भीड़भाड़ से स्वच्छ हवा तक: डेटा स्टडी के आधार पर पटना के स्मार्ट परिवहन व्यवस्था* -
*
पटना के जाम से व्यस्त समय में वाहनों की गति 10 किमी प्रति घंटा से भी नीचे - पेट्रोल की खपत 177% बढ़ी, स्वास्थ्य जोखिम भी तेज़ी से बढ़ रहे - बिहार की पिछड़ी जातियों के लिए कारें अब भी सपना, प्रति 1,000 लोगों पर केवल 1 कार - पटना को 1,250 से ज़्यादा बसें चाहिए, लेकिन मौजूदा बेड़ा बेहद कम - बिजली कटौती और चार्जिंग की कमी ने ईवी उपयोगकर्ताओं की मुश्किलें बढ़ाईं पटना, 28 अगस्त 2025: टिकाऊ शहरी परिवहन की चर्चा में आज पटना देशभर में सुर्खियों में रहा। द क्लाइमेट एजेंडा ने एनवायरोकैटालिस्ट्स और आईआईटी (बीएचयू) के सहयोग से दो अहम रिपोर्ट “जाम से हरित समावेशी गतिशीलता तक: पटना में यातायात, वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक परिवहन के अवसरों का विश्लेषण” और “बिहार ईवी नीति, 2023 का आकलन” जारी की गई। रिपोर्ट लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पटना की महापौर श्रीमती सीता साहू मौजूद रहीं। इस मौके पर भीड़भाड़, बढ़ते वायु प्रदूषण और मजबूत सार्वजनिक परिवहन की ज़रूरत पर विशेष ज़ोर दिया गया। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता भी रेखांकित हुई। महापौर श्रीमती सीता साहू ने कहा, “पटना अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए अभिनव समाधान अपनाने को तैयार है। ये अध्ययन हमें स्पष्ट दिशा और ठोस सुझाव देते हैं। हम विशेषज्ञों और समुदाय के साथ मिलकर तेज़ आवागमन, स्वच्छ हवा और हरित भविष्य की राह बनाएंगे।” इस मौके पर सरकार, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के बीच यह सहमति दिखी कि पटना समावेशी और हरित गतिशीलता का आदर्श बन सकता है। द क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक सुश्री एकता शेखर ने कहा, “यह केवल वाहनों या तकनीक की नहीं, बल्कि लोगों और उनके साझा भविष्य की बात है। स्वच्छ गतिशीलता का अर्थ स्वस्थ फेफड़े, सुरक्षित सड़कें और मजबूत अर्थव्यवस्था है। यदि स्पष्ट रणनीति और निर्णायक कदम उठे, तो पटना भारत के समावेशी, कम-कार्बन परिवहन का नेतृत्व कर सकता है।” एनवायरोकैटालिस्ट्स के संस्थापक व प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया ने बताया, “पटना की समस्याएँ – जाम, प्रदूषण और कमजोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट – आपस में जुड़ी हैं और तत्काल समाधान चाहती हैं। हमारा अध्ययन यात्रियों की आवाज़ और ठोस आँकड़े सामने लाता है। सही नीतियों और ढाँचे से पटना स्वच्छ गतिशीलता का अग्रदूत बन सकता है।” आईआईटी (बीएचयू) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक मुद्गल ने कहा – “पटना अब एक अहम मोड़ पर है। स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, मज़बूत बस कॉरिडोर और स्वच्छ परिवहन से न सिर्फ उत्सर्जन घटेगा बल्कि रोज़मर्रा की परेशानियाँ भी कम होंगी। सरकार की मदद से पटना ऐसा शहर बन सकता है जहाँ विकास और स्वच्छ हवा साथ-साथ आगे बढ़ें।” हालांकि, शोध कार्य द क्लाइमेट एजेंडा, एनवायरोकैटालिस्ट्स और आईआईटी-बीएचयू ने किया, लेकिन इसे हरित सफ़र और सस्टेनेबल अर्बन मोबिलिटी कलेक्टिव (SUMC) ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया। शोध कार्य से मुख्य निष्कर्ष पटना के लिए अवसर: जाम से हरित परिवहन तक · सार्वजनिक परिवहन का विस्तार और विद्युतीकरण: 1,250 से अधिक बसें जोड़ना, केवल बसों की लेन बनाना और 100% बिजली आधारित बसें लागू करना। · लोगों के लिए सड़कें: छायादार फुटपाथ, साइकिल लेन और पैदल यात्रियों की सुरक्षा पर प्राथमिकता। · समावेशिता आधारित डिजाइन: दिव्यांगजन के लिए आसान पहुँच, महिलाओं के लिए सुरक्षित विकल्प और अनौपचारिक मज़दूरों के लिए अंतिम-मील कनेक्टिविटी। · कार पर निर्भरता घटाना: भीड़भाड़ शुल्क, अधिक पार्किंग शुल्क और फ्लाईओवर फंड को पब्लिक व नॉन-मोटराइज्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर पर लगाना। · नागरिकों की भागीदारी: जागरूकता अभियान और योजनाओं में महिलाओं, दिव्यांगजनों, LGBTQIA+ और श्रमिकों की सीधी भागीदारी। बिहार ईवी नीति 2023 से सीख · बिजली संकट बाधा: बार-बार कटौती, वोल्टेज समस्या और कम चार्जिंग स्टेशनों से ईवी अपनाने में मुश्किल। · पारदर्शी सब्सिडी वितरण: समान वितरण के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ज़रूरी। · केवल दोपहिया से आगे ध्यान: ई-बस, ई-ट्रैक्टर और मालवाहक वाहनों को भी शामिल करना। · स्थायी वित्तपोषण के उपाय: डीज़ल उपकर और भीड़भाड़ शुल्क से ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर और गैर-मोटर चालित विकल्पों को सहयोग। · ग्रामीण व सामाजिक समानता: ईवी रोलआउट में गाँव और पिछड़े वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
Sep 03 2025, 20:13