीद उधमसिंह के ‎बलिदान दिवस पर वादा किया था कि‎ रक्षाबंधन पर प्रतिमा लगाई जाएगी। समाज के ‎सहयोग से इसे निर्धारित वक़्त में पूरा कर दिया गया। ‎

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पांच से अधिक मेट्रो स्टेशनों पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखने के मामले में एक आरोपी को किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पांच से अधिक मेट्रो स्टेशनों पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखने के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इसकी जानकारी दी है। रविवार सुबह 27 अगस्त को बाहरी दिल्ली में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की ग्रीन लाइन पर पांच मेट्रो स्टेशनों – शिवाजी पार्क, मादीपुर, पशिम विहार और नांगलोई की दीवारों पर खालिस्तानी समर्थक नारे लिखे दिखाई दिए थे। ये घटनाएं ऐसे समय पर सामने आई हैं जब दिल्ली में 8-10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन होना है।

आपत्तिजनक नारे और भित्तिचित्र (ग्राफिटी) कथित तौर पर प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के कार्यकर्ताओं या समर्थकों द्वारा लिखे गए थे। उन्होंने मेट्रो की दीवारों पर 'दिल्ली बनेगा (बनेगा) खालिस्तान' 'खालिस्तान रेफरेंडम जिंदाबाद' और 'मोदी के भारत ने सिखों का नरसंहार किया' जैसे नारे लिखे गए थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, एसएफआई प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नून, जो भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से बचने के लिए विदेश में रहता है, ने घटनाओं की जिम्मेदारी ली थी।

वीडियो में पन्नू को यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'भारत, प्रगति मैदान में जी-20 की लड़ाई आज शुरू हो गई है… सच्चे खालिस्तानियों ने दिल्ली के मेट्रो स्टेशनों पर नारे लिखे हैं… और यह सभी जी-20 देशों को एक मैसेज है…' हालांकि स्ट्रीट बज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है, जिसमें पन्नू को भारत विरोधी टिप्पणी करते हुए दिखाया गया है।

लेकिन घटना की जानकारी रखने वाले सूत्रों और विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 27 अगस्त की सुबह दीवारों पर भित्तिचित्र बनाए गए, उस समय मेट्रो ट्रेन सेवाएं और स्टेशन बंद थे। जनवरी से अगस्त के बीच शहर में इस तरह की यह दूसरी घटना है। पिछली बार जनवरी में गणतंत्र दिवस समारोह से पहले, 'खालिस्तान जिंदाबाद', 'एसएफआई', 'वोट फॉर खालिस्तान' और 'रेफरेंडम 2020' जैसे आपत्तिजनक खालिस्तान समर्थक नारे दिल्ली के पश्चिमी इलाकों में कम से कम 10 स्थानों पर दीवारों पर लिखे गए थे।

बता दें कि पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी, जनकपुरी, पश्चिम विहार, पीरागढ़ी और अन्य स्थानों पर ऐसे भित्तिचित्र बनाए गए थे। पुलिस ने इस मामले में गलत आरोप लगाना, राष्ट्रीय-अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले दावे और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया था। बाद में, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने 2 लाख रुपये के बदले में दीवारों पर ऐसे नारे लिखे थे। उन्हें पैसे देने का वादा किया गया था। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने यह कृत्य प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के निर्देश पर किया था, जिसने अलगाव की धमकी दी थी और इसके प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नून द्वारा इंटरनेट पर जारी एक वीडियो के जरिए घटना की जिम्मेदारी भी ली गई थी।

आम आदमी पार्टी के गोवा प्रमुख अमित पालेकर को राज्य की क्राइम ब्रांच ने रोड रेज मामले में किया अरेस्ट, पालेकर ने कहा, यह डर्टी पॉलिटिक्स

आम आदमी पार्टी के गोवा प्रमुख अमित पालेकर को राज्य की क्राइम ब्रांच ने अरेस्ट कर लिया है। उन्हें रोड रेज के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस घटना को लेकर पालेकर ने कहा है कि इसमें मेरा कोई हाथ नहीं है। उन्होंने पुलिस की हिरासत में ही मीडिया से बात करते हुए कहा, 'यह एकदम डर्टी पॉलिटिक्स है। मेरा इस घटना से कोई लेना-देना ही नहीं है।' अमित पालेकर पर आरोप है कि उन्होंने रोड रेज के एक मामले के सबूत नष्ट कर दिए। इस घटना में एक मर्सिडीज कार ने तीन लोगों को कुचल डाला था।

अगस्त के शुरुआती दिनों में हुई इस घटना को लेकर ही अमित पालेकर को अरेस्ट किया गया है। अमित पालेकर पर क्राइम ब्रांच ने आईपीसी के सेक्शन 201 के तहत केस दर्ज किया है। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा, 'पालेकर एक शख्स के साथ पुलिस थाने में आए थे। जिसे उन्होंने बताया था कि वह एसयूवी का ड्राइवर है। ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि कार को चला रहे वास्तविक ड्राइवर की पहचान को छिपाया जा सके।'

'आप' नेता ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज किया है। पालेकर ने कहा, 'मुझे गिरफ्तार किया गया है। यह डर्टी पॉलिटिक्स है। ये लोग मुझे दो दिन से धमकियां दे रहे हैं कि यदि तुमने भाजपा जॉइन नहीं की तो नतीजे भुगतने होंगे। यह पूरी तरह से गंदी राजनीति है। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है। मेरा इस मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है। यह सिर्फ इसलिए है ताकि मेरी इमेज को खराब किया जा सके।' इससे पहले गोवा पुलिस ने इस केस में परेश उर्फ श्रीपद नाम के शख्स को अरेस्ट किया था। 

