गड्ढो का पानी पीने को मजबूर. बुनियादी सुविधाओ के अभाव से ग्रामीण परेशान।
संजय द्विवेदी प्रयागराज।यमुनानगर अन्तर्गत मेजा क्षेत्र सिलौधी और सिरहीर गांव के पहाड़ी इलाको में जीवन आज भी संघर्ष का पर्याय बना हुआ है।यहां के ग्रामीणों को सबसे बड़ी समस्या साफ पेयजल की है। आधुनिक दौर में जब सरकारे हर घर नल जल योजना, पाइपलाइन टैंक और शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का दावा करती है वही मेजा की पहाड़ियों पर रहने वाले हजारों लोग आज भी गड्ढों और प्राकृतिक जलस्रोतो में जमा हुए पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है।यह तस्वीर विकास के सरकारी दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि वर्षों पहले जब कोई व्यवस्था नहीं थी तब लोग गड्ढो पोखरो और तालाबो का ही सहारा लेते थे लेकिन समय बदलने के बावजूद आज भी हालात जस के तस बने हुए है।बरसात का पानी पहाड़ी चट्टानो के बीच बने गड्ढों में भर जाता है और वही धीरे-धीरे महीनो तक जमा रहता है। इसी गंदे और प्रदूषित पानी का उपयोग ग्रामीण पीने नहाने और जानवरों को पिलाने तक के लिए करते है।साफ पानी की सुविधा न होने से ग्रामीण न चाहते हुए भी इसी पर निर्भर रहने को मजबूर है।गांव के निवासी रामचरन बताते है सरकार कहती है कि हर घर नल से पानी मिलेगा लेकिन हमारी पहाड़ियो पर न कोई पाइपलाइन बिछी और न ही कोई टंकी बनी।हम आज भी गड्ढों का पानी पीते है।बीमार हों तो अस्पताल भी दूर है।वही शारदा देवी कहती है “बरसात में पानी भर जाता है वही पी लेते हैं। सूखे के दिनों में पानी के लिए मीलो चलना पड़ता है। कई बार बच्चे पेट दर्द, उल्टी-दस्त से बीमार पड़ जाते है।ग्रामीणो का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में विकास कार्यों को हमेशा पीछे कर दिया जाता है। न पेयजल की योजना लागू होती है न सड़के बन पाती हैं। कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियो को शिकायत की गई, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। लोगों में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि क्षेत्र के बारे में योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन क्रियान्वयन शून्य रहता है।ग्राम प्रधान और सामाजिक कार्यकर्ता भी मानते है कि यदि पहाड़ी इलाके में जल्द ही स्थायी पेयजल व्यवस्था नही की गई तो आने वाले दिनों में गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है।उन्होंने मांग की है कि यहां हैंडपंप ट्यूबवेल टंकी और पाइपलाइन की व्यवस्था की जाए, ताकि ग्रामीणों को गंदा पानी पीने से मुक्ति मिल सके।मेजा क्षेत्र की यह तस्वीर बताती है कि विकास के दावे और वास्तविकता में कितना बड़ा अंतर है।आज भी कई गांव बुनियादी सुविधाओ से वंचित है और ग्रामीण अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति के भरोसे ही जीने को मजबूर हैं।







Nov 19 2025, 19:13
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