दुमका : विश्व आदिवासी दिवस पर दिखी कला व संस्कृति की अदभुत तस्वीर, आयुक्त ने कहा- पर्यावरण व प्रकृति की रक्षा करने में आदिवासियों का अहम योगदान
दुमका : संथाल परगना के प्रमंडलीय आयुक्त लालचंद डाडेल ने कहा कि पर्यावरण व प्रकृति की रक्षा करने में आदिवासियों का अहम योगदान रहा है। उन्होंने युवाओं से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को सुदूर गांवो तक पहुंचाने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि सरकार के साथ-साथ युवाओं को भी लाभकारी योजनाओं के बारे में सुदूर गाँव के लोगों तक पहुंचाने और योजनाओं के प्रति आदिवासियों को जागरूक करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
प्रमंडलीय आयुक्त श्री डाडेल बुधवार को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित भव्य जिला स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत पारंपरिक परिधान एवं वाद्य यंत्रों के साथ लोटा पानी से किया गया। सभी अतिथियों को पौधा देकर एवं पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि प्रमंडलीय आयुक्त श्री डाडेल ने कार्यक्रम का विधिवत उदघाटन किया।
मौके पर जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा, उपाध्यक्ष सुधीर मंडल, विशिष्ट अतिथि पुलिस उप महानिरीक्षक सुदर्शन प्रसाद मंडल, उपायुक्त आंजनेयुलू दोड्डे, वन प्रमंडल पदाधिकारी सात्विक, उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा उपस्थित थे।
प्रमंडलीय आयुक्त लालचंद डाडेल ने कहा कि आदि का अर्थ है प्राचीन। आदिवासी प्राचीन व मूल निवासी है। हमारे जंगलों, पहाड़ों, प्राकृतिक सम्पदाओं की रक्षा आदिवासी समुदाय के लोग प्राचीन काल से ही करते आ रहे है। कहा कि भारत की जनसंख्या का लगभग नौ प्रतिशत जनसंख्या आदिवासियों का है। आदिवासियों की देशज ज्ञान परम्परा काफी समृद्ध है। आदिवासियों के पास थ्री डी - डिजास्टर, डिफेंस और डेवलपमेन्ट का अदभुत ज्ञान है। अण्डमान के जरवा आदिवासी सुनामी जैसी भयानक प्राकृतिक आपदा में इसका उदाहरण प्रस्तुत कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में आदिवासियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। चाहे धरती आबा, बिरसा मुण्डा की शहादत हो या वीर सिदो-कान्हू, फूलो-झानो या तिलका मांझी । आदिवासी दिवस के अवसर पर संकल्प लेना होगा कि हम आने वाले पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित बनाये ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रह सकें। सरकार आपके अधिकारों के प्रति दृढ़ संकल्पित है तथा कई लाभकारी योजनाऐं आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार आदिवासियों के प्रति संवेदनशील होकर कार्य कर रही है। आने वाले दिनों में हमें इसका सुखद प्रभाव देखने को मिलेगा। डीआईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने कहा कि आज पूरे विश्व में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। आदिवासी समाज का हमारी धरोहर को संरक्षित रखे में बड़ा योगदान रहा है ।
आदिवासी संस्कृति को संजोए रखने, स्वाभिमान को जागृत करने और जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए हमेशा एकत्रित होकर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि नशा पान की वजह से कई सारी घटनाएं प्राय: होती रहती है। समाज को नशापान से मुक्त कराने में भी अपनी सहभागिता देना सुनिश्चित करें। समाज के तमाम महिला-पुरूष एवं युवा वर्ग संकल्प लें कि अपनी सामाजिक व्यवस्था को विकास की दिशा में अग्रसर रखने के लिए बच्चों को उच्च शिक्षा अवश्य देगें।
उपायुक्त आंजनेयुलू दोड्डे ने विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज हम आदिवासी भाई- बहनों के लिए बड़ा ही गर्व का दिन है। आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित करने का दिन है आदिवासी समाज प्रकृति से जुड़ी है जिसको बचाकर रखना हमारा दायित्व है आदिवासी समाज के लोगों के विकास के लिए सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाएं हैं जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक जिला प्रशासन पहुंचने का कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल, बिजली एवं सड़क की समस्या है इस समस्या को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जिला प्रशासन कार्य करने के लिए तत्पर है।
उन्होंने युवाओं से अपील की की समाज के विकास के लिए शिक्षा अत्यधिक आवश्यक है ,और जो भी लक्ष्य है उसको पूरा करने का प्रयास करें। किसी प्रकार की समस्या हो तो जिला प्रशासन आपके साथ है।
जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा ने कहा कि आदिवासी समाज के बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अत्यधिक आवश्यक है। तभी हम अपने समाज को आगे ले जा पाएंगे और एक अच्छे नागरिक बन पाएंगे।
इस दौरान संथाली सांस्कृति कार्यक्रम, ट्राइबल फैशन शो, पहाड़िया सांस्कृतिक नृत्य, पहाड़िया समुदाय के प्रतिनिधि द्वारा अपने समाज के बारे में परिचय जैसे कार्यक्रम आयोजित की गए।ट्राइबल फैशन शो के माध्यम से आदिवासी समाज के रहन सहन,परंपरा एवं संस्कृति का विस्तार से चित्रण किया गया ।
अतिथियों द्वारा आदिवासी परंपरा को दर्शाने वाले सभी स्टॉलों का भी निरीक्षण किया गया।
जिसमे भिन्न भिन्न तरह के आदिवासी पारंपरिक खान पान,परिधान,हस्तनिर्मित सामग्री,बांस से निर्मित सामग्री, जादोपटिया चित्रकला, चदर बदोनी जैसी विधाओं का समावेशन देखने को मिला जिससे आदिवासी कला, संस्कृति,परंपरा को एक साथ देखने एवं समझने का अवसर मिला।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Aug 11 2023, 20:22