उस पर आरोप था कि उसने मर्सिडीज से तीन वाहनों को तेज स्पीड में टक्कर मारी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और इतने ही लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक परेश ने जब कार से ऐक्सिडेंट किया था, तब वह शराब के नशे में था। हादसे के दौरान वह अपने एक दोस्त के साथ था, जो रियल एस्टेट कारोबारी हैं।

अरबपति गौतम अडानी को एक ही दिन में लगे कई झटके, एक रिपोर्ट से न केवल दौलत गंवाई बल्कि उनका रैंक और रुतबा भी हुआ कम, डिटेल में पढ़िए खबर


अरबपति गौतम अडानी को एक ही दिन में कई सारे झटके लगे हैं। उन्होंने न केवल दौलत गंवाई बल्कि उनका रैंक और रुतबा भी कम हुआ है। इसकी वजह एक रिपोर्ट बनी जिसमें यह आरोप लगाए गए हैं कि अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद अपने शेयर खरीदकर स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश किया। इससे अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गुरुवार को बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए।

अडानी ग्रुप के शेयरों में आई गिरावट की वजह से गौतम अडानी ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के टॉप-20 अरबपतियों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं। यही नहीं, उनका एशिया के दूसरे सबसे रईस का ताज भी छिन गया है और अब उनकी जगह चीन के अरबपति झोंग शानशान ने ली है। हालांकि, दुनिया के अमीरों की टॉप 20 लिस्ट से शानशान भी बाहर हैं। उनके पास 62.6 अरब डॉलर की संपत्ति है। वह 21वें स्थान पर हैं। अडानी 22वें स्थान पर आ गए हैं और गुरुवार को उनकी संपत्ति 2.26 अरब डॉलर कम होकर 61.8 अरब डॉलर रह गई है। 

 गौतम अडानी के अगुवाई वाले अडानी ग्रुप के शेयर गुरुवार को फोकस में रहे थे। आज भी ग्रुप के सभी शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। शुरुआती कारोबार में बीएसई पर अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट, अडानी पावर, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ग्रीन सॉल्यूशन और अडानी विल्मर के शेयरों में करीब 4% से अधिक की गिरावट आई । बता दें कि शेयरों में यह ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) नाम की एक ग्लोबल संस्था द्वारा गौतम अडानी समूह पर गड़बड़ी के आरोप के बाद देखने को मिली।

*पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 7.8% रही, किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में ये सबसे तेज ग्रोथ रेट

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अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत के लिए एक और अच्छी खबर आई है। भारत की इकॉनमी और मजबूत हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की शानदार शुरुआत की है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पहली तिमाही के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था ने शानदार 7.8 फीसदी की दर से ग्रोथ दर्ज की है। भारत के लिए ये आंकड़े इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि दुनिया की किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में ये सबसे तेज ग्रोथ रेट है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ बीती 4 तिमाही में सबसे तेज

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ ने पहली तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े को गुरुवार शाम में जारी किया। जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ बीती 4 तिमाही में सबसे तेज रही है। जून तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले मार्च तिमाही में ग्रोथ 6.1 फीसदी के स्तर पर थी। दिसंबर तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी के रफ्तार से बढ़ी थी। अगर सेक्टर के आधार पर प्रदर्शन देखें तो जून तिमाही में एग्रीकल्चर सेक्टर का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक एग्रीकल्चर सेक्टर का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। कृषि क्षेत्र में 3.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई, जो 2022-23 की इसी तिमाही में 2.4 प्रतिशत थी। हालांकि इस तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की ग्रोथ घटी है और यह गिरकर 4.7 प्रतिशत रह गई । इस साल पहले समान अवधि में यह 6.1 प्रतिशत थी।

आठ बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर 8% पर, पिछले महीने 8.3% थी

कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में वृद्धि से आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की वृद्धि दर जुलाई 2023 में बढ़कर आठ प्रतिशत हो गई, जो पिछले साल इसी महीने में 4.8 प्रतिशत थी। आंकड़ों से पता चलता है कि इस्पात, सीमेंट और बिजली का उत्पादन भी जुलाई महीने में बढ़ा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हालांकि जुलाई में कोर सेक्टर की वृद्धि दर पिछले महीने के 8.3 प्रतिशत की तुलना में कम रही। आठ क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि भी अप्रैल-जुलाई 2023-24 में घटकर 6.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 11.5 प्रतिशत थी।

इससे पहले ऐसा रहा प्रदर्शन

एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, साल भर पहले की समान तिमाही यानी जून 2022 तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 13.1 फीसदी रही थी। उसकी तुलना में इस साल वृद्धि दर प्रभावित हुई है। इससे पहले मार्च 2023 तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज की थी, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही थी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया था। रिजर्व बैंक ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था। हालांकि ग्रोथ रेट एक साल पहले की तुलना में कम हुई थी, क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.1 फीसदी रही थी।

तेज रफ्तार से बढ़ रहा भारत

भारत इस अच्छे प्रदर्शन के साथ ग्लोबल ग्रोथ का इंजन बना हुआ है और सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का दर्जा भी बरकरार है। अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन को देखें तो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका ने जून तिमाही के दौरान 2.1 फीसदी की दर से वृद्धि की। यह दर तिमाही आधार पर है. वहीं दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने जून तिमाही के दौरान साल भर पहले की तुलना में 6.3 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की।